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Incest मस्तराम का चेला : सीरीज
#1
मस्तराम का चेला: सीरीज इंट्रो – 

नमस्कार दोस्तों, मैं हूँ राजू – मस्तराम जी का चेला, वो लड़का जो गाँव की मिट्टी से शहर की चमक तक आया, लेकिन खून में वही देसी आग जलाए रखी। मस्तराम जी की तरह, मेरी ये सीरीज है गर्मागर्म, चोदू-चोदी वाली कहानियों का खजाना – लेकिन थोड़ा हटके, क्योंकि आजकल का जोश तो मोबाइल स्क्रीन पर ही भड़कता है। इंस्टा DMs, वीडियो कॉल्स, छुपी क्लिप्स – सब मिलाकर वो टैबू आग जो भाभी की कमर से बहन की चूचियों तक, मम्मी की छुपी भूख तक पहुँच जाएगी। हर कहानी लंबी, डिटेल से भरी – सिसकियाँ सुनाई देंगी, पसीना महक आएगा, और लंड फड़क उठेगा जैसे खुद चोद रहे हो।

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मस्तराम का चेला: पहली कहानी - भाभी की गर्म रातें


नमस्कार दोस्तों, मैं हूँ राजू, मस्तराम का चेला। मस्तराम जी की तरह ही, मैं भी अपनी जिंदगी की वो गर्मागर्म कहानियाँ सुनाने जा रहा हूँ जो रातों को नींद उड़ा देंगी। लेकिन थोड़ा हटके, क्योंकि मैं मॉडर्न टाइम का लड़का हूँ – गाँव से शहर आया हूँ, लेकिन खून में वही देसी आग दौड़ती है। मेरी कहानियाँ होंगी भाभी-बहन वाली, लेकिन इसमें होगा ट्विस्ट – जैसे मोबाइल चैट्स, वीडियो कॉल्स और वो सारी चीजें जो आजकल के जोश को और भड़काती हैं। हर कहानी लंबी होगी, डिटेल से भरी, ताकि तुम्हें लगे जैसे खुद वहाँ हो। तो चलो, शुरू करते हैं पहली कहानी से। ये है "भाभी की गर्म रातें" – मेरी वो भाभी रानी, जो मेरे भाई की बीवी थी, लेकिन मेरी आग बनी।
मेरा नाम राजू है, उम्र २५ साल। गाँव में रहता हूँ, लेकिन दिल्ली में जॉब के चक्कर में आया था। भाई का नाम था रमेश, जो १० साल बड़ा था। वो दिल्ली में फैक्ट्री में सुपरवाइजर था, शादी हुई थी रानी भाभी से। रानी भाभी – वाह! क्या कहूँ? उम्र ३० के आसपास, लेकिन बॉडी ऐसी कि देखकर लंड खड़ा हो जाए। गोरी चिट्टी, ३६-२८-३८ का फिगर, लंबे काले बाल, और वो आँखें जो सीधे दिल में चुभ जातीं। साड़ी पहनती तो कमर की कटि पट्टी से पेट की नाभि झांकती, और ब्लाउज में चूचियाँ ऐसी तनी हुईं कि बटन फूटने को तैयार। गाँव में सबकी नजरें उस पर टिकी रहतीं, लेकिन भाई की सख्ती से कोई हिम्मत न करता।
मैं दिल्ली आया तो भाई ने कहा, "रह ले यहाँ, कमरा खाली है।" मैं खुश हो गया। भाभी ने चाय दी, मुस्कुराईं, और मैंने सोचा – बस इतना ही। लेकिन रात को जब सोया, तो सपने में भाभी का चेहरा घूमने लगा। अगले दिन सुबह उठा तो भाभी किचन में थी। पीठ फेरी हुई, सलवार सूट पहना था, लेकिन कमर पर पसीना चिपका हुआ। मैंने चुपके से देखा – कमर की लकीर, गांड का उभार। लंड सख्त हो गया। "भाभी, चाय?" मैंने कहा। वो मुड़ीं, मुस्कुराईं – "बैठ जा राजू, बना रही हूँ।" उनकी आवाज में वो मिठास थी जो सीधे नीचे उतर जाती।
दिन बीतते गए। भाई फैक्ट्री में शिफ्ट करता, रात १० बजे लौटता। मैं घर पर ही रहता, लैपटॉप पर काम। भाभी शाम को घूमने जातीं, लेकिन कभी-कभी अकेली बोर हो जातीं। एक दिन रात को, भाई लेट आया। मैं सो रहा था, लेकिन प्यास लगी तो उठा। बाहर हॉल में लाइट जल रही थी। भाभी सोफे पर लेटी थीं, मोबाइल स्क्रॉल कर रही थीं। नाइट गाउन पहना था, पतला सा, और नीचे से पैंटी की लाइन दिख रही। मैं रुक गया। वो नोटिस न कीं। मैं चुपके से किचन गया, पानी पिया, वापस आया। लेकिन वो अभी भी वहीँ। मैं हिम्मत करके बोला, "भाभी, नींद न आ रही?"
