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Adultery बदलाव, मजबूरी, सेक्स या जिंदगी.....
#26
अब आरोही धीरे-धीरे बहुत कुछ सोचते हुए दरवाजे के पास पहुँचती जा रही है। ठिठक कर सोचती है, “क्या इसकी बात मान लूँ? नहीं मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ? लेकिन अगर नहीं माना तो आगे का रास्ता बंद हो जाएगा। आगे भी इससे नुचवाने के अलावा और तो रास्ता है नहीं। क्या करूँ?”

इसी उधेड़-बुन में जाने की आवेग में दरवाजे के पास पहुँच चुकी आरोही ने अचानक से चिटकनी लगा दी।

बस मानों इसी की देर थी। और उसी को देख रहा राहुल बिना किसी देरी के सधे कदमों से उसके पास पहुँचा। और अपना बायाँ हाथ आरोही के नितंब पर कस दिया। और उसके बालों को सूंघता हुआ बोला, “बड़ी मस्त गांड़ है। इसे दबाए का मजा अलग ही है।

और फिर बिना और कुछ बोले उसे बाहों में उठा लिया। आरोही ने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया था। लेकिन इससे क्या होता है राहुल और आरोही दोनों ही को पता था कि अब बात मानने, ना मानने से आगे निकल चुकी है।

 
सोफे के पास पहुँच राहुल ने आरोही को उतारा और खुद सोफे पर बैठते हुए उसे अपनी गोद में खींचकर बिठा लिया लिया। जीवन में पहली बार किसी दूसरे मर्द की गोद में बैठते हुए आरोही को अजीब लग रहा था।

वैसे आरोही पांडे पान वाले की घटना के बाद से मन के किसी कोने में राहुल की मर्दानगी और ताकत के प्रति झुकाव रखती थी। लेकिन फिर भी वह अवैध संबंध बनाने की हद पर जाने लायक कभी नहीं बना क्योंकि ना राहुल ने कुछ पहल की और ना ही आरोही ने।

अब राहुल की गोद में बैठी आरोही को राहुल की आवाज सुनकर मानो होश आया हो।

राहुल ने कहा, “देखो बीस मिनट का टाइमर लगा दिया है। मैं अपने वादे का पक्का हूँ। यह जानती ही हो।”

आरोही ने सिर उठाकर देखा और हूँ में सिर हिलाया।

इसके बाद राहुल ने आरोही के चेहरे को बहुत ही हल्के हाथों से पकड़ा और उसके ओठों पर अपने ओंठ रख दिए। आरोही के पूरे शरीर में मानों बिजली सी कड़क गई। पहली बार किसी गैर मर्द ने उसके ओंठों को चूमा था।

लेकिन गजब तो तब हुआ जब राहुल ने धीरे से उसके निचले ओंठ अपने ओंठों में दबाकर पीना शुरू कर दिया। और अपने एक हाथ को बढ़ाकर उसके नितंब की एक गोलाई को धीरे-धीरे लेकिन पूरी पकड़ा के साथ मसलना शुरू कर दिया।

आरोही हल्का सा कसममाई लेकिन राहुल ने और कसकर उसे दाब लिया और बिना किसी जल्दबाजी के अपना काम करने लगा। राहुल ने आरोही के ओंठों को चूसते हुए हल्का-हल्का काटना शुरू कर दिया। 

आरोही के शरीर ने कभी इतने संवेदनशील स्पर्श का स्वाद नहीं चखा था। जैसा पहले ही पता है कि आरोही और परिधि की सेक्स लाइफ केवल टांग उठाकर धक्के खाने तक की ही थी।

तो इस मजबूरी में ही सही लेकिन यौन प्रहार से धीरे-धीरे आरोही का शरीर ढीला पड़ने लगा। आरोही भी समझ नहीं पा रही थी कि उसके साथ क्या हो रहा है। लेकिन समझती भी कैसे दिमाग कहाँ काम कर रहा था।

अब राहुल ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और उसकी जीभ से लड़ाने लगा। और उसकी जीभ चूसने और उसके मुँह के अंदर अपनी जीभ से चाटने लगा। इसी बीच उसने आरोही को हल्का सा हवा में उठाकर एक हाथ से उसके सिर को पकड़ा और बालों सहलाने लगा और दूसरे हाथ के उसके नितंब को जोर से मसलने लगा।

