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Adultery बदलाव, मजबूरी, सेक्स या जिंदगी.....
#35
सुनार के यहाँ निकलकर तीनों चुपचाप आटो में बैठती हैं और घर की ओर चल देती हैं। कंपाउंड में उतरने के बाद पहले परिधि बोलती है, “तूने वहां से चलने को कह दिया..................” परिधि की बात पूरी होती की उसका फोन बज उठा।

 
“जी, मैं बैंक से बोल रहा हूँ, आपके बिजनेस लोन की दो इंस्टालमेंट डिफॉल्ट हो गई हैं। क्या आप बताएंगी कि आप ईएमआई क्यों नहीं भर रही हैं?” उधर से आवाज आती है।
 
“जी बहुत बड़ी ट्रैजडी हो गई थी हम लोगों के साथ इसीलिए हम लोग नहीं भर पाए, कोशिश कर रहे हैं इसे जल्दी से भरने की।” परिधि घबराहट भरी आवाज में बोलती है।
 
“देखिए मैम ट्रैजडी तो सबके साथ होती है। लेकिन काम नहीं ना रूकते हैं। अगर आप इस महीने की ईएमआई नहीं भरेंगी तो आगे कार्यवाही हो सकती है। और आपके फ्लैट पर ताले लगाए जा सकते हैं। पहले की भी ईएमआई बकाया है। नई ईएमआई भी दे दीजिएगा। नहीं तो कार्यवाही हो जाएगी।” बैंक वाले ने सधे शब्दों में धमकाया।
 
“जी ठीक है,” कहकर परिधि ने फोन कट कर दिया।
 
“कौन था?” इंद्रावती ने पूछा।
 
“बैंक वाले थे कह रहे थे ईएमआई ना भरने पर फ्लैटों पर कार्यवाही होगी।” परिधि ने बोला।
 
फिर उनमें से कोई नहीं बोला और सब अपने घर में चले गए। लेकिन आरोही के मन में कुछ तो चल रहा था। क्योंकि वह कुछ खोई हुई सी थी।

उनके घर पहुँचने के थोड़ी देर बाद सईदा जी उनके घर आती हैं। सईदा उनसे दुख सुख की बातें करती हैं।

सईदा कहती हैं, “बहन जी, कुछ आगे के लिए सोचा है। नौकरी या घर चलाने के बारे में। या राहुल का किराया काफी होगा?”

 
कॉलोनी के परिवारों की स्थिति किसी से छिपी नहीं थी। सईदा की भी स्थिति सामान्य थी उनके पास पति की पेंशन थी और इस परिवार के पास किराया।
 
इंद्रावती कुछ बोले उससे पहले अचानक से आरोही बोल पड़ती है, “आंटी, बाहर नौकरी करने में कुछ खास मिलने वाला नहीं है। लेकिन कुछ तो सोचना पड़ेगा।”
 
“हाँ, बेटा महंगाई और बेरोजगारी तो बढ़ती जा रही है। वैसे भी अकेली लड़की जात, समाज के भूखे भेंड़ियों के लिए शिकार ही होती है। ऊपर वाले ने दुख दिए हैं तो राह भी दिखाएगा......”
 
सईदा की बात पूरी होने से पहले ही आरोही बोल पड़ी, “आंटी, वैसे राहुल ने अपने यहाँ असिस्टेंट का काम करने के लिए ऑफर दिया है। सैलरी भी ठीक देने को कहा है। लेकिन वह जिस तरह का सबसे अलग और प्राइवेसी पसंद वाला है। ऐसे में उसके साथ बारह घंटा बंद फ्लैट में काम करने में बिल्डिंग के लोग बातें बनाएंगे।”

बोलते समय आरोही चेहरा एकदम सपाट था, मानों वाकई वह राहुल के यहाँ कोई अच्छी नौकरी करने जाने वाली है। जबकि वह वहाँ सेक्स स्लेव ही बनने जाएगी, अगर गई तो। लेकिन आरोही सईदा से यह कह दी, मानों दुविधा जानना चाहती हो।

