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Adultery ऑफिस में सीमा और बॉस के संग का रंग
#1
Heart 
मेरा नाम तृप्ति है मैं एक सरकारी दफ्तर में काम करती हूँ. मेरी उम्र अभी 34 है शादी को लगभग 5 साल हो गए है शादी के एक साल बाद ही मुझे बच्चा हो गया है । ये कहानी मेरी ऑफिस में पहली ग़ैर मर्द /बॉस से चुदाई का है ।
 
अब कहानी पे आते है....
 
मेरा तबादला आयकर ऑफिस में 2023 में हुआ और वहाँ पहले से मेरे बैच के कुछ लोग काम कर रहे थे जिनमे सीमा मेरी अच्छी दोस्त थी और जिसके कारण ऑफिस में मन जल्दी लग गया । मैं और सीमा लंच और चाय हमेशा साथ में किया करते थे और ऑफिस के लगभग सबकी चुग़ली भी । सीमा की शादी को तीन साल हो गए और उसको बच्चा भी नहीं हुआ है वो सेक्स को लेके शुरू से बहुत एक्साइटेड रहती थी लेकिन उसके पति की नौकरी सिक्युरिटी में होने के कारण वो अक्सर दूर रहा करते थे । सेक्स को लेके सीमा परेशान रहती थी बाक़ी मेरी सेक्सुअल लाइफ अच्छी थी क्योंकि मेरे पति साथ में ही रहते थे।
 
मेरे ऑफिस जॉइन करने के छह महीने बाद हमारे ऑफिस में नए बॉस ट्रांसफर होकर आए, उनका नाम अविनाश मीणा था । सर दिखने में बहुत हैंडसम और फिट थे उनकी उम्र लगभग 40 की थी । सर ऑफिस जॉइन किया और सीमा उनके पी ए के तौर पर काम करने लगी । अब हम जब भी लंच या चाय पीते सीमा सर का ही तारीफ़ करती।
 
सीमा : यार सर इतने बिजी होकर भी सुबह जिम के लिए टाइम निकल लेते है, इसीलिए उनकी फिटनेस बहुत सही है इस उम्र में भी लड़के लगते है ।
 
मैं : तेरा ध्यान काम में कम और उनके फिटनेस में ज़्यादा लगता है ।
 
सीमा हस्ते हुए : ऑफिस के सब औरतों के क्रश बन गए है सर, मेरे भी ।.
 
मैं : यार मैंने तो कभी किसी पे ध्यान नहीं दिया लेकिन सर है सच में क्रश बनने के लायक सबके,
 
सीमा : तुम तो रहने ही दो क्रश होंगे तो भी तुम नहीं बताने वाली।
 
मैं : ऐसा कुछ नहीं है यार तेरे को नहीं बताऊँगी तो किसको बताऊँगी। तू और कुछ नया बता सर के बारे में, इनकी वाइफ क्या करती है?
 
सीमा : वो दूसरे सिटी में जॉब करती है सर हर सेकंड संडे जाते है मिलने उनसे.
 
मैं : और बच्चे?
 
सीमा : बाहर पढ़ाई करते है बोर्डिंग कॉलेज में.
 
मैं : ये यहाँ किसके साथ रहते है? पैरेंट्स?
 
सीमा : नहीं अकेले ही रहते है।
 
मैं: इतनी सटीक इनफार्मेशन लगता है तू सर के ऊपर सवार होके ही मानेगी.
 
सीमा और मैं ठहाके लगा कि हसने लग जाते है और वापस अपने काम पे लगते है. हमारी बात तो हालाकि मज़ाक़ में चल रही थी लेकिन पहली बार मुझे भी कोई मर्द ऐसा दिखा था जिससे बात करके या सामने जाने से चूत पानी छोड़ देती थी । दिन ऐसी बीतते गए और सीमा अक्सर सर की नई बात बताती जिसको सुनके मेरी चुत गीली होती और कई बार घर जाकर मैंने सर के नाम से उँगली भी किया और पति के साथ सेक्स के टाइम भी सर को ही याद करती लेकिन ये बात मैंने सीमा या किसी और को नहीं बतायी थी ।
 
एक शाम को शुक्रवार के दिन लंच के बाद लगभग सारा ऑफिस खाली हो गया था क्योंकि शनिवार और संडे के छुट्टी में सबको कहीं ना कहीं जाना था मैंने भी अपना सामान चार बजे के करीब समेट लिया और एक फाइल में सर का साइन के लिए उनके केबिन की तरफ़ गई मुझे कुछ बात चीत की आवाज़ आई तो थोड़ी देर बाहर वेट की, कुछ देर बाद आवाज़ आना बंद हुआ तो मुझे लगा शायद फ़ोन पे होंगे तो मैंने केबिन को नॉक किया.
 
