17-11-2025, 07:53 AM
जयपुर की गर्म हवाएँ अभी भी नवंबर में चुभ रही थीं, लेकिन संजय की गाड़ी का एसी ठंडक दे रहा था। Pooja उसके बगल में बैठी थी—सफेद सलवार सूट में, दुपट्टा कंधे पर, बालों की चोटी कमर तक लहरा रही थी। उसकी आँखें खिड़की से बाहर देख रही थीं—लाल पत्थर की इमारतें, रंग-बिरंगे रिक्शे, और दूर किले की दीवारें।
"जा रही हूँ ना..." Pooja ने धीरे से कहा।
संजय ने उसका हाथ थामा। "दो साल। बस। फिर doctorate पूरा। फिर घर।"
हॉस्टल पहुँचे। गर्ल्स हॉस्टल—पुराना, लेकिन साफ़। कमरा नंबर 204।
दरवाज़ा खुला।
अंदर—**Renu**।
दुबली-पतली, लेकिन कर्व्स साफ़। गेहुँआ रंग—दुस्की, जैसे सूरज ने चूमा हो। बाल छोटे, बॉब कट। टॉप—लूज़ ग्रे क्रॉप टॉप, पेट बाहर, नाभि में छोटी सी रिंग। लोअर—ब्लैक शॉर्ट्स, जाँघें पूरी दिख रही थीं। उसकी ब्रा की स्ट्रैप बाहर झाँक रही थी।
"हायy!" Renu ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम Pooja? कम इन।"
संजय ने सामान उतारा। बेड। अलमारी। किताबें।
Renu ने संजय को ऊपर से नीचे देखा। "भैया जी, चाय पियोगे?"
संजय ने मुस्कुराते हुए मना किया। Pooja को गले लगाया। "रात को फोन करना।"
फिर चला गया।
---
**पहला दिन कॉलेज**
Pooja ने गुलाबी सलवार सूट पहना। दुपट्टा सिर पर। चप्पलें। बैग में किताबें।
कैंपस में घुसते ही—
"अरे वाह! नई माल!"
"देसी मालूम पड़ती है!"
"कितनी सीधी-सादी है यार!"
लड़के हँस रहे थे। Pooja ने सिर नीचा कर लिया।
---
**रैगिंग**
कैंटीन के बाहर। तीन सीनियर।
"नाम?"
"Pooja..."
"शादीशुदा हो? मंगलसूत्र क्यों नहीं?"
"हॉस्टल में नहीं पहनती..."
"अरे, पति को फोन करो। बोलो—'मैं यहाँ लड़कों के साथ हूँ'!"
Pooja की आँखें भर आईं।
तभी—
"अबे ओए! क्या बकचोदी है ये?"
**Vikram**।
लंबा। 6 फीट। सफेद शर्ट, जींस। बाल हल्के कर्ली। आँखें तेज़।
"ये फ्रेशर्स हैं। रैगिंग बंद हो गई है। निकलो यहाँ से!"
तीनों चले गए।
Pooja ने आँसू पोंछे। "थैंक यू..."
Vikram ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं। चाय पियोगी?"
वो कैंटिन मे गए वहाँ चाय order करी
"तो doctorate कर रही हो?" Vikram ने पूछा।
"हाँ। बॉटनी में।"
"मैं ज़ूलॉजी। थर्ड ईयर।"
"तुम्हारी शादी?" Vikram ने पूछा, आँखें चाय में।
"हाँ। दो महीने हुए।"
"लव मैरिज?"
"नहीं। अरेंज्ड। लेकिन... अच्छा लड़का है।"
"तुम्हारे पति क्या करते हैं?"
"सॉफ्टवेयर इंजीनियर। दिल्ली।"
"अच्छा। तो तुम यहाँ अकेली। वो वहाँ अकेला।"
Pooja ने चाय का गिलास घुमाया। "हाँ। लेकिन doctorate करना है।"
Vikram ने उसकी आँखों में देखा। "तुम्हारी आँखें... बहुत कुछ कहती हैं।"
Pooja ने नज़रें झुका लीं।
---
रात में
Pooja बेड पर। फोन।
"संजय... मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है..."
