20-09-2025, 10:39 PM
(This post was last modified: 22-09-2025, 10:21 PM by mike_kite56. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
PART 4 - CONT'D
अजंता गाँडू का मुँह ताकते हुए, उसकी घिनौनी आँखों को घूर रही है, जैसे उसकी बातों का स्वाद ले रही हो। वो अपना सर नीचे की तरफ हल्का सा झटका देती है, जैसे ठरक को झटक रही हो।
अजंता: (आवाज़ में तंज, लेकिन ठरक छुपी) हट्ट!!!!
![[Image: 5cbe06c4-111c-4720-9a8f-63f84ae20d09.jpg]](https://i.ibb.co/050jy4t/5cbe06c4-111c-4720-9a8f-63f84ae20d09.jpg)
गाँडू: (सलाखों से मुँह सटाकर, हिचकिचाते हुए, आँखें अजंता की जांघों पर) मैडम, सच में!!!! पास आओ—तुम्हें राज की बात बताता हूँ।
अजंता की आँखें सिकुड़ती हैं, वो चेयर पर और फैलती है, उसकी स्वादिष्ट जांघें और उभरती हैं, गांड चेयर पर दबकर और गुदाज़ लग रही है।
अजंता: (आवाज़ में सख्ती, लेकिन उत्सुकता, जैसे राज जानने को बेताब) अभी स्टेशन में कोई नहीं है। खुलके बता।
गाँडू: (थोड़ा हिचकिचाते हुए, देहाती लहजे में, आँखें नीचे) मैडम, बड़े घर की, अमीर, हद से ज्यादा गोरी, गुदाज़, लंबी कद-काठी की कुछ औरतें इस शहर में सड़कछाप घिनौने मर्दों को नंगा मज़ा देती हैं, कसके पटती हैं, गंदी-गंदी जगहों पर अश्लील साड़ी और ब्लाउज पहनकर आती हैं। बहुत से सड़कछाप मर्दों ने बड़े घर की गोरी, गुदाज़, स्वादिष्ट औरतों का नंगा बदन चूसा है।
अजंता की साँसें तेज हो जाती हैं, वो अपनी जांघ को थोड़ा मसलती है, लेकिन बाहर से शांत। उसकी आँखें गाँडू पर टिकती हैं।
अजंता: (आवाज़ में हैरानी, आँखें सिकुड़ती) क्या चल रहा है इस शहर में???
गाँडू: (हल्के से मुस्कुराते हुए, लेकिन डरते हुए) हमें जाने दो, मैडम। अगले हफ्ते हमारा... कुछ सेक्स एडुकेशन... का क्लास होगा। कोई औरत आके सिखाएगी।
अजंता उठती है, वो चेयर से झटके से उठती है, और गाँडू के पास लॉकअप के ग्रिल्स तक जाती है, उसकी गोरी बाहें चमक रही हैं, कमर हल्की सी मटक रही है।
अजंता: (आवाज़ में सख्ती, लेकिन आँखें चमकती) क्या बोला??? सेक्स एजुकेशन?? तुम्हें??? कौन दे रहा है?
गाँडू: (सलाखों से हाथ बाहर, आँखें अजंता के मम्मों पर, देहाती लहजे में) मेरे साथ तीन और सड़कछाप मर्द होंगे, मैडम—लोड़ू, चोदू, मुट्ठल।
अजंता थोड़ा सोचती है, उसकी उंगलियाँ यूनिफॉर्म की पॉकेट पर बेचैन, जैसे दिमाग में कुछ क्लिक हुआ हो। उसकी आँखें सिकुड़ती हैं, ठरक और शक मिलकर।
अजंता: (आवाज़ में शक) कुछ तो गड़बड़ है। कौन करा रहा है ये?
गाँडू: (हिचकिचाते हुए, आँखें नीचे) कोई NGO है, मैडम।
अजंता: (आवाज़ में चालाकी, आँखें गाँडू पर टिकी) तुम एक काम करो। मेरे खबरी बनोगे?
