07-11-2025, 06:50 PM
मस्तराम का चेला: चौथी कहानी - चाची की गांड मराठी
नमस्कार दोस्तों, हाय-हैलो कैसे हो? मैं राजू हूँ, मस्तराम का चेला – वो लड़का जो गाँव की मिट्टी में लोटा, लेकिन शहर की चमक से लंड चमकाता। पिछली कहानी में मम्मी की भूख मिटाई ना? वो तो सीरियस आग थी। लेकिन आज चौथी कहानी को और डिटेल से भरा, लंबा खींचा हुआ बना दिया – "चाची की गांड मराठी"। मेरी चाची मीना की स्टोरी, जो मराठी मसाले वाली रंडी बनी। टैबू? अरे हाँ, चाची-भतीजा का धमाल! लेकिन हटके ट्विस्ट: मराठी चैट्स में गाली-गलौज, वीडियो कॉल्स पर मराठी जोक्स, और वो फन जो आग को हँसी-मजाक में भड़काए। डिटेल्स भरी – हर टच, हर सिसकी, हर थप्पड़। और हाँ, थोड़ा हँसी-मजाक ऐड किया – जैसे चाची की मराठी वाली चुटकुलियाँ, जो लंड हिलाने के बीच हँसी उड़ा दें। तो पैंट लूज करो, मुस्कुराओ, और सुनो। अगर झड़ते वक्त हँस आए तो मेरा कमाल!
मेरा नाम राजू, २५ का गाँव का शेर। दिल्ली से लौटा तो गाँव में हलचल – सब पूछते, "क्या लाया शहर से?" मैं सोचता, "लंड का साइज बढ़ाया है!" लेकिन असली धमाका चाची मीना से। चाची – पापा की छोटी बहन की बेटी, लेकिन शादी होकर ससुराल में बस गई। उम्र ३८ की, लेकिन मराठी खून ने बॉडी को फायरवर्क्स बना रखा। ३६-३०-४० का फिगर – चूचियाँ ऐसी तनीं कि ब्लाउज में बटन बोले, "फूट जाऊँगा भाई!"; कमर पतली लेकिन हिप्स चौड़े, साड़ी पहनो तो गांड मटकती जैसे बॉम्बे की बार डांसर। मराठी साड़ी – नौवारी स्टाइल, ९ गज का धागा लपेटा, लेकिन ब्लाउज लो-कट, क्लीवेज झांकता। चेहरा गोल-मटोल, होंठ मोटे जैसे चुटकुला खाने को तैयार, आँखें काजल से लकीरें – एक नजर में लंड खड़ा। चाचा – ट्रक ड्राइवर, महीनों गुजरात-महाराष्ट्र की सड़कों पर। चाची अकेली घर में, लेकिन गाँव की अफवाहें: "मीना रांड बाई, रात को ट्रक की तरह रिवर्स गियर लगाती!" मैं हँसता, सोचता – "चाची, तू तो मेरा अगला टारगेट।"
पहली मुलाकात तो कमाल की। मैं घर आया, शाम को। चाची मिठाई का डिब्बा लेकर आईं – "राजू रे बाबा, दिल्लीतून आलास? कितना मोठा झाला आहेस तू! आता चाचा सारखं ट्रकचं ड्रायव्हर व्हावंस का?" मराठी में बोलीं, गले लगीं। वाह! बदन का टच – चूचियाँ सीने पर दब गईं, जैसे दो सॉफ्ट गद्दे। कमर पकड़ी तो नाभि की गर्मी महसूस हुई। पसीना चिपका, लेकिन खुशबू – चंदन और मसाले की, मराठी स्टाइल। मैं शरमाया, लेकिन लंड ने कहा, "भाई, स्टैंडिंग ओवेशन!" "चाची, तू भी जवान लग रही... चाचा को जलन होगी," मैंने फ्लर्ट किया। वो हँसीं – ठहाका लगाया, जैसे मराठी कॉमेडी शो। "अरे वाईट मुलगा! चाचा तर छोटा ट्रक आहे, तू तर जंबो! पण सांग, शहरात काय शिकलास? गर्लफ्रेंड किती?" पापा-मम्मी हँसे, लेकिन मैंने आँख मार दी – "चाची, गर्लफ्रेंड तो एक, लेकिन तू देख ली तो भूल गई!" वो गाल रंगाए, लेकिन चुटकी काटी – "पागल! मी तर तुझी चाची, नाही रे बॉयफ्रेंड!" शाम भर बातें – चाचा की, गाँव की। जाते वक्त नंबर लिया – "व्हाट्सअॅपवर बोलू ना। मराठी जोक्स पाठवेन।"
