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Episode 3: हम आपके हैं कौन
आर्यन ने गुलमोहर की तारीफ़ करने के बाद अचानक गंभीर हो गया।
“गुलमोहर, मैं तुम्हारे बारे में और जानना चाहता हूँ। कल रात तुम बहुत डरी हुई थीं। क्या तुम अब भी पूरी तरह ठीक नहीं हो?”
गुलमोहर को लगा कि आर्यन वाक़ई उसकी परवाह करता है। उसने आँखें नीचे कीं और धीरे-धीरे अपने गाँव, सौतेली माँ के अत्याचार के निशानों और हरिया ठाकुर के बारे में विस्तार से बताया — वह दर्दनाक अतीत जो आर्यन को सिर्फ़ एक झलक में पता चला था। वह रो पड़ी।
गुलमोहर के रोने से आर्यन का दिल पसीज गया। उसके अंदर का रक्षक जाग उठा।
आर्यन धीरे से उठा और गुलमोहर के पास बैठ गया। उसने उसके सिर पर हाथ रखा। सांत्वना देते हुए उसके आँसू पोंछे।
“बस… बस, अब नहीं। यह सब खत्म हो चुका। सुनो गुलमोहर, तुम यहाँ हो, तुम सुरक्षित हो। मैं तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा। तुम्हें मेरे साथ यहाँ रहने के लिए किसी चीज़ की चिंता करने की ज़रूरत नहीं। अगर वो हरिया ठाकुर या कोई और तुम्हारी तरफ़ आँख उठाकर देखेगा, तो मैं…” उसने गुस्से से मुट्ठी भींच ली।
गुलमोहर को महसूस हुआ कि आर्यन सिर्फ़ आकर्षक नहीं, एक मज़बूत सहारा है। उसका विश्वास आर्यन पर पहाड़-जितना मजबूत हो गया। वह पहली बार सच्चे मन से मुस्कुराई, उसकी आँखें चमक उठीं।
रात होने लगी। आर्यन माहौल हल्का करना चाहता था।
“चलो, अब बहुत हो गईं गंभीर बातें। आज का दिन बहुत लंबा था। हम एक कॉमेडी फिल्म देखते हैं।”
वह सोफे पर नीले सूट में बैठी गुलमोहर के लिए जगह बनाता हुआ खिसका।
फिल्म देखते-देखते थकी हुई गुलमोहर अनजाने में अपना सिर आर्यन के कंधे पर टिका देती है — यह पल विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक था।
आर्यन का शरीर फिर तड़प उठा, मगर वह खुद को संयम में रखता है। उसने अपनी एक बाँह गुलमोहर के कंधों के चारों ओर डाल दी — सिर्फ़ रक्षक की तरह, जैसे वह कोई नन्हा बच्चा हो। धीरे-धीरे वह उसके सूखे और साफ़ बालों को सहलाने लगा।
रात बहुत गहरी हो चुकी थी। सोफे पर आर्यन के कंधे पर सिर टिकाए सोई गुलमोहर की साँसें शांत थीं।
आर्यन का हाथ अब भी उसे थामे था, लेकिन उसके अंदर का तूफ़ान शांत हो चुका था।
अब उसके लिए गुलमोहर सिर्फ़ आकर्षण नहीं, एक पवित्र ज़िम्मेदारी थी।
आर्यन ने धीरे से गुलमोहर को गोद में उठाया। नींद में उसका बदन हल्का और बेजान-सा लग रहा था। वह उसे अपनी मजबूत बाँहों में लेकर बेडरूम की ओर बढ़ा।
गुलमोहर को बिस्तर पर लिटाया, चादर ठीक की और एक पल रुका। उसकी नज़र उसके मासूम चेहरे पर थी — जहाँ अब डर नहीं, सिर्फ़ शांति थी।
आर्यन ने धीरे से उसके माथे पर हाथ फेरा, फिर पैरों के पास फर्श पर बैठ गया। वह चौकीदार की तरह उसे सोता देखता रहा — नीली पोशाक, शांत चेहरा, वह मासूमियत जिसे दुनिया ने तोड़ने की कोशिश की थी।
देखते-देखते आर्यन की आँखें भी भारी हो गईं। रात भर का तनाव और भावनात्मक उथल-पुथल ने उसे थका दिया था। उसने सिर बिस्तर के किनारे पर टिकाया और गुलमोहर के पैरों के पास ही ज़मीन पर सिमटकर सो गया।
सुबह की पहली किरणें खिड़की से झाँकने लगीं।
गुलमोहर की आँख खुली। उसकी नज़रें कमरे में घूमीं और पैरों के पास ठिठक गईं।
आर्यन!
