10-11-2025, 06:43 PM
इस इलाके में राहुल की तीसरी घटना करीब दस महीने तब हुई जब वहाँ उस इलाके में एक पान की दुकान हुआ करती थी। जिसका दुकानदार पांडे, पान की आड़ में नशे का कारोबार किया करता था। उसकी पहुँच और पकड़ यह थी कि सब उससे डरते थे। लोग उधर से निकलते नहीं थे।
एक दिन आरोही शाम को कुछ सामान लेने गई थी।
तो वहाँ कुछ गुंडे टाइप के लड़के नशा करने के लिए खड़े रहते थे। वैसे तो सब लोग इस रास्ते से ना जाकर बगल के रास्ते से जाते थे। लेकिन आरोही फोन पर बात करते हुए गलती से इधर आ गई।
अब 23 साल की जवान खूबसूरत आरोही का जानलेवा फीगर वैसे ही बुड्ढों की वासना जगा दे। ऐसे में नशेड़ी आवारा लड़कों के लिए तो अकेली जवान औरत का मिल जाना तो शेर के मुँह में शिकार जैसा होता है।
तो अपनी धुन में चली जा रही आरोही के चूतड़ पर तड़ाक से जोरदार थप्पड़ पड़ा। थप्पड़ इतना तेज था की आरोही किसी तरह से गिरते-गिरते बचती है और फिर भी एक थैला और फोन गिर जाता है।
“क्या बद्तमीजी है” कहते हुए आरोही पलटती है।
“अरे मैडम आपकी गांड पर मच्छर बैठा था, काट लेता तो सूज जाती,” एक लड़का बोला जिसने थप्पड़ मारा था।
दूसरे ने कहा, “अबे साले इतनी जोर से थोड़े मारते हैं। मैडम की लाल हो गई होगी। लाइए मैं सहला देता हूँ।”
उसके ऐसा कहते ही आरोही डर गई और बोली, “ऐ दूर रहो, क्या बदतमीजी कर रहे हो।”
“अब इसमें क्या बदतमीजी है, इसकी गलती है तो भरपाई तो करनी पड़ेगी है। आइए इधर थूक लगाकर सहला देते हैं,” वह लड़का और उसका साथी हंसते हुए आगे बढ़ने लगा।
आरोही की तो मानो डर के मारे जान ही सूख गई। क्योंकि वहाँ चार-पांच लड़के भूखे भेड़िए की तरह उसे ही देखकर अपने ओंठों पर जुबान फेर रहे थे।
“अरे, क्यों मैडम को परेशान कर रहे हो?” पांडे पानवाले की आवाज आई।
“अरे चाचा, परेशान कौन कर रहा है। हम तो बस अपनी गलती की माफी चाहते हैं।” लड़कों ने हंसते हुए जवाब दिया और आरोही की ओर बढ़ने लगे।
आरोही तो डर के मारे बुत बन चुकी थी। उसे होश तो तब आया जब एक लड़का उसके बहुत करीब आकर उसकी गांड़ के एक हिस्से पर हाथ रख दिया। उसके ऐसा करते ही आरोही फौरन ही जैसे होश में आ गई। और सारी शक्ति बटोरकर उस लड़के को ढकेलकर वहाँ से दौड़ पड़ी।
उसके हाथ से सारा सामान वहीं गिरा रह गया। उसने भागते हुए आवाज सुनी, “अरे मैडम सूजी गांड़ लेकर इतना दौड़ोगी तो और दर्द होगा। आपके चूचियाँ भी उछल रही होंगी वह भी लाल हो गईं होंगी। आइए हम लोग अच्छे से चूसकर और चाटकर ठीक कर देंगे।” और इसी के साथ ठहाका गूंजा।
