27-09-2025, 09:30 PM
मम्मी को हुआ पापा जी के दोस्त से प्यार part 5 start
तो एक दिन ऐसा हुआ कि मैं , मम्मी , खुशबू आंटी मंदिर में पूजा के लिए जा रहे थे पर हम जिस रास्ते से जा रहे थे वो रास्ता एक ,., कॉलोनी होकर जाता था हम उसी रास्ते से जा रहे थे तो एक आदमी मेरी मम्मी को देखकर घूर रहा था और अपने हाथ को अपने पहने हुए पैंट के ऊपर फेर रहा था ये सब मैंने तो देखा पर मम्मी ने नहीं देखा था। क्योंकि खुशबू आंटी भी साथ में थी वह दोनों बातें करते जा रही थी।
मेरे तो समझ में आ गया कि इस लंड मम्मी की मटकती गांड़ को देखकर ही खड़ा हो गया है, हम लोग जैसे जैसे रास्ते आगे बढ़ते जा रहे थे और वह आदमी भी हमारे पीछे पीछे आ रहा था थोड़ी देर में हम लोग मंदिर पहुंच गए । वो आदमी मंदिर के बाहर खड़ा होकर इंतजार कर रहा था और मम्मी को ही देख रहा था फिर हमलोगों पूजा करके वापस निकले तो वो भी हमारे पीछे पीछे हमारे घर के पास आकर रुक गया ।
मैंने मोहल्ले के कुछ लड़कों से उसका नाम पता किया उस आदमी का नाम कसाब अंसारी था और वह एक कसाई था और वह देखने में बहुत ही हट्टा कट्टा था और उसकी उमर कुछ 54 साल की होगी
मंदिर जाने का वही एक रास्ता था और जब भी मम्मी मंदिर के लिए निकलती में भी चुपके से मम्मी के पीछे जाने लगा । एक दिन जोर का तूफान और बारिस आया तो मम्मी रास्ते में ही थी तभी कसाब उनके पास आकर बोला " मैडम मेरा घर बगल में ही है आप वहां रुक सकती है " तो मम्मी उसके घर चली गए और थोड़ी देर उसके घर पर रूकने के बाद मम्मी फिर मंदिर के लिए निकल गई।
अगले दिन मम्मी बाज़ार जा रही थी तो बारिश की वजह से सड़क की बहुत खराब थी । घर से थोड़ी दूर चलने पर कसाब उनके पास आकर बोला मैडम बाजार जा रही है चलिए आपको छोड़ देता हूं मैं भी उसी रास्ते जा रहा हूं तो मम्मी उसकी बाइक पर बैठ कर चली गई और ऐसा बहुत बार होता था अब तो मम्मी और कसाब की बहुत अच्छी दोस्ती भी हो गई थी और मम्मी कभी कभी उसके घर चाय पीने चली जाती थी।
एकदिन ऐसा हुआ कि मम्मी बाज़ार जाकर आरही थी तो मम्मी की मुलाकात कसाब से हुआ तो उसने मम्मी को अपने साथ अपने घर लेकर चला गया।
जब मम्मी उसके घर गई तो थोड़ी देर बाद उसने मम्मी को चाय दी मम्मी ने चाय लेकर पीने लगी मम्मी ने उससे पूछा आपकी पत्नी नहीं है किया । कसाब ने बताया कि वो 1 महीने के लिए अपने घर चली गई है। ऐसे बहुत सारी बातें होने के बाद उसने कहा भाभीजी आप बहुत खुबसूरत हो तो मम्मी मुस्कुराके बोली " सच.. "
कसाब - हा अगर आप मेरे धर्म की होती तो मैं आपसे शादी कर लेता। मगर मम्मी कुछ नहीं बोली.
फिर कसाब बोला भाभी एक बात कहूंगा तो आप बुरा नहीं मानोगी न। मम्मी बोली बोलिये क्या बात है.
कसाब - पर आप बुरा नहीं मानोगी ना.
मम्मी- बताइये तो सही.
तो कसाब बोला भाभी मैं आपको इतने दिनों से जानता हूँ पर मैं आपको जब भी देखता हूँ तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
मम्मी- आप कुछ भी बोल रहे हो मैं चलती हूं.
