12-11-2025, 11:26 PM
ये मेरी पहली स्टोरी है तो कोई गलती हो sorry और please suggestions देते रहियेगा।
दिल्ली की चमचमाती जिंदगी से निकलकर संजय हरियाणा के एक छोटे से गांव में पहुंचा था। गांव की हवा में ठंडक थी, नवंबर का महीना जो था, और चारों तरफ खेतों में सरसों की पीली फसल लहरा रही थी। संजय ने अपनी सफेद शर्ट और काली पैंट पहनी हुई थी, ऊपर से ग्रे कलर का वूलन कोट, जो दिल्ली की ठंड से बचाने के लिए काफी था, लेकिन यहां गांव की सर्दी कुछ ज्यादा ही काटने वाली लग रही थी। उसका कद 5 फुट 10 इंच का था, बॉडी फिट और एथलेटिक – जिम जाने की आदत जो थी ना। चेहरा गोरा, बाल काले और हल्की सी दाढ़ी, जो उसे हैंडसम लुक देती थी। वह पूजा को देखने आया था, रिश्ते की बात पक्की करने। पूजा के घर के बाहर एक छोटा सा आंगन था, जहां गायें बंधी हुई थीं और मिट्टी की दीवारें पुरानी लेकिन साफ-सुथरी लग रही थीं।
अंदर कमरे में पूजा के पापा, मिस्टर शर्मा, एक साधारण कुर्ता-पायजामा पहने बैठे थे। उम्र करीब 50 की, चेहरा गोल और दाढ़ी सफेद, लेकिन आंखों में तेजी। मम्मी जी, पूजा की मां, सलवार-कमीज में थीं – हरे रंग की, जो उनकी उम्र के हिसाब से फिट बैठती थी। उनका फिगर मध्यम था, थोड़ा मोटापा लेकिन गांव की मेहनतकश औरतों वाला। वे चाय बना रही थीं, और कमरे में लकड़ी की कुर्सियां बिछी हुई थीं। संजय को बैठाया गया, और इंतजार शुरू हुआ।
"बेटा, पूजा को अभी बुलाती हूं," मम्मी जी ने मुस्कुराते हुए कहा, उनकी आवाज में गांव की मिठास थी। "पूजा... पूजा बेटी, आ जा! मेहमान आए हैं!"
ऊपर से सीढ़ियों की आवाज आई, और फिर पूजा उतरी। संजय की सांस जैसे रुक गई। पूजा ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी, बनारसी सिल्क की, जो उसके बदन से चिपककर उसकी कमर की पतली लाइन को उभार रही थी। कमर इतनी पतली थी कि संजय को लगा, दोनों हाथों से घेर लेंगे तो आराम से आ जाएगी – शायद 26 इंच की। साड़ी का पल्लू उसके कंधे पर लहरा रहा था, और ब्लाउज टाइट फिटिंग का, गहरे लाल रंग का, जो उसके ब्रेस्ट्स को परफेक्ट शेप दे रहा था। ब्रेस्ट्स करीब 34 इंच के, फुल और गोल, जैसे दो रसीले आम लटक रहे हों। हाइट 5 फुट 4 इंच, लेकिन साड़ी और हील्स की वजह से और लंबी लग रही थी। उसके होंठ गुलाबी, जैसे कोई फूल खिल रहा हो, और आंखें – काली, बड़ी-बड़ी, काजल लगी हुईं, जिनमें डूब जाने का मन करता था। चेहरा इतना खूबसूरत कि लगता था कोई अप्सरा उतर आई हो। ठंड की वजह से उसके गाल सफेद थे, बर्फ जैसे, और नाक पर हल्की सी लाली। बाल लंबे, काले, खुले हुए, जो उसकी कमर तक आ रहे थे। साड़ी का आंचल उसके हिप्स पर गिरा हुआ था, जो राउंड और फर्म लग रहे थे – शायद 36 इंच के। पूरी बॉडीघड़ी थी, जैसे कोई मॉडल हो।
