20-09-2025, 07:55 AM
(19-09-2025, 08:23 PM)poojarahulhimachal Wrote: ट्रक कैब में पूजा और हरि का तीव्र रोमांच
दिल्ली से कांगड़ा, हिमाचल का रास्ता दोपहर की तपती धूप में धूल और उमस से भरा था। सड़क के किनारे उड़ती धूल और ट्रकों की गूंज हवा में तैर रही थी, जैसे कोई देहाती मेला सजा हो। राहुल ने कार को एक व्यस्त ट्रक स्टॉप पर रोका, जहां विशालकाय ट्रक अपनी छायाएं बिखेर रहे थे। चाय की दुकान से उठती भाप और ड्राइवर्स की ठहाकों भरी बातें माहौल को जीवंत बना रही थीं। पूजा नीली स्किन-टाइट जींस और हल्के क्रीम रंग की स्लीवलेस टी-शर्ट में राहुल के बगल में बैठी थी, उसका गोरा चेहरा अपनी सखी ज्योति की शादी की चमक से दमक रहा था। उसकी जींस उसकी कसी हुई कमर और गोल नितंबों को उभार रही थी, और टी-शर्ट इतनी टाइट थी कि उसकी लाल लेस वाली ब्रा की आकृति साफ दिख रही थी, जो उसके तने हुए स्तनों को और आकर्षक बना रही थी। लेकिन उसका मन उस गुप्त आग में जल रहा था—रामू के साथ नाव पर बिताए तीव्र पल, उसका विशाल, मोटा लिंग जो उसकी योनि को चीरता हुआ चरम सुख दे गया था, और वह गीली गर्माहट जो अभी भी उसके भीतर धड़क रही थी। राहुल की शरारती नजरें उसकी हर सांस को पढ़ रही थीं, जैसे वह उसके मन की हर लहर को महसूस कर रहा हो। लेकिन उसने चुप्पी साध रखी थी। "पूजा, मैं कार चेक करवाता हूं। तुम यहीं रुको, चाहो तो चाय पी लो," राहुल ने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा और मैकेनिक की ओर चला गया।
पूजा ने सिर हिलाया, लेकिन उसकी नजरें अनायास एक ट्रक ड्राइवर पर टिक गईं। वह लगभग 50 साल का था, सांवला, मूंछों वाला, और उसकी मजबूत कद-काठी में एक देहाती ताकत थी। उसकी आंखों में एक ठरकी चमक थी, जो पूजा को बेचैन कर रही थी। वह अपने ट्रक की कैब में बैठा सिगरेट फूंक रहा था, उसकी नजरें पूजा की जींस पर टिकी थीं, जो उसकी जांघों और नितंबों को कसकर जकड़े हुए थी। उसकी भूरी आंखें पूजा की टी-शर्ट पर रुकीं, जहां उसकी ब्रा की आकृति और तने हुए निप्पल्स साफ उभर रहे थे, जो धूप में चमक रही उसकी गोरी त्वचा को और उत्तेजक बना रहे थे। "क्या मैडम, सफर कैसा चल रहा है?" उसने देहाती लहजे में पूछा, उसकी आवाज में एक चुलबुली शरारत थी जो पूजा के दिल को धड़काने लगी। पूजा का चेहरा तुरंत लाल हो गया। उसने अपनी टी-शर्ट को हल्का-सा नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन उसकी टाइट जींस और टी-शर्ट ने उसके कर्व्स को और उभार दिया। "जी... ठीक है," उसने कांपती आवाज में कहा, उसकी मासूमियत ऐसी थी जैसे वह पहली बार किसी अजनबी की ऐसी नजरों का सामना कर रही हो। लेकिन उसकी जागृत वासना ने उसके मन में एक तूफान खड़ा कर दिया। "राहुल बाहर हैं... और ये आदमी... ये क्या हो रहा है? मेरे साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ," उसने मन ही मन सोचा, लेकिन उसका शरीर उस ठरकी नजर के सामने थरथरा रहा था, और उसकी योनि में एक गीली हलचल शुरू हो गई थी।
