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Adultery Payal Ghosh - innocent wife
#12
Update 1 ..... अनजान यात्री.....

जून- जुलाई गर्मियों का मौसम था, और उस दिन दोपहर का समय था। सूरज अपनी पूरी ताकत से चमक रहा था, और गली में सन्नाटा छाया हुआ था। रोहित सुबह ही ऑफिस चला गया था, और पायल घर में अकेली थी, अपने रोज़मर्रा के काम निपटा रही थी। दोपहर को उसके मोबाइल का रिंगटोन बजा जब उसने मोबाइल में देखा तो उसके ससुराल से फोन आया था उसने फोन रिसीव किया उधर से उसकी सास मां ( मीना घोष ) की आवाज आई :-

मीना घोष - हेलो कैसी हो बहूं ?‌ और मेरा पोता दीप कहां है ?
पायल - नमस्ते मम्मी जी में तो ठीक हुं मम्मी जी और आपका पोता दोपहर का खाना खा कर सो रहा है .
मीना घोष - तुम्हें एक सुचना देनी थी इसलिए फोन किया था
पायल - जी मम्मी जी। कैसी सुचना ?

मीना घोष - वो तुम्हारी ननंद कोमल की सगाई तैय हो गई है?
पायल - सगाई कब है मम्मी जी?
मीना घोष - इसी महीने को 10 तारीख को। रोहित कहां है?
पायल - जी मम्मी जी । वह तो ओफिस गये हुए हैं ?

मीना घोष - अच्छा ठीक है रोहित जब ओफिस से आये तो बोलना फ़ोन करे । अच्छा अब हम फोन रखते है।
पायल - जी मम्मी जी नमस्ते। ( ओर फोन दुसरी तरफ से कट गया )
शाम को रोहित ओफिस से आया , पायल ने उससे सारी बात बताई, रोहित ने मां ( मीना घोष ) को फोन किया और बात की । इधर पायल किचन में रात का खाना पकाने की तैयारी करने लगी। थोड़ी देर में खाना बन कर तैयार हो गया । फिर उन दोनों ने खाना खाया और सोने चले गए।
दोनों बिछावन पर लेटे थे पायल ने कहा -

पायल - मम्मी ( मीना घोष ) जी से क्या बात हुई।
रोहित - मम्मी ने हमें दोनों को 5 दिन पहले बुलाया है। क्यों कि सगाई की तैयारी करनी है लेकिन ?
पायल - लेकिन?
रोहित - लेकिन मैंने मां ( मीना घोष ) से कहा मैं तो सगाई वाले दिन आऊंगा मगर पायल 5 दिन पहले पहुंचेगी। क्यों कि यहां ओफिस में कुछ कर्मचारियों की कमी के कारण से में पहले नहीं आ पाऊंगा।

( पायल के चेहरे पर एक उदासी सी छा गई )

अगली सुबह.....

शनिवार का दिन है रोहित तैयार होकर ओफिस चला गया लेकिन दोपहर तक वापस आ गया। दोपहर को वह वापस आया और थोड़ी देर आराम करने के बाद पायल से बोला " आने वाली बुधवार की शाम को तुम्हारी ट्रेन का टिकट है जो रांची से साहेबगंज तक का है तुम्हारी सीट फर्स्ट एसी कोच में है। 
शाम को पायल सुसराल जाने से पहले कुछ शॉपिंग करना चाहती थी तो रोहित ने पायल को शाम को कुछ शॉपिंग करवाया ।

बुधवार की सुबह.....

बुधवार को रोहित ने ओफिस से छुट्टी ले ली और शाम को वह नियत समय पर रांची स्टेशन पर पहुँचा, तो आस-पास हलचल मची हुई थी। साहेबगंज के लिए वहीं से सीधे ट्रेन थी चार घंटे की लम्बी इंतजार के बाद रात्रि 7:10 बजे रांची स्टेशन पर ट्रेन आई ।

