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Adultery बदलाव, मजबूरी, सेक्स या जिंदगी.....
#15
अब आते हैं आगे

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“देखिए भाभी मैंने आपको कुल मिलाकर पाँच लाख उधार दिए हैं। और इनमें वह तीन लाख शामिल नहीं है जो आप लोगों की मदद और दवा व संस्कार में खर्च किए हैं। और बैंक के साथ जो मेरा एग्रीमेंट है उसके चालीस लाख अलग ही हैं।

मैंने मानवता के नाते इलाज और अंतिम संस्कार में मदद की। अब आपको और चार लाख चाहिए।”

“देखिए मदद की जा सकती है लेकिन पेंशन बांधना मेरा सिद्धांत नहीं है।” राहुल ने आरोही की बात सुनकर शांति से जवाब दिया।


“देखो राहुल हमें पता है। लेकिन हमारी मजबूरी समझिए। यह नहीं दिए तो घर की किश्त डिफॉल्ट हो जाएगी। और फिर इस स्थिति कैसे काम चलेगा।” परिधि ने कहा।

“आपकी बात सही है भाभी, लेकिन आप पैसे कैसे लौटा पाएंगी। अगर मैं महीने के पूरे किराए को भी काट लूँ तो भी साल भर लगेंगे और तब भी दस-बीस हजार रह जाएंगे। और फिर आप और चार लाख मांग रही हैं।” राहुल ने साफ लहजे में कहा।

“हम लोग नौकरी ढूँढ रहे हैं। राहुल, आप समझो, हम कोशिश करेंगे इसे जल्दी लौटाने की।” अब आरोही ने कहा।

“देखिए भाभी, प्रैक्टिकल बात करनी चाहिए। जब अमित और सुमित को एक्सपीरिंयस पर चालीस हजार की नौकरी नहीं मिली। तो आप लोग तो रॉ हैंड हैं। कहानियों की बात अलग है। और उनको बिजनेस करने से मैंने और आपने भी रोका था।
 
लेकिन अब अगर आपकी बात करूँ, तो हकीकत में कोई आप लोगों को बीस हजार भी नहीं देगा और शोषण की कोशिश अलग करेगा। साथ ही आपको कम से कम बीस-तीस हजार अमित की दवा के लिए हमेशा चाहिए। और साथ ही देख-भाल भी करनी है” राहुल ने गंभीरता से अपनी बात कही।

परिधि और आरोही दोनों ही रूआँसी हो गईं। और आंसू गिरने लगे। आरोही ने कहा, “राहुल आप ही कोई तरीका बताओ जिससे हमें कोई राह मिले।”

राहुल ने कहा, “देखिए एक तरीका तो है। जिसमें मैं पैसे भी दे दूँगा और आपके कर्ज भी चुक जाएंगे। और खर्च भी चलेगा। लेकिन इस तरीके में आपको कष्ट भी सहने पड़ेंगे और सुनने में अपमानजनक भी लगेगा।”

“कह दो, क्या कहना है,” दोनों ने कहा, “अब तक जो कुछ सहा है उससे अधिक क्या खराब होगा।”

राहुल बोला, “ठीक है, मैं कहता हूँ। लेकिन ध्यान रखिए अगर आपको पसंद नहीं आए तो आप जा सकती हैं और मेरा कोई दबाव आप पर नहीं रहेगा। मैं कोई मौके का फायदा नहीं उठा रहा हूँ। बिजनेस कर रहा हूँ।”

उसने आगे कहा, “देखिए आप लोग बहुत खूबसूरत हैं और मैं भी मर्द हूँ और मेरी चाह भी वासना भरी है। मुझे आप दोनों को भोगना है और अपनी फैंटसी के अनुसार, मनमाने तरीके से। अगर आप की सहमति हो मैं आपको कुछ समय के लिए अपने साथ काम कराना और भोगना चाहता हूँ। इसका एक पूरा मॉडल है मेरे पास।”

राहुल की बात सुनकर दोनों को लकवा सा मार गया, फिर कुछ देर के बाद परिधि चीखती हुई बोलीं, “क्या?? तुमने ऐसा सोचा भी कैसे। कितने गंदे, नीच हो तुम। ऐसे तो तुम बहुत मददगार और दयालु बने फिरते हो और मौका देखकर नोंचने के लिए तैयार हो गए। थू है तुम पर।।।।”

परिधि की बात काटकर गंभीर स्वर में राहुल ने कहा, “चुप हो जाओ परिधि, मैंने पहले ही कहा था कि जबरदस्ती कुछ नहीं करने को कह रहा हूँ। और रही बात नोंचने की अगर वही करना होता तो अब तक आप दोनों मेरे बिस्तर पर होतीं।”

अब वह इनको भाभी नहीं बोल रहा था।

“नहीं मंजूर है, तो कोई बात नहीं आप लोग जा सकते हैं। और अगर आप इस बात को नहीं उछालेंगी। तो मैं तो इस बात को कहूँगा भी नहीं। लेकिन ठंडे दिमाग से सोच लीजिएगा। मेरे साथ आपको कोई जोखिम नहीं होगा।” राहुल ने अपनी बात पूरी की।

“नीच, तू खुद ही जोखिम है, चल आरोही यहाँ से।” परिधि ने आरोही से कहा।

आरोही भी रोते हुए उसके साथ चली गई। और अपने घर में दाखिल होने से पहले परिधि ने कहा, “सुन, अमित को अभी मत बताना।” आरोही ने हाँ में सिर हिलाया।

कुछ देर बाद दोनों अपनी सास के सामने बैठी थीं, और तीनों ही रो रहीं थीं। कुछ देर शांत होने के बाद इंद्रावती ने कहा, “मैं उस कमीने को अभी निकालने के लिए जा रही हूँ। और एक फ्लैट बेचकर उसका पैसा लौटा देंगे।”