सर : कौन?
 
मैं : सर मैं तृप्ति, एक फाइल में साइन चाहिए ।
 
सर : आप अकेले हो?
 
मैं : जी सर
 
सर : आ जाइए
 
मैं अंदर जाके देखी तो सर अपनी कुर्सी में कुछ आगे की ओर होके बैठे है मैंने फाइल आगे दिया और सर ने साइन करके फाइल मुझे लौटा दिया, मैं वापस अपने जगह पर आई फाइल पे बचा हुआ काम किया फिर लगभग आधे घंटे बाद अपना सामान समेट के निकलने लगी तभी मैंने सीमा को सर के केबिन से बाहर आते देखा. सीमा मुझे देख के एक मिनट के लिए रुकी और फिर बोली अरे आप गए नहीं अभी तक?
 
मैं : बाद निकल रही हूँ, मुझे नहीं पता था की तुम ऑफिस में हो लगा था की लंच करके चली गई होगी?
 
सीमा : हाँ जाने वाली थी सर ने अचानक बुलाया था तो रुक गई ।
 
मैं : अभी तो मैं उनके केबिन से आई लेकिन तुम वहाँ नहीं थी?
 
सीमा : अभी तो अंदर गई, आपका ध्यान कहीं और होगा, खैर चल निकलते है अब लेट हो रहा है ।
 
हम दोनों निकल गए लेकिन मेरे दिमाग में लगातार ये चल रहा था की ना तो मैंने इसको अंदर जाते देखा और ना ही लंच के बाद कही बाहर देखा है । अब दाल में काला की आशंका लगी और मैंने सोचा की बाद में इससे पूछती हूँ ।
 
अगले दिन सीमा मुझे लंच में मिली
 
मैं : क्या हुआ सीमा आजकल तू सर के बारे में ज़्यादा नहीं बताती, क्या बात है क्रश ख़त्म हो गया क्या तुम्हारा?
 
सीमा : नहीं यार ऐसी बात नहीं है बस घर में और ऑफिस के काम में बिजी चल रही हूँ ।
 
मैं: अच्छा तो कुछ नया बता सर आजकल ज़्यादा हैंडसम बन के आ रहे ऑफिस में, क्या बात है? कुछ नया है तो बता
 
सीमा : क्या नया रहेगा सब कुछ तो बता ही चुकी हूँ तुमको ।
 
मैं : सब कुछ तो नहीं बताई है ।
 
और सीमा को आँख मारी, सीमा भी हसने लगी और बोली क्या तुम भी यार मैं क्या छुपाऊँगी तुमसे ।
 
मैं: यही की जब मैं केबिन के अंदर थी तो तुम भी वहाँ थी?
 
सीमा : मैं अंदर होती तो आपको कैसे पता नहीं चलता
 
मैं : अब तू ज़्यादा बन मत सीमा मैं तेरी फ्रेंड हूँ और जान गई हूँ की कल तू अंदर ही थी मेरे से क्यों छुपा रही है ।
 
मैंने ये तुक्का मारा था की सीमा सच बोल दे ।
 
सीमा : यार अब क्या बड़े तुम किसी से कहना नहीं लेकिन तुमको तो पता ही है की सर मेरा क्रश थे और वो अकेले भी थोड़ा दाना डाली तो सर भी पट गए ।
 
मैं चौकते हुए : कब से?
 
सीमा : 2 महीने हो गए है
 
मैं : सेक्स?
 
सीमा : ऑब्वियस्ली (आँख बड़ा करते हुए)
 
मैं : कब से?
 
सीमा : बताया तो 2 महीने से
 
मेरी तो चूत ने तुरंत पानी छोड़ दिया । अक्सर हम लोग पति के साथ सेक्स की बात करते थे पर एक पड़ते मर्द के साथ किसी मैरिड औरत का संभोग सुनके अजीब सी सिहरन होती है, जो कहानियों में पढ़ते थे आज मेरी सहेली ने वो किया ... सोच सोच के मैं बहुत गीली हुए जा रही थी ।
 
