21-11-2025, 01:32 PM
(This post was last modified: 21-11-2025, 01:35 PM by Nihal1504. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
एपिसोड 3: सीनियर से भिड़ंत
फ्लैशबैक 1
संजय ने अपना बैग अभी कमरे में रखा ही था कि किसी ने आकर कहा, "सीनियर राजीव का ऑर्डर है, सभी जूनियर को हॉस्टल के हॉल में इकट्ठा होना है।"
"क्यों, क्या हुआ?" संजय ने संदेश लाने वाले व्यक्ति से कहा।
"सीनियर-जूनियर मिलन समारोह होगा। तुम भी तो जूनियर हो, तुम्हारा भी आज ही मिलन होना है।"
"वैसे तुम कौन हो?" संजय ने पूछा।
"मैं सीनियर-जूनियर मिलन समारोह का आयोजक हूँ। मेरी ही देखरेख में आयोजन संपन्न होता है। मैं यह सुनिश्चित करता हूँ कि कोई भी जूनियर रह न जाए।"
यह अपने आप को आयोजक कहने वाला व्यक्ति नीरज राठौड़ था, जो राजीव का ख़ास चेला था। वह और राजीव दोनों एक ही बैच के थे, पर नीरज फर्स्ट ईयर भी पास न कर सका। उसका दिल पढ़ाई में नहीं लगता था, तो उसने इंजीनियरिंग छोड़ दी, पर राजीव को न छोड़ सका। यूँ कहें तो एक तरह से वह राजीव की रखैल था।
नीरज राजीव के लंड का प्रेमी था। उसे राजीव से चुदवाना बहुत पसंद था। वह नए-नए लड़कों का इंतज़ाम करता था राजीव के लिए, जिससे ख़ुश होकर कभी-कभार उसे भी राजीव के लंड की कृपा प्राप्त हो जाती थी।
राजीव की गैंग की यह हर साल की परंपरा थी कि नए आए जूनियर लड़कों की परेड करवाना, जिससे उन्हें पता चल सके कि कौन-सा नया माल चखने लायक है।
"और हाँ, आते समय सिर्फ़ अंडरवियर में आना।" यह कहते हुए नीरज चला गया।
संजय समझ चुका था कि सीनियर्स उसकी रैगिंग लेने वाले हैं। 'जाता तो मरता, न जाता तो मरेगा। तो जाकर ही मरा जाए।' यह सोचकर संजय ने अपनी पैंट खोलकर बिस्तर पर रख दी और शर्ट उतारकर हॉल की तरफ चल पड़ा।
उसकी निगाह जहाँ भी जा रही थी, हर तरफ़ नंगे जाते जूनियर दिखाई दे रहे थे। रंग-बिरंगी चड्डियों में हर बॉडी टाइप के लौंडे।
हॉल में पहुँचकर संजय ठिठका।
लाइन बनाकर सभी जूनियर खड़े थे। सामने दो कुर्सियों पर राजीव और जय बैठे थे। नीरज राजीव के पीछे खड़ा था। कुछ और सीनियर भी थे जो वहीं खड़े-खड़े अपनी आँखें सेंक रहे थे।
जब सभी जूनियर आ गए, तो राजीव की बुलंद आवाज़ सुनाई दी।
"सभी जूनियर को मेरा प्यार भरा नमस्कार। आज के इस मिलन समारोह में आप सबका स्वागत है। मैं राजीव, फाइनल ईयर स्टूडेंट हूँ। आप सबका अपना, आप सबका बड़ा भाई। आपको इस कॉलेज में कोई भी समस्या हो, बिना किसी हिचक के मुझसे मिल सकते हैं। अब आज का कार्यक्रम शुरू करते हैं। धन्यवाद!"