ट्रक ड्राइवर ने सिगरेट का आखिरी कश लिया और ट्रक से उतरकर पूजा के पास आया। उसका सांवला चेहरा पसीने से चमक रहा था, और उसकी मूंछों के नीचे एक शरारती मुस्कान थी। "मैं हरि, मैडम। गर्मी बहुत है। मेरे ट्रक में एसी है, आइए, थोड़ा आराम कर लीजिए। आपका पति कार चेक करवा रहा है, तब तक," उसने कहा, उसकी आवाज में एक देहाती मस्ती थी जो पूजा को और बेचैन कर रही थी। पूजा ने राहुल की ओर देखा, जो दूर मैकेनिक के साथ जोर-जोर से बहस में उलझा था। "राहुल इंतजार कर रहे हैं... लेकिन ये गर्मी... और ये रोमांच," उसने सोचा। रामू की यादों ने उसकी योनि को पहले ही गीला कर रखा था, और हरि की यह पेशकश उसे एक नई आग में धकेल रही थी। "जी... ठीक है, लेकिन ज्यादा देर नहीं," उसने हिचकिचाते हुए कहा, उसकी आवाज में एक मासूम डर था। वह ट्रक की कैब में चढ़ गई, और उसकी जींस उसकी जांघों को कसकर जकड़े हुए थी, जिससे उसकी गोल नितंबों की आकृति हरि की आंखों में चमक उठी। हरि ने उसकी कमर और जांघों को एक भूखी नजर से देखा, और पूजा की सांसें तेज हो गईं।
कैब छोटी थी, लेकिन एसी की ठंडी हवा पूजा के गर्म शरीर को राहत दे रही थी। पीछे एक छोटा-सा बिस्तर था, जिस पर एक पतली, मैली चादर बिछी थी, और उसकी गंध में तंबाकू और पुरुषत्व की मिली-जुली खुशबू थी। डैशबोर्ड पर पुरानी फिल्मों के पोस्टर्स चिपके थे, जिनमें आधे नंगी हीरोइनों की तस्वीरें थीं, जो इस देहाती माहौल को और उत्तेजक बना रही थीं। हरि ने पूजा को पानी का गिलास थमाया और दरवाजा बंद कर दिया, जिससे एक हल्की-सी खट की आवाज आई। "मैडम, गर्मी से बचाव। अब बताओ, क्या पीओगी?" उसने पूछा, उसकी नजरें पूजा की टी-शर्ट पर टिकी थीं, जहां उसकी ब्रा की आकृति और तने हुए स्तन साफ उभर रहे थे। पूजा ने गिलास पकड़ा और शरमाते हुए कहा, "जी, कुछ नहीं... बस ये ठंडा अच्छा लग रहा है।" उसकी आवाज में एक मासूम कांप थी, जैसे वह पहली बार किसी अजनबी के इतने करीब थी। लेकिन हरि की भूखी नजरें उसकी टी-शर्ट पर थीं, जहां उसकी गोरी त्वचा पसीने से हल्की-सी चमक रही थी। "मैडम, आप तो शहर की अप्सरा हो। इतनी गोरी, इतनी टाइट... कभी ट्रक में बैठी हो?" हरि ने हंसते हुए पूछा, उसका लहजा शरारत और ठरक से भरा था। पूजा का चेहरा और लाल हो गया। "जी, नहीं... पहली बार," उसने धीरे से कहा, उसकी आंखें नीचे झुकीं, लेकिन उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, और उसकी योनि में एक गर्म, गीली सनसनी फैल रही थी।
हरि ने हिम्मत जुटाई और पूजा की ओर और करीब झुका। उसकी खुरदरी उंगलियां पूजा के नरम हाथ को छूने लगीं, और उसने धीरे से सहलाते हुए कहा, "मैडम, आपकी त्वचा तो मखमल से भी नरम है... जैसे कोई रेशम की गुड़िया।" पूजा की सांसें तेज हो गईं, और उसने अनायास हाथ खींचने की कोशिश की। "जी, ये क्या कर रहे हो?" उसने चौंककर कहा, उसकी आवाज में शरम और एक अनजानी जिज्ञासा थी, जैसे वह पहली बार किसी पुरुष के इतने करीब थी। हरि ने अपनी मूंछों को ताव देते हुए फुसफुसाया, "मैडम, बस थोड़ा मजा। आपका पति बाहर है, कोई नहीं देखेगा।" उसकी आवाज में एक देहाती ठसक थी, जो पूजा को और उत्तेजित कर रही थी। पूजा ने राहुल की ओर देखा, जो अभी भी मैकेनिक के साथ बहस में उलझा था। उसका मन एक तूफान में था। "ये गलत है... लेकिन ये आग... रामू के बाद अब ये," उसने सोचा। उसकी योनि पहले से ही रामू की यादों से गीली थी, और हरि का खुरदरा स्पर्श उस आग को और भड़का रहा था।