आरोही मन ही मन कमजोर पड़ती जा रही थी। लेकिन दिमाग में लड़ाई जारी थी। वह सोच रही थी, “अरे यह मुझे क्या हो रहा है, इस कमीने के ऐसा करने से मैं कमजोर क्यों पड़ती जा रही हूँ।”

करीब पांच मिनट तक चूसने और चूमने के बाद राहुल ने उसके ओंठों को छोड़ा, क्योंकि उसे लग गया था कि आरोही की सांस फूल रही है। और छोड़ते ही आरोही हाँफने लगी। क्योंकि उसे भी इतने लंबे किस का अनुभव नहीं था।

लेकिन उसकी आँखों में ऐसे देख रही थी मानों पूछ रही हो क्यों छोड़ा। और यह अहसास महसूस करते ही आरोही ने अपनी आँखें झुका लीं।

राहुल ने उसकी आंखों में देखते हुए उसके माथे को चूमा और दुलारते हुए उसके एक गाल को चूमने लगा। और गालों के बाद वह कान की लौ को चूमते हुए चूसने लगा।

और उसके ऐसा करते हुए मानों गजब हो गया। क्योंकि अभी तक अपने को संभाले हुए मजबूरी में फसी आरोही के मुँह से अचानक से धीरे से मादक नशीली कराह निकला, “आहहहह....... उम्मममममम..नहीं।”

और उसके हाथ राहुल के हाथों पर कस गए, राहुल हल्का सा रूका और मुस्कुराया। क्योंकि अनुभवी राहुल को समझ आ गया कि यह आरोही का कमजोर पॉइंट है। फिर क्या था राहुल ने उसके कान लौ और कान के भीतर बाहर ऐसी जीभ चलाई की आरोही सबकुछ भूलकर मादक स्वर में किसी कोयल के जैसे कूंकने लग पड़ी। और राहुल बीच-बीचे में लौ को काट भी रहा था। और नितंब तो मसल ही रहा था।

“ईहहहह.......... ओहहहहहह.......आहहहहहहहहहहह......नहींहींहींहीं.....बस....करो..”

आरोही की हर सिसकी मानों राहुल की जीत की घोषणा कर रही थी।

तभी एकदम से राहुल ने आरोही को गोद में लेटी हुई स्थिति से उठाया। और बिना किसी देरी के उसे पलटकर बैठा लिया। मतलब आरोही की पीठ और सिर राहुल की छाती और सिर से लगे थे और सीना आगे की ओर था।

आरोही की दोनों टांगें राहुल की टांगों पर थी। आरोही सोच ही रही थी कि इसने ऐसा क्यों किया। तभी राहुल ने उसकी दोनों स्तनों की गोलाइयों पर अपने मजबूत हाथ कस दिए और उसे पीछे खींचकर अपनी छाती से लगाते हुए फिर से कान को चूमने लगा।

आरोही इस हमले से बिल्कुल ही मदहोश को उठी। कान की लौ चूसे जाने से पहले ही गर्म हो चुकी आरोही अपने स्तनों के मसले जाने और साथ ही साथ कानों की लौ और गर्दन पर लगातार चुंबनों और चूसे जाने पर सबकुछ भूलकर मसकने लगी।

“आहहहहहहहहहहहहहहह..........” “राहुलललललललललललललल.......”
“ऐसे ना करो आहहहहहहहहहहहहह........... ओहहहहहहहहह.............”

“बड़ी मस्त चूचियाँ हैं तुम्हारी। इन्हें दबाने में इतना मजा आ रहा है। चूसने और काटने में कितना मजा आएगा। वाकई मक्खन हो डियर” राहुल के यह शब्द, आरोही को और अहसास में दबाते जा रहे थे।


कहाँ यही आरोही कुछ देर पहले राहुल से नफरत कर रही थी और गुस्सा थी और यही आरोही सब सुध-बुध खोकर अपनी मादक आहों से माहौल में गर्मी पैदा कर रही है। एकदम पूरा गर्म महौल था।

कमरे में एकदम कामुक सीन चल रहा था। बला की खूबसूरत जवान आरोही, कल तक केवल दूसरे से परिचित बाहरी आदमी की गोद में मचल रही थी कि तभी राहुल ने अगला हमला कर दिया।


और आरोही के मुँह से निकला, 
“नहींहींहीं।................. आहहहहहहहहहहह.............. ओहहहह............. वहाँ नहीं............ प्लीजजजजजजजजजजजजजजजजज.............. रूक जाओओओओओओओओ.............मम्मीमीमीमीमी........”

