Thread Rating:
  • 19 Vote(s) - 3.21 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
पूजा की जागृत वासना: एक पतिव्रता स्त्री का सफर
#66
राहुल का इंतजार और बेचैनी
रात के 9:30 बज रहे थे, और ज्योति के घर में शादी की तैयारियों का माहौल अभी भी गर्म था। मेहंदी की रस्म खत्म हो चुकी थी, और मेहमान अब रात के खाने और हंसी-मजाक में व्यस्त थे। गंगा के किनारे बने इस घर में रंग-बिरंगे बल्बों की रोशनी और फूलों की मालाओं की खुशबू माहौल को उत्सवमय बना रही थी। राहुल मेहमानों के बीच खड़ा था, ज्योति के रिश्तेदारों के साथ हल्की-फुल्की बातें कर रहा था, लेकिन उसका मन कहीं और था। उसकी नजरें बार-बार घर के मुख्य दरवाजे की ओर जा रही थीं, जहां से पूजा शर्मा को लौटना था। "कहां चली गई ये?" उसने मन ही मन सोचा। पूजा शर्मा ने ज्योति से कहा था कि वह ताजी हवा लेने घाट की ओर जा रही है, लेकिन राहुल को उसकी अनुपस्थिति में एक अजीब-सी बेचैनी हो रही थी।
राहुल का चेहरा शांत था, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। उसे पूजा शर्मा और रामू के बीच तीसरी मंजिल पर हुए उस अंतरंग पल का अंदाजा था, क्योंकि उसने ही पूजा को रामू की "प्रॉब्लम" ठीक करने के लिए प्रेरित किया था। "मेरी हॉट वाइफ ने जरूर कुछ मस्ती की होगी," उसने सोचा, और उसके होंठों पर एक हल्की मुस्कान आ गई। लेकिन पूजा का इतनी देर तक बाहर रहना उसे थोड़ा परेशान कर रहा था। उसने अपने फोन पर समय देखा—9:32। "अब तक तो लौट आना चाहिए था," उसने मन में बुदबुदाया। उसने एक मेहमान से हंसकर कुछ बात की, लेकिन उसका ध्यान बार-बार दरवाजे की ओर जा रहा था।
राहुल की बेचैनी और शक
राहुल ने ज्योति से पूछा, "ज्योति, पूजा कब गई थी बाहर?" ज्योति ने हंसते हुए कहा, "अरे, भैया, पूजा दीदी तो आधे घंटे पहले ताजी हवा लेने गई थीं। घाट पर होंगी, शायद। रात को गंगा का किनारा बहुत सुकून देता है।" राहुल ने सिर हिलाया, लेकिन उसके मन में एक हल्का-सा शक जागा। "घाट पर... रामू के साथ?" उसने सोचा। उसे रामू का भोलापन और उसकी मासूमियत याद थी, और उसे यह भी पता था कि पूजा को रामू का वो विशाल लिंग हैरान कर चुका था। "कहीं पूजा ने फिर से...?" उसने अपने विचार को झटक दिया और खुद को तसल्ली दी, "नहीं, पूजा मर्यादा में रहती है। लेकिन फिर भी..." उसकी बेचैनी बढ़ रही थी।
राहुल ने एक गहरी सांस ली और मेहमानों के बीच से हटकर घर के पीछे वाले आंगन की ओर चला गया। वहां गंगा की ठंडी हवा और चांद की रोशनी उसे थोड़ा सुकून दे रही थी। उसने अपनी जेब से फोन निकाला और पूजा को कॉल करने की सोची, लेकिन फिर रुक गया। "अगर वो सच में रामू के साथ है, तो मैं उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहता," उसने सोचा। राहुल और पूजा के बीच एक खुला रिश्ता था, जहां वे एक-दूसरे की इच्छाओं का सम्मान करते थे, लेकिन पूजा का बिना बताए इतनी देर तक गायब रहना उसे थोड़ा असहज कर रहा था। उसने मन ही मन ठान लिया कि जब पूजा लौटेगी, तो वह उससे जरूर पूछेगा कि वो कहां थी।