पायल और रोहित दोनों ने अपने सामने लेकर फर्स्ट एसी कोच में केविन में पहुंचीं । उनके केविन में केवल दो सीटें थीं नीचे वाला पायल का था और किसी और यात्री का था। पायल और रोहित ने मिलकर सारा सामान एडजस्ट किया और रोहित ट्रेन खुलने से पहले बोगी से बाहर आया । 10 मिनट बाद ट्रेन चल पड़ी। पायल अपने केविन में आकर सीट पर बैठे मोबाइल में कुछ देखने लगी । ट्रेन 2 घंटे की लम्बी दूरी तय कर एक स्टेशन पर रूकी। पायल ने केविन के खिड़की से बाहर देखा तो बोकारो स्टील स्टेशन लगा रहा था फिर उसकी नजर दीप पर पड़ी जो दुध पीकर गहरी नींद में सो रहा था तब पायल ने मोबाइल में समय तो रात्रि के 9:10 बजे थे ।

तभी पायल ने देखा उसकी केविन में एक बेहद खूबसूरत लड़का , जिसकी उम्र लगभग 24 साल रहा होगा घुसा। लड़के ने हल्के गुलाबी रंग का टी शर्ट पहना हुआ था। केविन के नाइट बल्ब में उसका चेहरा साफ-साफ दिखाई दे रहा था। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें और हल्की मुस्कान पायल को अपनी ओर खींच रही थीं। और लड़का ऊपर की सीट पर जाने के लिए थोड़ा परेशान दिख रहा था। पायल ने देखा कि वह बार-बार अपने बैग की ओर देखकर कुछ सोच रहा था। पायल ने अपनी सीट के कोने में बैठी हुई थी लड़के को नोटिस किये जा रही थी । वह सोच रही थी कि कैसे बातचीत शुरू की जाए।

थोड़ी देर बाद पायल ने झिझकते हुए लड़के से कहा, “क्या आप मेरे लिए एक पानी की बोतल ला सकते हैं? मेरा बैग सीट के अंदर चला गया है , और मुझे पैसे निकालने में थोड़ी परेशानी हो रही है।” उस लड़के ने बिना देर किए कहा, “कोई बात नहीं। मैं अभी लेकर आता हूँ।”
लड़का स्टेशन पर गया और पानी की बोतल लेकर वापस आया। पायल ने मुस्कुराकर कहा, “थैंक यू।” उसकी मुस्कान लड़के के दिल में गहरी छाप छोड़ गई।
इसके बाद दोनों के बीच ज्यादा बातचीत नहीं हुई। लड़का अपनी सीट पर बैठा रहा और पायल मोबाइल से रोहित से हल्की-हल्की बातें कर रही थी ( दरअसल वह ट्रेन चलने का इंतजार कर रही थी ) ट्रेन चलने लगी। कुछ देर बाद पायल ने लड़के से कहा, “अगर आप नीचे की सीट पर आना चाहते हैं तो आप आ सकते हैं ,। मेरे साथ मेरा बेटा है। आप चाहें तो सोने से पहले तक यहीं बैठ सकते हैं।”

लड़के ने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा, ओके। ”

पायल ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा, “थैंक यू। वैसे आप कहां जा रहे हैं?”

लड़के ने जवाब दिया, “ में पाकुड़ जा रहा अपने घर ”

पायल ने कहा, “मैं साहेबगंज जा रही हूँ। मेरे रिश्तेदारों के घर । मेरे पति रेलवे में ही काम करते हैं, लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिली, इसलिए मैं अपने बेटे के साथ अकेली आ रही हूँ।”

बातचीत के दौरान पायल को पता नहीं चला कब रात के 10 बज चुके थे। 

ट्रेन की लाइट्स धीमी हो गई थीं, और आसपास का माहौल थोड़ा शांत हो गया था। अजय ने अपना बैग खोला और अपना खाना निकाली।

पायल ने भी अपने बैग से खाना निकाला। उसने थोड़ा खाना एक प्लेट में डालकर उस लड़के की ओर बढ़ाया।
लड़के ने कहा, “नहीं-नहीं, मैं अपना खाना लाया हूँ।”
पायल ने मुस्कुराते हुए कहा, “ लीजिए ना । संकोच मत कीजिए।”
पायल अब हल्की-हल्की मुस्कुरा रही थी। उसकी आंखों में हल्की चमक थी, जो उस लड़के को और ज्यादा आकर्षित कर रही थी।

