17-09-2025, 07:42 PM
घाट पर रामू के साथ मुलाकात
रात के 9:00 बज रहे थे, और गंगा का किनारा शांत था। चांद की रोशनी पानी पर चमक रही थी, और हल्की-सी ठंडी हवा पूजा शर्मा के चेहरे को छू रही थी। रामू अपनी नाव के पास खड़ा था, कुछ मछलियों के जाल ठीक कर रहा था। उसकी सादगी और भोलापन अभी भी वही था, जो पूजा शर्मा को इतना आकर्षित करता था। उसने धीरे से रामू को पुकारा, "रामू भाई..." रामू ने चौंककर पीछे मुड़कर देखा, और उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। "मैडम! आप... इतनी रात को?" उसने भोलेपन से पूछा। पूजा शर्मा ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां, रामू भाई। बस थोड़ा घूमने का मन था। तुम्हारी नाव में बैठकर गंगा की सैर करूं?" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन वह मर्यादित ढंग से बोल रही थी।
रामू ने हिचकिचाते हुए कहा, "मैडम, रात को नाव चलाना ठीक नहीं। लेकिन अगर आप कहें तो..." पूजा शर्मा ने उसकी बात काटते हुए कहा, "रामू भाई, बस थोड़ा सा चक्कर लगा दो। कोई नहीं देखेगा।" उसकी आंखों में एक चमक थी, जो रामू को बेचैन कर रही थी। रामू ने सिर हिलाया और नाव को गंगा की ओर ले गया। पूजा शर्मा नाव में बैठ गई, और उसकी साड़ी का पल्लू हल्का-सा सरक गया, जिससे उसकी गोरी कमर चांद की रोशनी में चमक रही थी। रामू की नजरें बार-बार उसकी ओर जा रही थीं, और उसका पजामा फिर से तनने लगा।
नाव में एकांत और पूजा शर्मा की शरारत
पूजा शर्मा ने रामू को चटाई पर लिटाया, और उसकी टांगों के बीच धीरे से बैठ गई। उसकी साड़ी और पेटीकोट पहले ही उतर चुके थे, और अब वह सिर्फ अपनी लाल लेस वाली पैंटी में थी। चांद की रोशनी में उसकी गोरी त्वचा चमक रही थी, और उसका ब्लाउज, जो अब खुल चुका था, उसकी ब्रा को पूरी तरह उजागर कर रहा था। रामू की आंखें पूजा शर्मा के शरीर पर टिकी थीं, और उसका चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल था। "मैडम... आप... इतनी सुंदर," उसने कांपती आवाज में कहा। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और धीरे से अपनी ब्रा उतार दी। उसके बड़े, तने हुए स्तन चांद की रोशनी में और भी आकर्षक लग रहे थे। रामू की सांसें तेज हो गईं, और उसने अनायास ही अपने हाथ उनकी ओर बढ़ाए।
**तीव्र स्पर्श और उत्तेजना का मेल**
पूजा शर्मा ने रामू के हाथों को अपने स्तनों पर रखा और फुसफुसाते हुए कहा, "रामू भाई, धीरे-धीरे... प्यार से छूना।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। रामू ने कांपती उंगलियों से उसके स्तनों को सहलाया, और उसकी गर्म सांसें पूजा शर्मा की त्वचा पर महसूस हो रही थीं। "मैडम, ये... इतने नरम... जैसे रुई," उसने भोलेपन से कहा। पूजा शर्मा की एक हल्की-सी सिसकारी निकली, "आह... रामू..." उसने अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसका शरीर इस स्पर्श से कांप उठा। रामू का भोलापन और उसकी मासूम तारीफें उसे और बेकाबू कर रही थीं।
उसने धीरे से अपने होंठों से रामू के लिंग को चूमा, जो अब पूरी तरह तन चुका था। उसकी मोटाई और लंबाई को देखकर पूजा शर्मा का मन फिर से हैरानी और उत्तेजना से भर गया। "हाय... ये तो मेरी कलाई से भी मोटा है," उसने मन ही मन सोचा। उसने धीरे से उसे अपने मुंह में लिया, और रामू का शरीर तुरंत कांप उठा। "आह... मैडम..." उसकी सिसकारियां नाव में गूंजने लगीं। पूजा शर्मा की जीभ उसके लिंग की पूरी लंबाई पर धीरे-धीरे घूम रही थी, और वह जानबूझकर उसे और उत्तेजित कर रही थी। रामू का एक हाथ उसके बालों में था, और वह बार-बार उसकी तारीफ कर रहा था, "मैडम, आप... इतनी सुंदर... इतनी अच्छी..." उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह अपने जीवन का पहला अनुभव जी रहा हो।