मेरे दिमाग़ में सौ टाइप के सवाल चल रहे थे जैसे कान चालू हुआ, कैसे हुआ, कहा किया लेकिन ये सब ऑफिस के कैंटीन में पूछना सही नहीं था इसीलिए टाइम होते ही मैं और सीमा वापस ऑफिस आ गए । शाम में घर पहुंचते ही अपना सामान फेका और वाशरूम जाके पहले मन भर के उनकी से चूत की गर्मी शांत की । सच में आज पहली बार सीमा से जलन हो रही थी साली इतना हिम्मत दिखाते हुए मज़े ले रही है ।
 
अब मैं सीमा और सर के हरकतों पर ज़्यादा ध्यान देने लगी, सर सीमा से कभी भी बाहर या किसी के सामने बात ही नहीं करते थे ऑफिस में भी ये बात मुझे और सीमा को छोड़कर किसी को भी पता नहीं था मतलब एक बात तो साफ़ थी की सर सीमा अच्छे से अपने कांड को छुपा चुके थे । सीमा के साथ चाय पर फिर मैंने बात छेड़ी
 
मैं : कुछ नया बता यार सीमा तेरे और सर के बारे में.
 
सीमा : सर अब खुल गए है अब ज़्यादा मजा देते है, सच में अब ऐसा लगता है की कब सर से मुलाक़ात हो और घपा घप चुदाई करे । ( सीमा आँख मारती )
 
सीमा की ख़ुशी देख के पता नहीं क्यों पर मुझे जलन हुई हालाकि मेरी सेक्स लाइफ अच्छी थी पर फिर भी सर जैसे मर्द के साथ सीमा को खुस देख के ऐसा लगा की शायद कुछ कमी मेरे सेक्स लाइफ में भी है । खैर मैं अपनी भावनाओं को दबाते हुए बोली
 
आख़िर बार कब किए थे?
 
सीमा : परसों ही
 
मैं : लेकिन परसों तो तुम दिन भर मेरे साथ थी और साथ में वापस घर गए थे
 
सीमा : सुबह सुबह सर अपने क्वार्टर में बुलाते थे । वहाँ ज़्यादा आराम से कर पाए । सर जिमिंग छोड़ के दो घंटे तक मेरे ऊपर ही सारा जिमिंग निकल दिए (सीमा हस्ते हुए बोलती है ।
 
मैं : तेरे पति को शक नहीं होता?
 
सीमा : उनको काम से फुर्सत नहीं और सर भी केवल सेक्स का रिलेशन चाहते है वो कभी कॉल मेसेज या कांटेक्ट नहीं रखते तो उनको कहा से शक होगा.
 
सीमा के मज़े देख के जलन अब उदासी के रूप में बाहर आ ही गया और मैं बोली : सही है यार तेरा ही.
 
सीमा : तो आप का भी सही कर दू क्या? बोलो तो सर से बात चलाती हूँ आप भी आ जाओ हमारी मस्ती में?
 
सीमा की बात सुनके चूत ने फिर पानी छोड़ दिया और मैं मना करने की जगह केवल इतना बोल पायी: पागल है क्या?
 
सीमा :मैंने सर को बताया की उस दिन की केबिन वाली बात आपको पता है ।
 
ये बात सुनके मेरी गीली चूत वापस से सूख गई और मैं डरते हुए बोली: क्यों बताया उनको वो क्या सोचेंगे तू भी ऐसे क्यों किया.
 
सीमा : यार सर भी थोड़े देर के लिए टेंशन में आए लेकिन मैंने अपनी बांडिंग बताई तो रिलैक्स हो गए, तू भी टेंशन मत ले सर बात लीक नहीं करते है । मैंने तेरी तारीफ़ भी की तो सर भी तारीफ़ करने लगे की आप सुंदर हो भरी पूरी हो और सीधी सादी हो ।
 
मैं : भरी पूरी?
 
सीमा : सर को ना आप जैसे गदराई औरते बहुत पसंद है, वो बालते है की गदराई माल चोदने का मजा कुछ और ही है ।
 
मैं : चोदने, सर तेरे से ऐसा बात भी करते?
 
