13-10-2025, 09:16 AM
अगली सुबह दस बज चुके थे लेकिन कसाब अभी तक नही आया। मैंने ग़ौर किया की मम्मी बार बार किचन से मुख्य दरवाजे की तरफ देख रही थी। तभी फोन की घंटी बजी और मैंने फोन उठाया। फोन पापा का था ओफिस से।
नयन : हां पापा बोलिए क्या बात है।
पापा : बेटा आज वो कसाब काम पर नहीं आयेगा। मम्मी को बोल दो
नयन : पर क्यू पापा।
पापा : मुझे भी पता नहीं बेटा वह हरामखोर बोल रहा था कि कोई काम हैं।
नयन : ठीक है पापा कहकर मैंने फोन रख दिया। फिर मैंने मम्मी को बोला । मम्मी आज वह कसाब काम पर नहीं आयेगा । उसे कुछ काम है इसलिए वह आज नहीं आएगा ।
पंखुरी : ठीक है बेटा। ऐसा कहकर मम्मी काम पर लग गई। उनके चेहरे के भाव मुझे बदले हुए लगे।
फिर दो दिन ऐसे ही निकल गया। दूसरे दिन 9 बजे मैं नहाकर हॉल में आया। मम्मी खुद पोंछा लगा रही थी।
नयन : मम्मी आप क्यों पोंछा लगा रही हो।
पंखुरी : पता नहीं बेटा वह आज आयेंगा की नहीं इसलिए लागा लेती हूं।
थोड़ी देर में बेल बजी। मम्मी ने दरवाजा खोला और कसाब पान चबाते हुए अंदर आया। दोनों एक दूसरे को देख रहे था। आज भी उसने शॉपर्स पैंट और टी-शर्ट पहना हुआ था।
पंखुरी- कल क्यू नहीं आए थे।
पंखुरी : वह मम्मी के चूची की तरफ देखते हुए कहा , कुछ काम था मालकिन इसिलए नहीं आ पाया। दोनों ऐसे बात कर रहे थे जैसे पिछले दिनों में कुछ हुआ ही नहीं हो उनके बीच। आज मैंने झाड़ू , पोछा मार लिया है। तुम एक काम करो हमारे स्टोर रूम की सफाई करो आज ।
कसाब : जैसे आप कहें मालकिन ?
पंखुरी : रुको मैं चाभी ले आती हुं।
ऐसा कह के मम्मी मुड़कर जाने लगी तब वो मम्मी की साड़ी में कसी हुई गांड़ को ताड़ने लगा मेरे सामने और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगा। मैं सोच में पड़ गया कि आखिर मम्मी ने स्टोर रूम क्यू साफ करने को कहा ?
घर की तीसरी मंजिल पर सबसे आखिरी मैं हमारा बड़ा सा स्टोर रूम है जो काफी सालों से बंद है। उसमें सारी पुरानी चीजे रखी है। ज़्यादा तीसरी मंजिल का इस्तेमाल नहीं होता है।
फिर मम्मी चाभी लेके आई। और सीढ़यों से आगे चलने लगी और वह मम्मी के पीछे और उनके हिलते चूतड़ को घूरते हुए चलने लगा। मैं भी उनके पीछे धीरे से ऊपर आ गया और एक जगह छुपकर खड़ा हो गया। मम्मी स्टोर के दरवाजे पास जाकर ताला खोलने के लिए झुकी और वह मम्मी के ठीक पीछे खड़ा हो गया। झुकने की वजह से मम्मी की गद्देदार गांड़ ऊपर उठ गया और अपने पूरे आकार में आ गया। मम्मी की पूरी चिकनी पीठ से मांसल गोरी कमर तक नंगी थी सिवाय एक ब्लाउज की पट्टी के ।
मम्मी के उठे हुए गांड़ के उभारों को देखकर कसाब का लंड खड़ा हो गया। वह मम्मी से सटकर खड़ा हो गया इस वजह से उसका लंड मम्मी की गांड़ की दरार में चुभने लगा।
मम्मी को पीछे चुभन महसूस हुई इसलिये उसने पीछे देखा तो कसाब उसके गांड़ से सटके खड़ा उनके चूतड़ को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था। मम्मी और उसकी
नजरे एक हुई लेकिन वो पीछे नहीं हटा। मम्मी ने जल्दी जल्दी में ताले को खोला और खड़ी हो गई। मम्मी ने दरवाजा खोला और दोनो अंदर चले गए।
ये लाइव सीन देखकर मेरा तो हालात खराब हो गया. उस गंदे आदमी ने आज सीधा मम्मी के चूतड़ों को अपना लंड सटा दिया । हे भगवान लेकिन मम्मी ने देखते हुए भी कुछ नहीं बोली। वह दोनों रूम में दाखिल हो चुके थे अब मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा था। मेरे मन में अजीब खयाल आ रहे थे। इसिलए मैने एक प्लान बनाया। मैंने अपने पैरों का आवाज निकाला जैसे उनको लगें की कोई ऊपर आ रहा है और मैंने स्टोर रूम से दूर खड़ा हो गया। किसी की आने की आहट सुनकर मम्मी बाहर आई।