पायल ने लड़के की ओर देखते हुए कहा, “आप मुझे बार-बार घूर रहे हैं। क्या देख रहे हैं?”
लड़का थोड़ा घबरा गया। उसने जवाब में कहा, “कुछ नहीं, बस ऐसे ही।”
पायल ने हल्की हंसी के साथ कहा, “नहीं, सच बताइए। आप घबरा क्यों रहे हैं?”
लड़के ने धीरे से कहा, “मैंने ऐसा कुछ नहीं किया।”
पायल ने उसे छेड़ते हुए कहा, “डरो मत। अगर आपको देखना है, तो खुलकर देखिए। मुझे कोई दिक्कत नहीं है।”
यह सुनकर लड़का थोड़ा हैरान हुआ।
तभी पायल ने उसके चहरे पर हैरान देकर कहा - अरे मैं तो मजाक कर रही थी आप इतना हैरान क्यों हो रहें हैं तब जाकर लड़के के चेहरे से हैरान दुर हुई। 

तबतक उन दोनों का खाना खाया हो गया था अब वह मोबाइल में गेम खेल रहा था, और मैं सांग्स सुनने लगी, उसके बाद मैंने एक नावेल निकाली और गाना सुनते सुनते नावेल भी पढ़ने लगी, बाल बार - बार मेरे सामने आ जाते थे उससे मैं झटक के पीछे कर रही थी, और सामने बैठा अजय मुझे तिरछी निगाहों से घूर रहा था,

उसके बाद मैंने अपना कंबल निकाली तो वो बोला मैं ऊपर चला जाता हु अगर आपको आराम करना है तो, ये सीट तो आपकी है, तो मैं बोल पड़ी नहीं नहीं कोई बात ओके, उसने थैंक्स बोला और मैंने एक स्माइल दी, फिर मैंने कहा तुम भी अपना पैर ढक लो, फिर स्टार्ट हुआ बातचीत का सिलसिला, थोड़े देर बाद वह चादर के अंदर मेरे पैर को टच करने लगा, मैंने उस चीज को इनगोर कर दिया , वो फिर मेरे पैर को अपने पैर से दबाने लगा और अपने नशीली आँखे मुझे घुरे जा रहा था और ऐसे भी कई दिनों से मैं एक दमदार चुदाई चाहती थी इसलिए अपने इस सफर को चुदाई का सफर बनाना चाह रही थी, मैंने उठी और बाथरूम में गई, उधर से आई तो मैं अपने कपड़े चेंज कर आई और मैंने नाईट सूट पहन लिया ।

मैं वापस केविन में आई और फिर चादर ओढ़ ली और उसको भी ऑफर किया की तुम भी ठीक से ओढ़ लो, फिर क्या था उसने अपना पैर फैला दिया, मैंने अपने पैर को उसके पैर के दोनों साइड कर ली अब उसकी पहुंच पैर की पहुंच मेरी गान्ड के पास थी अब उसने अपना पैर का अंगूठा मेरे गांड़ पर रगड़ना चालू किया , मैं सिहर गयी, ऐसे में मेरे चूत से पानी निकलने लगा और रात भी हो गई थी, धनबाद स्टेशन आ गया, मैंने लेट गयी वह वही बैठकर अपने पैर की उंगली को गांड़ पर रगड़ते रगड़ते हुए मेरे चूत तक ले पहुंचा, अब मैंने भी उसके लंड को पैर की उंगली से सहला रही थी और वह अपना उंगली मेरे चूत को कपड़े के उपर रगड़ रहा था, मेरे चूत के आसपास का एरिया फिसलन भरा हो गया था चूत के पानी से मेरे चूत का बाल भी चिपक गया था, अब उसका अंगूठा मेरी चूत के दरार में जाने लगा था । 