**मर्यादा और उत्तेजना का अनोखा संगम**
पूजा शर्मा ने धीरे से अपनी पैंटी उतार दी, और अब वह पूरी तरह नग्न थी। चांद की रोशनी में उसका गोरा शरीर और भी आकर्षक लग रहा था। उसने रामू की ओर देखा और फुसफुसाते हुए कहा, "रामू भाई, अब मैं तुम्हारी प्रॉब्लम पूरी तरह ठीक कर दूंगी। लेकिन ये हमारे बीच ही रहना चाहिए।" रामू ने शरमाते हुए सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं कसम खाता हूं। ये बात मेरे साथ ही चली जाएगी।" उसकी मासूमियत ने पूजा शर्मा को और आकर्षित किया। उसने धीरे से रामू के ऊपर बैठने की स्थिति बनाई और उसके विशाल लिंग को अपनी योनि पर रखा। उसकी सांसें तेज थीं, और उसका शरीर उत्तेजना से कांप रहा था। "रामू भाई, धीरे-धीरे... ये बहुत बड़ा है," उसने सिसकारी लेते हुए कहा।
रामू, अपने भोलेपन में, ठीक से समझ नहीं पा रहा था कि उसे क्या करना है। उसने कोशिश की, लेकिन उसका लिंग बार-बार पूजा शर्मा की योनि से फिसल रहा था। "मैडम, ये... ठीक से नहीं जा रहा," उसने शरमाते हुए कहा। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर रखा। "रामू भाई, मैं तुम्हारी मदद करती हूं," उसने फुसफुसाते हुए कहा। उसने धीरे से अपने हाथ से रामू के लिंग को पकड़ा और उसे अपनी योनि के प्रवेश द्वार पर सही तरह से रखा। "बस, धीरे-धीरे धक्का मारो," उसने कहा, और उसकी आवाज में मर्यादा और उत्तेजना का मिश्रण था। रामू ने सिर हिलाया और धीरे से जोर लगाया। पूजा शर्मा की योनि में हल्का-सा दर्द हुआ, लेकिन उसकी उत्तेजना उस दर्द को पूरी तरह दबा रही थी।
**रोमांच का चरम और तीव्र अनुभव**
पूजा शर्मा ने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाई, और रामू का लिंग धीरे-धीरे उसकी योनि में प्रवेश करने लगा। उसकी सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... रामू... धीरे..." उसका शरीर इस तीव्र अनुभव में पूरी तरह डूब गया। रामू का भोलापन और उसका विशाल लिंग उसे एक ऐसी दुनिया में ले जा रहा था, जहां मर्यादा और उत्तेजना का एक अनोखा मेल था। नाव का हल्का-सा हिलना और गंगा की छपछप इस पल को और भी रोमांचक बना रही थी। पूजा शर्मा ने अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसकी कमर अब एक लय में हिल रही थी। रामू ने भी धीरे-धीरे अपनी गति पकड़ ली, और उसकी सांसें तेज हो गईं। "मैडम, आप... जैसे कोई अप्सरा," उसने भोलेपन से कहा।
पूजा शर्मा की योनि अब रामू के लिंग की मोटाई को पूरी तरह महसूस कर रही थी। उसने अपने हाथों से रामू की छाती को सहारा दिया और अपनी गति बढ़ा दी। उसकी सिसकारियां अब तेज और गहरी थीं, "आह... रामू... हाय..." उसकी योनि की गीली गर्मी और चिकनाहट ने रामू को और बेकाबू कर दिया। रामू ने अपने हाथ पूजा शर्मा की जांघों पर रखे और धीरे-धीरे उसे सहारा देने की कोशिश की। चांद की रोशनी उनके गुप्त मिलन को और रहस्यमय बना रही थी। पूजा शर्मा का मन मर्यादा और इस तीव्र उत्तेजना के बीच झूल रहा था। "राहुल को नहीं पता चलना चाहिए," उसने मन ही मन सोचा। लेकिन उसका शरीर अब रुकने को तैयार नहीं था।
कुछ ही मिनटों में, पूजा शर्मा की सिसकारियां एक चरम बिंदु पर पहुंच गईं। "आह... रामू..." उसने एक जोरदार सिसकारी के साथ अपनी चरम सीमा को छू लिया, और उसका शरीर सुकून से भर गया। उसकी योनि की गर्मी और संकुचन ने रामू को भी उसी राह पर ले जाया, और वह भी कुछ पलों बाद अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया। उसका वीर्य पूजा शर्मा की योनि में गहराई तक फैल गया, और उसकी गर्मी ने पूजा शर्मा को एक अनोखी अनुभूति दी। दोनों एक पल के लिए सांस लेते हुए चुप रहे, और नाव का हल्का-सा हिलना इस पल को और खास बना रहा था।
