22-10-2025, 12:32 PM
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अपडेट – 4
शैतान राज की छाया:- हा हा हा हा हा हा तुम उसे नहीं ले जा सकती उसे यहीं आईने की दुनिया में रहकर महान शैतान बनना होगा उसने अपनी आत्मा के टुकड़े कर लोए और मुझे यहाँ फेंक दिया इसकी सजा उसे ज़रूर मिलेगी हा हा हा हा .........................
जी हाँ ना तो राज़ के दादा ने ये सब किया था न ही राज़ ने खुद ने बल्कि ये सब किया कराया राज़ के शैतानी अंश का था जिसे राज़ ने खुद से अलग कर दिया था आगे पता लगेगा की राज़ ने ऐसा कब और क्यू किया ? जानने के लिए पढ़ते रहिए एक द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism} ( अंधकार की अनपेक्षित चाहत
अब आगे............
जैसे ही तीनों ने अपने हाथ गुफ़ा की दीवारों पर रखे, दीवारों में से एक भयानक नीली रौशनी फूट पड़ी। हवा में एक अजीब गंध फैल गई — लोहे और धुएँ की मिली-जुली गंध। उनके हाथों के नीचे दीवारें जैसे ज़िंदा हो उठीं।
कोमल के सामने उसका डर उभरने लगा — एक सुनसान जंगल, जहां सिर्फ़ सन्नाटा था। उसके सामने एक टूटा हुआ झूला झूल रहा था, और झूले पर कोई बैठा था — वो खुद। लेकिन उसकी आँखें काली थीं।
“तू मुझसे क्यों डरती है?” उसकी ही परछाई ने पूछा।
कोमल काँप गई, “क्योंकि तू मुझे वो दिखाती है, जो मैं भूलना चाहती हूँ…”
“फिर भूल मत। सामना कर,” आवाज़ आई।
कोमल ने अपनी आँखें बंद कीं, और एक तेज़ चीख के साथ वह परछाई धुएँ में बदल गई। दीवार चमक उठी — उसका डर टूट चुका था।
दूसरी ओर, रानी की दीवार पर लाल रौशनी फैलने लगी। उसके सामने एक बर्फीला मैदान बना। वहाँ एक आकृति खड़ी थी — उसके दादाजी।
“रानी, तुमने मुझ पर विश्वास तोड़ दिया,” वह गूँजे।
रानी की आँखों में आँसू आ गए, “नहीं दादाजी, मैंने वही किया जो ज़रूरी था!”
“तो फिर ये साबित करो,” वह आवाज़ फटी, और उसके चारों ओर बर्फ़ गिरने लगी।
रानी ने अपनी हथेलियाँ जोड़ लीं, “मुझे अपनी आत्मा की सज़ा मंज़ूर है, लेकिन मैं अब पीछे नहीं हटूँगी।”
बर्फ़ अचानक पिघल गई, और उसकी दीवार पर सुनहरी रोशनी फैल गई।
सोनिया की दीवार अब चमक रही थी — लेकिन उसमें एक औरत दिखाई दी, जो किसी छाया से बनी थी।
“सोनिया… तू क्यों सोचती है कि तू सबसे कमज़ोर है?”
सोनिया का गला सूख गया, “क्योंकि मैं हमेशा दूसरों के पीछे छिप जाती हूँ…”
“तो अब खुद को छिपाना छोड़ दे।”
सोनिया ने एक लंबी साँस ली, और अपने दोनों हाथ दीवार पर ज़ोर से रख दिए — पूरी गुफ़ा गूँज उठी। उसकी आँखों से आँसू बहे, और फिर वह छाया प्रकाश में विलीन हो गई।
तीनों की दीवारें अब एक साथ चमकने लगीं। गुफ़ा के केंद्र में ज़मीन फट गई, और वहाँ से आईने का एक टुकड़ा बाहर निकला — वही आईना जिससे राज की आवाज़ आती थी।
आईने में अब राज की छवि स्पष्ट थी, लेकिन वो थका हुआ और घायल लग रहा था।
“तुमने पहला चरण पार कर लिया है,” राज की आवाज़ आई।
कोमल बोली, “पहला चरण? मतलब अभी और बाकी है?”
राज ने सिर हिलाया, “हाँ… अब तुम्हें उस शक्ति को जगाना होगा जो तुम्हारे अंदर सुप्त है। वह शक्ति जो निलांकर वंश से जुड़ी है। लेकिन सावधान रहना, क्योंकि अब जो तुम्हारे सामने आएगा, वो तुम्हारा दुश्मन नहीं — तुम्हारे भीतर का अंधकार है।”
अचानक गुफ़ा की दीवारें फिर काँपने लगीं। हर तरफ से परछाइयाँ उभरने लगीं — काली, बिना चेहरों वाली, लेकिन हर एक में उन तीनों की झलक थी।
सोनिया चीख पड़ी, “ये… ये तो हम ही हैं!”
राज की आवाज़ गूँजी, “हाँ, ये तुम्हारी ही परछाइयाँ हैं। जब तक तुम इन्हें स्वीकार नहीं करोगी, तुम मुझे आज़ाद नहीं कर पाओगी।”
अब एक-एक कर तीनों परछाइयाँ सामने आईं।
कोमल की परछाई बोली, “तू हमेशा दूसरों के लिए जीती है, लेकिन खुद के लिए कभी नहीं!”
रानी की परछाई बोली, “तेरे अंदर बदले की आग है, जिसे तू प्यार का नाम देती है!”
और सोनिया की परछाई बोली, “तू डरती है कि कोई तुझे छोड़ देगा, इसलिए तू खुद को कमजोर दिखाती है!”
गुफ़ा में बिजली सी कौंधी। तीनों लड़कियाँ अब अपने ही अंधेरे रूपों के सामने खड़ी थीं।
कोमल ने कहा, “अगर तुम्हें हराना है, तो हमें खुद को स्वीकार करना होगा।”
रानी और सोनिया ने सिर हिलाया।
तीनों ने अपने हाथ उठाए — और गुफ़ा में तीन अलग-अलग रोशनियाँ फूट पड़ीं —
नीली, लाल और सुनहरी।
तीनों रोशनियाँ मिलकर एक प्रचंड प्रकाश में बदल गईं, और गुफ़ा में गूँज उठा एक स्वर —
“निलांकर शक्ति जागृत हो!”
जैसे ही वो शब्द गूँजे, सारी परछाइयाँ गायब हो गईं। आईने का टुकड़ा हवा में उठकर तीनों के बीच आ गया। उसमें अब राज की छवि साफ़ दिख रही थी — लेकिन अब वो मुस्कुरा रहा था।
“तुमने कर दिखाया…” राज ने कहा, “अब मैं अपनी जंजीरों को महसूस कर सकता हूँ… लेकिन उन्हें तोड़ने के लिए तुम्हें उस एक जगह जाना होगा — ‘समय का द्वार’।”
रानी ने पूछा, “वो कहाँ है?”
राज ने धीरे से कहा, “वो यहीं है… गुफ़ा के भीतर, लेकिन उसके पार जाने के लिए तुम्हें किसी एक की आहुति देनी होगी।”
तीनों एक साथ चौंक गईं।
सन्नाटा छा गया।
गुफ़ा के बीच ज़मीन हिलने लगी, और एक विशाल दरवाज़ा उभर आया — उस पर लिखा था:
“समय का द्वार — प्रवेश उन्हीं को जिनका दिल सच्चा है।”
अब सवाल यह था —
कौन देगा आहुति?
और क्या राज सच में वही है, जिसके लिए वे सब कुछ त्यागने को तैयार हैं…
(दादाजी का रहस्य और समय का द्वार)
गुफ़ा की गहराई में हवा जैसे थम गई थी। चारों ओर केवल मशालों की मद्धम लौ झिलमिला रही थी। कोमल, रानी और सोनिया तीनों द्वार के सामने खड़ी थीं, और उनके दिलों की धड़कनें अब एक सुर में बज रही थीं — भय, आशा और अंधकार का मिश्रण।
“आहुति देनी होगी…” राज की आवाज़ फिर आई, पर इस बार वह कुछ कमजोर लगी।
सोनिया ने पूछा, “किसकी आहुति, राज?”