दशहत के साथ भागती हुई आरोही किसी तरह से कपाउंड तक पहुँची और गिर पड़ी, फिर उठी और दौड़कर घर की बिल्डिंग तक पहुँची। उसकी हालत उस कंपाउंड में कई लोगों ने देखा तो कुछ वहाँ खड़ी लड़कियों और महिलाओं ने दौड़कर उसे उठाया है। और उसे घर ले गईं।
घर में अमित और सुमित दोनों ही थे। घटना के समय आरोही, फोन पर अमित से ही बात कर रही थी। इसीलिए अमित को अंदाजा था कि कुछ तो बुरा हुआ है। बिल्डिंग की महिलाओं और अपनी सास और जेठानी के सामने, आरोही ने हकलाते हुए, घबराहट में और रोते हुए अपनी बात बताई।
सुमित और अमित को गुस्सा आ गया। जाहिर सी बात है आना ही है। दोनों ही सोसाइटी के लोगों के साथ वहाँ चल पड़े।
पान की दुकान पर वह सभी वैसे ही खड़े थे। और सब आरोही की ही चर्चा कर रहे थे। तैसे वहाँ सुमित आया और गुस्से से बोला, “किसने मेरी बीबी के साथ बेहूदगी की है।”
“तुम लोग खुद को समझते क्या हो, शरीफ लोगों का जीना हराम कर दिया है।”
सुमित की बात सुनकर एक लड़का बोला, “अच्छा तू ही है उस पटाखे का मालिक। सही है यार क्या किस्मत है तेरी।” बाकी सब हंसने लगे।
यह सारे नशे में थे और पूरी बेशर्मी से उल्टे सुमित का मजा लेने लगे। एक ने बोला, “देख यार, इतनी अच्छा रसगुल्ला तू तो रोज खाता है, थोड़ा रस हम भी ले लिए।”
सुमित एकदम गुस्से में आ गया, और उसने उस लड़के का कॉलर पकड़कर एक तमाचा मार दिया। और पान वाले पांडे से बोला, “आप यहाँ दुकान कर रहे हो, और इन लफंगों को जमा किए हो।”
तमाचा पड़ते ही बाकी सारे लड़के एकदम से सावधान हो गए, और उनकी आँखों में गुस्सा दिखने लगा। सब नशे में तो पहले से ही थे। एक ने आगे बढ़कर सुमित को पकड़ा और गुर्राकर बोला, “तूने मारा कैसे, बे?”
अमित और बाकी लोग आगे बढ़े और चिल्लाए, “एक तो गुंडई करते हो और फिर दादागिरी कर रहे हो?”
उस लड़के ने गन निकाल ली। और बोला, “आओ भोसड़ी वालों, देखता हूँ तुम लोगों की गांड़ में कितना गूदा है।”
फिर सब डर गए, और अमित की भी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। जिसे मार पड़ी थी, उसने तीन-चार झापड़ सुमित को जड़ दिए। और एक ने एक लात अमित को मारी।
और सुमित को पकड़े हुए बोला, “भोसड़ी के, हाँ उसकी गाड़ दबाई थी। अगली बार उसकी गांड़ यहीं नंगी करके मारेंगे।” यह सुनकर सुमित बिल्कुल सकते में आ गया था।
अमित ने पान वाले पांडे से जोर से कहा, जो यह सब देखकर मुस्कुरा रहा था, “आप यहीं दुकान चलाते हैं, और यहाँ यह हो रहा है। सिक्युरिटी बुलाइए।”
तो जिस लड़के ने सुमित को पकड़ रख था, वह बोला, “अबे चूतिए, तुझे क्या लगता है पांडे कोई शरीफ आदमी है। तेरी छमिया की गांड़ देखकर यही सबसे अधिक मचल रहा था। मौका मिलता तो यहीं दुकान में पेल देता, साली को।”
