14-09-2025, 06:24 PM
(This post was last modified: 21-09-2025, 01:29 PM by mike_kite56. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
Part 4: CONT'D
तीनो नीच मर्द अब हद से ज्यादा बेचैन थे, उनके लंड और तनकर फटने को तैयार, जैसे इतनी गोरी औरत कभी न मिली हो। इतनी बड़े घर की गोरी, स्वादिष्ट औरत उनकी निजी नंगी औरत बनने को तैयार थी—कहाँ उनकी गलियों की काली-पीली, बदसूरत औरतें, और यहाँ ये इतनी गोरी, गुदाज़, स्वादिष्ट औरत। तीनों और करीब से टीचर को घेरते हैं, अब उनके हाइट का फर्क साफ नजर आ रहा है—इनके माथे उस टीचर के मम्मों तक ही आ रहे हैं, जैसे नीचे से उन फूले हुए, तने मम्मों को घूरते हुए, आँखें फाड़े, पसीने से लथपथ। वो बेहद अश्लील बातें बोलकर टीचर से अपनी जांघें नंगी करने को कहते हैं, उनकी आवाजें ठरक से भरी।
**पहला मर्द**: *(लंड को जोर से मसलते हुए आवाज़ में ठरक)* ए, जांघें नंगी कर! तेरी दूधिया जांघें!
**दूसरा मर्द**: *(मुँह से लार टपकाते, लंड को हवा में हिलाते, देहाती लहजे में)* हाँ, मैडम, साड़ी ऊपर कर!! इतनी गोरी जांघें!
**तीसरा मर्द**: *(कमर आगे कर, लंड को टीचर की तरफ रगड़ने की कोशिश में, ठरक से चेहरा लाल)* ए! जांघें फैला, हमारा काला लंड तेरी गोरी चमड़ी पर घिसने दे!
टीचर झुकती है, अपना चेहरा सामने वाले नीच मर्द के चेहरे के पास लाती है, उसकी साँसें गर्म, आँखें ठरक से चमक रही हैं। वो हवस से पूछती है, आवाज़ में वो खनक जो मर्दों को और पागल बनाती है।
**टीचर**: *(होंठ कांपते हुए, आँखें आधी बंद, ठरक भरी आवाज़ में)* क्या करोगे मेरे साथ?
वो नीच मर्द अपना घिनौना, काला जीभ निकालकर उसके होंठों पर एक चाटन देता है, और घिनौनी नजर से देखकर बोलता है।
**सामने वाला मर्द**: *(जीभ चाटते हुए, आँखें लाल, ठरक से आवाज़ कांपती)* हमारा लंड तेरी नंगी जांघों पर मलेंगे! तेरी चमड़ी पर घिस-घिसकर माल छोड़ेंगे!
टीचर की आँखें आधी बंद हो जाती हैं, वो दाँत पीसते हुए गले की गहराई से "उम्म्म" की आवाज निकालती है, उसकी कमर हल्की सी मटकती है, मम्मे ब्लाउज में थोड़े से हिलते हैं। फिर वो धीरे से घुटनों से अपनी साड़ी पकड़ती है, उंगलियाँ कांपती हुई, साड़ी को कसके ऊपर उठाती है, और अपनी दूधिया, मुलायम, मांसल जांघों को मदरजात नंगा कर देती है—जांघें हद से ज़्यादा गोरी, गुदाज़ और गद्देदार।
साइड के दो नीच मर्द के मुँह से हवस वाली चीख निकल पड़ती है—"ए! ए!"—और दोनों दाएँ-बाएँ से टीचर की हद से ज़्यादा गोरी कमर को हाथों से पकड़कर दबाते हैं, उनके गंदे, खुरदरे हाथ टीचर की गोरी कमर पर धंसते हैं, और नीचे उसकी नंगी जांघों पर अपना लंड मलने लगते हैं, लंड चिपचिपे, गर्म, जांघों पर घिसते हुए, माल की बूँदें लगाती हुई। टीचर बेहद घिनौनी आवाजें निकालती है—"आआह्ह्ह!" "आआह्ह्ह!"—उसका बदन कसमसा रहा है, कमर आगे-पीछे हिल रही है।
सामने वाला नीच मर्द पागल हो जाता है, नीचे झुकता है, आँखें बड़ी-बड़ी करके कसके टीचर की साड़ी के अंदर झांकता है, उसकी चूत की झलक देखने की कोशिश में। वो उठता है, फट से टीचर के पीछे जाता है, झुकता है, और टीचर की जांघों के पीछले मुलायम मांस को हाथों से मलता है, जैसे गूँथ रहा हो, और घिनौने तरीके से टीचर के नंगे, फूले हुए, हद से ज्यादा गोरे चूतड़ों का मुलायम मांस मुँह में भरकर चूसता है।
साइड वाले नीच मर्द टीचर की नंगी गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते, बूरी तरह से घना, सफेद मालपानी उड़ेल देते हैं, कम से कम आधा मग भरकर मालपानी उड़ेलते हैं। टीचर की गोरी, नंगी जांघों के साइड पर पूरा सफेद मालपानी फैल जाता है, घनापन की वजह से ज्यादा टपकता नहीं, बस चिपक जाता है। पीछे वाला बूरी तरह से टीचर की नंगी गांड खा रहा होता है, उसके मुँह से घिनौनी आवाजें, जैसे चटखारे ले रहा हो।
तभी टॉयलेट के बाहर से चिल्लाने की आवाज आती है—"ओए, क्या कर रहा है!!"