पहले पल तो वह डर गई — एक अजनबी मर्द, एक ही कमरे में। दिल जोर से धड़का। फिर उसने देखा — आर्यन कितनी अजीब स्थिति में सो रहा था, पैर बिस्तर पर, सिर ज़मीन पर।
उसने खुद को छुआ — वह पूरी तरह सुरक्षित थी। कपड़े जस के तस।
“हाय राम…” उसके मन में गहरा भाव उमड़ आया।
“अगर कोई और होता तो शायद अब तक मुझे चख चुका होता। पर आर्यन कितना नेकदिल है। उसने मुझे छुआ भी नहीं अभी तक।”
उसका दिल कृतज्ञता और एक नए प्यार से भर गया। यह सिर्फ़ आकर्षण नहीं, विश्वास और सम्मान था।
वह उठी और बिस्तर पर बैठी। आर्यन के चेहरे पर नींद की शांति थी — बाल माथे पर बिखरे, क्यूट मासूमियत।
गुलमोहर ने हिम्मत जुटाई, हाथ बढ़ाया और उसके बालों को सहलाया।
फिर झुककर अपने होंठ उसके होंठों से छुआ — एक हल्की-सी, मासूम पप्पी।
“मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ, आर्यन,” उसने फुसफुसाया।
आर्यन अभी गहरी नींद में था। गुलमोहर मुस्कुराई और बाथरूम की ओर चली गई।
आर्यन की नींद गुलमोहर के बाहर निकलने के बाद टूटी। उसे याद आया कि वह गुलमोहर के पैरों के पास सोया था। वह उठा, अंगड़ाई ली और सोफे पर आ गया।
जब गुलमोहर नहाकर निकली तो आज पीले सूट में वह ताज़गी से भरी लग रही थी। गालों पर हल्की लाली — रात के भावुक पलों और सुबह की पप्पी की वजह से।
आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा, “गुड मॉर्निंग, राजकुमारी।”
गुलमोहर शर्मा कर बोली, “गुड मॉर्निंग, आर्यन।”
दोनों किचन में नाश्ते के लिए खड़े थे — चाय और टोस्ट।
आर्यन टोस्ट पर जैम लगाते हुए गुलमोहर की आँखों में देखता रहा। वह अब और इंतज़ार नहीं कर सका।
उसने टोस्ट साइड में रखा और गुलमोहर के पास आ गया। धीरे से उसका गाल थामा।
“गुलमोहर,” उसकी आवाज़ भारी मगर सच्चाई से भरी थी, “मैं तुम्हारी कहानी जानता हूँ। मैंने देखा है तुम कितनी टूटी हुई हो। लेकिन जब कल रात तुमने मेरे कंधे पर सिर रखा, मुझे लगा मैं दुनिया का सबसे अमीर आदमी हूँ।”
वह उसकी आँखों में देखता रहा।
“मैं तुम्हारे बिना इस घर की कल्पना भी नहीं कर सकता। मैंने तुम्हें सुरक्षित रखने की कसम खाई है और निभाऊँगा।”
उसने अपना हाथ उसके गाल से नीचे खिसकाया और उसका हाथ थाम लिया।
“मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, गुल — तुम्हारे दर्द से नहीं, तुम्हारी हिम्मत और मासूमियत से। और मैं तुम्हें हमेशा सम्मान दूँगा।”
गुलमोहर की आँखें भर आईं। वह खुशी के आँसुओं के साथ आर्यन के सीने से लग गई।
इस बार आर्यन का आलिंगन सिर्फ़ सुरक्षा नहीं, प्यार का इकरार था।