इस पर सब हंसने लगे और पांडे तो सबसे तेजी से हंसा और बोला, “भक्क बे, बदनाम ना करे। उ ऐसा है ना, मैडम इतनी कंटाप माल थी हीं, तो हम का कोई भी पेलने को तैयार हो जाता।”
अमित और सुमित का खून खौलने लगा, लेकिन दोनों और साथ के लोग भी गन देखकर डरे हुए थे। फिर उस लड़के ने जाने क्या सोचकर बोला, “चल बे जाने दे इसे, इतना अच्छी गांड़ रगड़ी है। उसके सदके में इसे जाने देते हैं।”
लड़कों ने उनको छोड़ दिया। और सुमित फिर से भिड़ना चहता था लेकिन बाकियों ने पकड़ा की गुंडों के मुँह ना लगो।
फिर जब वह जाने लगे तो लड़के चिढ़ाते हुए ताना कसा, “अबे इतनी जोर से अपनी बीबी को पेला कर। नहीं तो ऐसे गांडू की तरह रहेगा। तो हम लोगों को पेलना पड़ेगा। वैसे भेजता रहा कर इधर थोड़ा बहुत रगड़कर हम मजा लेते रहेंगे।”
अमित-सुमित खून का घूंट पीकर जाने लगे। और फिर दोनों ने सिक्युरिटी स्टेशन जाने का फैसला किया। वहाँ जाने पर क्या ही होना था। सिक्युरिटी से पहले ही उन लोगों की सेटिंग रहती थी।
सिक्युरिटी गई और पांडे को चेतावनी दे दी। यह अलग बात थी कि पांडे दारोगा को देखकर मुस्कुरा रहा था। और सुमित की ओर इशारा करके जाने क्या कहा कि दोनों हंसने लगे।
सुमित ने जब सिक्युरिटी वाले से कहा कि इनको गिरफ्तार क्यों नहीं किया। तो दारोगा ने कहा कि फिर तो मैडम को गवाही देनी होगी और उनका मेडिकल कराना होगा। यानी उलझन का डर दिखाया।
बदनामी और गंदे सवालों के डर से आरोही और परिधि ने भी मना कर दिया। किसी तरह से अपमान का घूंट पीकर यह परिवार पूरी रात जागता रहा। और आरोही तो रात भर रोती रही।
अब यह बात अगले दिन राहुल को मालूम हुई। तो वह शाम को आरोही के घर पहुँचा और वहाँ आरोही की आंखें सूजी और अपमान से जलती हुई मिलीं। राहुल यह सब देखकर, खड़ा हुआ और कड़ी आवाज में बोला “सुमित और अमित भईया कहाँ हैं।”
इंद्रावती ने बताया कि दोनों आफिस गए हैं। वैसे आरोही नहीं चाहती थी कि पति ऑफिस जाए लेकिन मजबूरी थी। लेकिन सामने कुछ नहीं बोली। अपमान में जल रही थी। राहुल के सामने रोने लगी।
राहुल ने बोला, “भाभी रोइए नहीं। शाम को आप सब तैयार रहिएगा। वहीं चलना है।”
आरोही, परिधि सब शॉक हो गए। इंद्रावती ने पूछा, “बेटा इतना हो जाने के बाद भी?”
“इतना हो जाने के बाद ही तो और जरूरी है,” राहुल बोला।
शाम को जब अमित सुमित आए तो उनको सारी बात मालूम पड़ी। अभी सब सोच ही रहे थे कि राहुल का फोन आया कि आप सब उस दिन के सभी लोगों को लेकर आठ बजे वहीं आइए। सुमित ने कुछ कहना चाहा, लेकिन राहुल ने पूरे दृढ़ विश्वास से कहा वहीं आइए। आगे सुमित कुछ बोल नहीं पाया।