संजय उसे देखता ही रह गया। उसकी आंखें पूजा के चेहरे से नीचे स्लाइड होकर उसके क्लेवेज पर अटक गईं, जहां साड़ी का ब्लाउज थोड़ा डीप नेक था, और सफेद स्किन चमक रही थी। पूजा शर्मा होकर मुस्कुराई, लेकिन संजय को लगा जैसे बिजली का झटका लगा हो।
"नमस्ते," पूजा ने धीमी आवाज में कहा, हाथ जोड़कर। उसकी आवाज मधुर थी, जैसे कोई गाना।
"न... नमस्ते," संजय हकलाया, उठकर खड़ा हो गया। पापा जी हंसे, "बैठो बेटा, शर्मा मत। पूजा, इधर बैठ।"
बातचीत शुरू हुई। पापा जी ने संजय की नौकरी के बारे में पूछा – दिल्ली में आईटी कंपनी में सीनियर डेवलपर, सैलरी अच्छी। मम्मी जी ने पूजा की पढ़ाई बताई – बीएससी कंप्लीट, अब आगे पढ़ना चाहती है। संजय ने पूजा की तरफ देखा, "आप क्या करना चाहती हैं आगे?"
पूजा ने आंखें नीची कीं, फिर उठाकर बोली, "मैं डॉक्टरेट करना चाहती हूं, बायोलॉजी में। लेकिन घरवाले कहते हैं शादी के बाद मुश्किल होगा।"
संजय मुस्कुराया, "नहीं, मैं सपोर्ट करूंगा। दिल्ली में रहेंगी तो यूनिवर्सिटी भी पास है। मैं खुद मदद करूंगा।"
पापा जी ने सराहा, "अच्छा लड़का है। अब तुम दोनों अकेले में बात कर लो, बाहर घूम आओ।"
वे दोनों बाहर निकले, गांव की पगडंडी पर। ठंडी हवा चल रही थी, पूजा ने शॉल ओढ़ लिया – लाल ही, जो उसके फिगर को और हाइलाइट कर रहा था। संजय ने कहा, "तुम बहुत खूबसूरत हो पूजा। पहली नजर में ही दिल जीत लिया।"
पूजा शर्मा गई, "थैंक यू। आप भी अच्छे लग रहे हो। दिल्ली में क्या करते हो फ्री टाइम में?"
"जिम, मूवीज। तुम?"
"पढ़ाई, घर का काम। लेकिन डॉक्टरेट का सपना है। आप सच में सपोर्ट करोगे?"
"पक्का। शादी के बाद तुम्हारी पढ़ाई पहले।"
बातें लंबी चलीं – बचपन की, सपनों की। पूजा की हंसी में मिठास थी, और संजय उसके होंठों को देखता रहता। आंखों में खो जाना जैसे सच हो गया। रिश्ता पक्का हो गया।
फिर शादी की तैयारी। धूमधाम से शादी हुई, गांव में पंडाल सजा, दिल्ली से संजय के दोस्त आए। शादी का दिन – पूजा दुल्हन के जोड़े में। लाल लेहंगा, हैवी एम्ब्रॉइडरी वाला, जो उसके फिगर को हग कर रहा था। ब्लाउज डीप कट, बैकलेस स्टाइल में, जहां से उसकी कमर की नंगी स्किन दिख रही थी – पतली, स्मूद, जैसे मक्खन। ब्रेस्ट्स का क्लेवेज गहरा, लेहंगे की वजह से और उभरा हुआ। हाइट हील्स में 5'6" लग रही थी। मंगलसूत्र उसके गले में, सोने का, जो क्लेवेज के बीच में लटक रहा था, हर बार सांस लेते हुए हिल रहा था – सेक्सी लग रहा था, जैसे कोई चुंबक। चेहरा मेकअप से और निखरा, होंठ रेड लिपस्टिक से चमक रहे, आंखें स्मोकी। बाल जूड़े में, मांग में सिंदूर। हिप्स लेहंगे में राउंड शेप में, हर कदम पर हिलते। पूरी दुल्हन कयामत लग रही थी।
संजय शेरवानी में, गोल्डन एम्ब्रॉइडरी वाली, कद में लंबा लग रहा था। लेकिन सबकी नजरें पूजा पर। बाराती दे रहे थे, "भाई, तेरी तो लॉटरी लग गई! लंगूड़े के मुंह में अंगूर!"