आर्यन के प्यार भरे इकरार ने गुलमोहर को निःशब्द कर दिया। वह रो रही थी — खुशी और सुरक्षा के आँसू।
आर्यन ने उसे कसकर थाम रखा था — उसकी बाँहें अब उसकी ढाल और उसका घर थीं।
कुछ देर बाद गुलमोहर शांत हुई। उसकी आँखें नम मगर चमकती हुईं।
“आर्यन…” बस इतना ही कह पाई।
आर्यन ने उसके गालों के आँसू पोंछे। अब शब्दों की ज़रूरत नहीं थी। वह धीरे से झुका।
गुलमोहर ने आँखें बंद कर लीं, साँसें तेज़ हो गईं।
आर्यन के होंठ पहली बार गुलमोहर के होंठों से मिले।
चुम्बन शुरू में नरम और मीठा था — जैसे दो प्यासे होंठ एक-दूसरे को पहचान रहे हों।
धीरे-धीरे गहरा होता गया। आर्यन का एक हाथ उसके गाल पर, दूसरा कमर पर — उसे अपने करीब खींच लिया। दोनों के बदन चिपक गए।
गुलमोहर ने बाँहें उठाईं और आर्यन की गर्दन लपेट लीं। उसने भी पूरी शिद्दत से जवाब दिया।
किचन की गर्माहट, चाय की खुशबू — सब मिट गया। सिर्फ़ उनकी तेज़ साँसें बाकी थीं।
आर्यन ने उसे उठाया और दीवार से सटा लिया। होंठ जुड़े ही रहे। गुलमोहर के पैर हवा में, जाँघें आर्यन की कमर से चिपकी हुई थीं। वह आर्यन की जवान मर्दानगी का दबाव साफ़ महसूस कर रही थी।
आख़िरकार साँसें फूलने पर आर्यन पीछे हटा। दोनों के होंठ गीले, आँखें बंद, चेहरे खुशी और कामुकता से दमक रहे थे।
आर्यन ने माथा उसके माथे से टिकाया और फुसफुसाया, “मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, गुल।”
गुलमोहर ने हँसते हुए, आँखें बंद रखते हुए सिर हिलाया। वह अब पूरी तरह आर्यन की थी।
तभी आर्यन का दायाँ हाथ अनजाने में मेज पर रखे रेडियो को छू गया।
पावर बटन दब गया।
एक पल की खामोशी… फिर अचानक वो मधु धुन कमरे में फैल गई…
FM पर हम आपके हैं कौन का गीत बजने लगा।
♪♫ बेचैन है मेरी नज़र…
है प्यार का कैसा असर…
ना चुप रहो, इतना कहो…
हम आपके, आपके हैं कौन… ♫♪
गुलमोहर की आँखें एक पल को खुलीं, फिर और कसकर बंद हो गईं।
वो गाना जैसे उसके दिल की बात कह रहा था।
आर्यन ने होंठ हटाए बिना, मुस्कुराते हुए उसे और करीब खींच लिया।
उसके हाथ अब गुलमोहर की कमर से ऊपर सरक गए—उसकी पीठ पर, उसकी गर्दन पर।
गुलमोहर ने भी जवाब दिया—उसकी उंगलियाँ आर्यन के बालों में उलझ गईं।
♪♫ खुद को सनम रोका बड़ा…
आखिर मुझे कहना पड़ा…
ख्वाबों में तुम आते हो क्यों…
हम आपके, आपके हैं कौन… ♫♪
गुलमोहर के होंठों से एक हल्की सी आवाज़ निकली—जैसे वो गा रही हो, या कह रही हो।
“आर्यन…”
आर्यन ने चुंबन को और गहरा कर दिया। उसकी जीभ ने हल्के से उसके होंठों को छुआ।
गुलमोहर का बदन काँप उठा। उसने खुद को पूरी तरह से उसके हवाले कर दिया।