हरि ने पूजा की टी-शर्ट को धीरे से ऊपर उठाया, और उसकी लाल लेस वाली ब्रा पूरी तरह नजर आने लगी। टी-शर्ट की टाइट फिटिंग ने उसके तने हुए स्तनों को और उभारा, और हरि की आंखें भूख से चमक उठीं। पूजा ने शरमाते हुए कहा, "हरि जी, ये ठीक नहीं... मेरे पति बाहर हैं।" लेकिन उसकी आवाज में कमजोरी थी, जैसे वह खुद को रोकना चाहती हो, पर उसका शरीर उसकी बात नहीं मान रहा था। हरि ने ठरकी हंसी के साथ कहा, "मैडम, आपके पति को कुछ नहीं पता चलेगा। बस थोड़ा सा आनंद... आपके लिए भी, मेरे लिए भी।" उसने पूजा की ब्रा को नीचे सरकाया, और उसके गोरे, रसीले स्तन पूरी तरह उजागर हो गए। पूजा की सिसकारी निकली, "आह... धीरे... ये क्या..." उसकी आंखें आधी बंद थीं, और वह इस अनुभव में डूब रही थी। हरि ने पूजा के निप्पल्स को अपनी खुरदरी उंगलियों से सहलाया, और फिर धीरे से उन्हें चूमा। "मैडम, आपके ये... जैसे रसीले आम, इतने तने हुए, जैसे मेरे लिए ही बने हों," उसने देहाती ठरक के साथ कहा। पूजा की सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... हरि जी... प्लीज, धीरे..." उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसका शरीर इस नए रोमांच में पूरी तरह डूब चुका था। "मैं ये क्या कर रही हूं? पहली बार... ऐसा कुछ," उसने सोचा, हालांकि रामू का विशाल लिंग और उसकी गर्माहट उसके मन में तैर रही थी।
हरि ने पूजा की जींस का बटन खोला और धीरे-धीरे उसे नीचे खींचा। उसकी लाल लेस वाली पैंटी पूरी तरह गीली थी, जो हरि की आंखों में एक विजयी चमक ला रही थी। उसकी गोरी, चिकनी जांघें सूरज की रोशनी में चमक रही थीं, और उसकी टाइट जींस ने उसके नितंबों की गोलाई को और उभारा। हरि ने अपनी खुरदरी उंगलियों से पैंटी के ऊपर से पूजा की योनि को सहलाया, और पूजा की एक जोरदार सिसकारी निकली, "आह... हरि जी... ये..." उसकी आवाज में शरम और उत्तेजना का मिश्रण था। हरि ने हंसकर कहा, "मैडम, आप तो पहले से ही आग हो... ये गीला क्या बता रहा है?" पूजा ने शरमाते हुए कहा, "नहीं... हरि जी, ये ज्यादा हो रहा है।" लेकिन उसकी सिसकारियां उसकी बातों को झुठला रही थीं। हरि ने पूजा की पैंटी को धीरे से नीचे खींचा, और उसकी गीली, धड़कती योनि सामने थी, जो रामू की यादों से पहले ही गर्म थी। पूजा की सांसें बेकाबू हो गईं, "आह... हरि जी... ये... मैंने कभी नहीं..." उसने सिसकारी लेते हुए कहा, उसकी आवाज में एक मासूम डर था, जैसे वह पहली बार ऐसा अनुभव कर रही हो।
हरि ने अपनी जीभ से पूजा की योनि को चूमा, और पूजा का शरीर बिजली के झटके की तरह कांप उठा। "आह... ओह... हरि जी..." उसकी सिसकारियां कैब में गूंज रही थीं, और उसकी आवाज में एक मासूम बेचैनी थी। हरि की जीभ उसकी योनि की गहराइयों में गई, और पूजा ने अनायास उसके सिर को पकड़ लिया, जैसे वह उसे और गहराई में खींचना चाहती हो। "राहुल बाहर हैं... लेकिन ये मजा... मैं रुक नहीं सकती," उसने सोचा। उसकी योनि से गीली गर्माहट रिस रही थी, और