वो चौंकीं, मोबाइल रखा। "हाँ राजू, तू भी जाग रहा है? भाई लेट आएगा आज।" उनकी आँखों में उदासी। मैं पास बैठ गया। "कुछ परेशानी है भाभी?" वो हँसीं – "नहीं, बस... यहाँ अकेलापन लगता है। गाँव में तो सास-ससुर थे, यहाँ बस हम तीनों।" मैंने कंधा हिलाया। "मैं हूँ ना भाभी। कुछ भी बोलो।" बातें होने लगीं। पुरानी यादें, गाँव की। धीरे-धीरे टॉपिक बदला। "राजू, तू सिंगल है, कोई गर्लफ्रेंड?" मैं शरमाया – "नहीं भाभी, समय कहाँ मिलता।" वो हँसीं, हाथ मेरी जाँघ पर रखा – "अरे, युवा हो, मजे ले लो।" वो टच... इलेक्ट्रिक करंट सा। मेरा लंड फड़क गया।
उस रात से शुरू हो गया। हर शाम चैटिंग। भाभी का नंबर लिया, व्हाट्सएप पर। पहले हल्की-फुल्की बातें – "क्या खाया?", "मूवी देखी?"। लेकिन एक हफ्ते बाद, रात को मैसेज आया – "राजू, नींद न आ रही। तू?" मैंने रिप्लाई किया – "मैं भी भाभी। कुछ शेयर करूँ?" फोटो भेजी – जिम वाली, मेरी मसल्स दिख रही। भाभी ने तुरंत – "वाह! कितना फिट है तू। भाई तो मोटा हो गया।" इमोजी के साथ हार्ट। मैंने बोल्ड होकर – "भाभी, आपकी फोटो भेजो ना।" वो भेजीं – साड़ी में, कमर दिखाते हुए। कैप्शन – "ये लाइक करो।" मैंने लाइक्स की, लेकिन नीचे कमेंट – "भाभी, आपकी कमर... कमाल।" वो ऑनलाइन रहीं, लेकिन रिप्लाई न किया। अगली रात वीडियो कॉल।
"हैलो भाभी!" मैंने कहा। वो बेड पर लेटीं, नाइट गाउन। "हाय राजू, कैसा है?" बातें हुईं। लेकिन कॉल कटने से पहले, वो बोलीं – "राजू, एक सीक्रेट। कभी-कभी रात को... अकेलापन बहुत सताता है।" मेरा दिल धड़का। "कैसे भाभी?" वो शरमाईं – "अरे, समझदार है तू।" कॉल कटा, लेकिन मेरे दिमाग में तूफान। अगली सुबह, भाई गया काम पर। मैं घर पर। भाभी नहा रही थीं। दरवाजा खुला छोड़ दिया था – शायद गलती से। मैंने झाँका। वाह! नंगा बदन, पानी से भीगा। चूचियाँ गोल, गुलाबी निप्पल्स। गांड गोल, चूत पर हल्के बाल। मैं वहीं खड़ा, लंड बाहर। हाथ हिला रहा था। भाभी ने सुना, मुड़ीं – "राजू!" चीखीं, लेकिन आँखों में शरम के साथ चमक।
"सॉरी भाभी!" मैं भागा। लेकिन शाम को मैसेज – "भाभी, माफ कर दो।" वो – "ठीक है, लेकिन अगली बार नो नो।" इमोजी – चुटकी। रात को फिर कॉल। "राजू, आज क्या देखा तूने?" मैं हकलाया – "भाभी, आप... परफेक्ट हो।" वो हँसीं। "सच? तो बता, क्या पसंद आया?" मैं बोल गया – "सब कुछ। खासकर... नीचे वाला।" साइलेंस। फिर वो – "राजू, तू नॉटी है। लेकिन... अच्छा लगा सुनकर।" कॉल पर ही, वो गाउन ऊपर किया। चूचियाँ दिखीं। "ये देख।" मैं पागल। "भाभी, छूना चाहूँ?" वो – "काश। लेकिन भाई है ना।" लेकिन अगली रात, भाई नाइट शिफ्ट पर गया। घर अकेले हम।
