17-09-2025, 07:35 PM
माहौल और पूजा शर्मा की शरारत
पूजा शर्मा ने कमरे में चारों ओर देखा। एकांत था, और बाहर से सिर्फ ढोलक की हल्की-सी आवाज आ रही थी। उसने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा और ढीला किया, जिससे उसकी कमर और ब्लाउज की आउटलाइन और साफ दिखने लगी। रामू की आंखें फिर से चौड़ी हो गईं। "मैडम... आप..." उसने कांपती आवाज में कहा। पूजा शर्मा ने शरारत भरे लहजे में कहा, "क्या, रामू भाई? साहब ने कहा ना कि तुम... छू सकते हो? लेकिन पहले बता, तुम्हें सच में क्या चाहिए?" उसकी आवाज में मस्ती थी, लेकिन वह मर्यादा में थी। रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, बस... आपको देखना है। आप बहुत सुंदर हो।" उसका भोलापन पूजा शर्मा को और उत्तेजित कर रहा था।
पूजा शर्मा ने सोचा, "राहुल चाहते हैं कि मैं इस रोमांच को जिऊं। और रामू इतना भोला है... इसमें गलत क्या है?" उसने रामू की ओर एक कदम बढ़ाया और कहा, "रामू भाई, तुम्हारी प्रॉब्लम... मैं समझ रही हूं। लेकिन ये सब हमारे बीच ही रहना चाहिए।" उसकी आवाज में एक मिश्रित शरम और आत्मविश्वास था। रामू ने सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं कसम खाता हूं, किसी को नहीं बताऊंगा।" उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे और साड़ी की सिलवटों पर टिकी थीं।
विस्तृत सीन: पूजा शर्मा और रामू का कमरे में एकांत (मर्यादित रूप में):
शाम के 7:30 बज रहे थे, और ज्योति के घर की तीसरी मंजिल पर गहरा एकांत छाया हुआ था। कमरे में हल्की-सी बल्ब की रोशनी थी, जो दीवारों पर मद्धम छायाएं बना रही थी। बाहर से मेहंदी की रस्म की ढोलक और हंसी की आवाजें हल्के-हल्के सुनाई दे रही थीं, लेकिन तीसरी मंजिल का यह कमरा एक अलग ही दुनिया में था। पूजा शर्मा ने अपनी हरी साड़ी को ठीक किया, लेकिन उसका पल्लू हल्का-सा सरक गया था, जिससे उसकी कमर और ब्लाउज की आउटलाइन उभर रही थी। उसका गोरा चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल था, और उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। सामने खड़ा रामू, धोती-कुर्ता में, शरम से सिर झुकाए हुए था। उसका पजामा अभी भी हल्का-सा तना हुआ था, और उसकी आंखें बार-बार पूजा शर्मा की ओर उठ रही थीं। "राहुल नीचे हैं, और ये सब उनकी मर्जी से हो रहा है," पूजा शर्मा ने मन ही मन खुद को तसल्ली दी। लेकिन रामू का भोलापन और उसकी बेचैनी उसे एक नए रोमांच की ओर खींच रही थी।
पूजा शर्मा की शरारत और रामू की शरम
पूजा शर्मा ने रामू की ओर देखा और हल्की-सी मुस्कान के साथ कहा, "रामू भाई, साहब ने बताया कि तुम्हें कोई प्रॉब्लम है। चलो, मुझे दिखाओ। अपना पजामा खोलो, मैं तुम्हारा... लंड देखना चाहती हूं।" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन वह मर्यादित ढंग से बोल रही थी। रामू का चेहरा एकदम लाल हो गया। उसने अपने पजामे को दोनों हाथों से पकड़ा और कांपती आवाज में कहा, "मैडम, मुझे बहुत शरम आती है। मैंने कभी किसी को ऐसा... नहीं दिखाया।" उसकी आंखें नीचे थीं, लेकिन उसकी सांसें तेज थीं। पूजा शर्मा ने हल्के से हंसते हुए कहा, "अरे, रामू भाई, तुमने तो सुबह नाव पर मुझे देखा था। अब मेरी बारी है।" उसकी आवाज में एक चंचलता थी, जो रामू को और बेचैन कर रही थी।
रामू ने सिर झुकाकर कहा, "हां, मैडम। लेकिन मैंने आपको बिल्कुल नंगी तो नहीं देखा। आप तो ब्रा-पैंटी में थीं।" उसका भोलापन पूजा शर्मा को और उत्तेजित कर रहा था। उसने सोचा, "ये इतना सीधा है। इसे तो कुछ समझ ही नहीं।" उसने एक कदम आगे बढ़ाया और कहा, "रामू भाई, रुको। पहले मैं देख लूं कि बाहर कोई हमारी बातें तो नहीं सुन रहा।" उसने धीरे से दरवाजा खोला और बाहर गलियारे में झांका। सीढ़ियों पर कोई नहीं था, और मेहंदी की रस्म की आवाजें नीचे से आ रही थीं। "राहुल नीचे हैं, और कोई नहीं आएगा," उसने मन ही मन सोचा। इस बात से उसका मन हल्का हो गया, और उसे एक अजीब-सी खुशी महसूस हुई। "अब सिर्फ मैं और रामू... कोई बीच में नहीं," उसने सोचा।