संजय के दोस्त – राहुल, विक्की, अंकित – फुसफुसा रहे थे। राहुल ने कहा, "यार संजय, भाभी तो मस्त है! वो क्लेवेज देख, कैमरामैन तो जूम करके वीडियो बना रहा है। रात को हमारी बीवियां भी पूजा को सोचकर... समझ ना!" वे हंसे। विक्की बोला, "सच में, तेरी बीवी नहीं, अप्सरा है। मैं तो अपनी वाली को आज पूजा बनाकर चोदूंगा!"
कैमरामैन सच में जूम कर रहा था – पूजा के क्लेवेज पर, मंगलसूत्र पर, उसके हिप्स पर जब वह घूमती। सब मेहमान देख रहे थे, औरतें जल रही थीं, मर्दों की नजरें चिपकी। संजय गर्व से मुस्कुरा रहा था, लेकिन अंदर से जलन भी – उसकी पूजा, सबकी फैंटसी।
शादी के रस्में पूरी हुईं। फेरे लिए, सिंदूर डाला। अब सुहागरात का समय। कमरा सजा हुआ था, फूलों से, लाइट्स डिम। पूजा अंदर आई, घूंघट उठाया। संजय दरवाजा बंद किया। ठंड थी, लेकिन कमरे में हीटर जल रहा था। पूजा का चेहरा शर्मा रहा था, लेकिन आंखों में उत्सुकता। लेहंगा अभी भी पहना था, ब्लाउज से क्लेवेज उभरा हुआ।
दिल्ली की चमचमाती जिंदगी से निकलकर संजय हरियाणा के एक छोटे से गांव में पहुंचा था। गांव की हवा में ठंडक थी, नवंबर का महीना जो था, और चारों तरफ खेतों में सरसों की पीली फसल लहरा रही थी। संजय ने अपनी सफेद शर्ट और काली पैंट पहनी हुई थी, ऊपर से ग्रे कलर का वूलन कोट, जो दिल्ली की ठंड से बचाने के लिए काफी था, लेकिन यहां गांव की सर्दी कुछ ज्यादा ही काटने वाली लग रही थी। उसका कद 5 फुट 10 इंच का था, बॉडी फिट और एथलेटिक – जिम जाने की आदत जो थी ना। चेहरा गोरा, बाल काले और हल्की सी दाढ़ी, जो उसे हैंडसम लुक देती थी। वह पूजा को देखने आया था, रिश्ते की बात पक्की करने। पूजा के घर के बाहर एक छोटा सा आंगन था, जहां गायें बंधी हुई थीं और मिट्टी की दीवारें पुरानी लेकिन साफ-सुथरी लग रही थीं।
अंदर कमरे में पूजा के पापा, मिस्टर शर्मा, एक साधारण कुर्ता-पायजामा पहने बैठे थे। उम्र करीब 50 की, चेहरा गोल और दाढ़ी सफेद, लेकिन आंखों में तेजी। मम्मी जी, पूजा की मां, सलवार-कमीज में थीं – हरे रंग की, जो उनकी उम्र के हिसाब से फिट बैठती थी। उनका फिगर मध्यम था, थोड़ा मोटापा लेकिन गांव की मेहनतकश औरतों वाला। वे चाय बना रही थीं, और कमरे में लकड़ी की कुर्सियां बिछी हुई थीं। संजय को बैठाया गया, और इंतजार शुरू हुआ।
"बेटा, पूजा को अभी बुलाती हूं," मम्मी जी ने मुस्कुराते हुए कहा, उनकी आवाज में गांव की मिठास थी। "पूजा... पूजा बेटी, आ जा! मेहमान आए हैं!"
