13-10-2025, 09:04 AM
अगली सुबह मैं उठकर तैयार हुआ। में सोफे पर बैठकर सोचने लगा की इस कसाब के बच्चे को सबक सिखाना पड़ेगा। इसलिए मैंने कुछ तय किया।
सुबह का वक्त था थोड़ी देर में बेल बजी। मम्मी ने दरवाजा खोला और कसाब पान चबाते हुए अंदर आया। उसकी आंखों में अभी भी पानी था। दोनों एक दूसरे को देख रहे थे। मम्मी को देखते हुए उसके मुंह से पान का लाल थूक बाहर निकलने लगा जिसे उसने अपनी शर्ट की कॉलर से पोंछ लिया। आज भी उसने शर्ट , पैंट पहना हुआ था।
पंखुरी - तुम्हारी आंखों में पानी क्यों है।
कसाब - वो मालकिन मेरी आंखो में कुछ चला गया शायद
पंखुरी - अच्छा ठीक है चलो जल्दी जल्दी काम शुरू करो।
ऐसा कहकर मम्मी किचन में चली गई और किचन के पास खड़ी होकर कुछ सिबजीयां साफ कर रही थी। कसाब झाड़ू मारते हुए किचन घुस के झाड़ू मारने लगा। मम्मी किचन में थोड़ा झुक के खड़ी होने की वजह से साड़ी में उनकी गांड़ पूरे आकार में आ चुकी थी। तभी मैंने कुछ सोचते हुए मम्मी से कहा की मैं अपने बेडरूम जा रहा हूं ऐसा कहकर मैं उनके सामने बेडरूम जाने के लिए लए मुड़ा लेकिन बेडरूम में ना जाते हुए मैं किचन की खिड़की के पास चुपचाप खड़ा हो गया। उसको आते ही मम्मी ने उसकी तरफ देखा। दोनों की नजरे एक हुई लेकिन दोनों एक दूसरे को छुपकर तिरछी नजरों से देख रहे थे। जहां पर मम्मी खड़ी थी ठीक उसके पीछे कुछ दूरी पर फ्रीज रखा था। यानी किचन और फ्रीज के बीच के छोटी सी जगह थी। ऊपर से उस छोटी जगह के बीच मम्मी पहले से ही थोड़ी झुककर खड़ी थी । कसाब झाड़ू मारते हुए मम्मी के बाजू में आकर झुकते हुए रुक गया। मम्मी को पता था कि वो उसके पीछे खड़ा है।उसके मुंह के सामने कुछ ही दूरी पर मम्मी की उभरी हुई गांड़ पूरे आकार में थी। उसने मम्मी के चूतड़ की तरफ देखा। उसके चेहरे पर कामिनी मुस्कान आ गई। इस बीच मम्मी भी अपनी जगह पर वैसे ही खड़ी होकर कुछ सोच रही थी। तभी कसाब ने झाड़ू मारने का बहाना करते हुए अपने झाड़ू पकड़े हुए हाथ की कोहनी मम्मी के बड़े चूतड़ की दरार में धसा दी। उसने इतनी जोर से कोहनी मम्मी की गांड़ में घुसाई की मम्मी एकदम उछल पड़ी और उनकी साड़ी भी दरार में घुस गई। ये उसने बहुत तेजी से किया। मम्मी जल्दी से उसकी तरफ मुड़ी और गुस्से से उसके मुंह पर एक थप्पड़ जड़ दिया । थप्पड़ की आवाज से ही पता चल रहा था की थप्पड़ कितना जोर दार था।
पंखुरी गुस्से में - तुम्हें शर्म नहीं आती क्या यह सब करते हुए।
कसाब अपने गाल पर हाथ मसलते हुए- मैनें क्या किया मालकिन। इतना जोर से कोई मरता है क्या ?