हरि की जीभ हर बूंद को चाट रही थी। पूजा की सिसकारियां अब बेकाबू हो गईं, "आह... हरि जी... और... प्लीज..." उसने अपने नाखून हरि के कंधों में गड़ा दिए, और उसका शरीर उत्तेजना की चरम सीमा पर था। हरि ने अपना पैंट खोला, और उसका तना हुआ लिंग सामने आया—मोटा, सांवला, और कम से कम 8 इंच लंबा, जिसकी नसें उभरी हुई थीं। पूजा की आंखें चौड़ी हो गईं। "हाय... ये तो... इतना बड़ा," उसने हैरानी से कहा, उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह पहली बार ऐसा कुछ देख रही हो। हरि ने ठरकी हंसी के साथ कहा, "मैडम, ये तो आपके लिए ही है। बस थोड़ा मजा और।"
हरि ने पूजा को कैब के छोटे बिस्तर पर लिटाया और उसकी टांगें धीरे से खोलीं। उसकी नजरें पूजा के नग्न शरीर पर टिकी थीं, और उसकी गोरी त्वचा पसीने से चमक रही थी। "मैडम, बस थोड़ा और आनंद," उसने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आवाज में एक भूखी तड़प थी। पूजा ने शरमाते हुए कहा, "हरि जी, जल्दी... मेरे पति आ जाएंगे।" उसकी आवाज में डर और उत्तेजना का मिश्रण था, जैसे वह पहली बार किसी गुप्त पाप में डूब रही हो। हरि ने अपने मोटे, सख्त लिंग को पूजा की गीली योनि पर रखा और धीरे से प्रवेश किया। पूजा की एक जोरदार सिसकारी निकली, "आह... धीरे... बहुत मोटा है..." उसका शरीर हर धक्के के साथ थरथरा रहा था, और वह इस तीव्र अनुभव में पूरी तरह डूब गई थी। "पहली बार... इतना बड़ा... इतना गहरा," उसने सोचा, हालांकि रामू का विशाल लिंग उसके मन में तैर रहा था।
हरि ने अपनी गति बढ़ाई, और उसका मोटा लिंग पूजा की योनि को पूरी तरह भर रहा था। पूजा की सिसकारियां अब बेकाबू हो गईं, "आह... हरि जी... और जोर से... प्लीज..." कैब उसकी सिसकारियों और हरि की भारी, देहाती सांसों से गूंज रहा था। पूजा ने अपने नाखून हरि की पीठ पर गड़ा दिए, और उसका शरीर उत्तेजना की चरम सीमा पर था। "राहुल को नहीं पता... लेकिन ये आग... ये सुख," उसने सोचा। हरि ने पूजा की कमर को कसकर पकड़ा और अपनी गति को और तेज कर दिया, उसका लिंग पूजा की योनि की गहराइयों को छू रहा था। पूजा की सिसकारियां अब चीखों में बदल रही थीं, "आह... हरि जी... बस... ओह..." उसका शरीर कांप रहा था, और उसकी योनि हरि के लिंग को कसकर जकड़ रही थी। कुछ ही मिनटों में, दोनों चरम पर पहुंच गए। हरि का गर्म, चिपचिपा वीर्य पूजा की योनि में भर गया, और पूजा का शरीर सुकून से थरथराने लगा। "आह... हरि जी..." उसने सिसकारी लेते हुए कहा, उसकी आंखें बंद थीं, और उसका चेहरा शरम और सुख से लाल था।
हरि ने भारी सांसें लेते हुए पूजा को देखा और एक ठरकी मुस्कान के साथ कहा, "मैडम, आप तो जन्नत हो। ऐसा मजा मुझे कभी नहीं मिला।" पूजा ने जल्दी से अपनी जींस और टी-शर्ट ठीक की। उसका चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल था, और उसकी योनि में हरि के वीर्य की गर्माहट और चिपचिपाहट उसे उस तीव्र रोमांच की याद दिला रही थी। "हाय... मैंने ये क्या कर लिया? पहली बार... ऐसा कुछ," उसने सोचा, लेकिन उसका शरीर उस सुख से अभी भी कांप रहा था। जैसे ही वह अपनी ब्रा को ठीक कर रही थी, हरि ने