पंखुरी - क्या हुआ नयन तुम ऊपर क्यू आए।
नयन - मम्मी मैं बाहर जा रहा हुं दोस्तो के पास ।
पंखुरी - ठीक है बेटा जाओ ।
मैंने जल्दी से में डोर जानबूझकर जोर से खोला ताकि स्टोर रूम तक उसकी आवाज जाए और दरवाजा वैसे ही खुला रख के अपने बेडरूम में छुप गया। मैंने बेडरूम के दरवाजे को थोड़ा खुला रख के बाहर झांकने लगा मुझे घर का दरवाजा दिख रहा था। मैं ये देखना चाहता था की अगर मम्मी के मन में कुछ बुरा है तो उनको अकेले छोड़ना पड़ेगा तब पता चलेगा कि बात क्या है। इसलिए वो घर में दोनों अकेले हैं ऐसा उन्हें लगना चािहए। अगर सच में दाल में कुछ काला है तो जरूर मम्मी मेन दरवाजा बंद हैं या नहीं ये देखने आएगी और अगर खुला हुआ तो जरूर दरवाजा बंद करेगी। अगर मम्मी के मन में कुछ भी गलत नहीं हुआ तो नहीं वह दरवाजे को देखने आएगी और नहीं खुले दरवाजे को बंद करेगी।
मैं चुपके से दरवाजे को देख रहा था। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। मुझे बहुत पसीना आ रहा था। ना जाने क्यों मैं ये चाह रहा था की मम्मी दरवाजा बंद करने आए। एक तरफ मुझे बुरा भी लग रहा था कि मैं मम्मी के बारे में इतना बुरा सोच रहा हूं।
ये सब बहुत जल्दी जल्दी हुआ। थोड़ी ही देर में मुझे छन छन की आवाज सुनाई दी। मैं समझ गया की ये मम्मी की पायल की घुंगरू की आवाज है। इसका मतलब मम्मी आ रही थी। मेरा दिल एकदम से धड़क उठा।
तभी मुझे मम्मी दिखी । उन्होंने दरवाजे को बंद किया और सारे लॉक लगाकर ऊपर चली गई। अब मेरे दिल में धड़कन बढ़ गई। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की मम्मी ऐसा कुछ करेगी। मैं अपने बेडरूम से बाहर आकर धीरे कदमों से ऊपर की मंजिल आया और स्टोर रूम की तरफ बढ़ने लगा। जैसे ही मैं स्टोर के पास आया उसका दरवाजा मुझे बंद दिखा। घर के सबसे लास्ट वाला कमरा वही था उसको लगकर हमारी बड़ी सी बालकनी थी।
मैं बालकनी में गया और बालकनी से स्टोर रूम की खिड़की से नीचे बैठकर अंदर झांकने लगा। ऐसी जगह से झांक रहा था जिससे उन्हें में दिख ना सकू ।
जैसे मैंने झांका मुझे पूरा रूम दिखने लगा। मम्मी और कसाब दरवाजे के पास आजूबाजू खड़े थे।
मम्मी ने आज झीनी पारदर्शी लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी। उसपर लाल रंग का छोटा सतीन का स्लीवलेस ब्लाउज। उसमे मम्मी के चुचियों समा नही रहे थे। पल्लू से सिर्फ बाईं चूची को ढका हुआ था। दाएं तरफ का चूची का कप बेपरदा था। चूची के बीच की लंबी सी क्लीवेज दिख रही थीं। छोटे से ब्लाउज में इतने बड़े चूची बेरहमी से दबे हुए थे। गोरी बाहें , पीछे पूरी गोरी पीठ नंगी थी। सिर्फ ब्लाउज की एक पट्टी थी। साड़ी काफी कसके नीचे कमर पर बांध रखी थी जिससे पूरा पेट नंगा था। साड़ी इतनी टाइट बंधी थी कि मम्मी के चूतड का बड़ा आकार बाहर दिख रहा था। खूबसूरत चेहरे पर हल्का सा मेकअप, होंठों पर हल्की लाल लिपिस्टिक। वाकई मम्मी एक सेक्स बॉम्ब जैसी दिख रही थी। रूम काफी दिनों से बंद होने की वजह से पूरा धूल से भरा हुआ था। अंदर उनको थोड़ी घुटन सी भी हो रही थी क्योंकि वो दोनो खास रहे थे। अंदर धूल होने से पंखा भी नहीं चला सकते थे। इसिलए उन दोनो को पसीना भी आने लगा। अंदर सारी चीजे बिखरी पड़ी थी। पुराना बेड, अलमारी , सोफा, कुछ पूराना फनीर्चर, रद्दी के कागज, गद्दे, सब तरफ मकड़ी के जाले बने हुए थे। घर का सब कबाड़ यही पड़ा हुआ था। मम्मी ऐसी जगह नही जाती थी इसिलए उनको घुटन सी लग रही थी। मम्मी बार बार मुंह पर हाथ ढक रही थी।
कसाब - मालिकन नयन बाहर गया क्या ?