राज ने उत्तर नहीं दिया। उसका चेहरा आईने में धुंधला पड़ने लगा।
रानी ने आगे बढ़ते हुए कहा, “अगर किसी को जाना है, तो मैं जाऊँगी। राज के लिए…”
“नहीं!” कोमल ने उसे रोक लिया, “ये फैसला भावनाओं से नहीं होगा, सत्य से होगा।”
अचानक गुफ़ा के अंदर की हवा भारी होने लगी। मशालों की लौ एक साथ बुझ गई। अंधेरे में एक धीमी हँसी गूँज उठी —
वही हँसी जो रानी ने पहले भी सुनी थी।
रानी की साँस अटक गई, “ये आवाज़… ये तो…”
अंधेरे से एक परछाई निकली। धीरे-धीरे उसका चेहरा स्पष्ट हुआ —
वो दादाजी थे।
लेकिन उनकी आँखें अब वैसी नहीं थीं — उनमें अब एक गहरी, शैतानी चमक थी।
“तो आखिरकार तुम तीनों यहाँ तक पहुँच ही गईं,” दादाजी ने कहा, “लेकिन जो तुम बचाने आई हो, वही तुम्हारे नाश का कारण बनेगा।”
सोनिया ने काँपती आवाज़ में कहा, “दादाजी… आप यहाँ कैसे? आप तो हमारी दुनिया में थे!”
दादाजी हँसे, “मैं कभी तुम्हारी दुनिया में नहीं था। वो तो मेरा भ्रम था — मेरा रूप, जो मैंने भेजा ताकि तुम सब राजकुमारी नैना के छल में फँस सको।”
कोमल ने हैरानी से पूछा, “तो राजकुमारी नैना सच बोल रही थीं… या आप?”
दादाजी की आँखें लाल हो गईं, “नैना? वह तो मेरी बनाई हुई परछाई थी — मेरे खिलाफ खड़ी होने वाली पहली आत्मा। मैंने ही उसे ‘आईने की रक्षक’ बनाया था ताकि वह राज को कैद रखे। लेकिन वह मेरे वंश से गद्दारी कर गई!”
रानी चिल्लाई, “आपने राज को कैद करवाया? वो आपका पोता है!”
“वो मेरा वारिस नहीं,” दादाजी गरजे, “वो मेरा शाप है। क्योंकि राज के भीतर है निलांकर शक्ति का प्रकाश, और मेरे भीतर उसका अंधकार। मैंने उस शक्ति को पाने के लिए राज को आईने में बाँध दिया, ताकि उसकी आत्मा मुझे अमर बना सके!”
गुफ़ा काँप उठी। दीवारों से काले धुएँ के फव्वारे फूट पड़े।
राज की छवि आईने में तड़पने लगी — “दादाजी! आपने झूठ बोला था!”
दादाजी मुस्कराए, “मैंने जो किया, वो अपने वंश को अमर बनाने के लिए किया। तुमने मेरी शक्ति को तोड़ा, अब उसकी क़ीमत ये तीनों लड़कियाँ चुकाएँगी।”
रानी आगे बढ़ी, “हम आपको ऐसा नहीं करने देंगे!”
“तुम? तुम लोग?” दादाजी ने व्यंग्य से कहा, “तुम तीनों मेरे खेल की मोहरे थीं। जो शक्ति अब तुम्हारे भीतर जागी है — वो निलांकर त्रयी शक्ति — वही मुझे आईने से मुक्त करेगी। तुम सोचती हो कि तुम राज को बचाने आई हो? नहीं, तुम मुझे मुक्त करने आई हो!”
कोमल के पैरों तले ज़मीन जैसे खिसक गई।
सोनिया बोली, “तो ये सब जाल था…”
“हाँ,” दादाजी ने कहा, “और अब अंत भी मेरे नियमों से होगा।”
उन्होंने हाथ उठाया। गुफ़ा की दीवारें लाल पड़ गईं। तीनों के शरीर से चमकती हुई रेखाएँ निकलने लगीं, जो हवा में जाकर दादाजी के चारों ओर घूमने लगीं।
राज की आवाज़ आईने से गरजी, “नहीं! दादाजी, उन्हें छोड़ दो! अगर निलांकर शक्ति तुम्हारे भीतर गई, तो समय रुक जाएगा!”
दादाजी हँसे, “यही तो मैं चाहता हूँ — समय का अंत।”
पर तभी कोमल ने चिल्लाकर कहा, “नहीं! शक्ति तुम्हारी नहीं, हमारी है!”
उसने दोनों हथेलियाँ द्वार की ओर फैलाईं। रानी और सोनिया ने भी वही किया।
तीनों की ऊर्जा एक साथ मिलकर नीली आभा में बदल गई।
“निलांकर त्रयी, एक हो जाओ!”
तेज़ प्रकाश ने पूरी गुफ़ा को निगल लिया। दादाजी चीख उठे — “नहीं… यह संभव नहीं!”
आईना टूटने की आवाज़ आई।
राज की जंजीरें एक-एक करके टूटने लगीं।
और उसी क्षण, समय का द्वार चमक उठा।
दादाजी अब राख के समान हो गए थे, लेकिन उनकी आवाज़ गूँजी,
“तुमने मुझे हराया नहीं… मैंने खुद को समय में बिखेर दिया है। अगली युग में मैं लौटूँगा… जब आईना फिर जागेगा।”
रोशनी मंद पड़ गई।
राज अब उनके सामने खड़ा था — ज़िंदा, लेकिन घायल।
वो मुस्कुराया, “तुमने कर दिखाया… लेकिन ये कहानी अभी खत्म नहीं हुई। समय ने हमें एक और परीक्षा के लिए चुना है।”
गुफ़ा की दीवारें धीरे-धीरे ढहने लगीं।
तीनों लड़कियाँ और राज उस चमकदार द्वार से गुज़रे —
और अगले ही पल, सबकुछ शून्य में विलीन हो गया।
दूर से एक हल्की फुसफुसाहट आई —
“निलांकर का रक्त अब जाग चुका है…”
प्रकाश की आँधी थम चुकी थी। चारों ओर केवल धुंध थी — चांदी-सी झिलमिलाती हुई।
कोमल, रानी और सोनिया अब किसी और लोक में खड़ी थीं। हवा में जादू की गंध थी, और आसमान में तीन चाँद दिखाई दे रहे थे।
“ये कहाँ हैं हम?” सोनिया ने धीरे से पूछा।
राज ने चारों ओर देखा, “ये... ‘समय का पारलोक’ है — जहाँ आत्माएँ अपने अधूरे कर्म पूरे करती हैं।”
अचानक हवा काँपी, और धुंध से कोई आकार उभरने लगा।
वो फिर से दादाजी थे — लेकिन अब वे पहले जैसे नहीं लग रहे थे। उनका शरीर आधा जला हुआ, आधा चमकदार ऊर्जा से बना था। उनकी आँखों में अग्नि थी, और चारों ओर बिजली कौंध रही थी।
“तुम सोचते हो, मुझसे भाग गए?” उन्होंने कहा, “मैं समय हूँ... और समय से कोई नहीं बचता!”
राज ने कहा, “आप हार चुके हैं दादाजी! अब ये शक्ति आपकी नहीं!”
“शक्ति मेरी थी और मेरी ही रहेगी,” दादाजी गरजे, “लेकिन इस बार मैं उसे बल से नहीं, संयोग से प्राप्त करूँगा!”
उनके शब्दों के साथ ज़मीन में दरार पड़ी।
तीनों लड़कियों के चारों ओर एक चक्र बनने लगा, जो सुनहरी रेखाओं से बना था।
दादाजी ने हाथ उठाया, “तुम तीनों निलांकर शक्ति के वाहक हो। जब तुम्हारी आत्माएँ मेरे साथ एक होंगी, तब अमरत्व की ज्योति जल उठेगी।”
कोमल चीख उठी, “ये असंभव है! हम तुम्हारे साथ कभी एक नहीं होंगे!”
दादाजी मुस्कराए, “हर शक्ति को उसका स्रोत चाहिए। तुम सब मेरे वंश की रक्तरेखा हो। अगर तुम न मानीं, तो मैं तुम्हारे प्रेम को मिटा दूँगा!”
उन्होंने राज की ओर हाथ बढ़ाया।
राज की देह काँपने लगी, मानो किसी अदृश्य बंधन में बंध गया हो।
रानी और सोनिया ने उसे छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन जादू बहुत शक्तिशाली था।
राज ने दर्द से कहा, “कोमल… सिर्फ़ तू कर सकती है… उसे रोक!”
