Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 1 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Gay/Lesb - LGBT क्या यही प्यार है
#2
Episode 2: शादी वाली रात 

...संजय मुझ पर से चादर हटा दी। मुझे ब्रा और पैंटी में देखकर वह बहुत खुश हुए और मुझे गले लगा लिया।
मैं खड़ा हुआ और उनके लिए गुनगुना दूध ले आया और अपने हाथों से उनको पिला दिया। अब तक भइया समझ चुके थे कि अब उनको क्या करना है। अब मैंने अपनी कमान उनको सौंप दी।
वह मुझे गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिए और अपने होठों से मुझे ऊपर से नीचे तक चूमने लगे थे। एक-एक इंच पर उन्होंने अपने होठों की मोहर लगा दी।
लंड, राज़ और मंगलसूत्र
मुझे चूमते-चूमते उनका लौड़ा तनकर कड़क हो गया और उनके तौलिए में से बाहर आने को मचलने लगा। अचानक उनका फौलादी लंड तौलिए के साइड से झाँका, जिस पर मैंने तौलिए का पर्दा हटा दिया।
उनका 8 इंची लौड़ा फनफनाकर बाहर कूदने लगा।
वह बोले, "कैसा लगा मेरा औजार?"
मैंने कहा, "भइया, इसके तो मैं पहले ही दर्शन कर चुका हूँ, और इसका अमृत भी पी रखा है।"
अब भइया फिर से चौंक गए।
"भइया, करीब 2 महीने पहले आप किसी की बर्थडे पार्टी से आए थे। शायद उस दिन आपने थोड़ी-सी पी रखी थी। उस दिन आपने अंडरवियर नहीं पहना था। आप सो रहे थे और ये जनाब जाग रहे थे और खड़े होकर पहरा दे रहे थे। मैंने ज़रा-सा हाथ लगाया तो जनाब गुर्राने लगे, तो मैंने इनका मुँह बंद करने की नीयत से अपने मुँह में भर लिया और चूस-चूसकर सज़ा देने लगा। थोड़ी देर बाद इन्होंने मेरे मुँह में ही उल्टी कर दी।"
"इतना सब हो जाने पर भी आपकी नींद नहीं खुली।"
भइया ने सुना तो हैरान हो गए। "ओह! मेरे शेर, तुमने मेरा शिकार पहले से कर रखा है! मुझे आज तक इस बात का एहसास ही नहीं हुआ।"
उनके मुँह से ऐसी बात सुनकर मुझे शर्म आ गई, और मैंने उनके बालों से भरे सीने में अपना मुँह छुपा लिया।
भइया ने बड़े प्यार से मुझे बाहों में कस लिया।
मैंने शरमाते हुए कहा, "भइया, मैं आपसे प्यार करता हूँ। मेरी हर चीज़ आपकी है और आपकी हर चीज़ पर मेरा हक़ समझकर उस दिन मुझसे नादानी में वो सब हो गया। आप मुझसे नाराज़ तो नहीं हो न?"
"अरे नहीं पगले, बल्कि मुझे तो खुशी हुई। मेरा लंड भी तो तुम्हारा ही तो है! तुझे नहीं पता, कब से तड़प रहा हूँ तुझे अपना बनाने के लिए।"
"तो भइया, आज मुझे अपना बना लो हमेशा के लिए।"
"आज तुझे अपना बनाकर तुझे जन्नत की सैर करवा दूँगा।"
"हाँ भइया, मुझे जी भर कर प्यार करो।"
"पर मेरी जान, अब से मुझे भइया न कहना। आज से सिर्फ मुझे संजय कहा करो।"
"ठीक है। पर मैं आपका नाम कैसे ले सकता हूँ?"
"क्यों? क्या हुआ?"
"मैंने आपको अपना पति माना हुआ है और मैं आपकी पत्नी हूँ। कभी पत्नी अपने पति का नाम लेती है?"
"ओह मेरी जान," यह कहकर संजय ने मुझे चूमकर कहा, "तुम अभी मेरी पत्नी बनी नहीं हो। अभी अपनी शादी होनी है।"
ऐसा कहते ही संजय ने अपने गले की सोने की चेन निकालकर मुझे पहना दी और कहा, "मेरी जान, ये मंगलसूत्र है। अब से इसे अपने गले से मत निकालना।"
मंगलसूत्र पहनाकर संजय ने मुझे चूमा।