यह कहकर राजीव वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
तभी पीछे से नीरज निकलकर सामने आया।
"सभी जूनियर, एक-एक करके राजीव सर के सामने आओ और अपनी चड्डी उतारकर अपना परिचय दो। और हाँ, अगर किसी ने कुछ चूँ-चाँ की, तो उसके साथ जो होगा, उसका वह खुद ज़िम्मेदार होगा।"
"सभी जूनियर्स के लिए आज से कुछ नियम हैं। ये नियम पूरे साल ही लागू रहेंगे।"
* पहला नियम: यह अंडरवियर जो आज तुम्हारी राजीव सर के सामने उतरेगी, तो पूरे साल किसी भी जूनियर को पैंट के अंदर अंडरवियर पहनने की परमिशन नहीं होगी। यहाँ तक कि कॉलेज में भी।
* दूसरा नियम: सभी जूनियर पूरे साल अपनी झाँटें, छाती के बाल और बगलें हमेशा साफ़ रखेंगे।
* तीसरा नियम: कोई भी जूनियर रात में कपड़े पहनकर नहीं सोएगा। सोना है, वो भी नंगे, बिना कमरा बंद किए।
"ये तीन नियम न मानने वाला राजीव सर के कहर का सामना करेगा। अब शुरू करो नंगा परेड!"
"ओए चिकने, चल आ आगे!" नीरज ने एक जूनियर की तरफ़ इशारा किया।
वह जूनियर काँपते हुए आया। उसका हाथ अपनी अंडरवियर की इलास्टिक पर था, पर नीचे खींचते हुए घबरा रहा था।
"उतार बे अपनी चड्डी!" नीरज गुर्राया।
तभी उस जूनियर ने झटके से अपना अंडरवियर उतार दिया।
उसकी गोरी-गोरी गांड सभी जूनियर की तरफ़ थी, पर हर जूनियर ने अपनी आँखें झुका रखी थीं।
"पलट साले, अपना पिछवाड़ा दिखा राजीव सर को!"
वह जूनियर पलट गया।
"मस्त माल है," राजीव ने नशीली आवाज़ में कहा। "10 नंबर।"
"अपना नाम और किस स्ट्रीम बता?" नीरज पेन-पेपर लिए बोला।
"ध्रुव मेहरा। सिविल।"
"जी ग्रुप! इधर, जहाँ 'G' लिखा है, वहाँ जाकर खड़ा हो जा।"
"हाँ, नेक्स्ट!" नीरज बोला।
तभी दूसरा आगे आया। उसने आगे आते ही अपनी चड्डी खोल दी।
"राजेश राठी। मैकेनिकल।"
राजेश देखने में साँवला था, पर शरीर से मज़बूत था। उसके शरीर पर देखने लायक सिर्फ़ एक ही चीज़ थी जो सोते हालत में अच्छा-ख़ासा दिखाई पड़ रहा था।
"वाह, क्या हथियार दिया मालिक ने," राजीव बोला।
"एल ग्रुप!" नीरज बोला, "उस तरफ़ जहाँ 'L' लिखा है, वहाँ जाकर खड़ा हो जा।"
राजेश दूसरी तरफ़ चला गया।
तभी तीसरे को बुलाया गया।
वह तीसरा जूनियर आया। उसने भी अपनी चड्डी उतार दी।
"कमल वर्मा। सिविल।"
कमल देखने में कुछ ख़ास नहीं था। न आगे से, न पीछे से। नॉर्मल, सूखी हड्डी-सा लड़का था।
नीरज ने राजीव के कुछ कहने का भी इंतज़ार नहीं किया और बोला, "एन ग्रुप! जहाँ 'N' लिखा है, वहाँ खड़ा हो जा।"
अब तक सब समझ चुके थे। 'G' ग्रुप (गांड), 'L' ग्रुप (लंड) और 'N' ग्रुप (नॉर्मल/नकारा) में किस कैटेगरी की भर्ती हो रही थी।
लगभग सभी जूनियर भर्ती किए जा चुके थे। सबसे लास्ट में सिर्फ़ संजय ही बचा।
संजय का विद्रोह
बिना बुलाए संजय वहाँ चला गया।
पर उसने अंडरवियर उतारने से मना कर दिया।
"क्यूँ बे, उतार क्यूँ नहीं रहा चड्डी?" नीरज दहाड़ा।
"सबके हथियार और सबके अनमोल खज़ाने देख लिए, पर सीनियर अभी भी पूरे कपड़ों में हैं। यह तो नाइंसाफ़ी है। हम भी तो देखें, सीनियर किस कैटेगरी में फ़िट होते हैं।"
"तेरी ऐसी हिम्मत!" नीरज चिल्लाया। "सीनियर को नंगा होने को बोलता है! तू है किस खेत की मूली?"