मम्मी उसके पैंट के उभार को देख रही थी।
पंखुरी - हां वह चला गया ।
कसाब - ये स्टोर रूम का दरवाजा क्यू बंद कर दिया मालकिन ।
उसने मम्मी को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहा। उसका पान चबाना जारी था।
पंखुरी - वो कमरा साफ़ करते वक्त धूल बाहर नहीं जाना चाहिए इसीलिए दरवाज बंद किया ।
दोनो को हल्का हल्का पसीना आने लगा था।
पंखुरी - कसाब काम शुरू करो जल्दी ?
कसाब - मालकिन यहां बहुत धूल है आप बाहर चले जाइए।
पंखुरी - नहीं मैं यही रुककर तुमको कौन का करना है ये समझाती हूं।
उसने अपनी शर्ट निकलकर बाजू में रख दी। उसका शरीर पूरा काला था जो पसीने की वजह से चमकने लगा। दोनों अभी एक-दूसरे के बाजू में ही खड़े थे। उसने मम्मी की आंखों में देखते हुए गदर्न टेढ़ी करके उनकी गद्देदार गांड़ को देखा। मम्मी भी उसकी नजर भांप गई की वो क्या देख रहा है। फिर उसने बाजू में पड़ा झाड़ू उठाया और एक कोने से सफाई करने लगा। मम्मी भी उसके आगे कोने मे पड़ी हुई कुछ चीजे उठाने लगी। जितनी बार मम्मी झुकती उतनी बार मम्मी की गांड़ ऊपर उठ के अपना गोल आकार बना लेती।
कसाब झाड़ू लगाते हुए मम्मी की गांड़ को भी ताड़ रहा था। मम्मी भी पीछे मुड़कर उसको अपने चूतड़ को घूरते हुए पकड़ रही थी। उनकी नजरे आपस मैं टकरा रही थी लेकिन मम्मी उसको कुछ नही बोल रही थी।
मम्मी के भड़काऊ कपड़े और उनसे दिखने वाली नंगी कमर , चिकना पेट उसको अट्रेक्शन कर रहा था।
उसकी आखों में वासना साफ झलक रही थी। दोनों अब पूरी तरह से पसीने से लथपथ हो गए। एक वक्त ऐसा आया जब मम्मी और वो आमने सामने आ गए। मम्मी झुकी हुई थी जिससे उनके चूची की गहरी खाई और भी गहरी दिखने लगी। मम्मी की गदर्न से पसीना बहकर सीधा उस चुची की खाई में समा रहा था।
कसाब के लंड ने अपना पूरा आकार धारण कर लिया जिससे उसके पैंट का उभार बहुत बड़ा लगने लगा। वह वैसे ही नीचे झुके हुए मम्मी की चुची और उसकी लंबी सी लाइन को घूरने लगा। मम्मी ने उसकी तरफ देखा और फिर अपने चुची की क्लीवेज की तरफ देखकर अपनी गदर्न नीचे कर ली। मैं तो बिल्कुल शोक में था की आखिर मम्मी अपनी चूची को ढक क्यूं नही रही है। वो साला गंदा आदमी मम्मी के चुची और क्लीवेज को देखकर मजे ले रहा था और मम्मी उसे मजे लेने दे रही थी। ये सब देखकर मेरा पूरा शरीर गरम हो गया। मम्मी वैसे ही उसके सामने झुकी हुई कुछ कागज देख रही थी। कसाब झाड़ू लगाते हुए मम्मी के बाजू से जाने लगा। उसका काला शरीर पूरा पसीने से चमकने लगा। जब वो बाजू से जाने लगा तो मम्मी उसके खड़े लंड के उभार को घूरने लगी। तब मम्मी ने ऐसा कुछ किया जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी। मम्मी ने अपनी गदर्न थोड़ी उसकी तरफ घुमाई और जोर से सांस को अंदर लिया। मम्मी उसके शरीर की बदबू को सूंघ रही थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मम्मी उस गंदे आदमी के शरीर की बदबू क्यू सूंघ रही हैं।
कसाब मम्मी के बाजू से निकलकर थोड़ा आगे जा के रुका और पीछे मुड़कर मम्मी के उभरे हुए नरम चूतड़ों को घूरने लगा । वही चूतड़ जिनको उसने थोड़ी देर पहले अपने पैंट के उभार से छुआ था।