कसाब - सच भाभी जी और मम्मी का हाट पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और मम्मी को अपनी तरफ खींच लिया।
मम्मी ने किसी तरह खुद को उससे अलग किया और उसके घर से बाहर निकल गई और घर आई।
मम्मी जब भी चाहें बाजार या मंदिर जाती अगर रास्ते में कसाब दिखाई देता तो उसे इग्नोर कर देती ।
इसी तरह दो तीन सप्ताह निकल गया। एक दिन मम्मी बाज़ार गई हुई थी बाजार करते करते उन्हें काफी देर हो गया
जब वह उसे मुहल्ले वाले रास्ते से आ रही थी रास्ते बहुत शुंशान लग रहा और काफी अंधेरा भी था मम्मी अपने मोबाइल की रोशनी जलाये हुए और तेजी में आगे बढ़ते जा रही थी तभी पीछे से किसी ने मम्मी को आवाज लगाई ।
" कैसे हो पंखुरी जी " मम्मी रूक कर पीछे मुड़कर देखी तो वह कसाब था
इतना बोलते मम्मी के करीब आ गया और कसाब बोला " क्या बात है पंखुरी जी में देख रहा हूं कि आप मुझे दो तीन सप्ताह से इग्नोर कर रही हो " और मम्मी का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया।
मम्मी ने कहा मुझे से दूर रहों और उससे धक्का दे कर दुर कर दिया। शायद यह हरकत कसाब को पसंद नहीं आया और कसाब ने मम्मी को रंड़ी कह कर बुलाने लगा । और मम्मी का हाथ पकड़ कर अपने घर की ओर खींचने लगा।
तभी गली के दुसरे छोर ( पहला छोर मेरे घर की ओर ) से किसी ने कसाब के चहरे पर टॉर्च की । और एक आवाज आई " जल्दी वहां से हट , माधर्चोद " और कसाब इतना सुनते ही मम्मी का हाथ छोड़ कर अपने घर की ओर भाग। मम्मी ने राहत की सांस ली। वह अंजान व्यक्ति मम्मी से करीब 10 फिट के दूरी पर खड़ा था और अंधेरे में उसका चेहरा भी नहीं दिखाई दे रहा था और उसने चहरे पर मास्क लगाया हुआ था इसकी वजह उस अंजान व्यक्ति को नहीं पहचान पाई और वह व्यक्ति बोली " आप ठीक हो है मैडम " । मम्मी ने कहा " हां ठीक हुं "
फिर मम्मी ने उस अंजान व्यक्ति को धन्यवाद कहा और बोली अगर आप सही समय पर आवाज नहीं लगता तो वह बदमाश ना जाने क्या करता। फिर मम्मी जल्दी जल्दी घर की ओर बड़ी और घर पहुंच गई ।
अगले दिन मम्मी ने यह बात खुशबू आंटी को बताई तो खुशबू आंटी ने मम्मी से कहा तुम्हें उस अंजान व्यक्ति को उसके घर जा धन्यवाद कहना चाहिए । मम्मी और आंटी ने उस अंजान व्यक्ति के बारे में पता लगाई मगर कुछ पता नहीं चला । फिर वह अंजान आदमी फिर मम्मी को चार महीने बाद वह होली पर मिला दिया ।
तो एक दिन ऐसा हुआ कि मैं , मम्मी , खुशबू आंटी मंदिर में पूजा के लिए जा रहे थे पर हम जिस रास्ते से जा रहे थे वो रास्ता एक ,., कॉलोनी होकर जाता था हम उसी रास्ते से जा रहे थे तो एक आदमी मेरी मम्मी को देखकर घूर रहा था और अपने हाथ को अपने पहने हुए पैंट के ऊपर फेर रहा था ये सब मैंने तो देखा पर मम्मी ने नहीं देखा था। क्योंकि खुशबू आंटी भी साथ में थी वह दोनों बातें करते जा रही थी।
मेरे तो समझ में आ गया कि इस लंड मम्मी की मटकती गांड़ को देखकर ही खड़ा हो गया है, हम लोग जैसे जैसे रास्ते आगे बढ़ते जा रहे थे और वह आदमी भी हमारे पीछे पीछे आ रहा था थोड़ी देर में हम लोग मंदिर पहुंच गए । वो आदमी मंदिर के बाहर खड़ा होकर इंतजार कर रहा था और मम्मी को ही देख रहा था फिर हमलोगों पूजा करके वापस निकले तो वो भी हमारे पीछे पीछे हमारे घर के पास आकर रुक गया ।
मैंने मोहल्ले के कुछ लड़कों से उसका नाम पता किया उस आदमी का नाम कसाब अंसारी था और वह एक कसाई था और वह देखने में बहुत ही हट्टा कट्टा था और उसकी उमर कुछ 54 साल की होगी
मंदिर जाने का वही एक रास्ता था और जब भी मम्मी मंदिर के लिए निकलती में भी चुपके से मम्मी के पीछे जाने लगा । एक दिन जोर का तूफान और बारिस आया तो मम्मी रास्ते में ही थी तभी कसाब उनके पास आकर बोला " मैडम मेरा घर बगल में ही है आप वहां रुक सकती है " तो मम्मी उसके घर चली गए और थोड़ी देर उसके घर पर रूकने के बाद मम्मी फिर मंदिर के लिए निकल गई।
अगले दिन मम्मी बाज़ार जा रही थी तो बारिश की वजह से सड़क की बहुत खराब थी । घर से थोड़ी दूर चलने पर कसाब उनके पास आकर बोला मैडम बाजार जा रही है चलिए आपको छोड़ देता हूं मैं भी उसी रास्ते जा रहा हूं तो मम्मी उसकी बाइक पर बैठ कर चली गई और ऐसा बहुत बार होता था अब तो मम्मी और कसाब की बहुत अच्छी दोस्ती भी हो गई थी और मम्मी कभी कभी उसके घर चाय पीने चली जाती थी।
एकदिन ऐसा हुआ कि मम्मी बाज़ार जाकर आरही थी तो मम्मी की मुलाकात कसाब से हुआ तो उसने मम्मी को अपने साथ अपने घर लेकर चला गया।
जब मम्मी उसके घर गई तो थोड़ी देर बाद उसने मम्मी को चाय दी मम्मी ने चाय लेकर पीने लगी मम्मी ने उससे पूछा आपकी पत्नी नहीं है किया । कसाब ने बताया कि वो 1 महीने के लिए अपने घर चली गई है। ऐसे बहुत सारी बातें होने के बाद उसने कहा भाभीजी आप बहुत खुबसूरत हो तो मम्मी मुस्कुराके बोली " सच.. "
कसाब - हा अगर आप मेरे धर्म की होती तो मैं आपसे शादी कर लेता। मगर मम्मी कुछ नहीं बोली.
