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Thriller BHOOT BANGLA
#20
राजेश के चेहरे पर आश्चर्य की लाली छा गई, उसके होंठ कांपते हुए बोले, 'नवाब? मतलब असली नवाब?' उसकी आंखें कपड़ों पर टिकी रहीं, रेशम की चमक में पुरानी शान झलक रही थी, जैसे कोई खोया हुआ साम्राज्य जाग उठा हो। मनोहर ने सिर हिलाया, उसकी हंसी गूंजी—भारी, गहरी, जैसे कमरे की दीवारों से टकरा रही हो। उसके पीले दांत चमके, और वह बोला, 'हां साहब, सोच रहे हो ना कि मैं झूठ बोल रहा हूं?' राजेश ने झटके से सिर हिलाया, 'नहीं-नहीं, लेकिन यकीन नहीं हो रहा कि ये कपड़े किसी नवाब के होंगे... पर इस बंगले को देखो, इन कपड़ों को... हां, ये तो निश्चित रूप से नवाब के ही लगते हैं।' उसकी उंगलियां रेशम पर सरक रही थीं, नरम और ठंडी, लेकिन सौम्या का मन अब भी खिड़की की उस अदृश्य नजर पर अटका था, उसके शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी दौड़ रही थी, जैसे कोई छिपी हुई सांस उसके गले को सहला रही हो।

सौम्या ने गीली साड़ी को समेटा, उसके स्तन अभी भी भारी और नम थे, राजेश की गर्मी से सटे हुए। वह बोली, आवाज़ में हल्का कंपन, 'मुझे शौचालय का रास्ता बताओ, कपड़े बदलने हैं।' मनोहर की नजरें तुरंत उस पर टिक गईं—ऊपर से नीचे तक, उसके कर्वी कूल्हों पर रुकते हुए, उसके होंठों पर एक शैतानी मुस्कान फैल गई। 'आइए, मैं दिखाता हूं आपको,' उसने कहा, आवाज़ में एक मोटी, भूखी लालसा घुली हुई। सौम्या के शरीर में एक झुरझुरी दौड़ी, उसके निप्पल्स साड़ी के नीचे सख्त हो गए, एक मीठी सी सनसनी उसके पेट तक उतर आई, डर और उत्तेजना का मिश्रण। वह पीछे हटी, 'नहीं, रास्ता बता दो, मैं खुद चली जाऊंगी।' लेकिन राजेश ने सिर हिलाया, अपनी शर्ट उतारते हुए, उसके चौड़े सीने पर पानी की बूंदें चमक रही थीं। 'नहीं सौम्या, मनोहर काका रास्ता जानते हैं। बंगला इतना अंधेरा है, उनके साथ चलो।' वह मुस्कुराया, लेकिन सौम्या का दिल धड़क रहा था, उसके जांघों के बीच एक गर्माहट फैल रही थी, अनचाही लेकिन तीव्र।

मनोहर ने फिर मुस्कुराया, उसकी आंखें सौम्या के चेहरे पर रुकीं, जैसे कोई शिकारी शिकार को नाप रहा हो। वह मशाल उठाई—लाल-भरी लौ नाच रही थी, परछाइयों को जीवित कर रही थी—और कमरे से बाहर निकल गया। सौम्या ने राजेश की ओर देखा, लेकिन वह पहले ही कपड़े बदलने में व्यस्त था। डरते-डरते वह मनोहर के पीछे चली, उसके कदम हल्के लेकिन भारी लग रहे थे, साड़ी की फिसलन उसके पैरों को रगड़ रही थी। गलियारा खुला, सुंदर लेकिन अंधेरे में खतरनाक—उच्च छतें, नक्काशीदार दीवारें जो मोमबत्ती की रोशनी में राक्षसी आकृतियां बना रही थीं, पुरानी पेंटिंग्स जो आंखें झपकाती प्रतीत हो रही थीं। हवा में नमी भरी गंध थी, पुरानी और मादक, सौम्या की नाक में घुस रही थी, उसके मन को भटकाती हुई। हर कदम पर लकड़ी की खटखट गूंज रही थी, जैसे कोई पीछा कर रहा हो।