 
आरोही के मुँह से यह सुनते ही इंद्रावती और परिधि को जैसे झटका लग गया। वे आरोही का मुँह ताकने लगीं और उनके मुँह पर मानों ताला पड़ गया हो।
 
चूँकि सईदा को बीते चौबीस घंटों की परिस्थिति के बारे में कोई आइडिया नहीं था, और वह वैसे भी राहुल को फरिश्ते से कम नहीं मानती थी।

तो उसने तुरंत ही कहा, “अरे बेटा तब तो फौरन कर लो, क्योंकि राहुल से सेफ तो कहीं नहीं रहोगी। और इस कॉलोनी में कौन है जो तुम्हें राहुल के साथ देखकर कुछ कह सकता है। सबको पता है अगर राहुल को कुछ भी उल्टा सीधा करना होता, तो कई बार मौके थे और कॉलोनी में किसी की हिम्मत नहीं हो पाती।

 
बाकी उसका स्वभाव सबको पसंद है। मेरी बेटी तो खुद उसके बंद फ्लैट में दिन के 6-6 घंटा रही है। हमें तो रत्ती भर भी चिंता नहीं थी। अपना पूरा परीक्षा उसके ही पास रहकर दी है। जब उसके अब्बू बीमार थे। तो इस कॉलोनी में और राहुल के किसी भी जानने वाले को उस पर कोई शक नहीं होगा।”
 
यह सुनकर आरोही मन में सोचती है, “राहुल कितना कमीना है, यह आप क्या जानें आंटी। कल ही उसने जो मेरे साथ किया है वही बता दूँ तो आप उसे गालियाँ देंगी।”
 
लेकिन कल की घटनाओं और राहुल के उसे चूमने, कान की लौ चूसने और योनि पर हाथ लगाने की घटनाएँ याद करते ही आरोही गनगना गई। और आरोही के बदन में सनसनी सी आ गई। और उसे अपनी टांगों के बीच कुछ गीलापन ना सा लगने लगा।
 
“उफ यह क्या हो रहा है, उस कमीने को याद करके मुझे अजीब सा क्यों हो रहा है,” आरोही मन में सोचती है।
 
“तुम दोनों को नौकरी दे रहा है या एक को?” सईदा ने पूछा।
 
“दे तो दोनों को रहा है। लेकिन अभी मैं ही जाऊँगी। दीदी अभी कुछ समय सोचेंगी। क्योंकि मुन्ना छोटा है। साथ ही हमें और भी जिम्मेदारी निभानी है। देखते हैं, कैसे क्या होगा। राहुल की ओर से कोई दबाव नहीं है। काम छोड़ने, पकड़ने की सहूलियत दे रहा है।” आरोही इस बार भी बिना अपनी सास और दीदी की ओर देखे, सीधे सईदा को देखते हुए बोल गई।
 
“अच्छा है, सोच समझकर ही अब काम करना नाजुक समय है।” इसके बाद सईदा आधा घंटा रही। लेकिन परिधि और इंद्रावती का ध्यान केवल आरोही के ही ऊपर रहा कि वह ऐसा कैसे बोल गई।
 
सईदा के जाते ही परिधि मानो फट पड़ी, “तेरा दिमाग खराब हो गया। यह नौकरी की बात सईदा चाची को कहने की क्या जरूरत थी। कैसे तू काम करने जा सकती है.......”

“अरे, अब सईदा सबको बता देगी। ऐसे में कल कोई बात हो गई तो सब तो यही कहेंगे कि राहुल भला था। यही इन्हीं औरतों ने उसे फंसाया। हम बदनाम होंगी.......” इंद्रावती भी गुस्से में बोलने लगी।
 
“आप दोनों सोचकर देखिए कोई और रास्ता है हमारे पास? राहुल की बात मानने के अलावा कोई रास्ता है? और कौन हमें नहीं नोचना चाहेगा? जब सब ठीक था तब भी ना उस लफंगे ने मेरे पीछे हाथ डाला था ना, दीदी?
 