"मैं भी। बस दो साल।"
जयपुर की गर्म रातें हमेशा उमस भरी होती हैं, लेकिन उस रात हॉस्टल के कमरे 204 में हवा जैसे रुक सी गई थी। Pooja बेड पर लेटी हुई थी, सिर्फ़ एक पतली सी नाइटी में—सफेद कॉटन, जो उसकी गोरी त्वचा से चिपक गई थी। शादी के बाद उसके स्तन थोड़े भरे हुए थे—36B, निप्पल्स हल्के गुलाबी, जो नाइटी के नीचे से उभर रहे थे। उसकी कमर अभी भी 24 इंच की पतली, लेकिन जांघें नरम, चिकनी। नींद आने को थी, लेकिन संजय की यादें—उसकी रातें, उसके लंड का गर्म एहसास—उसके मन को भटका रही थीं।
फ़ोन रखा। लाइट बंद। अंधेरा।
फिर—
"आह... हाँ बेबी... डालो... और गहरा..."
Pooja की आँखें खुलीं। धीरे-धीरे। कमरे में मोबाइल स्क्रीन की नीली रोशनी। Renu का बेड।
Renu नंगी थी। पूरी तरह। उसका dusky बदन चमक रहा था—गेहुँआ रंग, जैसे चॉकलेट पर मक्खन लगाया हो। उसके स्तन—34C, भरे हुए, गोल, निप्पल्स काले-भूरे, सख़्त हो चुके, जैसे दो कड़े अंगूर। वो बेड पर आड़ी लेटी थी, एक टांग ऊपर उठाई, घुटना मोड़ा। उसकी चूत—बिना बालों की, शेव्ड, गीली चमकती हुई। होंठ मोटे, गुलाबी-काले, बीच में एक उंगली अंदर-बाहर हो रही थी। दूसरी उंगली क्लिटोरिस पर रगड़ रही थी—छोटा सा, उभरा हुआ बटन, जो हर स्पर्श पर काँप रहा था।
"हाँ Ramesh... ऐसे ही... तेरी उंगली मेरी चूत में... फाड़ दो इसे... आह... जोर से चोदो..."
Renu की आवाज़ भारी थी। गहरी। सिसकारियाँ। उसकी कमर मचल रही थी—ऊपर-नीचे, जैसे कोई अदृश्य लंड अंदर पेल रहा हो। उसकी जांघें फैली हुईं—36 इंच की मोटाई, नरम मांस, जो हर हिलावट पर लहरा रही थीं। चूत से गीली आवाज़ आ रही थी—चपचप, चूचू—जैसे कोई गीला स्पंज दबाया जा रहा हो। उसके होंठ काटे हुए, आँखें बंद, सिर पीछे। एक हाथ स्तनों पर—निप्पल को मरोड़ रही थी, दबा रही थी।
Pooja का दिल धड़कने लगा। वो हिलना नहीं चाहती थी, लेकिन आँखें न हटें। Renu का बदन—मॉडर्न, बिंदास—उसकी ढीली टी-शर्ट्स और शॉर्ट्स के नीचे छिपा हुआ ये राज़। उसकी चूत का नज़ारा—गीला, खुला, उंगली के साथ चमकता रस। Pooja को लगा, जैसे कोई गर्म लहर उसके बदन में दौड़ गई। उसके निप्पल्स सख़्त हो गए। नाइटी के नीचे। उसकी चूत—संजय की आखिरी रात से सूखी पड़ी—अब नम हो रही थी। हल्की सी चुभन। मन कर रहा था—हाथ नीचे ले जाए। उंगली डालकर... लेकिन शर्म। विवाह। संजय।
"आह... हाँ... तेरी जीभ मेरी चूत पर... चाटो इसे... उफ़... मैं आ रही हूँ... Ramesh... चोदो मुझे... आह्ह्ह!"
Renu की गांड ऊपर उठी। उंगली तेज़। दो उंगलियाँ अब। अंदर-बाहर। चूत के होंठ फैले। गीला रस बहने लगा—पतली धार, बेडशीट पर। उसके स्तन उछल रहे थे। साँसें तेज़। फिर—अकड़न। पूरा बदन काँपा। एक लंबी सिसकी। "आआह... हाँ... निकल गया..."
