21-09-2025, 08:12 PM
दिल्ली से कांगड़ा: एक उत्तेजक सफर
दिल्ली से कांगड़ा, हिमाचल का रास्ता धूल और उमस से भरा था, और करनाल को अभी-अभी पीछे छोड़ते हुए राहुल ने कार की रफ्तार बढ़ाई। दोपहर की तपती धूप अब धीरे-धीरे ढल रही थी, और आसमान में हल्का सा अंधेरा छाने लगा था। सड़क के किनारे धूल उड़ रही थी, और ट्रकों की गूंज हवा में तैर रही थी। पूजा अपनी नीली स्किन-टाइट जींस और हल्के क्रीम रंग की स्लीवलेस टी-शर्ट में पिछली सीट पर बैठी थी। उसकी जींस उसकी कसी हुई कमर और गोल, मांसल नितंबों को इस तरह उभार रही थी कि हर कर्व सड़क की धूल में भी चमक रहा था। टी-शर्ट इतनी टाइट थी कि उसकी लाल लेस वाली ब्रा की आकृति साफ झलक रही थी, जो उसके तने हुए, रसीले स्तनों को और भी उत्तेजक बना रही थी। उसका मन अभी भी ट्रक की कैब में हरि के साथ बिताए उन तीव्र, निषिद्ध पलों में खोया था—उसके मोटे, सख्त लिंग की गर्माहट, उसका चिपचिपा वीर्य जो उसकी योनि में रिस रहा था। हरि ने उसकी ब्रा में ठूंसे गए पांच हजार रुपये के नोट को पूजा ने चुपके से निकालकर अपने पर्स में रख लिया था, लेकिन उस अनुभव की गर्माहट उसे बेचैन कर रही थी। राहुल ने उसकी ओर एक प्यार भरी नजर डाली और कहा, "पूजा, थक गई हो? अभी अम्बाला दूर है।" उसकी आवाज में कोई शक नहीं, बस एक पति की नरम चिंता थी। पूजा ने शरमाते हुए मुस्कुराया और कहा, "जी, नहीं... बस गर्मी है।" लेकिन उसकी योनि में हरि की गर्माहट और उस गलत रोमांच की स्मृति उसे बार-बार उकसा रही थी, और वह मन ही मन खुद को कोस रही थी।
करनाल को पार करते ही, सड़क के किनारे दो बूढ़े लोग दिखे, दोनों सफेद धोती और कुर्ता पहने हुए, जैसे हरियाणा के किसी गांव से आए हों। उनकी दाढ़ी और मूंछें सूरज की ढलती रोशनी में चमक रही थीं, और उनके चेहरों पर देहाती सादगी थी, लेकिन उनकी आंखों में एक ठरकी, भूखी चमक थी जो किसी नशीले जुनून की कहानी बयान कर रही थी। उनके शरीर मजबूत लेकिन झुर्रियों से भरे थे—श्याम लाल का कद थोड़ा लंबा था, उसकी छाती चौड़ी लेकिन उम्र की वजह से थोड़ी झुकी हुई, और उसकी बाहें खेतों में काम करने से सख्त और नसों से उभरी हुईं। देवी लाल थोड़ा छोटा था, लेकिन उसका पेट थोड़ा निकला हुआ, और उसकी टांगें मजबूत, जैसे सालों की मेहनत से बनी हों। राहुल ने कार धीमी की, और दोनों ने हाथ उठाकर लिफ्ट मांगी। "अम्बाला तक जाना है, बेटा। थोड़ा साथ ले चलो," एक बूढ़े ने देहाती लहजे में कहा। राहुल ने पूजा की ओर देखा, और पूजा ने हल्का सा सिर हिलाया। "ठीक है, बाबा। बैठ जाइए," राहुल ने कहा। एक बूढ़ा, जिसने अपना नाम श्याम लाल बताया, आगे की सीट पर बैठ गया, और दूसरा, जिसका नाम देवी लाल था, पूजा के बगल में पिछली सीट पर। कार फिर से रफ्तार पकड़ने लगी, और हवा में धूल और गर्मी का मिश्रण तैर रहा था।
देवी लाल की शुरुआती हिम्मत और पूजा का गुस्सा
