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Adultery Payal Ghosh - innocent wife
#30
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और फिर नंदोई जी ने बड़े ही रोमांटिक मूड में मेरे हाथों को पकड़ा, और मुझे अपनी बांहों में भर लिया। उन्होंने मुझे अपने हाथों से जकड़ लिया। मैं उनके बदन की गर्मी महसूस कर रही थी। मैंने भी सोची कि ये मौका अच्छा था। शायद वह समझ गये थे कि मैं बहुत प्यासी थी। और मुझे भी लंड की ज़रूरत थी। फिर उन्होंने मुझे किस करना शुरू किया। और मेरे गाल को काटते हुए मेरे गाल पर पप्पी लेने लगे।

वह धीरे-धीरे मेरे लाल-लाल रसीले होंठों के पास अपने होंठ ले आये, और मेरे होंठो को ज़ोर-ज़ोर से अपने मुंह में खींचने लगे। उनकी जीभ मेरे मुंह में थी, और वह मेरी जीभ को ज़ोर-ज़ोर से चूस रहे थे। मैं अपने नंदोई के सामने पूरी नंगी थी। वह मेरे होंठों को चूस-चूस कर पीने लगे। मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैंने भी उनको अपने पति की तरह बाहों में भर लिया, और उनके थोड़े मोटे होंठों को चूसने लगी। में अपने दोनों हाथों से नंदोई जी के पूरे बदन पर अपने नाख़ून गढ़ा रही थी। मुझे अपने हट्टे-कट्टे बदन वाले नंदोई से लिपट कर अलग ही आनंद मिल रहा था। नंदोई जी के पूरे बदन पर बाल ही बाल थे, और उनका खुरदरा बदन मेरे चिकने नंगे बदन में एक अजीब सी उत्तेजना पैदा कर रहा था।

उनका जोश धीरे-धीरे बढ़ रहा था। हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में कसे हुए थे, और बेतहाशा एक-दूसरे को चूम रहे थे। धीरे-धीरे हमारा चुम्बन बहुत गहरा हो गया था। ऐसा लग रहा था कि हम एक-दूसरे के होंठों को खा जायेंगे।

वे मेरे कान और गर्दन पर पागलों की तरह किस करने लगे, और उनका एक हाथ मेरी चिकनी पतली कमर पर चलाने लगे। उनकी गर्म सांसों ने मुझे पागल बना दिया था।

बहुत देर तक मेरे होंठ के पूरे रस को चूसने के बाद नंदोई जी धीरे-धीरे मेरी मुलायम गोल-गोल तनी हुई चूचियों को सहलाने लगे, और फिर थोड़ी देर के बाद अपने हाथ से ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगे। इससे मेरी चूचियों के निप्पल तन गये थे।

चूचियां मसलने से मैं गरम हो गयी थी। अब वो मेरी चूचियों को और जोर से मसलने लगे। मैं चुप-चाप ख़ड़ी होकर उनसे अपनी चूचियों को मसलवा रही थी। मेरी चूंचियों को मसलते-मसलते उनका लंड खड़ा होने लगा था।

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अब वह अपनी एक उंगली और अंगूठे से मेरी निप्पल को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे। वह जितनी बार मेरी निप्पल को दबा रहे थे, उतनी बार मैं कसमसा रही थी। फिर दबी आवाज में मैं उनसे बोली रही थी-

मैं: धीरे दबाओ नंदोई जी।

तो नंदोई जी धीरे-धीरे दबाने लगे। वह मेरी चुचियों को अपने हाथों से, कभी धीरे-धीरे और कभी ज़ोर-ज़ोर से मसल रहे थे। अब वह एक हाथ मेरे बालों में फेरने लगे, तो मुझे में भी एक जोश आ गया।

मुझे अब थोड़ी सी शर्म आ रही थी, क्योंकि मैं अपने नंदोई जी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी। मैंने अपने आपको नंदोई जी के सामने नंगा समर्पण कर दिया था। वह अपने एक हाथ से मेरी चूची दबा रहे थे, और दूसरे हाथ को मेरे सपाट चिकने पेट पर घुमा रहे थे।

