15-10-2025, 12:36 PM
Update....
कसाब वही पर पड़ा हुआ एक स्टूल लाया और दीवार के पास रख दिया जहां तस्वीर टंगी हुई थी। स्टूल का एक पैर नीचे थोड़ा टूट चुका था इसलिए स्टूल ठीक से बैलेंस नहीं हो रहा था
कसाब - इसको पकड़कर रखो मालकिन मैं निकलता हुं।
पंखुरी - ठीक है तुम चढ़ जाओ।
मम्मी ने स्टूल को पीछे से पकड़ने की बजाय स्टूल को साइड से झुककर पकड़ा। अब मम्मी की आंखों के एकदम करीब उसके पैंट का बड़ा सा उभार आ गया। मम्मी आंखे फाड़े उसके पैंट के खड़े लंड को देखने लगी। मम्मी ने अपना थूक को गले से निगला और एकटक उभार को घूरने लगी।
कसाब तस्वीर निकलने की कोशिश कर रहा था पर तस्वीर निकल नहीं रही थी। इस जद्दोजहत में स्टूल भी थोड़ा लड़खड़ा रहा था। जिस वजह से मम्मी भी हिलने लगी और उसके सामने फारूक के लंड का उभार भी इधर उधर हिल रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे उसने अंदर अंडरिवयर नहीं पहना था।
तभी कसाब की नजर नीचे मम्मी पर गई जो एकटक उभार को देख रही थी। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। तभी कसाब ने एक तेज झटका मारा जिससे से मम्मी ने देख लिया। मम्मी ने झुके हुए ऊपर देखा उनकी नजरे एक हुई तो मम्मी ने कसाब को अपने चूची को देखता हुआ पाया।
मम्मी ने अपनी नजर नीचे करके अपने चूची को देखा तब उनको ध्यान आया की उनका पल्लू नीचे गिरा है और पूरे चूची बेपरदा हो रखे हैं। मम्मी ने फिर उसकी तरफ देखा अभी भी वो पान चबाते हुए चूची को मन में चूस रहा था।
कसाब - पान चबाते हुए मालकिन तस्वीर निकल ही नहीं रही है। ऐसा बोलते हुए उसके मुंह से थूक की लाल लार टपक कर नीचे मम्मी की क्लीवेज में गिरा और बहकर चूची के बीच में समा गई।
कसाब - माफ करना मालकिन गलती हुई।
पंखुरी - तुम्हे कितनी बार कहा है की पान मत खाओ।
कसाब - मालकिन अब कम कर रहा हु खाने का।
लेकिन मम्मी ने उसके थूक को नही पोंछा।
पंखुरी - कसाब तुम नीचे उतरो मैं ट्राय करती हुं तुम स्टूल पकड़ों ।
फिर कसाब नीचे आ गया और मम्मी हिलते हुए स्टूल पर चढ़ गई।
अब कसाब दीवार को पीठ लगाके स्टूल पकड़कर खड़ा हो गया। मतलब उसके सामने मम्मी का खुला पेट और गहरी नाभि आ गई। पर पल्लू होने की वजह से सब ढका हुआ था। उसके मुंह और मम्मी के चिकने सपाट पेट के बीच बहुत कम दूरी थी। मुझे यह उससे काफी जलन हो रही थी। एक शादीशुदा गरम बदन की औरत उसके पास खड़ी थी इसलिए उसे भी वासना सिर चढ़ चुकी थी। मम्मी तस्वीर को निकालने लगी। तभी मम्मी को अपने पेट पर गरम सांसे महसूस होती हैं । जब मम्मी सिर को नीचे करके देखती है। कसाब आंखे बंद किए हुए मम्मी के पेट से थोड़ी ही दूर
अपनी नाक से मम्मी के बदन की खुशबू सूंघ रहा था। वो लगातार आंख बंद किए हुए वैसा ही किए जा रहा था। उसकी गरम सांसों की वजह से मम्मी के रोंगटे खड़े हो गए। दोनो पसीने से तरबतर हो चुके थे। उसका मम्मी के बदन को आंखें बंद करके सूंघना जारी था मम्मी उसे ऐसा करते हुए देख भी रही थी मगर कुछ कह नहीं रही थी। तभी मम्मी के गाल से होते हुए पसीने की धार उसके मुंह पर गिरी। उसने अपनी आंखे खोली और मम्मी को उसकी तरफ देखता पाया। मम्मी उसकी ये हरकत देखकर एकदम दंग रह गई । मम्मी का पेट अभी भी पल्लू से ढका हुआ था। कसाब ने मम्मी के पल्लू की एक कोने को अपने दांतों में पकड़ लिया।
मम्मी को पता चले बिना फारूक धीरे धीरे उनके पल्लू को दांतो मे पकड़कर नीचे खिसकाने लगा। वो बहुत धीरे से मम्मी के पल्लू को नीचे खींच रहा था। उसने पल्लू को इतना नीचे कर दिया की बाकी का पल्लू अपने आप ही नीचे गिर गया। पल्लू गिरते ही मम्मी ने अचानक से नीचे देखा पर उसके पहले ही कसाब ने अपना सिर नीचे कर लिया और ऐसा नाटक करने लगा जैसे उसको कुछ पता ही नही। बहुत शाितर था वो कमीना।
अब मम्मी के बड़े चुचियों फिर से बेपदार् हो गये साथ मैं मम्मी का पूरा चिकना सपाट पेट , और मम्मी की गहरी गोल नाभि जिसको देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ सकता है उसके सामने थी।। मम्मी उसकी तरफ नीचे देख रही थी पर मम्मी ने पल्लू को नही उठाया। उसने अपना मुंह नीचे कर रखा था। उसने धीरे से अपने चेहरे को ऊपर उठाया।
उनकी नजरे एक हुई। मम्मी की डीप नाभि उसके ठीक मुंह के सामने थी और मम्मी के पहाड़ जैसे चूची ठीक उसके सिर के ऊपर थे। मम्मी ने बिना पल्लू उठाए अपने चेहरा ऊपर करके तस्वीर निकालने लगी।
कसाब के मुंह ने जैसे ही मम्मी की नाभि छुआ मम्मी की सिसकी निकल गई। मम्मी ने कसाब को अपनी नाभि मैं मुंह घुसाए देखा । उसने मम्मी की नाभि से अपना मुंह हटाया।