मनोहर ने पीछे मुड़कर देखा, उसकी आवाज़ गलियारे में फैली, 'मेरी पत्नी भी ऐसी ही सेक्सी थी जैसी आप हैं, साहिबा। हम यहां खुशी से प्यार करते थे... रातें भर उसके साथ लिपटे रहते, उसके नरम शरीर को सहलाते।' सौम्या का चेहरा लाल हो गया, उसके शरीर में एक झटका लगा, कल्पना में मनोहर की मोटी उंगलियां उसके कूल्हों पर सरक रही थीं। वह बोली, आवाज़ दबी हुई, 'ओके।' लेकिन मनोहर रुका नहीं, आगे बढ़ता रहा, मशाल की लौ उसके चेहरे को और भयानक बना रही थी। अचानक फिर वही आवाज़—एक रहस्यमय फुसफुसाहट, 'आओ... आओ...' और वह गंध, भारी और उत्तेजक, सौम्या के फेफड़ों में भर गई। वह सिर घुमाई, पीछे देखा—अंधेरा, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, गलियारे के मोड़ जहां से सब कुछ भूल गई थी। 'रास्ता... मैं भूल गई,' उसने सोचा, लेकिन मनोहर अभी भी आगे जा रहा था, उसकी पीठ चौड़ी और मजबूत, जैसे कोई पुराना राक्षस। सौम्या का दिल तेज धड़क रहा था, उसके स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे, डर से पसीना बह रहा था जो साड़ी को और चिपका रहा था, उसके शरीर की हर वक्र को उभारते हुए। वह तेज कदमों से उसके पीछे भागी, लेकिन गंध अब और गहरी हो गई थी, जैसे कोई अदृश्य मुंह उसके कान में सांस ले रहा हो।

सौम्या के पैर तेज़ी से दौड़ रहे थे, गलियारे की ठंडी लकड़ी पर खटखट की आवाज़ गूंज रही थी, जैसे कोई भागता हुआ जानवर। मनोहर ने पीछे मुड़कर देखा, उसकी हंसी फूट पड़ी—भारी, गूंजती हुई, दीवारों से टकराकर लौट आई। 'हा हा, फिर भटक गईं ना साहिबा?' उसने कहा, चेहरे पर एक शरारती स्मर्क फैलाते हुए, आंखें चमक रही थीं मशाल की लौ में। सौम्या का चेहरा लाल हो गया, वह रुकी, सांसें तेज़ चल रही थीं, उसके स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे गीली साड़ी के नीचे, निप्पल्स सख्त और उभरे हुए। 'नहीं... नहीं भटकी,' उसने झूठ बोला, आवाज़ कांपती हुई, लेकिन उसकी आंखें डर से भरी थीं, और शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना दौड़ रही थी, जैसे मनोहर की नजरें उसके त्वचा को चूम रही हों।

मनोहर ने फिर हंसते हुए आगे बढ़ा, एक भारी लकड़ी का दरवाज़ा खोला—खट् की आवाज़ गूंजी, जैसे कोई पुराना रहस्य खुल रहा हो। अंदर का कमरा था, लेकिन ये कोई साधारण शौचालय नहीं—विशाल, राजसी, जैसे कोई महल का कोना। सौम्या उसके पीछे चली, मशाल की लौ से दीवारें चमक रही थीं, लेकिन अंधेरा इतना गहरा था कि सब कुछ धुंधला सा लग रहा था। फर्श पर सफेद संगमरमर चमक रहा था, लेकिन धूल और नमी से ढका हुआ, दीवारों पर नक्काशीदार फूल-पत्तियां, सोने की जड़ाई वाली टाइल्स जो कभी चमकती होंगी, अब छाया में छिपी हुईं। बीच में एक बड़ा सा कुंड था, पुराने जमाने का, जहां पानी की कलकल की कल्पना हो सकती थी, लेकिन अब सूखा और ठंडा। हवा में एक मीठी, पुरानी खुशबू थी—चंदन और गुलाब की, मिश्रित नमी से, जो सौम्या के नथुनों में घुस रही थी, उसके शरीर को गर्माहट दे रही थी। खिड़कियां ऊंची थीं, बारिश की बूंदें उन पर जोर-जोर से टकरा रही थीं, बाहर का तूफान गरज रहा था, बिजली की कड़क की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी, जैसे कोई देवता क्रोधित हो।