कोमल के चारों ओर हवा घूमने लगी। उसके बाल उड़ने लगे, और उसकी आँखों से प्रकाश की किरणें फूटने लगीं।
“दादाजी!” वह चिल्लाई, “आपने शक्ति को केवल वश में करना सीखा है, लेकिन उसे महसूस करना नहीं सीखा!”
“प्रेम तुम्हारी कमजोरी है, कोमल,” दादाजी बोले।
“नहीं!” कोमल की आवाज़ गूँजी, “यही मेरी सबसे बड़ी शक्ति है!”
उसने अपने दिल पर हाथ रखा।
वहीं से एक तेज़ सफेद रोशनी निकली — शुद्ध, शांत और अगाध प्रेम की।
वो प्रकाश सीधे राज की ओर गया, फिर उससे टकराकर दादाजी की ओर बढ़ा।
दादाजी ने रोकने की कोशिश की, पर वो प्रकाश उनकी काली ऊर्जा को निगलने लगा।
उनकी चीख हवा में गूँज उठी — “ये कैसे संभव है! प्रेम की शक्ति, समय की सीमा से परे…!”
राज की जंजीरें टूट गईं।
दादाजी का शरीर धीरे-धीरे राख में बदलने लगा, और उनका स्वर अंतिम बार गूँजा,
“मैं लौटूँगा… जब प्रेम कमज़ोर पड़ेगा…”
सन्नाटा छा गया।
धुंध हटने लगी, और सामने केवल तीन चमकते हुए गोले रह गए —
रानी, सोनिया और कोमल की आत्मिक शक्ति के प्रतीक।
राज ने कोमल का हाथ थामते हुए कहा,
“तुमने न सिर्फ़ मुझे बचाया, बल्कि उस अंधकार को भी हरा दिया जो पीढ़ियों से हमारे खून में था।”
कोमल मुस्कराई, “प्रेम कभी हार नहीं मानता, राज… बस उसे याद रखना पड़ता है।”
धीरे-धीरे गुफ़ा की दीवारें फिर चमकने लगीं।
समय का द्वार एक बार फिर खुल गया,
और एक मधुर स्वर हवा में गूँजा —
“निलांकर वंश का शाप अब टूट चुका है…”
तीनों लड़कियाँ और राज उस प्रकाश में समा गए —
और अगले ही पल, सबकुछ शांति में विलीन हो गया।
दर्पण का भ्रमलोक
तीनों लड़कियाँ — कोमल, रानी और सोनिया — आईने के द्वार से होकर अंदर गईं। जैसे ही उन्होंने कदम रखा, हवा में अजीब-सी सिहरन फैल गई। चारों ओर धुंध और मंद रोशनी थी, और उनका दिल तेज़ी से धड़क रहा था।
वहाँ, आईने की दुनिया में, राज खड़ा था। लेकिन वह अकेला नहीं था। उसके चारों ओर अजीबोगरीब आकृतियाँ मंडरा रही थीं। वे किसी इंसान जैसी थीं, लेकिन उनके चेहरे और शरीर अस्पष्ट, धुंधले और डरावने थे। हर आकृति में राज की शक्ति और अंधकार का प्रतिबिंब था।
रानी ने धीरे से कहा, “ये… ये लोग कौन हैं?”
कोमल ने सिर हिलाया, “ये सच में लोग नहीं हैं। ये राज के भीतर की अंधेरी परछाइयाँ हैं — उसकी शक्तियों का अंश, जिसे उसने आईने में बंद कर रखा है।”
सोनिया की आँखों में घृणा और डर दोनों थे। “इतना डरावना… ये देखकर मेरे अंदर की हिम्मत भी डगमगा रही है।”
राज ने देखा और बोला, “तुमने यहाँ पहुँच कर हिम्मत दिखाई। लेकिन यह जगह तुम्हारे सबसे बड़े भय की परीक्षा है। ये आकृतियाँ तुम्हें भ्रमित और डराने के लिए हैं — ताकि तुम अपनी शक्ति को कम आँक सको।”
कोमल ने गहरी साँस ली। “हमें डरने की जरूरत नहीं। ये सिर्फ़ परछाइयाँ हैं। अगर हम अपने प्रेम और साहस को मजबूत रखेंगे, तो इन्हें परास्त कर सकते हैं।”
जैसे ही उन्होंने कदम बढ़ाया, आकृतियाँ अपनी जगह हिलने लगीं, और उनका रूप और भी भयावह हो गया। रानी ने कहा, “ये तो हमारी घृणा और डर का प्रतिबिंब हैं। हमें इनसे डरकर पीछे नहीं हटना चाहिए।”
कोमल ने अपने दिल को जगाया। उसने अपनी आँखें बंद कीं और सोच लिया, “राज, हम तुम्हें हर हाल में बचाएंगे। हमारी शक्ति प्रेम और एकता में है। यही अंधकार को हरा सकती है।”
अचानक कोमल की ऊर्जा से एक तेज़ प्रकाश निकला। वह प्रकाश चारों ओर फैल गया, और धीरे-धीरे सभी धुंधली आकृतियाँ पीछे हटने लगीं। रानी और सोनिया ने भी अपने दिल की शक्ति को जागृत किया, और तीनों की संयुक्त रोशनी ने राज के चारों ओर मंडराती अंधकार की परछाइयों को दूर भगाया।
राज की आँखों में राहत और आश्चर्य था। उसने धीरे से कहा, “तुमने इसे किया… तुमने मेरे अंधकार को हरा दिया। अब मैं इस कैद से बाहर आ सकता हूँ।”
तीनों लड़कियाँ एक-दूसरे को देखकर मुस्कराईं।
कोमल ने कहा, “यह दुनिया डर और भ्रम से भरी हो सकती है, लेकिन प्रेम और साहस से हर अंधेरा मिटाया जा सकता है।”
राज ने अपनी जंजीरों को तोड़ते हुए कदम बढ़ाया। आईने की दुनिया अब शांत हो गई, और धुंध धीरे-धीरे गायब हो रही थी।
लेकिन जैसे ही उन्होंने आगे बढ़ने की कोशिश की, एक धीमी गूँज आई —
“सचमुच हरा दिया… लेकिन समय की शक्ति अब तुम्हें और बड़ी परीक्षा में डालने वाली है।”
तीनों लड़कियाँ और राज अब तैयार थे —
अगली परीक्षा के लिए, जो उन्हें समय के द्वार के पार ले जाएगी।
समय के द्वार का अंतिम रहस्य
तीनों लड़कियाँ और राज अब उस विशाल द्वार के सामने खड़े थे, जो “समय का द्वार” कहलाता था। द्वार पर अजीब-सी चमक थी — हर रेखा जैसे जीवन और मृत्यु की गाथा बयां कर रही हो।
राज ने धीमे स्वर में कहा, “ये द्वार सिर्फ शारीरिक मार्ग नहीं है। यह तुम्हारे दिल, साहस और निष्ठा की परीक्षा है। जो भी इसके पार जाएगा, उसे समय की सच्चाई का सामना करना पड़ेगा।”
कोमल ने हाथ बढ़ाया, “हम तैयार हैं। चाहे जो भी हो, हम तुम्हें बचाएँगे।”
रानी और सोनिया ने भी उसी आवाज़ में कहा, “हम भी।”
जैसे ही उन्होंने कदम रखा, द्वार ने गूँज के साथ खुलना शुरू किया।
अचानक चारों ओर समय की परछाइयाँ घूमने लगीं — घड़ी की सुइयाँ तेज़ गति से घूम रही थीं, और उनके चारों ओर हर पल अलग दृश्य उभर रहा था: कभी उनके बचपन की यादें, कभी अंधकार से भरी छायाएँ।
राज ने कहा, “समय की परीक्षा का पहला चरण — तुम्हें अपने भीतर की सबसे गहरी कमजोरी को पार करना होगा।”
सबसे पहले कोमल की परीक्षा आई। उसके सामने उसका डर उभर आया — राज के बिना दुनिया में अकेले रहने का भय।
लेकिन कोमल ने दिल में प्रेम को जगाया। उसने कहा, “भय केवल वह शक्ति है जो मैं उसे अपने ऊपर हावी होने दूँ। मैं उसे नहीं डरने दूँगी।”
जैसे ही उसने यह स्वीकार किया, उसका डर धुंध में विलीन हो गया, और एक सुनहरी रोशनी बाहर निकली।
रानी और सोनिया की परछाइयाँ भी सामने आईं।
रानी को उसका अतीत याद आया — उसने कई बार खुद को कमजोर महसूस किया था। लेकिन उसने कहा, “मैं अपनी गलती से डरने नहीं दूँगी। राज को बचाने के लिए मैं मजबूत रहूँगी।”
सोनिया ने भी अपनी हिम्मत जुटाई, और एक साथ तीनों ने अपनी रोशनी को द्वार के सामने मिलाया।
तभी, द्वार की आंतरिक दीवारों से दादाजी की आवाज़ गूँजी, “तुमने साहस दिखाया… लेकिन क्या तुम मेरी अंतिम परीक्षा के लिए तैयार हो?”
