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Adultery एक पत्नी का सफर
#5
रात के ग्यारह बज चुके थे। बैंक्वेट हॉल की रौनक़ अब कमरे की दीवारों में सिमट चुकी थी। बाहर बारात की आखिरी गाड़ियाँ रवाना हो रही थीं, और अंदर—सजाए हुए सूट में—Pooja दुल्हन के जोड़े में बेड पर बैठी थी।

लाल बनारसी लहंगा अब भी भारी था, लेकिन दुपट्टा सिर से सरक कर कंधे पर लटक रहा था। उसकी मांग में सिंदूर की लकीर चमक रही थी, जैसे कोई लाल सूरज डूबने से पहले आखिरी बार मुस्कुराया हो। मंगलसूत्र उसकी क्लीवेज के बीच झूल रहा था—हर साँस के साथ हल्का सा हिलता, जैसे कह रहा हो, "अब ये तेरी है।"

संजय ने दरवाज़ा धीरे से बंद किया। उसकी शेरवानी का ऊपरी बटन खुला हुआ था, गले में हल्की सी लाली—शराब की नहीं, उत्तेजना की। उसने जूते उतारे, मोज़े उतारे, और धीरे-धीरे बेड की ओर बढ़ा।

Pooja ने आँखें नीची कर लीं। उसकी उँगलियाँ लहंगे के पल्लू से खेल रही थीं।

संजय बेड के किनारे पर बैठा। उसकी साँसें भारी थीं। उसने बस आजतक porn देख कर ही मुठ मारी थी। पहली बार लड़की के साथ था वो। उसकी बीवी जिसे वो जितना चाहे चोद सकता है।

"वाह..." संजय ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में काँप थी, "क्या क़िस्मत है मेरी... जो तुम जैसी ख़ूबसूरत बीवी मिली मुझे।"

Pooja शर्मा गई। उसकी साँसें तेज़ हो गईं। उसने होंठ दबाए।

संजय ने उसका हाथ लिया। उसकी हथेली ठंडी थी, लेकिन उँगलियाँ गर्म।

"कैसा लग रहा है यहाँ?" उसने पूछा।

Pooja ने मुँह नीचे किए, धीरे से कहा, "ठीक... लग रहा है।"

संजय ने प्यार से उसका चेहरा ऊपर उठाया। उसकी उँगलियाँ Pooja की ठोड़ी पर थीं। "मुझे अपना पति के साथ-साथ दोस्त ही समझो।"

Pooja कुछ नहीं बोली। सिर्फ़ आँखें झुकाए रही।

संजय ने झुककर उसके माथे पर किस किया। फिर गाल पर। फिर होंठ।

Pooja ने भी हल्के से उसके दोनों गालों पर किस किया।

फिर संजय ने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे। धीरे से। फिर चूसने लगा। Pooja की साँसें गर्म होने लगीं। उसकी नथ हल्की सी हिली। संजय ने नथ को भी होंठों से छुआ, चूसा।

Pooja की आँखें बंद हो गईं।

संजय की जीभ उसके मुँह में गई। पहले वो सहम गई। फिर समझ गई। उसने भी अपनी जीभ आगे बढ़ाई। दोनों की जीभें मिलीं। गीली। गर्म।

किस करते हुए संजय का हाथ Pooja के ब्लाउज़ पर गया। बटन। एक। दो। तीन।

Pooja ने हाथ हटाने की कोशिश की। "जी..."

