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Adultery Payal Ghosh - innocent wife
#29
Update 2..... ननद का होने वाला पति

बड़े जेठ जी से चुदाई किये हुए कई दिन हो गए थे। चूत में उस दिन के बाद कोई लंड नहीं गया था, तो मैं लंड की तलाश में थी। दोस्तों मैंने कभी भी नहीं सोची थी कि मेरे होने वाले नंदोई ही मेरी चूत को चोदेंगे और मेरी गांड मारेंगे। और मेरी चूत का भोसड़ा बना देंगे।

दोस्तों.... मैं हूँ पायल, पायल घोष ... एक और रंगीन अनुभव के साथ आप के समक्ष।

मेरे ननद की सगाई की तैयारियां चल रही थी। सगाई से दो दिन पहले......

"aaaahhhh...mmm...sss.... भाभी ... आआअह्ह्ह ... यार और जोर से दबा मेरी चूची को... उफ्फ्फ क्या गुदगुदी उठ रही है.. रगड़ अपनी बुर को मेरी बुर पर.... अम्मामा मेरी छूटने वाली है..." कहती कोमल मुझे चूम रही थी और वह भी मेरे चूची के साथ खिलवाड़ कर रही थी।

कोमल मेरी ननद जो मेरी उम्र से चार वर्ष छोटी है। अपनी ननद के साथ मेरी बहुत पटती थी और मैं उसको उसके आशिकों से मिलने में उसकी मदद करती रही हुं !
.............

जब से मैं गोविंद से ( यानि कोमल के होने वाले पति ) से चुदवायी हुं तब से हमारी घनिष्ठता और बढ़ी।

जब भी कोमल को काम से फुर्सत मिलती वह मेरे पास आ जाती या तो मुझे अपने पास बुला लेती है और फिर हम खूब मौज मस्ती करते है, जैसे आज कर रहे है।

आज कोमल ने मुझे अपने पास बुलाई और मैं दिन के ग्यारह बजे कोमल के पास आ गयी। मैं जब आ पहुंची तो वह खाना पका रही थी। मैं वहीँ किचन में उसके साइड में थी। खाना पकाते हुए दोनों इधर उधर की बातें कर रहे थे और फिर कुछ देर TV देखे, दोपहर के एक बजे हम खाना खाये, और बेडरूम में आकर दोनों लेट गये । मैं दीप को दूध पिलाने के बाद हम अपने काम में जुट गए।

हम दोनों ही हमारे अंगों को चूमना, चाटना, चूसना, चूची दबाना एक दूसरों की बुरों में ऊँगली से चोदना यह सब काम करने लगे। ऐसे कामों में हम जुटे थे फिर थोड़ी देर बाद वह मेरे ऊपर चढ़कर मेरे बुर पर अपनी रिसती बुर रगड़ने लगी। पूरे आठ नौ मिनिट बाद मैं और कोमल दोनों झड़ गए ।

हम दोनों थक गए थे और थोड़ी देर सुस्ता चुके थे। अब हम दोनों बेडरूम में बातें कर रहे थे. तभी मेरे दिमाग़ में एक आईडिया आया.

मैं कोमल से बोली- आज मेरा पूरा बदन और कमर दर्द कर रही है.
कोमल बोली- क्यों भाभी ?

मैंने कहा- ये तुम अपने भाई से पूछ लो.

कोमल हंस कर बोली- आप ही बता दो ना भाभी.

कोमल :- "अरी भाभी बोलों... क्या बात है...?"

मैं उसकी आँखों में देखते हुए बोली :- "कोमल... तुम अभी तक एक बार भी गोविंद से चुदाई हो कि नहीं ?"

कोमल :- "नहीं भाभी , क्या बात है भाभी आज आप ऐसा क्यों पूछ रही हो ?"

पायल :- "तुम सच में एक बार भी नहीं चुदवा है "

कोमल:- नहीं भाभी आपकी कसम एक बार भी नहीं चुदवाई ।

पायल :- कोमल , तुझे नहीं लगता शादी से पहले एक बार गोविंद की चुदाई परीक्षा लेनी चाहिए , शादी के बाद वह गांडु निकल गया तो ?

( ये सब बातें करते वक़्त मैं कोमल के हाव भाव देख रही थी. मेरी बातें सुनकर कोमल कुछ गर्म होने लगी थी. उसकी सांस भी जोर से चलने लगी थी, दिल की धड़कन तेज हो गई थी और चेहरे पर शर्म आने लगी थी.

मेरी बातें सुन के अब कोमल और बेचैन लगने लगी. फिर मैंने टॉपिक चेंज कर दिया, लेकिन कोमल की बेचैनी कम नहीं हुई.)

कोमल:-' हां ' भाभी आप सही कह रही हो , मगर ?

पायल:- मगर ?