कमरे का एकांत और पूजा शर्मा की सावधानी
पूजा शर्मा ने दरवाजा वापस बंद किया और अंदर से अच्छे से लॉक कर लिया। उसने खिड़कियों की ओर देखा, जहां से गंगा की हल्की-सी ठंडी हवा आ रही थी। उसने खिड़कियों के पर्दे भी खींच दिए, ताकि बाहर से कोई कुछ न देख सके। कमरे में अब सिर्फ बल्ब की मद्धम रोशनी थी, जो माहौल को और गहरा बना रही थी। पूजा शर्मा ने रामू की ओर मुड़कर कहा, "अब ठीक है, रामू भाई। कोई नहीं आएगा। अब अपना पजामा उतारो। मुझे तुम्हारी प्रॉब्लम देखनी है।" उसकी आवाज में आत्मविश्वास था, लेकिन उसका दिल अभी भी तेजी से धड़क रहा था।
रामू ने और शरमाते हुए कहा, "मैडम, मुझे बहुत शरम आ रही है। आप... आप भी तो अपने कपड़े उतारो।" उसकी आवाज में भोलापन था, लेकिन उसकी आंखों में एक हल्की-सी हिम्मत भी दिख रही थी। पूजा शर्मा ने हंसकर कहा, "रामू भाई, तुम तो बहुत हिम्मत वाले हो गए। ठीक है, लेकिन मेरी ब्रा और पैंटी नहीं उतरेगी। तुम खुद मेरे कपड़े उतारो।" उसने यह कहते हुए अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा और ढीला किया, और उसकी गोरी कमर साफ दिखने लगी। रामू की सांसें और तेज हो गईं। "मैडम... सच में?" उसने कांपती आवाज में पूछा। पूजा शर्मा ने सिर हिलाया और कहा, "हां, रामू भाई। लेकिन सावधानी से।"
रामू का भोलापन और पूजा शर्मा के कपड़े उतारना
रामू ने हिचकिचाते हुए एक कदम आगे बढ़ाया। उसकी उंगलियां कांप रही थीं, और उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे और साड़ी की सिलवटों पर टिकी थीं। उसने धीरे से पूजा शर्मा की साड़ी का पल्लू पकड़ा और उसे खींचना शुरू किया। साड़ी की सिलवटें एक-एक करके खुल रही थीं, और पूजा शर्मा का ब्लाउज और पेटीकोट अब साफ दिख रहा था। रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, आप... सच में हीरोइन जैसी हो। इतनी सुंदर... मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था।" उसकी आवाज में मासूमियत थी, और वह पूजा शर्मा की तारीफ करते हुए उसकी आंखों में देख रहा था। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "रामू भाई, तुम तो बहुत तारीफ करते हो। बस, धीरे-धीरे।"
रामू ने साड़ी को पूरी तरह उतार दिया, और अब पूजा शर्मा सिर्फ अपने हरे ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उसका गोरा बदन कमरे की मद्धम रोशनी में चमक रहा था। रामू की आंखें चौड़ी हो गईं, और उसने कहा, "मैडम, आप... बहुत सुंदर हो।" उसकी उंगलियां अब पूजा शर्मा के ब्लाउज के बटन की ओर बढ़ीं। उसने एक-एक बटन धीरे-धीरे खोला, और पूजा शर्मा की लाल लेस वाली ब्रा दिखने लगी। पूजा शर्मा ने हल्के से सिसकारी ली और कहा, "रामू भाई, बस इतना ही। ब्रा-पैंटी नहीं उतरेगी।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन वह इस रोमांच को जी रही थी। रामू ने सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं... बस देखना चाहता था। आप बहुत सुंदर हो।"
पूजा शर्मा का भावनात्मक द्वंद्व