और मम्मी की तरफ देखा। मम्मी की सांसे बहुत तेज चल रही थी। उनके चूची जोर से ऊपर नीचे हो रहे थे। मम्मी काफी गरम हो गई थी।
कसाब - मालकिन आप चिंता मत कीजिए मैने पकड़ रखा आप तस्वीर निकालए ऐसा कहकर मम्मी को देखते हुए फिर से उनकी नाभि मैं अपना मुंह घुसा दिया। मम्मी की जोर से सिसकी निकल गई।
कसाब ने मम्मी की परवाह किए बिना उनकी नाभि पर चुम्मा जड़ दिया। आ..आ.. मम्मी की फिर से सिसकी निकली
मम्मी उसकी तरफ देखने लगी। उसने भी मम्मी की तरफ देखकर अपनी जुबान बाहर निकाल के पूरे पेट के पसीने को चाटने लगा l आह...आह...रूको कसाब ऊई....उफ... मम्मी धीरे धीरे सिसकी हुए बोलने लगी
जिस मुलायम बेदाग चिकने पेट और नाभि पर सिर्फ मेरे पापा का अधिकार था उसपर आज हमारे घर का नोकर चाट कर उसके मुंह का ठप्पा लगा रहा था।
उफ्फ आह...आह.....आई..... माई.... कसाब छोड़ प्लीज़ मम्मी ने उसके सिर पर हाथ रख दिया मम्मी की सिसकी बढ़ने लगी।
मम्मी उसको रुकने का बोल रही थी पर मम्मी खुद उसको दूर नहीं कर रही थी। मम्मी ने अपने दोनों हाथ उसके सिर पर रख दिए। दोनों पसीने से सन चुके थे।
कसाब जोर जोर से मम्मी की नाभि को चूस रहा था और मम्मी के चूची के बीच से आ रहे पसीने को चाट रहा था
आह..आह... आई..... हुं.. उफ़...... प्लीज़ उफ़ मम्मी कसाब छोड़ प्लीज़ मम्मी उसको बालों को सहलाते हुए सिसक रही थी ।
तभी कसाब ने अपना मुंह मम्मी की नाभि से हटाया और ऊपर मम्मी की तरफ देखा। मम्मी के दोनों हाथ उसके सिर पर थे। एकबार फिर मम्मी की नाभि चुसाई शुरू कर दी।
उफ...चप...लप.....लप.... चुसाई की आवाज आने लगी।और उसके साथ मम्मी के सिसकने की उई .. उफ़ ... प्लीज़ आई मम्मी....
वह मम्मी की आंखों में देखते हुए नेवल को चूसे रहा था। और मम्मी उसकी तरफ देखकर सिसक रही थी।
तब मम्मी की जोर से सिसकी निकली और मम्मी का पूरा बदन थरथराने लगा। मम्मी ने कसाब के मुंह को अपने पेट पर दबोच लिया। मैं समझ गया कि मम्मी झड़ चुकी है। उनके जांघो से पानी पैरो तक आ गया।
थोड़ी देर में मम्मी होश में आई तब मम्मी को क्या हुआ पता नही पर मम्मी बिजली की रफ्तार से नीचे उतरी और उसने जोर से कसाब के कान में एक थप्पड़ जड़ दिया। बेवकूफ ये तुमने क्या कर दिया मम्मी बोली तभी घर की दरवाजे की बेल बजी।
मम्मी ने सारे पेट को साड़ी से साफ करके जल्दी से अपने आप को ठीक किया। मैं जल्दी से उनके पहले नीचे जाकर अपने रूम में घुस गया और थोड़ा बाहर दरवाजे की तरफ झांकने लगा।
तभी मम्मी नीचे आई। मम्मी ने दरवाजा खोला सामने पापा जी खड़े थे। पापा जी मम्मी को ऊपर से नीचे तक घूर रहे थे और घूरे भी क्यों ना मम्मी पूरे पसीने से तरबतर हो गई थी।
क्या हुआ जी - मम्मी ने पूछा।
पापा जी - वो कसाब कहा है उसको काफी टाइम हो गया ना।
मम्मी - वो स्टोर रूम की सफाई करनी थी ना जी इसिलए देर हो गई ।
पापा जी - जरा भेज दो उसे ।
पापा जी ने कहा और चले गए। इधर कसाब नीचे आता है। वो अपने गाल को हाथ लगाए मम्मी के सामने खड़ा हो जाता है।
उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए- तुम जल्दी से नीचे चले जाओ। तुम्हारे साहब बुला रहे है।
उसने अपने शर्ट को पहना और चेहरा उतारे घर से निकल गया दरवाजा खुला छोड़कर। मम्मी अपने रूम मे गई तभी मैं चुपके से हॉल में आकर बैठ गया। मम्मी उसके बेडरूम से बाहर आई और मुझे देखकर चौंक गई।
मम्मी - नयन तुम कब आए।
नयन - बस मम्मी अभी अभी आया। मैंने बहाना बना दिया। फिर मम्मी अपने रूम में चली गई।
जो कुछ भी मैने देखा वो सब के बारे में सोचकर मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। आखिर मम्मी ऐसा कैसे कर सकती है वो भी अपने दुश्मन के साथ।
इतना बहक गई की अपना पानी निकाल दिया। ऐसा क्या जादू था उस गंदे कसाब मैं। बार बार मेरे सामने स्टोर रूम की तस्वीर आ रही थी। क्या पापा और मम्मी की सेक्स लाइफ ठीक नहीं है। किया पापा मम्मी को संतुष्ट नहीं करते होंगे । मेरा सिर दर्द करने लगा सब सोचकर।
वो दिन ऐसा ही निकल गया।
दूसरे दिन मैं सुबह उठ्ठकर तैयार होकर हॉल में बैठ गया लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था लेकिन मुझे अजीब सी बैचैनी महसूस हो रही थी। मैं खुद समझ नही पा रहा था
जिस को एक नौकर के छूने से वासना भड़क उठी थी। मुझे इस सब की वजह पापा ही लग रहे थे। जिन्होंने कभी मम्मी पर ध्यान नहीं दिया। अब देखना ये था की मम्मी कहा जाकर रुकती है। अब आगे.....