और राहुल के बारे में इसलिए कहा कि सईदा चाची कह सकें कि राहुल ने नौकरी दी है। क्योंकि उनके परिवार को उस पर पूरा विश्वास है। और मुझे अमित का इलाज भी करवाना है और घर भी बचाना है।
 
फिलहाल मेरे पास यही रास्ता है। आप मत मानिए। जब कोई दूसरा रास्ता मिल जाएगा मैं इस काम को छोड़ दूँगी।” आरोही ने पक्के स्वर में यह बात कह दी और खाना बनाने के लिए चल दी।
 
इंद्रावती और परिधि उसे देखती रह गईं। उसकी गंभीरता को समझकर वे जान गईं की उनके पास कोई और रास्ता नहीं है। इंद्रावती लगातार रो रही थी। लेकिन परिधि चुप थी। उसके मन में अंतर्द्वंद था।

लेकिन कहीं ना कहीं आरोही की बातें उसे चोट दे रही थीं, उसके मन में गूंज रहा था, “और क्या रास्ता है।”

 
आरोही पूरे समय सामान्य रही लेकिन उसके मन के एक कोने में राहुल के साथ बिताए पल की यादें थीं। और वह उनसे जंग करती हुई अपना काम करती रही और अगली सुबह तैयार होकर उसके दरवाजे पर पहुँचती है, और घंटी बजा देती है।

लेकिन अपने फ्लैट से यहाँ तक आना उसके लिए नया जन्म लेने जैसा था। वैसे जाने क्यों उनका शरीर गनगना भी रहा था।

 
“आइए आरोही भाभी, कैसे आना हुआ?” दरवाजा खोलते ही राहुल ने पूछा।

राहुल इतना सामान्य व्यवहार कर रहा था। मानो कल कुछ हुआ ही नहीं।

 
राहुल इस सामान्य व्यवहार को देखकर आरोही कुछ सकुचा सी गई। लेकिन अंदर आते हुए हकलाते हुए बोलने लगी, “राहुल वो मैं......... मैं वो कल की तुम्हें........ नहीं...... नहीं, आपके काम.......”
 
“अच्छा उस काम के लिए। तो आपने क्या तय किया शर्तें मंजूर हैं। या कोई और बात करनी है?” राहुल ने सीधा पूछ लिया।
 
“देखो, राहुल.......... नहीं, राहुल सर। शर्तें मंजूर...... लेकिन कहीं बात फैल गई तो हम किसी लायक नहीं रहेंगे......... बाकी मंजूर हैं........” आरोही ने हड़बड़ाते हुए अपनी अंतिम शंका के साथ, अपनी रजामंदी बता दी।
 
“अरे भाभी, कोई नहीं जान पाएगा। इस बिल्डिंग में मैं किसी भी औरत या महिला को अपने घर बुला लूँ तो उसके पति को भी शक नहीं होगा। और दूसरी बात आप सेफ रहेंगी इसकी गारंटी मेरी है। और आपको पता ही है कि मैं अपनी बात से नहीं फिरता।”
 
“परिधि नहीं आएगी क्या?” राहुल ने पूछा।
 
आरोही के ना में सिर हिलाने के बाद उसने कहा, “अच्छा चलो ठीक है। लेकिन मूल शर्त में तो पैसे उतने ही दूंगा यानी अस्सी हजार रखूँगा तो तुम्हें मिलेंगे तीस हजार। लेकिन तुम्हारी बहादुरी के लिए पाँच हजार हर महीने एक्स्ट्रा दूँगा। ठीक है।” आरोही की आँखों में झांकते हुए राहुल ने कहा।
 
आरोही, राहुल से आंखें नहीं मिला पा रही थी। और राहुल को अपनी ओर देखते हुए उसने झट से अपना सिर नीचे कर लिया। और भारी शर्मिंदगी के साथ हाँ मे सिर हिलाया।
 
“चलो कानूनी कार्यवाही करते हैं। ठीक है ना?” फिर से राहुल ने आरोही की ओर देखकर कहा।