“लेकिन माँ, एक ही दिन में यह सब नहीं ना होगा। और फ्लैट बेचने की बात तो पहले भी की गई है। बैंक के पास गिरवी पड़ा होने के कारण कोई भी दलाल इसे आधी कीमत से अधिक नहीं देना चाहता है। और फिर राहुल भी इसमें गारंटर है। उसको भी पैसे देने होंगे।” आरोही कुछ सोचते हुए कहा।

“हाँ, लेकिन कुछ तो सोचना ही पड़ेगा। इज्जत गंवाना ही उपाय नहीं है।” इंद्रावती ने कहा।

“पर पहले इसको भगाती हूँ” यह कहकर इंद्रावती उठने लगी।

पीछे-पीछे आरोही और परिधि भी चल दीं, लेकिन वह थोड़ा फ्लैट के दरवाजे के ही पास रहीं। इंद्रावती के घंटी बजाने पर राहुल ने दरवाजा खोला, और दरवाजा खोलते ही इंद्रावती से राहुल को झापड़ मारा।

और बोलीं, “हरामजादे, जी तो करता है तेरा खून पी जाऊँ। लेकिन, हम वैसे ही बहुत परेशान औरतें तो और परेशानी नहीं चाहती हैं। तू अभी निकल जा कमीने, तेरे बारे में सबको बता दूँगी। तू कितना नीच है। हमारी आबरू से खेलना चाहता है। मजबूरी का फायदा उठाना चाहता है। अच्छाई के नीचे इतना गंदा चेहरा।”

इंद्रावती राहुल को कोसती रहीं राहुल थोड़ा सा अंदर होकर वैसे ही निश्चल भाव से खड़ा था, मानो कुछ हो ही नहीं है। फिर अंत में इंद्रावती बोली, “तू निकल भाग जा यहाँ से। आज शाम तक घर खाली कर दे।”

इंद्रावती के चुप होते ही, राहुल बोला “चाची सुनिए, मैं घर तो अभी खाली कर दूँगा। घर आपका है, लेकिन आप मेरे पांच लाख जो आप लोगों ने लिखित में लिए हैं उसे वापस करना पड़ेगा। और साथ ही बैंक की गारंटी और अपने हिस्से के पैसे बैंक से निकाल लूँगा।


मैंने जो ऑफर दिया था वह आपको बुरा लगा तो उसके लिए आप सिक्युरिटी में जा सकती हैं या सोसाइटी में से किसी को बुला सकती है। लेकिन यह पांच लाख और वह चालीस लाख जब तक नहीं देंगी यह फ्लैट बंद रहेगा और चाबी थाने में जमा कर दूँगा।”


राहुल आगे बोला, “मैंने कभी झगड़ा नहीं करता हूँ लेकिन झगड़े से पीछे नहीं हटता हूँ। मैंने एक बात कही थी जिसके लिए कोई दबाव नहीं दिया था। और अभी भी कोई दबाव आपकी बहुओं को पाने के लिए नहीं दे रहा हूँ। पैसों से कई वेश्याएँ मिल जाती हैं। और आपकी बहुएँ खूबसूरत तो हैं लेकिन मैं कभी आशिक नहीं बनता हूँ। भोगने के लिए बहुत मिल जाएंगी।”


और सुनिए, “आपके फ्लैट को हथियाने की भी मेरी कोई नियत नहीं है, या तो पैसे दे दीजिएगा या फ्लैट बंद रखने के बाद मैं बैंक से वापस करके खाली कर दूँगा। और हाँ अगर मुझे ब्लैक मेल करके आरोही, परिधि को बिस्तर पर लाना होता ना। तो अभी आपसे ब्याज भी मांग सकता हूँ। आपको मुझे मारने से पहले सोचना चाहिए था। अपनी हालत तो देखिए, यह थप्पड़ महंगा पड़ सकता है।”


राहुल की अंतिम बात के भारीपन और पांडे पान वाले कांड में राहुल की शक्ति को याद करके इंद्रावती और दरवाजे की आड़ में खड़ी आरोही और परिधि सहम सी गईं। इंद्रावती रोने लगी।

और राहुल के पैर पर गिर गई और कहा, “बेटा थप्पड़ के लिए मैं माफी मांगती हूँ। लेकिन तू हमारी इज्जत से तो ना खेल।”


“देखिए चाची, पैर ना पड़िए मैं थप्पड़ को भूल जाता हूँ। और मैं तो व्यापार बता रहा था। और आप जानती ही हैं कि मैं हर गेम सेफ खेलता हूँ। तो इसमें बात हमारे दोनों के बीच ही रह जाती। लेकिन आपको नहीं मंजूर था तो कोई बात नहीं है कोई ब्लैकमेल नहीं कर रहा हूँ। आप जाइए और सोच लीजिए।”


इंद्रावती और उसके पीछे आरोही और परिधि भी अपने घर में चली गईं। लेकिन आरोही के मन में कुछ सवाल उठ रहे थे। “राहुल कह तो सही रहा था। जब सब ठीक था तभी हम कौन सा बहुत सुरक्षित थे। पांडे की दुकान पर लड़कों ने जो किया और परिधि दीदी के साथ जो हुआ उससे तो राहुल ही ठीक है।

कुछ सोचते हुए आरोही बोली, “मैं, एक मिनट में आती हूँ।”

और यह कहकर वह सीधे राहुल के दरवाजे की घंटी बजा दी।

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आरोही को क्या सूझा होगा? वह फ्लैट में गई है, आगे कुछ मोड़ आएगा जरूर।
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RE: बदलाव, मजबूरी, सेक्स या जिंदगी..... - by ramlal_chalu - 14-11-2025, 07:30 PM



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