गाँडू: (उत्सुकता से, आँखें चमकती) हाँ मैडम। बस हमें जाने दीजिए।
अजंता चाल में मटकती हुई अपने टेबल पर जाती है, उसकी गांड यूनिफॉर्म में उभर रही है। वो टेबल पर पड़े चाबी के गुच्छे को और गाँडू के छोटे बेसिक फोन को उठाती है। गाँडू बेचैन हो जाता है, उसकी आँखें फड़फड़ा रही हैं, जैसे आजादी बस दो मिनट दूर है, पेट निकला हुआ, लुंगी में लंड हल्का सा हिल रहा है।अजंता लॉकअप के ग्रिल्स के पास आके गाँडू को उसका फोन देती है, और फिर कुंडी पर लटके ताले को खोलने लगती है, चाबी घुमाती हुई, उसकी गोरी उंगलियाँ चमक रही हैं।
अजंता: (आवाज़ में हुक्म, आँखें गाँडू पर) मेरा नंबर नोट करो! ########## और तुम्हारे क्लास में जो होगा, मुझे बताओ।
गाँडू: (फोन पर बटन दबाकर, हिचकिचाते हुए) जी मैडम।
सनप्रीत जैसी बड़े घर की, अमीर, हद से ज्यादा गोरी, गुदाज़, 5 फुट 10 इंच लंबी, बड़े, गोल, फूले और तने हुए मम्मों और कसी हुई, उभरी हुई गोल और बड़ी गांड वाली स्वादिष्ट अजंता इतने पास खड़ी है, कामुक सेंट महकाते हुए, उसकी गोरी चमड़ी चमक रही है, मम्मे यूनिफॉर्म में उभरे, लेकिन गाँडू के मन में आजादी का खयाल दौड़ रहा है।
अजंता लॉकअप का गेट खोलती है, चाबी की आवाज गूंजती है, और गाँडू बाहर चाल में आता है, उसके पैर कांप रहे हैं, बनियान पसीने से चिपकी।
अजंता: (आवाज़ में सख्ती, आँखें गाँडू पर, जैसे उसे तौल रही हो) कोई भी अजीब चीज होती हुई दिखे या कुछ भी गड़बड़ पता चले, मुझे बताना। और कहाँ हो रही ये क्लास।
गाँडू को ऊपर की तरफ देखना पड़ रहा है, उसका सर अजंता के मम्मों के नीचे तक ही आ रहा है, साला इतना नाटा है कि उसका माथा अजंता के मम्मों से टकराने को हैं।
गाँडू: (ऊपर देखते हुए, हल्के से कांपते हुए) वो मीट बाजार में NGO ने अनपढ़ मज़दूरों के लिए क्लास खोला है। वही पे। मज़दूर वही रहते हैं तो क्लास बाजार के अंदर ही बनवा दिया ताकि अनपढ़ मज़दूर आसानी से आके पढ़ सकें।
अजंता: (आवाज़ में हैरानी, लेकिन ठरक भरी, होंठ काटते हुए) कुछ भी हो रहा है इस शहर में। अच्छा जाओ!!
गाँडू आराम से स्टेशन के दरवाजे तक जाता है, उसके पैर धीमे, जैसे आजादी की खुशबू सूंघ रहा हो। और जैसे ही दरवाजे पर पहुँचता है—पूरी जान लगाकर भागता है, बेचैन सा, हाँफते हुए गाली बकता है, जैसे जान में जान आई हो—"तेरी बहन का!!!"
अजंता गाँडू का मुँह ताकते हुए, उसकी घिनौनी आँखों को घूर रही है, जैसे उसकी बातों का स्वाद ले रही हो। वो अपना सर नीचे की तरफ हल्का सा झटका देती है, जैसे ठरक को झटक रही हो।
अजंता: (आवाज़ में तंज, लेकिन ठरक छुपी) हट्ट!!!!
![[Image: 5cbe06c4-111c-4720-9a8f-63f84ae20d09.jpg]](https://i.ibb.co/050jy4t/5cbe06c4-111c-4720-9a8f-63f84ae20d09.jpg)
गाँडू: (सलाखों से मुँह सटाकर, हिचकिचाते हुए, आँखें अजंता की जांघों पर) मैडम, सच में!!!! पास आओ—तुम्हें राज की बात बताता हूँ।
अजंता की आँखें सिकुड़ती हैं, वो चेयर पर और फैलती है, उसकी स्वादिष्ट जांघें और उभरती हैं, गांड चेयर पर दबकर और गुदाज़ लग रही है।
अजंता: (आवाज़ में सख्ती, लेकिन उत्सुकता, जैसे राज जानने को बेताब) अभी स्टेशन में कोई नहीं है। खुलके बता।
गाँडू: (थोड़ा हिचकिचाते हुए, देहाती लहजे में, आँखें नीचे) मैडम, बड़े घर की, अमीर, हद से ज्यादा गोरी, गुदाज़, लंबी कद-काठी की कुछ औरतें इस शहर में सड़कछाप घिनौने मर्दों को नंगा मज़ा देती हैं, कसके पटती हैं, गंदी-गंदी जगहों पर अश्लील साड़ी और ब्लाउज पहनकर आती हैं। बहुत से सड़कछाप मर्दों ने बड़े घर की गोरी, गुदाज़, स्वादिष्ट औरतों का नंगा बदन चूसा है।
अजंता की साँसें तेज हो जाती हैं, वो अपनी जांघ को थोड़ा मसलती है, लेकिन बाहर से शांत। उसकी आँखें गाँडू पर टिकती हैं।
अजंता: (आवाज़ में हैरानी, आँखें सिकुड़ती) क्या चल रहा है इस शहर में???