**वापसी और गुप्त रहस्य**
पूजा शर्मा ने एक गहरी सांस ली और गंगा के पानी से अपने आप को साफ करने की कोशिश की। उसने अपनी पैंटी, ब्रा, ब्लाउज, और साड़ी जल्दी से पहन ली, लेकिन उसकी योनि से रामू का वीर्य अभी भी हल्का-हल्का, बूंद-बूंद करके रिस रहा था। हर कदम के साथ उसे उस तीव्र अनुभव की गर्मी का अहसास हो रहा था, और यह उसे एक गुप्त रोमांच दे रहा था। उसने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और रामू की ओर देखा। "रामू भाई, ये हमारे बीच ही रहना चाहिए। साहब को कुछ नहीं पता चलना चाहिए," उसने फुसफुसाते हुए कहा। रामू ने शरमाते हुए सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं कसम खाता हूं। ये बात मेरे साथ ही चली जाएगी। आपने मुझे जो खुशी दी, मैं उसे कभी नहीं भूलूंगा।" उसकी मासूमियत ने पूजा शर्मा के मन को हल्का कर दिया।
पूजा शर्मा ने नाव को किनारे की ओर ले जाने के लिए कहा, और रामू ने चुपचाप पतवार पकड़ ली। नाव धीरे-धीरे घाट की ओर बढ़ी, और पूजा शर्मा ने अपनी सांसों को सामान्य करने की कोशिश की। उसका चेहरा अभी भी शरम और उत्तेजना से लाल था, लेकिन उसने अपनी मुस्कान बनाए रखी। "रामू भाई, अब मैं जाती हूं। तुम भी चुपके से रहना," उसने कहा। रामू ने सिर हिलाया और नाव को किनारे पर रोका। पूजा शर्मा चुपके से घाट से उतरी और ज्योति के घर की ओर बढ़ गई। हर कदम के साथ, उसकी योनि से रिसता हुआ रामू का वीर्य उसे उस गुप्त अनुभव की याद दिला रहा था, और उसका मन एक तीव्र रोमांच और मर्यादा के बीच झूल रहा था।
रात के 9:00 बज रहे थे, और गंगा का किनारा शांत था। चांद की रोशनी पानी पर चमक रही थी, और हल्की-सी ठंडी हवा पूजा शर्मा के चेहरे को छू रही थी। रामू अपनी नाव के पास खड़ा था, कुछ मछलियों के जाल ठीक कर रहा था। उसकी सादगी और भोलापन अभी भी वही था, जो पूजा शर्मा को इतना आकर्षित करता था। उसने धीरे से रामू को पुकारा, "रामू भाई..." रामू ने चौंककर पीछे मुड़कर देखा, और उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। "मैडम! आप... इतनी रात को?" उसने भोलेपन से पूछा। पूजा शर्मा ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां, रामू भाई। बस थोड़ा घूमने का मन था। तुम्हारी नाव में बैठकर गंगा की सैर करूं?" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन वह मर्यादित ढंग से बोल रही थी।
रामू ने हिचकिचाते हुए कहा, "मैडम, रात को नाव चलाना ठीक नहीं। लेकिन अगर आप कहें तो..." पूजा शर्मा ने उसकी बात काटते हुए कहा, "रामू भाई, बस थोड़ा सा चक्कर लगा दो। कोई नहीं देखेगा।" उसकी आंखों में एक चमक थी, जो रामू को बेचैन कर रही थी। रामू ने सिर हिलाया और नाव को गंगा की ओर ले गया। पूजा शर्मा नाव में बैठ गई, और उसकी साड़ी का पल्लू हल्का-सा सरक गया, जिससे उसकी गोरी कमर चांद की रोशनी में चमक रही थी। रामू की नजरें बार-बार उसकी ओर जा रही थीं, और उसका पजामा फिर से तनने लगा।
नाव में एकांत और पूजा शर्मा की शरारत