मनोहर ने दरवाज़ा बंद किया, लेकिन पूरी तरह नहीं, और बोला, 'ये बाथरूम नाज़िमा बेगम का निजी था, साहिबा।' उसकी आवाज़ गहरी थी, रहस्य से भरी। सौम्या ने सिर घुमाया, उसके बाल गीले लटक रहे थे, चेहरे पर पानी की बूंदें चमक रही थीं। 'नाज़िमा बेगम कौन?' उसने पूछा, उत्सुकता और डर मिश्रित। मनोहर ने मुस्कुराया, उसके पीले दांत चमके, आंखें सौम्या के चेहरे से नीचे सरक गईं—उसके गले, स्तनों, पेट तक। 'जल्दी पता चल जाएगा आपको,' उसने कहा, आवाज़ में एक शैतानी लालसा। फिर उसने मशाल एक तरफ की दीवार पर टिका दी, लौ नाचने लगी, परछाइयां दीवारों पर नाच रही थीं, जैसे कोई अदृश्य नर्तकी। 'अपने कपड़े बदल लीजिए,' उसने कहा, नजरें फिर सौम्या के शरीर पर टिक गईं—गीली साड़ी उसके कर्व्स को चिपकाए हुए, पेट पर चमकता हुआ पियर्स्ड नाभि, जो मशाल की रोशनी में चमक रहा था, जैसे कोई आमंत्रण। मनोहर ने होंठ चाटे, जीभ बाहर निकली, धीरे-धीरे, भूखे सांप की तरह, और फिर पलटा, बाहर निकलते हुए।

सौम्या का शरीर कांप उठा, उसके नाभि के चारों ओर एक गर्माहट फैल गई, जैसे मनोहर की नजरें वहां छू गई हों। उसके जांघों के बीच नमी बढ़ गई, डर और उत्तेजना का मिश्रण, स्तन भारी हो रहे थे, निप्पल्स साड़ी को रगड़ रहे थे। वह तेज़ी से दरवाज़ा बंद किया, कुंडी लगाई—खट् की आवाज़ में थोड़ी राहत मिली, लेकिन बाहर तूफान और भयानक हो गया था। बारिश की बौछारें खिड़कियों पर प्रहार कर रही थीं, जैसे कोई फौज हमला कर रही हो, बिजली कड़क रही थी—चमक की एक झलक कमरे को रोशन कर देती, फिर अंधेरा घना हो जाता, सौम्या का प्रतिबिंब पुराने आईने में उभरता, डरावना और आकर्षक। हवा में वो मादक गंध और घनी हो गई, सौम्या के फेफड़ों को भर रही, उसके मन को भटकाती, जैसे कोई अदृश्य हाथ उसके शरीर को सहला रहा हो। वह साड़ी खोलने लगी, लेकिन हाथ कांप रहे थे, त्वचा पर ठंडी हवा लग रही थी, लेकिन अंदर आग सुलग रही थी।
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BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 02-11-2025, 04:30 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 03-11-2025, 04:06 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 03-11-2025, 04:21 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 03-11-2025, 04:30 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 03-11-2025, 04:31 PM
RE: BHOOT BANGLA - by RAHUL 23 - 03-11-2025, 04:50 PM
RE: BHOOT BANGLA - by Blackdick11 - 03-11-2025, 05:47 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 04-11-2025, 06:01 PM
RE: BHOOT BANGLA - by Blackdick11 - 04-11-2025, 09:14 PM
RE: BHOOT BANGLA - by Bakchod Londa - 05-11-2025, 12:13 PM
RE: BHOOT BANGLA - by M¡Lf€@TeR - 05-11-2025, 02:35 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 05-11-2025, 11:33 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 05-11-2025, 11:34 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 05-11-2025, 11:40 PM
RE: BHOOT BANGLA - by Nainaboss - 06-11-2025, 12:00 AM
RE: BHOOT BANGLA - by Blackdick11 - 06-11-2025, 06:58 PM
RE: BHOOT BANGLA - by Marishka - 06-11-2025, 11:54 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 07-11-2025, 08:42 PM
RE: BHOOT BANGLA - by Blackdick11 - 08-11-2025, 10:24 AM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 08-11-2025, 04:01 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 08-11-2025, 03:21 PM
RE: BHOOT BANGLA - by Bakchod Londa - 09-11-2025, 05:13 PM
RE: BHOOT BANGLA - by Blackdick11 - 10-11-2025, 09:47 AM
RE: BHOOT BANGLA - by Marishka - 10-11-2025, 12:24 PM
RE: BHOOT BANGLA - by M¡Lf€@TeR - 10-11-2025, 06:35 PM
RE: BHOOT BANGLA - by AzaxPost - 11-11-2025, 02:34 PM
RE: BHOOT BANGLA - by Marishka - 12-11-2025, 01:28 AM
RE: BHOOT BANGLA - by M¡Lf€@TeR - 12-11-2025, 09:43 AM
RE: BHOOT BANGLA - by Blackdick11 - 12-11-2025, 10:36 AM
RE: BHOOT BANGLA - by Marishka - 30-11-2025, 12:28 PM
RE: BHOOT BANGLA - by Tushar@134 - 01-12-2025, 09:38 AM



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