मम्मी मेरे सामने कई बार इधर से उधर घूम रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वो भी किसी सोच में डूबी हो। तभी दरवाजे की घंटी बजी। मेरा ध्यान मम्मी पर ही था। घंटी बजते ही मम्मी एकदम से एक जगह पर भूत बनकर खड़ी हो गई और एकटक दरवाजे की तरफ देखने लगी ऐसा लग रहा था जैसे उनकी सांसे फूल गई हो।
नयन - मम्मी क्या हुआ दरवाजा खोलिए।
पंखुरी - तुम जाकर खोल दो नयन ऐसा बोल के वो किचन में चली गई।
मैंने दरवाजा खोला और उम्मीद के मुतािबक कसाब ही था।
मुझे देखकर घिनौनी हसी हंसते हुए वो अंदर आया। मम्मी ने उसको किचन से देखा दोनों की नजरे एक हुई।
फिर उसने पूरे घर को झाड़ू मारा। किचन में भी मारा गया लेकिन दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई। फिर पोंछा मारते हुए वो किचन में गया तभी नजरे करके मैंने देखा
कि मम्मी ने धीरे उसे कुछ कहा जो मुझे सुनाई नही दिया। मुझे समझ नहीं आया कि मम्मी ने क्या कहा होगा उसे।
उसने फिर अपना काम खतम किया और हॉल से मम्मी को आवाज लगाई।
कखाब - मालकिन काम हो गया मैं जाता हूं।
तभी मम्मी किचन से हॉल में आती है। और से बोलती है
पंखुरी - रुको बेडरूम में मुझे ऊपर से कुछ चीजें निकालनी है चलो मेरे साथ। यह सुनकर उसके चेहरे पर चमक आ गई।
फिर मम्मी अपने बेडरूम में गई और वह उनके पीछे। मैं ऐसे बतार्व कर रहा था उनके सामने जैसे मैने कुछ सुना ही नहीं। पर जैसे ही वह दोनों बेडरूम में गए मैंने बिना सिर हिलाया नजरों की कोहनी से रूम की तरफ देखा तो मुझे धक्का लगा। क्योंकि मम्मी ने रूम का दरवाजा धीरे से बंद कर दिया । में उठकर मम्मी के रूम की खिड़की के पास आया और खिड़की की महीने सी दरार से अंदर झांककर देखने लगा। वों दोनो एक दूसरे के सामने खड़े थे।
मम्मी ने जोर से एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।
मम्मी - कसाब जो कुछ कल तुमने किया वो गलत किया। वो नही होना चाहिए था। तुम्हे शर्म नहीं आती ऐसा करते हुए।
कसाब - मुझे माफ कर दीजिए मालकिन। आपका चिकना सपाट पेट और गहरी नाभी इतने पास देखकर मैं बहक गया था। उसने अपने गाल पर हाथ रखा।
मम्मी - यही तो तुम्हें तमीज नहीं है की कैसे बात करते है खुले आम मेरे सामने गंदे शब्द का इस्तेमाल करते हो।
कसाब - लेकिन इसमें मेरी गलती नहीं है मालकिन। जब मैं आपके पेट और नाभि को चाट रहा था तो आपको मुझे रोकना चाहिए था लेकिन आपने मुझे नहीं रोका। और तो
और अपने मेरे सिर को अपने पेट पर दबा लिया । उस दिन भी थप्पड़ मारा और आज भी।
मम्मी उसके जवाब से सकपका गई उन्हे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या बोले।
मम्मी गुस्से मैं - देखो जो हुआ वो सब भूल जाओ। और आगे से ऐसी हरकत मत करना समझे। और किसी को इस बारे में मत बताना। अब जाओ
कसाब- एक बात कहूं मालकिन आप बुरा तो नहीं मानोगी।
मम्मी - हां बोलो
कसाब - आप बोहोत खूबसूरत है मैंने आपके जैसी औरत आज तक नही देखी सिर से लेकर पांव तक आप एकदम माल़ है।
मैंने देखा की उसकी बात सुनकर मम्मी के चेहरे पर मुस्कान तैर गई है। लेकिन उन्होंने हंसी को उसके सामने सीधे तौर पर बयान नहीं की।
मम्मी गुस्से में - हो गई तुम्हारी बत्तमीजी अब जाओ। नही तो और थप्पड़ पड़ेंगे।मैं जल्दी से हॉल में आकर सोफे पर बैठ गया। वो दोनो भी बाहर आ गए। फिर कसाब नीचे चला गया। मैंने मम्मी के चेहरे पर गौर किया कि उनका चेहरा काफी खिला हुआ लग रहा था। वो दिन दन ऐसे ही चला गया।
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अगले दिन मैं तैयार होकर हॉल में बैठ गया। मुझे बार बार वही याद आ रही थी। कैसे कसाब की हिम्मत बढ़ गई।
मम्मी ऊपर की मंजिल पर गई थी। तभी बेल बजी मैंने दरवाजा खोला। सामने वही कसाब खड़ा था।
मैने उसे गुस्से से देखा लेकिन वो मेरी तरफ देख मुस्कुरा रहा था। तभी मम्मी ऊपर से नीचे आई। उन्होंने पीले कलर की साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहन रखा था। जो सिर्फ़ एक पट्टी सहारे टिका हुआ था। पूरी चिकनी गोरी पीठ ऊपर से नीचे तक नंगी थी जो सिर्फ़ खुले बालों से ढकी थी। नॉर्मली थोड़ा बहुत जो पल्लू से पेट ढका हुआ रहता था वो आज कुछ ज्यादा ही खुला था। जिससे मम्मी की डीप नाभि बहुत खूबसूरत लग रही थी और साड़ी का तो पूछो ही मत हद से ज्यादा टाइट बांध रखी थी कमर पर।
झाडू लगाते हुए कसाब ने मम्मी की तरफ मुस्कुराते हुए देखा। मम्मी भी उसको देखते हुए उसके पास से गुजरने लगी। जैसे मम्मी ने उसको क्रॉस किया उनकी चलने की लचक कुछ ज्यादा ही बढ़ गई। पूरी नंगी पीठ पर खुले लहराते बाल, और नीचे पतली कमर पर टाइट बंधी हुई साड़ी। उसके नीचे दो गुब्बारे जैसे फू ले हुए चूतड जो ऊपर नीचे होकर आतंक मचा रहे थे।
जब मम्मी जा रही थी तब कसाब ने मेरी तरफ देखा और भद्दी तरीके से हंसा।