पंखुरी - अच्छा तुम्हे नही पता की तुमने अभी मुझे कहा छुआ। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की।
कसाब सहमी हुईं आवाज में - लेकिन मालकिन मेरा तो ध्यान भी नही था की कब मेरा हाथ लगा। मेरा ध्यान तो झाड़ू मारने में था।
पंखुरी - अच्छा ज्यादा बनो मत।
कसाब - सही कह रहा हुं मालकिन मैनें ऐसा कुछ नहीं किया। आप ही देख लीजिए यह कितनी कम जगह है। एक तरफ ये किचन और दूसरी तरफ फ्रीज होने से बीच में कितनी कम जगह है। और ऊपर से इतनी कम जगह में एक साइड आप खड़ी है। और तो और आप झुककर खड़ी होने की वजह से आपके बड़े चूतड़ों और बाहर निकलकर आ गये है। इसलिए और जगह काम हो गई है। इस में मेरा किया कसूर।
उसने सीधे मम्मी के सामने उनके चूतड़ों जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया और तो और बड़े चूतड़ है ऐसा कहा । मुझे लगा अब उसकी खैर नहीं।
पंखुरी ( मम्मी ) गुस्से में - ये क्या वाहियात शब्दो का इस्तेमाल कर रहे हों मेरे सामने गवार कहीं के तुम्हें कुछ अकल है की नहीं । बिल्कुल जाहिल हो ।
कसाब अपनी नजरे नीचे करते हैं - मालकिन अब चूतड़ को चूतड़ नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे। ज्यादा से ज्यादा गांड़ कहते हैं। और मैंने क्या गलत कहा मालकिन। आपकी गांड़ बड़ी है इसलिए यहां जगह नहीं बची थी। इसलिए मेरा हाथ लग गया होगा उसे में । मैंने जानबूझकर कुछ नही किया।
उसके द्वारा फिर से अपनी गांड़ के बारे सुनकर मम्मी एकदम स्तब्ध हो गई। मुझे लगा की मम्मी उसको अभी घर से बाहर निकाल फेकेगी लेकिन मेरा अंदाजा गलत हुआ।
पंखुरी धीरे से - ठीक है जाओ झाड़ू पोंछा करके निकलों।
कसाब - जैसा आप कहें मालकिन।
वह साला खुल्लम खुल्लम मम्मी के सामने चूतड़ गांड़ जैसे शब्द बोल रहा था और मम्मी ने उसे ऐसे ही छोड़ दिया। मुझे बहुत हैरानी हो रही थी। आखिर मम्मी ने ऐसा क्यों किया । क्या चल रहा है मम्मी के मन में। वह फिर से झाड़ू मारते हुए आगे निकला और मम्मी उसको पीछे से देख रही थी। तभी मम्मी फिर से मुड़कर किचन पर पड़ी सिब्जीयां साफ करने लगी। वह झाड़ू मारते हुए किचन से बाहर आ रहा था इसलिए मैं चुपके से अपने बेडरूम में उनको दिखे बगैर चला गया।
मैं दरवाजा थोड़ा खुला रखकर चुपके से उसपर नजर रखने लगा। उसने झाड़ू मारने के बाद पोंछा मारने लगा। उसने मेरे कमरे का दरवाजा खोला और मुझे देखकर कामिनी मुस्कान से हंसने लगा। जैसे कह रहा हो की आज तेरी मम्मी की गांड़ को छूकर आ रहा हु।
नयन - क्या है मैंने बेड पर बैठे हुए कहा ?