फिर वह अपना हाथ मेरी चूत की तरफ ले गये और मेरी चूत में उंगली करने लगे। तो मेरी उत्तेजना बढ़़ने लगी। मेरी चूत रस छोड़ रही थी। मेरी हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी-

मैं: आहहहह.... ओऊऊऊ... ओह.... आआआहहहह.... और तेज आहहह......।

फिर उन्होंने मेरा निप्पल अपने हाथ में पकड़कर जोर से दबा कर देखा, तो उस में से दूध की धार निकली। वह बहुत खुश हुए और फिर दबा-दबा कर मेरे दूध की पिचकारियां अपने जिस्म पर इधर-उधर मारने लगे।

वह बोले: भाभी मेरी पैंट उतारो।

उनकी पैंट में उनका लंड तो पहले से तना हुआ था। मैंने उनकी बेल्ट और पैंट खोल कर उतार दी। नीचे अंडरवियर में उनका लंड अपना पूरा आकार ले चुका था। मैंने झटपट अंडरवियर नीचे उतारी, तो उनका लंबा लंड फूंकार भरता हुआ मेरी आंखों के सामने आ गया।

मैं बोली: अरे वाह, क्या शानदार लंड है नंदोई जी। मोटा मूसल की तरफ बिल्कुल सीधा और लोहे की तरह सख्त।

फिर धीरे से बोली: नंदोई जी ये तो बहुत बड़ा है यार।

तो वह बोले: नाप लो भाभी अपने हाथ से।

मैं बोली: फिर क्या विचार है नंदोई जी?

तो वह बोले: आपको रगड़ना है भाभी। आज आपको असली सुख दूंगा। आज तो मैं आपकी प्यास बुझा दूंगा मेरी जान। आज मैं आपको जन्नत दिखाउंगा।

मैंने नंदोई जी के मोटे लंड को अपने हाथों में लिया, तो उनका मोटा लंड मेरी मुट्ठी में आ गया, और मैं उनके लंड की मोटाई और मजबूती महसूस करके कांप उठी। अपने नंदोई के तगड़े मोटे लंड को अपने सामने देख कर मेरे अरमान जाग उठे थे। उन्होंने बिना समय गवाए तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिए।

उनका लंड मेरे हाथों में आ गया था। मैंने हाथ से लंड का मुआयना किया। सच में उनका लंड बड़ा और सख्त था।

वह मुझसे बोले: कैसा लगा भाभी मेरा लंड?

तो मैं बोली: आपका लंड बहुत बड़ा और सख्त है नंदोई जी।

उन्होंने मुझसे कहा: आज आपकी चूत में अपना पूरा लंड पेल कर फाड़ दूंगा तुम्हारी चूत को। भोसड़ा बना दूंगा इसका भाभी।

दोस्तों मैं उनकी बात सुन कर शरमा गई।

वह बोले: चुदाई का पूरा मज़ा तभी लिया जा सकता है, जब इंसान अपनी शर्म का चोला उतार फेंके, और पूरा बेशर्म बन जाए। यह शर्म तो कुछ देर की है। अभी कुछ देर में आपको जैसे ही गरमी और जोश आएगा, आप मजे लेने लगोगी।

फिर मैं लंड को पकड़कर ऊपर-नीचे करने लगी। ‌मुझे समझ आ गया कि मेरे पति के लंड से लंबा और मोटा, करीब-करीब 7 इंच का तो ज़रूर होगा, और मोटा भी 3 इंच का होगा।

मुझे डर भी लग रहा था कि इतना बड़ा लंड कैसे लूंगी, और खुशी भी हो रही थी कि कि मुझे मोटा लंड मिला था। उनका लंड पूरा चिपचिपा हो गया था। मैं समझ गयी कि नंदोई के लंड पर मेरे नाम का रस लगा हुआ था। मैं मन ही मन सोच रही थी कि कब नंदोई जी अपने लंड को मेरी चूत में डालेंगे।