सीमा : तू एक बच्चे माँ है और ये तेरे को इतना बड़ी बात लग रही, पागल और कैसे बात करेंगे ।
 
मैं : मेरे को तो डर लगता है यार मैं दूर ही रहूँगी ।
 
सीमा : अच्छा ठीक है तेरी मर्जी ।
 
सर के राडार में मैं भी हूँ ये सोच के तो मेरे से रहा नहीं जा रहा था चाय ख़त्म कर के सीधे बाथरूम हुई और चूत में उँगली करके पहले उसकी गर्मी निकाली तब जाके दूसरे काम में ध्यान लगा ।
 
इसके दूसरे शाम ही शुक्रवार का दिन था ऑफिस फिर से लंच के बाद खाली हुआ और शाम में मैंने सीमा को सर के केबिन के अंदर जाते देखा मैं समझ गई की आज भी ये मौके का फ़ायदा उठा के ममज़े लेने वाले है । मेरे अंदर का शैतान बोला की आज भी फाइल के बहाने अंदर जाके इनको डिस्टर्ब किया जाए बाद में सीमा को छेड़ूँगी, लेकिन मेरे ध्यान से ये हट गया की सर को भी ये बात बता है की उन दोनों के बारे में मुझे पता है । मैं एक फाइल लेके केबिन के बाहर गई और नॉक किया, अंदर से सर की आवाज़ आई :कोन?
 
मैं : सर फाइल में आपके साइन बचा है
 
सर : आ जाओ
 
मैं केबिन का दरवाज़ा खोल के अंदर घुसी
 
देखा तो सीमा अपनी सलवार अलग करके कुतिया बन के टेबल पर झुकी है और सर भी पैंट नीचे करके लंड बाहर हाथ में लेके खड़े है । देख के तो मेरे पैर के नीचे के ज़मीन खिसक गई, मुझे लगा उस दिन जैसे ही छुप के कर रहे होंगे और मैं साइन लेके वापस आ जाऊँगी । उन दोनों को देख के पहले तो कुछ समझ नहीं आया क्या करूँ फिर मैं सर को सॉरी सर बोल के वापस मुड़ने लगी तभी सर बोले : अरे आप तो साइन लेने आए थे ना? ( लंड को एक हाथ से आगे पीछे करते हुए बोले )
 
मैं : बाद में ले लूंगी सर ।
 
सीमा : अब आप से क्या छुपाना आपको तो सब पता ही है ना.
 
ये बोलते हुए वो उठ कर मेरे पास आ गई और मेरा हाथ पकड़ के आगे खींचते हुए बोली आओ आपको एक जादू की छड़ी दिखाती हूँ और खींचते हुए टेबल के पास ले गई, सर तब तक अपनी जगह में ही अपना लंड हिलाते खड़े थे, (मुझे कुछ समझ नहीं आया क्या बोलू हाँ बोलती तो शरम मारे मैं मर जाती और सर के सामने ना बोलके भागने की हिम्मत भी नहीं थी, मैंने चुप चाप सीमा को फॉलो करने का सोचा)
 