कसाब - पोंछा मारना है।
नयन - जल्दी से मारो और दरवाजा बंद करके निकलों ।
फिर उसने पोंछा मारा और दरवाजा बंद करके चला गया। वैसे ही मैं उठकर दरवाजे के पास गया और देखने लगा। लेकिन उसने जल्दी से किचन में भी पोंछा मारा और
अपना सारा काम खतम किया और जाने लगा।
कसाब मैन दरवाजे के पास पहुंचा और दरवाजा खोलने वाला था लेकिन वो रुक गया। और वो फिर से किचन में घुस गया। मैं भी जल्दी से किचन की खिड़की पास आ गया और अंदर झांकने लगा। मम्मी अपने ख्यालों मैं ही सब्जी साफ कर रही थी उनका ध्यान उसपर नही था वो मम्मी से थोड़ी
दूरी पर खड़ा था। उसने मम्मी को आवाज लगाई जिससे मम्मी का ध्यान उस पर गया।
कसाब - मालकिन प्यास लगी है पानी मिलेगा
पंखुरी - फ्रीज से बोतल निकलकर पिलो।
तभी कसाब फ्रीज के पास आया। जैसे ही कसाब फ्रीज का दरवाजा खोलनेवाला था वो रुक गया। हैंडल पकड़े हुए मुड़कर उसने मम्मी की तरफ देखा जो ठीक फ्रीज के सामने कुछ ही दूरी पर उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी। मम्मी और फ्रीज में बहुत कम जगह की अंतर थी । मम्मी ने अपनी गदर्न पीछे करके उसकी तरफ देखा जो मुड़े हुए उनको ही देख रहा था।
पंखुरी - रुक क्यों गए। फ्रीज खोलकर पानी ले लो।
कसाब - मालकिन क्या आप थोड़ा हट सकती है। क्योंकि जगह काम होने की वजह से फ्रीज का दरवाजा खोलते वक्त फिर से मेरा हाथ आपके बड़े चूतड़ को लग सकता है। और आप फिर से मुझे थप्पड़ मारोगी। उसने ' बड़े चूतड़ 'इस शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया दया। मुझे लगा की अब मम्मी हट जाएगी लेकिन जो हुआ उसने मुझे सच में हिला दिया।
मम्मी वैसी ही खड़ी रही बोली - बार बार एक ही गंदे शब्द बोल रहे हों गवार कही के तमीज नहीं है क्या तुम्हें बोलने की
कसाब - बड़े चूतड़ को बड़े ही कहूंगा न मालकिन। हट जाइए
पंखुरी - चुप चाप पानी पियो और निकलों। फ्रीज बहुत दूर है मुझसे।
कसाब - ठीक है मालकिन। कसाब ने अपनी गर्दन फ्रीज की तरफ की। मम्मी अभी भी उसको पीछे गदर्न करके उसको ही देख रही थी।
कसाब ने तेजी से फ्रीज का दरवाजा खोला और वही हुआ जो होना था। उसकी कोहनी मम्मी की गांड़ मे अंदर तक धस गई। लेकिन वो तुरंत निकली नही वैसी ही मम्मी के चूतड़ की दरार में घुसी रही। मम्मी छोटी आंखे करके उसकी तरफ पीछे देखने लगी। और वह अपना चेहरा फ्रीज के अंदर डाले हुए बोतल निकलने लगा इसी बीच वह थोड़ा - थोड़ा दरवाजा आगे पीछे कर रहा था जिससे उसकी कोहनी मम्मी की दरार में घुसने लगी। मम्मी अधखुली आंखों से उसके तरफ देख रही थी। इसी बीच मम्मी ने अपने दोनों हाथ किचन के रैक रखा जिससे उनके चूतड़ और बाहर निकल गए। ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने चूतड़ को कोहनी की तरफ धकेल रही हो।
तभी कसाब ने एक बोतल निकली जो काफी कम भरी हुई थी। कसाब ने फ्रीज का दरवाजा बंद किया और खड़ा होकर बोतल खोलकर मम्मी को देखकर पानी पीने लगा। मम्मी वैसे ही खड़ी होकर उसको पानी पीता हुआ देख रही थी। उसने उस बोतल का सारा पानी पी लिया और उस बोतल को फ्रीज के ऊपर रख दिया।
उसने पानी पीकर बोतल रख दी और वही खड़ा रहा। मम्मी भी अब सीधी उसकी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।
कसाब - बोला था ना मालकिन हट जाइए नहीं तो मेरा हाथ आपके बड़े चूतड़ को लग जायेगा। देखिए घुस गई ना मेरी कोहनी आपकी गांड़ में।
उसके बोलते ही मम्मी ने एकबार फिर एक थपपड़ उसके गाल पर जड़ दिया। लेकिन ये थप्पड़ पिछलेवाले जितना जोर से नहीं था। ऐसा लगा जैसे मम्मी उसके गालों को थपथपा रही हो।
पंखुरी - जल्दी से दफा हो जाओ यहां से।
मम्मी के बोलने पर कसाब तुरंत नजरे नीचे करके घर से बाहर चला जाता है। उसके जाने से पहले ही मैं अपने रूम में घुस गया। उसके जाने के बाद मम्मी अपने बेडरूम चली जाती है। मैं जल्दी से घर के बाहर निकल कर नीचे जाता हूं।
मेरे आने से पहले ही कसाब ने उस शाहरूख को सब बताना शुरू कर दिया था। आज जो हुआ वो सब उसने शाहरूख को बता दिया।
कसाब- उसने मुझे दो बार थप्पड़ मारे।
शाहरुख - लगता है उस पिल्ले को सबक़ सिखाना ही पड़ेगा।
कसाब - उस पिल्ले ने थप्पड़ नहीं मारा , मालकिन ने मारा ।
शाहरुख - मालकिन ने क्यों मारा ?