रात को धमाल शुरू। ११ बजे मैसेज – "राजू, झोपलास का? मी एकटी, चाचा गुजरातला गेले." मैं – "नहीं चाची। तू अकेली? ट्रक मिस कर रही?" वो – "हो रे! ट्रक तर छोटा, पण तुझ्यासारखा मोठा हवा! ?" चैट मराठी-हिंदी मिक्स, इमोजी भरा। "चाची, तेरी गांड... साड़ी में मटकती देखा आज। कमाल!" वो ऑनलाइन रहीं, लेकिन ५ मिनट बाद – "अरे वाईट! पण... तुला आवडली? हे पाहा, सेल्फी." फोटो आई – साड़ी में, कमर घुमाकर, गांड का साइड व्यू। कैप्शन – "मराठी गांड, ट्रक पार्किंगसाठी!" मैं हँस पड़ा, लंड सख्त। "चाची, ये तो हाईवे वाली! चोदूँ?" वो – "पागल! उद्या ये घर येईन। चाचा १० दिवस नाहीत। मजा करू!" अगली सुबह चैट – जोक्स: "काय म्हणतात ट्रक ड्रायव्हरला? लंड छोटा, पण रस्ता लांब! तुझं काय?" मैंने फोटो भेजी – लंड का सिल्हूट। "ये देख चाची, मेरा ट्रक!" वो – "बापरे! इतकं मोठं? चाचा च्या दुप्पट! उद्या दाखव."
अगले दिन शाम को पहुँचा चाची के घर – बहाना, "मदत चाहिए नल ठीक करने का।" घर छोटा, लेकिन साफ। चाची नौवारी साड़ी में – ९ गज का धागा लपेटा, लेकिन ब्लाउज टाइट, चूचियाँ तनीं। "ये आला रे बाबा! बसा, चहा बनवते." चाय दी, लेकिन आँखें चमक रही। बातें शुरू – चाचा की शिकायत। "तो बाहेर असतो महिनाभर, मी एकटी... कंटाळलेली. रात्रि स्वतःला हात लावते, पण समाधान नाही." मैं चौंका, लेकिन मजाक में – "चाची, हाथ से तो ठीक, लेकिन ट्रक चाहिए ना? मेरा वाला लंबा रूट!" वो ठहाका लगाई – "हाहा! तू तर कॉमेडियन! सांग, तुझं किती लांब?" मैंने फोन निकाला, पुराना वीडियो प्ले – भाभी वाला क्लिप, लेकिन एडिटेड। लंड का १० सेकंड। "ये देख चाची, ७ इंच का ट्रक!" वो आँखें फाड़ी – "अरे बापरे! इतकं मोठं? चाचा तर ४ इंचचा रिक्षा! छू लू का?" हाथ मेरी जांघ पर – गर्म। मैंने हाँ कहा। वो पकड़ा पैंट पर – "कडक झालं... उघड ना रे, पार्किंग करू!"
पैंट नीचे सरकी। लंड बाहर – लाल, सख्त, नसें फूलीं। चाची घुटनों पर बैठी, जैसे पूजा। "वाह रे... मोटा, लांब. हे तर मराठी लंड नाही, बॉम्बे एक्सप्रेस!" हँसी आई, लेकिन वो चूमा टिप पर – "उम्म... नमकीन... राजूचा लंड चोखा." मुंह में लिया – आधा अंदर। जीभ घुमाई, चूसी जैसे आइसक्रीम। लार टपक। "चाची... चूस मजबूत... गले तक ले रे!" मैं सिर पकड़ा, धक्का दिया। गला फुला। "हाँ रे बाबा... तोंड चोद... रांडी चाचीला सजा दे! पण हळू, शेजारी ऐकत असतील!" हँसते हुए बोलीं, लेकिन चूसती रहीं। ७ मिनट – लार से चेहरा गीला। "बस चाची... अब तेरी बारी। साड़ी ऊपर!" चाची उठीं, नौवारी खोली – धागा लहराया। ब्लाउज खोला। चूचियाँ बाहर – ३६ साइज, गोल, ब्राउन निप्पल्स सख्त। दबाया मैंने – नरम, लेकिन उछाल। "चाची... तेरी चूचियाँ... मराठी ढोकला जैसे!" वो हँसी – "हाहा! ढोकला तर चवीष्ट, चूस ना!" मैं झुका, मुंह में लिया। चूसा मजबूत, काटा हल्का। "आह... काट रे... दुखतंय पण मजा! दुसरीही, दूध काढ!" जीभ घुमाई, ५ मिनट बारी-बारी। चाची सिसक रही, लेकिन जोक मारा – "चाचा तर चाटतच नाही, तू तर लंडस्टार!"