"मैं मूली हूँ या मूसल हूँ, इसका पता तो बाद में चलेगा। पहले आप क्या हो, इसे देखना है।"
तभी राजीव खड़ा हुआ। "क्या नाम है तेरा?"
"संजय रस्तोगी, स्ट्रीम सिविल, रूम नंबर 302।"
"वाह, बड़ी हिम्मत है लौंडे में।"
"हिम्मत आ जाती है। अगर मेरा सामान देखना है, तो पहले अपना दिखाना होगा। मैं भी तो देखूँ, तुम सब मेरे लायक हो भी या नहीं।"
"वाह, आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई जो मुझे बेपर्दा देखे।"
"आप जैसा हम जूनियर के साथ कर रहे हो, उससे तो यही पता लगता है, आपने अपने सीनियर्स को बहुत ख़ुश किया होगा।"
अपने बारे में यह सच सुनकर राजीव की आँखें लाल हो गईं। यह बिल्कुल सच था। राजीव और उनकी यह गैंग जो अब सीनियर है, अपने जूनियर ईयर के समय अपने सीनियर्स की रखैल हुआ करते थे। यह परिपाटी वहीं से चली आ रही थी।
पर शायद यह परिपाटी अब बदलने वाली थी। संजय जूनियर्स के लिए शायद बदलाव की एक नई हवा लेकर आया था।
कहानी जारी रहेगी...
फ्लैशबैक 1
संजय ने अपना बैग अभी कमरे में रखा ही था कि किसी ने आकर कहा, "सीनियर राजीव का ऑर्डर है, सभी जूनियर को हॉस्टल के हॉल में इकट्ठा होना है।"
"क्यों, क्या हुआ?" संजय ने संदेश लाने वाले व्यक्ति से कहा।
"सीनियर-जूनियर मिलन समारोह होगा। तुम भी तो जूनियर हो, तुम्हारा भी आज ही मिलन होना है।"
"वैसे तुम कौन हो?" संजय ने पूछा।
"मैं सीनियर-जूनियर मिलन समारोह का आयोजक हूँ। मेरी ही देखरेख में आयोजन संपन्न होता है। मैं यह सुनिश्चित करता हूँ कि कोई भी जूनियर रह न जाए।"
यह अपने आप को आयोजक कहने वाला व्यक्ति नीरज राठौड़ था, जो राजीव का ख़ास चेला था। वह और राजीव दोनों एक ही बैच के थे, पर नीरज फर्स्ट ईयर भी पास न कर सका। उसका दिल पढ़ाई में नहीं लगता था, तो उसने इंजीनियरिंग छोड़ दी, पर राजीव को न छोड़ सका। यूँ कहें तो एक तरह से वह राजीव की रखैल था।
नीरज राजीव के लंड का प्रेमी था। उसे राजीव से चुदवाना बहुत पसंद था। वह नए-नए लड़कों का इंतज़ाम करता था राजीव के लिए, जिससे ख़ुश होकर कभी-कभार उसे भी राजीव के लंड की कृपा प्राप्त हो जाती थी।
राजीव की गैंग की यह हर साल की परंपरा थी कि नए आए जूनियर लड़कों की परेड करवाना, जिससे उन्हें पता चल सके कि कौन-सा नया माल चखने लायक है।
"और हाँ, आते समय सिर्फ़ अंडरवियर में आना।" यह कहते हुए नीरज चला गया।