फिर उन्होने लंड मुंह में लेने को बोला तो मैं उनके सामने घुटनों पर बैठ गयी, और वह खड़े हो गये। फिर मैं अपने हाथों से उनके घुटनों से होते हुए उनकी जांघों को सहलाने लगी। अब हम दोनों की नज़रे एक-दूसरे से अटक गयी थी और कोई भी नज़र नहीं हटा रहा था।

तो मैं बोली: नंदोई जी, और कितना मजा चाहिए? अब बुझा दूं आपकी प्यास?

फिर मैं लंड को सूंघ कर उसकी खुशबू का आनंद लेने लगी। मैंने अपनी जीभ निकाली और अपने नंदोई के लंड के सुपारे पर फिराने लगी। मेरी इस हरकत से उनकी सिसकारी निकल गई।

मैं उनका लंड मुंह में लेने लगी, लेकिन मैं पूरा लंड अन्दर नहीं ले पा रही थी। तभी उन्होंने पीछे से मेरा सर पकड़ा और लंड को मेरे मुंह में दे दिया। जिससे उनका गर्म लंड मेरे गले तक चला गया। उनका पूरा लंड मेरे मुंह में था। मैं सांस भी नहीं ले पा रही थी। लंड हलक तक गया तो मेरी आंखों में पानी आ गया।…

अब मैं लंड चूसने लगी। मुझे मज़ा आ रहा था। दोस्तों अब धीरे-धीरे वह अपने लंड को मेरे मुंह में अन्दर-बाहर करने लगे। उनकी सिसकारी से मैं भी जोश में आ गई, और तेज-तेज लंड को चूसने लगी। वह मेरे मुंह की चुदाई कर रहे थे। मैं मुंह को आगे-पीछे करके उनका लंड चूसने लगी।

वह अपनी कमर हिला-हिला कर अपना लंड मेरे मुंह में घपा-घप घुसा रहे थे। मैं उनका लंड मेरे मुंह में घपा-घप अन्दर-बाहर लेती जा रही थी। मुझे लगा कि आज तो नंदोई जी अपने लंड को मेरे गले में उतार कर मेरा गला फाड़ ही देंगे।

मैं जितना अन्दर ले सकती थी, अपने मुंह में ले रही थी। वह अपने लंड को सटा-सट मेरे मुंह में डालते जा रहे थे, और बोल रहे थे-

नंदोई : चूस भाभी, अन्दर तक ले मेरे लंड को। चूस, और अंदर तक ले इसे भाभी।

और फिर अचानक से उनकी रफ्तार काफी तेज हो गई।

तो वह बोले: मेरा पानी निकलने वाला है भाभी। जब मेरे लंड से पानी निकले,‌ तो सारा पानी अपने मुंह में ही लेना। अपना मुंह हटाना नहीं।

मैंने उनको इशारे से ओके कहा।

अब उनकी सिसकारियां बढ़ गई: आह... आह... आह... मेरी जान,‌ बहुत मज़ा आ रहा है जान। ऐसे ही करो भाभी।

फिर नंदोई जी बोले: भाभी मेरी पिचकारी निकलने वाली है।

तो मैं ओर जोश में आ गई, और जोर से उनका गर्म लंड मुंह में जल्दी-जल्दी अन्दर-बाहर करने लगी।

वह बोले: आह मेरी जान, आ गया मैं।

और उन्होने अपने लंड का गरमा-गर्म पानी मेरे मुंह में भर दिया। एक के बाद एक लगातार उन्होंने गर्म पानी की धार मेरे मुंह में छोड़ दी। उनके लंड के गर्म पानी से मेरा पूरा मुंह भर गया था। फिर मैंने मुंह से थूका और पानी से मुंह साफ किया।