नीचे हाथ। पेटीकोट में घुसा। चूत गीली, पैंटी चिपकी। "चाची, तेरी चूत... कितनी गर्म। बाल साफ?" उंगली रगड़ी क्लिट पर – सख्त बटन। "हो रे... वाक्सिंग केली. चाट ना, मराठी चटनी!" मैं हँसा, झुका। पैंटी नीचे। चूत गुलाबी, चमकती। जीभ लगाई – क्लिट चाटा। "ओह... जीभ... चूत चाट रे! चाचा कधीच नाही, तू तर एक्सपर्ट!" मीठा रस बहा। जीभ अंदर-बाहर, उंगली संग। १२ मिनट चाटा। चाची पैर काँपे – "आलं... पाणी... ओह बाबा... प्या रे सब! झडली मी!" पानी बहा – नमकीन, गर्म। मुंह भर, निगला। "चाची, तेरा रस... मराठी चाय से बेहतर!"
अब असली धमाल – गांड मराठी! चाची बेड पर डॉगी – गांड ऊपर, गोल-फूली। "राजू, गांड चोडी ना... पहिल्यांदा. पण हळू, फाटू नये!" मैं तेल निकाला अलमारी से – "चाची, ये ट्रक का लुब्रिकेंट!" वो हँसी – "हाहा! तू तर मस्त! लाव रे." तेल लगाया दरार पर – गर्म, चिकना। लंड टिप रखा। धीरे दबाया – टिप अंदर। "आह... फाटलंय... रुको रे बाबा!" रुका, पीठ चूमा, चूचियाँ नीचे से दबाई। "चाची, रिलैक्स... ट्रक रिवर्स में जाता है ना?" फिर धक्का – आधा अंदर। टाइट, गर्म। "ओह... भरली... किती टाइट!" पूरा धक्का। पेलना शुरू – धीरे-धीरे। थप थप। गांड पकड़, थप्पड़ मारा। "चाची... तेरी गांड... आग की तरह!" वो सिसकी – "हो रे... चोद जोरात... थप्पड मार! रांडीसारखी वाटतेय!" थप्पड़ की आवाज – चटाक! लाल निशान। १८ मिनट पेला। पसीना टपक, लेकिन बीच में जोक – "चाची, चाचा को पता चले तो बोलेगा, 'ट्रक चोरी हो गया!'" वो हँसी सिसकते हुए – "हाहा... तूच चोर!"
शिफ्ट चूत में। मिशनरी – पैर कंधे पर। लंड चूत पर रगड़ा – गीला स्लाइड। "डाल चाची... चूत फाड़!" धक्का – अंदर। टाइट। "आह... मोठा लंड... चाचा च्या पेक्षा राजा!" पेला। थप थप। चूचियाँ दबाई। "तेरा लंड... गांड-चूत किंग!" १५ मिनट। पोजिशन – चाची ऊपर। सवार हुई, उछली। चूचियाँ हिलीं। "उछल रे चाची... मराठी डांस!" मैं नीचे से धक्के। "हाँ... चोद निचून... झडू मी!" १० मिनट। झड़ना टाइम। "चाची, बाहर... चेहऱ्यावर!" वो पलटी, मुंह खोला – "हो रे... दूध प्यायला!" बाहर निकाला, झाड़ा। गर्म वीर्य – चेहरे पर, होंठों पर, बालों में। चाटा वो – "उम्म... मीठं... गाढ़ं दूध! चाचा च्या पेक्षा क्रिमी!"
लेकिन ये तो शुरुआत भाई। अगली रातें धमाल – वीडियो कॉल पर मराठी गालियाँ: "चोद माझी गांड रे लंड राजा! पण शेजारी ऐकू नये, साइलेंसर लाव!" कभी खेत में, नौवारी ऊपर करके – "ट्रक पार्किंग में चोद!" एक बार मजा – चाचा का फोन आया मिड-चुदाई। चाची ने उठाया – "हो चाचा... हा जोराचा आवाज? ट्रक स्टार्ट केला!" मैं हँसा, लंड अंदर ही। चाची काटी – "बस रे... झडू मी!" सिलसिला चला – चाची की आग बनी। "राजू, तू माझा चेला... नेहमी चोद, पण जोक्स सुद्धा!"
Fuckuguy
albertprince547;
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