संजय समझ चुका था कि सीनियर्स उसकी रैगिंग लेने वाले हैं। 'जाता तो मरता, न जाता तो मरेगा। तो जाकर ही मरा जाए।' यह सोचकर संजय ने अपनी पैंट खोलकर बिस्तर पर रख दी और शर्ट उतारकर हॉल की तरफ चल पड़ा।
उसकी निगाह जहाँ भी जा रही थी, हर तरफ़ नंगे जाते जूनियर दिखाई दे रहे थे। रंग-बिरंगी चड्डियों में हर बॉडी टाइप के लौंडे।
हॉल में पहुँचकर संजय ठिठका।
लाइन बनाकर सभी जूनियर खड़े थे। सामने दो कुर्सियों पर राजीव और जय बैठे थे। नीरज राजीव के पीछे खड़ा था। कुछ और सीनियर भी थे जो वहीं खड़े-खड़े अपनी आँखें सेंक रहे थे।
जब सभी जूनियर आ गए, तो राजीव की बुलंद आवाज़ सुनाई दी।
"सभी जूनियर को मेरा प्यार भरा नमस्कार। आज के इस मिलन समारोह में आप सबका स्वागत है। मैं राजीव, फाइनल ईयर स्टूडेंट हूँ। आप सबका अपना, आप सबका बड़ा भाई। आपको इस कॉलेज में कोई भी समस्या हो, बिना किसी हिचक के मुझसे मिल सकते हैं। अब आज का कार्यक्रम शुरू करते हैं। धन्यवाद!"
यह कहकर राजीव वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
तभी पीछे से नीरज निकलकर सामने आया।
"सभी जूनियर, एक-एक करके राजीव सर के सामने आओ और अपनी चड्डी उतारकर अपना परिचय दो। और हाँ, अगर किसी ने कुछ चूँ-चाँ की, तो उसके साथ जो होगा, उसका वह खुद ज़िम्मेदार होगा।"
"सभी जूनियर्स के लिए आज से कुछ नियम हैं। ये नियम पूरे साल ही लागू रहेंगे।"
* पहला नियम: यह अंडरवियर जो आज तुम्हारी राजीव सर के सामने उतरेगी, तो पूरे साल किसी भी जूनियर को पैंट के अंदर अंडरवियर पहनने की परमिशन नहीं होगी। यहाँ तक कि कॉलेज में भी।
* दूसरा नियम: सभी जूनियर पूरे साल अपनी झाँटें, छाती के बाल और बगलें हमेशा साफ़ रखेंगे।
* तीसरा नियम: कोई भी जूनियर रात में कपड़े पहनकर नहीं सोएगा। सोना है, वो भी नंगे, बिना कमरा बंद किए।
"ये तीन नियम न मानने वाला राजीव सर के कहर का सामना करेगा। अब शुरू करो नंगा परेड!"
"ओए चिकने, चल आ आगे!" नीरज ने एक जूनियर की तरफ़ इशारा किया।
वह जूनियर काँपते हुए आया। उसका हाथ अपनी अंडरवियर की इलास्टिक पर था, पर नीचे खींचते हुए घबरा रहा था।
"उतार बे अपनी चड्डी!" नीरज गुर्राया।
तभी उस जूनियर ने झटके से अपना अंडरवियर उतार दिया।
उसकी गोरी-गोरी गांड सभी जूनियर की तरफ़ थी, पर हर जूनियर ने अपनी आँखें झुका रखी थीं।
"पलट साले, अपना पिछवाड़ा दिखा राजीव सर को!"
