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Fantasy RAJAMATA SHIVGAMI DEVI
#5
मंदिर के विशाल द्वार पर पहुँचते ही लिंगसेन ने राजमाता शिवगामी देवी का स्वागत किया, उसके चेहरे पर एक चालाक मुस्कान खेल रही थी। 'नमस्कार, राजमाता जी,' उसने कहा, आवाज़ में एक गहरी, वासना भरी गूंज छिपी हुई। 'आपकी उपस्थिति से यह मंदिर और भी पवित्र हो गया है। आपकी यह लाल साड़ी, जो आपकी कमर की घुमावदार रेखाओं को इस तरह लपेटे हुए है, जैसे कोई देवी का आलिंगन हो। और वह बिना आस्तीन का काला ब्लाउज... आह, आपके उभरे स्तनों को इस तरह उभारता है कि शिवलिंग स्वयं ईर्ष्या करे। आपके सोने के हीरे के आभूषण चमक रहे हैं, जैसे आपकी योनि की चमक को प्रतिबिंबित कर रहे हों।' उसकी आँखें राजमाता के शरीर पर घूम रही थीं, और उसका लंड साड़ी के नीचे खड़ा हो गया, कड़ा और उत्तेजित, जैसे पूजा की घंटी बज रही हो।

राजमाता शिवगामी ने मंदिर की ओर नज़र दौड़ाई। यह मंदिर लिंगपुरम का सबसे भव्य स्थल था—विशाल, धनाढ्य और अत्यंत सुंदर। संगमरमर के स्तंभों पर नक्काशीदार मूर्तियाँ खड़ी थीं, जहाँ नग्न देवियाँ अपने उज्ज्वल स्तनों को सहलातीं, योनि को खुला रखे हुए। दीवारें कामुक चित्रों से सजीं, जहाँ पुरुष देवता स्त्रियों की चूत में लंड घुसेड़ते, चोदते हुए दिखाए गए थे। मंदिर का मुख्य शिवलिंग विशाल था, मोटा और सीधा, नसों से भरा, जिसके आधार पर असंख्य स्त्रियों की मूर्तियाँ उँगलियाँ लपेटे हुए थीं, जैसे वे इसे चूस रही हों। गुप्त कक्ष और द्वार हर कोने में छिपे थे, जहाँ रहस्यमयी अनुष्ठान होते, और हवा में एक मादक सुगंध फैली रहती—चंदन, अगरबत्ती और वासना का मिश्रण। सोने-चाँदी के थाटू पर रखे इडॉल्स में देवियाँ एक-दूसरे की गांड चाट रही थीं, या पुरुषों के लंड को मुंह में ले रही। यह मंदिर न केवल धार्मिक था, बल्कि एक कामुक स्वर्ग, जहाँ हर पत्थर से कामुकता टपकती।

राजमाता को लिंगसेन की प्रकृति ज्ञात थी—उसकी विकृति, उसका अंधेरा पक्ष, जो वह धार्मिक आड़ में छिपाता। लेकिन वह वैसा ही व्यवहार करतीं, जैसे वह एक सज्जन पुरुष हो। 'लिंगसेन जी, आपकी प्रशंसा हमेशा हृदयस्पर्शी होती है,' उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, उनकी आवाज़ में एक चालाक लय। 'यह मंदिर आपकी देखरेख में और भी जीवंत हो गया है। इन मूर्तियों को देखकर लगता है, जैसे वे साँस ले रही हों, अपने अंगों को सहला रही हों।' उनकी आँखें लिंगसेन की ओर गईं, जहाँ उसका उभरा लंड साफ़ दिख रहा था, लेकिन उन्होंने अनदेखा किया, जैसे यह सामान्य हो।

लिंगसेन ने एक कदम आगे बढ़ाया, उसकी साँसें भारी। 'राजमाता, आप जानती हैं, यहाँ हर प्रतीक यौन ऊर्जा का है। देखिए यह शिवलिंग... इसे छूने से ही शक्ति जागृत होती है। क्या आप अनुमति देंगी कि मैं आपको इसका स्पर्श करवाऊँ? आपकी उँगलियाँ इसके आधार पर... जैसे वे मेरे लंड को पकड़ रही हों।' उसकी बातों में कामुकता लिपटी थी, चालाकी से भरी।

राजमाता ने हल्के से हँसते हुए कहा, 'बिल्कुल, लिंगसेन जी। धर्म की राह पर चलना ही तो हमारा कर्तव्य है। लेकिन याद रखें, कुछ रहस्य अभी गुप्त रहें।' उनके बीच कई गुप्त बातें थीं—भविष्य में खुलने वाली, जो साम्राज्य की नींव हिला सकतीं। लिंगसेन का लंड और कड़ा हो गया, जैसे कोई अनुष्ठान शुरू होने वाला हो, लेकिन राजमाता की आँखों में एक रहस्यमयी चमक थी, जो बताती कि खेल अभी शुरू ही हुआ है...
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RAJAMATA SHIVGAMI DEVI - by AzaxPost - 30-10-2025, 01:34 PM
RE: RAJAMATA SHIVGAMI DEVI - by AzaxPost - 6 hours ago
RAJMATA SHIVGAMI DEVI - by AzaxPost - 30-10-2025, 05:48 PM



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