07-11-2025, 12:27 PM
मस्तराम का चेला: दूसरी कहानी - बहन की शादी की रात
नमस्कार दोस्तों, वापस लौट आया हूँ मैं राजू, मस्तराम का चेला। पिछली बार भाभी रानी की वो जलती रातें सुना दीं, लेकिन आज दूसरी कहानी पर रुको मत। तुम्हारे कहने पर "बहन की शादी की रात" को और लंबा, और डिटेल से भरा बना दिया। ज्यादा टेंशन, ज्यादा चिंगारियाँ, ज्यादा वो देसी आग जो रगों में दौड़े। प्रिया – मेरी अपनी बहन – की वो स्टोरी, जहाँ भाई-बहन का रिश्ता शादी के बहाने लाइन क्रॉस कर गया। हटके ट्विस्ट के साथ: इंस्टाग्राम DMs, छुपी वीडियो क्लिप्स, और वो डिजिटल उत्तेजना जो आजकल के गाँव को भी शहर जैसा बना देती। कहानी अब और गहरी, सीन-दर-सीन डिटेल्स से भरी – साँसें रुक जाएँगी, लंड फड़क उठेगा। तो आराम से लेटो, हाथ नीचे रखो, और डूब जाओ।
मेरा नाम राजू है, उम्र २५ साल। गाँव का लड़का, लेकिन दिल्ली की चकाचौंध ने खून गर्म कर दिया। बहन प्रिया, २२ की। बचपन से मेरी जान – साथ नहाना, साथ सोना, वो पुरानी मासूमियत। लेकिन प्यूबर्टी के बाद सब बदल गया। प्रिया का बदन खिल गया – ३४-२६-३६ का स्लिम फिगर, लेकिन कर्व्स ऐसे कि साड़ी पहनो तो कमर की लकीरें लहराएँ, ब्लाउज में चूचियाँ तनकर बटन दबाएँ। चेहरा मासूम, लेकिन आँखों में वो शरारत जो रातों को जगाए। कॉलेज जाती, इंस्टा पर पोज देती – कभी जींस में गांड का उभार, कभी टॉप में क्लीवेज। मैं चुपके देखता, लाइक करता, लेकिन अंदर जलन। "ये मेरी बहन है यार," सोचता, लेकिन नीचे का तनाव झूठ न बोलता। रात को सपने आते – प्रिया नंगी, मेरे ऊपर। सुबह उठता तो पजामा गीला।
फिर आया वो दिन जब प्रिया का एंगेजमेंट फिक्स हुआ। लड़का शहर का इंजीनियर, नाम विक्रम। अच्छा घर, लेकिन प्रिया को डर लगता। "भैया, शादी के बाद क्या होगा? वो सब... नया-नया।" शाम को छत पर बैठे, वो बोली। मैंने कंधा पर हाथ रखा – "डर मत प्रिया, सब ठीक होगा। तू तो क्वीन है।" लेकिन उसकी आँखें नम, होंठ काँपते। मैंने गले लगाया – पहली बार इतना क्लोज। उसके बालों की खुशबू, चूचियों का हल्का दबाव। मेरा लंड सख्त। "भैया, तू हमेशा मेरे साथ रहेगा ना?" वो बोली। मैंने हाँ कहा, लेकिन दिमाग में कुछ और। एंगेजमेंट की पार्टी में प्रिया लहंगे में – लाल रंग, चोली टाइट। डांस करते हुए कमर मटकाई, सबकी नजरें। विक्रम ने हाथ पकड़ा, लेकिन मैं जल उठा। रात को घर लौटे, प्रिया थकी। "भैया, मेरी पीठ दर्द कर रही। मसाज कर दे।" कमरे में, वो लेटी। ब्लाउज ऊपर किया – कमर नंगी, पसीने से चमकती। मैं तेल लगाया। हाथ फिसले, नाभि पर। वो सिसकी – "आह... हल्के भैया।" मेरा दिल धड़का। गांड का उभार छुआ – गोल, मुलायम। "सॉरी," मैं बोला। वो मुस्कुराई – "कोई बात नही, तू तो भाई है।" लेकिन आँखों में चमक। उस रात मैं अपने कमरे में लेटा, कल्पना की – प्रिया को नंगा करके चोदना। हाथ हिलाया, झड़ गया। "प्रिया... तेरी चूत..."