वह जूनियर पलट गया।
"मस्त माल है," राजीव ने नशीली आवाज़ में कहा। "10 नंबर।"
"अपना नाम और किस स्ट्रीम बता?" नीरज पेन-पेपर लिए बोला।
"ध्रुव मेहरा। सिविल।"
"जी ग्रुप! इधर, जहाँ 'G' लिखा है, वहाँ जाकर खड़ा हो जा।"
"हाँ, नेक्स्ट!" नीरज बोला।
तभी दूसरा आगे आया। उसने आगे आते ही अपनी चड्डी खोल दी।
"राजेश राठी। मैकेनिकल।"
राजेश देखने में साँवला था, पर शरीर से मज़बूत था। उसके शरीर पर देखने लायक सिर्फ़ एक ही चीज़ थी जो सोते हालत में अच्छा-ख़ासा दिखाई पड़ रहा था।
"वाह, क्या हथियार दिया मालिक ने," राजीव बोला।
"एल ग्रुप!" नीरज बोला, "उस तरफ़ जहाँ 'L' लिखा है, वहाँ जाकर खड़ा हो जा।"
राजेश दूसरी तरफ़ चला गया।
तभी तीसरे को बुलाया गया।
वह तीसरा जूनियर आया। उसने भी अपनी चड्डी उतार दी।
"कमल वर्मा। सिविल।"
कमल देखने में कुछ ख़ास नहीं था। न आगे से, न पीछे से। नॉर्मल, सूखी हड्डी-सा लड़का था।
नीरज ने राजीव के कुछ कहने का भी इंतज़ार नहीं किया और बोला, "एन ग्रुप! जहाँ 'N' लिखा है, वहाँ खड़ा हो जा।"
अब तक सब समझ चुके थे। 'G' ग्रुप (गांड), 'L' ग्रुप (लंड) और 'N' ग्रुप (नॉर्मल/नकारा) में किस कैटेगरी की भर्ती हो रही थी।
लगभग सभी जूनियर भर्ती किए जा चुके थे। सबसे लास्ट में सिर्फ़ संजय ही बचा।
संजय का विद्रोह
बिना बुलाए संजय वहाँ चला गया।
पर उसने अंडरवियर उतारने से मना कर दिया।
"क्यूँ बे, उतार क्यूँ नहीं रहा चड्डी?" नीरज दहाड़ा।
"सबके हथियार और सबके अनमोल खज़ाने देख लिए, पर सीनियर अभी भी पूरे कपड़ों में हैं। यह तो नाइंसाफ़ी है। हम भी तो देखें, सीनियर किस कैटेगरी में फ़िट होते हैं।"
"तेरी ऐसी हिम्मत!" नीरज चिल्लाया। "सीनियर को नंगा होने को बोलता है! तू है किस खेत की मूली?"
"मैं मूली हूँ या मूसल हूँ, इसका पता तो बाद में चलेगा। पहले आप क्या हो, इसे देखना है।"
तभी राजीव खड़ा हुआ। "क्या नाम है तेरा?"
"संजय रस्तोगी, स्ट्रीम सिविल, रूम नंबर 302।"
"वाह, बड़ी हिम्मत है लौंडे में।"
"हिम्मत आ जाती है। अगर मेरा सामान देखना है, तो पहले अपना दिखाना होगा। मैं भी तो देखूँ, तुम सब मेरे लायक हो भी या नहीं।"
"वाह, आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई जो मुझे बेपर्दा देखे।"
"आप जैसा हम जूनियर के साथ कर रहे हो, उससे तो यही पता लगता है, आपने अपने सीनियर्स को बहुत ख़ुश किया होगा।"
अपने बारे में यह सच सुनकर राजीव की आँखें लाल हो गईं। यह बिल्कुल सच था। राजीव और उनकी यह गैंग जो अब सीनियर है, अपने जूनियर ईयर के समय अपने सीनियर्स की रखैल हुआ करते थे। यह परिपाटी वहीं से चली आ रही थी।
पर शायद यह परिपाटी अब बदलने वाली थी। संजय जूनियर्स के लिए शायद बदलाव की एक नई हवा लेकर आया था।
कहानी जारी रहेगी...
✍️निहाल सिंह


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