गाँडू: (हल्के से मुस्कुराते हुए, लेकिन डरते हुए) हमें जाने दो, मैडम। अगले हफ्ते हमारा... कुछ सेक्स एडुकेशन... का क्लास होगा। कोई औरत आके सिखाएगी।
अजंता उठती है, वो चेयर से झटके से उठती है, और गाँडू के पास लॉकअप के ग्रिल्स तक जाती है, उसकी गोरी बाहें चमक रही हैं, कमर हल्की सी मटक रही है।
अजंता: (आवाज़ में सख्ती, लेकिन आँखें चमकती) क्या बोला??? सेक्स एजुकेशन?? तुम्हें??? कौन दे रहा है?
गाँडू: (सलाखों से हाथ बाहर, आँखें अजंता के मम्मों पर, देहाती लहजे में) मेरे साथ तीन और सड़कछाप मर्द होंगे, मैडम—लोड़ू, चोदू, मुट्ठल।
अजंता थोड़ा सोचती है, उसकी उंगलियाँ यूनिफॉर्म की पॉकेट पर बेचैन, जैसे दिमाग में कुछ क्लिक हुआ हो। उसकी आँखें सिकुड़ती हैं, ठरक और शक मिलकर।
अजंता: (आवाज़ में शक) कुछ तो गड़बड़ है। कौन करा रहा है ये?
गाँडू: (हिचकिचाते हुए, आँखें नीचे) कोई NGO है, मैडम।
अजंता: (आवाज़ में चालाकी, आँखें गाँडू पर टिकी) तुम एक काम करो। मेरे खबरी बनोगे?
गाँडू: (उत्सुकता से, आँखें चमकती) हाँ मैडम। बस हमें जाने दीजिए।
अजंता चाल में मटकती हुई अपने टेबल पर जाती है, उसकी गांड यूनिफॉर्म में उभर रही है। वो टेबल पर पड़े चाबी के गुच्छे को और गाँडू के छोटे बेसिक फोन को उठाती है। गाँडू बेचैन हो जाता है, उसकी आँखें फड़फड़ा रही हैं, जैसे आजादी बस दो मिनट दूर है, पेट निकला हुआ, लुंगी में लंड हल्का सा हिल रहा है।अजंता लॉकअप के ग्रिल्स के पास आके गाँडू को उसका फोन देती है, और फिर कुंडी पर लटके ताले को खोलने लगती है, चाबी घुमाती हुई, उसकी गोरी उंगलियाँ चमक रही हैं।
अजंता: (आवाज़ में हुक्म, आँखें गाँडू पर) मेरा नंबर नोट करो! ########## और तुम्हारे क्लास में जो होगा, मुझे बताओ।
गाँडू: (फोन पर बटन दबाकर, हिचकिचाते हुए) जी मैडम।
सनप्रीत जैसी बड़े घर की, अमीर, हद से ज्यादा गोरी, गुदाज़, 5 फुट 10 इंच लंबी, बड़े, गोल, फूले और तने हुए मम्मों और कसी हुई, उभरी हुई गोल और बड़ी गांड वाली स्वादिष्ट अजंता इतने पास खड़ी है, कामुक सेंट महकाते हुए, उसकी गोरी चमड़ी चमक रही है, मम्मे यूनिफॉर्म में उभरे, लेकिन गाँडू के मन में आजादी का खयाल दौड़ रहा है।
अजंता लॉकअप का गेट खोलती है, चाबी की आवाज गूंजती है, और गाँडू बाहर चाल में आता है, उसके पैर कांप रहे हैं, बनियान पसीने से चिपकी।
अजंता: (आवाज़ में सख्ती, आँखें गाँडू पर, जैसे उसे तौल रही हो) कोई भी अजीब चीज होती हुई दिखे या कुछ भी गड़बड़ पता चले, मुझे बताना। और कहाँ हो रही ये क्लास।
गाँडू को ऊपर की तरफ देखना पड़ रहा है, उसका सर अजंता के मम्मों के नीचे तक ही आ रहा है, साला इतना नाटा है कि उसका माथा अजंता के मम्मों से टकराने को हैं।
गाँडू: (ऊपर देखते हुए, हल्के से कांपते हुए) वो मीट बाजार में NGO ने अनपढ़ मज़दूरों के लिए क्लास खोला है। वही पे। मज़दूर वही रहते हैं तो क्लास बाजार के अंदर ही बनवा दिया ताकि अनपढ़ मज़दूर आसानी से आके पढ़ सकें।
अजंता: (आवाज़ में हैरानी, लेकिन ठरक भरी, होंठ काटते हुए) कुछ भी हो रहा है इस शहर में। अच्छा जाओ!!
गाँडू आराम से स्टेशन के दरवाजे तक जाता है, उसके पैर धीमे, जैसे आजादी की खुशबू सूंघ रहा हो। और जैसे ही दरवाजे पर पहुँचता है—पूरी जान लगाकर भागता है, बेचैन सा, हाँफते हुए गाली बकता है, जैसे जान में जान आई हो—"तेरी बहन का!!!"


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