पूजा शर्मा का मन उथल-पुथल में था। रामू का भोलापन और उसकी तारीफें उसे एक अजीब-सी शक्ति दे रही थीं। "पहली बार कोई मुझे इतने भोलेपन से देख रहा है," उसने सोचा। सुबह नाव पर हुए अनुभव और उस ट्रक ड्राइवर की फैंटसी ने उसके मन में एक आग लगा दी थी, और अब रामू की मासूमियत उस आग को और भड़का रही थी। "राहुल चाहते हैं कि मैं ये पल जिऊं। और ये सब उनकी मर्जी से हो रहा है," उसने खुद को तसल्ली दी। लेकिन मर्यादा का डर अभी भी उसके मन में था। "कोई नहीं आएगा। दरवाजा लॉक है, और राहुल नीचे सब संभाल रहे हैं," उसने सोचा। उसका मन शरम और उत्तेजना के बीच झूल रहा था, लेकिन रामू की भोली आंखें उसे और खींच रही थीं।
पूजा शर्मा ने रामू की ओर देखा और कहा, "रामू भाई, अब तुम्हारी बारी। अपना पजामा उतारो।" उसकी आवाज में एक हल्का-सा आदेश था, लेकिन वह मुस्कुरा रही थी। रामू ने शरमाते हुए अपने पजामे की ओर देखा और कहा, "मैडम, मुझे बहुत शरम आ रही है।" लेकिन पूजा शर्मा की शरारती मुस्कान ने उसे हिम्मत दी। उसने धीरे-धीरे अपने पजामे का नाड़ा खोला, और पूजा शर्मा की नजरें उसकी ओर टिक गईं।
कहानी जारी है...
रामू ने शरमाते हुए पूजा शर्मा की ओर देखा और कांपती आवाज में कहा, "मैडम, साहब ने कहा था कि मैं आपको... छू भी सकता हूं।" उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे और ब्रा से ढके उसके स्तनों पर टिकी थीं। पूजा शर्मा ने गहरी सांस ली, और उसका चेहरा शरम से लाल हो गया। उसने सोचा, "राहुल ने इसे इतना उकसाया है। लेकिन ये इतना भोला है... इसमें गलत क्या है?" उसने धीरे से कहा, "ठीक है, रामू भाई। लेकिन प्यार से छूना।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। रामू की सांसें और तेज हो गईं। उसने हल्के से सिर हिलाया और एक कदम आगे बढ़ाया।
रामू ने अपने पजामे का नाड़ा खींचा, और वह ढीला होकर नीचे गिर गया। अब वह सिर्फ अपने देहाती कच्छे में था, और उसका उभार साफ दिख रहा था। पूजा शर्मा की नजरें उसकी ओर टिकी थीं, और उसका मन एक अजीब-से रोमांच से भर गया। "ये इतना सीधा है, और फिर भी इतना... बेकाबू," उसने सोचा। रामू ने हल्के से पूजा शर्मा के कंधों को छुआ, और उसकी उंगलियां कांप रही थीं। उसने धीरे से पूजा शर्मा के स्तनों को ब्रा के ऊपर से सहलाया, और पूजा शर्मा की एक हल्की-सी सिसकारी निकली, "आह..." उसने अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसका शरीर इस स्पर्श से कांप उठा।
रामू की तारीफ और तीव्र स्पर्श
रामू ने पूजा शर्मा की नाभि की ओर झुका और धीरे से उसे चूमा। उसकी गर्म सांसें पूजा शर्मा की त्वचा पर महसूस हो रही थीं। "मैडम, आपकी त्वचा... इतनी गोरी, इतनी नरम," उसने भोलेपन से कहा। उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह अपने जीवन का पहला अनुभव जी रहा हो। उसने एक हाथ पूजा शर्मा की कमर से नीचे ले जाकर उसकी जांघों को सहलाया। पूजा शर्मा की सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... रामू..." कमरा अब उसकी सिसकारियों से गूंज रहा था। वह रामू को रोक नहीं रही थी; उसका मन इस रोमांच में पूरी तरह डूब चुका था। "राहुल चाहते हैं कि मैं ये पल जिऊं," उसने सोचा, और उसने खुद को इस अनुभव के हवाले कर दिया।
रामू ने पूजा शर्मा के हर अंग की तारीफ की। "मैडम, आपकी कमर... जैसे कोई मूर्ति हो। और ये... इतने सुंदर," उसने पूजा शर्मा के स्तनों को सहलाते हुए कहा। उसका भोलापन और उसकी उत्तेजना पूजा शर्मा को और बेकाबू कर रही थी। रामू ने, जैसे फिल्मों में देखा था, पूजा शर्मा की पीठ पर हाथ डाला और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। पूजा शर्मा के बड़े, तने हुए स्तन अब आजाद हो गए, और रामू की आंखें चौड़ी हो गईं। "मैडम... ये... मैंने तो कभी नहीं देखा," उसने कांपती आवाज में कहा। उसने बिना पूछे पूजा शर्मा के स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया, और पूजा शर्मा की सिसकारियां और तेज हो गईं, "आह... रामू, धीरे..."