कसाब - मैंने उसके गांड़ के दरार में अपनी हाथ की कोहनी घुसा दिया। और उसके सामने चूतड़ और गांड़ बोले इसलिए मारी ।
शाहरुख - तुझ में इतनी हिम्मत कहां से आ गई उसके सामने चूतड और गांड़ जैसे शब्द बोलने की । ऐसे भी संस्कारी औरतों की चूत में बहुत गर्मी होती है लेकिन दिखाती ऐसे है की कितनी सती सावित्री है। इसिलए दिखावे के लिए तुझे थप्पड़ मार दिया होगा।
कसाब - पता नही शाहरुख लेकिन जब जब मैं उसके सामने गांड़ और चूतड़ जैसे शब्द बोलता तो मुझे बहुत मजा आ रहा था। अल्लाह कसम शाहरुख उसकी लेने में बहुत मजा आयेगा। सर से पांव तक बहुत चिकनी है वो और सब थप्पड़ों का जवाब उसको चोदकर लूंगा मैं।
शाहरुख - अच्छा अब ज्यादा ख्याली पुलाव मत पका। चल अब बहुत काम है। फिर वह दोनो चले गये और मैं वापिस घर आ गया और अपने बेडरूम चला गया । ये दिन भी इन सब बातों में ही निकल गया।
सुबह का वक्त था थोड़ी देर में बेल बजी। मम्मी ने दरवाजा खोला और कसाब पान चबाते हुए अंदर आया। उसकी आंखों में अभी भी पानी था। दोनों एक दूसरे को देख रहे थे। मम्मी को देखते हुए उसके मुंह से पान का लाल थूक बाहर निकलने लगा जिसे उसने अपनी शर्ट की कॉलर से पोंछ लिया। आज भी उसने शर्ट , पैंट पहना हुआ था।
पंखुरी - तुम्हारी आंखों में पानी क्यों है।
कसाब - वो मालकिन मेरी आंखो में कुछ चला गया शायद
पंखुरी - अच्छा ठीक है चलो जल्दी जल्दी काम शुरू करो।
ऐसा कहकर मम्मी किचन में चली गई और किचन के पास खड़ी होकर कुछ सिबजीयां साफ कर रही थी। कसाब झाड़ू मारते हुए किचन घुस के झाड़ू मारने लगा। मम्मी किचन में थोड़ा झुक के खड़ी होने की वजह से साड़ी में उनकी गांड़ पूरे आकार में आ चुकी थी। तभी मैंने कुछ सोचते हुए मम्मी से कहा की मैं अपने बेडरूम जा रहा हूं ऐसा कहकर मैं उनके सामने बेडरूम जाने के लिए लए मुड़ा लेकिन बेडरूम में ना जाते हुए मैं किचन की खिड़की के पास चुपचाप खड़ा हो गया। उसको आते ही मम्मी ने उसकी तरफ देखा। दोनों की नजरे एक हुई लेकिन दोनों एक दूसरे को छुपकर तिरछी नजरों से देख रहे थे। जहां पर मम्मी खड़ी थी ठीक उसके पीछे कुछ दूरी पर फ्रीज रखा था। यानी किचन और फ्रीज के बीच के छोटी सी जगह थी। ऊपर से उस छोटी जगह के बीच मम्मी पहले से ही थोड़ी झुककर खड़ी थी । कसाब झाड़ू मारते हुए मम्मी के बाजू में आकर झुकते हुए रुक गया। मम्मी को पता था कि वो उसके पीछे खड़ा है।उसके मुंह के सामने कुछ ही दूरी पर मम्मी की उभरी हुई गांड़ पूरे आकार में थी। उसने मम्मी के चूतड़ की तरफ देखा। उसके चेहरे पर कामिनी मुस्कान आ गई। इस बीच मम्मी भी अपनी जगह पर वैसे ही खड़ी होकर कुछ सोच रही थी। तभी कसाब ने झाड़ू मारने का बहाना करते हुए अपने झाड़ू पकड़े हुए हाथ की कोहनी मम्मी के बड़े चूतड़ की दरार में धसा दी। उसने इतनी जोर से कोहनी मम्मी की गांड़ में घुसाई की मम्मी एकदम उछल पड़ी और उनकी साड़ी भी दरार में घुस गई। ये उसने बहुत तेजी से किया। मम्मी जल्दी से उसकी तरफ मुड़ी और गुस्से से उसके मुंह पर एक थप्पड़ जड़ दिया । थप्पड़ की आवाज से ही पता चल रहा था की थप्पड़ कितना जोर दार था।