अपनी जेब से एक मुड़ा हुआ नोटों का बंडल निकाला और पूजा की ब्रा में ठूंस दिया। पूजा चौंक गई और हड़बड़ाते हुए बोली, "ये क्या, हरि जी? नहीं, प्लीज... मैं ये नहीं ले सकती!" उसकी आवाज में शरम और घबराहट थी, जैसे वह पहली बार ऐसी स्थिति में थी। हरि ने हंसकर कहा, "मैडम, ये मेरे दिल की खुशी है। तुमने मुझे जो सुख दिया, उसकी कीमत नहीं, बस एक छोटा-सा तोहफा।" पूजा ने फिर से मना करने की कोशिश की, "नहीं, हरि जी, ये गलत है... प्लीज, वापस ले लो!" लेकिन हरि ने उसकी बात अनसुनी कर दी और बोला, "मैडम, रख लो। ये हमारा राज रहेगा।" पूजा ने शरमाते हुए सिर झुका लिया, और उसकी ब्रा में नोटों की चुभन उसे उस गुप्त पल की याद दिला रही थी।
वह कैब से उतरी, उसकी चाल में हल्की-सी कांप थी, और उसकी जींस हल्की-सी सिकुड़ी हुई थी। हरि ने फुसफुसाया, "मैडम, फिर कभी मिलो। मेरा ट्रक हमेशा तैयार है।" पूजा ने शरमाते हुए सिर हिलाया और कहा, "जी... प्लीज, किसी को मत बताना।" उसकी आवाज में एक मासूम डर था, जैसे वह सचमुच पहली बार ऐसा कुछ कर रही हो।
राहुल कार के पास खड़ा था, और उसकी नजरें पूजा पर टिक गईं। उसने गौर किया कि पूजा की जींस सिकुड़ी हुई थी, उसकी टी-शर्ट हल्की-सी ऊपर खिसकी हुई थी, और उसका चेहरा लाल था, जैसे उसने कोई गुप्त पाप किया हो। "कहां थी?" उसने शांत लेकिन शरारती लहजे में पूछा, उसकी आंखों में एक रहस्यमयी चमक थी। पूजा ने जल्दी से अपनी टी-शर्ट ठीक की और कांपती आवाज में कहा, "जी, बस... चाय पी रही थी। गर्मी बहुत थी।" उसकी आवाज में एक मासूम डर था, जैसे वह पहली बार पकड़ी गई हो। राहुल ने उसकी आंखों में देखा और मुस्कुराकर कहा, "ठीक है, पूजा। चलें।" लेकिन उसकी शरारती चमक बता रही थी कि उसे कुछ शक है। पूजा ने राहत की सांस ली, लेकिन उसका मन डर और उत्तेजना के बीच झूल रहा था।
जब वह कार में बैठी, तो उसने राहुल की नजरों से बचकर अपनी ब्रा में हाथ डाला और नोटों को चुपके से देखा। पांच हजार रुपये के नोट थे, जो हरि ने उसकी ब्रा में ठूंसे थे। उसका चेहरा फिर से लाल हो गया। "हाय... ये क्या हो गया? मैंने ऐसा क्यों होने दिया?" उसने सोचा, लेकिन उन नोटों की चुभन और उसकी योनि में हरि के वीर्य की गर्माहट उसे उस गुप्त रोमांच की याद दिला रही थी। "राहुल को कुछ नहीं पता... लेकिन ये रोमांच... मैं फिर चाहूंगी," उसने मन ही मन सोचा।
राहुल ने कार स्टार्ट की, और दोनों कांगड़ा की ओर बढ़ चले। पूजा खिड़की से बाहर देख रही थी, लेकिन उसका मन हरि के साथ कैब में बिताए उन तीव्र पलों में खोया था। उसकी योनि से हरि का वीर्य हल्का-हल्का रिस रहा था, और उसकी ब्रा में ठूंसे हुए नोट उसे उस गुप्त खजाने की याद दिला रहे थे। राहुल ने चुपके से उसका हाथ पकड़ा और कहा, "पूजा, तू आज कुछ ज्यादा ही गर्म लग रही है।" पूजा ने शरमाते हुए मुस्कुराया और कहा, "जी, बस... आपकी वजह से।" लेकिन उसका मन उस आग में जल रहा था, जो ट्रक की कैब में भड़की थी।
Superb... ab kuch buddo ko lift dila do baki ke raste Or fir car me hi ho jane do sab rahul ke samne


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