शादी की तैयारियाँ चरम पर। मेहंदी की रात – घर में औरतें, ढोल-नगाड़े, गाने। "बारात लाएंगे..." गातीं, प्रिया के हाथ-पैरों पर हरी मेहंदी। मैं बाहर धूम्रपान कर रहा, लेकिन अंदर चला गया पानी लाने। प्रिया अकेली कमरे में, दुपट्टा हटाकर लेटी। चोली ढीली, चूचियाँ आधी नंगी – गुलाबी निप्पल्स हल्के सख्त। पेट पर मेहंदी सूख रही, नाभि गहरी। मैं दरवाजे पर रुक गया, साँसें रुकीं। "भैया!" वो चौंकी, लेकिन कवर करने की बजाय हँसी – "आ गया जासूस। मेहंदी सूख न पा रही, फैन कर।" मैं पास बैठा। हाथ हिलाया, लेकिन नजरें उसकी कमर पर। पसीना टपक रहा, खुशबू आ रही – वो लड़कियों वाली, मादक। "प्रिया, तू कितनी हॉट लग रही," मैं फिसला। वो शरमाई – "भैया, ये क्या बोल रहा? विक्रम को सुन लिया तो..." लेकिन पैर फैलाया, सलवार की लाइन दिखी – पैंटी की। मेरा लंड पैंट में दुख रहा। मैंने हिम्मत की, हाथ रखा उसकी जाँघ पर – "सिर्फ तारीफ की प्रिया। तू मेरी राजकुमारी है।" वो चुप। फिर बोली – "भैया, शादी के बाद तू अकेला न रहना। कोई बहू ला ले।" बातें घूमीं सेक्स पर। "भैया, तूने कभी किया? कैसा लगता?" मैं हकलाया – "हाँ... मजा आता। तुझे डर लगेगा पहली रात?" वो लजाई – "हाँ, लेकिन तू बता ना... कैसे शुरू होता?" मैंने डिटेल बताई – चुंबन, छुअन। वो सुनती गई, आँखें चमकतीं। मेहंदी सूखी, लेकिन हमारी आग भड़की।
शादी का दिन – बारात धूमधाम से। प्रिया दुल्हन बनी – लाल लहंगा, मंगलसूत्र, घूंघट में चेहरा। लेकिन जब फेरे लेने बैठी, घूंघट हल्का उठा – आँखें मेरी तरफ। "भैया..." होंठ हिले। मेरा दिल पिघला। रात विदाई – प्रिया रो रही, ससुराल वालों के बीच। मैंने आखिरी गले लगाया। उसके बदन का गर्माहट, चूचियाँ दब गईं मेरे सीने पर। कमर पकड़ी – पतली, लेकिन मजबूत। "प्रिया, खुश रहना," मैं बोला। वो कान में फुसफुसाई – "भैया, तू याद आएगा... रातें कटेंगी कैसे?" विदाई हुई, घर सूना। पापा-पम्मी सोए। मैं प्रिया के कमरे में घुसा – उसके सामान सँभालने। अलमारी खोली – अंदर पैंटी-ब्रा सेट। पिंक लेस वाला। नाक लगाया – उसकी चूत की हल्की महक। लंड बाहर निकाला, मुठ मारी। कल्पना में प्रिया को डॉगी स्टाइल चोदता – "भैया... तेज... फाड़ दे!" झड़ गया, वीर्य पैंटी पर। सोया, लेकिन नींद न आई।
असली धमाका तो शादी की अगली रात। प्रिया ससुराल में सेटल, लेकिन व्हाट्सएप पर मैसेज बम – "भैया, पहली रात थी। विक्रम ने किया... दर्द बहुत, लेकिन अंदर कुछ अच्छा भी। तू बता, तेरी पहली बार कैसी?" मैं चौंका – "प्रिया, ये क्या शेयर कर रही? गलत है।" लेकिन वो – "भैया, तू मेरा सबकुछ है। छुपाऊँगी नहीं। वीडियो देख... सिर्फ ऑडियो।" क्लिप भेजी – डार्क रूम की आवाजें। प्रिया की सिसकियाँ – "आह विक्रम... धीरे... दर्द हो रहा।" विक्रम की ग्रंट – "टाइट है तू..." लेकिन क्लिप छोटी, ३० सेकंड। मेरा लंड पत्थर। "प्रिया, विक्रम का छोटा लग रहा," मैं फिसला। वो रिप्लाई – "हाँ भैया, ५ इंच का। तेरा कितना?" मैंने फोटो भेजी – लंड का, सख्त। "७ इंच, मोटा।" वो – "ओह माय गॉड! भैया, ये तो जानलेवा। कल आ ससुराल, बहन की जिम्मेदारी निभा। सब सो जाएँगे रात को।"