झाड़ू लगाने की आवाज बंद होने की वजह से मम्मी ने झुके हुए मुड़कर पीछे देखा की कसाब बहुत पास से उनकी बड़ी गांड़ को घूर रहा है। उनकी नजरे एक हुई फिर उसने अपने माथे के पसीने को अपनी उंगली से पोंछा और मम्मी की तरफ देखते हुए पसीने की उंगली को मम्मी की गांड़ पर झटक दिया जिस वजह उसके मैले पसीने की बूंदे मम्मी की गांड़ पर और चिकनी कमर पर गिर गई। फिर वो अपना सिर नीचे करके आगे झाड़ू लगाते हुए चलने लगा। मम्मी अब खड़ी हो गई। और पीछे से उसको झाड़ू लगाते हुए उसके पसीने भरे गंदे काले शरीर को देखने लगी। मम्मी ने अपनी कमर पर गिरे उसकी पसीने की काली बूंदों को देखा। मम्मी
की गोरी चिकनी कमर पर उसके पसीने की बूंदे काले दाग की तरह लग दिख रहे थे। मम्मी ने उसके पसीने की गंदी बूंद को अपनी उंगली पर लिया और नाक के पास लाकर सूंघने लगी। इस वक्त मम्मी ने अपना मुंह थोड़ा खराब बनाया। जैसे बदबू आ रही हो मम्मी की सांसे तेज हो रही थी जिससे उनके चूची ऊपर नीचे करने लगे।
। मम्मी और कसाब पसीने से पूरे गीले हो चुके थे मम्मी का ब्लाउज भी हल्का सा गीला हो चुका था। मम्मी की चिकनी गोरी कमर पर पसीने की बूंदे किसी हीरे की तरह चमक रही थी। एक गन्दा नौकर आदमी मेरी मम्मी की गांड़ को ताड़ रहा था और मम्मी उसे अपनी गांड़ दिखा रही थी। और तो और उसके गंदे काले शरीर को निहार रही थी। उसके पसीने को सूंघ रही थी । मेरे लिए ये काफी नया था। फिर मम्मी की नजर दीवार पर लगी एक पुरानी तस्वीर पर गई। मम्मी दीवार के पास जाकर उस तस्वीर को निकालने लगी। मम्मी इस तरह तस्वीर निकल रही जिससे उनकी गांड़ कुछ ज्यादा ही उठ के बाहर निकल आई। पर मम्मी से तस्वीर निकल नहीं रही थी। मम्मी ने कसाब की तरफ मुड़के देखा वो झाड़ू मारने लगा हुआ था।
पंखुरी - कसाब जरा इधर आना ।
मम्मी अपने दोनों हाथ को ऊपर करके तस्वीर को पकड़े हुए थी। इसिलए उनकी चिकनी पीठ उसके सामने आई। मम्मी तस्वीर को साफ करने मैं लग गई। कसाब मम्मी की चिकनी पीठ से लेकर उनकी नंगी कमर और बाहर निकली हुई गांड़ को घूरते हुए मम्मी के पास आकर उनके बाजू मे खड़ा होने की बजाय मम्मी के पीछे उनकी ऊपर उठी हुई गांड़ से सटकर खड़ा हो गया। कसाब मम्मी की गांड को लंड चुभाते हुए उनकी नंगी गोरी पीठ से चिकनी कमर तक बहने वाले पसीने को एकटक घूरने लगा। कसाब किसी दिरंदे की तरह मम्मी की उभरी गांड को देख रहा था। उसकी हिम्मत अब और बढ़ गई थी। मेरा तो बुरा हाल हो चुका था सब देख के ।
मम्मी को अपनी चूतड़ पर चुभन महसूस हुई वैसी ही जैसे दरवाजा खोलते वक्त हुई थी। मम्मी को समझने मैं देर नही लगी की कसाब अपना लंड उनकी गांड में चुभा रहा है।
मम्मी ने पीछे मुड़कर कसाब को अपनी गांड से सटा हुआ उनकी पीठ से लेकर गांड तक घूरता पाया। अपने से कम उम्र के आदमी के लंड चुभवाने से मम्मी की सांसे भारी होने लगी।
कसाब ने मम्मी की गांड के पास वैसे ही खड़े रहकर उनकी तरफ देखते हुए कहा - क्या काम है मालकिन ऐसा पूछा। और पान चबाने लगा।
पंखुरी हकलाते हुए - वह इस तस्वीर को निकालने मैं मेरी मदद करो। मम्मी की सांसे भारी हो चली थी। वैसे ही कसाब ने एक नजर मम्मी की आंखों में देखा और फिर मम्मी की गांड से सटे हुए उसके उभार को देखकर पीछे हटा। मम्मी की आंखे वासना से भर चुकी थी। अपने नौकर से लंड चुभवाकर मम्मी गरम हो रही थी।
नयन : हां पापा बोलिए क्या बात है।
पापा : बेटा आज वो कसाब काम पर नहीं आयेगा। मम्मी को बोल दो
नयन : पर क्यू पापा।
पापा : मुझे भी पता नहीं बेटा वह हरामखोर बोल रहा था कि कोई काम हैं।