आरोही के नीचे सिर करके, हाँ में सिर हिलाने पर राहुल बोला, “ऐसे नहीं सिर उठाओ और हाँ बोलो।”


आरोही विवशता में सिर उठाया और कैसे भारी स्वर में हाँ बोल पड़ी।


“चलो आरोही पहले वीडियो बनाते हैं। इस सभी शर्तों को वीडियो पर पढ़कर रेकॉर्ड करो, फिर साइन करना। फिर दूसरा वीडियो होगा जिसमें तुम अपनी ओर से जो कहना चाहोगी कह देना। ठीक है?” राहुल ने सब समझा दिया।
 
सहमति में सिर हिलाने के बाद आरोही, वैसा-वैसा कर दिया जैसा राहुल ने कहा था। स्टैंप पेपर पर साइन और सब कुछ होने के बाद राहुल ने आरोही को मांगे गए चार लाख रूपए उसके अकाउंट में डाल दिए।
 
“ठीक है कल सुबह से अपना दिन स्टार्ट होगा। सुबह छह से शाम छह बजे तक की शिफ्ट कैसी रहेगी? शाम को तुम्हें हॉस्पिटल भी जाना होगा?” राहुल ने पूछा।
 
आरोही ने हाँ में सिर हिलाया

तो राहुल बोला, “मुँह से कुछ बोलो यार, नहीं तो कितना भी मुँह दाबे रहो उह आह करके मस्ती लेती ही हो।”

 
राहुल के ऐसा कहते ही आरोही डर के मारे हड़बड़ा जाती है, और कहती है, “नहीं.... आपकी बात ठीक है। सुबह ही सही रहेगा। लेकिन कभी-कभी दिन में भी जाना पड़ता है।”

“कोई नहीं चली जाया करना। गोद में बैठाकर छोड़ आउँगा।

 
बाकी, ऐसे ही बोला करो। और सुनों यह तीस हजार रूपए लेती जाओ। अपने लिए छह-सात अलग-अलग तरह के कपड़े और ब्रा-पैंटी के पांच-छह सेट लेती आना। और हाँ मॉर्डन ट्रेडिशनल हर तरह के ले आना। और शॉर्ट्स पैंट, जींस टीशर्ट, साड़ी सब ले आना। समझी?” राहुल ने अपनी जेब से पैसे निकालकर दिए।
 
आरोही मुँह ताकने लगती है। तो राहुल कहता है, “अरे, मैंने कहा था ना कि घर के कपड़े यहाँ आ के बदलने होंगे। तो बिना कपड़ों के क्या बदलोगी? या नंगी घूमोगी?

और तुम्हारे साइज बाद में तो मैं नाप लूँगा अभी तो तुम्हें ही लाना पड़ेगा। अपने नाप की ब्रा-पैंटी और एमसी के लिए पैड, और हाँ बालों का जंगल साफ करने के लिए रिमूवर और रेजर सब लाना पड़ेगा ना। वैसे वैक्सिंग कराके आना। नहीं करोगी तो मैं कर दूँगा।”

 
आरोही धीरे से पैसे उठा लेती है। और खड़ी रहती है, उसे समझ नहीं आता है कि क्या करना है। तब राहुल बोलता है, “जाओ, कपड़े खरीद लो और जो पैसे बचेंगे उन्हें भी अपने ऊपर खर्च कर लेना या चाची या परिधि के लिए कपड़े ले लेना।”
 
 
“यह परिधि में अकड़ कुछ ज्यादा है क्या? अगर बाद में आई तो इसे अच्छे से सजा मिलेगी। तुम भी साथ देना ठीक है ना?” राहुल ने आरोही से हंसते हुए कहा।

और बोला, “अब जाओ। यह एक चाबी लेती जाओ। कल सुबह फ्लैट खोलने में आसानी रहेगी।”

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आरोही का जीवन अब इसके बाद कल से बदल जाने वाला है, आगे देखते हैं।
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RE: बदलाव, मजबूरी, सेक्स या जिंदगी..... - by ramlal_chalu - 30-11-2025, 09:25 PM



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