"श्श..." संजय ने कहा, और ब्लाउज़ खोल दिया।

अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी। लाल रंग की, लेस वाली। उसकी छाती ऊपर-नीचे हो रही थी। संजय ने उसे बेड पर लिटाया। खुद उसके ऊपर चढ़ गया।

ब्रा के ऊपर से ही उसने एक स्तन मुँह में लिया। चूसा।

"उफ़..." Pooja की आवाज़ निकली। उसने संजय का सिर अपनी छाती पर दबा लिया।

कुछ देर बाद दोनों खड़े हो गए। संजय ने लहंगे का नाड़ा खोला। लहंगा ज़मीन पर गिरा।

Pooja ने झटके से उसे पकड़ने की कोशिश की।

"जाने दो न जान," संजय ने उसके हाथ पकड़ लिए।

Pooja चुप हो गई। उसके गाल लाल हो गए। वो संजय की छाती से लिपट गई।

संजय ने उसे थोड़ा दूर किया। नज़र भर कर देखा।

ब्रा। पैंटी। में। वाह स्वर्ग की अपसरा, संगमरमर सा तरासा बदन। बड़ी सुडॉल् गाँड़। Pooja की कमर 24 इंच की कूल्हे गोल, मोटे। जाँघें चिकनी, गोरी। उसकी ब्रा में उसके स्तन भरे हुए थे—36 साइज़। पैंटी टाइट थी उसकी चूत की शेप साफ़ दिख रही थी।

"जी... मुझे शर्म आ रही है... लाइट बंद कर दीजिए," Pooja ने कहा।

संजय ने बड़ी लाइट बंद की। छोटी लाइट जलाई। पीली रोशनी।

Pooja बेड के कोने पर बैठ गई।

संजय ने अपनी शेरवानी उतारी। बनियान। पायजामा। अब सिर्फ़ अंडरवियर। उसका लंड खड़ा था, अंडरवियर से बाहर झाँक रहा था।

वो बेड पर आया। Pooja को बाहों में लिया। उसकी पीठ पर हाथ फेरा। ब्रा का हुक खोला।

ब्रा गिरी।

दोनों स्तन बाहर। गोल, भरे हुए। निप्पल गुलाबी, सख़्त।

संजय ने एक स्तन मुँह में लिया। चूसा।
"वाह क्या स्वाद है। मज़ा आ गया"

"उफ़ हह... मत करो जी... आह..." Pooja की आवाज़ काँपी।

लेकिन वो खुद ही अपना स्तन उसके मुँह में दे रही थी।

कुछ देर बाद संजय ने पैंटी उतारी।

Pooja की चूत। चिकनी। गुलाबी। एकदम वर्जिन।

संजय ने उसकी टाँगें फैलाईं। मुँह लगाया।

"आह... नहीं जी..." Pooja ने सिर हटाने की कोशिश की।

लेकिन संजय नहीं रुका। उसकी जीभ चूत के अंदर। बाहर। क्लिट पर।

Pooja की साँसें तेज़। उसकी गांड ऊपर उठने लगी।

"आह... आह... उफ़..."

पाँच मिनट। और फिर—Pooja अकड़ गई। उसकी चूत से पानी निकला।

वो निढाल हो गई।

संजय ने पूछा, "फूल मूड में हो जान?"

Pooja ने मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखा। जैसे कह रही हो आओ मुझे खा जाओ।