फिर उसने झाड़ू उठाकर सफाई करनी शुरू की। पीछे से झाड़ू मरते हुए वो किचन में घुस गया। उसके किचन में घुसते ही मम्मी तुरंत किचन से बाहर आ गई और वाशिंग मशीन की तरफ गई। थोड़ी देर में मुझे वाशिंग मशीन की आवाज सुनाई दी। इसका मतलब मम्मी कपड़े धो रही थी। कुछ देर बाद मम्मी बाल्टी में कपड़े लेकर हॉल में आई और सोफे पर बैठ गई। कसाब ने भी लगभग अपना सारा काम खतम कर लिया और वो मम्मी के पास आया।
कसाब - मालकिन सब काम हो गया है मैं जाऊं क्या।
मम्मी - क्यों इतनी क्या जल्दी है। काम करने का मन नहीं है क्या।
कसाब मम्मी की तरफ देखकर - नही मालकिन आप बोलिए तो सही आप का सब काम तमाम कर दूंगा। मुझे कोई जल्दी नहीं है।
वो मेरे सामने मम्मी से डबल मीनिंग बाते करने लगा।
मम्मी - अच्छा तो ये बाल्टी उठाओ और छत पर चलो मुझे कपड़े सुखाने है।
ये सुनते ही कसाब बाल्टी उठा के सीढ़यों की तरफ जाने लगता है और मम्मी उसके पीछे जाने के लिए उठती है। दोनो सीढ़यों के पास आते हैं।
कसाब - मालकिन आप आगे चिलऐ मैं पीछे से आता हूं।
मम्मी - क्यों
कसाब मम्मी की ओर देखकर धीरे से - वो मुझे आपकी उठक बैठक देखनी है पीछे से।
मम्मी - क्या कहां।
कसाब हकलाते हुए - वो मेरा मतलब बाल्टी वजनदार है ना,तो रुक रुक कर चढ़ूंगा ऊपर। आप आगे चिलये।
मम्मी उसकी बात सुनकर सीिढ़या चढ़ने लगती हैं और वो मम्मी के पीछे चढ़ने लगता हैं। कुछ सीिढ़या चढ़ने के बाद मम्मी पीछे मुड़कर देखती है। कसाब तो मम्मी के चूतड़ पर नजर गड़ाए हुए था। फिर मम्मी ऊपर चली जाती है। वो दोनों अब मेरी नज़रों से ओझल हो गए थे।
में थोड़ी देर में उठता हू ऊपर जाने के लिए । सीढिंया चढ़ते वक्त न जाने क्यों मेरा दिल धड़क रहा था। थोड़ी देर बाद में टेरेंस के दरवाजे पर आ गया। मैंने चुपके से थोड़ी अपनी गदर्न बाहर निकालकर टेरेस की और नजर घुमाई ।
मुझे वो दोनो दिखाई दिए। मम्मी कपड़े सुखाने के लिए डाल रही थी डोरी पे और वो मम्मी से कुछ ही दूरी पर खड़ा था।
टेरेस पर दोनों हिस्सों में रिस्सयों को बांध के रखा था एक दूसरे के विपिरत दिशा में । जिसपर मम्मी ने अभी अपनी साड़ी फैलाकर डाली थी। कसाब और मम्मी दोनो रिस्सयों के बीच में खड़े थे। दोनो तरफ साड़ी होने की वजह से कोई आजू बाजू से कोई उन्हें देख नहीं सकता था। मम्मी जैसे ही बाल्टी से कपड़े उठाने के लिए नीचे झुकती वैसे ही उनका पिछवाड़ा बाहर निकल जाता था और कसाब मम्मी के बदन के एक- एक हिस्से को ताड़ रहा था।
मम्मी तुरंत उसकी तरफ जाती है और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देती हैं। चटाक मम्मी उसको रूम में लेजाकर जोर से दरवाजा बंद कर देती हैं।
मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। मम्मी का गुस्सा देखकर लग रहा था की जरूर आज कुछ बवाल होने वाला है।
मैं सतर्क हो गया कि कोई मुझे देख ना ले. ये देखने के लिए मैं दरवाज़े की दरार से रूम में झाँकने लगा. जैसे ही मैंने अपनी आँख दरवाज़े की दरार से लगाई, रूम का नज़ारा देख कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए. मुझे ऐसा लगा मेरे नीचे से किसी ने धरती छीन ली हो.. मेरा दिमाग एकदम सुन्न हो गया था. न मैं कुछ सोच पा रहा था, न समझ पा रहा था. मैं कुछ देर इसी अवस्था में खड़ा रहा.
मैंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला और दोबारा अपनी आंख किवाड़ की दरार से लगा कर अन्दर का नज़ारा देखने लगा. लिविंग रूम के अन्दर वो घिनौना खेल चल रहा था, जिसकी कल्पना मैंने कभी सपने में भी नहीं की थी.
कसाब का एक हाथ से मम्मी का सर पकड़ कर मम्मी के होंठों को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था.. और दूसरे हाथ से मम्मी के चूतड़ मसल रहा था. मम्मी भी पूरी तरह से उस कसाब का साथ दे रही थीं. वह कभी कसाब के बालों को कस के पकड़ लेतीं, तो कभी उसकी कमीज के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पीठ को किसी बिल्ली की तरह नोंच रही थीं कसाब मम्मी को किस कर रहा था और मम्मी भी उसे किस कर रही थीं. पर अब उस कसाब का हाथ मम्मी की गांड पर नहीं था बल्कि उसने अपने हाथ से मम्मी के बड़े बड़े चुचों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबोच रखा था.
तभी मम्मी की चीख निकली- आआह.. धीरे.. दर्द होता है..!
तब उस कसाब ने अपनी पकड़ को थोड़ा ढीली कर दी और आराम आराम से मम्मी के चुचों को मसलने लगा. अपने चुचों के मसलने से मम्मी एकदम मस्ती से भर उठीं और ज़ोर ज़ोर से सीत्कारने लगीं- आाह.. आाह.. ओह.. हाँ ऐसे ही.. थोड़ा ओर ज़ोर से.. ओह.. निचोड़ डाल मेरे चुचों को कसाब .. ऊऊह..
मैं चुपचाप खड़ा ये सब देखता रहा. अब कसाब मम्मी के ब्लाउज़ का हुक खोलने की कोशिश कर रहा था. तभी मम्मी ने कसाब का हाथ पकड़ लिया.
मम्मी - नहीं कसाब ब्लाऊज़ मत निकाल..