पिछली सीट पर बैठे देवी लाल की नजरें तुरंत पूजा पर टिक गईं। उसकी उम्र 75 के आसपास थी, लेकिन उसकी आंखों में एक ऐसी ठरकी चमक थी, जो पूजा की टाइट जींस और टी-शर्ट को भेद रही थी। पूजा ने खिड़की की ओर देखने की कोशिश की, लेकिन हरि के साथ अनुभव ने उसकी योनि को पहले ही गीला और धड़कता छोड़ रखा था। उसका शरीर उस गुप्त आग में जल रहा था, और वह अपनी पतिव्रता नैतिकता से जूझ रही थी। देवी लाल ने धीरे से अपनी कोहनी को पूजा की ओर खिसकाया, और उसकी कोहनी ने पूजा के तने हुए स्तनों को हल्का-सा छुआ। पूजा का शरीर एकदम सिहर उठा, और उसने चौंककर देवी लाल की ओर देखा। उसकी आंखें शरम और हैरानी से भरी थीं। उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन जब देवी लाल ने दोबारा अपनी कोहनी को उसके स्तनों पर रगड़ा, तो पूजा का गुस्सा फट पड़ा। "ये क्या बदतमीजी है, बाबा? नीचे उतर जाओ गाड़ी से, अभी!" उसकी आवाज में गुस्सा और शरम का मिश्रण था, और उसका गोरा चेहरा लाल हो गया।
राहुल ने रियरव्यू मिरर में पूजा का यह रौद्र रूप देखा और एक पल को डर गया। उसने कार की रफ्तार धीमी की और पूजा की ओर मुड़कर नरम स्वर में कहा, "पूजा, शांत हो जाओ। बाबा लोग हैं, इनकी उम्र देखो। इनको तुम जैसी सुंदर लड़की कहां मिलेगी? इनको थोड़ा खुश होने दे। थोड़ी सी छेड़छाड़ कर रहे हैं, करने दे। अम्बाला बस आने ही वाला है, फिर ये हमें कभी नहीं मिलेंगे।" उसकी आवाज में एक अजीब सी उत्तेजना थी, जैसे वह इस खेल का हिस्सा बनना चाहता हो। देवी लाल और श्याम लाल ने भी हाथ जोड़कर माफी मांगी। "मैडम, बस थोड़ा सा मजा लेना चाहा। हम बूढ़ों को ऐसी हसीना कहां मिलती है? प्लीज, हमें माफ कर दो," देवी लाल ने देहाती लहजे में कहा, उसकी आंखों में अब भी वही भूखी चमक थी।
पूजा ने एक गहरी सांस ली, उसका चेहरा अभी भी शरम से लाल था। वह हिचकिचाते हुए बोली, "ठीक है... लेकिन सुन लो, मैं एक पतिव्रता औरत हूं। मेरे साथ छेड़छाड़ कर सकते हो, मेरे स्तनों को छू सकते हो... लेकिन और कुछ नहीं।" पूजा ने दोनों की ओर देखा और मन ही मन सोचा, "मैं राहुल के सामने किसी से चुदवाना नहीं चाहती। मुझे लगता है उसे नहीं पता कि मैं रामू से नाव पर चुदवा चुकी हूं, और हरि के साथ ट्रक में जो हुआ, वो तो उसे बिल्कुल नहीं पता।" उसकी आँखों में शरम और दृढ़ता थी, लेकिन शरीर में एक हल्की सी उत्तेजना भी थी, जैसे वह इस रोमांच को चाहकर भी रोक नहीं पा रही थी। फिर वह राहुल की ओर मुड़ी और हॉट, छेड़ने वाले अंदाज में बोली, "राहुल, तुम्हें पता है ना, ये बाबा लोग कितने ठरकी हैं? लेकिन तुम्हें मजा आ रहा है ना, मुझे इनके साथ खेलते देखकर? " राहुल की आंखें चौड़ी हो गईं, लेकिन वह मुस्कुराया और बोला, "पूजा, तुम्हारी ये बातें सुनकर तो मेरा दिल धड़क रहा है। हां, थोड़ा उत्तेजित तो हूं, लेकिन ड्राइविंग पर ध्यान है।"
तीव्र छेड़छाड़ और बेकाबू उत्तेजना
पूजा की सहमति मिलते ही, देवी लाल और श्याम लाल की आंखें चमक उठीं। कार में एक उत्तेजक माहौल बन गया, और हवा में धूल के साथ अब कामुकता की गंध तैरने लगी। देवी लाल ने पूजा की टी-शर्ट को धीरे से ऊपर उठाया, और उसकी लाल लेस वाली ब्रा पूरी तरह उजागर हो गई। श्याम लाल ने आगे की सीट से मुड़कर दूसरी ओर से उसकी ब्रा को नीचे खींचा, और पूजा के गोरे, रसीले स्तन हल्के अंधेरे में चमक उठे। उनके गुलाबी निप्पल्स उत्तेजना से सख्त हो चुके थे, जैसे दो छोटे-छोटे मोती हवा में चमक रहे हों। "मैडम, तुम तो बिल्कुल दूध सी गोरी हो," श्याम