पंखुरी गुस्से में - तुम्हें शर्म नहीं आती क्या यह सब करते हुए।
कसाब अपने गाल पर हाथ मसलते हुए- मैनें क्या किया मालकिन। इतना जोर से कोई मरता है क्या ?
पंखुरी - अच्छा तुम्हे नही पता की तुमने अभी मुझे कहा छुआ। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की।
कसाब सहमी हुईं आवाज में - लेकिन मालकिन मेरा तो ध्यान भी नही था की कब मेरा हाथ लगा। मेरा ध्यान तो झाड़ू मारने में था।
पंखुरी - अच्छा ज्यादा बनो मत।
कसाब - सही कह रहा हुं मालकिन मैनें ऐसा कुछ नहीं किया। आप ही देख लीजिए यह कितनी कम जगह है। एक तरफ ये किचन और दूसरी तरफ फ्रीज होने से बीच में कितनी कम जगह है। और ऊपर से इतनी कम जगह में एक साइड आप खड़ी है। और तो और आप झुककर खड़ी होने की वजह से आपके बड़े चूतड़ों और बाहर निकलकर आ गये है। इसलिए और जगह काम हो गई है। इस में मेरा किया कसूर।
उसने सीधे मम्मी के सामने उनके चूतड़ों जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया और तो और बड़े चूतड़ है ऐसा कहा । मुझे लगा अब उसकी खैर नहीं।
पंखुरी ( मम्मी ) गुस्से में - ये क्या वाहियात शब्दो का इस्तेमाल कर रहे हों मेरे सामने गवार कहीं के तुम्हें कुछ अकल है की नहीं । बिल्कुल जाहिल हो ।
कसाब अपनी नजरे नीचे करते हैं - मालकिन अब चूतड़ को चूतड़ नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे। ज्यादा से ज्यादा गांड़ कहते हैं। और मैंने क्या गलत कहा मालकिन। आपकी गांड़ बड़ी है इसलिए यहां जगह नहीं बची थी। इसलिए मेरा हाथ लग गया होगा उसे में । मैंने जानबूझकर कुछ नही किया।
उसके द्वारा फिर से अपनी गांड़ के बारे सुनकर मम्मी एकदम स्तब्ध हो गई। मुझे लगा की मम्मी उसको अभी घर से बाहर निकाल फेकेगी लेकिन मेरा अंदाजा गलत हुआ।
पंखुरी धीरे से - ठीक है जाओ झाड़ू पोंछा करके निकलों।
कसाब - जैसा आप कहें मालकिन।
वह साला खुल्लम खुल्लम मम्मी के सामने चूतड़ गांड़ जैसे शब्द बोल रहा था और मम्मी ने उसे ऐसे ही छोड़ दिया। मुझे बहुत हैरानी हो रही थी। आखिर मम्मी ने ऐसा क्यों किया । क्या चल रहा है मम्मी के मन में। वह फिर से झाड़ू मारते हुए आगे निकला और मम्मी उसको पीछे से देख रही थी। तभी मम्मी फिर से मुड़कर किचन पर पड़ी सिब्जीयां साफ करने लगी। वह झाड़ू मारते हुए किचन से बाहर आ रहा था इसलिए मैं चुपके से अपने बेडरूम में उनको दिखे बगैर चला गया।
मैं दरवाजा थोड़ा खुला रखकर चुपके से उसपर नजर रखने लगा। उसने झाड़ू मारने के बाद पोंछा मारने लगा। उसने मेरे कमरे का दरवाजा खोला और मुझे देखकर कामिनी मुस्कान से हंसने लगा। जैसे कह रहा हो की आज तेरी मम्मी की गांड़ को छूकर आ रहा हु।
नयन - क्या है मैंने बेड पर बैठे हुए कहा ?