नयन : ठीक है पापा कहकर मैंने फोन रख दिया। फिर मैंने मम्मी को बोला । मम्मी आज वह कसाब काम पर नहीं आयेगा । उसे कुछ काम है इसलिए वह आज नहीं आएगा ।
पंखुरी : ठीक है बेटा। ऐसा कहकर मम्मी काम पर लग गई। उनके चेहरे के भाव मुझे बदले हुए लगे।
फिर दो दिन ऐसे ही निकल गया। दूसरे दिन 9 बजे मैं नहाकर हॉल में आया। मम्मी खुद पोंछा लगा रही थी।
नयन : मम्मी आप क्यों पोंछा लगा रही हो।
पंखुरी : पता नहीं बेटा वह आज आयेंगा की नहीं इसलिए लागा लेती हूं।
थोड़ी देर में बेल बजी। मम्मी ने दरवाजा खोला और कसाब पान चबाते हुए अंदर आया। दोनों एक दूसरे को देख रहे था। आज भी उसने शॉपर्स पैंट और टी-शर्ट पहना हुआ था।
पंखुरी- कल क्यू नहीं आए थे।
पंखुरी : वह मम्मी के चूची की तरफ देखते हुए कहा , कुछ काम था मालकिन इसिलए नहीं आ पाया। दोनों ऐसे बात कर रहे थे जैसे पिछले दिनों में कुछ हुआ ही नहीं हो उनके बीच। आज मैंने झाड़ू , पोछा मार लिया है। तुम एक काम करो हमारे स्टोर रूम की सफाई करो आज ।
कसाब : जैसे आप कहें मालकिन ?
पंखुरी : रुको मैं चाभी ले आती हुं।
ऐसा कह के मम्मी मुड़कर जाने लगी तब वो मम्मी की साड़ी में कसी हुई गांड़ को ताड़ने लगा मेरे सामने और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगा। मैं सोच में पड़ गया कि आखिर मम्मी ने स्टोर रूम क्यू साफ करने को कहा ?
घर की तीसरी मंजिल पर सबसे आखिरी मैं हमारा बड़ा सा स्टोर रूम है जो काफी सालों से बंद है। उसमें सारी पुरानी चीजे रखी है। ज़्यादा तीसरी मंजिल का इस्तेमाल नहीं होता है।
फिर मम्मी चाभी लेके आई। और सीढ़यों से आगे चलने लगी और वह मम्मी के पीछे और उनके हिलते चूतड़ को घूरते हुए चलने लगा। मैं भी उनके पीछे धीरे से ऊपर आ गया और एक जगह छुपकर खड़ा हो गया। मम्मी स्टोर के दरवाजे पास जाकर ताला खोलने के लिए झुकी और वह मम्मी के ठीक पीछे खड़ा हो गया। झुकने की वजह से मम्मी की गद्देदार गांड़ ऊपर उठ गया और अपने पूरे आकार में आ गया। मम्मी की पूरी चिकनी पीठ से मांसल गोरी कमर तक नंगी थी सिवाय एक ब्लाउज की पट्टी के ।
मम्मी के उठे हुए गांड़ के उभारों को देखकर कसाब का लंड खड़ा हो गया। वह मम्मी से सटकर खड़ा हो गया इस वजह से उसका लंड मम्मी की गांड़ की दरार में चुभने लगा।
मम्मी को पीछे चुभन महसूस हुई इसलिये उसने पीछे देखा तो कसाब उसके गांड़ से सटके खड़ा उनके चूतड़ को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था। मम्मी और उसकी
नजरे एक हुई लेकिन वो पीछे नहीं हटा। मम्मी ने जल्दी जल्दी में ताले को खोला और खड़ी हो गई। मम्मी ने दरवाजा खोला और दोनो अंदर चले गए।
ये लाइव सीन देखकर मेरा तो हालात खराब हो गया. उस गंदे आदमी ने आज सीधा मम्मी के चूतड़ों को अपना लंड सटा दिया । हे भगवान लेकिन मम्मी ने देखते हुए भी कुछ नहीं बोली। वह दोनों रूम में दाखिल हो चुके थे अब मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा था। मेरे मन में अजीब खयाल आ रहे थे। इसिलए मैने एक प्लान बनाया। मैंने अपने पैरों का आवाज निकाला जैसे उनको लगें की कोई ऊपर आ रहा है और मैंने स्टोर रूम से दूर खड़ा हो गया। किसी की आने की आहट सुनकर मम्मी बाहर आई।
पंखुरी - क्या हुआ नयन तुम ऊपर क्यू आए।
नयन - मम्मी मैं बाहर जा रहा हुं दोस्तो के पास ।
पंखुरी - ठीक है बेटा जाओ ।