लाल ने देहाती लहजे में फुसफुसाया, उसकी आंखें पूजा के नग्न स्तनों पर टिकी थीं। देवी लाल ने पूजा के एक निप्पल को अपनी खुरदरी उंगलियों से मसला, और श्याम लाल ने दूसरे निप्पल को अपने खुरदरे होंठों से चूसना शुरू किया। पूजा की सिसकारियां कार में गूंज उठीं, "आह... बाबा... धीरे... ओह... तुम्हारे ये खुरदरे हाथ मेरे निप्पल्स को कितना तड़पा रहे हैं!" उसका शरीर हर स्पर्श के साथ थरथरा रहा था, और वह इस दोहरे हमले में पूरी तरह डूब गई थी। वह शरम से लाल हो रही थी, लेकिन उसकी योनि में गीली गर्माहट उसे इस सुख में खींच रही थी।
देवी लाल ने पूजा की जींस का बटन खोला और अपनी खुरदरी उंगलियों को उसकी लाल पैंटी के ऊपर से उसकी योनि पर फिराया। पूजा की पैंटी पहले से ही हरि के साथ अनुभव से गीली थी, और अब इन बूढ़ों का स्पर्श उस आग को और भड़का रहा था। श्याम लाल ने पूजा की पैंटी को धीरे-धीरे नीचे खींचा, और उसकी बिना बालों वाली, गुलाबी योनि सामने थी, जो गीली और धड़क रही थी। उसकी चमक हल्के अंधेरे में इतनी कामुक थी कि दोनों बूढ़ों की सांसें थम गईं। "मैडम, तुम्हारी ये खुशबू तो जन्नत की है," देवी लाल ने पैंटी को अपनी नाक के पास लाकर गहरी सांस लेते हुए कहा। पूजा का चेहरा शरम से और लाल हो गया, लेकिन उसकी योनि में गीली गर्माहट अब बेकाबू थी। वह राहुल की ओर देखकर बोली, "राहुल, देखो ना ये बाबा लोग मेरी पैंटी सूंघ रहे हैं। तुम्हें जलन हो रही है? राहुल ने मिरर में देखा और हांफते हुए कहा, "पूजा, तुम्हारी ये बातें मुझे पागल बना रही हैं। हां, जारी रखो... मुझे मजा आ रहा है।"
देवी लाल ने अपनी धोती खोल दी, और उसका मोटा, नसों से भरा लिंग बाहर आया। पूजा ने उसे देखा, और उसकी आंखें हैरानी और उत्तेजना से चौड़ी हो गईं। 75 साल की उम्र में भी उसका लिंग लंबा, सख्त और जंगली था—उसकी शेप घुमावदार थी, जैसे कोई पुराना, मोटा सांप जो नसों से उभरा हुआ हो, और उसका सिरा मशरूम जैसा चौड़ा और लाल, जो पहले से ही प्री-कम से चिपचिपा था। श्याम लाल ने भी अपनी धोती खोल दी, और उसका लिंग भी उतना ही मोटा और सख्त था—उसकी शेप सीधी लेकिन मोटी थी, जैसे कोई मोटा लट्ठा, जिसकी नसें नीली-नीली उभरी हुईं थीं, और उसका सिरा थोड़ा पतला लेकिन फड़कता हुआ, जैसे सालों की भूख अब जाग उठी हो। पूजा ने दोनों की ओर देखा और फिर से फुसफुसाया, "बाबा... मेरी चूत में लंड नहीं डालना... बाकी सब कर लो।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसका शरीर उस रोमांच के लिए तड़प रहा था।
श्याम लाल ने हंसते हुए राहुल की ओर देखा और बोला, "बेटा, मेरा लंड तो कई साल से खड़ा ही नहीं हुआ था, लेकिन देखो तुम्हारी वाइफ को देखकर इसमें भी जान आ गई। देखो कैसे फड़क रहा है, जैसे कोई जवान घोड़ा!" राहुल ने हंसकर कहा, "हां बाबा, पूजा का कमाल है। वो किसी को भी जगा सकती है।" पूजा ने शरमाते हुए लेकिन हॉट अंदाज में राहुल को छेड़ा, "राहुल, सुन रहे हो? इन बाबाओं का लंड मेरे लिए फड़क रहा है। तुम्हारा क्या हाल है? या इनसे सीख लो?" राहुल की सांस तेज हो गई, "पूजा, तुम्हारी ये बातें मुझे कंट्रोल से बाहर कर रही हैं। हां, मेरा भी खड़ा हो रहा है... लेकिन ड्राइविंग!"
