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Adultery BABA KALICHARAN
#1
Wink 
BABA KALICHARAN

बाबा कालिचरण, 49 वर्षीय, अपनी शादीशुदा भक्त आरती को, जो 31 साल की मां है एक बेटे की, उसके बेडरूम में जोरदार तरीके से चोद रहे थे। आरती का घर बाबा का भक्त परिवार था। दीवारों पर हर जगह बाबा की फोटो लगी हुई थीं, जो उनकी भक्ति को दर्शाती थीं। बाबा हमेशा पीछे के दरवाजे से आते थे, जब आरती की सास गायत्री घर पर नहीं होती। आज भी वही हुआ था। गायत्री मंदिर गई हुई थी, और बाबा चुपके से अंदर घुस आए थे।

आरती नंगी लेटी हुई थी, उसके शरीर पर तेल मला हुआ था, जो चमक रहा था। बाबा का मोटा लंड उसकी चूत में तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था। आरती की आंखें बंद थीं, मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं। वह पूरी तरह से मजा ले रही थी और बाबा को उकसा रही थी।

"ओह बाबा... हां... और जोर से चोदो मुझे... आपका लंड तो कमाल का है... मेरी चूत को फाड़ दो..." आरती की आवाज कांप रही थी, उसके हाथ बाबा की पीठ पर नाखून चला रहे थे।

बाबा कालिचरण मुस्कुराते हुए उसके कानों में फुसफुसा रहे थे, उनकी आवाज गहरी और कामुक थी। "आरती रानी, तेरी चूत कितनी गर्म और गीली है... मैं तुझे रोज चोदूंगा... तू मेरी भक्त है, लेकिन बेड पर मेरी रंडी... ले, ले मेरा लंड पूरा अंदर..." वह और तेजी से धक्के मारने लगे, उनके पसीने से तरबतर शरीर आरती के तेल वाले बदन से रगड़ खा रहे थे। बाबा के हाथ आरती के स्तनों को मसल रहे थे, निप्पल्स को चुटकी काट रहे थे।

आरती के पैर बाबा की कमर पर लिपटे हुए थे, वह अपने कूल्हों को ऊपर उठा रही थी ताकि बाबा का लंड और गहराई तक जाए। "बाबा जी... मैं... मैं आने वाली हूं... आपकी भक्ति ने मुझे पागल बना दिया... चोदो... हां..." उसकी सांसें तेज हो गईं, चूत में सिकुड़न महसूस हो रही थी। वह चरम पर पहुंचने वाली थी, उसका शरीर कांप रहा था।

बाबा भी उत्तेजित थे, उनका लंड और सख्त हो गया था। "हां मेरी जान, झड़ जा... तेरी चूत का रस मेरे लंड पर बहा दे... मैं तुझे भर दूंगा अपने वीर्य से..." वे आरती के होंठों पर किस करते हुए कह रहे थे, जीभ अंदर डालकर चूस रहे थे। कमरे में केवल उनकी सिसकारियां और लंड-चूत की चाप-चाप की आवाज गूंज रही थी। बाबा की फोटो वाली दीवारें चुपचाप देख रही थीं इस पवित्र भक्ति के इस गुप्त रूप को।

अचानक, डोरबेल की आवाज बजी। डिंग-डॉंग! आरती की आंखें खुलीं, उसका दिल धक् से रह गया। वह घबराकर बाबा को धक्का दिया। "बाबा... रुको... कोई आया..." वह जल्दी से बिस्तर से उतरी, नंगी ही खिड़की की ओर दौड़ी। बाहर झांका तो देखा—उसकी सास गायत्री आ गई थीं। गायत्री, जो बाबा कालिचरण की बड़ी भक्त थीं, मंदिर से लौट रही थीं। उनके हाथ में पूजा का थैला था।

आरती का चेहरा सफेद पड़ गया। वह पैनिक में बाबा की ओर मुड़ी, जो अभी भी लंड बाहर निकालकर खड़े थे। "बाबा जी... मेरी सास आ गईं... छुप जाओ... जल्दी... मेरे कमरे में ही रहो... कहीं बाहर मत जाना..." उसकी आवाज फुसफुस में थी, हाथ कांप रहे थे। वह जल्दी से एक शॉल लपेट ली, तेल वाला शरीर अभी भी चिपचिपा था। बाबा ने जल्दी से अलमारी के पीछे छुपने की कोशिश की, लेकिन आरती ने उन्हें बिस्तर के नीचे इशारा किया। "यहां... छुपो... मैं संभाल लूंगी..."
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BABA KALICHARAN - by AzaxPost - 29-10-2025, 02:37 PM
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RE: BABA KALICHARAN - by fantasywriter - Yesterday, 04:09 PM
RE: BABA KALICHARAN - by AzaxPost - 6 hours ago



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