अब दोनों के बदन एक-दूसरे से ऐसा चिपके थे जैसे अलग होना नामुमकिन हो।
♪♫ बेचैन है मेरी नज़र… है प्यार का कैसा असर…
हैं होश गुम, पूछो ना तुम…
हम आपके, आपके हैं कौन… ♫♪
गुलमोहर के मन में सिर्फ एक ही बात गूँज रही थी—
मैंने खुद को बहुत रोका था…
पर अब नहीं रोक पाई…
तुम मेरे ख्वाबों में नहीं…
अब मेरी ज़िंदगी में हो…
मैं तुम्हारी हूँ…
केवल तुम्हारी
आर्यन ने आखिरकार होंठ हटाए। दोनों की साँसें फूली हुई थीं।
उसने अपना माथा गुलमोहर के माथे से टिका दिया।
गुलमोहर के गाल शर्म से लाल थे—ठीक वैसे ही जैसे गाने में कहा जा रहा था।
आर्यन ने फुसफुसाया,
“तेरा चेहरा सब बता रहा है गुल…
अब कुछ कहने की ज़रूरत नहीं…”
फिर उसने फिर से उसके होंठ अपने होंठों में समेट लिए।
गाना चलता रहा…
चुंबन चलता रहा…
और उस पल गुलमोहर ने बिना एक शब्द बोले, अपने पूरे वजूद से कह दिया—
हम आपके हैे…सिर्फ आपके हैं ❤️
कहानी जारी रहेगी...
आर्यन ने गुलमोहर की तारीफ़ करने के बाद अचानक गंभीर हो गया।
“गुलमोहर, मैं तुम्हारे बारे में और जानना चाहता हूँ। कल रात तुम बहुत डरी हुई थीं। क्या तुम अब भी पूरी तरह ठीक नहीं हो?”
गुलमोहर को लगा कि आर्यन वाक़ई उसकी परवाह करता है। उसने आँखें नीचे कीं और धीरे-धीरे अपने गाँव, सौतेली माँ के अत्याचार के निशानों और हरिया ठाकुर के बारे में विस्तार से बताया — वह दर्दनाक अतीत जो आर्यन को सिर्फ़ एक झलक में पता चला था। वह रो पड़ी।
गुलमोहर के रोने से आर्यन का दिल पसीज गया। उसके अंदर का रक्षक जाग उठा।
आर्यन धीरे से उठा और गुलमोहर के पास बैठ गया। उसने उसके सिर पर हाथ रखा। सांत्वना देते हुए उसके आँसू पोंछे।
“बस… बस, अब नहीं। यह सब खत्म हो चुका। सुनो गुलमोहर, तुम यहाँ हो, तुम सुरक्षित हो। मैं तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा। तुम्हें मेरे साथ यहाँ रहने के लिए किसी चीज़ की चिंता करने की ज़रूरत नहीं। अगर वो हरिया ठाकुर या कोई और तुम्हारी तरफ़ आँख उठाकर देखेगा, तो मैं…” उसने गुस्से से मुट्ठी भींच ली।
गुलमोहर को महसूस हुआ कि आर्यन सिर्फ़ आकर्षक नहीं, एक मज़बूत सहारा है। उसका विश्वास आर्यन पर पहाड़-जितना मजबूत हो गया। वह पहली बार सच्चे मन से मुस्कुराई, उसकी आँखें चमक उठीं।
रात होने लगी। आर्यन माहौल हल्का करना चाहता था।
“चलो, अब बहुत हो गईं गंभीर बातें। आज का दिन बहुत लंबा था। हम एक कॉमेडी फिल्म देखते हैं।”
वह सोफे पर नीले सूट में बैठी गुलमोहर के लिए जगह बनाता हुआ खिसका।