पूजा ने धीरे से देवी लाल के लिंग को अपने नरम हाथों में लिया। उसकी गर्माहट ने पूजा के शरीर में बिजली दौड़ा दी। उसने अपने गुलाबी होंठों को लिंग के सिरे पर रखा और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। देवी लाल की एक गहरी सिसकारी निकली, "आह... मैडम... हाय... ये तो स्वर्ग है! तुम्हारे होंठ कितने नरम हैं, जैसे मखमल!" उसका लिंग पूजा के मुंह में और सख्त हो गया, और पूजा की जीभ उसके सिरे पर गोल-गोल घूम रही थी, कभी चाटती, कभी चूसती। उसने अपने दूसरे हाथ से श्याम लाल के लिंग को पकड़ा और उसे तेजी से हिलाने लगी, उसकी नसों को महसूस करते हुए। कभी वह देवी लाल के लिंग को चूसती, तो कभी श्याम लाल के लिंग को अपने मुंह में ले लेती, और दोनों के प्री-कम का स्वाद उसके मुंह में घुल रहा था। "मैडम, तुम तो जादूगरनी हो," श्याम लाल ने हांफते हुए कहा, "मेरा लंड तुम्हारे हाथों में थरथरा रहा है, जैसे कभी नहीं हुआ!" पूजा ने दोनों के लिंग को अपने तने हुए, रसीले स्तनों पर रगड़ा, और उसके गुलाबी निप्पल्स उनकी गर्माहट से और सख्त हो गए। वह अपने स्तनों के बीच देवी लाल के लिंग को दबाकर रगड़ती, और श्याम लाल के लिंग को अपनी जीभ से चाटती। दोनों बूढ़ों की सिसकारियां कार में गूंज रही थीं, "आह... मैडम... और तेज... ओह... तुम्हारी ये चूचियां कितनी रसीली हैं!"
इस बीच, देवी लाल ने अपनी उंगलियां पूजा की योनि में डालीं, लेकिन सिर्फ बाहर से रगड़ते हुए, और पूजा की सिसकारी निकली, "ओह बाबा... धीरे... मेरी चूत इतनी गीली हो गई है!" श्याम लाल ने पूजा के नितंबों को मसला, उनकी मांसलता को अपनी खुरदरी हथेलियों से दबाते हुए। पूजा ने राहुल को फिर छेड़ा, "राहुल, देखो ना ये बाबा लोग मुझे कितना तड़पा रहे हैं। क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारा भी लंड मुझे चाहिए? लेकिन अभी तो इनका मजा लो..." राहुल ने कार साइड में लगाई और बोला, "पूजा, मैं अब रुक नहीं सकता। मुझे भी शामिल होने दे!" लेकिन पूजा ने हंसकर कहा, "नहीं राहुल, तुम ड्राइव करो... ये मेरा गिफ्ट है तुम्हें, मुझे इन ठरकी बाबाओं के साथ खेलते देखने का।" माहौल इतना उत्तेजक था कि हवा में कामुकता की बिजली चमक रही थी, और कार की स्पीड के साथ-साथ उनकी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी। अंत में, दोनों बूढ़ों ने अपनी गर्म, चिपचिपी वीर्य की धारें पूजा के स्तनों और मुंह पर छोड़ दीं, और पूजा ने शरमाते हुए लेकिन संतुष्ट होकर उन्हें चाट लिया, जबकि राहुल की आंखें मिरर में सब देख रही थीं।
अम्बाला में विदाई
अम्बाला पहुंचते ही, राहुल ने कार को एक ढाबे के पास रोका। श्याम लाल और देवी लाल ने अपनी धोती ठीक की, और उनकी आंखों में अब भी वही ठरकी चमक थी, लेकिन अब उसमें एक संतुष्टि भी थी। श्याम लाल ने राहुल की ओर देखकर कहा, "बेटा, तुमने हमें जिंदगी का सबसे बड़ा सुख दे दिया। तुम्हारी वाइफ तो साक्षात अप्सरा है। बहुत-बहुत धन्यवाद।" देवी लाल ने पूजा की ओर देखकर हाथ जोड़े और बोला, "मैडम, तुमने हम बूढ़ों के दिल में फिर से जवानी जगा दी। तुम्हारा ये बदन और ये नजाकत, हम कभी नहीं भूलेंगे। धन्यवाद, बेटी।" पूजा ने शरमाते हुए मुस्कुराया और कहा, "बस बाबा, अब जाओ... और ये बात किसी को मत बताना।" राहुल ने हंसकर कहा, "हां बाबा, ये हमारा छोटा सा रहस्य है। सुरक्षित रहो।" दोनों बूढ़े कार से उतर गए, और उनकी चाल में अब एक नई स्फूर्ति थी, जैसे सालों बाद उनकी जवानी लौट आई हो। कार फिर से कांगड़ा की ओर बढ़ चली, और पूजा का अपराधबोध फिर जागा, लेकिन उस रोमांच की आग अभी बुझी नहीं थी।