ऊपर से सीढ़ियों की आवाज आई, और फिर पूजा उतरी। संजय की सांस जैसे रुक गई। पूजा ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी, बनारसी सिल्क की, जो उसके बदन से चिपककर उसकी कमर की पतली लाइन को उभार रही थी। कमर इतनी पतली थी कि संजय को लगा, दोनों हाथों से घेर लेंगे तो आराम से आ जाएगी – शायद 26 इंच की। साड़ी का पल्लू उसके कंधे पर लहरा रहा था, और ब्लाउज टाइट फिटिंग का, गहरे लाल रंग का, जो उसके ब्रेस्ट्स को परफेक्ट शेप दे रहा था। ब्रेस्ट्स करीब 34 इंच के, फुल और गोल, जैसे दो रसीले आम लटक रहे हों। हाइट 5 फुट 4 इंच, लेकिन साड़ी और हील्स की वजह से और लंबी लग रही थी। उसके होंठ गुलाबी, जैसे कोई फूल खिल रहा हो, और आंखें – काली, बड़ी-बड़ी, काजल लगी हुईं, जिनमें डूब जाने का मन करता था। चेहरा इतना खूबसूरत कि लगता था कोई अप्सरा उतर आई हो। ठंड की वजह से उसके गाल सफेद थे, बर्फ जैसे, और नाक पर हल्की सी लाली। बाल लंबे, काले, खुले हुए, जो उसकी कमर तक आ रहे थे। साड़ी का आंचल उसके हिप्स पर गिरा हुआ था, जो राउंड और फर्म लग रहे थे – शायद 36 इंच के। पूरी बॉडीघड़ी थी, जैसे कोई मॉडल हो।
संजय उसे देखता ही रह गया। उसकी आंखें पूजा के चेहरे से नीचे स्लाइड होकर उसके क्लेवेज पर अटक गईं, जहां साड़ी का ब्लाउज थोड़ा डीप नेक था, और सफेद स्किन चमक रही थी। पूजा शर्मा होकर मुस्कुराई, लेकिन संजय को लगा जैसे बिजली का झटका लगा हो।
"नमस्ते," पूजा ने धीमी आवाज में कहा, हाथ जोड़कर। उसकी आवाज मधुर थी, जैसे कोई गाना।
"न... नमस्ते," संजय हकलाया, उठकर खड़ा हो गया। पापा जी हंसे, "बैठो बेटा, शर्मा मत। पूजा, इधर बैठ।"
बातचीत शुरू हुई। पापा जी ने संजय की नौकरी के बारे में पूछा – दिल्ली में आईटी कंपनी में सीनियर डेवलपर, सैलरी अच्छी। मम्मी जी ने पूजा की पढ़ाई बताई – बीएससी कंप्लीट, अब आगे पढ़ना चाहती है। संजय ने पूजा की तरफ देखा, "आप क्या करना चाहती हैं आगे?"
पूजा ने आंखें नीची कीं, फिर उठाकर बोली, "मैं डॉक्टरेट करना चाहती हूं, बायोलॉजी में। लेकिन घरवाले कहते हैं शादी के बाद मुश्किल होगा।"
संजय मुस्कुराया, "नहीं, मैं सपोर्ट करूंगा। दिल्ली में रहेंगी तो यूनिवर्सिटी भी पास है। मैं खुद मदद करूंगा।"
पापा जी ने सराहा, "अच्छा लड़का है। अब तुम दोनों अकेले में बात कर लो, बाहर घूम आओ।"
वे दोनों बाहर निकले, गांव की पगडंडी पर। ठंडी हवा चल रही थी, पूजा ने शॉल ओढ़ लिया – लाल ही, जो उसके फिगर को और हाइलाइट कर रहा था। संजय ने कहा, "तुम बहुत खूबसूरत हो पूजा। पहली नजर में ही दिल जीत लिया।"
पूजा शर्मा गई, "थैंक यू। आप भी अच्छे लग रहे हो। दिल्ली में क्या करते हो फ्री टाइम में?"