फिल्म देखते-देखते थकी हुई गुलमोहर अनजाने में अपना सिर आर्यन के कंधे पर टिका देती है — यह पल विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक था।
आर्यन का शरीर फिर तड़प उठा, मगर वह खुद को संयम में रखता है। उसने अपनी एक बाँह गुलमोहर के कंधों के चारों ओर डाल दी — सिर्फ़ रक्षक की तरह, जैसे वह कोई नन्हा बच्चा हो। धीरे-धीरे वह उसके सूखे और साफ़ बालों को सहलाने लगा।
रात बहुत गहरी हो चुकी थी। सोफे पर आर्यन के कंधे पर सिर टिकाए सोई गुलमोहर की साँसें शांत थीं।
आर्यन का हाथ अब भी उसे थामे था, लेकिन उसके अंदर का तूफ़ान शांत हो चुका था।
अब उसके लिए गुलमोहर सिर्फ़ आकर्षण नहीं, एक पवित्र ज़िम्मेदारी थी।
आर्यन ने धीरे से गुलमोहर को गोद में उठाया। नींद में उसका बदन हल्का और बेजान-सा लग रहा था। वह उसे अपनी मजबूत बाँहों में लेकर बेडरूम की ओर बढ़ा।
गुलमोहर को बिस्तर पर लिटाया, चादर ठीक की और एक पल रुका। उसकी नज़र उसके मासूम चेहरे पर थी — जहाँ अब डर नहीं, सिर्फ़ शांति थी।
आर्यन ने धीरे से उसके माथे पर हाथ फेरा, फिर पैरों के पास फर्श पर बैठ गया। वह चौकीदार की तरह उसे सोता देखता रहा — नीली पोशाक, शांत चेहरा, वह मासूमियत जिसे दुनिया ने तोड़ने की कोशिश की थी।
देखते-देखते आर्यन की आँखें भी भारी हो गईं। रात भर का तनाव और भावनात्मक उथल-पुथल ने उसे थका दिया था। उसने सिर बिस्तर के किनारे पर टिकाया और गुलमोहर के पैरों के पास ही ज़मीन पर सिमटकर सो गया।
सुबह की पहली किरणें खिड़की से झाँकने लगीं।
गुलमोहर की आँख खुली। उसकी नज़रें कमरे में घूमीं और पैरों के पास ठिठक गईं।
आर्यन!
पहले पल तो वह डर गई — एक अजनबी मर्द, एक ही कमरे में। दिल जोर से धड़का। फिर उसने देखा — आर्यन कितनी अजीब स्थिति में सो रहा था, पैर बिस्तर पर, सिर ज़मीन पर।
उसने खुद को छुआ — वह पूरी तरह सुरक्षित थी। कपड़े जस के तस।
“हाय राम…” उसके मन में गहरा भाव उमड़ आया।
“अगर कोई और होता तो शायद अब तक मुझे चख चुका होता। पर आर्यन कितना नेकदिल है। उसने मुझे छुआ भी नहीं अभी तक।”
उसका दिल कृतज्ञता और एक नए प्यार से भर गया। यह सिर्फ़ आकर्षण नहीं, विश्वास और सम्मान था।
वह उठी और बिस्तर पर बैठी। आर्यन के चेहरे पर नींद की शांति थी — बाल माथे पर बिखरे, क्यूट मासूमियत।
गुलमोहर ने हिम्मत जुटाई, हाथ बढ़ाया और उसके बालों को सहलाया।
फिर झुककर अपने होंठ उसके होंठों से छुआ — एक हल्की-सी, मासूम पप्पी।
“मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ, आर्यन,” उसने फुसफुसाया।
आर्यन अभी गहरी नींद में था। गुलमोहर मुस्कुराई और बाथरूम की ओर चली गई।
