05-11-2025, 11:34 PM
मनोहर के जाने के बाद कमरा मोमबत्तियों की लौ और चरमराती आग की रोशनी से भर गया था। दीवारों पर नाचती परछाइयां जैसे जीवित हो उठीं, हर कोने से एक रहस्यमयी छाया उभर रही थी। सौम्या ने राजेश की ओर मुड़कर कहा, उसकी आवाज कांप रही थी, 'राजेश, क्या तुम्हें नहीं लगता ये जगह भूतिया vibes दे रही है? सब कुछ इतना भयानक लग रहा है... और ये मनोहर, कितना डरावना है। शायद कोई खतरनाक कातिल हो, जो अकेला इसी भूत बंगले में रहता हो?' उसके शब्द हवा में लटक गए, और मोमबत्ती की लौ ने उसके चेहरे पर एक डरावनी चमक डाल दी। उसके गीले कपड़े अभी भी उसके कर्वी बॉडी से चिपके हुए थे, साड़ी के नीचे उसके भरे-भरे स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे, सांसों की गति से। वह राजेश के करीब आ गई, उसकी आंखों में चिंता और एक अजीब सी उत्तेजना मिश्रित थी।
राजेश जोर से हंस पड़ा, उसकी हंसी कमरे की शांति को चीर गई। 'अरे सौम्या, तुम कितनी नादान हो!' उसने कहा, और उसके हाथ सौम्या के कंधे पर रख दिए, हल्के से मालिश करते हुए। 'हमें तो बस रात काटनी है यहां। मनोहर अच्छा आदमी है, उसने हमें रहने दिया, पैसे भी नहीं लिए। क्या डरने की बात है?' वह मुस्कुराया, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारत भरी चमक थी। सौम्या का शरीर उसके स्पर्श से गर्म हो गया, उसके निप्पल्स ब्लाउज के नीचे सख्त हो रहे थे, बारिश की ठंडक और राजेश की गर्मी के बीच फंसे हुए।
सौम्या ने सिर हिला दिया, उसकी आंखें कमरे के कोनों में घूम रही थीं। 'लेकिन राजेश, मुझे यहां आने के बाद बहुत बुरा लग रहा है। ये गंध... ये शांति... सब कुछ गलत लगता है।' उसकी आवाज धीमी हो गई, और वह राजेश के सीने से लग गई, उसके दिल की धड़कन महसूस करते हुए। उसके कूल्हे राजेश के शरीर से रगड़ खा रहे थे, अनजाने में, लेकिन एक मीठी सी सनसनी पैदा कर रहे थे। बाहर बारिश की आवाज तेज हो रही थी, जैसे कोई रहस्य खुलने का इंतजार कर रहा हो।
राजेश ने मुस्कुराते हुए उसे और करीब खींच लिया, उसके होंठ सौम्या के कान के पास आ गए। 'चिंता मत करो मेरी जान,' उसने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी सांस गर्म और उत्तेजक। 'मैं बेड पर तुम्हारा मूड बना दूंगा। इतना जोर से चिल्लाओगी कि सारे भूत भाग जाएंगे, तुम्हारी कराहों को सुनकर।' उसके शब्दों में एक कामुक लय थी, और उसका हाथ सौम्या की कमर पर सरक गया, हल्के से दबाते हुए। सौम्या के चेहरे पर लाली छा गई, उसके गाल गर्म हो गए, और उसके शरीर में एक मीठी सी कंपकंपी दौड़ गई। वह राजेश की छाती पर हल्का सा मुक्का मारते हुए बोली, 'बदमाश! ऐसे कैसे कह देते हो?' लेकिन उसकी आंखों में शरम के साथ-साथ एक इच्छा भी झलक रही थी, जैसे मनोहर की अनुपस्थिति में यह पल और गहरा हो रहा हो। राजेश ने उसे चूमने की कोशिश की, लेकिन सौम्या हंसते हुए पीछे हट गई, फिर भी उसके शरीर की गर्मी कमरे की ठंडक को भूलाने लगी थी। मोमबत्तियों की लौें नाच रही थीं, जैसे उनकी उत्तेजना को देख रही हों, और बंगले का रहस्य अभी भी हवा में तैर रहा था।
राजेश जोर से हंस पड़ा, उसकी हंसी कमरे की शांति को चीर गई। 'अरे सौम्या, तुम कितनी नादान हो!' उसने कहा, और उसके हाथ सौम्या के कंधे पर रख दिए, हल्के से मालिश करते हुए। 'हमें तो बस रात काटनी है यहां। मनोहर अच्छा आदमी है, उसने हमें रहने दिया, पैसे भी नहीं लिए। क्या डरने की बात है?' वह मुस्कुराया, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारत भरी चमक थी। सौम्या का शरीर उसके स्पर्श से गर्म हो गया, उसके निप्पल्स ब्लाउज के नीचे सख्त हो रहे थे, बारिश की ठंडक और राजेश की गर्मी के बीच फंसे हुए।
सौम्या ने सिर हिला दिया, उसकी आंखें कमरे के कोनों में घूम रही थीं। 'लेकिन राजेश, मुझे यहां आने के बाद बहुत बुरा लग रहा है। ये गंध... ये शांति... सब कुछ गलत लगता है।' उसकी आवाज धीमी हो गई, और वह राजेश के सीने से लग गई, उसके दिल की धड़कन महसूस करते हुए। उसके कूल्हे राजेश के शरीर से रगड़ खा रहे थे, अनजाने में, लेकिन एक मीठी सी सनसनी पैदा कर रहे थे। बाहर बारिश की आवाज तेज हो रही थी, जैसे कोई रहस्य खुलने का इंतजार कर रहा हो।
राजेश ने मुस्कुराते हुए उसे और करीब खींच लिया, उसके होंठ सौम्या के कान के पास आ गए। 'चिंता मत करो मेरी जान,' उसने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी सांस गर्म और उत्तेजक। 'मैं बेड पर तुम्हारा मूड बना दूंगा। इतना जोर से चिल्लाओगी कि सारे भूत भाग जाएंगे, तुम्हारी कराहों को सुनकर।' उसके शब्दों में एक कामुक लय थी, और उसका हाथ सौम्या की कमर पर सरक गया, हल्के से दबाते हुए। सौम्या के चेहरे पर लाली छा गई, उसके गाल गर्म हो गए, और उसके शरीर में एक मीठी सी कंपकंपी दौड़ गई। वह राजेश की छाती पर हल्का सा मुक्का मारते हुए बोली, 'बदमाश! ऐसे कैसे कह देते हो?' लेकिन उसकी आंखों में शरम के साथ-साथ एक इच्छा भी झलक रही थी, जैसे मनोहर की अनुपस्थिति में यह पल और गहरा हो रहा हो। राजेश ने उसे चूमने की कोशिश की, लेकिन सौम्या हंसते हुए पीछे हट गई, फिर भी उसके शरीर की गर्मी कमरे की ठंडक को भूलाने लगी थी। मोमबत्तियों की लौें नाच रही थीं, जैसे उनकी उत्तेजना को देख रही हों, और बंगले का रहस्य अभी भी हवा में तैर रहा था।


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