दादाजी की शक्ति अब आईने की दुनिया में पूर्ण रूप से प्रकट हो चुकी थी। उनके चारों ओर अंधकार और बिजली का मिश्रण मंडरा रहा था।
राज ने कोमल की ओर देखा, “तुम्हारा प्रेम ही उसे रोक सकता है। उसकी शक्ति केवल प्रेम के खिलाफ नहीं टिक सकती।”
कोमल ने गहरी साँस ली। उसने अपने हाथ बढ़ाए, और अपने दिल से निकली ऊर्जा दादाजी की शक्ति की ओर भेज दी।
एक प्रचंड टकराव हुआ। अंधकार और प्रेम की शक्ति टकरा रही थी। दीवारें कांप गईं, और द्वार के चारों ओर प्रकाश और धुंध का तूफ़ान उठ गया।
धीरे-धीरे, कोमल के प्रेम और साहस की शक्ति दादाजी के जादू को पीछे धकेलने लगी।
अंधकार कमजोर हुआ। दादाजी की आवाज़ अब केवल फुसफुसाहट बन गई, “यह असंभव… मेरी शक्ति… कैसे हारी?”
राज ने चिल्लाया, “कोमल! तुम्हारी शक्ति ने इसे रोका!”
रानी और सोनिया ने भी अपने दिल की शक्ति जोड़ी, और मिलकर दादाजी की अंतिम शक्ति को आईने से बाहर निकाल दिया।
द्वार खुल गया। सामने एक उजली दुनिया थी — वही असली दुनिया, जिसमें समय ने स्थिरता और शांति ला दी थी।
राज ने अपने हाथ कोमल के हाथ में थामा, “तुमने न सिर्फ़ मुझे, बल्कि हमारी दुनिया को भी बचाया। समय का यह द्वार अब सुरक्षित है।”
कोमल मुस्कराई, “हमने यह किया… क्योंकि प्रेम और साहस हमेशा अंधकार को हराते हैं।”
रानी और सोनिया भी मुस्कुराईं।
तीनों लड़कियाँ और राज अब आईने की दुनिया से बाहर आ चुके थे।
लेकिन हवा में अभी भी एक फुसफुसाहट थी — दादाजी की चेतावनी:
“मैं लौटूंगा… लेकिन तब तक तुम और भी मजबूत बन जाओगी।”
तीनों ने एक-दूसरे को देखा।
कोमल ने कहा, “कोई फर्क नहीं पड़ता। जब हम एक साथ हैं, कोई भी अंधकार हमें हरा नहीं सकता।”
और इस तरह,
राज, कोमल, रानी और सोनिया ने आईने की दुनिया के अंधकार और दादाजी की शक्तिशाली जादू से संघर्ष कर के विजय हासिल की।
वे जानते थे — समय ने उन्हें बदला, पर प्रेम और साहस ने उन्हें अमर बना दिया।
वापसी और दादाजी का कैद
आईने की दुनिया की धुंध धीरे-धीरे गायब होने लगी।
रानी, कोमल और सोनिया, साथ में राज, अपनी वास्तविक दुनिया की ओर बढ़ रहे थे।
जैसे ही उन्होंने कदम रखा, चारों की आँखों के सामने familiar दृश्य उभरा — उनका घर, वही मैदान, वही पेड़, वही सूरज की हल्की रोशनी।
रानी ने उत्साह से कहा, “हम वापस आ गए… ये वही हमारी असली दुनिया है।”
कोमल ने हल्का मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ… लेकिन अब हम जानते हैं कि आईने की दुनिया केवल एक परीक्षा थी, और समय ने हमें बदल दिया है।”
सोनिया ने राज की ओर देखा, “और तुम्हें… हम तुम्हें सुरक्षित ले आए।”
राज ने सभी की ओर देखा और उसकी आँखों में राहत और प्यार झलक रहा था।
“तुम लोगों ने न सिर्फ़ मेरी जिंदगी बचाई, बल्कि पूरे निलांकर वंश को भी,” उसने कहा।
तीनों लड़कियाँ एक-दूसरे की ओर मुस्कुराईं, और उनके चेहरे पर अब डर नहीं, बल्कि साहस और विजय की चमक थी।
लेकिन आईने की दुनिया का अंतिम रहस्य अभी भी बाकी था।
दादाजी, जो अपनी शक्ति और अंधकार से भरे हुए थे, अब केवल आईने में ही मौजूद थे।
जैसे ही वे सभी बाहर आए, आईने की सतह चमकीली रोशनी से भर गई।
और अचानक, एक मजबूत ऊर्जा के झटके के साथ, दादाजी हमेशा के लिए आईने में कैद हो गए।
उनकी आवाज़ अब केवल फुसफुसाहट बन गई, “तुमने मुझे हराया… लेकिन याद रखो, मैं हमेशा उस आईने में मौजूद रहूँगा।”
कोमल ने राहत की साँस ली।
“अब दादाजी कभी भी हमारे संसार को नुकसान नहीं पहुँचा सकते। उनकी शक्ति आईने में बंद हो गई।”
रानी ने उत्साहित होकर कहा, “हम सुरक्षित हैं… और राज भी।”
सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “और अब हम अपनी असली जिंदगी में लौट सकते हैं, बिना किसी भय के।”
राज ने कोमल की ओर देखा, “तुम्हारे प्रेम और साहस ने हमें आज़ाद कराया। यह आईने की दुनिया सिर्फ़ एक परीक्षा थी, और तुमने उसे पार कर लिया।”
तीनों लड़कियाँ और राज, एक-दूसरे का हाथ थामे, अपनी वास्तविक दुनिया में खड़े थे।
आईने की सतह अब केवल एक सामान्य शीशे की तरह दिख रही थी —
लेकिन भीतर, दादाजी की शक्ति हमेशा के लिए कैद थी।
सूरज की रोशनी चारों ओर फैल गई।
हवा में ताज़गी और शांति थी।
तीनों ने देखा — उनके साहस, प्रेम और एकता ने अंधकार को हराया था।
और यह अहसास उन्हें हमेशा याद रहेगा —
कि चाहे कितनी भी ताकत और अंधकार सामने हो, प्रेम और साहस हर चुनौती को हरा सकता है।
राज सोनिया कोमल और रानी चारों एका एक वास्तविक दुनिया में आ चुके थे। लेकिन इस वक़्त रानी और सोनिया दोनों सो रही थी कोमल भी अपने यहाँ सो रही थी राज अपने कमरे मे जाग रहा था। तभी एक और राज सामने आता है।
राज: तुमने खुद को बचा ही लिया ।
राज: (भविष्य से ) हा ये ज़रूरी था अब दादाजी वो सब नही कर पाएंगे जो मेरे समय में हुआ था ?
राज: हा अब दादाजी ना तो मेरी बहनो की इज्जत के साथ खेल पाएंगे और ही मम्मी की...
तभी भविष्य वाला राज धीरे धीरे लुप्त होने लगता है ...
राज: ये तुम्हें क्या हो रहा है?
राज: (भविष्य से ) दादाजी के अंत के साथ में तुम्हारा अंधकारमय भविष्य था उसका भी अंत हो रहा है क्यूकी अब समय की धारा बादल गयी है तो जो कुछ मेरे समय में घटित हुआ था वो सब अब अंत हो जाएगा और एक नयी समय की धारा जन्म लेगी तुम भी धीरे धीरे सब भूल जाओगे। एक कागज भविष्य का राज आज के राज को हाथ मे देते हुये कल सुभा इस कागज को पढ्न है तुम्हें तो इसे ऐसी जगह रखो जहां से तुम इसे पढ़ सको क्यूकी कल तुम्हें ये भी याद नही रहेगा की तुम्हें ये पढ्न है तुम्हारी ज़िंदगी उसी वक़्त से फिर शुरू होगी जहां से तुम आईने में गए थे ।
शैतान राज की छाया:- हा हा हा हा हा हा तुम उसे नहीं ले जा सकती उसे यहीं आईने की दुनिया में रहकर महान शैतान बनना होगा उसने अपनी आत्मा के टुकड़े कर लोए और मुझे यहाँ फेंक दिया इसकी सजा उसे ज़रूर मिलेगी हा हा हा हा .........................