पूजा शर्मा ने रामू को चटाई पर लिटाया, और उसकी टांगों के बीच धीरे से बैठ गई। उसकी साड़ी और पेटीकोट पहले ही उतर चुके थे, और अब वह सिर्फ अपनी लाल लेस वाली पैंटी में थी। चांद की रोशनी में उसकी गोरी त्वचा चमक रही थी, और उसका ब्लाउज, जो अब खुल चुका था, उसकी ब्रा को पूरी तरह उजागर कर रहा था। रामू की आंखें पूजा शर्मा के शरीर पर टिकी थीं, और उसका चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल था। "मैडम... आप... इतनी सुंदर," उसने कांपती आवाज में कहा। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और धीरे से अपनी ब्रा उतार दी। उसके बड़े, तने हुए स्तन चांद की रोशनी में और भी आकर्षक लग रहे थे। रामू की सांसें तेज हो गईं, और उसने अनायास ही अपने हाथ उनकी ओर बढ़ाए।
**तीव्र स्पर्श और उत्तेजना का मेल**
पूजा शर्मा ने रामू के हाथों को अपने स्तनों पर रखा और फुसफुसाते हुए कहा, "रामू भाई, धीरे-धीरे... प्यार से छूना।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। रामू ने कांपती उंगलियों से उसके स्तनों को सहलाया, और उसकी गर्म सांसें पूजा शर्मा की त्वचा पर महसूस हो रही थीं। "मैडम, ये... इतने नरम... जैसे रुई," उसने भोलेपन से कहा। पूजा शर्मा की एक हल्की-सी सिसकारी निकली, "आह... रामू..." उसने अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसका शरीर इस स्पर्श से कांप उठा। रामू का भोलापन और उसकी मासूम तारीफें उसे और बेकाबू कर रही थीं।
उसने धीरे से अपने होंठों से रामू के लिंग को चूमा, जो अब पूरी तरह तन चुका था। उसकी मोटाई और लंबाई को देखकर पूजा शर्मा का मन फिर से हैरानी और उत्तेजना से भर गया। "हाय... ये तो मेरी कलाई से भी मोटा है," उसने मन ही मन सोचा। उसने धीरे से उसे अपने मुंह में लिया, और रामू का शरीर तुरंत कांप उठा। "आह... मैडम..." उसकी सिसकारियां नाव में गूंजने लगीं। पूजा शर्मा की जीभ उसके लिंग की पूरी लंबाई पर धीरे-धीरे घूम रही थी, और वह जानबूझकर उसे और उत्तेजित कर रही थी। रामू का एक हाथ उसके बालों में था, और वह बार-बार उसकी तारीफ कर रहा था, "मैडम, आप... इतनी सुंदर... इतनी अच्छी..." उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह अपने जीवन का पहला अनुभव जी रहा हो।
**मर्यादा और उत्तेजना का अनोखा संगम**
पूजा शर्मा ने धीरे से अपनी पैंटी उतार दी, और अब वह पूरी तरह नग्न थी। चांद की रोशनी में उसका गोरा शरीर और भी आकर्षक लग रहा था। उसने रामू की ओर देखा और फुसफुसाते हुए कहा, "रामू भाई, अब मैं तुम्हारी प्रॉब्लम पूरी तरह ठीक कर दूंगी। लेकिन ये हमारे बीच ही रहना चाहिए।" रामू ने शरमाते हुए सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं कसम खाता हूं। ये बात मेरे साथ ही चली जाएगी।" उसकी मासूमियत ने पूजा शर्मा को और आकर्षित किया। उसने धीरे से रामू के ऊपर बैठने की स्थिति बनाई और उसके विशाल लिंग को अपनी योनि पर रखा। उसकी सांसें तेज थीं, और उसका शरीर उत्तेजना से कांप रहा था। "रामू भाई, धीरे-धीरे... ये बहुत बड़ा है," उसने सिसकारी लेते हुए कहा।
रामू, अपने भोलेपन में, ठीक से समझ नहीं पा रहा था कि उसे क्या करना है। उसने कोशिश की, लेकिन उसका लिंग बार-बार पूजा शर्मा की योनि से फिसल रहा था। "मैडम, ये... ठीक से नहीं जा रहा," उसने शरमाते हुए कहा। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर रखा। "रामू भाई, मैं तुम्हारी मदद करती हूं," उसने फुसफुसाते हुए कहा। उसने धीरे से अपने हाथ से रामू के लिंग को पकड़ा और उसे अपनी योनि के प्रवेश द्वार पर सही तरह से रखा। "बस, धीरे-धीरे धक्का मारो," उसने कहा, और उसकी आवाज में मर्यादा और उत्तेजना का मिश्रण था। रामू ने सिर हिलाया और धीरे से जोर लगाया। पूजा शर्मा की योनि में हल्का-सा दर्द हुआ, लेकिन उसकी उत्तेजना उस दर्द को पूरी तरह दबा रही थी।