पूजा की वापसी और राहुल की नजरें
तभी राहुल ने देखा कि घर के मुख्य दरवाजे से पूजा शर्मा चुपके से अंदर आ रही थी। उसकी हरी साड़ी थोड़ी-सी सिकुड़ी हुई थी, और उसका चेहरा हल्का-सा लाल था, जैसे उसने कोई तीव्र अनुभव जिया हो। पूजा की नजरें राहुल से मिलीं, और उसने जल्दी से अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया। उसकी चाल में एक हल्की-सी बेचैनी थी, और राहुल ने गौर किया कि वह बार-बार अपने हाथों को साड़ी पर रगड़ रही थी, जैसे कुछ छिपाने की कोशिश कर रही हो। "कहीं रामू का वीर्य..." राहुल ने सोचा, लेकिन उसने अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखी।
राहुल ने पूजा को पास बुलाया और फुसफुसाते हुए पूछा, "कहां थी, मेरी हॉट वाइफ? इतनी देर तक घाट पर क्या कर रही थी?" पूजा शर्मा का चेहरा शरम से और लाल हो गया। उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "जी, बस... गंगा के किनारे थोड़ा सुकून लेने गई थी। रात का माहौल बहुत अच्छा था।" उसकी आवाज में हल्की-सी कांप थी, और राहुल ने उसकी आंखों में एक शरारती चमक देखी। उसने पूजा का हाथ पकड़ा और धीरे से कहा, "सच-सच बता, पूजा। रामू के साथ फिर से कोई मस्ती की?" पूजा ने जल्दी से सिर हिलाया और कहा, "नहीं, जी। बस थोड़ा घूम आई।" लेकिन उसकी नजरें राहुल से मिलते ही नीचे झुक गईं।
राहुल का मन और पूजा का रहस्य
राहुल को पूजा की बातों पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन उसने ज्यादा दबाव नहीं डाला। वह जानता था कि पूजा ने कुछ छिपाया है, लेकिन उनके रिश्ते में विश्वास और आजादी सबसे ऊपर थी। "ठीक है, पूजा। लेकिन रात को मैं तेरा अधूरापन पूरा कर दूंगा," उसने शरारत भरे लहजे में कहा। पूजा ने शरमाते हुए सिर हिलाया, लेकिन उसका मन अभी भी गंगा के किनारे, नाव पर रामू के साथ बिताए उन तीव्र पलों में खोया था। उसकी योनि से रामू का वीर्य अभी भी बूंद-बूंद करके रिस रहा था, और हर कदम के साथ उसे उस गुप्त रोमांच की याद आ रही थी। "राहुल को नहीं पता चलना चाहिए," उसने मन ही मन सोचा।
राहुल ने पूजा का हाथ पकड़ा और उसे मेहमानों के बीच ले गया। वहां ज्योति ने पूजा को देखकर कहा, "अरे, पूजा दीदी, कहां थीं? खाना ठंडा हो रहा है!" पूजा ने हंसकर कहा, "बस, ज्योति, थोड़ा घाट पर चली गई थी। अब खाना खाते हैं।" राहुल ने पूजा की ओर देखा, और उसकी आंखों में एक शरारती सवाल था। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और पूजा के साथ खाने की मेज पर बैठ गया। पूजा का मन एक तूफान में था—रामू के साथ बिताए पल और राहुल के सामने मर्यादा बनाए रखने की जिम्मेदारी उसे अंदर ही अंदर कचोट रही थी।
रात का सन्नाटा और राहुल की बेचैनी