पूजा शर्मा की मस्ती और रामू का भोलापन
रामू ने, अपने भोलेपन में खोया हुआ, पूजा शर्मा की पैंटी की ओर हाथ बढ़ाया और उसे धीरे से नीचे खींच दिया। पूजा शर्मा को इसका अहसास तब हुआ, जब रामू की उंगलियां उसकी योनि को हल्के से सहलाने लगीं। "आह... रामू, धीरे-धीरे," उसने सिसकारी लेते हुए कहा। उसका मन पूरी तरह मस्ती में डूबा था, और उसे पता ही नहीं चला कि कब रामू ने उसके सारे कपड़े उतार दिए। उसने शरमाते हुए कहा, "रामू भाई, तुमने तो मेरे सारे कपड़े उतार दिए। अब तुम भी... अपना लंड दिखाओ।" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन वह अभी भी मर्यादा में थी।
रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने आपके कपड़े उतार दिए। मैं तो बस... खो गया था।" उसकी आंखें पूजा शर्मा के नग्न शरीर पर टिकी थीं, और उसका भोलापन पूजा शर्मा को और उत्तेजित कर रहा था। उसने कहा, "मैडम, अब आप ही मेरा कच्छा उतार दो।" उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह अभी भी इस अनुभव को समझने की कोशिश कर रहा हो। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "रामू भाई, तुम तो बहुत हिम्मत वाले हो गए।" उसने धीरे से रामू की ओर कदम बढ़ाया, और उसका मन इस नए रोमांच में पूरी तरह खो चुका था।
रामू का कच्छा और पूजा शर्मा की हैरानी
पूजा शर्मा ने गहरी सांस ली और धीरे से रामू के कच्छे की ओर हाथ बढ़ाया। उसकी उंगलियां कांप रही थीं, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। उसने धीरे से कच्छे का नाड़ा खींचा, और वह नीचे सरक गया। रामू का तना हुआ लिंग अब पूरी तरह सामने था, और पूजा शर्मा के मुंह से हैरानी भरी सिसकारी निकली, "हाय... ये..." उसकी आंखें चौड़ी हो गईं, और उसने अनायास ही कहा, "इतना बड़ा..." रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, क्या हुआ? आप तो ऐसे कर रही हो, जैसे किसी का लंड पहली बार देख रही हो।" उसकी आवाज में भोलापन था, लेकिन उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे पर टिकी थीं।
पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "रामू भाई, इतना बड़ा तो मैंने पहली बार ही देखा है।" उसका चेहरा शरम से लाल था, लेकिन वह इस अनुभव में डूब चुकी थी। रामू ने भोलेपन से पूछा, "मैडम, साहब का भी तो ऐसा ही होगा, ना?" पूजा शर्मा ने हंसते हुए कहा, "नहीं, रामू भाई। साहब का तो तुम्हारे... लिंग के सामने बहुत छोटा है। उनका तो लंड है, लेकिन तुम्हारा... ये लंड नहीं, लोड़ा है।" उसकी आवाज में शरारत थी, और वह जानबूझकर रामू को और बेचैन कर रही थी। रामू की आंखें चमक उठीं। उसने ख़ुशी से कहा, "मैडम, आप इसे प्यार करो। सुबह से ये मुझे परेशान कर रहा है।"
पूजा शर्मा ने कमरे में चारों ओर देखा। एकांत था, और बाहर से सिर्फ ढोलक की हल्की-सी आवाज आ रही थी। उसने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा और ढीला किया, जिससे उसकी कमर और ब्लाउज की आउटलाइन और साफ दिखने लगी। रामू की आंखें फिर से चौड़ी हो गईं। "मैडम... आप..." उसने कांपती आवाज में कहा। पूजा शर्मा ने शरारत भरे लहजे में कहा, "क्या, रामू भाई? साहब ने कहा ना कि तुम... छू सकते हो? लेकिन पहले बता, तुम्हें सच में क्या चाहिए?" उसकी आवाज में मस्ती थी, लेकिन वह मर्यादा में थी। रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, बस... आपको देखना है। आप बहुत सुंदर हो।" उसका भोलापन पूजा शर्मा को और उत्तेजित कर रहा था।