हुआ यह कि राहुल ने अपनी टांगों पर बैठी आरोही के पैरों को फैलाया और एक हाथ सलवार के ऊपर से उसकी योनि पर रख दिया। इस तिहरे हमले को झेलना आरोही के लिए नामुमकिन हो गया था।

उसकी टांगें अपने-आप और खुलने लगीं जैसे संभोग के समय एकदम चरम पर गर्म और कामतुर हो चुकी लड़की करती है। और उसके मुँह की सिसकारियाँ लगातार बढ़ने लगी।

“आहहहहहहहहहहहह........................... उँहहहहहहहहहहहहहहहह.................... राहुलललललल.........प्लीजजजजजजजजजजजजजज............ ऐसे नाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ…। करो।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। आहहहहहहहहहह।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।”
 
आरोही मन ही मन खुद को धिक्कार रही थी, “यह क्या हो रहा है मुझे मैं एक भले घर की बहू हूँ। और मैं इस कमीने की गोद में बैठकर क्या कर रही हूँ। छी, मेरा शरीर मेरी बात क्यों नहीं सुन रहा है।
 
कांपती आवाज में आरोही ने एक बार साहस बटोरकर कहा, “रूक जाओ राहुल..................”
 
लेकिन तभी राहुल ने उसके चेहरे को घुमाकर अपने ओंठों से उसके ओठों को दोबारा कसकर बंद कर लिया, और आरोही बेचारी के शब्द मुँह के अंदर ही रह गए। और वह, “गूंगूं गूंगूं गूंगूं गूंगूं गूंगूं गूंगूं गूंगूं..........” करते रह गई।
 
अब इस समय राहुल के एक हाथ की हथेली सलवार के ऊपर से ही उसकी योनि पर रखकर सहला रहा था। और दूसरे हाथ से वह जांघों को थोड़ा कड़क हाथ से मसल रहा था।

राहुल के नियंत्रण को मानना पड़ेगा कि वह सब कुछ करते हुए भी आरोही के सलवार में हाथ नहीं डाल रहा था, ना ही कोई कोशिश कर रहा था।

तभी एक और घटना हुई, जिसमें सलवार के ऊपर से योनि को सहला रहे और हल्के से अंदर उंगली कर रहे राहुल के हाथ में हल्का सा गीलापन लगा।

इससे राहुल मन ही मन मुस्कुराने लगा, “ओह हो, यह गीली होने लगी। यानी यह भी मस्ती में आ रही है।”

 
वह सोचने लगा, “माल बहुत प्यारा है, इसे आराम से मजे लेकर जैसा चाहेंगे वैसा खाएँगे। वैसे भी लगता है सेक्स के मामले में बहुत कच्ची है। अच्छा है, इसे भोगने में मजा आएगा। और इसकी गांड तो बहुत ही परफेक्ट शेप में है। साली की गांड़ पर मारकर लाल कर दूँगा।”
 
यह सोचकर उसने आरोही की जांघ से एक हाथ हटाया ही था की ...............ट्रंगट्रंग.............. करके टाइमर ने आवाज दी।

एक बार फिर राहुल के धीरज कमाल दिखाई दिया, क्योंकि आरोही जैसी प्यारी लड़की उसके वश में थी और वह इतनी गर्म हो चुकी थी कि वह चाहता तो आज ही आरोही के साथ संभोग कर सकता था। लेकिन टाइमर की आवाज सुनते ही राहुल रूक गया।

 
राहुल ने आरोही को ओंठों को छोड़ दिया। लेकिन सेक्स और यौन उत्तेजना के नशे में मस्त आरोही को कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ।

आरोही को लगा जैसे उससे कुछ प्यारा सा छूट गया हो। हो भी क्यों ना उसे यौन क्रिया यानी फोरप्ले का इतना आनंद जीवन में पहली बार जो मिला था। उसने आंखें खोलकर देखा और वहीं राहुल की गोद में ही रूकी रही मानो कह रही हो रूक क्यों गए।

तभी राहुल बोला, “टाइमर हो गया है। तुम्हारे बीस मिनट पूरे हुए।”

 
राहुल की आवाज और टाइमर सुनते ही आरोही जैसे जमीन पर आई।

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आगे सेक्स का नशा उतरने पर आरोही क्या करेगी? और क्या होगा इन शर्तों का? आगे देखते हैं।

 
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RE: बदलाव, मजबूरी, सेक्स या जिंदगी..... - by ramlal_chalu - 21-11-2025, 08:20 PM



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