जी हाँ ना तो राज़ के दादा ने ये सब किया था न ही राज़ ने खुद ने बल्कि ये सब किया कराया राज़ के शैतानी अंश का था जिसे राज़ ने खुद से अलग कर दिया था आगे पता लगेगा की राज़ ने ऐसा कब और क्यू किया ? जानने के लिए पढ़ते रहिए एक द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism} ( अंधकार की अनपेक्षित चाहत
अब आगे............
जैसे ही तीनों ने अपने हाथ गुफ़ा की दीवारों पर रखे, दीवारों में से एक भयानक नीली रौशनी फूट पड़ी। हवा में एक अजीब गंध फैल गई — लोहे और धुएँ की मिली-जुली गंध। उनके हाथों के नीचे दीवारें जैसे ज़िंदा हो उठीं।
कोमल के सामने उसका डर उभरने लगा — एक सुनसान जंगल, जहां सिर्फ़ सन्नाटा था। उसके सामने एक टूटा हुआ झूला झूल रहा था, और झूले पर कोई बैठा था — वो खुद। लेकिन उसकी आँखें काली थीं।
“तू मुझसे क्यों डरती है?” उसकी ही परछाई ने पूछा।
कोमल काँप गई, “क्योंकि तू मुझे वो दिखाती है, जो मैं भूलना चाहती हूँ…”
“फिर भूल मत। सामना कर,” आवाज़ आई।
कोमल ने अपनी आँखें बंद कीं, और एक तेज़ चीख के साथ वह परछाई धुएँ में बदल गई। दीवार चमक उठी — उसका डर टूट चुका था।
दूसरी ओर, रानी की दीवार पर लाल रौशनी फैलने लगी। उसके सामने एक बर्फीला मैदान बना। वहाँ एक आकृति खड़ी थी — उसके दादाजी।
“रानी, तुमने मुझ पर विश्वास तोड़ दिया,” वह गूँजे।
रानी की आँखों में आँसू आ गए, “नहीं दादाजी, मैंने वही किया जो ज़रूरी था!”
“तो फिर ये साबित करो,” वह आवाज़ फटी, और उसके चारों ओर बर्फ़ गिरने लगी।
रानी ने अपनी हथेलियाँ जोड़ लीं, “मुझे अपनी आत्मा की सज़ा मंज़ूर है, लेकिन मैं अब पीछे नहीं हटूँगी।”
बर्फ़ अचानक पिघल गई, और उसकी दीवार पर सुनहरी रोशनी फैल गई।
सोनिया की दीवार अब चमक रही थी — लेकिन उसमें एक औरत दिखाई दी, जो किसी छाया से बनी थी।
“सोनिया… तू क्यों सोचती है कि तू सबसे कमज़ोर है?”
सोनिया का गला सूख गया, “क्योंकि मैं हमेशा दूसरों के पीछे छिप जाती हूँ…”
“तो अब खुद को छिपाना छोड़ दे।”
सोनिया ने एक लंबी साँस ली, और अपने दोनों हाथ दीवार पर ज़ोर से रख दिए — पूरी गुफ़ा गूँज उठी। उसकी आँखों से आँसू बहे, और फिर वह छाया प्रकाश में विलीन हो गई।
तीनों की दीवारें अब एक साथ चमकने लगीं। गुफ़ा के केंद्र में ज़मीन फट गई, और वहाँ से आईने का एक टुकड़ा बाहर निकला — वही आईना जिससे राज की आवाज़ आती थी।
आईने में अब राज की छवि स्पष्ट थी, लेकिन वो थका हुआ और घायल लग रहा था।
“तुमने पहला चरण पार कर लिया है,” राज की आवाज़ आई।
कोमल बोली, “पहला चरण? मतलब अभी और बाकी है?”
राज ने सिर हिलाया, “हाँ… अब तुम्हें उस शक्ति को जगाना होगा जो तुम्हारे अंदर सुप्त है। वह शक्ति जो निलांकर वंश से जुड़ी है। लेकिन सावधान रहना, क्योंकि अब जो तुम्हारे सामने आएगा, वो तुम्हारा दुश्मन नहीं — तुम्हारे भीतर का अंधकार है।”
अचानक गुफ़ा की दीवारें फिर काँपने लगीं। हर तरफ से परछाइयाँ उभरने लगीं — काली, बिना चेहरों वाली, लेकिन हर एक में उन तीनों की झलक थी।
सोनिया चीख पड़ी, “ये… ये तो हम ही हैं!”
राज की आवाज़ गूँजी, “हाँ, ये तुम्हारी ही परछाइयाँ हैं। जब तक तुम इन्हें स्वीकार नहीं करोगी, तुम मुझे आज़ाद नहीं कर पाओगी।”
अब एक-एक कर तीनों परछाइयाँ सामने आईं।
कोमल की परछाई बोली, “तू हमेशा दूसरों के लिए जीती है, लेकिन खुद के लिए कभी नहीं!”
रानी की परछाई बोली, “तेरे अंदर बदले की आग है, जिसे तू प्यार का नाम देती है!”
और सोनिया की परछाई बोली, “तू डरती है कि कोई तुझे छोड़ देगा, इसलिए तू खुद को कमजोर दिखाती है!”
गुफ़ा में बिजली सी कौंधी। तीनों लड़कियाँ अब अपने ही अंधेरे रूपों के सामने खड़ी थीं।
कोमल ने कहा, “अगर तुम्हें हराना है, तो हमें खुद को स्वीकार करना होगा।”
रानी और सोनिया ने सिर हिलाया।
तीनों ने अपने हाथ उठाए — और गुफ़ा में तीन अलग-अलग रोशनियाँ फूट पड़ीं —
नीली, लाल और सुनहरी।
तीनों रोशनियाँ मिलकर एक प्रचंड प्रकाश में बदल गईं, और गुफ़ा में गूँज उठा एक स्वर —
“निलांकर शक्ति जागृत हो!”
जैसे ही वो शब्द गूँजे, सारी परछाइयाँ गायब हो गईं। आईने का टुकड़ा हवा में उठकर तीनों के बीच आ गया। उसमें अब राज की छवि साफ़ दिख रही थी — लेकिन अब वो मुस्कुरा रहा था।
“तुमने कर दिखाया…” राज ने कहा, “अब मैं अपनी जंजीरों को महसूस कर सकता हूँ… लेकिन उन्हें तोड़ने के लिए तुम्हें उस एक जगह जाना होगा — ‘समय का द्वार’।”
रानी ने पूछा, “वो कहाँ है?”
राज ने धीरे से कहा, “वो यहीं है… गुफ़ा के भीतर, लेकिन उसके पार जाने के लिए तुम्हें किसी एक की आहुति देनी होगी।”
तीनों एक साथ चौंक गईं।
सन्नाटा छा गया।
गुफ़ा के बीच ज़मीन हिलने लगी, और एक विशाल दरवाज़ा उभर आया — उस पर लिखा था:
“समय का द्वार — प्रवेश उन्हीं को जिनका दिल सच्चा है।”
अब सवाल यह था —
कौन देगा आहुति?
और क्या राज सच में वही है, जिसके लिए वे सब कुछ त्यागने को तैयार हैं…
(दादाजी का रहस्य और समय का द्वार)
गुफ़ा की गहराई में हवा जैसे थम गई थी। चारों ओर केवल मशालों की मद्धम लौ झिलमिला रही थी। कोमल, रानी और सोनिया तीनों द्वार के सामने खड़ी थीं, और उनके दिलों की धड़कनें अब एक सुर में बज रही थीं — भय, आशा और अंधकार का मिश्रण।
“आहुति देनी होगी…” राज की आवाज़ फिर आई, पर इस बार वह कुछ कमजोर लगी।
सोनिया ने पूछा, “किसकी आहुति, राज?”
