Thread Rating:
  • 4 Vote(s) - 2.75 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery BABA KALICHARAN
#16
अगले दिन नवरात्रि का पहला दिन था। सुबह की धूप अभी पूरी तरह से फैल भी नहीं पाई थी, लेकिन आरती की आंखें देर से खुलीं। रात की थकान अभी भी उसके शरीर में बसी हुई थी, बाबा कालिचरण के गुप्त स्पर्श की यादें उसके मन में घूम रही थीं। अंकुर, उसका पति, पहले ही ऑफिस चला गया था—बिना कुछ कहे, बस एक चाय का कप छोड़कर। आरती बिस्तर से उठी, उसकी नंगी चूत अभी भी हल्की नमी से भरी हुई थी, जैसे बाबा का लंड उसके अंदर घुसा हुआ हो। वह फ्रेश होने लगी, दांत साफ किए, मुंह धोया, और फिर बाथरूम की ओर बढ़ी। ठंडा पानी बहने लगा, जो उसके नंगे शरीर पर गिरते ही एक झुरझुरी सी पैदा कर दी। आश्रम से मिला विशेष शैंपू उसके हाथ में था—वो जो बाबा ने खुद दिया था, कहते हुए कि ये देवी मां की कृपा वाला है। आरती ने शैंपू अपने बालों में लगाया, फिर उसे झाग बनाते हुए अपने स्तनों पर फैलाया। ठंडे पानी की धार उसके काले निप्पलों पर गिर रही थी, जो तुरंत सख्त हो गए, जैसे कोई पुरुष उन्हें चूस रहा हो। वह अपनी चूत पर हाथ फेरा, शैंपू की सुगंध उसके गुप्त अंगों में घुस गई, और अचानक एक उत्तेजना सी महसूस हुई। बाबा की याद आई, कैसे उन्होंने रात को उसके शरीर को तेल से मला था, और अब ये शैंपू वैसा ही जादू चला रहा था। आरती ने अपनी उंगलियां अपनी चूत के होंठों पर रगड़ीं, हल्का सा सिहरन महसूस की, लेकिन रुक गई—समय कम था। वह नहा ली, ठंडे पानी से अपना शरीर साफ किया, और बाहर निकली, सिर्फ एक पतला सा तौलिया लपेटे हुए। उसके गीले बाल कंधों पर लटक रहे थे, और तौलिया उसके स्तनों को मुश्किल से ढक रहा था, नीचे से उसकी गांड की गोलाई साफ दिख रही थी।

बाथरूम से निकलते ही आरती सीधे अपने कमरे की ओर बढ़ी, लेकिन रसोई से चंदनी की नजर उस पर पड़ गई। चंदनी, वो शरारती नौकरानी, जो घर के हर राज को जानती थी, किचन में बर्तन धो रही थी। उसकी आंखें चमक उठीं जब उसने आरती को तौलिये में देखा—नंगे पैर, गीली त्वचा चमक रही थी। 'अरे वाह, दीदी जी! सुबह-सुबह तो आप किसी देवी से कम नहीं लग रहीं। ये तौलिया तो बस नाम का है, पूरा बदन तो चमक रहा है जैसे कोई लंड ने चोदा हो।' चंदनी ने हंसते हुए कहा, अपनी आवाज में वो डबल मीनिंग वाली शरारत डालते हुए। आरती का चेहरा लाल हो गया, वह शरम से झुक गई, लेकिन चंदनी रुकी नहीं। 'नवरात्रि का पहला दिन है, दीदी। देवी मां की पूजा तो ठीक, लेकिन आपकी ये चमक तो बाबा जी की पूजा की तरह लग रही। कल रात तो घर में घंटियां बज रही थीं, या वो आपकी चीखें थीं? आज नौ दिन तक व्रत रखेंगी, लेकिन रात को तो भूख मिटानी पड़ेगी ना, कोई बाबा जी जैसा आशीर्वाद देने वाला।' चंदनी की बातों में वो छिपी हुई कामुकता थी, जो आरती को और उत्तेजित कर रही थी। आरती ने तौलिया कसकर पकड़ा, उसके स्तन ऊपर उठ गए, और वह बोली, 'चुप करो चंदनी, बस काम करो अपना।' लेकिन उसकी आंखों में शरम के साथ-साथ एक चिंगारी थी। चंदनी ने फिर मुस्कुराया, 'हां-हां, दीदी, लेकिन याद रखना, नवरात्रि में गरबा करते वक्त साड़ी न सरक जाए, वरना सबको आपका वो स्कॉर्पियन टैटू दिख जाएगा, जो बाबा जी ने देखा तो आशीर्वाद दिया।' आरती और लज्जा से भर गई, जल्दी से कमरे में घुस गई, लेकिन चंदनी की हंसी पीछे गूंज रही थी।

कमरे में पहुंचते ही आरती ने तौलिया उतार दिया। उसका नंगा शरीर आईने में चमक रहा था—स्तन भरे हुए, कमर पतली, और चूत के ऊपर वो स्कॉर्पियन टैटू, जो बाबा की नजरों में आग लगा देता था। नवरात्रि का पहला दिन था, तो उसने विशेष रूप से सजने का फैसला किया। पहले लाल बिंदी लगाई, जो उसके माथे पर चमक उठी, फिर मंगलसूत्र पहना, जो उसके गले में लटक गया। अब कपड़ों की बारी—उसने वो सेक्सी रेड साड़ी चुनी, जो आश्रम से ही लाई थी, बाबा के आशीर्वाद वाली। साड़ी इतनी पतली और चमकदार थी कि उसके शरीर की हर लकीर दिख रही थी। ब्लाउज काला, लो-कट, जो उसके स्तनों की गहराई को आधा दिखा रहा था—क्लिवेज साफ झांक रहा था, जैसे कोई पुरुष उसे चूमना चाहे। साड़ी को कमर पर लपेटा, लेकिन जानबूझकर ऊपर रखा—चूत के ठीक एक इंच ऊपर, ताकि वो स्कॉर्पियन टैटू आधा दिखे, अगर हवा चले या झुक जाए। साड़ी का पल्लू हल्का सा ढीला रखा, ताकि चाल में लहराए। अब आखिर में आश्रम का विशेष परफ्यूम—वो जो बाबा ने दिया था, देवी पार्वती की सुगंध वाला, लेकिन इसमें एक कामुक मादकता थी। आरती ने इसे अपने गले पर, स्तनों के बीच, और चूत के पास छिड़का। सुगंध फैल गई, जो उसके शरीर को और उत्तेजित कर रही थी—जैसे बाबा का स्पर्श हो। आईने में खुद को देखा, वह मुस्कुराई—ये रूप किसी को भी मदहोश कर देगा। गायत्री तो मंदिर गई हुई थीं, चंदनी किचन में, तो आरती कमरे से बाहर निकली, साड़ी की सरसराहट के साथ, तैयार होकर आश्रम की ओर जाने को। उसके मन में बाबा की याद थी, और नवरात्रि की ये पूजा अब उसके लिए एक नई वासना का त्योहार बनने वाली थी।
[+] 1 user Likes AzaxPost's post
Like Reply


Messages In This Thread
BABA KALICHARAN - by AzaxPost - 29-10-2025, 02:37 PM
RE: BABA KALICHARAN - by AzaxPost - Yesterday, 12:48 PM
RE: BABA KALICHARAN - by AzaxPost - Yesterday, 02:47 PM
RE: BABA KALICHARAN - by fantasywriter - Yesterday, 04:09 PM
RE: BABA KALICHARAN - by AzaxPost - 9 hours ago



Users browsing this thread: 1 Guest(s)