इंद्रावती, परिधि, आरोही, सुमित, अमित और उस दिन के लोग, और आज किसी दुर्घटना से बचाने के लिए राहुल के खातिर तौहीद उसके दोस्त भी साथ चल दिए।
जब वह लोग रास्ते में थे, तो वहाँ राहुल का फोन आया पूछने के लिए कि आप लोग आ रहे हैं। तो सुमित ने कहा आ रहा हूँ।
और फिर सब जब डरते-डरते वहाँ पहुँचे तो नजारा एकदम शॉक्ड करने वाला था।
वह चारों पाँचो लड़के और पांडे बुरी हालत में थे सबके हाथ एक ही रस्सी में बंधे थे। और वहीं पांडे की गुमटी जल रही थी। और दारोगा के साथ सिक्युरिटी भी मौजूद थी। जो आंखे झुकाए सब देख रहा था।
आरोही का परिवार यह देखकर चौंक गया। राहुल ने आरोही से पूछा, “भाभी कौन था वह।” तो आरोही ने डरते हुए पांडे और उस लड़के की ओर इशारा किया।
राहुल ने कहा आप यहाँ आइए। आरोही बहुत डर रही थी। बाकी लोग भी सकते में थे। राहुल आगे आया और उसने आरोही का हाथ पकड़ा। और वहाँ लाया।हाथ पकड़ने पर आरोही को रिएक्ट करने की सोच ही नहीं जगी। क्योंकि उसका ध्यान तो उन गुड़ों पर था। और डर व शॉक बहुत था।
राहुल ने आरोही को डंडा थमाया और बोला, “जितना मार सकती हैं, उतना मारिए। और जिसे जहाँ मन हो वहाँ मारिए। मार डालना चाहें तो मार डालिए।”
वह सभी नशेड़ी और पांडे आरोही के सामने गिड़गिड़ाने और माफी मांगने लगे। आरोही को उनका गिड़गिड़ाना काफी सुकून दे रहा था। जिसको बयान नहीं कर सकती थी।
वैसे तो आरोही की घबराहट के मारे हालत खराब थी। राहुल ने जोर से आरोही को डांटा, “मारिए।” और सुमित को बोला, “आपको किसने गन दिखाई थी।”
सुमित ने उसकी ओर इशारा किया। तो राहुल ने पूछा, “क्यों बे गन कहाँ है?” उसकी तो हालत खराब थी। उसने कहा, “नहीं लाया।”
“क्यों नहीं लाया बे, गाँड़ में डाल ली है क्या” यह पहली बार था जब किसी ने राहुल के मुँह से गाली सुनी थी।
आरोही ने अभी तक नहीं मारा था। तो राहुल ने कहा, “मारिए या आप में इतनी भी हिम्मत नहीं है।”
राहुल के जोर से डांटने से दो दिन से अपमान में जल रही आरोही मानो पागल हो गई और सबको बुरी तरह से मारने लगी इतना मारा की अमित सुमित और परिधि को आकर रोकना पड़ा।
राहुल ने किसी को फोन किया था, तभी एक जीप आकर रूकी और उसमें से एक बड़ा गुंडा टाइप का शख्स उतरा और उसने पहले राहुल को सलाम किया और उसके हाथ में एक गन दी।
और उन सभी की ओर हिकारत से देखते हुए थूका, “और बोला, सालों भाई के नाम पर राहुल भाई से उलझने की हिम्मत कर दिए। अब भाई तुम सबको जिंदा तो नहीं छोड़ेगा।”
और राहुल से बोला, “राहुल भाई, भाई ने बोला है आपको जो करना है कर देना। बाकी लाश ठिकाने लगाने होगी तो हम देख लेंगे, क्यों बे दारोगा?”