राज ने उत्तर नहीं दिया। उसका चेहरा आईने में धुंधला पड़ने लगा।
रानी ने आगे बढ़ते हुए कहा, “अगर किसी को जाना है, तो मैं जाऊँगी। राज के लिए…”
“नहीं!” कोमल ने उसे रोक लिया, “ये फैसला भावनाओं से नहीं होगा, सत्य से होगा।”
अचानक गुफ़ा के अंदर की हवा भारी होने लगी। मशालों की लौ एक साथ बुझ गई। अंधेरे में एक धीमी हँसी गूँज उठी —
वही हँसी जो रानी ने पहले भी सुनी थी।
रानी की साँस अटक गई, “ये आवाज़… ये तो…”
अंधेरे से एक परछाई निकली। धीरे-धीरे उसका चेहरा स्पष्ट हुआ —
वो दादाजी थे।
लेकिन उनकी आँखें अब वैसी नहीं थीं — उनमें अब एक गहरी, शैतानी चमक थी।
“तो आखिरकार तुम तीनों यहाँ तक पहुँच ही गईं,” दादाजी ने कहा, “लेकिन जो तुम बचाने आई हो, वही तुम्हारे नाश का कारण बनेगा।”
सोनिया ने काँपती आवाज़ में कहा, “दादाजी… आप यहाँ कैसे? आप तो हमारी दुनिया में थे!”
दादाजी हँसे, “मैं कभी तुम्हारी दुनिया में नहीं था। वो तो मेरा भ्रम था — मेरा रूप, जो मैंने भेजा ताकि तुम सब राजकुमारी नैना के छल में फँस सको।”
कोमल ने हैरानी से पूछा, “तो राजकुमारी नैना सच बोल रही थीं… या आप?”
दादाजी की आँखें लाल हो गईं, “नैना? वह तो मेरी बनाई हुई परछाई थी — मेरे खिलाफ खड़ी होने वाली पहली आत्मा। मैंने ही उसे ‘आईने की रक्षक’ बनाया था ताकि वह राज को कैद रखे। लेकिन वह मेरे वंश से गद्दारी कर गई!”
रानी चिल्लाई, “आपने राज को कैद करवाया? वो आपका पोता है!”
“वो मेरा वारिस नहीं,” दादाजी गरजे, “वो मेरा शाप है। क्योंकि राज के भीतर है निलांकर शक्ति का प्रकाश, और मेरे भीतर उसका अंधकार। मैंने उस शक्ति को पाने के लिए राज को आईने में बाँध दिया, ताकि उसकी आत्मा मुझे अमर बना सके!”
गुफ़ा काँप उठी। दीवारों से काले धुएँ के फव्वारे फूट पड़े।
राज की छवि आईने में तड़पने लगी — “दादाजी! आपने झूठ बोला था!”
दादाजी मुस्कराए, “मैंने जो किया, वो अपने वंश को अमर बनाने के लिए किया। तुमने मेरी शक्ति को तोड़ा, अब उसकी क़ीमत ये तीनों लड़कियाँ चुकाएँगी।”
रानी आगे बढ़ी, “हम आपको ऐसा नहीं करने देंगे!”
“तुम? तुम लोग?” दादाजी ने व्यंग्य से कहा, “तुम तीनों मेरे खेल की मोहरे थीं। जो शक्ति अब तुम्हारे भीतर जागी है — वो निलांकर त्रयी शक्ति — वही मुझे आईने से मुक्त करेगी। तुम सोचती हो कि तुम राज को बचाने आई हो? नहीं, तुम मुझे मुक्त करने आई हो!”
कोमल के पैरों तले ज़मीन जैसे खिसक गई।
सोनिया बोली, “तो ये सब जाल था…”
“हाँ,” दादाजी ने कहा, “और अब अंत भी मेरे नियमों से होगा।”
उन्होंने हाथ उठाया। गुफ़ा की दीवारें लाल पड़ गईं। तीनों के शरीर से चमकती हुई रेखाएँ निकलने लगीं, जो हवा में जाकर दादाजी के चारों ओर घूमने लगीं।
राज की आवाज़ आईने से गरजी, “नहीं! दादाजी, उन्हें छोड़ दो! अगर निलांकर शक्ति तुम्हारे भीतर गई, तो समय रुक जाएगा!”
दादाजी हँसे, “यही तो मैं चाहता हूँ — समय का अंत।”
पर तभी कोमल ने चिल्लाकर कहा, “नहीं! शक्ति तुम्हारी नहीं, हमारी है!”
उसने दोनों हथेलियाँ द्वार की ओर फैलाईं। रानी और सोनिया ने भी वही किया।
तीनों की ऊर्जा एक साथ मिलकर नीली आभा में बदल गई।
“निलांकर त्रयी, एक हो जाओ!”
तेज़ प्रकाश ने पूरी गुफ़ा को निगल लिया। दादाजी चीख उठे — “नहीं… यह संभव नहीं!”
आईना टूटने की आवाज़ आई।
राज की जंजीरें एक-एक करके टूटने लगीं।
और उसी क्षण, समय का द्वार चमक उठा।
दादाजी अब राख के समान हो गए थे, लेकिन उनकी आवाज़ गूँजी,
“तुमने मुझे हराया नहीं… मैंने खुद को समय में बिखेर दिया है। अगली युग में मैं लौटूँगा… जब आईना फिर जागेगा।”
रोशनी मंद पड़ गई।
राज अब उनके सामने खड़ा था — ज़िंदा, लेकिन घायल।
वो मुस्कुराया, “तुमने कर दिखाया… लेकिन ये कहानी अभी खत्म नहीं हुई। समय ने हमें एक और परीक्षा के लिए चुना है।”
गुफ़ा की दीवारें धीरे-धीरे ढहने लगीं।
तीनों लड़कियाँ और राज उस चमकदार द्वार से गुज़रे —
और अगले ही पल, सबकुछ शून्य में विलीन हो गया।
दूर से एक हल्की फुसफुसाहट आई —
“निलांकर का रक्त अब जाग चुका है…”
प्रकाश की आँधी थम चुकी थी। चारों ओर केवल धुंध थी — चांदी-सी झिलमिलाती हुई।
कोमल, रानी और सोनिया अब किसी और लोक में खड़ी थीं। हवा में जादू की गंध थी, और आसमान में तीन चाँद दिखाई दे रहे थे।
“ये कहाँ हैं हम?” सोनिया ने धीरे से पूछा।
राज ने चारों ओर देखा, “ये... ‘समय का पारलोक’ है — जहाँ आत्माएँ अपने अधूरे कर्म पूरे करती हैं।”
अचानक हवा काँपी, और धुंध से कोई आकार उभरने लगा।
वो फिर से दादाजी थे — लेकिन अब वे पहले जैसे नहीं लग रहे थे। उनका शरीर आधा जला हुआ, आधा चमकदार ऊर्जा से बना था। उनकी आँखों में अग्नि थी, और चारों ओर बिजली कौंध रही थी।
“तुम सोचते हो, मुझसे भाग गए?” उन्होंने कहा, “मैं समय हूँ... और समय से कोई नहीं बचता!”
राज ने कहा, “आप हार चुके हैं दादाजी! अब ये शक्ति आपकी नहीं!”
“शक्ति मेरी थी और मेरी ही रहेगी,” दादाजी गरजे, “लेकिन इस बार मैं उसे बल से नहीं, संयोग से प्राप्त करूँगा!”
उनके शब्दों के साथ ज़मीन में दरार पड़ी।
तीनों लड़कियों के चारों ओर एक चक्र बनने लगा, जो सुनहरी रेखाओं से बना था।
दादाजी ने हाथ उठाया, “तुम तीनों निलांकर शक्ति के वाहक हो। जब तुम्हारी आत्माएँ मेरे साथ एक होंगी, तब अमरत्व की ज्योति जल उठेगी।”
कोमल चीख उठी, “ये असंभव है! हम तुम्हारे साथ कभी एक नहीं होंगे!”
दादाजी मुस्कराए, “हर शक्ति को उसका स्रोत चाहिए। तुम सब मेरे वंश की रक्तरेखा हो। अगर तुम न मानीं, तो मैं तुम्हारे प्रेम को मिटा दूँगा!”
उन्होंने राज की ओर हाथ बढ़ाया।
राज की देह काँपने लगी, मानो किसी अदृश्य बंधन में बंध गया हो।
रानी और सोनिया ने उसे छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन जादू बहुत शक्तिशाली था।
राज ने दर्द से कहा, “कोमल… सिर्फ़ तू कर सकती है… उसे रोक!”