मैंने जल्दी से में डोर जानबूझकर जोर से खोला ताकि स्टोर रूम तक उसकी आवाज जाए और दरवाजा वैसे ही खुला रख के अपने बेडरूम में छुप गया। मैंने बेडरूम के दरवाजे को थोड़ा खुला रख के बाहर झांकने लगा मुझे घर का दरवाजा दिख रहा था। मैं ये देखना चाहता था की अगर मम्मी के मन में कुछ बुरा है तो उनको अकेले छोड़ना पड़ेगा तब पता चलेगा कि बात क्या है। इसलिए वो घर में दोनों अकेले हैं ऐसा उन्हें लगना चािहए। अगर सच में दाल में कुछ काला है तो जरूर मम्मी मेन दरवाजा बंद हैं या नहीं ये देखने आएगी और अगर खुला हुआ तो जरूर दरवाजा बंद करेगी। अगर मम्मी के मन में कुछ भी गलत नहीं हुआ तो नहीं वह दरवाजे को देखने आएगी और नहीं खुले दरवाजे को बंद करेगी।
मैं चुपके से दरवाजे को देख रहा था। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। मुझे बहुत पसीना आ रहा था। ना जाने क्यों मैं ये चाह रहा था की मम्मी दरवाजा बंद करने आए। एक तरफ मुझे बुरा भी लग रहा था कि मैं मम्मी के बारे में इतना बुरा सोच रहा हूं।
ये सब बहुत जल्दी जल्दी हुआ। थोड़ी ही देर में मुझे छन छन की आवाज सुनाई दी। मैं समझ गया की ये मम्मी की पायल की घुंगरू की आवाज है। इसका मतलब मम्मी आ रही थी। मेरा दिल एकदम से धड़क उठा।
तभी मुझे मम्मी दिखी । उन्होंने दरवाजे को बंद किया और सारे लॉक लगाकर ऊपर चली गई। अब मेरे दिल में धड़कन बढ़ गई। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की मम्मी ऐसा कुछ करेगी। मैं अपने बेडरूम से बाहर आकर धीरे कदमों से ऊपर की मंजिल आया और स्टोर रूम की तरफ बढ़ने लगा। जैसे ही मैं स्टोर के पास आया उसका दरवाजा मुझे बंद दिखा। घर के सबसे लास्ट वाला कमरा वही था उसको लगकर हमारी बड़ी सी बालकनी थी।
मैं बालकनी में गया और बालकनी से स्टोर रूम की खिड़की से नीचे बैठकर अंदर झांकने लगा। ऐसी जगह से झांक रहा था जिससे उन्हें में दिख ना सकू ।
जैसे मैंने झांका मुझे पूरा रूम दिखने लगा। मम्मी और कसाब दरवाजे के पास आजूबाजू खड़े थे।
मम्मी ने आज झीनी पारदर्शी लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी। उसपर लाल रंग का छोटा सतीन का स्लीवलेस ब्लाउज। उसमे मम्मी के चुचियों समा नही रहे थे। पल्लू से सिर्फ बाईं चूची को ढका हुआ था। दाएं तरफ का चूची का कप बेपरदा था। चूची के बीच की लंबी सी क्लीवेज दिख रही थीं। छोटे से ब्लाउज में इतने बड़े चूची बेरहमी से दबे हुए थे। गोरी बाहें , पीछे पूरी गोरी पीठ नंगी थी। सिर्फ ब्लाउज की एक पट्टी थी। साड़ी काफी कसके नीचे कमर पर बांध रखी थी जिससे पूरा पेट नंगा था। साड़ी इतनी टाइट बंधी थी कि मम्मी के चूतड का बड़ा आकार बाहर दिख रहा था। खूबसूरत चेहरे पर हल्का सा मेकअप, होंठों पर हल्की लाल लिपिस्टिक। वाकई मम्मी एक सेक्स बॉम्ब जैसी दिख रही थी। रूम काफी दिनों से बंद होने की वजह से पूरा धूल से भरा हुआ था। अंदर उनको थोड़ी घुटन सी भी हो रही थी क्योंकि वो दोनो खास रहे थे। अंदर धूल होने से पंखा भी नहीं चला सकते थे। इसिलए उन दोनो को पसीना भी आने लगा। अंदर सारी चीजे बिखरी पड़ी थी। पुराना बेड, अलमारी , सोफा, कुछ पूराना फनीर्चर, रद्दी के कागज, गद्दे, सब तरफ मकड़ी के जाले बने हुए थे। घर का सब कबाड़ यही पड़ा हुआ था। मम्मी ऐसी जगह नही जाती थी इसिलए उनको घुटन सी लग रही थी। मम्मी बार बार मुंह पर हाथ ढक रही थी।
कसाब - मालिकन नयन बाहर गया क्या ?