दारोगा मिमियाता हुआ सा, “जी जग्गू भाई, जैसा आप और भाई कहें।”
और राहुल ने सुमित के हाथ में गन दी और बोला, “सुमित मार दो गोली।” सुमित की तो हिम्मत ही नहीं हुई गन पकड़ने की। सब शॉक में थे ही।
फिर परिधि अचानक से होश संभालते हुए बोली, “नहीं राहुल जी, इतना काफी है, खून खराबा अच्छा नहीं है। हम लोग इसमें नहीं पड़ेंगे।”
फिर राहुल ने गन वापस कर दी। और जग्गू व दारोगा को बता दिया। फिर सबके साथ वापस चल दिया। आज आरोही का आत्मसम्मान एकदम संतुष्ट था। वह मन ही मन राहुल की फैन हो गई थी। उसका मन एकदम हल्का हो गया था।
तौहीद और उसके दोस्तों ने तो पूरी कॉलोनी में राहुल की छवि किसी मसीहा किसी फरिश्ते सी बना दी। और सब एक तरह से सुरक्षित महसूस करते थे। और आरोही का पूरा परिवार तो अब बहुत दबता था।
अब से सब राहुल से डरते भी थे।
यह थी तीसरी घटना। लेकिन असली भाग्य का खेल तो इसके छह महीने बाद आरंभ हुआ।
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एक दिन आरोही शाम को कुछ सामान लेने गई थी।
तो वहाँ कुछ गुंडे टाइप के लड़के नशा करने के लिए खड़े रहते थे। वैसे तो सब लोग इस रास्ते से ना जाकर बगल के रास्ते से जाते थे। लेकिन आरोही फोन पर बात करते हुए गलती से इधर आ गई।
अब 23 साल की जवान खूबसूरत आरोही का जानलेवा फीगर वैसे ही बुड्ढों की वासना जगा दे। ऐसे में नशेड़ी आवारा लड़कों के लिए तो अकेली जवान औरत का मिल जाना तो शेर के मुँह में शिकार जैसा होता है।
तो अपनी धुन में चली जा रही आरोही के चूतड़ पर तड़ाक से जोरदार थप्पड़ पड़ा। थप्पड़ इतना तेज था की आरोही किसी तरह से गिरते-गिरते बचती है और फिर भी एक थैला और फोन गिर जाता है।
“क्या बद्तमीजी है” कहते हुए आरोही पलटती है।
“अरे मैडम आपकी गांड पर मच्छर बैठा था, काट लेता तो सूज जाती,” एक लड़का बोला जिसने थप्पड़ मारा था।
दूसरे ने कहा, “अबे साले इतनी जोर से थोड़े मारते हैं। मैडम की लाल हो गई होगी। लाइए मैं सहला देता हूँ।”
उसके ऐसा कहते ही आरोही डर गई और बोली, “ऐ दूर रहो, क्या बदतमीजी कर रहे हो।”
“अब इसमें क्या बदतमीजी है, इसकी गलती है तो भरपाई तो करनी पड़ेगी है। आइए इधर थूक लगाकर सहला देते हैं,” वह लड़का और उसका साथी हंसते हुए आगे बढ़ने लगा।
आरोही की तो मानो डर के मारे जान ही सूख गई। क्योंकि वहाँ चार-पांच लड़के भूखे भेड़िए की तरह उसे ही देखकर अपने ओंठों पर जुबान फेर रहे थे।
“अरे, क्यों मैडम को परेशान कर रहे हो?” पांडे पानवाले की आवाज आई।
“अरे चाचा, परेशान कौन कर रहा है। हम तो बस अपनी गलती की माफी चाहते हैं।” लड़कों ने हंसते हुए जवाब दिया और आरोही की ओर बढ़ने लगे।
आरोही तो डर के मारे बुत बन चुकी थी। उसे होश तो तब आया जब एक लड़का उसके बहुत करीब आकर उसकी गांड़ के एक हिस्से पर हाथ रख दिया। उसके ऐसा करते ही आरोही फौरन ही जैसे होश में आ गई। और सारी शक्ति बटोरकर उस लड़के को ढकेलकर वहाँ से दौड़ पड़ी।
