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Thriller BHOOT BANGLA
#4
बूढ़ा आदमी ने दरवाज़ा पूरी तरह खोल दिया और उन्हें अंदर आने का इशारा किया। 'आइए, आइए साहब। मेरा नाम मनोहर है। मैं ही यहाँ का चौकीदार हूँ। चलिए, अंदर चलें, बारिश से बचिए।' उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी मिठास थी, लेकिन आँखें सौम्या पर टिकी हुई थीं। राजेश ने सौम्या का हाथ थामा और मनोहर के पीछे-पीछे अंदर दाखिल हो गए। सौम्या अभी भी डरी हुई लग रही थी, लेकिन बारिश की ठंडक में अंदर का सूखा स्थान कुछ राहत दे रहा था।

मनोहर ने उन्हें एक पुराने हॉल में ले जाया, जहाँ दीवारें ऊँची-ऊँची थीं और पुरानी पेंटिंग्स लटकी हुई थीं। अंदर अंधेरा था, लेकिन कुछ मोमबत्तियाँ जल रही थीं – उनकी लौ हल्की-हल्की काँप रही थी, जो छत पर लगे पुराने झूमरों को रोशन कर रही थीं। सौम्या ने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई। बंगले का इंटीरियर बहुत खूबसूरत था – नक्काशीदार लकड़ी के फर्नीचर, मखमली पर्दे जो धूल से ढके थे, और फर्श पर पुरानी टाइलें जो चमक रही थीं। अंधेरे में भी यह जगह राजसी लग रही थी, जैसे कोई पुराना महल हो। 'वाह, यह जगह तो कितनी सुंदर है,' सौम्या ने फुसफुसाते हुए कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में अभी भी हल्की घबराहट थी।

मनोहर ने उन्हें एक पुराने सोफे पर बिठाया और पास में खड़े हो गया। वह राजेश और सौम्या को देखकर मुस्कुरा रहा था। 'अरे वाह, क्या जोड़ी है आप दोनों की! साहब, आपकी पत्नी तो बहुत सुंदर हैं। इतने सालों बाद ऐसी जोड़ी देखी।' उसकी नज़रें सौम्या पर ठहर गईं। सौम्या पूरी तरह भीगी हुई थी – उसकी साड़ी शरीर से चिपक गई थी, जिससे उसकी पतली कमर और नाभि साफ़ दिख रही थी। उसके छोटे-छोटे होंठ चमकदार और रसीले लग रहे थे, जैसे कोई मीठा फल। लंबे रेशमी बाल गालों और गर्दन पर चिपक गए थे, जो उसे और भी आकर्षक बना रहे थे। मनोहर की आँखें चमक रही थीं – एक भूखी चमक, लेकिन राजेश को इसका कुछ पता नहीं चला। वह थकान से सोफे पर लेटा हुआ था।

राजेश ने मनोहर की ओर देखा और पूछा, 'मनोहर जी, यह बंगला कितना पुराना लगता है। आप यहाँ कैसे रहते हैं?'

मनोहर ने हँसते हुए कहा, 'हाँ साहब, यह बंगला बहुत पुराना है। ब्रिटिश ज़माने का। मैं यहाँ का चौकीदार हूँ। पंद्रह साल से बंद पड़ा है – मालिक कहीं चले गये, कोई नहीं आता। बस मैं ही अकेला रहता हूँ। रातें तो कट जाती हैं, लेकिन आज आप लोगों के आने से अच्छा लगा। चाय पिलाऊँ? या कुछ और चाहिए?' उसकी नज़र फिर सौम्या पर गई, लेकिन राजेश ने कुछ नोटिस नहीं किया। सौम्या ने शर्म से नज़रें झुका लीं, मन में एक अजीब-सी बेचैनी फैल रही थी। बंगले का माहौल अब और भी रहस्यमयी हो गया था, मोमबत्तियों की लौ में छायाएँ नाच रही थीं।
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BHOOT BANGLA - by AzaxPost - Yesterday, 04:30 PM
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RE: BHOOT BANGLA - by RAHUL 23 - 7 hours ago
RE: BHOOT BANGLA - by Blackdick11 - 6 hours ago



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