दिल्ली से कांगड़ा, हिमाचल का रास्ता धूल और उमस से भरा था, और करनाल को अभी-अभी पीछे छोड़ते हुए राहुल ने कार की रफ्तार बढ़ाई। दोपहर की तपती धूप अब धीरे-धीरे ढल रही थी, और आसमान में हल्का सा अंधेरा छाने लगा था। सड़क के किनारे धूल उड़ रही थी, और ट्रकों की गूंज हवा में तैर रही थी। पूजा अपनी नीली स्किन-टाइट जींस और हल्के क्रीम रंग की स्लीवलेस टी-शर्ट में पिछली सीट पर बैठी थी। उसकी जींस उसकी कसी हुई कमर और गोल, मांसल नितंबों को इस तरह उभार रही थी कि हर कर्व सड़क की धूल में भी चमक रहा था। टी-शर्ट इतनी टाइट थी कि उसकी लाल लेस वाली ब्रा की आकृति साफ झलक रही थी, जो उसके तने हुए, रसीले स्तनों को और भी उत्तेजक बना रही थी। उसका मन अभी भी ट्रक की कैब में हरि के साथ बिताए उन तीव्र, निषिद्ध पलों में खोया था—उसके मोटे, सख्त लिंग की गर्माहट, उसका चिपचिपा वीर्य जो उसकी योनि में रिस रहा था। हरि ने उसकी ब्रा में ठूंसे गए पांच हजार रुपये के नोट को पूजा ने चुपके से निकालकर अपने पर्स में रख लिया था, लेकिन उस अनुभव की गर्माहट उसे बेचैन कर रही थी। राहुल ने उसकी ओर एक प्यार भरी नजर डाली और कहा, "पूजा, थक गई हो? अभी अम्बाला दूर है।" उसकी आवाज में कोई शक नहीं, बस एक पति की नरम चिंता थी। पूजा ने शरमाते हुए मुस्कुराया और कहा, "जी, नहीं... बस गर्मी है।" लेकिन उसकी योनि में हरि की गर्माहट और उस गलत रोमांच की स्मृति उसे बार-बार उकसा रही थी, और वह मन ही मन खुद को कोस रही थी।
करनाल को पार करते ही, सड़क के किनारे दो बूढ़े लोग दिखे, दोनों सफेद धोती और कुर्ता पहने हुए, जैसे हरियाणा के किसी गांव से आए हों। उनकी दाढ़ी और मूंछें सूरज की ढलती रोशनी में चमक रही थीं, और उनके चेहरों पर देहाती सादगी थी, लेकिन उनकी आंखों में एक ठरकी, भूखी चमक थी जो किसी नशीले जुनून की कहानी बयान कर रही थी। उनके शरीर मजबूत लेकिन झुर्रियों से भरे थे—श्याम लाल का कद थोड़ा लंबा था, उसकी छाती चौड़ी लेकिन उम्र की वजह से थोड़ी झुकी हुई, और उसकी बाहें खेतों में काम करने से सख्त और नसों से उभरी हुईं। देवी लाल थोड़ा छोटा था, लेकिन उसका पेट थोड़ा निकला हुआ, और उसकी टांगें मजबूत, जैसे सालों की मेहनत से बनी हों। राहुल ने कार धीमी की, और दोनों ने हाथ उठाकर लिफ्ट मांगी। "अम्बाला तक जाना है, बेटा। थोड़ा साथ ले चलो," एक बूढ़े ने देहाती लहजे में कहा। राहुल ने पूजा की ओर देखा, और पूजा ने हल्का सा सिर हिलाया। "ठीक है, बाबा। बैठ जाइए," राहुल ने कहा। एक बूढ़ा, जिसने अपना नाम श्याम लाल बताया, आगे की सीट पर बैठ गया, और दूसरा, जिसका नाम देवी लाल था, पूजा के बगल में पिछली सीट पर। कार फिर से रफ्तार पकड़ने लगी, और हवा में धूल और गर्मी का मिश्रण तैर रहा था।
देवी लाल की शुरुआती हिम्मत और पूजा का गुस्सा