कोमल के चारों ओर हवा घूमने लगी। उसके बाल उड़ने लगे, और उसकी आँखों से प्रकाश की किरणें फूटने लगीं।
“दादाजी!” वह चिल्लाई, “आपने शक्ति को केवल वश में करना सीखा है, लेकिन उसे महसूस करना नहीं सीखा!”
“प्रेम तुम्हारी कमजोरी है, कोमल,” दादाजी बोले।
“नहीं!” कोमल की आवाज़ गूँजी, “यही मेरी सबसे बड़ी शक्ति है!”
उसने अपने दिल पर हाथ रखा।
वहीं से एक तेज़ सफेद रोशनी निकली — शुद्ध, शांत और अगाध प्रेम की।
वो प्रकाश सीधे राज की ओर गया, फिर उससे टकराकर दादाजी की ओर बढ़ा।
दादाजी ने रोकने की कोशिश की, पर वो प्रकाश उनकी काली ऊर्जा को निगलने लगा।
उनकी चीख हवा में गूँज उठी — “ये कैसे संभव है! प्रेम की शक्ति, समय की सीमा से परे…!”
राज की जंजीरें टूट गईं।
दादाजी का शरीर धीरे-धीरे राख में बदलने लगा, और उनका स्वर अंतिम बार गूँजा,
“मैं लौटूँगा… जब प्रेम कमज़ोर पड़ेगा…”
सन्नाटा छा गया।
धुंध हटने लगी, और सामने केवल तीन चमकते हुए गोले रह गए —
रानी, सोनिया और कोमल की आत्मिक शक्ति के प्रतीक।
राज ने कोमल का हाथ थामते हुए कहा,
“तुमने न सिर्फ़ मुझे बचाया, बल्कि उस अंधकार को भी हरा दिया जो पीढ़ियों से हमारे खून में था।”
कोमल मुस्कराई, “प्रेम कभी हार नहीं मानता, राज… बस उसे याद रखना पड़ता है।”
धीरे-धीरे गुफ़ा की दीवारें फिर चमकने लगीं।
समय का द्वार एक बार फिर खुल गया,
और एक मधुर स्वर हवा में गूँजा —
“निलांकर वंश का शाप अब टूट चुका है…”
तीनों लड़कियाँ और राज उस प्रकाश में समा गए —
और अगले ही पल, सबकुछ शांति में विलीन हो गया।
दर्पण का भ्रमलोक
तीनों लड़कियाँ — कोमल, रानी और सोनिया — आईने के द्वार से होकर अंदर गईं। जैसे ही उन्होंने कदम रखा, हवा में अजीब-सी सिहरन फैल गई। चारों ओर धुंध और मंद रोशनी थी, और उनका दिल तेज़ी से धड़क रहा था।
वहाँ, आईने की दुनिया में, राज खड़ा था। लेकिन वह अकेला नहीं था। उसके चारों ओर अजीबोगरीब आकृतियाँ मंडरा रही थीं। वे किसी इंसान जैसी थीं, लेकिन उनके चेहरे और शरीर अस्पष्ट, धुंधले और डरावने थे। हर आकृति में राज की शक्ति और अंधकार का प्रतिबिंब था।
रानी ने धीरे से कहा, “ये… ये लोग कौन हैं?”
कोमल ने सिर हिलाया, “ये सच में लोग नहीं हैं। ये राज के भीतर की अंधेरी परछाइयाँ हैं — उसकी शक्तियों का अंश, जिसे उसने आईने में बंद कर रखा है।”
सोनिया की आँखों में घृणा और डर दोनों थे। “इतना डरावना… ये देखकर मेरे अंदर की हिम्मत भी डगमगा रही है।”
राज ने देखा और बोला, “तुमने यहाँ पहुँच कर हिम्मत दिखाई। लेकिन यह जगह तुम्हारे सबसे बड़े भय की परीक्षा है। ये आकृतियाँ तुम्हें भ्रमित और डराने के लिए हैं — ताकि तुम अपनी शक्ति को कम आँक सको।”
कोमल ने गहरी साँस ली। “हमें डरने की जरूरत नहीं। ये सिर्फ़ परछाइयाँ हैं। अगर हम अपने प्रेम और साहस को मजबूत रखेंगे, तो इन्हें परास्त कर सकते हैं।”
जैसे ही उन्होंने कदम बढ़ाया, आकृतियाँ अपनी जगह हिलने लगीं, और उनका रूप और भी भयावह हो गया। रानी ने कहा, “ये तो हमारी घृणा और डर का प्रतिबिंब हैं। हमें इनसे डरकर पीछे नहीं हटना चाहिए।”
कोमल ने अपने दिल को जगाया। उसने अपनी आँखें बंद कीं और सोच लिया, “राज, हम तुम्हें हर हाल में बचाएंगे। हमारी शक्ति प्रेम और एकता में है। यही अंधकार को हरा सकती है।”
अचानक कोमल की ऊर्जा से एक तेज़ प्रकाश निकला। वह प्रकाश चारों ओर फैल गया, और धीरे-धीरे सभी धुंधली आकृतियाँ पीछे हटने लगीं। रानी और सोनिया ने भी अपने दिल की शक्ति को जागृत किया, और तीनों की संयुक्त रोशनी ने राज के चारों ओर मंडराती अंधकार की परछाइयों को दूर भगाया।
राज की आँखों में राहत और आश्चर्य था। उसने धीरे से कहा, “तुमने इसे किया… तुमने मेरे अंधकार को हरा दिया। अब मैं इस कैद से बाहर आ सकता हूँ।”
तीनों लड़कियाँ एक-दूसरे को देखकर मुस्कराईं।
कोमल ने कहा, “यह दुनिया डर और भ्रम से भरी हो सकती है, लेकिन प्रेम और साहस से हर अंधेरा मिटाया जा सकता है।”
राज ने अपनी जंजीरों को तोड़ते हुए कदम बढ़ाया। आईने की दुनिया अब शांत हो गई, और धुंध धीरे-धीरे गायब हो रही थी।
लेकिन जैसे ही उन्होंने आगे बढ़ने की कोशिश की, एक धीमी गूँज आई —
“सचमुच हरा दिया… लेकिन समय की शक्ति अब तुम्हें और बड़ी परीक्षा में डालने वाली है।”
तीनों लड़कियाँ और राज अब तैयार थे —
अगली परीक्षा के लिए, जो उन्हें समय के द्वार के पार ले जाएगी।
समय के द्वार का अंतिम रहस्य
तीनों लड़कियाँ और राज अब उस विशाल द्वार के सामने खड़े थे, जो “समय का द्वार” कहलाता था। द्वार पर अजीब-सी चमक थी — हर रेखा जैसे जीवन और मृत्यु की गाथा बयां कर रही हो।
राज ने धीमे स्वर में कहा, “ये द्वार सिर्फ शारीरिक मार्ग नहीं है। यह तुम्हारे दिल, साहस और निष्ठा की परीक्षा है। जो भी इसके पार जाएगा, उसे समय की सच्चाई का सामना करना पड़ेगा।”
कोमल ने हाथ बढ़ाया, “हम तैयार हैं। चाहे जो भी हो, हम तुम्हें बचाएँगे।”
रानी और सोनिया ने भी उसी आवाज़ में कहा, “हम भी।”
जैसे ही उन्होंने कदम रखा, द्वार ने गूँज के साथ खुलना शुरू किया।
अचानक चारों ओर समय की परछाइयाँ घूमने लगीं — घड़ी की सुइयाँ तेज़ गति से घूम रही थीं, और उनके चारों ओर हर पल अलग दृश्य उभर रहा था: कभी उनके बचपन की यादें, कभी अंधकार से भरी छायाएँ।
राज ने कहा, “समय की परीक्षा का पहला चरण — तुम्हें अपने भीतर की सबसे गहरी कमजोरी को पार करना होगा।”
सबसे पहले कोमल की परीक्षा आई। उसके सामने उसका डर उभर आया — राज के बिना दुनिया में अकेले रहने का भय।
लेकिन कोमल ने दिल में प्रेम को जगाया। उसने कहा, “भय केवल वह शक्ति है जो मैं उसे अपने ऊपर हावी होने दूँ। मैं उसे नहीं डरने दूँगी।”
जैसे ही उसने यह स्वीकार किया, उसका डर धुंध में विलीन हो गया, और एक सुनहरी रोशनी बाहर निकली।
रानी और सोनिया की परछाइयाँ भी सामने आईं।
रानी को उसका अतीत याद आया — उसने कई बार खुद को कमजोर महसूस किया था। लेकिन उसने कहा, “मैं अपनी गलती से डरने नहीं दूँगी। राज को बचाने के लिए मैं मजबूत रहूँगी।”
सोनिया ने भी अपनी हिम्मत जुटाई, और एक साथ तीनों ने अपनी रोशनी को द्वार के सामने मिलाया।
तभी, द्वार की आंतरिक दीवारों से दादाजी की आवाज़ गूँजी, “तुमने साहस दिखाया… लेकिन क्या तुम मेरी अंतिम परीक्षा के लिए तैयार हो?”