उस बोगी में काफी सन्नाटा छा चुका था , ट्रैन रात के अंधरे को चीरती हुई आगे निकल रही थी, मैं पूरी तरह से गरम हो गई थी, वह लड़का अब बार बार अपना पैर की उंगली से मेरी चूत को भींच रहा था और एक वक्त ऐसी आया कि मैं खुद उसके ऊपर चढ़ गई और उसको होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी वह भी अपनी मजबूत बाँहों में मुझे जकड़ लिया था और अब मैं उसमें पुरी तरह समा जाना चाहती थी, उसने अपना कपड़ा खोला और मेरी भी कपड़ा उतार दिया और मेरे चादर में आ गया मैं उसके नीचे हो गई। वह मेरे ऊपर सवार था अब उसने बिना देर किए उसने मेरे कंधे को पकड़ा और मेरे दोनों पैरों को अलग किया और बीच में आ गया और अपना मोटा लंड पे हल्का थुक लगाकर करीब एक झटके में मेरे चूत में आधा लंड घुसा दिया, मैं दर्द से परेशान थी, पर एक अजीब सा सुकून था, मेरे शरीर में वासना की आग लग चुकी थी, वह मेरी चूचियों को मसलते जा रहा था और जोर जोर से धक्का लगा रहा था

मेरे मुंह से सिर्फ हाय... हाय.... हाय... की आवाज निकल रही थी और उसके चुदाई करने के तरीके से लग रहा था कि वह बहुत बड़ा चदुकर हो , इस दौरान मैं 3 बार झड़ चुकी थी, पर पता नहीं उसके अंदर इतनी स्टेमना कहा से आ रही थी वह लगातार चोदे जा रहा था अचानक वह मुझे कसके जकड़ लिया और एक लम्बी सी आह.... ली और उफ्फ्फ्फ्फ़.... आआआआ..... ऊऊऊओह्ह्ह्ह्ह.... करके लंड का सारा वीर्य मेरे चूत में छोड़ दिया.

हम दोनों एक - दूसरे के उपर लेटे थे और एक - दूसरे को सहलाते हुए बात करने लगे, वह नीचे ही मेरे साथ सीट पर लेटा रहा बोकारो स्टील से पाकुड़ तक और रातभर चुदाई करते रहे । मुझे याद है अंडाल स्टेशन पर गाड़ी का 20 मिनट का स्टॉप था। तो वह 20 मिनट तक मेरी चुदाई को विराम देकर बैठ गया। मैं सीट के एक कोने में बैठ थी।
मैं कुछ समय बाद बोली- मुझे पानी पीना है एक पानी की बोतल ला दीजिए।
तो उसने कहा- कोई बात नहीं! मैं पानी की बोतल लेकर आया हूं । इसके अतिरिक्त हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई। मेरी हालत खराब हो रही थी क्योंकि हम दोनों एकदम नंगे थे। फिर 20 मिनट बाद ट्रेन चल दी।
अब वह मेरे पास सीट पर लेट गया और 69 की पोजिशन में आ गया। उसने अपना लंड लोलीपॉप की तरह मेरी मुंह में डालकर चूसने को कहा और मैं चूस रही थी और वह मेरी चूत में अपनी जीभ डालकर उसके अंदर के दाने को रगड़ रहा था। तभी उसने कहा ' तुम्हारी चूत किसी कुंवारी लड़की की तरह है बहुत टाइट है। '

मैं सिसकारी भरते हुए उम्... उम् .....की आवाज कर रही थी पर उसके मुंह से कोई आवाज नहीं आ रही थी क्योंकि वह मेरे चूत चाटने में लगा हुआ था । इधर वह मेरे चिकनी चूत का रस पान करना चाह रहा था। मैंने एक जोरदार अंगड़ाई ली और एकदम से झड़ गई।

उसने मेरे चूत की नमकीन पानी चाट लिया। मैं उसका लंड मुंह में लेकर अंदर बाहर कर रही थी। गप.... गप … फच... फच... की आवाज आ रही थी। झटके मारते मारते वह मेरे मुंह में झड़ गया और ठंडा पड़ गया। मैं उठी और कपड़े पहन कर बाथरूम में चली गई। चूंकि तब रात्रि का समय था तो कोई नहीं था आज गर्मी भी काफी ज्यादा थी इस वजह से पसीने आ रही थी। मैं बाथरूम से केविन में आते ही अपने कपड़े उतारे और केविन में लगे पंखे और एसी के वजह से पसीने सुख गऐ और कुछ देर बाद मैं सीट पर टांगें फैलाकर पसर गई। जब मैं सीट पर लेटी हुई थी मेरी नज़र उसके लंड पर पड़ी जो बिल्कुल तनी और सीधी हुई थी मुझे लगा शायद मेरी चूत के दर्शन करते ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गई है। उसने फिर मुझे अपनी बांहों में ले लिया और चूमने लगा . मुझे बहुत मजा आ रहा था . अब उसने मुझे चुदाई के लिए तैयार होने को कहा.