मगर उसने मम्मी एक न सुनी और एक झटके में मम्मी की ब्लाउस का हुक खोल दिया ।
कसाब वही पर पड़ा हुआ एक स्टूल लाया और दीवार के पास रख दिया जहां तस्वीर टंगी हुई थी। स्टूल का एक पैर नीचे थोड़ा टूट चुका था इसलिए स्टूल ठीक से बैलेंस नहीं हो रहा था
कसाब - इसको पकड़कर रखो मालकिन मैं निकलता हुं।
पंखुरी - ठीक है तुम चढ़ जाओ।
मम्मी ने स्टूल को पीछे से पकड़ने की बजाय स्टूल को साइड से झुककर पकड़ा। अब मम्मी की आंखों के एकदम करीब उसके पैंट का बड़ा सा उभार आ गया। मम्मी आंखे फाड़े उसके पैंट के खड़े लंड को देखने लगी। मम्मी ने अपना थूक को गले से निगला और एकटक उभार को घूरने लगी।
कसाब तस्वीर निकलने की कोशिश कर रहा था पर तस्वीर निकल नहीं रही थी। इस जद्दोजहत में स्टूल भी थोड़ा लड़खड़ा रहा था। जिस वजह से मम्मी भी हिलने लगी और उसके सामने फारूक के लंड का उभार भी इधर उधर हिल रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे उसने अंदर अंडरिवयर नहीं पहना था।
तभी कसाब की नजर नीचे मम्मी पर गई जो एकटक उभार को देख रही थी। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। तभी कसाब ने एक तेज झटका मारा जिससे से मम्मी ने देख लिया। मम्मी ने झुके हुए ऊपर देखा उनकी नजरे एक हुई तो मम्मी ने कसाब को अपने चूची को देखता हुआ पाया।
मम्मी ने अपनी नजर नीचे करके अपने चूची को देखा तब उनको ध्यान आया की उनका पल्लू नीचे गिरा है और पूरे चूची बेपरदा हो रखे हैं। मम्मी ने फिर उसकी तरफ देखा अभी भी वो पान चबाते हुए चूची को मन में चूस रहा था।
कसाब - पान चबाते हुए मालकिन तस्वीर निकल ही नहीं रही है। ऐसा बोलते हुए उसके मुंह से थूक की लाल लार टपक कर नीचे मम्मी की क्लीवेज में गिरा और बहकर चूची के बीच में समा गई।
कसाब - माफ करना मालकिन गलती हुई।
पंखुरी - तुम्हे कितनी बार कहा है की पान मत खाओ।
कसाब - मालकिन अब कम कर रहा हु खाने का।
लेकिन मम्मी ने उसके थूक को नही पोंछा।
पंखुरी - कसाब तुम नीचे उतरो मैं ट्राय करती हुं तुम स्टूल पकड़ों ।
फिर कसाब नीचे आ गया और मम्मी हिलते हुए स्टूल पर चढ़ गई।
अब कसाब दीवार को पीठ लगाके स्टूल पकड़कर खड़ा हो गया। मतलब उसके सामने मम्मी का खुला पेट और गहरी नाभि आ गई। पर पल्लू होने की वजह से सब ढका हुआ था। उसके मुंह और मम्मी के चिकने सपाट पेट के बीच बहुत कम दूरी थी। मुझे यह उससे काफी जलन हो रही थी। एक शादीशुदा गरम बदन की औरत उसके पास खड़ी थी इसलिए उसे भी वासना सिर चढ़ चुकी थी। मम्मी तस्वीर को निकालने लगी। तभी मम्मी को अपने पेट पर गरम सांसे महसूस होती हैं । जब मम्मी सिर को नीचे करके देखती है। कसाब आंखे बंद किए हुए मम्मी के पेट से थोड़ी ही दूर
अपनी नाक से मम्मी के बदन की खुशबू सूंघ रहा था। वो लगातार आंख बंद किए हुए वैसा ही किए जा रहा था। उसकी गरम सांसों की वजह से मम्मी के रोंगटे खड़े हो गए। दोनो पसीने से तरबतर हो चुके थे। उसका मम्मी के बदन को आंखें बंद करके सूंघना जारी था मम्मी उसे ऐसा करते हुए देख भी रही थी मगर कुछ कह नहीं रही थी। तभी मम्मी के गाल से होते हुए पसीने की धार उसके मुंह पर गिरी। उसने अपनी आंखे खोली और मम्मी को उसकी तरफ देखता पाया। मम्मी उसकी ये हरकत देखकर एकदम दंग रह गई । मम्मी का पेट अभी भी पल्लू से ढका हुआ था। कसाब ने मम्मी के पल्लू की एक कोने को अपने दांतों में पकड़ लिया।
मम्मी को पता चले बिना फारूक धीरे धीरे उनके पल्लू को दांतो मे पकड़कर नीचे खिसकाने लगा। वो बहुत धीरे से मम्मी के पल्लू को नीचे खींच रहा था। उसने पल्लू को इतना नीचे कर दिया की बाकी का पल्लू अपने आप ही नीचे गिर गया। पल्लू गिरते ही मम्मी ने अचानक से नीचे देखा पर उसके पहले ही कसाब ने अपना सिर नीचे कर लिया और ऐसा नाटक करने लगा जैसे उसको कुछ पता ही नही। बहुत शाितर था वो कमीना।
अब मम्मी के बड़े चुचियों फिर से बेपदार् हो गये साथ मैं मम्मी का पूरा चिकना सपाट पेट , और मम्मी की गहरी गोल नाभि जिसको देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ सकता है उसके सामने थी।। मम्मी उसकी तरफ नीचे देख रही थी पर मम्मी ने पल्लू को नही उठाया। उसने अपना मुंह नीचे कर रखा था। उसने धीरे से अपने चेहरे को ऊपर उठाया।
उनकी नजरे एक हुई। मम्मी की डीप नाभि उसके ठीक मुंह के सामने थी और मम्मी के पहाड़ जैसे चूची ठीक उसके सिर के ऊपर थे। मम्मी ने बिना पल्लू उठाए अपने चेहरा ऊपर करके तस्वीर निकालने लगी।