आर्यन की नींद गुलमोहर के बाहर निकलने के बाद टूटी। उसे याद आया कि वह गुलमोहर के पैरों के पास सोया था। वह उठा, अंगड़ाई ली और सोफे पर आ गया।
जब गुलमोहर नहाकर निकली तो आज पीले सूट में वह ताज़गी से भरी लग रही थी। गालों पर हल्की लाली — रात के भावुक पलों और सुबह की पप्पी की वजह से।
आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा, “गुड मॉर्निंग, राजकुमारी।”
गुलमोहर शर्मा कर बोली, “गुड मॉर्निंग, आर्यन।”
दोनों किचन में नाश्ते के लिए खड़े थे — चाय और टोस्ट।
आर्यन टोस्ट पर जैम लगाते हुए गुलमोहर की आँखों में देखता रहा। वह अब और इंतज़ार नहीं कर सका।
उसने टोस्ट साइड में रखा और गुलमोहर के पास आ गया। धीरे से उसका गाल थामा।
“गुलमोहर,” उसकी आवाज़ भारी मगर सच्चाई से भरी थी, “मैं तुम्हारी कहानी जानता हूँ। मैंने देखा है तुम कितनी टूटी हुई हो। लेकिन जब कल रात तुमने मेरे कंधे पर सिर रखा, मुझे लगा मैं दुनिया का सबसे अमीर आदमी हूँ।”
वह उसकी आँखों में देखता रहा।
“मैं तुम्हारे बिना इस घर की कल्पना भी नहीं कर सकता। मैंने तुम्हें सुरक्षित रखने की कसम खाई है और निभाऊँगा।”
उसने अपना हाथ उसके गाल से नीचे खिसकाया और उसका हाथ थाम लिया।
“मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, गुल — तुम्हारे दर्द से नहीं, तुम्हारी हिम्मत और मासूमियत से। और मैं तुम्हें हमेशा सम्मान दूँगा।”
गुलमोहर की आँखें भर आईं। वह खुशी के आँसुओं के साथ आर्यन के सीने से लग गई।
इस बार आर्यन का आलिंगन सिर्फ़ सुरक्षा नहीं, प्यार का इकरार था।
आर्यन के प्यार भरे इकरार ने गुलमोहर को निःशब्द कर दिया। वह रो रही थी — खुशी और सुरक्षा के आँसू।
आर्यन ने उसे कसकर थाम रखा था — उसकी बाँहें अब उसकी ढाल और उसका घर थीं।
कुछ देर बाद गुलमोहर शांत हुई। उसकी आँखें नम मगर चमकती हुईं।
“आर्यन…” बस इतना ही कह पाई।
आर्यन ने उसके गालों के आँसू पोंछे। अब शब्दों की ज़रूरत नहीं थी। वह धीरे से झुका।
गुलमोहर ने आँखें बंद कर लीं, साँसें तेज़ हो गईं।
आर्यन के होंठ पहली बार गुलमोहर के होंठों से मिले।
चुम्बन शुरू में नरम और मीठा था — जैसे दो प्यासे होंठ एक-दूसरे को पहचान रहे हों।
धीरे-धीरे गहरा होता गया। आर्यन का एक हाथ उसके गाल पर, दूसरा कमर पर — उसे अपने करीब खींच लिया। दोनों के बदन चिपक गए।
गुलमोहर ने बाँहें उठाईं और आर्यन की गर्दन लपेट लीं। उसने भी पूरी शिद्दत से जवाब दिया।
किचन की गर्माहट, चाय की खुशबू — सब मिट गया। सिर्फ़ उनकी तेज़ साँसें बाकी थीं।