उसने अब मेरी टांगें फैलाकर अपना लंड मेरी चूत के मुंह पर रखकर और मुझसे प्यारी प्यारी बातें करने लगा जैसे ही मेरा ध्यान उसकी बातों में लग गया धीरे से उसने अपने लौड़े को अंदर दबा दिया. उसका लंड तीन इंच भी मेरी चूत के अंदर नहीं गया होगा कि मेरी मुंह से चीख निकल गई। मैं मना करने लगी तभी वह थोड़ी देर रुक गया और उसने मेरी चूचियों को दबाने लगा और निप्पल चूसने लगा। कुछ देर बाद मैं सिसकियां लेने लगी। जब उसने मुझे सिसकारियां लेते देखा तो उसने एक जोर से झटका दिया, उसका पूरा लंड फच से मेरी चूत की दरार को फाड़ता हुआ अंदर तक घुस गया। मैं जोर से चीखी- उई मां … मर गई।

मैं बार-बार चीखी- इसे बाहर निकालो … मैं मर जाऊंगी। बहुत दर्द हो रहा है. तब वह थोड़ी देर रुका और उसके होंठों को चूसने लगा। कुछ देर होंठों को चूसने के बाद उसने धीरे से अपना लंड बाहर निकाला फिर धीरे से हल्का झटका दिया। और फच से लंड पुनः चूत के अंदर चला गया।

अब वह मेरी चूत में लंड अंदर बाहर कर रहा था। मैं भी आह... ओह... हय … उई ....ओ... ओ... ई... इ... करते हुए अपनी कमर उठा उठा कर साथ देने लगी। उसका लंड मेरी चूत में पिस्टल की तरह अंदर बाहर हो रहा था। उसके लंड के जोरदार झटके से मेरी बच्चे दानी के मुंह तक ठोकर लग रही थे।

मैं भी पूरे मजे से चुदाई करवा रही थी… और मैं कह रही थी और जोर से चोदो मेरे राजा … आज मेरी प्यास बुझा दो।
कहते कहते इस दौरान दो बार झड़ गई. पर उसका अभी भी नहीं निकला था । वह थक चुका था। अचानक उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जल्दी जल्दी झटके मारते हुए वह झड़कर मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गया। सेक्स का मजा लेते लेते रात के 02 बज चुके थे. थोड़ी देर बाद वह उठा और ऊपर जाकर सीट पर लेट गया.

मैं साहेबगंज ट्रेन पहुँचने से आधे घण्टे पहले का अलार्म लगा रखी थी मैंने फोन में! सुबह के 5: 31 पर अलार्म बजा ।अलार्म बजा तो मेरी नींद खुली. साहेबगंज आने वाला था। मैंने अपने बेटे दीप को जगाया और मैंने अपने कपड़े ठीक किए। 6:11 बजे स्टेशन पर ट्रेन रुकी. मेरे बड़े जेठ जी लेने आए थे स्टेशन और उनके साथ घर चली गईं।
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Payal Ghosh - innocent wife - by Dhamakaindia108 - 04-11-2025, 11:34 AM
RE: - by Dhamakaindia108 - 05-11-2025, 10:19 PM
RE: payal Ghosh- a innocent wife - by Dhamakaindia108 - 08-11-2025, 06:59 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Aasthajun - 20-11-2025, 08:07 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by sushilt20 - 21-11-2025, 05:19 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by dragonslair - 30-11-2025, 08:11 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Puja3567853 - 30-11-2025, 02:54 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Puja3567853 - 30-11-2025, 02:55 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by exbiixossip2 - 01-12-2025, 04:08 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by dragonslair - 01-12-2025, 07:08 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by sushilt20 - 05-12-2025, 04:48 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by dragonslair - 12-12-2025, 08:20 AM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Puja3567853 - 16-12-2025, 01:52 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by blackdesk - 16-12-2025, 04:24 PM
RE: Payal Ghosh - innocent wife - by Jetstream - 16-12-2025, 04:51 PM



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