पिछली सीट पर बैठे देवी लाल की नजरें तुरंत पूजा पर टिक गईं। उसकी उम्र 75 के आसपास थी, लेकिन उसकी आंखों में एक ऐसी ठरकी चमक थी, जो पूजा की टाइट जींस और टी-शर्ट को भेद रही थी। पूजा ने खिड़की की ओर देखने की कोशिश की, लेकिन हरि के साथ अनुभव ने उसकी योनि को पहले ही गीला और धड़कता छोड़ रखा था। उसका शरीर उस गुप्त आग में जल रहा था, और वह अपनी पतिव्रता नैतिकता से जूझ रही थी। देवी लाल ने धीरे से अपनी कोहनी को पूजा की ओर खिसकाया, और उसकी कोहनी ने पूजा के तने हुए स्तनों को हल्का-सा छुआ। पूजा का शरीर एकदम सिहर उठा, और उसने चौंककर देवी लाल की ओर देखा। उसकी आंखें शरम और हैरानी से भरी थीं। उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन जब देवी लाल ने दोबारा अपनी कोहनी को उसके स्तनों पर रगड़ा, तो पूजा का गुस्सा फट पड़ा। "ये क्या बदतमीजी है, बाबा? नीचे उतर जाओ गाड़ी से, अभी!" उसकी आवाज में गुस्सा और शरम का मिश्रण था, और उसका गोरा चेहरा लाल हो गया।
राहुल ने रियरव्यू मिरर में पूजा का यह रौद्र रूप देखा और एक पल को डर गया। उसने कार की रफ्तार धीमी की और पूजा की ओर मुड़कर नरम स्वर में कहा, "पूजा, शांत हो जाओ। बाबा लोग हैं, इनकी उम्र देखो। इनको तुम जैसी सुंदर लड़की कहां मिलेगी? इनको थोड़ा खुश होने दे। थोड़ी सी छेड़छाड़ कर रहे हैं, करने दे। अम्बाला बस आने ही वाला है, फिर ये हमें कभी नहीं मिलेंगे।" उसकी आवाज में एक अजीब सी उत्तेजना थी, जैसे वह इस खेल का हिस्सा बनना चाहता हो। देवी लाल और श्याम लाल ने भी हाथ जोड़कर माफी मांगी। "मैडम, बस थोड़ा सा मजा लेना चाहा। हम बूढ़ों को ऐसी हसीना कहां मिलती है? प्लीज, हमें माफ कर दो," देवी लाल ने देहाती लहजे में कहा, उसकी आंखों में अब भी वही भूखी चमक थी।
पूजा ने एक गहरी सांस ली, उसका चेहरा अभी भी शरम से लाल था। वह हिचकिचाते हुए बोली, "ठीक है... लेकिन सुन लो, मैं एक पतिव्रता औरत हूं। मेरे साथ छेड़छाड़ कर सकते हो, मेरे स्तनों को छू सकते हो... लेकिन और कुछ नहीं।" पूजा ने दोनों की ओर देखा और मन ही मन सोचा, "मैं राहुल के सामने किसी से चुदवाना नहीं चाहती। मुझे लगता है उसे नहीं पता कि मैं रामू से नाव पर चुदवा चुकी हूं, और हरि के साथ ट्रक में जो हुआ, वो तो उसे बिल्कुल नहीं पता।" उसकी आँखों में शरम और दृढ़ता थी, लेकिन शरीर में एक हल्की सी उत्तेजना भी थी, जैसे वह इस रोमांच को चाहकर भी रोक नहीं पा रही थी। फिर वह राहुल की ओर मुड़ी और हॉट, छेड़ने वाले अंदाज में बोली, "राहुल, तुम्हें पता है ना, ये बाबा लोग कितने ठरकी हैं? लेकिन तुम्हें मजा आ रहा है ना, मुझे इनके साथ खेलते देखकर? " राहुल की आंखें चौड़ी हो गईं, लेकिन वह मुस्कुराया और बोला, "पूजा, तुम्हारी ये बातें सुनकर तो मेरा दिल धड़क रहा है। हां, थोड़ा उत्तेजित तो हूं, लेकिन ड्राइविंग पर ध्यान है।"
तीव्र छेड़छाड़ और बेकाबू उत्तेजना
पूजा की सहमति मिलते ही, देवी लाल और श्याम लाल की आंखें चमक उठीं। कार में एक उत्तेजक माहौल बन गया, और हवा में धूल के साथ अब कामुकता की गंध तैरने लगी। देवी लाल ने पूजा की टी-शर्ट को धीरे से ऊपर उठाया, और उसकी लाल लेस वाली ब्रा पूरी तरह उजागर हो गई। श्याम लाल ने आगे की सीट से मुड़कर दूसरी ओर से उसकी ब्रा को नीचे खींचा, और पूजा के गोरे, रसीले स्तन हल्के अंधेरे में चमक उठे। उनके गुलाबी निप्पल्स उत्तेजना से सख्त हो चुके थे, जैसे दो छोटे-छोटे