**रोमांच का चरम और तीव्र अनुभव**
पूजा शर्मा ने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाई, और रामू का लिंग धीरे-धीरे उसकी योनि में प्रवेश करने लगा। उसकी सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... रामू... धीरे..." उसका शरीर इस तीव्र अनुभव में पूरी तरह डूब गया। रामू का भोलापन और उसका विशाल लिंग उसे एक ऐसी दुनिया में ले जा रहा था, जहां मर्यादा और उत्तेजना का एक अनोखा मेल था। नाव का हल्का-सा हिलना और गंगा की छपछप इस पल को और भी रोमांचक बना रही थी। पूजा शर्मा ने अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसकी कमर अब एक लय में हिल रही थी। रामू ने भी धीरे-धीरे अपनी गति पकड़ ली, और उसकी सांसें तेज हो गईं। "मैडम, आप... जैसे कोई अप्सरा," उसने भोलेपन से कहा।
पूजा शर्मा की योनि अब रामू के लिंग की मोटाई को पूरी तरह महसूस कर रही थी। उसने अपने हाथों से रामू की छाती को सहारा दिया और अपनी गति बढ़ा दी। उसकी सिसकारियां अब तेज और गहरी थीं, "आह... रामू... हाय..." उसकी योनि की गीली गर्मी और चिकनाहट ने रामू को और बेकाबू कर दिया। रामू ने अपने हाथ पूजा शर्मा की जांघों पर रखे और धीरे-धीरे उसे सहारा देने की कोशिश की। चांद की रोशनी उनके गुप्त मिलन को और रहस्यमय बना रही थी। पूजा शर्मा का मन मर्यादा और इस तीव्र उत्तेजना के बीच झूल रहा था। "राहुल को नहीं पता चलना चाहिए," उसने मन ही मन सोचा। लेकिन उसका शरीर अब रुकने को तैयार नहीं था।
कुछ ही मिनटों में, पूजा शर्मा की सिसकारियां एक चरम बिंदु पर पहुंच गईं। "आह... रामू..." उसने एक जोरदार सिसकारी के साथ अपनी चरम सीमा को छू लिया, और उसका शरीर सुकून से भर गया। उसकी योनि की गर्मी और संकुचन ने रामू को भी उसी राह पर ले जाया, और वह भी कुछ पलों बाद अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया। उसका वीर्य पूजा शर्मा की योनि में गहराई तक फैल गया, और उसकी गर्मी ने पूजा शर्मा को एक अनोखी अनुभूति दी। दोनों एक पल के लिए सांस लेते हुए चुप रहे, और नाव का हल्का-सा हिलना इस पल को और खास बना रहा था।
**वापसी और गुप्त रहस्य**
पूजा शर्मा ने एक गहरी सांस ली और गंगा के पानी से अपने आप को साफ करने की कोशिश की। उसने अपनी पैंटी, ब्रा, ब्लाउज, और साड़ी जल्दी से पहन ली, लेकिन उसकी योनि से रामू का वीर्य अभी भी हल्का-हल्का, बूंद-बूंद करके रिस रहा था। हर कदम के साथ उसे उस तीव्र अनुभव की गर्मी का अहसास हो रहा था, और यह उसे एक गुप्त रोमांच दे रहा था। उसने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और रामू की ओर देखा। "रामू भाई, ये हमारे बीच ही रहना चाहिए। साहब को कुछ नहीं पता चलना चाहिए," उसने फुसफुसाते हुए कहा। रामू ने शरमाते हुए सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं कसम खाता हूं। ये बात मेरे साथ ही चली जाएगी। आपने मुझे जो खुशी दी, मैं उसे कभी नहीं भूलूंगा।" उसकी मासूमियत ने पूजा शर्मा के मन को हल्का कर दिया।
पूजा शर्मा ने नाव को किनारे की ओर ले जाने के लिए कहा, और रामू ने चुपचाप पतवार पकड़ ली। नाव धीरे-धीरे घाट की ओर बढ़ी, और पूजा शर्मा ने अपनी सांसों को सामान्य करने की कोशिश की। उसका चेहरा अभी भी शरम और उत्तेजना से लाल था, लेकिन उसने अपनी मुस्कान बनाए रखी। "रामू भाई, अब मैं जाती हूं। तुम भी चुपके से रहना," उसने कहा। रामू ने सिर हिलाया और नाव को किनारे पर रोका। पूजा शर्मा चुपके से घाट से उतरी और ज्योति के घर की ओर बढ़ गई। हर कदम के साथ, उसकी योनि से रिसता हुआ रामू का वीर्य उसे उस गुप्त अनुभव की याद दिला रहा था, और उसका मन एक तीव्र रोमांच और मर्यादा के बीच झूल रहा था।