सीमा ने मेरा हाथ पकड़ कर सर के लंड में रख दिया मैंने ज़ोर से अपना हाथ खींचा और उतने में ही सर ने मुझे अपनी ओर खींचा, सीमा मुझे थोड़ा आगे करते हुए ख़ुद मेरे पीछे आ गई, अब मेरा बाया हाथ सीमा पकड़े हुए थी और सर मुझे पूरी तरह से जकड़े हुए थे ।सर का मर्दाना खुशबू बेबाक तरीके से मुझे पकड़ना और उनका जकड़न की ताक़त तीनो ने मुझे जैसे मदहोश ही कर दिया था, सर धीरे से किस के लिए अपना सिर आगे लाए मैं थोड़ा पीछे हुई तो उन्होंने अपना हाथ मेरे कमर से हटा के मेरे गले में ले आए इतने ताक़त से गले को पकड़ा था जैसे कोई कसाई मुर्गी के गले को पकड़ता है, मैं हिल भी नहीं पायी और सर ने अपने होठ मेरे होठों से मिला दिया । एक बेहद गर्म और नया एहसास ने जैसे मेरे होठों को छुआ था मैं साथ देने लग गई । चुम्बन को थोड़ने की कोसिस ना सर ने की और ना मैंने ऐसा लग रहा था की घंटों तक इसी अवस्था में रह सकती हूँ । इसी बीच सीमा ने मेरे बाए हाथ को पकड़ कर सर के लंड की तरफ़ किया जो मेरे और सर के बीच में अब दबा हुआ था, सर ने किस ना तोड़ते हुए अपना कमर पीछे करके सीमा को थोड़ी जगह दी, सीमा ने मेरा हाथ सर के लंड पर रख दिया । जैसे ही उनका लंड मेरे हाथ में आया, आप से ही मेरा हाथ उनके लंड को आगे पीछे करने लगा, उनका लंड गीला था लगा सीमा ने मेरे आने से पहले ही चुसना सुरु कर दिया था, सीमा नीचे घुटनों पर बैठ गई और मेरी साड़ी के अंदर हाथ डाल के मेरी पैंटी नीचे खींच दी और पैंटी सर के हाथो में पास कर दी, सर ने किस तोड़ कर मुझे घूरते हुए पैंटी को सूंघने लगे और उसकी चूत के पास की गीली हिस्से को आगे कर के पैंटी मेरे मुंह में डाल दिया, सर ने मुझे पीछे करके टेबल पे घोड़ी बना के लेटा, थोड़े देर पहले जिस जगह सीमा घोड़ी बनी थी उसी जगह मैं घोड़ी बन के लेटी हुई थी, सीमा टेबल के नीचे आ हुई सर ने मेरा कमर पकड़ काट मुझे टेबल पर चढ़ा दिया । मैं घोड़ी बनके टेबल पर चढ़ी थी सर ने अपने दोनों हाथों से मेरे भारी चूतड़ अलग किए और अपना सिर मेरे कूल्हे पे घुसा कर चुत गांड सब चाटने लगे सीमा सर के लंड को मग में लेके चूसने लगी, मेरे लिए ये सरप्राइज सेक्स था तो मैं ना तो चुत के बाल साफ़ की थी और ना ही ज़्यादा हाइजीन मेंटेन की थी लेकिन फिर भी मेरे ऑफिसर को मदहोश होके चूत खाते देख मेरे चरम सूख की सीमा नहीं रही थी, थोड़े देर में ही डर ने पूरे मेरे चूत के चिथड़े उड़ा दिए और मुझे कमर से पकड़ के टेबल के नीचे उतार दिए, सीमा टेबल के अंदर ही थी, सर अपना लंड मेरी चुत में रखे और लंड ऐसे अंदर गया कैसे मोम के ऊपर गर्म लोहा चलता है। इतने जंगली सेक्स का ये मेरा पहले अनुभव था, पैंटी के छोड़ के एक भी कपड़ा उतरा नहीं था पैंटी भी मग में ठूसी हुई थी सर का लंड छूत में ठूसा हुआ था और मेरी सहेली टेबल के नीचे से चुत और जांघो में हाथ घुमा रही थी, सर का धक्का किसी ओखली में मूसल चलने जैसे के ही स्पीड से चल रहा था,मैं सातवे आसमान में थी और लगभग चार मिनट में मैंने अपनी गढ़ी रबड़ी सर के लंड में ही छोड़ दिया, सर के हाथ पाओ भी जकड़ने लगे मैं समझ गई की ये झाड़ने वाले है मैं नहीं चाहती थी की माल मेरे अंदर गिराये पर उनको रोकने का हिम्मत भी नहीं था लेकिन सर ने दो मिनट बाद ही झटके पूरी ताक़त से लगाये और लंड बाहर करके मेरे कमर को पकड़ कर मुझे पूरा उठा लिया मैं समझ भी नहीं पायी की क्या हुआ लेकिन सर ने अपना लंड सीमा के मुंह में दे दिया और सीमा के मुंह में ही अपना माल गिराया । सीमा का हाल किसी कुतिया की तरह हो गया था वो सर का माल और मेरी रबड़ी जो सर के लंड में लगी थी सारा चाट गई । सर भी जागते हुए मुझे नीचे उतार के अपनी चेयर में भैया गए, मैं टेबल पर और सीमा ज़मीन पर निढाल हो गई । सर अपना पैंट ऊपर किए मेरी पेंटी जो टेबल पर गिरी थी उसको अपने जेब में रखते हुए बोले ये आज के मीठी याद की निशानी है और सीमा को बोले की इसको सब समझा देना, अपना कपड़ा ठीक कर वो निकल गए । मैं और सीमा भी जल्दी से अपना कपड़ा ठीक कर निकले । रास्ते में सीमा से पूछा सर क्या समझाने की बात कर रहे थे?
 
सीमा : अब से आप ऑफिस में पेंटी पहन के मत आना। और ना ही सर से बात करेंगे, आपको अपने ह्वाट्सऐप ग्रुप में जोड़ रही वहाँ आपको सारी जानकारी कोडेड फॉर्म में मिल जाएँगे ।
 
सीमा की बात सुन मेरे को एक डर भी लगा की मैं किस जंजाल में दस गई, अचानक घर परिवार सब दिमाग में चलने लगा लेकिन सीमा को देख के ये यकीन भी था की बात यहाँ से निकलना मुश्किल है क्योंकि हम तीनो का ही बराबर नुक़सान होगा ये राज खुलने से ।
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ऑफिस में सीमा और बॉस के संग का रंग - by Gomzey - Yesterday, 09:08 AM



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