मम्मी उसके पैंट के उभार को देख रही थी।
पंखुरी - हां वह चला गया ।
कसाब - ये स्टोर रूम का दरवाजा क्यू बंद कर दिया मालकिन ।
उसने मम्मी को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहा। उसका पान चबाना जारी था।
पंखुरी - वो कमरा साफ़ करते वक्त धूल बाहर नहीं जाना चाहिए इसीलिए दरवाज बंद किया ।
दोनो को हल्का हल्का पसीना आने लगा था।
पंखुरी - कसाब काम शुरू करो जल्दी ?
कसाब - मालकिन यहां बहुत धूल है आप बाहर चले जाइए।
पंखुरी - नहीं मैं यही रुककर तुमको कौन का करना है ये समझाती हूं।
उसने अपनी शर्ट निकलकर बाजू में रख दी। उसका शरीर पूरा काला था जो पसीने की वजह से चमकने लगा। दोनों अभी एक-दूसरे के बाजू में ही खड़े थे। उसने मम्मी की आंखों में देखते हुए गदर्न टेढ़ी करके उनकी गद्देदार गांड़ को देखा। मम्मी भी उसकी नजर भांप गई की वो क्या देख रहा है। फिर उसने बाजू में पड़ा झाड़ू उठाया और एक कोने से सफाई करने लगा। मम्मी भी उसके आगे कोने मे पड़ी हुई कुछ चीजे उठाने लगी। जितनी बार मम्मी झुकती उतनी बार मम्मी की गांड़ ऊपर उठ के अपना गोल आकार बना लेती।
कसाब झाड़ू लगाते हुए मम्मी की गांड़ को भी ताड़ रहा था। मम्मी भी पीछे मुड़कर उसको अपने चूतड़ को घूरते हुए पकड़ रही थी। उनकी नजरे आपस मैं टकरा रही थी लेकिन मम्मी उसको कुछ नही बोल रही थी।
मम्मी के भड़काऊ कपड़े और उनसे दिखने वाली नंगी कमर , चिकना पेट उसको अट्रेक्शन कर रहा था।
उसकी आखों में वासना साफ झलक रही थी। दोनों अब पूरी तरह से पसीने से लथपथ हो गए। एक वक्त ऐसा आया जब मम्मी और वो आमने सामने आ गए। मम्मी झुकी हुई थी जिससे उनके चूची की गहरी खाई और भी गहरी दिखने लगी। मम्मी की गदर्न से पसीना बहकर सीधा उस चुची की खाई में समा रहा था।
कसाब के लंड ने अपना पूरा आकार धारण कर लिया जिससे उसके पैंट का उभार बहुत बड़ा लगने लगा। वह वैसे ही नीचे झुके हुए मम्मी की चुची और उसकी लंबी सी लाइन को घूरने लगा। मम्मी ने उसकी तरफ देखा और फिर अपने चुची की क्लीवेज की तरफ देखकर अपनी गदर्न नीचे कर ली। मैं तो बिल्कुल शोक में था की आखिर मम्मी अपनी चूची को ढक क्यूं नही रही है। वो साला गंदा आदमी मम्मी के चुची और क्लीवेज को देखकर मजे ले रहा था और मम्मी उसे मजे लेने दे रही थी। ये सब देखकर मेरा पूरा शरीर गरम हो गया। मम्मी वैसे ही उसके सामने झुकी हुई कुछ कागज देख रही थी। कसाब झाड़ू लगाते हुए मम्मी के बाजू से जाने लगा। उसका काला शरीर पूरा पसीने से चमकने लगा। जब वो बाजू से जाने लगा तो मम्मी उसके खड़े लंड के उभार को घूरने लगी। तब मम्मी ने ऐसा कुछ किया जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी। मम्मी ने अपनी गदर्न थोड़ी उसकी तरफ घुमाई और जोर से सांस को अंदर लिया। मम्मी उसके शरीर की बदबू को सूंघ रही थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मम्मी उस गंदे आदमी के शरीर की बदबू क्यू सूंघ रही हैं।
कसाब मम्मी के बाजू से निकलकर थोड़ा आगे जा के रुका और पीछे मुड़कर मम्मी के उभरे हुए नरम चूतड़ों को घूरने लगा । वही चूतड़ जिनको उसने थोड़ी देर पहले अपने पैंट के उभार से छुआ था।