"जिम, मूवीज। तुम?"
"पढ़ाई, घर का काम। लेकिन डॉक्टरेट का सपना है। आप सच में सपोर्ट करोगे?"
"पक्का। शादी के बाद तुम्हारी पढ़ाई पहले।"
बातें लंबी चलीं – बचपन की, सपनों की। पूजा की हंसी में मिठास थी, और संजय उसके होंठों को देखता रहता। आंखों में खो जाना जैसे सच हो गया। रिश्ता पक्का हो गया।
फिर शादी की तैयारी। धूमधाम से शादी हुई, गांव में पंडाल सजा, दिल्ली से संजय के दोस्त आए। शादी का दिन – पूजा दुल्हन के जोड़े में। लाल लेहंगा, हैवी एम्ब्रॉइडरी वाला, जो उसके फिगर को हग कर रहा था। ब्लाउज डीप कट, बैकलेस स्टाइल में, जहां से उसकी कमर की नंगी स्किन दिख रही थी – पतली, स्मूद, जैसे मक्खन। ब्रेस्ट्स का क्लेवेज गहरा, लेहंगे की वजह से और उभरा हुआ। हाइट हील्स में 5'6" लग रही थी। मंगलसूत्र उसके गले में, सोने का, जो क्लेवेज के बीच में लटक रहा था, हर बार सांस लेते हुए हिल रहा था – सेक्सी लग रहा था, जैसे कोई चुंबक। चेहरा मेकअप से और निखरा, होंठ रेड लिपस्टिक से चमक रहे, आंखें स्मोकी। बाल जूड़े में, मांग में सिंदूर। हिप्स लेहंगे में राउंड शेप में, हर कदम पर हिलते। पूरी दुल्हन कयामत लग रही थी।
संजय शेरवानी में, गोल्डन एम्ब्रॉइडरी वाली, कद में लंबा लग रहा था। लेकिन सबकी नजरें पूजा पर। बाराती दे रहे थे, "भाई, तेरी तो लॉटरी लग गई! लंगूड़े के मुंह में अंगूर!"
संजय के दोस्त – राहुल, विक्की, अंकित – फुसफुसा रहे थे। राहुल ने कहा, "यार संजय, भाभी तो मस्त है! वो क्लेवेज देख, कैमरामैन तो जूम करके वीडियो बना रहा है। रात को हमारी बीवियां भी पूजा को सोचकर... समझ ना!" वे हंसे। विक्की बोला, "सच में, तेरी बीवी नहीं, अप्सरा है। मैं तो अपनी वाली को आज पूजा बनाकर चोदूंगा!"
कैमरामैन सच में जूम कर रहा था – पूजा के क्लेवेज पर, मंगलसूत्र पर, उसके हिप्स पर जब वह घूमती। सब मेहमान देख रहे थे, औरतें जल रही थीं, मर्दों की नजरें चिपकी। संजय गर्व से मुस्कुरा रहा था, लेकिन अंदर से जलन भी – उसकी पूजा, सबकी फैंटसी।
शादी के रस्में पूरी हुईं। फेरे लिए, सिंदूर डाला। अब सुहागरात का समय। कमरा सजा हुआ था, फूलों से, लाइट्स डिम। पूजा अंदर आई, घूंघट उठाया। संजय दरवाजा बंद किया। ठंड थी, लेकिन कमरे में हीटर जल रहा था। पूजा का चेहरा शर्मा रहा था, लेकिन आंखों में उत्सुकता। लेहंगा अभी भी पहना था, ब्लाउज से क्लेवेज उभरा हुआ।


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