5 hours ago
जैसे ही राहुल ने दरवाज़े के बाहर से ज़ोर से खँसकर आवाज़ दी, राधा और समर दोनों चौंक गए।
समर ने तुरंत राधा को खुद से दूर किया। राधा ज़ोर से शरमाईं और अपने साड़ी के पल्लू को थोड़ा और खींच लिया।
राधा (तेज़ आवाज़ में, खुद को संभालते हुए): "हाँ, हाँ! रख दे बेटा, दरवाज़े के पास ही रख दे। मैं आ रही हूँ।"
राहुल ने दरवाज़े के बाहर ज़मीन पर लस्सी का गिलास रखा और तुरंत वहाँ से भाग गया।
राधा ने समर की तरफ़ देखा। समर मुस्कुरा रहे थे, पर उनकी मुस्कान में एक शर्मिंदगी और प्यार भरी शिकायत थी।
समर: "देखा? कितना बड़ा हो गया है अब हमारा बेटा। और उसे सब समझ आता है। अब तो कम से कम थोड़ी लिहाज़ कर लो।"
राधा ने समर के माथे पर हाथ मारा—हल्के से, प्यार से।
राधा: "चुप हो जाओ एकदम! सब तुम्हारी वजह से हुआ। आराम से लेटे रहते, तो ये सब होता ही नहीं। और हाँ..."
राधा (समर के कान के पास झुककर, शरारती आवाज़ में): "...बेटा तो मेरा बड़ा हो गया..."
राधा (आँखों में गहरा प्यार भरकर, उन्हें देखते हुए): "...पर आप कब बड़े होंगे, समर? आप आज भी वैसे ही नादान और भूखे हो।"
यह सुनकर समर की आँखों में एक पुरानी, रोमांटिक चमक आ गई। उन्होंने राधा का हाथ कसकर पकड़ लिया और उसे चूम लिया।
समर: "ये नादानी और ये भूख सिर्फ़ तुम्हारे लिए है, राधा। और मैं चाहता हूँ कि मैं कभी बड़ा न होऊँ... तुम्हारे लिए।"
राधा का दिल तेज़ी से धड़का। उन्होंने समर के सिर पर फिर से प्यार से हाथ फेरा।
राधा: "ठीक है, ठीक है। अब सो जाओ। ये चाय और लस्सी... शाम को पी लेना।"
राधा कमरे से बाहर आईं, दरवाज़ा धीरे से बंद किया, और लस्सी का गिलास उठाकर नीचे चली गईं।
?️♂️ शाम का रूटीन (5:00 PM)
शाम को राहुल जिम के लिए तैयार हो रहा था। उसने एक टाइट ग्रे टी-शर्ट पहनी, जिसमें उसकी जिम से बनी मस्कुलर बॉडी साफ दिख रही थी।
राधा अपने रसोईघर में थीं, शाम के खाने की तैयारी कर रही थीं।
राहुल: "मम्मी, मैं जिम जा रहा हूँ। आज लेट हो जाएगा शायद।"
राधा: "ठीक है, बेटा। प्रोटीन शेक पीकर जाना। और ज़्यादा एग्जर्शन मत करना। तेरी बॉडी देख, कितनी थक जाती है।"
राहुल हँसता है।
समर ने तुरंत राधा को खुद से दूर किया। राधा ज़ोर से शरमाईं और अपने साड़ी के पल्लू को थोड़ा और खींच लिया।
राधा (तेज़ आवाज़ में, खुद को संभालते हुए): "हाँ, हाँ! रख दे बेटा, दरवाज़े के पास ही रख दे। मैं आ रही हूँ।"
राहुल ने दरवाज़े के बाहर ज़मीन पर लस्सी का गिलास रखा और तुरंत वहाँ से भाग गया।
राधा ने समर की तरफ़ देखा। समर मुस्कुरा रहे थे, पर उनकी मुस्कान में एक शर्मिंदगी और प्यार भरी शिकायत थी।
समर: "देखा? कितना बड़ा हो गया है अब हमारा बेटा। और उसे सब समझ आता है। अब तो कम से कम थोड़ी लिहाज़ कर लो।"
राधा ने समर के माथे पर हाथ मारा—हल्के से, प्यार से।
राधा: "चुप हो जाओ एकदम! सब तुम्हारी वजह से हुआ। आराम से लेटे रहते, तो ये सब होता ही नहीं। और हाँ..."
राधा (समर के कान के पास झुककर, शरारती आवाज़ में): "...बेटा तो मेरा बड़ा हो गया..."
राधा (आँखों में गहरा प्यार भरकर, उन्हें देखते हुए): "...पर आप कब बड़े होंगे, समर? आप आज भी वैसे ही नादान और भूखे हो।"
यह सुनकर समर की आँखों में एक पुरानी, रोमांटिक चमक आ गई। उन्होंने राधा का हाथ कसकर पकड़ लिया और उसे चूम लिया।
समर: "ये नादानी और ये भूख सिर्फ़ तुम्हारे लिए है, राधा। और मैं चाहता हूँ कि मैं कभी बड़ा न होऊँ... तुम्हारे लिए।"
राधा का दिल तेज़ी से धड़का। उन्होंने समर के सिर पर फिर से प्यार से हाथ फेरा।
राधा: "ठीक है, ठीक है। अब सो जाओ। ये चाय और लस्सी... शाम को पी लेना।"
राधा कमरे से बाहर आईं, दरवाज़ा धीरे से बंद किया, और लस्सी का गिलास उठाकर नीचे चली गईं।
?️♂️ शाम का रूटीन (5:00 PM)
शाम को राहुल जिम के लिए तैयार हो रहा था। उसने एक टाइट ग्रे टी-शर्ट पहनी, जिसमें उसकी जिम से बनी मस्कुलर बॉडी साफ दिख रही थी।
राधा अपने रसोईघर में थीं, शाम के खाने की तैयारी कर रही थीं।
राहुल: "मम्मी, मैं जिम जा रहा हूँ। आज लेट हो जाएगा शायद।"
राधा: "ठीक है, बेटा। प्रोटीन शेक पीकर जाना। और ज़्यादा एग्जर्शन मत करना। तेरी बॉडी देख, कितनी थक जाती है।"
राहुल हँसता है।


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