Renu निढाल हो गई। उंगली बाहर। चूत अभी भी काँप रही। रस चमक रहा। वो फ़ोन पर हँसी। "बाय बेबी... कल मिलते हैं।"
Pooja ने आँखें बंद कीं। लेकिन नींद कहाँ? उसके मन में Renu की चूत घूम रही थी। संजय का लंड याद आया—उसका गर्म धक्का। उसकी चूत में वो फिसलन। खून का निशान। अब वो भी... मन कर रहा था। गर्मी। लेकिन वो मन मारकर लेटी रही। साँसें धीमी।
Renu सो गई।
Pooja भी सो गयी
"जा रही हूँ ना..." Pooja ने धीरे से कहा।
संजय ने उसका हाथ थामा। "दो साल। बस। फिर doctorate पूरा। फिर घर।"
हॉस्टल पहुँचे। गर्ल्स हॉस्टल—पुराना, लेकिन साफ़। कमरा नंबर 204।
दरवाज़ा खुला।
अंदर—**Renu**।
दुबली-पतली, लेकिन कर्व्स साफ़। गेहुँआ रंग—दुस्की, जैसे सूरज ने चूमा हो। बाल छोटे, बॉब कट। टॉप—लूज़ ग्रे क्रॉप टॉप, पेट बाहर, नाभि में छोटी सी रिंग। लोअर—ब्लैक शॉर्ट्स, जाँघें पूरी दिख रही थीं। उसकी ब्रा की स्ट्रैप बाहर झाँक रही थी।
"हायy!" Renu ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम Pooja? कम इन।"
संजय ने सामान उतारा। बेड। अलमारी। किताबें।
Renu ने संजय को ऊपर से नीचे देखा। "भैया जी, चाय पियोगे?"
संजय ने मुस्कुराते हुए मना किया। Pooja को गले लगाया। "रात को फोन करना।"
फिर चला गया।
---
**पहला दिन कॉलेज**
Pooja ने गुलाबी सलवार सूट पहना। दुपट्टा सिर पर। चप्पलें। बैग में किताबें।
कैंपस में घुसते ही—
"अरे वाह! नई माल!"
"देसी मालूम पड़ती है!"
"कितनी सीधी-सादी है यार!"
लड़के हँस रहे थे। Pooja ने सिर नीचा कर लिया।
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**रैगिंग**
कैंटीन के बाहर। तीन सीनियर।
"नाम?"
"Pooja..."
"शादीशुदा हो? मंगलसूत्र क्यों नहीं?"
"हॉस्टल में नहीं पहनती..."
"अरे, पति को फोन करो। बोलो—'मैं यहाँ लड़कों के साथ हूँ'!"
Pooja की आँखें भर आईं।
तभी—
"अबे ओए! क्या बकचोदी है ये?"
**Vikram**।
लंबा। 6 फीट। सफेद शर्ट, जींस। बाल हल्के कर्ली। आँखें तेज़।
"ये फ्रेशर्स हैं। रैगिंग बंद हो गई है। निकलो यहाँ से!"
तीनों चले गए।
Pooja ने आँसू पोंछे। "थैंक यू..."
Vikram ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं। चाय पियोगी?"
वो कैंटिन मे गए वहाँ चाय order करी
"तो doctorate कर रही हो?" Vikram ने पूछा।
"हाँ। बॉटनी में।"
"मैं ज़ूलॉजी। थर्ड ईयर।"
"तुम्हारी शादी?" Vikram ने पूछा, आँखें चाय में।
"हाँ। दो महीने हुए।"
"लव मैरिज?"
"नहीं। अरेंज्ड। लेकिन... अच्छा लड़का है।"
"तुम्हारे पति क्या करते हैं?"
"सॉफ्टवेयर इंजीनियर। दिल्ली।"
"अच्छा। तो तुम यहाँ अकेली। वो वहाँ अकेला।"
Pooja ने चाय का गिलास घुमाया। "हाँ। लेकिन doctorate करना है।"
Vikram ने उसकी आँखों में देखा। "तुम्हारी आँखें... बहुत कुछ कहती हैं।"
Pooja ने नज़रें झुका लीं।
---
रात में
Pooja बेड पर। फोन।
"संजय... मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है..."
"मैं भी। बस दो साल।"
जयपुर की गर्म रातें हमेशा उमस भरी होती हैं, लेकिन उस रात हॉस्टल के कमरे 204 में हवा जैसे रुक सी गई थी। Pooja बेड पर लेटी हुई थी, सिर्फ़ एक पतली सी नाइटी में—सफेद कॉटन, जो उसकी गोरी त्वचा से चिपक गई थी। शादी के बाद उसके स्तन थोड़े भरे हुए थे—36B, निप्पल्स हल्के गुलाबी, जो नाइटी के नीचे से उभर रहे थे। उसकी कमर अभी भी 24 इंच की पतली, लेकिन जांघें नरम, चिकनी। नींद आने को थी, लेकिन संजय की यादें—उसकी रातें, उसके लंड का गर्म एहसास—उसके मन को भटका रही थीं।
फ़ोन रखा। लाइट बंद। अंधेरा।
फिर—
"आह... हाँ बेबी... डालो... और गहरा..."