टॉयलेट के बाहर गाँडू आवाज सुनकर भागने को होता है, उसके पैर फिसलते हैं, कीचड़ में, वो पास की कॉलेज की दीवार की तरफ भागने को होता है कि तभी कॉलेज के दो गार्ड उसे पकड़ लेते हैं, उनके हाथ गाँडू की बनियान पर कस जाते हैं, गाँडू छटपटाता है, लेकिन भाग नहीं पाता। अंदर तीनों नीच मर्द टॉयलेट के क्यूबिकल्स में चुप जाते हैं, दरवाजे बंद करके, साँसें रोककर। टीचर अपनी साड़ी ठीक करती है, जांघों पर मालपानी को साड़ी से पोंछती है, चेहरा लाल, साँसें तेज, और तेजी से टॉयलेट के बाहर चली जाती है, उसके कूल्हे मटकते हुए, वो पतली गली से निकल लेती है, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
तीनो नीच मर्द अब हद से ज्यादा बेचैन थे, उनके लंड और तनकर फटने को तैयार, जैसे इतनी गोरी औरत कभी न मिली हो। इतनी बड़े घर की गोरी, स्वादिष्ट औरत उनकी निजी नंगी औरत बनने को तैयार थी—कहाँ उनकी गलियों की काली-पीली, बदसूरत औरतें, और यहाँ ये इतनी गोरी, गुदाज़, स्वादिष्ट औरत। तीनों और करीब से टीचर को घेरते हैं, अब उनके हाइट का फर्क साफ नजर आ रहा है—इनके माथे उस टीचर के मम्मों तक ही आ रहे हैं, जैसे नीचे से उन फूले हुए, तने मम्मों को घूरते हुए, आँखें फाड़े, पसीने से लथपथ। वो बेहद अश्लील बातें बोलकर टीचर से अपनी जांघें नंगी करने को कहते हैं, उनकी आवाजें ठरक से भरी।
**पहला मर्द**: *(लंड को जोर से मसलते हुए आवाज़ में ठरक)* ए, जांघें नंगी कर! तेरी दूधिया जांघें!
**दूसरा मर्द**: *(मुँह से लार टपकाते, लंड को हवा में हिलाते, देहाती लहजे में)* हाँ, मैडम, साड़ी ऊपर कर!! इतनी गोरी जांघें!
**तीसरा मर्द**: *(कमर आगे कर, लंड को टीचर की तरफ रगड़ने की कोशिश में, ठरक से चेहरा लाल)* ए! जांघें फैला, हमारा काला लंड तेरी गोरी चमड़ी पर घिसने दे!