कोमल - मगर भाभी कहीं उसकी चुदाई परीक्षा लेने के चक्कर में मेरी प्यारी सी चुत का भोंसड़ा बना गया तो ?

पायल - अरे पगली, एक ना एक दिन तो तेरे चुत का तो भोसड़ा बनाना ही है।

कोमल - हां भाभी, यह तो सही है। भाभी मैं कह रही थी क्योंकि ना आप उसकी चुदाई परीक्षा ले लो ।

मैंने बिना सोचे समझे हाँ में सिर हिलायी। "कब और कैसे... " यह प्रश्न अनायास ही मेरे मुहं से निकले।

तभी कोमल बोली - अगला प्लान क्या है?

मैं बोली- अगले दिन तेरे भैया और सासु मां सगाई के काम से बाहर जा रहे हैं । कल तुम गोविंद को कॉल करके घर बुला ले। कोमल ने भी मुस्कुरा कर सहमति दे दी.

अगले दिन गोविंद घर पर आया।

मेरी ननद कोमल ( के होने वाला पति यानी ) मेरे नंदोई गोविंद जो एक प्राईवेट नौकरी में है। उनकी उम्र लगभग 27 साल है, और वह करीब 6 फीट लंबे है और एक कसरती शरीर का मालिक है। वह दिखने में काफी ज्यादा स्मार्ट तथा गोरे भूरे है, और एक-दम फिट है।

उससे देखते ही मेरी चूत में हलचल होने लगा जाती थी। गोविंद स्वभाव से भी बहुत मजाकिया किस्म के है। मेरा रिश्ता तो उनके साथ हसी-मज़ाक का था।

मैं अपने नंदोई को हवस की नज़र से देखने लगी थी। मुझे मेरे नंदोई को देखते ही एक अजीब सी फीलींग आती थी। कभी-कभी गोविंद मुझसे बात करते-करते डबल मिनिंग बाते कर देते थे। लेकिन मैं जान-बूझ कर कोई प्रतिक्रिया नहीं करती‌ थी।

उस दिन मैंने नीले रंग की ब्लाउस और सफेद रंग की साड़ी पहन रखी थी जो बहुत टाईट थी, और अन्दर काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी। मेरी ब्लाउज का गला बड़ा होने से मेरी चूंचियों का क्लीवेज साफ दिख रहा था। मेरी ननद मुझे छेड़ते हुए बोली, “भाभी आज तो आप गोविंद का पानी निकाल दोगी”।

तभी गोविंद भी हंसकर बोले, “हां भाभी, आज तो आप मेंहदी के प्रोग्राम में बिजली गिरा कर ही रहेंगी। अब भैया का क्या होगा आप ही जानों”। मैं बोली, “भैया का तो कुछ नहीं होगा, लेकिन मैं देखती हूं कि आप पर क्या असर होता है”।

तो मेरी ननद बोली, “इन पर तो बहुत असर होगा भाभी, और बिजली मुझ पर गिरेगी, वो भी रात में। में रात भर परेशान ही होउंगी”।

मैं गोविंद से बोली, “मेरी ननद पर ज़्यादा बिजली मत गिराइएगा आप”। और हम तीनों हंसने लगे। लेकिन उसी समय मेरे अन्दर कुछ चींटियां सी रेंगने लगी । बहुत देर तक हम लोग इधर-उधर की बातें करते रहे। फिर मेरी ननद बोली कि, “ भाभी मुझे बाजार से कुछ सामान लाना है और थोड़ी देर में तैयार होकर वह बाजार चले गई । अब घर पर मैं और मेरे नंदोई रह गये। तो मैं और मेरे नंदोई घरेलू बात-चीत करने लगे। मेरी तो वासना भड़की हुई थी। मेरे नंदोई को इतना पास में पाकर मेरे तो खुजली होने लगी थी। थोड़ी देर बाद हम दोनों में सेक्स पर भी बात-चीत होने लगी।

मेरे नंदोई ने मुझसे पूछा, “भाभी आप दोनों की सेक्स लाइफ कैसी है?” तो मैं बोली कि, “मेरे पति महीने में 5 या 6 बार ही करते हैं, वो भी 2 से 4 मिनट में झड़ जाते हैं”। तो नंदोई जी बोले, “इसलिए ही आपकी चूचियां अभी भी बड़ी-बड़ी ही हैं भाभी जी।” तो मैं शरमा गई और मैं हसने लगी। इन सब बातों से हम दोनों गर्म होने लगे थे। वो मेरी चूचियों की तरफ इशारा करके बोले, “भाभी अभी भी आपकी चूचियां बड़ी कसी-कसी लग रही हैं। आप भाई साहब को दूध नहीं पिलाती क्या? लगता है आप पूरी चुदाई में भाईसाहब को चुसवाती भी नहीं हो”। इन सब बातों से हम दोनों काफी गरम हो गये थे।

चुदाई की बातों की गर्मी बढ़ी, तो मेरी चूत से पानी निकल गया। मेरे नंदोई की नजर मेरे चहरे और मेरी चूची से हट ही नहीं रही थी। मैं समझ गई कि गोविंद मेरी चूची को निहारे जा रहे थे।

इतने में गोविंद बोला : भाभी आप बताओ ना, आप भाईसाहब के लंड पर चढ़ कर मजा लेती हो या नहीं?