रात के 11:00 बज चुके थे, और ज्योति के घर में मेहंदी की रस्म और रात के खाने का उत्साह अब धीरे-धीरे थम चुका था। मेहमान अपने-अपने कमरों में सोने की तैयारी में थे, और घर की निचली मंजिल पर सन्नाटा पसर गया था। गंगा की ठंडी हवा खिड़कियों से कमरों में दाखिल हो रही थी, और चांद की मद्धम रोशनी आंगन को एक रहस्यमय चमक से भर रही थी। राहुल और पूजा शर्मा मेहमानों से विदा लेकर तीसरी मंजिल के अपने कमरे की ओर बढ़ रहे थे। राहुल का मन पूजा की घाट पर लंबी अनुपस्थिति को लेकर बेचैन था। उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी, लेकिन वह अपने मन के शक को छिपा रहा था। पूजा शर्मा का चेहरा अभी भी उस गुप्त रोमांच से लाल था, जो उसने रामू के साथ नाव पर अनुभव किया था। उसकी योनि से रामू का वीर्य अभी भी हल्का-हल्का रिस रहा था, और हर कदम के साथ उसे उस तीव्र अनुभव की याद आ रही थी। उसका मन एक द्वंद्व में था—राहुल के प्रति वफादारी और उस गुप्त रोमांच के बीच।
राहुल ने सीढ़ियां चढ़ते हुए पूजा का हाथ पकड़ा और फुसफुसाया, "पूजा, आज रात तेरा अधूरापन पूरा करने का वादा है।" उसकी आवाज में शरारत और प्यार का मिश्रण था, लेकिन उसकी नजरें पूजा के चेहरे पर टिकी थीं, जैसे वह उसकी हर हरकत को पढ़ने की कोशिश कर रहा हो। पूजा ने शरमाते हुए हल्की मुस्कान दी और कहा, "जी, आप तो बस मजाक करते रहते हैं।" उसकी आवाज में हल्की-सी कांप थी, क्योंकि वह राहुल से अपनी नाव वाली मुलाकात को छिपा रही थी। उसने मन ही मन ठान लिया था कि वह रामू के साथ हुए उस अंतरंग पल को कभी नहीं बताएगी। यह उसका गुप्त खजाना था, जिसे वह अपने दिल में दफन करना चाहती थी। लेकिन राहुल की गहरी नजरें और शरारती मुस्कान उसे थोड़ा असहज कर रही थीं। "कहीं राहुल को कुछ शक तो नहीं?" उसने मन ही मन सोचा, लेकिन फिर खुद को तसल्ली दी कि राहुल को कुछ नहीं पता।
कमरे में एकांत और रोमांटिक माहौल
तीसरी मंजिल का कमरा पूरी तरह शांत था। एक छोटा-सा बल्ब कमरे को मद्धम रोशनी से भर रहा था, और खिड़की से आती गंगा की ठंडी हवा माहौल को और रोमांटिक बना रही थी। राहुल ने दरवाजा लॉक किया और पूजा की ओर मुड़ा। उसने पूजा की हरी साड़ी का पल्लू धीरे से खींचा और उसे अपनी बाहों में ले लिया। "पूजा, तू आज कुछ ज्यादा ही चमक रही है," उसने शरारत भरे लहजे में कहा, और उसकी उंगलियां पूजा की कमर पर हल्के से फिरने लगीं। पूजा का चेहरा शरम से लाल हो गया, और उसने अपनी नजरें नीचे कर लीं। "जी, बस... शादी का माहौल है ना," उसने हल्के से कहा, लेकिन उसका मन अभी भी नाव पर रामू के साथ बिताए उन तीव्र पलों में खोया था। उसकी योनि अभी भी उस अनुभव की गर्मी और रामू के वीर्य की चिपचिपाहट को महसूस कर रही थी, जो उसे बार-बार उस रोमांच की याद दिला रहा था।