मोती हवा में चमक रहे हों। "मैडम, तुम तो बिल्कुल दूध सी गोरी हो," श्याम लाल ने देहाती लहजे में फुसफुसाया, उसकी आंखें पूजा के नग्न स्तनों पर टिकी थीं। देवी लाल ने पूजा के एक निप्पल को अपनी खुरदरी उंगलियों से मसला, और श्याम लाल ने दूसरे निप्पल को अपने खुरदरे होंठों से चूसना शुरू किया। पूजा की सिसकारियां कार में गूंज उठीं, "आह... बाबा... धीरे... ओह... तुम्हारे ये खुरदरे हाथ मेरे निप्पल्स को कितना तड़पा रहे हैं!" उसका शरीर हर स्पर्श के साथ थरथरा रहा था, और वह इस दोहरे हमले में पूरी तरह डूब गई थी। वह शरम से लाल हो रही थी, लेकिन उसकी योनि में गीली गर्माहट उसे इस सुख में खींच रही थी।
देवी लाल ने पूजा की जींस का बटन खोला और अपनी खुरदरी उंगलियों को उसकी लाल पैंटी के ऊपर से उसकी योनि पर फिराया। पूजा की पैंटी पहले से ही हरि के साथ अनुभव से गीली थी, और अब इन बूढ़ों का स्पर्श उस आग को और भड़का रहा था। श्याम लाल ने पूजा की पैंटी को धीरे-धीरे नीचे खींचा, और उसकी बिना बालों वाली, गुलाबी योनि सामने थी, जो गीली और धड़क रही थी। उसकी चमक हल्के अंधेरे में इतनी कामुक थी कि दोनों बूढ़ों की सांसें थम गईं। "मैडम, तुम्हारी ये खुशबू तो जन्नत की है," देवी लाल ने पैंटी को अपनी नाक के पास लाकर गहरी सांस लेते हुए कहा। पूजा का चेहरा शरम से और लाल हो गया, लेकिन उसकी योनि में गीली गर्माहट अब बेकाबू थी। वह राहुल की ओर देखकर बोली, "राहुल, देखो ना ये बाबा लोग मेरी पैंटी सूंघ रहे हैं। तुम्हें जलन हो रही है? राहुल ने मिरर में देखा और हांफते हुए कहा, "पूजा, तुम्हारी ये बातें मुझे पागल बना रही हैं। हां, जारी रखो... मुझे मजा आ रहा है।"
देवी लाल ने अपनी धोती खोल दी, और उसका मोटा, नसों से भरा लिंग बाहर आया। पूजा ने उसे देखा, और उसकी आंखें हैरानी और उत्तेजना से चौड़ी हो गईं। 75 साल की उम्र में भी उसका लिंग लंबा, सख्त और जंगली था—उसकी शेप घुमावदार थी, जैसे कोई पुराना, मोटा सांप जो नसों से उभरा हुआ हो, और उसका सिरा मशरूम जैसा चौड़ा और लाल, जो पहले से ही प्री-कम से चिपचिपा था। श्याम लाल ने भी अपनी धोती खोल दी, और उसका लिंग भी उतना ही मोटा और सख्त था—उसकी शेप सीधी लेकिन मोटी थी, जैसे कोई मोटा लट्ठा, जिसकी नसें नीली-नीली उभरी हुईं थीं, और उसका सिरा थोड़ा पतला लेकिन फड़कता हुआ, जैसे सालों की भूख अब जाग उठी हो। पूजा ने दोनों की ओर देखा और फिर से फुसफुसाया, "बाबा... मेरी चूत में लंड नहीं डालना... बाकी सब कर लो।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसका शरीर उस रोमांच के लिए तड़प रहा था।
श्याम लाल ने हंसते हुए राहुल की ओर देखा और बोला, "बेटा, मेरा लंड तो कई साल से खड़ा ही नहीं हुआ था, लेकिन देखो तुम्हारी वाइफ को देखकर इसमें भी जान आ गई। देखो कैसे फड़क रहा है, जैसे कोई जवान घोड़ा!" राहुल ने हंसकर कहा, "हां बाबा, पूजा का कमाल है। वो किसी को भी जगा सकती है।" पूजा ने शरमाते हुए लेकिन हॉट अंदाज में राहुल को छेड़ा, "राहुल, सुन रहे हो? इन बाबाओं का लंड मेरे लिए फड़क रहा है। तुम्हारा क्या हाल है? या इनसे सीख लो?" राहुल की सांस तेज हो गई, "पूजा, तुम्हारी ये बातें मुझे कंट्रोल से बाहर कर रही हैं। हां, मेरा भी खड़ा हो रहा है... लेकिन ड्राइविंग!"