फिर कसाब बोला भाभी एक बात कहूंगा तो आप बुरा नहीं मानोगी न। मम्मी बोली बोलिये क्या बात है.
कसाब - पर आप बुरा नहीं मानोगी ना.
मम्मी- बताइये तो सही.
तो कसाब बोला भाभी मैं आपको इतने दिनों से जानता हूँ पर मैं आपको जब भी देखता हूँ तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
मम्मी- आप कुछ भी बोल रहे हो मैं चलती हूं.
कसाब - सच भाभी जी और मम्मी का हाट पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और मम्मी को अपनी तरफ खींच लिया।
मम्मी ने किसी तरह खुद को उससे अलग किया और उसके घर से बाहर निकल गई और घर आई।
मम्मी जब भी चाहें बाजार या मंदिर जाती अगर रास्ते में कसाब दिखाई देता तो उसे इग्नोर कर देती ।
इसी तरह दो तीन सप्ताह निकल गया। एक दिन मम्मी बाज़ार गई हुई थी बाजार करते करते उन्हें काफी देर हो गया
जब वह उसे मुहल्ले वाले रास्ते से आ रही थी रास्ते बहुत शुंशान लग रहा और काफी अंधेरा भी था मम्मी अपने मोबाइल की रोशनी जलाये हुए और तेजी में आगे बढ़ते जा रही थी तभी पीछे से किसी ने मम्मी को आवाज लगाई ।
" कैसे हो पंखुरी जी " मम्मी रूक कर पीछे मुड़कर देखी तो वह कसाब था
इतना बोलते मम्मी के करीब आ गया और कसाब बोला " क्या बात है पंखुरी जी में देख रहा हूं कि आप मुझे दो तीन सप्ताह से इग्नोर कर रही हो " और मम्मी का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया।
मम्मी ने कहा मुझे से दूर रहों और उससे धक्का दे कर दुर कर दिया। शायद यह हरकत कसाब को पसंद नहीं आया और कसाब ने मम्मी को रंड़ी कह कर बुलाने लगा । और मम्मी का हाथ पकड़ कर अपने घर की ओर खींचने लगा।
तभी गली के दुसरे छोर ( पहला छोर मेरे घर की ओर ) से किसी ने कसाब के चहरे पर टॉर्च की । और एक आवाज आई " जल्दी वहां से हट , माधर्चोद " और कसाब इतना सुनते ही मम्मी का हाथ छोड़ कर अपने घर की ओर भाग। मम्मी ने राहत की सांस ली। वह अंजान व्यक्ति मम्मी से करीब 10 फिट के दूरी पर खड़ा था और अंधेरे में उसका चेहरा भी नहीं दिखाई दे रहा था और उसने चहरे पर मास्क लगाया हुआ था इसकी वजह उस अंजान व्यक्ति को नहीं पहचान पाई और वह व्यक्ति बोली " आप ठीक हो है मैडम " । मम्मी ने कहा " हां ठीक हुं "
फिर मम्मी ने उस अंजान व्यक्ति को धन्यवाद कहा और बोली अगर आप सही समय पर आवाज नहीं लगता तो वह बदमाश ना जाने क्या करता। फिर मम्मी जल्दी जल्दी घर की ओर बड़ी और घर पहुंच गई ।
अगले दिन मम्मी ने यह बात खुशबू आंटी को बताई तो खुशबू आंटी ने मम्मी से कहा तुम्हें उस अंजान व्यक्ति को उसके घर जा धन्यवाद कहना चाहिए । मम्मी और आंटी ने उस अंजान व्यक्ति के बारे में पता लगाई मगर कुछ पता नहीं चला । फिर वह अंजान आदमी फिर मम्मी को चार महीने बाद वह होली पर मिला दिया ।


![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)