टीचर झुकती है, अपना चेहरा सामने वाले नीच मर्द के चेहरे के पास लाती है, उसकी साँसें गर्म, आँखें ठरक से चमक रही हैं। वो हवस से पूछती है, आवाज़ में वो खनक जो मर्दों को और पागल बनाती है।
**टीचर**: *(होंठ कांपते हुए, आँखें आधी बंद, ठरक भरी आवाज़ में)* क्या करोगे मेरे साथ?
वो नीच मर्द अपना घिनौना, काला जीभ निकालकर उसके होंठों पर एक चाटन देता है, और घिनौनी नजर से देखकर बोलता है।
**सामने वाला मर्द**: *(जीभ चाटते हुए, आँखें लाल, ठरक से आवाज़ कांपती)* हमारा लंड तेरी नंगी जांघों पर मलेंगे! तेरी चमड़ी पर घिस-घिसकर माल छोड़ेंगे!
टीचर की आँखें आधी बंद हो जाती हैं, वो दाँत पीसते हुए गले की गहराई से "उम्म्म" की आवाज निकालती है, उसकी कमर हल्की सी मटकती है, मम्मे ब्लाउज में थोड़े से हिलते हैं। फिर वो धीरे से घुटनों से अपनी साड़ी पकड़ती है, उंगलियाँ कांपती हुई, साड़ी को कसके ऊपर उठाती है, और अपनी दूधिया, मुलायम, मांसल जांघों को मदरजात नंगा कर देती है—जांघें हद से ज़्यादा गोरी, गुदाज़ और गद्देदार।
साइड के दो नीच मर्द के मुँह से हवस वाली चीख निकल पड़ती है—"ए! ए!"—और दोनों दाएँ-बाएँ से टीचर की हद से ज़्यादा गोरी कमर को हाथों से पकड़कर दबाते हैं, उनके गंदे, खुरदरे हाथ टीचर की गोरी कमर पर धंसते हैं, और नीचे उसकी नंगी जांघों पर अपना लंड मलने लगते हैं, लंड चिपचिपे, गर्म, जांघों पर घिसते हुए, माल की बूँदें लगाती हुई। टीचर बेहद घिनौनी आवाजें निकालती है—"आआह्ह्ह!" "आआह्ह्ह!"—उसका बदन कसमसा रहा है, कमर आगे-पीछे हिल रही है।
सामने वाला नीच मर्द पागल हो जाता है, नीचे झुकता है, आँखें बड़ी-बड़ी करके कसके टीचर की साड़ी के अंदर झांकता है, उसकी चूत की झलक देखने की कोशिश में। वो उठता है, फट से टीचर के पीछे जाता है, झुकता है, और टीचर की जांघों के पीछले मुलायम मांस को हाथों से मलता है, जैसे गूँथ रहा हो, और घिनौने तरीके से टीचर के नंगे, फूले हुए, हद से ज्यादा गोरे चूतड़ों का मुलायम मांस मुँह में भरकर चूसता है।
साइड वाले नीच मर्द टीचर की नंगी गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते, बूरी तरह से घना, सफेद मालपानी उड़ेल देते हैं, कम से कम आधा मग भरकर मालपानी उड़ेलते हैं। टीचर की गोरी, नंगी जांघों के साइड पर पूरा सफेद मालपानी फैल जाता है, घनापन की वजह से ज्यादा टपकता नहीं, बस चिपक जाता है। पीछे वाला बूरी तरह से टीचर की नंगी गांड खा रहा होता है, उसके मुँह से घिनौनी आवाजें, जैसे चटखारे ले रहा हो।
तभी टॉयलेट के बाहर से चिल्लाने की आवाज आती है—"ओए, क्या कर रहा है!!"
टॉयलेट के बाहर गाँडू आवाज सुनकर भागने को होता है, उसके पैर फिसलते हैं, कीचड़ में, वो पास की कॉलेज की दीवार की तरफ भागने को होता है कि तभी कॉलेज के दो गार्ड उसे पकड़ लेते हैं, उनके हाथ गाँडू की बनियान पर कस जाते हैं, गाँडू छटपटाता है, लेकिन भाग नहीं पाता। अंदर तीनों नीच मर्द टॉयलेट के क्यूबिकल्स में चुप जाते हैं, दरवाजे बंद करके, साँसें रोककर। टीचर अपनी साड़ी ठीक करती है, जांघों पर मालपानी को साड़ी से पोंछती है, चेहरा लाल, साँसें तेज, और तेजी से टॉयलेट के बाहर चली जाती है, उसके कूल्हे मटकते हुए, वो पतली गली से निकल लेती है, जैसे कुछ हुआ ही न हो।


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