Pooja की आँखें खुलीं। धीरे-धीरे। कमरे में मोबाइल स्क्रीन की नीली रोशनी। Renu का बेड।
Renu नंगी थी। पूरी तरह। उसका dusky बदन चमक रहा था—गेहुँआ रंग, जैसे चॉकलेट पर मक्खन लगाया हो। उसके स्तन—34C, भरे हुए, गोल, निप्पल्स काले-भूरे, सख़्त हो चुके, जैसे दो कड़े अंगूर। वो बेड पर आड़ी लेटी थी, एक टांग ऊपर उठाई, घुटना मोड़ा। उसकी चूत—बिना बालों की, शेव्ड, गीली चमकती हुई। होंठ मोटे, गुलाबी-काले, बीच में एक उंगली अंदर-बाहर हो रही थी। दूसरी उंगली क्लिटोरिस पर रगड़ रही थी—छोटा सा, उभरा हुआ बटन, जो हर स्पर्श पर काँप रहा था।
"हाँ Ramesh... ऐसे ही... तेरी उंगली मेरी चूत में... फाड़ दो इसे... आह... जोर से चोदो..."
Renu की आवाज़ भारी थी। गहरी। सिसकारियाँ। उसकी कमर मचल रही थी—ऊपर-नीचे, जैसे कोई अदृश्य लंड अंदर पेल रहा हो। उसकी जांघें फैली हुईं—36 इंच की मोटाई, नरम मांस, जो हर हिलावट पर लहरा रही थीं। चूत से गीली आवाज़ आ रही थी—चपचप, चूचू—जैसे कोई गीला स्पंज दबाया जा रहा हो। उसके होंठ काटे हुए, आँखें बंद, सिर पीछे। एक हाथ स्तनों पर—निप्पल को मरोड़ रही थी, दबा रही थी।
Pooja का दिल धड़कने लगा। वो हिलना नहीं चाहती थी, लेकिन आँखें न हटें। Renu का बदन—मॉडर्न, बिंदास—उसकी ढीली टी-शर्ट्स और शॉर्ट्स के नीचे छिपा हुआ ये राज़। उसकी चूत का नज़ारा—गीला, खुला, उंगली के साथ चमकता रस। Pooja को लगा, जैसे कोई गर्म लहर उसके बदन में दौड़ गई। उसके निप्पल्स सख़्त हो गए। नाइटी के नीचे। उसकी चूत—संजय की आखिरी रात से सूखी पड़ी—अब नम हो रही थी। हल्की सी चुभन। मन कर रहा था—हाथ नीचे ले जाए। उंगली डालकर... लेकिन शर्म। विवाह। संजय।
"आह... हाँ... तेरी जीभ मेरी चूत पर... चाटो इसे... उफ़... मैं आ रही हूँ... Ramesh... चोदो मुझे... आह्ह्ह!"
Renu की गांड ऊपर उठी। उंगली तेज़। दो उंगलियाँ अब। अंदर-बाहर। चूत के होंठ फैले। गीला रस बहने लगा—पतली धार, बेडशीट पर। उसके स्तन उछल रहे थे। साँसें तेज़। फिर—अकड़न। पूरा बदन काँपा। एक लंबी सिसकी। "आआह... हाँ... निकल गया..."
Renu निढाल हो गई। उंगली बाहर। चूत अभी भी काँप रही। रस चमक रहा। वो फ़ोन पर हँसी। "बाय बेबी... कल मिलते हैं।"
Pooja ने आँखें बंद कीं। लेकिन नींद कहाँ? उसके मन में Renu की चूत घूम रही थी। संजय का लंड याद आया—उसका गर्म धक्का। उसकी चूत में वो फिसलन। खून का निशान। अब वो भी... मन कर रहा था। गर्मी। लेकिन वो मन मारकर लेटी रही। साँसें धीमी।
Renu सो गई।
Pooja भी सो गयी


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