उसके हाथ से सारा सामान वहीं गिरा रह गया। उसने भागते हुए आवाज सुनी, “अरे मैडम सूजी गांड़ लेकर इतना दौड़ोगी तो और दर्द होगा। आपके चूचियाँ भी उछल रही होंगी वह भी लाल हो गईं होंगी। आइए हम लोग अच्छे से चूसकर और चाटकर ठीक कर देंगे।” और इसी के साथ ठहाका गूंजा।
दशहत के साथ भागती हुई आरोही किसी तरह से कपाउंड तक पहुँची और गिर पड़ी, फिर उठी और दौड़कर घर की बिल्डिंग तक पहुँची। उसकी हालत उस कंपाउंड में कई लोगों ने देखा तो कुछ वहाँ खड़ी लड़कियों और महिलाओं ने दौड़कर उसे उठाया है। और उसे घर ले गईं।
घर में अमित और सुमित दोनों ही थे। घटना के समय आरोही, फोन पर अमित से ही बात कर रही थी। इसीलिए अमित को अंदाजा था कि कुछ तो बुरा हुआ है। बिल्डिंग की महिलाओं और अपनी सास और जेठानी के सामने, आरोही ने हकलाते हुए, घबराहट में और रोते हुए अपनी बात बताई।
सुमित और अमित को गुस्सा आ गया। जाहिर सी बात है आना ही है। दोनों ही सोसाइटी के लोगों के साथ वहाँ चल पड़े।
पान की दुकान पर वह सभी वैसे ही खड़े थे। और सब आरोही की ही चर्चा कर रहे थे। तैसे वहाँ सुमित आया और गुस्से से बोला, “किसने मेरी बीबी के साथ बेहूदगी की है।”
“तुम लोग खुद को समझते क्या हो, शरीफ लोगों का जीना हराम कर दिया है।”
सुमित की बात सुनकर एक लड़का बोला, “अच्छा तू ही है उस पटाखे का मालिक। सही है यार क्या किस्मत है तेरी।” बाकी सब हंसने लगे।
यह सारे नशे में थे और पूरी बेशर्मी से उल्टे सुमित का मजा लेने लगे। एक ने बोला, “देख यार, इतनी अच्छा रसगुल्ला तू तो रोज खाता है, थोड़ा रस हम भी ले लिए।”
सुमित एकदम गुस्से में आ गया, और उसने उस लड़के का कॉलर पकड़कर एक तमाचा मार दिया। और पान वाले पांडे से बोला, “आप यहाँ दुकान कर रहे हो, और इन लफंगों को जमा किए हो।”
तमाचा पड़ते ही बाकी सारे लड़के एकदम से सावधान हो गए, और उनकी आँखों में गुस्सा दिखने लगा। सब नशे में तो पहले से ही थे। एक ने आगे बढ़कर सुमित को पकड़ा और गुर्राकर बोला, “तूने मारा कैसे, बे?”
अमित और बाकी लोग आगे बढ़े और चिल्लाए, “एक तो गुंडई करते हो और फिर दादागिरी कर रहे हो?”
उस लड़के ने गन निकाल ली। और बोला, “आओ भोसड़ी वालों, देखता हूँ तुम लोगों की गांड़ में कितना गूदा है।”
फिर सब डर गए, और अमित की भी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। जिसे मार पड़ी थी, उसने तीन-चार झापड़ सुमित को जड़ दिए। और एक ने एक लात अमित को मारी।
और सुमित को पकड़े हुए बोला, “भोसड़ी के, हाँ उसकी गाड़ दबाई थी। अगली बार उसकी गांड़ यहीं नंगी करके मारेंगे।” यह सुनकर सुमित बिल्कुल सकते में आ गया था।
अमित ने पान वाले पांडे से जोर से कहा, जो यह सब देखकर मुस्कुरा रहा था, “आप यहीं दुकान चलाते हैं, और यहाँ यह हो रहा है। सिक्युरिटी बुलाइए।”
तो जिस लड़के ने सुमित को पकड़ रख था, वह बोला, “अबे चूतिए, तुझे क्या लगता है पांडे कोई शरीफ आदमी है। तेरी छमिया की गांड़ देखकर यही सबसे अधिक मचल रहा था। मौका मिलता तो यहीं दुकान में पेल देता, साली को।”
इस पर सब हंसने लगे और पांडे तो सबसे तेजी से हंसा और बोला, “भक्क बे, बदनाम ना करे। उ ऐसा है ना, मैडम इतनी कंटाप माल थी हीं, तो हम का कोई भी पेलने को तैयार हो जाता।”