पूजा ने धीरे से देवी लाल के लिंग को अपने नरम हाथों में लिया। उसकी गर्माहट ने पूजा के शरीर में बिजली दौड़ा दी। उसने अपने गुलाबी होंठों को लिंग के सिरे पर रखा और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। देवी लाल की एक गहरी सिसकारी निकली, "आह... मैडम... हाय... ये तो स्वर्ग है! तुम्हारे होंठ कितने नरम हैं, जैसे मखमल!" उसका लिंग पूजा के मुंह में और सख्त हो गया, और पूजा की जीभ उसके सिरे पर गोल-गोल घूम रही थी, कभी चाटती, कभी चूसती। उसने अपने दूसरे हाथ से श्याम लाल के लिंग को पकड़ा और उसे तेजी से हिलाने लगी, उसकी नसों को महसूस करते हुए। कभी वह देवी लाल के लिंग को चूसती, तो कभी श्याम लाल के लिंग को अपने मुंह में ले लेती, और दोनों के प्री-कम का स्वाद उसके मुंह में घुल रहा था। "मैडम, तुम तो जादूगरनी हो," श्याम लाल ने हांफते हुए कहा, "मेरा लंड तुम्हारे हाथों में थरथरा रहा है, जैसे कभी नहीं हुआ!" पूजा ने दोनों के लिंग को अपने तने हुए, रसीले स्तनों पर रगड़ा, और उसके गुलाबी निप्पल्स उनकी गर्माहट से और सख्त हो गए। वह अपने स्तनों के बीच देवी लाल के लिंग को दबाकर रगड़ती, और श्याम लाल के लिंग को अपनी जीभ से चाटती। दोनों बूढ़ों की सिसकारियां कार में गूंज रही थीं, "आह... मैडम... और तेज... ओह... तुम्हारी ये चूचियां कितनी रसीली हैं!"
इस बीच, देवी लाल ने अपनी उंगलियां पूजा की योनि में डालीं, लेकिन सिर्फ बाहर से रगड़ते हुए, और पूजा की सिसकारी निकली, "ओह बाबा... धीरे... मेरी चूत इतनी गीली हो गई है!" श्याम लाल ने पूजा के नितंबों को मसला, उनकी मांसलता को अपनी खुरदरी हथेलियों से दबाते हुए। पूजा ने राहुल को फिर छेड़ा, "राहुल, देखो ना ये बाबा लोग मुझे कितना तड़पा रहे हैं। क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारा भी लंड मुझे चाहिए? लेकिन अभी तो इनका मजा लो..." राहुल ने कार साइड में लगाई और बोला, "पूजा, मैं अब रुक नहीं सकता। मुझे भी शामिल होने दे!" लेकिन पूजा ने हंसकर कहा, "नहीं राहुल, तुम ड्राइव करो... ये मेरा गिफ्ट है तुम्हें, मुझे इन ठरकी बाबाओं के साथ खेलते देखने का।" माहौल इतना उत्तेजक था कि हवा में कामुकता की बिजली चमक रही थी, और कार की स्पीड के साथ-साथ उनकी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी। अंत में, दोनों बूढ़ों ने अपनी गर्म, चिपचिपी वीर्य की धारें पूजा के स्तनों और मुंह पर छोड़ दीं, और पूजा ने शरमाते हुए लेकिन संतुष्ट होकर उन्हें चाट लिया, जबकि राहुल की आंखें मिरर में सब देख रही थीं।
अम्बाला में विदाई
अम्बाला पहुंचते ही, राहुल ने कार को एक ढाबे के पास रोका। श्याम लाल और देवी लाल ने अपनी धोती ठीक की, और उनकी आंखों में अब भी वही ठरकी चमक थी, लेकिन अब उसमें एक संतुष्टि भी थी। श्याम लाल ने राहुल की ओर देखकर कहा, "बेटा, तुमने हमें जिंदगी का सबसे बड़ा सुख दे दिया। तुम्हारी वाइफ तो साक्षात अप्सरा है। बहुत-बहुत धन्यवाद।" देवी लाल ने पूजा की ओर देखकर हाथ जोड़े और बोला, "मैडम, तुमने हम बूढ़ों के दिल में फिर से जवानी जगा दी। तुम्हारा ये बदन और ये नजाकत, हम कभी नहीं भूलेंगे। धन्यवाद, बेटी।" पूजा ने शरमाते हुए मुस्कुराया और कहा, "बस बाबा, अब जाओ... और ये बात किसी को मत बताना।" राहुल ने हंसकर कहा, "हां बाबा, ये हमारा छोटा सा रहस्य है। सुरक्षित रहो।" दोनों बूढ़े कार से उतर गए, और उनकी चाल में अब एक नई स्फूर्ति थी, जैसे सालों बाद उनकी जवानी लौट आई हो। कार फिर से कांगड़ा की ओर बढ़ चली, और पूजा का अपराधबोध फिर जागा, लेकिन उस रोमांच की आग अभी बुझी नहीं थी।