मैं पहुँचा शाम को। ससुराल बड़ा घर, गाँव के पास। प्रिया ने चाय दी, मुस्कुराई – लेकिन आँखों में आग। विक्रम बाहर गया दोस्तों से मिलने। "भैया, रुको ना रात तक," वो बोली। बातें हुईं – शादी की, हनीमून प्लान। लेकिन टॉपिक घूमा। "भैया, कल्पना कर – अगर तू ही मेरी पहली रात का हीरो होता?" मैं हँसा – "पागल, विक्रम है ना।" लेकिन वो हाथ मेरी जाँघ पर – "वो तो औपचारिक। तू असली भाई... और कुछ।" रात ११:३०। घर शांत। विक्रम सो गया कमरे में। प्रिया का मैसेज – "पीछे का दरवाजा खुला। आ।" मैं चुपके घुसा। वो वेटिंग – सिल्की नाइट गाउन, पारदर्शी। ब्रा-पैंटी दिख रही। "भैया!" दौड़कर गले लगी। होंठ मिले – गर्म, नरम। जीभ अंदर। चूसी जैसे पागल। "प्रिया... ये पाप है," मैं बोला। वो – "प्यार है भैया। रोक मत।" हाथ मेरी शर्ट में – छाती सहलाई। मैंने गाउन ऊपर किया – चूचियाँ बाहर। ३४ साइज, गोल, निप्पल्स सख्त जैसे चेरी। दबाया – नरम रोटी सा। "आह... भैया... दबा मजबूत। विक्रम तो बस चूसता, तू काट।" मैं झुका, मुंह में लिया। जीभ घुमाई, काटा हल्का। वो चीखी दबी आवाज में – "ओह... दर्द... लेकिन मजा! दूसरी चूची भी।"
नीचे हाथ। पैंटी गीली। उंगली से रगड़ा। "प्रिया, तेरी चूत... कितनी गर्म। बाल हल्के, साफ-सुथरी।" वो काँपी – "विक्रम को अच्छा लगता। लेकिन तू चाट भैया।" मैं घुटनों पर। पैंटी नीचे। चूत गुलाबी, चमकती। जीभ लगाई – क्लिट पर। चाटा। वो सिर पकड़ लिया – "आह... जीभ अंदर... चूस चूत! विक्रम कभी न चाटा, तू राजा है।" मैंने १० मिनट चाटा। जीभ अंदर-बाहर। उंगली डाली – टाइट, गीली। "प्रिया... विक्रम ने ढीली न की?" वो हँसी सिसकते हुए – "नहीं भैया, तू पहला मोटा। झड़वा मुझे।" तेज चाटा। वो कूद पड़ी – "आ गया... पानी... ओह भैया... पी ले सब!" मीठा, नमकीन रस। मुंह भर लिया।
अब मेरा टर्न। खड़ा किया। पैंट नीचे – लंड बाहर, लाल, नसें फूलीं। प्रिया की आँखें बड़ी – "वाह! इतना लंबा, मोटा। मुंह में लूँ?" घुटनों पर बैठी। पकड़ा, चूमा टिप पर। "उम्म... भैया का लंड... गर्म, नमकीन।" मुंह में लिया। आधा अंदर। जीभ घुमाई। चूसी जैसे आइसक्रीम। मैं सिर पकड़, धक्का दिया – गले तक। "गले तक ले रंडी बहन... चूस मजबूत!" आँसू आ गए उसके – लेकिन न रुकी। "हाँ भैया... मुंह चोद... गंदा बोल, उत्तेजित होती हूँ।" ७ मिनट मुंह चोदा। लार टपक रही। "बस... अब चूत में।"
दीवार पर सटाया। एक पैर ऊपर उठाया। लंड चूत पर रगड़ा – गीला स्लाइड। "डाल भैया... फाड़ दे!" धक्का – टिप अंदर। टाइट। "आह... दर्द... रुको!" मैं रुका। चुंबन किया, चूचियाँ दबाई। फिर धीरे धक्का – पूरा अंदर। "ओह... भरा हुआ... विक्रम का दोगुना!" मैं पेला। धीरे-धीरे। थप थप। "प्रिया... तेरी चूत... भाई का लंड निचोड़ रही। कितनी टाइट!" वो – "हाँ... चोद बहन को... शादी की सौगात दे। तेज भैया!" स्पीड बढ़ाई। बेडरूम से विक्रम के खर्राटे आ रहे – टेंशन, लेकिन जोश दोगुना। पोजिशन चेंज – डॉगी। गांड ऊपर। थप्पड़ मारा – लाल निशान। "मार भाई... गांड पर... रंडी बना दे!" चोदा। गांड पकड़, लंड अंदर-बाहर। २० मिनट। पसीना टपक रहा। "प्रिया... झड़ रहा... अंदर?" वो पलटी, लिपट गई – "हाँ... भरा दे... प्रेग्नेंट हो जाऊँ तो तेरा राजकुमार।" गर्म झड़ी – वीर्य चूत में। ओवरफ्लो। वो भी झड़ी – "आह... मिल गया... भैया का स्पर्म!"
सुबह चुपके निकला। लेकिन प्रिया का मैसेज सीरीज – नंगी सेल्फी। "ये देख, चूत अभी भी गीली। कल फिर।" हनीमून गए, लेकिन चैट न रुकी। बीच पर वीडियो – बिकनी में। "भैया, गांड चोदने का मन?" मैं – "हाँ प्रिया, लौटकर खेत में।" लौटे तो ट्विस्ट – प्रिया प्रग्नेंट। डॉक्टर ने बताया। विक्रम खुश, लेकिन मैं जानता – मेरा बीज। अब गाँव में रहती, रातें गुप्त। कभी घर के पीछे, साड़ी ऊपर करके। कभी खेतों में, घास पर लेटकर। "भैया... बच्चा तेरा... चोद फिर।" बहन बनी रखैल, आग बनी।
Fuckuguy
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