अमित और सुमित का खून खौलने लगा, लेकिन दोनों और साथ के लोग भी गन देखकर डरे हुए थे। फिर उस लड़के ने जाने क्या सोचकर बोला, “चल बे जाने दे इसे, इतना अच्छी गांड़ रगड़ी है। उसके सदके में इसे जाने देते हैं।”
लड़कों ने उनको छोड़ दिया। और सुमित फिर से भिड़ना चहता था लेकिन बाकियों ने पकड़ा की गुंडों के मुँह ना लगो।
फिर जब वह जाने लगे तो लड़के चिढ़ाते हुए ताना कसा, “अबे इतनी जोर से अपनी बीबी को पेला कर। नहीं तो ऐसे गांडू की तरह रहेगा। तो हम लोगों को पेलना पड़ेगा। वैसे भेजता रहा कर इधर थोड़ा बहुत रगड़कर हम मजा लेते रहेंगे।”
अमित-सुमित खून का घूंट पीकर जाने लगे। और फिर दोनों ने सिक्युरिटी स्टेशन जाने का फैसला किया। वहाँ जाने पर क्या ही होना था। सिक्युरिटी से पहले ही उन लोगों की सेटिंग रहती थी।
सिक्युरिटी गई और पांडे को चेतावनी दे दी। यह अलग बात थी कि पांडे दारोगा को देखकर मुस्कुरा रहा था। और सुमित की ओर इशारा करके जाने क्या कहा कि दोनों हंसने लगे।
सुमित ने जब सिक्युरिटी वाले से कहा कि इनको गिरफ्तार क्यों नहीं किया। तो दारोगा ने कहा कि फिर तो मैडम को गवाही देनी होगी और उनका मेडिकल कराना होगा। यानी उलझन का डर दिखाया।
बदनामी और गंदे सवालों के डर से आरोही और परिधि ने भी मना कर दिया। किसी तरह से अपमान का घूंट पीकर यह परिवार पूरी रात जागता रहा। और आरोही तो रात भर रोती रही।
अब यह बात अगले दिन राहुल को मालूम हुई। तो वह शाम को आरोही के घर पहुँचा और वहाँ आरोही की आंखें सूजी और अपमान से जलती हुई मिलीं। राहुल यह सब देखकर, खड़ा हुआ और कड़ी आवाज में बोला “सुमित और अमित भईया कहाँ हैं।”
इंद्रावती ने बताया कि दोनों आफिस गए हैं। वैसे आरोही नहीं चाहती थी कि पति ऑफिस जाए लेकिन मजबूरी थी। लेकिन सामने कुछ नहीं बोली। अपमान में जल रही थी। राहुल के सामने रोने लगी।
राहुल ने बोला, “भाभी रोइए नहीं। शाम को आप सब तैयार रहिएगा। वहीं चलना है।”
आरोही, परिधि सब शॉक हो गए। इंद्रावती ने पूछा, “बेटा इतना हो जाने के बाद भी?”
“इतना हो जाने के बाद ही तो और जरूरी है,” राहुल बोला।
शाम को जब अमित सुमित आए तो उनको सारी बात मालूम पड़ी। अभी सब सोच ही रहे थे कि राहुल का फोन आया कि आप सब उस दिन के सभी लोगों को लेकर आठ बजे वहीं आइए। सुमित ने कुछ कहना चाहा, लेकिन राहुल ने पूरे दृढ़ विश्वास से कहा वहीं आइए। आगे सुमित कुछ बोल नहीं पाया।
इंद्रावती, परिधि, आरोही, सुमित, अमित और उस दिन के लोग, और आज किसी दुर्घटना से बचाने के लिए राहुल के खातिर तौहीद उसके दोस्त भी साथ चल दिए।
जब वह लोग रास्ते में थे, तो वहाँ राहुल का फोन आया पूछने के लिए कि आप लोग आ रहे हैं। तो सुमित ने कहा आ रहा हूँ।
और फिर सब जब डरते-डरते वहाँ पहुँचे तो नजारा एकदम शॉक्ड करने वाला था।
वह चारों पाँचो लड़के और पांडे बुरी हालत में थे सबके हाथ एक ही रस्सी में बंधे थे। और वहीं पांडे की गुमटी जल रही थी। और दारोगा के साथ सिक्युरिटी भी मौजूद थी। जो आंखे झुकाए सब देख रहा था।