दादाजी की शक्ति अब आईने की दुनिया में पूर्ण रूप से प्रकट हो चुकी थी। उनके चारों ओर अंधकार और बिजली का मिश्रण मंडरा रहा था।
राज ने कोमल की ओर देखा, “तुम्हारा प्रेम ही उसे रोक सकता है। उसकी शक्ति केवल प्रेम के खिलाफ नहीं टिक सकती।”
कोमल ने गहरी साँस ली। उसने अपने हाथ बढ़ाए, और अपने दिल से निकली ऊर्जा दादाजी की शक्ति की ओर भेज दी।
एक प्रचंड टकराव हुआ। अंधकार और प्रेम की शक्ति टकरा रही थी। दीवारें कांप गईं, और द्वार के चारों ओर प्रकाश और धुंध का तूफ़ान उठ गया।
धीरे-धीरे, कोमल के प्रेम और साहस की शक्ति दादाजी के जादू को पीछे धकेलने लगी।
अंधकार कमजोर हुआ। दादाजी की आवाज़ अब केवल फुसफुसाहट बन गई, “यह असंभव… मेरी शक्ति… कैसे हारी?”
राज ने चिल्लाया, “कोमल! तुम्हारी शक्ति ने इसे रोका!”
रानी और सोनिया ने भी अपने दिल की शक्ति जोड़ी, और मिलकर दादाजी की अंतिम शक्ति को आईने से बाहर निकाल दिया।
द्वार खुल गया। सामने एक उजली दुनिया थी — वही असली दुनिया, जिसमें समय ने स्थिरता और शांति ला दी थी।
राज ने अपने हाथ कोमल के हाथ में थामा, “तुमने न सिर्फ़ मुझे, बल्कि हमारी दुनिया को भी बचाया। समय का यह द्वार अब सुरक्षित है।”
कोमल मुस्कराई, “हमने यह किया… क्योंकि प्रेम और साहस हमेशा अंधकार को हराते हैं।”
रानी और सोनिया भी मुस्कुराईं।
तीनों लड़कियाँ और राज अब आईने की दुनिया से बाहर आ चुके थे।
लेकिन हवा में अभी भी एक फुसफुसाहट थी — दादाजी की चेतावनी:
“मैं लौटूंगा… लेकिन तब तक तुम और भी मजबूत बन जाओगी।”
तीनों ने एक-दूसरे को देखा।
कोमल ने कहा, “कोई फर्क नहीं पड़ता। जब हम एक साथ हैं, कोई भी अंधकार हमें हरा नहीं सकता।”
और इस तरह,
राज, कोमल, रानी और सोनिया ने आईने की दुनिया के अंधकार और दादाजी की शक्तिशाली जादू से संघर्ष कर के विजय हासिल की।
वे जानते थे — समय ने उन्हें बदला, पर प्रेम और साहस ने उन्हें अमर बना दिया।
वापसी और दादाजी का कैद
आईने की दुनिया की धुंध धीरे-धीरे गायब होने लगी।
रानी, कोमल और सोनिया, साथ में राज, अपनी वास्तविक दुनिया की ओर बढ़ रहे थे।
जैसे ही उन्होंने कदम रखा, चारों की आँखों के सामने familiar दृश्य उभरा — उनका घर, वही मैदान, वही पेड़, वही सूरज की हल्की रोशनी।
रानी ने उत्साह से कहा, “हम वापस आ गए… ये वही हमारी असली दुनिया है।”
कोमल ने हल्का मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ… लेकिन अब हम जानते हैं कि आईने की दुनिया केवल एक परीक्षा थी, और समय ने हमें बदल दिया है।”
सोनिया ने राज की ओर देखा, “और तुम्हें… हम तुम्हें सुरक्षित ले आए।”
राज ने सभी की ओर देखा और उसकी आँखों में राहत और प्यार झलक रहा था।
“तुम लोगों ने न सिर्फ़ मेरी जिंदगी बचाई, बल्कि पूरे निलांकर वंश को भी,” उसने कहा।
तीनों लड़कियाँ एक-दूसरे की ओर मुस्कुराईं, और उनके चेहरे पर अब डर नहीं, बल्कि साहस और विजय की चमक थी।
लेकिन आईने की दुनिया का अंतिम रहस्य अभी भी बाकी था।
दादाजी, जो अपनी शक्ति और अंधकार से भरे हुए थे, अब केवल आईने में ही मौजूद थे।
जैसे ही वे सभी बाहर आए, आईने की सतह चमकीली रोशनी से भर गई।
और अचानक, एक मजबूत ऊर्जा के झटके के साथ, दादाजी हमेशा के लिए आईने में कैद हो गए।
उनकी आवाज़ अब केवल फुसफुसाहट बन गई, “तुमने मुझे हराया… लेकिन याद रखो, मैं हमेशा उस आईने में मौजूद रहूँगा।”
कोमल ने राहत की साँस ली।
“अब दादाजी कभी भी हमारे संसार को नुकसान नहीं पहुँचा सकते। उनकी शक्ति आईने में बंद हो गई।”
रानी ने उत्साहित होकर कहा, “हम सुरक्षित हैं… और राज भी।”
सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “और अब हम अपनी असली जिंदगी में लौट सकते हैं, बिना किसी भय के।”
राज ने कोमल की ओर देखा, “तुम्हारे प्रेम और साहस ने हमें आज़ाद कराया। यह आईने की दुनिया सिर्फ़ एक परीक्षा थी, और तुमने उसे पार कर लिया।”
तीनों लड़कियाँ और राज, एक-दूसरे का हाथ थामे, अपनी वास्तविक दुनिया में खड़े थे।
आईने की सतह अब केवल एक सामान्य शीशे की तरह दिख रही थी —
लेकिन भीतर, दादाजी की शक्ति हमेशा के लिए कैद थी।
सूरज की रोशनी चारों ओर फैल गई।
हवा में ताज़गी और शांति थी।
तीनों ने देखा — उनके साहस, प्रेम और एकता ने अंधकार को हराया था।
और यह अहसास उन्हें हमेशा याद रहेगा —
कि चाहे कितनी भी ताकत और अंधकार सामने हो, प्रेम और साहस हर चुनौती को हरा सकता है।
राज सोनिया कोमल और रानी चारों एका एक वास्तविक दुनिया में आ चुके थे। लेकिन इस वक़्त रानी और सोनिया दोनों सो रही थी कोमल भी अपने यहाँ सो रही थी राज अपने कमरे मे जाग रहा था। तभी एक और राज सामने आता है।
राज: तुमने खुद को बचा ही लिया ।
राज: (भविष्य से ) हा ये ज़रूरी था अब दादाजी वो सब नही कर पाएंगे जो मेरे समय में हुआ था ?
राज: हा अब दादाजी ना तो मेरी बहनो की इज्जत के साथ खेल पाएंगे और ही मम्मी की...
तभी भविष्य वाला राज धीरे धीरे लुप्त होने लगता है ...
राज: ये तुम्हें क्या हो रहा है?
राज: (भविष्य से ) दादाजी के अंत के साथ में तुम्हारा अंधकारमय भविष्य था उसका भी अंत हो रहा है क्यूकी अब समय की धारा बादल गयी है तो जो कुछ मेरे समय में घटित हुआ था वो सब अब अंत हो जाएगा और एक नयी समय की धारा जन्म लेगी तुम भी धीरे धीरे सब भूल जाओगे। एक कागज भविष्य का राज आज के राज को हाथ मे देते हुये कल सुभा इस कागज को पढ्न है तुम्हें तो इसे ऐसी जगह रखो जहां से तुम इसे पढ़ सको क्यूकी कल तुम्हें ये भी याद नही रहेगा की तुम्हें ये पढ्न है तुम्हारी ज़िंदगी उसी वक़्त से फिर शुरू होगी जहां से तुम आईने में गए थे ।
बर्बादी को निमंत्रण
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Hawas ka ghulam
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