कसाब - पोंछा मारना है।
नयन - जल्दी से मारो और दरवाजा बंद करके निकलों ।
फिर उसने पोंछा मारा और दरवाजा बंद करके चला गया। वैसे ही मैं उठकर दरवाजे के पास गया और देखने लगा। लेकिन उसने जल्दी से किचन में भी पोंछा मारा और
अपना सारा काम खतम किया और जाने लगा।
कसाब मैन दरवाजे के पास पहुंचा और दरवाजा खोलने वाला था लेकिन वो रुक गया। और वो फिर से किचन में घुस गया। मैं भी जल्दी से किचन की खिड़की पास आ गया और अंदर झांकने लगा। मम्मी अपने ख्यालों मैं ही सब्जी साफ कर रही थी उनका ध्यान उसपर नही था वो मम्मी से थोड़ी
दूरी पर खड़ा था। उसने मम्मी को आवाज लगाई जिससे मम्मी का ध्यान उस पर गया।
कसाब - मालकिन प्यास लगी है पानी मिलेगा
पंखुरी - फ्रीज से बोतल निकलकर पिलो।
तभी कसाब फ्रीज के पास आया। जैसे ही कसाब फ्रीज का दरवाजा खोलनेवाला था वो रुक गया। हैंडल पकड़े हुए मुड़कर उसने मम्मी की तरफ देखा जो ठीक फ्रीज के सामने कुछ ही दूरी पर उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी। मम्मी और फ्रीज में बहुत कम जगह की अंतर थी । मम्मी ने अपनी गदर्न पीछे करके उसकी तरफ देखा जो मुड़े हुए उनको ही देख रहा था।
पंखुरी - रुक क्यों गए। फ्रीज खोलकर पानी ले लो।
कसाब - मालकिन क्या आप थोड़ा हट सकती है। क्योंकि जगह काम होने की वजह से फ्रीज का दरवाजा खोलते वक्त फिर से मेरा हाथ आपके बड़े चूतड़ को लग सकता है। और आप फिर से मुझे थप्पड़ मारोगी। उसने ' बड़े चूतड़ 'इस शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया दया। मुझे लगा की अब मम्मी हट जाएगी लेकिन जो हुआ उसने मुझे सच में हिला दिया।
मम्मी वैसी ही खड़ी रही बोली - बार बार एक ही गंदे शब्द बोल रहे हों गवार कही के तमीज नहीं है क्या तुम्हें बोलने की
कसाब - बड़े चूतड़ को बड़े ही कहूंगा न मालकिन। हट जाइए
पंखुरी - चुप चाप पानी पियो और निकलों। फ्रीज बहुत दूर है मुझसे।
कसाब - ठीक है मालकिन। कसाब ने अपनी गर्दन फ्रीज की तरफ की। मम्मी अभी भी उसको पीछे गदर्न करके उसको ही देख रही थी।
कसाब ने तेजी से फ्रीज का दरवाजा खोला और वही हुआ जो होना था। उसकी कोहनी मम्मी की गांड़ मे अंदर तक धस गई। लेकिन वो तुरंत निकली नही वैसी ही मम्मी के चूतड़ की दरार में घुसी रही। मम्मी छोटी आंखे करके उसकी तरफ पीछे देखने लगी। और वह अपना चेहरा फ्रीज के अंदर डाले हुए बोतल निकलने लगा इसी बीच वह थोड़ा - थोड़ा दरवाजा आगे पीछे कर रहा था जिससे उसकी कोहनी मम्मी की दरार में घुसने लगी। मम्मी अधखुली आंखों से उसके तरफ देख रही थी। इसी बीच मम्मी ने अपने दोनों हाथ किचन के रैक रखा जिससे उनके चूतड़ और बाहर निकल गए। ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने चूतड़ को कोहनी की तरफ धकेल रही हो।