पूजा शर्मा ने सोचा, "राहुल चाहते हैं कि मैं इस रोमांच को जिऊं। और रामू इतना भोला है... इसमें गलत क्या है?" उसने रामू की ओर एक कदम बढ़ाया और कहा, "रामू भाई, तुम्हारी प्रॉब्लम... मैं समझ रही हूं। लेकिन ये सब हमारे बीच ही रहना चाहिए।" उसकी आवाज में एक मिश्रित शरम और आत्मविश्वास था। रामू ने सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं कसम खाता हूं, किसी को नहीं बताऊंगा।" उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे और साड़ी की सिलवटों पर टिकी थीं।
विस्तृत सीन: पूजा शर्मा और रामू का कमरे में एकांत (मर्यादित रूप में):
शाम के 7:30 बज रहे थे, और ज्योति के घर की तीसरी मंजिल पर गहरा एकांत छाया हुआ था। कमरे में हल्की-सी बल्ब की रोशनी थी, जो दीवारों पर मद्धम छायाएं बना रही थी। बाहर से मेहंदी की रस्म की ढोलक और हंसी की आवाजें हल्के-हल्के सुनाई दे रही थीं, लेकिन तीसरी मंजिल का यह कमरा एक अलग ही दुनिया में था। पूजा शर्मा ने अपनी हरी साड़ी को ठीक किया, लेकिन उसका पल्लू हल्का-सा सरक गया था, जिससे उसकी कमर और ब्लाउज की आउटलाइन उभर रही थी। उसका गोरा चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल था, और उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। सामने खड़ा रामू, धोती-कुर्ता में, शरम से सिर झुकाए हुए था। उसका पजामा अभी भी हल्का-सा तना हुआ था, और उसकी आंखें बार-बार पूजा शर्मा की ओर उठ रही थीं। "राहुल नीचे हैं, और ये सब उनकी मर्जी से हो रहा है," पूजा शर्मा ने मन ही मन खुद को तसल्ली दी। लेकिन रामू का भोलापन और उसकी बेचैनी उसे एक नए रोमांच की ओर खींच रही थी।
पूजा शर्मा की शरारत और रामू की शरम
पूजा शर्मा ने रामू की ओर देखा और हल्की-सी मुस्कान के साथ कहा, "रामू भाई, साहब ने बताया कि तुम्हें कोई प्रॉब्लम है। चलो, मुझे दिखाओ। अपना पजामा खोलो, मैं तुम्हारा... लंड देखना चाहती हूं।" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन वह मर्यादित ढंग से बोल रही थी। रामू का चेहरा एकदम लाल हो गया। उसने अपने पजामे को दोनों हाथों से पकड़ा और कांपती आवाज में कहा, "मैडम, मुझे बहुत शरम आती है। मैंने कभी किसी को ऐसा... नहीं दिखाया।" उसकी आंखें नीचे थीं, लेकिन उसकी सांसें तेज थीं। पूजा शर्मा ने हल्के से हंसते हुए कहा, "अरे, रामू भाई, तुमने तो सुबह नाव पर मुझे देखा था। अब मेरी बारी है।" उसकी आवाज में एक चंचलता थी, जो रामू को और बेचैन कर रही थी।
रामू ने सिर झुकाकर कहा, "हां, मैडम। लेकिन मैंने आपको बिल्कुल नंगी तो नहीं देखा। आप तो ब्रा-पैंटी में थीं।" उसका भोलापन पूजा शर्मा को और उत्तेजित कर रहा था। उसने सोचा, "ये इतना सीधा है। इसे तो कुछ समझ ही नहीं।" उसने एक कदम आगे बढ़ाया और कहा, "रामू भाई, रुको। पहले मैं देख लूं कि बाहर कोई हमारी बातें तो नहीं सुन रहा।" उसने धीरे से दरवाजा खोला और बाहर गलियारे में झांका। सीढ़ियों पर कोई नहीं था, और मेहंदी की रस्म की आवाजें नीचे से आ रही थीं। "राहुल नीचे हैं, और कोई नहीं आएगा," उसने मन ही मन सोचा। इस बात से उसका मन हल्का हो गया, और उसे एक अजीब-सी खुशी महसूस हुई। "अब सिर्फ मैं और रामू... कोई बीच में नहीं," उसने सोचा।
कमरे का एकांत और पूजा शर्मा की सावधानी