मैं आह भरते हुए कहने लगी: तुम्हारे भाईसाहब का लंड इतनी देर खड़ा ही नहीं रहता कि मैं लंड की सवारी का मजा ले सकूं।और मैं मन ही मन सोचने लगी कि आपकी बातों से तो मेरी चूत में आग लग गई है नंदोई जी।

फिर मैं उठकर दूसरे कमरे में कपड़े लेने गई, तो मैंने अलमारी से अपने कपड़े निकाले। फिर जैसे ही ब्रा और पैंटी को हाथ में लिया, तो गोविंद की चुदाई की गरम बातें याद आ गई, और मैं अपनी चूचियों को मसलने लगी। उनके लंड चूत की बातों ने मेरी चूत में आग लगा दी थी।

मैं समझ गई कि ये मेरी बातें सुनकर मुझे चोदना की सोच रहे थे। अब मैंने भी सोच लिया कि अगर ऐसा कुछ होता है तो मैं भी चुदवा लूंगी, क्योंकि बहुत दिनों से मैंने भी अपने पति या किसी और मर्द नहीं चुदवाया था।

मैं नहाने के लिए बाथरूम की तरफ जाने लगी, तो वो बोले: भाभी चाय बना दो यार, फिर नहा लेना।

तो मैंने बोला: ओके।

और मैं चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई। थोड़ी देर बाद मैं चाय लेकर आई, और हम दोनों बेड पर बैठ कर बातें करते-करते चाय पीने लगे।

तभी नंदोई जी बोले: भाभी आपने जो साड़ी और ब्लाऊज़ पहन रखा हो , उसमें आप मस्त माल लग रही हो। इनमें आपका उभरा हुआ जिस्म बड़ा सेक्सी लग रहा है। भाभी आपको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया यार। आपसे नज़र ही नहीं हटती मेरी भाभी।

मैं ये सुनकर शर्मा गई और जाने लगी। फिर उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरी गर्दन पर किस करने लगे। मुझे पूरा अंदाज़ा था कि मेरे साथ ऐसा कुछ होने वाला था। में मुस्कुराती हुई उनसे छूटने की कोशिश कर रही थी, और सिसकारी लेकर बोल रही थी-

मैं: ओहहह आहहहह ऐसे मत करो नंदोई जी!

पर वो मुझे किस करते रहे, और बोले: भाभी आप चुदासी तो हो पर कुछ झिझक रही हो।

फिर वो मेरी ब्लाउज और ब्रा के ऊपर से ही मेरे मस्त रसीले दूध मसलने लगे। उस समय मैंने अन्दर काले रंग की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी। दोस्तों मेरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा और पैंटी देखकर कोई भी पागल हो गये , और अपने लंड को मसलने लग गये।

अब वो कपड़ों के उपर से ही एक हाथ से निप्पल को और एक हाथ से मेरी चूत को मसल रहे थे। मैं भी अब गर्म होने लगी थी और कसमसा कर आहें भरने लगी। नंदोई जी का लंड पैंट फाड़ के बाहर आने को तड़प रहा था।

वह लंड की तरफ इशारा करके बोले: भाभी, रिहा कर दो इसको और देदो इसे वह सुख जो इसे चाहिए।

अब मैंने अपने हाथों से नंदोई जी को दूर कर दिया, और नहाने के लिए बाथरूम में चली गयी। हमारे बाथरूम की लाईट खराब हो रही थी, तो मैंने सोचा कि नंदोई जी तो कमरे में बैठकर टीवी देख रहे थे, तो मैं दरवाजा थोड़ा सा खुला रखकर नहा लेती हूं। तो मैंने बाथरूम के दरवाजे को थोड़ा सा खुला छोड़ दिया और नहाने लगी।

मैंने अपनी कपड़े निकाल दी। अन्दर मैं आधी नंगी थी। मेरी चूचियां काले रंग की ब्रा में फंसी हुई थी। उसके बाद मैंने अपनी पेटीकोट का नाड़ा खोला और उसे उतार दिया। अब मैं काले रंग की ब्रा और पैंटी में थी। कुछ पल के बाद मैंने अपनी ब्रा और पैंटी भी निकाल दी, ब्रा और पैंटी निकालने के बाद मैं दरवाजे की तरफ पीठ करके बैठ गई और नहाने लगी।