आरोही का परिवार यह देखकर चौंक गया। राहुल ने आरोही से पूछा, “भाभी कौन था वह।” तो आरोही ने डरते हुए पांडे और उस लड़के की ओर इशारा किया।
राहुल ने कहा आप यहाँ आइए। आरोही बहुत डर रही थी। बाकी लोग भी सकते में थे। राहुल आगे आया और उसने आरोही का हाथ पकड़ा। और वहाँ लाया।हाथ पकड़ने पर आरोही को रिएक्ट करने की सोच ही नहीं जगी। क्योंकि उसका ध्यान तो उन गुड़ों पर था। और डर व शॉक बहुत था।
राहुल ने आरोही को डंडा थमाया और बोला, “जितना मार सकती हैं, उतना मारिए। और जिसे जहाँ मन हो वहाँ मारिए। मार डालना चाहें तो मार डालिए।”
वह सभी नशेड़ी और पांडे आरोही के सामने गिड़गिड़ाने और माफी मांगने लगे। आरोही को उनका गिड़गिड़ाना काफी सुकून दे रहा था। जिसको बयान नहीं कर सकती थी।
वैसे तो आरोही की घबराहट के मारे हालत खराब थी। राहुल ने जोर से आरोही को डांटा, “मारिए।” और सुमित को बोला, “आपको किसने गन दिखाई थी।”
सुमित ने उसकी ओर इशारा किया। तो राहुल ने पूछा, “क्यों बे गन कहाँ है?” उसकी तो हालत खराब थी। उसने कहा, “नहीं लाया।”
“क्यों नहीं लाया बे, गाँड़ में डाल ली है क्या” यह पहली बार था जब किसी ने राहुल के मुँह से गाली सुनी थी।
आरोही ने अभी तक नहीं मारा था। तो राहुल ने कहा, “मारिए या आप में इतनी भी हिम्मत नहीं है।”
राहुल के जोर से डांटने से दो दिन से अपमान में जल रही आरोही मानो पागल हो गई और सबको बुरी तरह से मारने लगी इतना मारा की अमित सुमित और परिधि को आकर रोकना पड़ा।
राहुल ने किसी को फोन किया था, तभी एक जीप आकर रूकी और उसमें से एक बड़ा गुंडा टाइप का शख्स उतरा और उसने पहले राहुल को सलाम किया और उसके हाथ में एक गन दी।
और उन सभी की ओर हिकारत से देखते हुए थूका, “और बोला, सालों भाई के नाम पर राहुल भाई से उलझने की हिम्मत कर दिए। अब भाई तुम सबको जिंदा तो नहीं छोड़ेगा।”
और राहुल से बोला, “राहुल भाई, भाई ने बोला है आपको जो करना है कर देना। बाकी लाश ठिकाने लगाने होगी तो हम देख लेंगे, क्यों बे दारोगा?”
दारोगा मिमियाता हुआ सा, “जी जग्गू भाई, जैसा आप और भाई कहें।”
और राहुल ने सुमित के हाथ में गन दी और बोला, “सुमित मार दो गोली।” सुमित की तो हिम्मत ही नहीं हुई गन पकड़ने की। सब शॉक में थे ही।
फिर परिधि अचानक से होश संभालते हुए बोली, “नहीं राहुल जी, इतना काफी है, खून खराबा अच्छा नहीं है। हम लोग इसमें नहीं पड़ेंगे।”
फिर राहुल ने गन वापस कर दी। और जग्गू व दारोगा को बता दिया। फिर सबके साथ वापस चल दिया। आज आरोही का आत्मसम्मान एकदम संतुष्ट था। वह मन ही मन राहुल की फैन हो गई थी। उसका मन एकदम हल्का हो गया था।
तौहीद और उसके दोस्तों ने तो पूरी कॉलोनी में राहुल की छवि किसी मसीहा किसी फरिश्ते सी बना दी। और सब एक तरह से सुरक्षित महसूस करते थे। और आरोही का पूरा परिवार तो अब बहुत दबता था।
अब से सब राहुल से डरते भी थे।
यह थी तीसरी घटना। लेकिन असली भाग्य का खेल तो इसके छह महीने बाद आरंभ हुआ।
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