रात ११ बजे। भाभी कमरे में। मैं गया। "भाभी, मसाज दूँ?" वो मुस्कुराईं – "चल, पीठ दर्द है।" लेटीं बेड पर, गाउन ऊपर। कमर नंगी। मैं तेल लगाया। हाथ फिसले, गांड पर। वो सिसकीं – "आह राजू..." मेरा लंड सख्त। मैंने दबाया उनकी गांड पर। वो न रुकीं। पलटीं। आँखों में आग। "राजू, ये गलत है। लेकिन... रोक न सका।" मैं झुका, होंठ चूमे। वो चूसी मेरी जीभ। हाथ मेरी पैंट में। "वाह, कितना बड़ा!" लंड बाहर निकाला। ७ इंच का, मोटा। वो मुंह में लिया। चूसने लगीं। "उम्म... राजू का लंड... स्वादिष्ट।" मैं चूचियाँ दबाईं। निप्पल चूसे। वो चीखीं – "आह... काट ले!"
फिर मैं नीचे गया। चूत पर हाथ। गीली। उंगली डाली। "भाभी, कितनी टाइट!" वो – "भाई का छोटा है, तू... फाड़ देगा।" मैं चाटा। जीभ अंदर। वो कूदने लगीं – "ओह राजू... चूस... चूत चूस!" मैंने १० मिनट चाटा। वो झड़ीं – "आ गया... पानी... पी ले!" मीठा रस। फिर ऊपर आया। लंड चूत पर रगड़ा। "डाल राजू!" धक्का। अंदर। टाइट। "आह... दर्द... लेकिन मजा!" मैं पेला। धीरे-धीरे तेज। बेड हिल रहा। "भाभी, तेरी चूत... स्वर्ग!" वो – "तेरा लंड... राजा!" २० मिनट पेला। पोजिशन चेंज – डॉगी। गांड पकड़ी, चोदा। थप्पड़ मारे। "रंडी भाभी... चोदू तुझे!" वो – "हाँ चोद... भाई से ज्यादा!" आखिर में, झड़ गया अंदर। गर्म वीर्य। वो लिपट गईं। "राजू, ये हमारा राज रहेगा।"
लेकिन ये तो शुरुआत थी। अगली रातें और गर्म हुईं। कभी किचन में, साड़ी ऊपर करके। कभी बाथरूम में, नहाते हुए। एक बार भाई घर आया, हम बेड के नीचे। हँसी आई। लेकिन टेंशन भी। भाभी प्रग्नेंट हो गईं – मेरा बच्चा। भाई को लगा अपना। लेकिन मैं जानता हूँ। अब गाँव लौट आए सब। भाभी की नजरें मुझ पर। सीरीज जारी रहेगी। अगली कहानी – "बहन की शादी की रात"। तब तक, मुठ मार ले दोस्तों। मस्तराम का चेला बोल रहा था – राजू।
Fuckuguy
albertprince547;
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मस्तराम का चेला : सीरीज - by Fuckuguy - 07-11-2025, 09:54 AM



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