कसाब के मुंह ने जैसे ही मम्मी की नाभि छुआ मम्मी की सिसकी निकल गई। मम्मी ने कसाब को अपनी नाभि मैं मुंह घुसाए देखा । उसने मम्मी की नाभि से अपना मुंह हटाया।
और मम्मी की तरफ देखा। मम्मी की सांसे बहुत तेज चल रही थी। उनके चूची जोर से ऊपर नीचे हो रहे थे। मम्मी काफी गरम हो गई थी।
कसाब - मालकिन आप चिंता मत कीजिए मैने पकड़ रखा आप तस्वीर निकालए ऐसा कहकर मम्मी को देखते हुए फिर से उनकी नाभि मैं अपना मुंह घुसा दिया। मम्मी की जोर से सिसकी निकल गई।
कसाब ने मम्मी की परवाह किए बिना उनकी नाभि पर चुम्मा जड़ दिया। आ..आ.. मम्मी की फिर से सिसकी निकली
मम्मी उसकी तरफ देखने लगी। उसने भी मम्मी की तरफ देखकर अपनी जुबान बाहर निकाल के पूरे पेट के पसीने को चाटने लगा l आह...आह...रूको कसाब ऊई....उफ... मम्मी धीरे धीरे सिसकी हुए बोलने लगी
जिस मुलायम बेदाग चिकने पेट और नाभि पर सिर्फ मेरे पापा का अधिकार था उसपर आज हमारे घर का नोकर चाट कर उसके मुंह का ठप्पा लगा रहा था।
उफ्फ आह...आह.....आई..... माई.... कसाब छोड़ प्लीज़ मम्मी ने उसके सिर पर हाथ रख दिया मम्मी की सिसकी बढ़ने लगी।
मम्मी उसको रुकने का बोल रही थी पर मम्मी खुद उसको दूर नहीं कर रही थी। मम्मी ने अपने दोनों हाथ उसके सिर पर रख दिए। दोनों पसीने से सन चुके थे।
कसाब जोर जोर से मम्मी की नाभि को चूस रहा था और मम्मी के चूची के बीच से आ रहे पसीने को चाट रहा था
आह..आह... आई..... हुं.. उफ़...... प्लीज़ उफ़ मम्मी कसाब छोड़ प्लीज़ मम्मी उसको बालों को सहलाते हुए सिसक रही थी ।
तभी कसाब ने अपना मुंह मम्मी की नाभि से हटाया और ऊपर मम्मी की तरफ देखा। मम्मी के दोनों हाथ उसके सिर पर थे। एकबार फिर मम्मी की नाभि चुसाई शुरू कर दी।
उफ...चप...लप.....लप.... चुसाई की आवाज आने लगी।और उसके साथ मम्मी के सिसकने की उई .. उफ़ ... प्लीज़ आई मम्मी....
वह मम्मी की आंखों में देखते हुए नेवल को चूसे रहा था। और मम्मी उसकी तरफ देखकर सिसक रही थी।
तब मम्मी की जोर से सिसकी निकली और मम्मी का पूरा बदन थरथराने लगा। मम्मी ने कसाब के मुंह को अपने पेट पर दबोच लिया। मैं समझ गया कि मम्मी झड़ चुकी है। उनके जांघो से पानी पैरो तक आ गया।
थोड़ी देर में मम्मी होश में आई तब मम्मी को क्या हुआ पता नही पर मम्मी बिजली की रफ्तार से नीचे उतरी और उसने जोर से कसाब के कान में एक थप्पड़ जड़ दिया। बेवकूफ ये तुमने क्या कर दिया मम्मी बोली तभी घर की दरवाजे की बेल बजी।
मम्मी ने सारे पेट को साड़ी से साफ करके जल्दी से अपने आप को ठीक किया। मैं जल्दी से उनके पहले नीचे जाकर अपने रूम में घुस गया और थोड़ा बाहर दरवाजे की तरफ झांकने लगा।
तभी मम्मी नीचे आई। मम्मी ने दरवाजा खोला सामने पापा जी खड़े थे। पापा जी मम्मी को ऊपर से नीचे तक घूर रहे थे और घूरे भी क्यों ना मम्मी पूरे पसीने से तरबतर हो गई थी।
क्या हुआ जी - मम्मी ने पूछा।
पापा जी - वो कसाब कहा है उसको काफी टाइम हो गया ना।
मम्मी - वो स्टोर रूम की सफाई करनी थी ना जी इसिलए देर हो गई ।
पापा जी - जरा भेज दो उसे ।
पापा जी ने कहा और चले गए। इधर कसाब नीचे आता है। वो अपने गाल को हाथ लगाए मम्मी के सामने खड़ा हो जाता है।
उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए- तुम जल्दी से नीचे चले जाओ। तुम्हारे साहब बुला रहे है।
उसने अपने शर्ट को पहना और चेहरा उतारे घर से निकल गया दरवाजा खुला छोड़कर। मम्मी अपने रूम मे गई तभी मैं चुपके से हॉल में आकर बैठ गया। मम्मी उसके बेडरूम से बाहर आई और मुझे देखकर चौंक गई।
मम्मी - नयन तुम कब आए।
नयन - बस मम्मी अभी अभी आया। मैंने बहाना बना दिया। फिर मम्मी अपने रूम में चली गई।
जो कुछ भी मैने देखा वो सब के बारे में सोचकर मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। आखिर मम्मी ऐसा कैसे कर सकती है वो भी अपने दुश्मन के साथ।
इतना बहक गई की अपना पानी निकाल दिया। ऐसा क्या जादू था उस गंदे कसाब मैं। बार बार मेरे सामने स्टोर रूम की तस्वीर आ रही थी। क्या पापा और मम्मी की सेक्स लाइफ ठीक नहीं है। किया पापा मम्मी को संतुष्ट नहीं करते होंगे । मेरा सिर दर्द करने लगा सब सोचकर।
वो दिन ऐसा ही निकल गया।
दूसरे दिन मैं सुबह उठ्ठकर तैयार होकर हॉल में बैठ गया लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था लेकिन मुझे अजीब सी बैचैनी महसूस हो रही थी। मैं खुद समझ नही पा रहा था
जिस को एक नौकर के छूने से वासना भड़क उठी थी। मुझे इस सब की वजह पापा ही लग रहे थे। जिन्होंने कभी मम्मी पर ध्यान नहीं दिया। अब देखना ये था की मम्मी कहा जाकर रुकती है। अब आगे.....