पूजा शर्मा ने दरवाजा वापस बंद किया और अंदर से अच्छे से लॉक कर लिया। उसने खिड़कियों की ओर देखा, जहां से गंगा की हल्की-सी ठंडी हवा आ रही थी। उसने खिड़कियों के पर्दे भी खींच दिए, ताकि बाहर से कोई कुछ न देख सके। कमरे में अब सिर्फ बल्ब की मद्धम रोशनी थी, जो माहौल को और गहरा बना रही थी। पूजा शर्मा ने रामू की ओर मुड़कर कहा, "अब ठीक है, रामू भाई। कोई नहीं आएगा। अब अपना पजामा उतारो। मुझे तुम्हारी प्रॉब्लम देखनी है।" उसकी आवाज में आत्मविश्वास था, लेकिन उसका दिल अभी भी तेजी से धड़क रहा था।
रामू ने और शरमाते हुए कहा, "मैडम, मुझे बहुत शरम आ रही है। आप... आप भी तो अपने कपड़े उतारो।" उसकी आवाज में भोलापन था, लेकिन उसकी आंखों में एक हल्की-सी हिम्मत भी दिख रही थी। पूजा शर्मा ने हंसकर कहा, "रामू भाई, तुम तो बहुत हिम्मत वाले हो गए। ठीक है, लेकिन मेरी ब्रा और पैंटी नहीं उतरेगी। तुम खुद मेरे कपड़े उतारो।" उसने यह कहते हुए अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा और ढीला किया, और उसकी गोरी कमर साफ दिखने लगी। रामू की सांसें और तेज हो गईं। "मैडम... सच में?" उसने कांपती आवाज में पूछा। पूजा शर्मा ने सिर हिलाया और कहा, "हां, रामू भाई। लेकिन सावधानी से।"
रामू का भोलापन और पूजा शर्मा के कपड़े उतारना
रामू ने हिचकिचाते हुए एक कदम आगे बढ़ाया। उसकी उंगलियां कांप रही थीं, और उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे और साड़ी की सिलवटों पर टिकी थीं। उसने धीरे से पूजा शर्मा की साड़ी का पल्लू पकड़ा और उसे खींचना शुरू किया। साड़ी की सिलवटें एक-एक करके खुल रही थीं, और पूजा शर्मा का ब्लाउज और पेटीकोट अब साफ दिख रहा था। रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, आप... सच में हीरोइन जैसी हो। इतनी सुंदर... मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था।" उसकी आवाज में मासूमियत थी, और वह पूजा शर्मा की तारीफ करते हुए उसकी आंखों में देख रहा था। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "रामू भाई, तुम तो बहुत तारीफ करते हो। बस, धीरे-धीरे।"
रामू ने साड़ी को पूरी तरह उतार दिया, और अब पूजा शर्मा सिर्फ अपने हरे ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उसका गोरा बदन कमरे की मद्धम रोशनी में चमक रहा था। रामू की आंखें चौड़ी हो गईं, और उसने कहा, "मैडम, आप... बहुत सुंदर हो।" उसकी उंगलियां अब पूजा शर्मा के ब्लाउज के बटन की ओर बढ़ीं। उसने एक-एक बटन धीरे-धीरे खोला, और पूजा शर्मा की लाल लेस वाली ब्रा दिखने लगी। पूजा शर्मा ने हल्के से सिसकारी ली और कहा, "रामू भाई, बस इतना ही। ब्रा-पैंटी नहीं उतरेगी।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन वह इस रोमांच को जी रही थी। रामू ने सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं... बस देखना चाहता था। आप बहुत सुंदर हो।"
पूजा शर्मा का भावनात्मक द्वंद्व
पूजा शर्मा का मन उथल-पुथल में था। रामू का भोलापन और उसकी तारीफें उसे एक अजीब-सी शक्ति दे रही थीं। "पहली बार कोई मुझे इतने भोलेपन से देख रहा है," उसने सोचा। सुबह नाव पर हुए अनुभव और उस ट्रक ड्राइवर की फैंटसी ने उसके मन में एक आग लगा दी थी, और अब रामू की मासूमियत उस आग को और भड़का रही थी। "राहुल चाहते हैं कि मैं ये पल जिऊं। और ये सब उनकी मर्जी से हो रहा है," उसने खुद को तसल्ली दी। लेकिन मर्यादा का डर अभी भी उसके मन में था। "कोई नहीं आएगा। दरवाजा लॉक है, और राहुल नीचे सब संभाल रहे हैं," उसने सोचा। उसका मन शरम और उत्तेजना के बीच झूल रहा था, लेकिन रामू की भोली आंखें उसे और खींच रही थीं।