नंदोई जी का लंड ढीला हो गया था। तो मैंने फिर से उनका लंड अपने नाजुक हाथों में लिया, और हिलाने लगी। कुछ ही देर में उनका लंड फिर से तन गया।

वह मेरी चूत को देखते हुए बोले: भाभी, क्या चूत है आपकी! मैंने आज तक इतनी फूली हुई और चिकनी चूत नहीं देखी। और ये चूत पर हल्के-हल्के बाल, कयामत लग रही हो यार। मेरा लंड आपकी चिकनी प्यासी चूत की प्यास बुझायेगा भाभी। आपको देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। मैं तो कब से आपकी चूत का स्वाद चखना चाहता था भाभी। मैं कब से आपको पटाने की कोशिश कर रहा था, और आज जाकर आप मेरे हाथ लगी हो भाभी।

नंदोई: आज मैंने देखा कि आप बाथरूम में नहा रही थी, और घर पर कोई नहीं है। तो मैंने सोचा कि आज भाभी को नंगी नहाती देखने का और चोदने का ये अच्छा मौका है।

यह सोचकर मैं आपके बाथरूम के पास आ गया, और आधे खुले हुए दरवाजे में से आपको देखने की कोशिश करने लगा।

नंदोई: अन्दर का मस्त नजारा दिख रहा था। आपने काले रंग की ब्रा ओर पेंटी पहनी हुई थी। इतना देखने में ही मजा आ गया था मुझे तो। भाभी क्या मस्त नज़ारा था यार। आपकी चिकनी गोरी नंगी पीठ के नीचे आपकी गांड पर काले रंग की पेंटी फसी हुई थी। तभी आपने शावर चालू किया, जिससे आपकी पेंटी गीली होती जा रही थी।
नंदोई: आपने अपने पैर फैला रखे थे, जिससे आपकी नंगी पीठ से बहते हुए, आपकी गांड की दरार में जाते हुए पानी की धार साफ़-साफ़ नज़र आने लगी थी। मैं ऐसे ही आपको देख रहा था, और आपके मुंह से सिसकारी की आवाज भी निकलने लगी थी, जो मुझे बाहर सुनाई दे रही थी। आप मज़े में उम्म्ह... अहहहह... हहहहय.... याहहहह... की आवाज निकाल रही थीं।

नंदोई: ये सब देखकर, सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया था। तो मेरा भी हाथ अपनी पैंट के अन्दर चला गया। फिर आपने पेंटी धीरे-धीरे नीचे की, और उसे अपनी टांगों से पूरी बाहर निकाल दिया। आह भाभी एक-दम चिकनी मखमली गांड देख‌कर मेरा लंड तन गया भाभी। ये नज़ारा देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लंड पेंट से बाहर निकाला और अपने लंड को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा।

नंदोई: आप तब बाथरूम में अपनी चूत में ज़ोर-ज़ोर से उंगली करने लगी थी, और आपके मुंह से आहहहह... ओऊऊऊ... ओहहहह... यस.. आआआहहहहह... की आवाज़ और तेज होती जा रही थी। आपने शायद दो उंगलियां चूत के अन्दर डाल रखी थी भाभी, और तेजी से अन्दर-बाहर कर रही थीं। थोड़ी ही देर में आप झड़ गई थी, और आपकी चिकनी चूत में से पानी बह निकला भाभी।

फिर उसने बाल्टी को उल्टा करके मुझे उस पर बिठाया और खुद नीचे बैठ गये, और मेरी चूत पर अपना मुंह रख कर मेरी चूत की खुशबू लेने लगे। फिर उसने मेरी चूत पर अपना मुंह रख दिया, और मेरी चूत को चौड़ी करके अपने दांतों से चूत की फांकों को खींच-खींच कर बाहर करने लगे। वह चूत के दाने को भी धीरे-धीरे काटने लगे।