आर्यन ने उसे उठाया और दीवार से सटा लिया। होंठ जुड़े ही रहे। गुलमोहर के पैर हवा में, जाँघें आर्यन की कमर से चिपकी हुई थीं। वह आर्यन की जवान मर्दानगी का दबाव साफ़ महसूस कर रही थी।
आख़िरकार साँसें फूलने पर आर्यन पीछे हटा। दोनों के होंठ गीले, आँखें बंद, चेहरे खुशी और कामुकता से दमक रहे थे।
आर्यन ने माथा उसके माथे से टिकाया और फुसफुसाया, “मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, गुल।”
गुलमोहर ने हँसते हुए, आँखें बंद रखते हुए सिर हिलाया। वह अब पूरी तरह आर्यन की थी।
तभी आर्यन का दायाँ हाथ अनजाने में मेज पर रखे रेडियो को छू गया।
पावर बटन दब गया।
एक पल की खामोशी… फिर अचानक वो मधु धुन कमरे में फैल गई…
FM पर हम आपके हैं कौन का गीत बजने लगा।
♪♫ बेचैन है मेरी नज़र…
है प्यार का कैसा असर…
ना चुप रहो, इतना कहो…
हम आपके, आपके हैं कौन… ♫♪
गुलमोहर की आँखें एक पल को खुलीं, फिर और कसकर बंद हो गईं।
वो गाना जैसे उसके दिल की बात कह रहा था।
आर्यन ने होंठ हटाए बिना, मुस्कुराते हुए उसे और करीब खींच लिया।
उसके हाथ अब गुलमोहर की कमर से ऊपर सरक गए—उसकी पीठ पर, उसकी गर्दन पर।
गुलमोहर ने भी जवाब दिया—उसकी उंगलियाँ आर्यन के बालों में उलझ गईं।
♪♫ खुद को सनम रोका बड़ा…
आखिर मुझे कहना पड़ा…
ख्वाबों में तुम आते हो क्यों…
हम आपके, आपके हैं कौन… ♫♪
गुलमोहर के होंठों से एक हल्की सी आवाज़ निकली—जैसे वो गा रही हो, या कह रही हो।
“आर्यन…”
आर्यन ने चुंबन को और गहरा कर दिया। उसकी जीभ ने हल्के से उसके होंठों को छुआ।
गुलमोहर का बदन काँप उठा। उसने खुद को पूरी तरह से उसके हवाले कर दिया।
अब दोनों के बदन एक-दूसरे से ऐसा चिपके थे जैसे अलग होना नामुमकिन हो।
♪♫ बेचैन है मेरी नज़र… है प्यार का कैसा असर…
हैं होश गुम, पूछो ना तुम…
हम आपके, आपके हैं कौन… ♫♪
गुलमोहर के मन में सिर्फ एक ही बात गूँज रही थी—
मैंने खुद को बहुत रोका था…
पर अब नहीं रोक पाई…
तुम मेरे ख्वाबों में नहीं…
अब मेरी ज़िंदगी में हो…
मैं तुम्हारी हूँ…
केवल तुम्हारी
आर्यन ने आखिरकार होंठ हटाए। दोनों की साँसें फूली हुई थीं।
उसने अपना माथा गुलमोहर के माथे से टिका दिया।
गुलमोहर के गाल शर्म से लाल थे—ठीक वैसे ही जैसे गाने में कहा जा रहा था।
आर्यन ने फुसफुसाया,
“तेरा चेहरा सब बता रहा है गुल…
अब कुछ कहने की ज़रूरत नहीं…”
फिर उसने फिर से उसके होंठ अपने होंठों में समेट लिए।
गाना चलता रहा…
चुंबन चलता रहा…
और उस पल गुलमोहर ने बिना एक शब्द बोले, अपने पूरे वजूद से कह दिया—
हम आपके हैे…सिर्फ आपके हैं ❤️
कहानी जारी रहेगी...
✍️निहाल सिंह


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