पूजा शर्मा ने रामू की ओर देखा और कहा, "रामू भाई, अब तुम्हारी बारी। अपना पजामा उतारो।" उसकी आवाज में एक हल्का-सा आदेश था, लेकिन वह मुस्कुरा रही थी। रामू ने शरमाते हुए अपने पजामे की ओर देखा और कहा, "मैडम, मुझे बहुत शरम आ रही है।" लेकिन पूजा शर्मा की शरारती मुस्कान ने उसे हिम्मत दी। उसने धीरे-धीरे अपने पजामे का नाड़ा खोला, और पूजा शर्मा की नजरें उसकी ओर टिक गईं।
कहानी जारी है...
रामू ने शरमाते हुए पूजा शर्मा की ओर देखा और कांपती आवाज में कहा, "मैडम, साहब ने कहा था कि मैं आपको... छू भी सकता हूं।" उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे और ब्रा से ढके उसके स्तनों पर टिकी थीं। पूजा शर्मा ने गहरी सांस ली, और उसका चेहरा शरम से लाल हो गया। उसने सोचा, "राहुल ने इसे इतना उकसाया है। लेकिन ये इतना भोला है... इसमें गलत क्या है?" उसने धीरे से कहा, "ठीक है, रामू भाई। लेकिन प्यार से छूना।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। रामू की सांसें और तेज हो गईं। उसने हल्के से सिर हिलाया और एक कदम आगे बढ़ाया।
रामू ने अपने पजामे का नाड़ा खींचा, और वह ढीला होकर नीचे गिर गया। अब वह सिर्फ अपने देहाती कच्छे में था, और उसका उभार साफ दिख रहा था। पूजा शर्मा की नजरें उसकी ओर टिकी थीं, और उसका मन एक अजीब-से रोमांच से भर गया। "ये इतना सीधा है, और फिर भी इतना... बेकाबू," उसने सोचा। रामू ने हल्के से पूजा शर्मा के कंधों को छुआ, और उसकी उंगलियां कांप रही थीं। उसने धीरे से पूजा शर्मा के स्तनों को ब्रा के ऊपर से सहलाया, और पूजा शर्मा की एक हल्की-सी सिसकारी निकली, "आह..." उसने अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसका शरीर इस स्पर्श से कांप उठा।
रामू की तारीफ और तीव्र स्पर्श
रामू ने पूजा शर्मा की नाभि की ओर झुका और धीरे से उसे चूमा। उसकी गर्म सांसें पूजा शर्मा की त्वचा पर महसूस हो रही थीं। "मैडम, आपकी त्वचा... इतनी गोरी, इतनी नरम," उसने भोलेपन से कहा। उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह अपने जीवन का पहला अनुभव जी रहा हो। उसने एक हाथ पूजा शर्मा की कमर से नीचे ले जाकर उसकी जांघों को सहलाया। पूजा शर्मा की सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... रामू..." कमरा अब उसकी सिसकारियों से गूंज रहा था। वह रामू को रोक नहीं रही थी; उसका मन इस रोमांच में पूरी तरह डूब चुका था। "राहुल चाहते हैं कि मैं ये पल जिऊं," उसने सोचा, और उसने खुद को इस अनुभव के हवाले कर दिया।
रामू ने पूजा शर्मा के हर अंग की तारीफ की। "मैडम, आपकी कमर... जैसे कोई मूर्ति हो। और ये... इतने सुंदर," उसने पूजा शर्मा के स्तनों को सहलाते हुए कहा। उसका भोलापन और उसकी उत्तेजना पूजा शर्मा को और बेकाबू कर रही थी। रामू ने, जैसे फिल्मों में देखा था, पूजा शर्मा की पीठ पर हाथ डाला और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। पूजा शर्मा के बड़े, तने हुए स्तन अब आजाद हो गए, और रामू की आंखें चौड़ी हो गईं। "मैडम... ये... मैंने तो कभी नहीं देखा," उसने कांपती आवाज में कहा। उसने बिना पूछे पूजा शर्मा के स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया, और पूजा शर्मा की सिसकारियां और तेज हो गईं, "आह... रामू, धीरे..."