मम्मी मेरे सामने कई बार इधर से उधर घूम रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वो भी किसी सोच में डूबी हो। तभी दरवाजे की घंटी बजी। मेरा ध्यान मम्मी पर ही था। घंटी बजते ही मम्मी एकदम से एक जगह पर भूत बनकर खड़ी हो गई और एकटक दरवाजे की तरफ देखने लगी ऐसा लग रहा था जैसे उनकी सांसे फूल गई हो।
नयन - मम्मी क्या हुआ दरवाजा खोलिए।
पंखुरी - तुम जाकर खोल दो नयन ऐसा बोल के वो किचन में चली गई।
मैंने दरवाजा खोला और उम्मीद के मुतािबक कसाब ही था।
मुझे देखकर घिनौनी हसी हंसते हुए वो अंदर आया। मम्मी ने उसको किचन से देखा दोनों की नजरे एक हुई।
फिर उसने पूरे घर को झाड़ू मारा। किचन में भी मारा गया लेकिन दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई। फिर पोंछा मारते हुए वो किचन में गया तभी नजरे करके मैंने देखा
कि मम्मी ने धीरे उसे कुछ कहा जो मुझे सुनाई नही दिया। मुझे समझ नहीं आया कि मम्मी ने क्या कहा होगा उसे।
उसने फिर अपना काम खतम किया और हॉल से मम्मी को आवाज लगाई।
कखाब - मालकिन काम हो गया मैं जाता हूं।
तभी मम्मी किचन से हॉल में आती है। और से बोलती है
पंखुरी - रुको बेडरूम में मुझे ऊपर से कुछ चीजें निकालनी है चलो मेरे साथ। यह सुनकर उसके चेहरे पर चमक आ गई।
फिर मम्मी अपने बेडरूम में गई और वह उनके पीछे। मैं ऐसे बतार्व कर रहा था उनके सामने जैसे मैने कुछ सुना ही नहीं। पर जैसे ही वह दोनों बेडरूम में गए मैंने बिना सिर हिलाया नजरों की कोहनी से रूम की तरफ देखा तो मुझे धक्का लगा। क्योंकि मम्मी ने रूम का दरवाजा धीरे से बंद कर दिया । में उठकर मम्मी के रूम की खिड़की के पास आया और खिड़की की महीने सी दरार से अंदर झांककर देखने लगा। वों दोनो एक दूसरे के सामने खड़े थे।
मम्मी ने जोर से एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।
मम्मी - कसाब जो कुछ कल तुमने किया वो गलत किया। वो नही होना चाहिए था। तुम्हे शर्म नहीं आती ऐसा करते हुए।
कसाब - मुझे माफ कर दीजिए मालकिन। आपका चिकना सपाट पेट और गहरी नाभी इतने पास देखकर मैं बहक गया था। उसने अपने गाल पर हाथ रखा।
मम्मी - यही तो तुम्हें तमीज नहीं है की कैसे बात करते है खुले आम मेरे सामने गंदे शब्द का इस्तेमाल करते हो।
कसाब - लेकिन इसमें मेरी गलती नहीं है मालकिन। जब मैं आपके पेट और नाभि को चाट रहा था तो आपको मुझे रोकना चाहिए था लेकिन आपने मुझे नहीं रोका। और तो
और अपने मेरे सिर को अपने पेट पर दबा लिया । उस दिन भी थप्पड़ मारा और आज भी।
मम्मी उसके जवाब से सकपका गई उन्हे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या बोले।
मम्मी गुस्से मैं - देखो जो हुआ वो सब भूल जाओ। और आगे से ऐसी हरकत मत करना समझे। और किसी को इस बारे में मत बताना। अब जाओ
कसाब- एक बात कहूं मालकिन आप बुरा तो नहीं मानोगी।
मम्मी - हां बोलो
कसाब - आप बोहोत खूबसूरत है मैंने आपके जैसी औरत आज तक नही देखी सिर से लेकर पांव तक आप एकदम माल़ है।
मैंने देखा की उसकी बात सुनकर मम्मी के चेहरे पर मुस्कान तैर गई है। लेकिन उन्होंने हंसी को उसके सामने सीधे तौर पर बयान नहीं की।
मम्मी गुस्से में - हो गई तुम्हारी बत्तमीजी अब जाओ। नही तो और थप्पड़ पड़ेंगे।मैं जल्दी से हॉल में आकर सोफे पर बैठ गया। वो दोनो भी बाहर आ गए। फिर कसाब नीचे चला गया। मैंने मम्मी के चेहरे पर गौर किया कि उनका चेहरा काफी खिला हुआ लग रहा था। वो दिन दन ऐसे ही चला गया।
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अगले दिन मैं तैयार होकर हॉल में बैठ गया। मुझे बार बार वही याद आ रही थी। कैसे कसाब की हिम्मत बढ़ गई।
मम्मी ऊपर की मंजिल पर गई थी। तभी बेल बजी मैंने दरवाजा खोला। सामने वही कसाब खड़ा था।
मैने उसे गुस्से से देखा लेकिन वो मेरी तरफ देख मुस्कुरा रहा था। तभी मम्मी ऊपर से नीचे आई। उन्होंने पीले कलर की साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहन रखा था। जो सिर्फ़ एक पट्टी सहारे टिका हुआ था। पूरी चिकनी गोरी पीठ ऊपर से नीचे तक नंगी थी जो सिर्फ़ खुले बालों से ढकी थी। नॉर्मली थोड़ा बहुत जो पल्लू से पेट ढका हुआ रहता था वो आज कुछ ज्यादा ही खुला था। जिससे मम्मी की डीप नाभि बहुत खूबसूरत लग रही थी और साड़ी का तो पूछो ही मत हद से ज्यादा टाइट बांध रखी थी कमर पर।
झाडू लगाते हुए कसाब ने मम्मी की तरफ मुस्कुराते हुए देखा। मम्मी भी उसको देखते हुए उसके पास से गुजरने लगी। जैसे मम्मी ने उसको क्रॉस किया उनकी चलने की लचक कुछ ज्यादा ही बढ़ गई। पूरी नंगी पीठ पर खुले लहराते बाल, और नीचे पतली कमर पर टाइट बंधी हुई साड़ी। उसके नीचे दो गुब्बारे जैसे फू ले हुए चूतड जो ऊपर नीचे होकर आतंक मचा रहे थे।
जब मम्मी जा रही थी तब कसाब ने मेरी तरफ देखा और भद्दी तरीके से हंसा।