राहुल ने पूजा की साड़ी को धीरे-धीरे उतारना शुरू किया। उसका ब्लाउज और पेटीकोट जल्द ही बिस्तर के किनारे पड़े थे। अब पूजा सिर्फ अपनी लाल लेस वाली ब्रा और पैंटी में थी। राहुल की नजरें उसके गोरे, सुडौल शरीर पर ठहर गईं। उसने पूजा की जांघों को हल्के से सहलाया, और उसकी उंगलियां जैसे ही पूजा की पैंटी के पास पहुंचीं, उसे एक गीली और चिपचिपी सनसनी महसूस हुई। राहुल की भौंहें हल्की-सी सिकुड़ीं, लेकिन उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया। "रामू का वीर्य..." उसने मन ही मन सोचा। उसे तुरंत समझ आ गया कि पूजा ने नाव पर रामू के साथ कुछ ज्यादा ही अंतरंग पल बिताए थे। लेकिन वह नहीं चाहता था कि पूजा को पता चले कि उसे कुछ पता है। उसने अपनी शरारती मुस्कान बनाए रखी और पूजा की आंखों में देखा। "पूजा, तू आज कुछ ज्यादा ही तैयार लग रही है," उसने हल्के से हंसते हुए कहा।
राहुल और पूजा का तीव्र मिलन
राहुल ने पूजा की ब्रा का हुक खोला, और उसके तने हुए, गोरे स्तन आजाद हो गए। उसने धीरे से उनके निप्पल को चूमा, और पूजा की एक हल्की-सी सिसकारी कमरे में गूंज उठी, "आह... जी..." राहुल ने पूजा की पैंटी भी उतार दी, और उसकी नजरें पूजा की योनि पर ठहर गईं। उसे रामू के वीर्य की हल्की-सी गंध और चिपचिपाहट साफ महसूस हुई। उसने अपनी उंगलियों से पूजा की योनि को हल्के से सहलाया, और उसे उस चिपचिपाहट का अहसास और गहरा हुआ। लेकिन वह चुप रहा। उसने पूजा की ओर देखा और कहा, "पूजा, तू आज कुछ ज्यादा ही गीली है।" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन पूजा को लगा कि राहुल को कुछ नहीं पता। उसने राहत की सांस ली और कहा, "जी, ये सब... आपके लिए ही है।" उसने अपनी नाव वाली मुलाकात को पूरी तरह छिपाने की कोशिश की, लेकिन उसका मन रामू के विशाल लिंग की छवि में खोया था।
राहुल ने पूजा को बिस्तर पर लिटाया और उसकी टांगें धीरे से खोल दीं। वह पूजा की योनि के करीब गया और अपनी जीभ से उसे चूमने की कोशिश की। पूजा ने तुरंत हिचकिचाते हुए कहा, "जी, नहीं... प्लीज, वहां नहीं।" उसकी आवाज में हल्का-सा डर था, क्योंकि उसे डर था कि राहुल को रामू के वीर्य का अहसास हो जाएगा। "मैं अभी... साफ नहीं हूं," उसने शरमाते हुए कहा। लेकिन राहुल ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "पूजा, तू मेरी हॉट वाइफ है। मुझे सब पसंद है।" उसने पूजा की बात अनसुनी कर दी और अपनी जीभ से पूजा की योनि को चूमा। जैसे ही उसकी जीभ ने पूजा की योनि को छुआ, उसे रामू के वीर्य का एक अनोखा, तीखा स्वाद महसूस हुआ। यह पहली बार था जब राहुल ने किसी और पुरुष के वीर्य का स्वाद लिया, और उसे यह स्वाद आश्चर्यजनक रूप से तीव्र और उत्तेजक लगा। लेकिन उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया। उसने मन ही मन सोचा, "रामू ने इसे पूरी तरह भरा था।"