पूजा शर्मा की मस्ती और रामू का भोलापन
रामू ने, अपने भोलेपन में खोया हुआ, पूजा शर्मा की पैंटी की ओर हाथ बढ़ाया और उसे धीरे से नीचे खींच दिया। पूजा शर्मा को इसका अहसास तब हुआ, जब रामू की उंगलियां उसकी योनि को हल्के से सहलाने लगीं। "आह... रामू, धीरे-धीरे," उसने सिसकारी लेते हुए कहा। उसका मन पूरी तरह मस्ती में डूबा था, और उसे पता ही नहीं चला कि कब रामू ने उसके सारे कपड़े उतार दिए। उसने शरमाते हुए कहा, "रामू भाई, तुमने तो मेरे सारे कपड़े उतार दिए। अब तुम भी... अपना लंड दिखाओ।" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन वह अभी भी मर्यादा में थी।
रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने आपके कपड़े उतार दिए। मैं तो बस... खो गया था।" उसकी आंखें पूजा शर्मा के नग्न शरीर पर टिकी थीं, और उसका भोलापन पूजा शर्मा को और उत्तेजित कर रहा था। उसने कहा, "मैडम, अब आप ही मेरा कच्छा उतार दो।" उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह अभी भी इस अनुभव को समझने की कोशिश कर रहा हो। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "रामू भाई, तुम तो बहुत हिम्मत वाले हो गए।" उसने धीरे से रामू की ओर कदम बढ़ाया, और उसका मन इस नए रोमांच में पूरी तरह खो चुका था।
रामू का कच्छा और पूजा शर्मा की हैरानी
पूजा शर्मा ने गहरी सांस ली और धीरे से रामू के कच्छे की ओर हाथ बढ़ाया। उसकी उंगलियां कांप रही थीं, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। उसने धीरे से कच्छे का नाड़ा खींचा, और वह नीचे सरक गया। रामू का तना हुआ लिंग अब पूरी तरह सामने था, और पूजा शर्मा के मुंह से हैरानी भरी सिसकारी निकली, "हाय... ये..." उसकी आंखें चौड़ी हो गईं, और उसने अनायास ही कहा, "इतना बड़ा..." रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, क्या हुआ? आप तो ऐसे कर रही हो, जैसे किसी का लंड पहली बार देख रही हो।" उसकी आवाज में भोलापन था, लेकिन उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे पर टिकी थीं।
पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "रामू भाई, इतना बड़ा तो मैंने पहली बार ही देखा है।" उसका चेहरा शरम से लाल था, लेकिन वह इस अनुभव में डूब चुकी थी। रामू ने भोलेपन से पूछा, "मैडम, साहब का भी तो ऐसा ही होगा, ना?" पूजा शर्मा ने हंसते हुए कहा, "नहीं, रामू भाई। साहब का तो तुम्हारे... लिंग के सामने बहुत छोटा है। उनका तो लंड है, लेकिन तुम्हारा... ये लंड नहीं, लोड़ा है।" उसकी आवाज में शरारत थी, और वह जानबूझकर रामू को और बेचैन कर रही थी। रामू की आंखें चमक उठीं। उसने ख़ुशी से कहा, "मैडम, आप इसे प्यार करो। सुबह से ये मुझे परेशान कर रहा है।"


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