"तुम भी तो मुझे कुछ निशानी दो, जिससे मुझे लगे कि मैं भी शादीशुदा हूँ।"
मैंने अपनी अँगूठी निकालकर संजय को पहना दी, जिस पर बड़े अक्षर में 'R' लिखा था। मगर वो अँगूठी संजय की उँगली में नहीं आई, सिर्फ़ छोटी वाली उँगली में हल्की-सी फ़िट हुई। जिस पर संजय ने कहा, "कल इसे अपने साइज़ का करवा लूँगा।"
अब शादी हो चुकी थी। दोनों पति-पत्नी एक-दूसरे में खो गए।
पत्नी की ज़ुबानी
संजय ने मुझे गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया।
मैंने शर्म से अपनी आँखें मूँद रखी थीं।
संजय ने मेरी ब्रा और पैंटी उतारकर फेंक दी।
संजय धीरे-धीरे मुझे चूमने लगे। होठों से होता हुआ मेरी गर्दन पर, गर्दन से होता हुआ मेरी छाती के निप्पल पर।
संजय मेरे दोनों निपल्स बेतहाशा चूस रहा था। अपने दाँतों से हल्के-हल्के काट रहा था। मेरी गोरी छाती पर निपल्स लाल होने लगे थे।
थोड़ी देर बाद संजय मेरी कमर पर चूम रहा था। कमर पर संजय के गर्म मुलायम होठ लगते ही मैं कामवासना में भर गया। मैंने अपने कूल्हे ऊपर उठा लिए।
मेरा 6 इंची लंड भी कड़ककर खड़ा हो गया।
मेरा लंड संजय के गालों पर चपेड़े मारने लगा, जैसे कह रहा हो—'मैं भी रोहन हूँ, मुझे भी प्यार करो।'
तभी संजय ने वो किया जिसे मैं सोच भी नहीं सकता था कि संजय ऐसा भी करेगा।
हाँ दोस्तों, संजय ने रोहन का कड़क लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे मस्त चूसने लगा।
मेरा लंड संजय के मुँह में जाकर रॉकेट बन गया। मैं सातवें आसमान में पहुँच गया। ऐसा सुख आज तक मैंने कभी महसूस नहीं किया।
संजय मेरा लंड चूस रहा था और मेरे हाथ संजय के बालों से खेलने लगे।
अपने पति के द्वारा ऐसा असीम आनंद पाकर मैं धन्य हो गया।
और तभी मेरा ज्वालामुखी फट पड़ा।
ज्वालामुखी का गर्म लावा संजय पीने लगा।
सारा रस पीने के बाद संजय ने कहा, "वाह, कितना मीठा था।"
वह मेरे बगल में आकर लेट गया और मुझे अपने गले लगा लिया।
पर मेरी आग अभी शांत नहीं हुई थी।
मैंने संजय से कहा, "मेरे पति देव, अब मुझे वो तोहफ़ा दो जिसे पाकर मैं अनचूदी कली से फूल बन जाऊँ।"
"मेरी रानी, आज तो तुम चुद कर ही रहोगी। तुम्हारी सील आज मेरे हब्शी लौड़े से टूटेगी।"
"मुझे पता है मेरे राजा, आज मुझे तुम्हारे लौड़े से कोई बचा नहीं सकता। मुझे ये भी पता है कि जब तुम मेरे अंदर घुसाओगे तो मुझे दर्द बहुत होगा। चाहे मैं कितना चीखूँ, कितना चिल्लाऊँ, पर आज तुमने मुझ पर दया नहीं दिखानी है। तुम्हें सिर्फ़ अपने काम पर ध्यान देना है।"
"वाह मेरी रानी, पूरी जानकारी रखती हो तुम।"
"हाँ मेरे पति देव, अपने साथ के दोस्तों ने मुझे ये सब बताया था।"
"और क्या-क्या पता है तुम्हें, ज़रा हमें भी बताओ।"
"मैंने सुन रखा है। इस हॉस्टल के अधिकतर सीनियर जूनियर लड़कों की गांड बजाते हैं। किसी ने ये भी कहा है एक बार किसी लड़के की चुदाई हुई तो वो बेहोश हो गया था।"
यह सुनते ही संजय हैरान हो गए।
"और पता है पति देव, वो चुदाई करने वाला सीनियर कौन था?"
"वो आप थे। संजय रस्तोगी।"

कहानी जारी रहेगी।
✍️निहाल सिंह 
Like Reply


Messages In This Thread
Episode 2 - by Nihal1504 - 17-11-2025, 03:26 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)