पूजा की सांसें तेज हो गईं, और वह राहुल को रोकने की कोशिश में थी। "जी, प्लीज... बस..." उसने फुसफुसाते हुए कहा, लेकिन राहुल ने उसकी बात को हल्के से हंसकर टाल दिया। "पूजा, तुझे शरमाने की जरूरत नहीं। तू मेरे लिए परफेक्ट है," उसने कहा, और अपनी जीभ से पूजा की योनि को और गहराई से चूमने लगा। पूजा की सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... जी..." उसका शरीर उत्तेजना से थरथरा रहा था, लेकिन उसका मन डर और राहत के बीच झूल रहा था। उसे लग रहा था कि राहुल को कुछ नहीं पता, और यह सोचकर वह थोड़ा रिलैक्स हो गई। लेकिन वह नहीं जानती थी कि राहुल को सब कुछ समझ आ चुका था। राहुल ने वीर्य के स्वाद को और गहराई से महसूस किया, और उसे यह अनुभव नया और उत्तेजक लगा। लेकिन वह नहीं चाहता था कि पूजा को यह पता चले कि उसे सब कुछ मालूम है।
तीव्र मस्ती और राहुल की चुप्पी
राहुल ने अपने कपड़े उतारे और अपना लिंग पूजा की योनि पर रखा। "पूजा, तू आज कुछ अलग ही मूड में है," उसने शरारत भरे लहजे में कहा। पूजा ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "जी, आप ही तो मुझे ऐसा बनाते हैं।" उसकी आंखें बंद थीं, और वह रामू के विशाल लिंग को इमेजिन कर रही थी, लेकिन राहुल के स्पर्श में पूरी तरह डूब चुकी थी। राहुल ने धीरे से अपना लिंग पूजा की योनि में प्रवेश कराया, और कमरा उनकी सिसकारियों से भर गया। पूजा की योनि अभी भी रामू के वीर्य की चिपचिपाहट से गीली थी, और राहुल को हर धक्के के साथ उसका अहसास हो रहा था। लेकिन उसने अपनी शरारती मुस्कान बनाए रखी और पूजा को यह जरा भी नहीं जताया कि उसे सब पता है।
राहुल ने अपनी गति बढ़ा दी, और पूजा की सिसकारियां और तेज हो गईं, "आह... जी... और जोर से..." उसका शरीर पूरी तरह राहुल के कब्जे में था, लेकिन उसका मन रामू के भोलेपन और उसके विशाल लिंग की छवि में खोया था। राहुल ने पूजा की जांघों को सहलाया, और उसकी उंगलियों ने फिर से उस चिपचिपाहट को महसूस किया। "रामू ने इसे पूरी तरह भरा था," उसने मन ही मन सोचा। लेकिन उनके रिश्ते में आजादी और विश्वास सबसे ऊपर था। वह नहीं चाहता था कि पूजा को लगे कि उसने कुछ गलत किया है। उसने पूजा को अपनी बाहों में और कसकर पकड़ा और उसकी सिसकारियों के साथ अपनी गति को और तेज कर दिया।
कुछ ही मिनटों में, पूजा की सिसकारियां चरम पर पहुंच गईं। "आह... जी..." उसने एक जोरदार सिसकारी के साथ अपनी चरम सीमा को छू लिया, और उसका शरीर सुकून से भर गया। राहुल भी कुछ पलों बाद अपनी चरम सीमा पर पहुंचा, और उसने पूजा को अपनी बाहों में भर लिया। दोनों एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे, और कमरे में सिर्फ उनकी सांसों की आवाज गूंज रही थी। राहुल ने पूजा के माथे को चूमा और कहा, "पूजा, तू मेरी हॉट वाइफ है। तेरा ये जोश मुझे हमेशा दीवाना बनाता है।" पूजा ने शरमाते हुए कहा, "जी, आप ही मेरे लिए सब कुछ हैं।" लेकिन उसका मन अभी भी रामू के साथ नाव पर बिताए उन पलों में खोया था।
[+] 3 users Like poojarahulhimachal's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: पूजा की जागृत वासना: एक पतिव्रता स्त्री का सफर - by poojarahulhimachal - 17-09-2025, 07:51 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)