कुल मिलाकर वह मेरी चूत को पूरी तरह से गर्म कर रहे थे, और में पागल हो रही थी। नंदोई मेरी चूत को चाट रहे थे। फिर उसने धीरे-धीरे अपनी जीभ मेरी चिकनी चूत के अंदर डाल दी।

मैं उनका सिर पकड़ के उनका मुंह चूत के अंदर घुसाने की कोशिश करने लगी। वह मेरी चूत को लपर-लपर करके चाटे जा रहे थे। और मैं पागलों की तरह बोले जा रही थी-
मैं: नंदोई जी खा जाओ मेरी चूत आहहह! डाल दो अपनी जीभ पूरी अन्दर तक और तेज करो आहहहहहह और तेज आहहहहह... ओहहहहह... उहहहहहह...। ऐसे ही मेरी चूत को चाटते रहो, बहुत मजा आ रहा है। आहहहह नंदोई जी मार ही डालोगे आज तो आहहहहहह।

मैं अपनी चूत को हिला-हिला कर चटवा रही थी। वह मेरी चूत को ऐसे चाट रहे थे, जैसे बहुत दिन से भूखे हो। वह मेरे मोटे चूतड़ों पर हाथ रख के मेरी गर्म चूत को चाट रहे थे।‌ अचानक से मेरे पैर कांपने लगे और मेरा शरीर अकड़ गया। मैं बुरी तरह से तड़प उठी, और मेरी चूत इस तरह से मचल उठी कि जैसे कि में अब झड़ने वाली थी।

मैंने नंदोई जी का मुंह अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी चूत से पूरी तरह से सटा दिया, और मैं अपनी गांड को धीरे से हिला-हिला कर अपनी चूत उनके पूरे मुंह पर रगड़ने लगी। मुझे लंड की जबरदस्त तलब हो रही थी। मेरा मन हो रहा था कि मैं नंदोई जी का लंड पकड़कर अपनी चूत में खुद ही घुसेड़ लूं, और ताबड़-तोड़ उछल कूद करूं। जिससे मेरी जलती हुई चूत को ठंडक मिल जाए।

नंदोई जी अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर सरकाकर जल्दी-जल्दी चाटने लगे। मैं पूरी तरह से उत्तेजना में तो थी ही, और जीभ की रगड़ लगते ही मेरी चूत खुलकर फफक पड़ी, और मैं ज़ोर-ज़ोर से सिसकियां लेने लगी। फिर एक-दम से चूत में से तेज पानी की धार निकली, और सीधा उनके के मुंह में गई। मैं उनके मुंह में ही झड़ गयी। मेरी चूत से रस टपकने लगा था।

अब उन्होने मुझे घोड़ी बनने को कहा, तो मैं समझ गई कि अब वह वक़्त आ गया था, कि मेरी चूत को नया जवान लंड मिलने वाला था। मैं खड़ी होकर अपने दोनों हाथों को नल पर रखकर नंगी होकर घोड़ी बन गई। मैंने अपनी काले रंग की ब्रा, पेंटी, साड़ी एवं ब्लाउज उतार कर बाथरूम के आधे खुले दरवाजे पर लटका रखी थी।………..

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Payal Ghosh - innocent wife - by Dhamakaindia108 - 04-11-2025, 11:34 AM
RE: - by Dhamakaindia108 - 05-11-2025, 10:19 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Aasthajun - 20-11-2025, 08:07 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by sushilt20 - 21-11-2025, 05:19 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Dhamakaindia108 - 28-11-2025, 07:36 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by dragonslair - 30-11-2025, 08:11 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Puja3567853 - 30-11-2025, 02:54 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Puja3567853 - 30-11-2025, 02:55 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by exbiixossip2 - 01-12-2025, 04:08 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by dragonslair - 01-12-2025, 07:08 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by sushilt20 - 05-12-2025, 04:48 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by dragonslair - 12-12-2025, 08:20 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Puja3567853 - 16-12-2025, 01:52 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by blackdesk - 16-12-2025, 04:24 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Jetstream - 16-12-2025, 04:51 PM



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