तभी कसाब ने एक बोतल निकली जो काफी कम भरी हुई थी। कसाब ने फ्रीज का दरवाजा बंद किया और खड़ा होकर बोतल खोलकर मम्मी को देखकर पानी पीने लगा। मम्मी वैसे ही खड़ी होकर उसको पानी पीता हुआ देख रही थी। उसने उस बोतल का सारा पानी पी लिया और उस बोतल को फ्रीज के ऊपर रख दिया।
उसने पानी पीकर बोतल रख दी और वही खड़ा रहा। मम्मी भी अब सीधी उसकी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।
कसाब - बोला था ना मालकिन हट जाइए नहीं तो मेरा हाथ आपके बड़े चूतड़ को लग जायेगा। देखिए घुस गई ना मेरी कोहनी आपकी गांड़ में।
उसके बोलते ही मम्मी ने एकबार फिर एक थपपड़ उसके गाल पर जड़ दिया। लेकिन ये थप्पड़ पिछलेवाले जितना जोर से नहीं था। ऐसा लगा जैसे मम्मी उसके गालों को थपथपा रही हो।
पंखुरी - जल्दी से दफा हो जाओ यहां से।
मम्मी के बोलने पर कसाब तुरंत नजरे नीचे करके घर से बाहर चला जाता है। उसके जाने से पहले ही मैं अपने रूम में घुस गया। उसके जाने के बाद मम्मी अपने बेडरूम चली जाती है। मैं जल्दी से घर के बाहर निकल कर नीचे जाता हूं।
मेरे आने से पहले ही कसाब ने उस शाहरूख को सब बताना शुरू कर दिया था। आज जो हुआ वो सब उसने शाहरूख को बता दिया।
कसाब- उसने मुझे दो बार थप्पड़ मारे।
शाहरुख - लगता है उस पिल्ले को सबक़ सिखाना ही पड़ेगा।
कसाब - उस पिल्ले ने थप्पड़ नहीं मारा , मालकिन ने मारा ।
शाहरुख - मालकिन ने क्यों मारा ?
कसाब - मैंने उसके गांड़ के दरार में अपनी हाथ की कोहनी घुसा दिया। और उसके सामने चूतड़ और गांड़ बोले इसलिए मारी ।
शाहरुख - तुझ में इतनी हिम्मत कहां से आ गई उसके सामने चूतड और गांड़ जैसे शब्द बोलने की । ऐसे भी संस्कारी औरतों की चूत में बहुत गर्मी होती है लेकिन दिखाती ऐसे है की कितनी सती सावित्री है। इसिलए दिखावे के लिए तुझे थप्पड़ मार दिया होगा।
कसाब - पता नही शाहरुख लेकिन जब जब मैं उसके सामने गांड़ और चूतड़ जैसे शब्द बोलता तो मुझे बहुत मजा आ रहा था। अल्लाह कसम शाहरुख उसकी लेने में बहुत मजा आयेगा। सर से पांव तक बहुत चिकनी है वो और सब थप्पड़ों का जवाब उसको चोदकर लूंगा मैं।
शाहरुख - अच्छा अब ज्यादा ख्याली पुलाव मत पका। चल अब बहुत काम है। फिर वह दोनो चले गये और मैं वापिस घर आ गया और अपने बेडरूम चला गया । ये दिन भी इन सब बातों में ही निकल गया।


![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)