फिर उसने झाड़ू उठाकर सफाई करनी शुरू की। पीछे से झाड़ू मरते हुए वो किचन में घुस गया। उसके किचन में घुसते ही मम्मी तुरंत किचन से बाहर आ गई और वाशिंग मशीन की तरफ गई। थोड़ी देर में मुझे वाशिंग मशीन की आवाज सुनाई दी। इसका मतलब मम्मी कपड़े धो रही थी। कुछ देर बाद मम्मी बाल्टी में कपड़े लेकर हॉल में आई और सोफे पर बैठ गई। कसाब ने भी लगभग अपना सारा काम खतम कर लिया और वो मम्मी के पास आया।
कसाब - मालकिन सब काम हो गया है मैं जाऊं क्या।
मम्मी - क्यों इतनी क्या जल्दी है। काम करने का मन नहीं है क्या।
कसाब मम्मी की तरफ देखकर - नही मालकिन आप बोलिए तो सही आप का सब काम तमाम कर दूंगा। मुझे कोई जल्दी नहीं है।
वो मेरे सामने मम्मी से डबल मीनिंग बाते करने लगा।
मम्मी - अच्छा तो ये बाल्टी उठाओ और छत पर चलो मुझे कपड़े सुखाने है।
ये सुनते ही कसाब बाल्टी उठा के सीढ़यों की तरफ जाने लगता है और मम्मी उसके पीछे जाने के लिए उठती है। दोनो सीढ़यों के पास आते हैं।
कसाब - मालकिन आप आगे चिलऐ मैं पीछे से आता हूं।
मम्मी - क्यों
कसाब मम्मी की ओर देखकर धीरे से - वो मुझे आपकी उठक बैठक देखनी है पीछे से।
मम्मी - क्या कहां।
कसाब हकलाते हुए - वो मेरा मतलब बाल्टी वजनदार है ना,तो रुक रुक कर चढ़ूंगा ऊपर। आप आगे चिलये।
मम्मी उसकी बात सुनकर सीिढ़या चढ़ने लगती हैं और वो मम्मी के पीछे चढ़ने लगता हैं। कुछ सीिढ़या चढ़ने के बाद मम्मी पीछे मुड़कर देखती है। कसाब तो मम्मी के चूतड़ पर नजर गड़ाए हुए था। फिर मम्मी ऊपर चली जाती है। वो दोनों अब मेरी नज़रों से ओझल हो गए थे।
में थोड़ी देर में उठता हू ऊपर जाने के लिए । सीढिंया चढ़ते वक्त न जाने क्यों मेरा दिल धड़क रहा था। थोड़ी देर बाद में टेरेंस के दरवाजे पर आ गया। मैंने चुपके से थोड़ी अपनी गदर्न बाहर निकालकर टेरेस की और नजर घुमाई ।
मुझे वो दोनो दिखाई दिए। मम्मी कपड़े सुखाने के लिए डाल रही थी डोरी पे और वो मम्मी से कुछ ही दूरी पर खड़ा था।
टेरेस पर दोनों हिस्सों में रिस्सयों को बांध के रखा था एक दूसरे के विपिरत दिशा में । जिसपर मम्मी ने अभी अपनी साड़ी फैलाकर डाली थी। कसाब और मम्मी दोनो रिस्सयों के बीच में खड़े थे। दोनो तरफ साड़ी होने की वजह से कोई आजू बाजू से कोई उन्हें देख नहीं सकता था। मम्मी जैसे ही बाल्टी से कपड़े उठाने के लिए नीचे झुकती वैसे ही उनका पिछवाड़ा बाहर निकल जाता था और कसाब मम्मी के बदन के एक- एक हिस्से को ताड़ रहा था।
मम्मी तुरंत उसकी तरफ जाती है और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देती हैं। चटाक मम्मी उसको रूम में लेजाकर जोर से दरवाजा बंद कर देती हैं।
मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। मम्मी का गुस्सा देखकर लग रहा था की जरूर आज कुछ बवाल होने वाला है।
मैं सतर्क हो गया कि कोई मुझे देख ना ले. ये देखने के लिए मैं दरवाज़े की दरार से रूम में झाँकने लगा. जैसे ही मैंने अपनी आँख दरवाज़े की दरार से लगाई, रूम का नज़ारा देख कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए. मुझे ऐसा लगा मेरे नीचे से किसी ने धरती छीन ली हो.. मेरा दिमाग एकदम सुन्न हो गया था. न मैं कुछ सोच पा रहा था, न समझ पा रहा था. मैं कुछ देर इसी अवस्था में खड़ा रहा.
मैंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला और दोबारा अपनी आंख किवाड़ की दरार से लगा कर अन्दर का नज़ारा देखने लगा. लिविंग रूम के अन्दर वो घिनौना खेल चल रहा था, जिसकी कल्पना मैंने कभी सपने में भी नहीं की थी.
कसाब का एक हाथ से मम्मी का सर पकड़ कर मम्मी के होंठों को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था.. और दूसरे हाथ से मम्मी के चूतड़ मसल रहा था. मम्मी भी पूरी तरह से उस कसाब का साथ दे रही थीं. वह कभी कसाब के बालों को कस के पकड़ लेतीं, तो कभी उसकी कमीज के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पीठ को किसी बिल्ली की तरह नोंच रही थीं कसाब मम्मी को किस कर रहा था और मम्मी भी उसे किस कर रही थीं. पर अब उस कसाब का हाथ मम्मी की गांड पर नहीं था बल्कि उसने अपने हाथ से मम्मी के बड़े बड़े चुचों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबोच रखा था.
तभी मम्मी की चीख निकली- आआह.. धीरे.. दर्द होता है..!
तब उस कसाब ने अपनी पकड़ को थोड़ा ढीली कर दी और आराम आराम से मम्मी के चुचों को मसलने लगा. अपने चुचों के मसलने से मम्मी एकदम मस्ती से भर उठीं और ज़ोर ज़ोर से सीत्कारने लगीं- आाह.. आाह.. ओह.. हाँ ऐसे ही.. थोड़ा ओर ज़ोर से.. ओह.. निचोड़ डाल मेरे चुचों को कसाब .. ऊऊह..
मैं चुपचाप खड़ा ये सब देखता रहा. अब कसाब मम्मी के ब्लाउज़ का हुक खोलने की कोशिश कर रहा था. तभी मम्मी ने कसाब का हाथ पकड़ लिया.
मम्मी - नहीं कसाब ब्लाऊज़ मत निकाल..
मगर उसने मम्मी एक न सुनी और एक झटके में मम्मी की ब्लाउस का हुक खोल दिया ।


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