झाड़ू लगाने की आवाज बंद होने की वजह से मम्मी ने झुके हुए मुड़कर पीछे देखा की कसाब बहुत पास से उनकी बड़ी गांड़ को घूर रहा है। उनकी नजरे एक हुई फिर उसने अपने माथे के पसीने को अपनी उंगली से पोंछा और मम्मी की तरफ देखते हुए पसीने की उंगली को मम्मी की गांड़ पर झटक दिया जिस वजह उसके मैले पसीने की बूंदे मम्मी की गांड़ पर और चिकनी कमर पर गिर गई। फिर वो अपना सिर नीचे करके आगे झाड़ू लगाते हुए चलने लगा। मम्मी अब खड़ी हो गई। और पीछे से उसको झाड़ू लगाते हुए उसके पसीने भरे गंदे काले शरीर को देखने लगी। मम्मी ने अपनी कमर पर गिरे उसकी पसीने की काली बूंदों को देखा। मम्मी
की गोरी चिकनी कमर पर उसके पसीने की बूंदे काले दाग की तरह लग दिख रहे थे। मम्मी ने उसके पसीने की गंदी बूंद को अपनी उंगली पर लिया और नाक के पास लाकर सूंघने लगी। इस वक्त मम्मी ने अपना मुंह थोड़ा खराब बनाया। जैसे बदबू आ रही हो मम्मी की सांसे तेज हो रही थी जिससे उनके चूची ऊपर नीचे करने लगे।
। मम्मी और कसाब पसीने से पूरे गीले हो चुके थे मम्मी का ब्लाउज भी हल्का सा गीला हो चुका था। मम्मी की चिकनी गोरी कमर पर पसीने की बूंदे किसी हीरे की तरह चमक रही थी। एक गन्दा नौकर आदमी मेरी मम्मी की गांड़ को ताड़ रहा था और मम्मी उसे अपनी गांड़ दिखा रही थी। और तो और उसके गंदे काले शरीर को निहार रही थी। उसके पसीने को सूंघ रही थी । मेरे लिए ये काफी नया था। फिर मम्मी की नजर दीवार पर लगी एक पुरानी तस्वीर पर गई। मम्मी दीवार के पास जाकर उस तस्वीर को निकालने लगी। मम्मी इस तरह तस्वीर निकल रही जिससे उनकी गांड़ कुछ ज्यादा ही उठ के बाहर निकल आई। पर मम्मी से तस्वीर निकल नहीं रही थी। मम्मी ने कसाब की तरफ मुड़के देखा वो झाड़ू मारने लगा हुआ था।
पंखुरी - कसाब जरा इधर आना ।
मम्मी अपने दोनों हाथ को ऊपर करके तस्वीर को पकड़े हुए थी। इसिलए उनकी चिकनी पीठ उसके सामने आई। मम्मी तस्वीर को साफ करने मैं लग गई। कसाब मम्मी की चिकनी पीठ से लेकर उनकी नंगी कमर और बाहर निकली हुई गांड़ को घूरते हुए मम्मी के पास आकर उनके बाजू मे खड़ा होने की बजाय मम्मी के पीछे उनकी ऊपर उठी हुई गांड़ से सटकर खड़ा हो गया। कसाब मम्मी की गांड को लंड चुभाते हुए उनकी नंगी गोरी पीठ से चिकनी कमर तक बहने वाले पसीने को एकटक घूरने लगा। कसाब किसी दिरंदे की तरह मम्मी की उभरी गांड को देख रहा था। उसकी हिम्मत अब और बढ़ गई थी। मेरा तो बुरा हाल हो चुका था सब देख के ।
मम्मी को अपनी चूतड़ पर चुभन महसूस हुई वैसी ही जैसे दरवाजा खोलते वक्त हुई थी। मम्मी को समझने मैं देर नही लगी की कसाब अपना लंड उनकी गांड में चुभा रहा है।
मम्मी ने पीछे मुड़कर कसाब को अपनी गांड से सटा हुआ उनकी पीठ से लेकर गांड तक घूरता पाया। अपने से कम उम्र के आदमी के लंड चुभवाने से मम्मी की सांसे भारी होने लगी।
कसाब ने मम्मी की गांड के पास वैसे ही खड़े रहकर उनकी तरफ देखते हुए कहा - क्या काम है मालकिन ऐसा पूछा। और पान चबाने लगा।
पंखुरी हकलाते हुए - वह इस तस्वीर को निकालने मैं मेरी मदद करो। मम्मी की सांसे भारी हो चली थी। वैसे ही कसाब ने एक नजर मम्मी की आंखों में देखा और फिर मम्मी की गांड से सटे हुए उसके उभार को देखकर पीछे हटा। मम्मी की आंखे वासना से भर चुकी थी। अपने नौकर से लंड चुभवाकर मम्मी गरम हो रही थी।


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