मैं अंदर पैर चौड़े करके पूरी नंगी होकर नहा रही थी। मेरी गोरी और नंगी पीठ और खुले बाल दरवाजे की तरफ थे। मैं हमेशा नंगी होकर नहाती हूं। जब मेरे हाथ चूचियों पर चले, तो मैं धीरे-धीरे गर्म होने लगी। कब मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया, पता ही नहीं चला और मैं उंगली से चूत के दाने को रगड़ करने लगी। फिर एक उंगली अपनी चूत में डालकर आगे-पीछे करने लगी।

मुझे बड़ा मजा आ रहा था। अब एक हाथ से मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी, और एक हाथ से अपनी चूचियां मसल रही थी। धीरे-धीरे मैंने आंखें बंद कर ली। मैं लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी।

मेरी उंगली चूत में और तेज चलने लगी और मेरे मुंह से आह्ह... उफ्फ.... आह्ह... की आवाज आने लगी।

मैं अपने चरम बिन्दु पर पहुंच गई, और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। लेकिन अभी भी मेरा मन नहीं भरा था, और मैंने अपनी उंगली अपनी गांड में डाल दी, और उसे आगे-पीछे करने लगी।

थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि कोई मुझे नहाते हुए देख रहा था। मैंने चुपके से दरवाजे की तरफ देखा तो वह मेरे नंदोई जी थे। वह मेरी नंगी जवानी का दीदार कर रहे थे। मैं ये देख कर चैंक गई और उन पर चिल्ला उठी-

मैं: ये क्या बदतमीजी है! मैं आपकी भाभी हूं। आपको शर्म नहीं आती?

तो नंदोई जी बोले: भाभी आपकी गोरी नंगी चिकनी पीठ और मखमली गांड देख कर मैं उत्तेजित हो गया था।

मैं मन ही मन समझ गई थी कि नंदोई जी मेरी गांड मारने की सोच रहे थे। आज बस चले तो मुझे कुतिया बना कर मेरी गांड मारने लग जाये। नंदोई जी बहुत उत्तेजित हो गये थे, और पैंट के उपर से ही अपने लंड को सहलाने लगे थे। नंदोई जी के लंड का उभार देख कर मेरी चूत में तेज़ खुजली होने लगी थी।

फिर अचानक नंदोई जी बाथरूम में अन्दर आ गये और मुझसे बोले: गीले बालों में बहुत ही मस्त लग रही हो भाभी जी। जब आप नहाने आई तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया, और फटाफट कमरे से निकल कर यहां बाथरूम के पास पहुंच गया। फिर देखा कि दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था, तो मैं आपके नंगे बदन को निहारने लगा।

नंदोई: जब आप मग्गे से अपने सिर पर पानी डालती, और फिर अपने पूरे शरीर पर साबुन लगा कर जब अपने हर एक अंग को दबाती, तो मेरा लंड फनफना कर खड़ा हो गया था। तो मैं अपने लंड को पैंट के उपर से सहलाने लगा, और आपके पूरे शरीर को देखने लगा। मन तो कर रहा था कि बाथरूम का दरवाजा खोल कर अन्दर आ जाऊं और आपको चोद डालूं।

मैं चुपचाप सुन रही थी।

फिर वह बोले: भाभी आप घर का माल हो और मैं आपका नंदोई हूं। आपको बाहर जाने की जरूरत भी नहीं होगी, और बदनामी का भी डर नहीं रहेगा।

मैं दबी हुई आवाज में बोली: तुम चाहते क्या हो?


तो उसने कहा: आज मैं आपके साथ चुदाई चाहता हूं।

मैं उनके सामने नंगी खड़ी थी। यह सुनकर मेरे हाथ-पैर कांपने लगे थे। मेरे होंठ कांपने लगे थे। उसने अपने दिल की बात आज मुझसे बोल दी।

मैं बोली: यह तो अच्छी बात नहीं है।

तो वह बोले: जो भी है, यही है भाभी।……

Continue....
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Payal Ghosh - innocent wife - by Dhamakaindia108 - 04-11-2025, 11:34 AM
RE: - by Dhamakaindia108 - 05-11-2025, 10:19 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Aasthajun - 20-11-2025, 08:07 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by sushilt20 - 21-11-2025, 05:19 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Dhamakaindia108 - 26-11-2025, 06:40 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by dragonslair - 30-11-2025, 08:11 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Puja3567853 - 30-11-2025, 02:54 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Puja3567853 - 30-11-2025, 02:55 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by exbiixossip2 - 01-12-2025, 04:08 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by dragonslair - 01-12-2025, 07:08 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by sushilt20 - 05-12-2025, 04:48 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by dragonslair - 12-12-2025, 08:20 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Puja3567853 - 16-12-2025, 01:52 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by blackdesk - 16-12-2025, 04:24 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Jetstream - 16-12-2025, 04:51 PM



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