संजय ने अंडरवियर उतारा। उसका लंड—5 इंच, मोटा, सख़्त।

Pooja सहम गई।

संजय ने अपना लंड चूत के मुहाने पर टिका दिया। उसका लंड गर्म था, जैसे लोहे की छड़। नसें उभरी हुईं, सुपारा लाल-गुलाबी, चमकदार। तेल की वजह से फिसलन थी, लेकिन फिर भी टाइट।
Pooja की साँसें तेज़ थीं। उसकी चूत छोटी थी—एकदम वर्जिन। बाहर से सिर्फ़ एक पतली सी लाइन, जैसे कोई गुलाबी कली अभी खुलने को है। उसकी टाँगें काँप रही थीं।
संजय ने कमर के नीचे तकिया रखा था। उसने धीरे से दबाया।
सुपारा अंदर गया।
Pooja की आँखें चौड़ी हो गईं।
"आह... जी... दर्द..."
संजय को लगा जैसे कोई टाइट रबर का छेद हो। अंदर की दीवारें दब रही थीं। गर्मी। नमी। लेकिन रास्ता बंद।
उसने और दबाया।
अंदर एक पतली सी झिल्ली थी। हाइमन।
संजय को एहसास हुआ—ये वही है। उसकी बीवी की जवानी का आखिरी दरवाज़ा।
उसके अंदर हवस की आंधी थी। लेकिन प्यार भी। वो रुकना चाहता था, लेकिन लंड खुद आगे बढ़ रहा था।
Pooja की मुट्ठियाँ बेडशीट पकड़कर सिकुड़ गईं। उसकी आँखें बंद। दाँत होंठों में दबे।
संजय ने एक गहरी साँस ली।
फिर—
जोर का धक्का।
"आआआआह! उई मम्मी... मर गई... छोड़ो!"
Pooja का पूरा बदन ऊपर उछला। उसकी कमर में एक तेज़, जलती हुई सुई चुभी। जैसे कोई छुरी अंदर घुस गई हो। उसकी चूत फट गई। हाइमन टूट गया।
संजय को लगा—अंदर कुछ फटा। गर्माहट। फिर नमी।
खून।
लाल। गाढ़ा। लंड पर लिपटा हुआ। बेडशीट पर फैलता हुआ।
Pooja की आँखों से आँसू निकल आए। उसकी साँसें रुक-रुक कर आ रही थीं।
संजय रुक गया। उसका लंड पूरा अंदर था। लेकिन अब दबाव कम था। अंदर की दीवारें ढीली पड़ गई थीं। गर्म। फिसलन। खून और तेल मिलकर चिकनाहट बना रहे थे।
उसे एहसास हुआ—ये उसकी बीवी का खून है। उसकी जवानी का निशान।
Pooja रो रही थी। धीरे-धीरे।
"दर्द... बहुत दर्द... जी..."
संजय ने उसका माथा चूमा। "बस थोड़ा... अब ठीक हो जाएगा..."
उसने हल्के से हिलाया।
Pooja की सिसकी निकली। लेकिन अब दर्द कम था। जलन थी, लेकिन साथ में एक अजीब सी भारीपन। जैसे कुछ भर गया हो।
संजय ने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए।
पहले धक्के में—Pooja की चूत में खून और निकला।
दूसरे में—उसकी दीवारें लंड को महसूस करने लगीं।
तीसरे में—दर्द कम। जलन कम।
चौथे में—Pooja की कमर खुद हिली।
"आह... उह..."
अब उसकी आवाज़ में दर्द नहीं—मजा था।
संजय को लगा—अंदर गर्माहट बढ़ रही है। उसकी बीवी की चूत अब उसकी हो गई। पूरी तरह।
खून सूखने लगा। बेडशीट पर लाल धब्बा था।
Pooja की आँखें खुलीं। उसने संजय को देखा।
"अब... ठीक है..."
संजय ने लंड को चूत पर टिकाया।

धीरे से दबाया।

"आह... दर्द..." Pooja की मुट्ठियाँ भींचीं।

संजय रुका। फिर एक जोर का धक्का।

"आआआह! मम्मी... मर गई!"

लंड अंदर। पूरा।

संजय रुका। Pooja की साँसें नॉर्मल हुईं।

फिर धीरे-धीरे धक्के।

"आह... उह... आह..."

Pooja की आवाज़ अब मादक थी। उसकी कमर खुद हिलने लगी।

कुछ मिनट। और संजय झड़ गया।

वो Pooja पर गिर पड़ा।

कुछ देर बाद Pooja उठी। वॉशरूम गई। साफ़ की।

वापस आई। दोनों नंगे।

संजय ने पूछा, "कैसा लगा जी? दर्द तो नहीं?"

Pooja ने मुस्कुराते हुए कहा, "पहले हुआ था... अब ठीक है।"

दोनों नंगे ही लिपट कर सो गए।
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RE: एक पत्नी का सफर - by Tiska jay - 14-11-2025, 10:02 PM



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