14-09-2025, 06:14 PM
जैसा कि आप को मालूम है कि दयाराम ने अपनी बहू खुशबू की 25 - 30 दिन तक लगातार उसकी जोरदार पेलाई किया। अब आगे.......
मयंक का गोदाम का सारा काम होने के बाद वह एक महीने बाद वह कोलकाता आपस पहुंचा आया उसके आने से खुशबू की जिंदगी में वही निराशा वापसी लैट आया। मयंक के कोलकाता वापस आने के दो-तीन बाद उसके माता-पिता वापस अपने गांव चले गए।
खुशबू फिर से वही पुरानी दिनचर्या वाली जिंदगी जीने लागी ।
खुशबू एक दिन सवेरे - सवेरे ओफिस के लिए निकल गई जब वह ओफिस पहुंच तो श्री सिन्हा उसे देखकर खुश थे क्योंकि खुशबू एक महीने बाद ओफिस आ रही थी। श्री सिन्हा द्वारा उससे एक सुचना दी गई कि हेड ओफिस की तरफ से एक बॉक्सिंग का मैच रखा गया हैं , जिसमें ओफिस की सारी महिला कर्मचारी के पति और ओफिस के पुरूष कर्मचारी के बीच मैच होगा और जो जीतेगा उससे एक असली मर्द होने का सम्मान मिलेगा और एक अच्छा कर्मचारी होने का सम्मान मिलेगा यह बॉक्सिंग अगले सप्ताह के रविवार को ओफिस के नजदीक टाऊन हॉल में आयोजित किया जाएगा।
शाम को खुशबू घर पहुंची और मयंक के वह बात बताई तो मयंक ने बॉक्सिंग मैच में भाग लेने हामी भर दी । उसने श्री सिन्हा को यह सूचना दी ।
एक सप्ताह बाद........
मैच का दिन आ चुका था, और यह एक एकांत स्थान पर रखा गया था – एक पुराना जिम, जो ओफिस के पास एक सुनसान गली में स्थित था। वहाँ सिर्फ कुछ कर्मचारी ही मौजुद थे । रिया, जो मेरी सबसे करीबी दोस्त थी और ओफिस की बेहतरीन सुपरएडवाइजर भी, ने रेफरी के रूप में अपनी जिम्मेदारी ली थी।
फिर, थोड़ी देर में रिया ने इशारा किया और मुकाबला शुरू हो गया।
देखते-देखते दौरान 5 रांउड हो गया था अब 6 रांउड की बारी थी 6 रांउड में मयंक और श्री सिन्हा की बारी आई।
एक तरफ मयंक था—मेरा पति।
दूसरी तरफ श्री सिन्हा था—मेरा वर्तमान प्यार । उसका गुस्सा, उसकी हठ, और मुझे लेकर उसकी दीवानगी मुझे यह एहसास कराती थी कि वह भी मुझे पूरी तरह से अपना बनाना चाहता था।
मैच चालु होने से पहले रिया ने मुझे से एक सवाल पुछा आप इस दोनों में से किनकी सपोर्ट में है।
तो मेरे दिल और दिमाग में जैसे जंग छिड़ गई। मैं पूरी तरह से उलझन में थी। उनकी लड़ाई मेरे सामने हो रही थी, और मैं चाहकर भी इसे रोकने में असमर्थ थी
अगर मैं श्री सिन्हा का साथ देती, तो मयंक की नज़रों में मैं और गिर जाती। और अगर मैं मयंक का साथ देती, तो श्री सिन्हा के साथ मेरा रिश्ता हमेशा के लिए टूट जाता।
मैं चाहती थी कि यह लड़ाई रुक जाए, लेकिन मुझे पता था कि अगर मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो बात और बिगड़ सकती थी।
फिर मैंने रिया से कहा, “मैं किसी की सपोर्ट में नहीं खड़ी हो सकती। यह फैसला अब उनके हाथ में है। मुझे इस चुनौती को होने देना होगा,"
मेरी बात सुनकर दोनों की आँखों में अलग-अलग भाव थे— श्री सिन्हा के चेहरे पर एक अजीब सा आत्मविश्वास और जिद थी, जबकि मयंक की आँखों में एक जोश का तूफान।
अब यह लड़ाई सिर्फ एक मैच नहीं थी। यह मेरे भविष्य और मेरे रिश्ते का फैसला करने वाला पल था।
राउंड 6 :
पहला राउंड शुरू होते ही दोनों ने एक-दूसरे पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए। मयंक ने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए एक तेज़ मुक्का मारा, जो सीधे श्री सिन्हा के चेहरे पर लगा। श्री सिन्हा ने उसे झटकते हुए जवाब दिया, और मयंक के लंड के ऊपर वाले हिस्से पर एक जोरदार घूंसा मारा, जिससे मयंक थोड़ा पीछे हटा। लेकिन वह जल्दी संभलते हुए, श्री सिन्हा की ओर फिर से बढ़ा और एक और तगड़ा मुक्का मार दिया, जो श्री सिन्हा के गाल पर लगा। फिर एक सिटी बजी और 6 रांउड सम्पूर्ण हुआ।
राउंड 7 :
अब दोनों और भी ताकत से लड़ रहे थे। श्री सिन्हा ने अपनी लंबाई का फायदा उठाते हुए मयंक को एक सीधा पंच मारा, जो उसके चेहरे पर लगा और मयंक थोड़ी देर के लिए असंतुलित हुआ। लेकिन मयंक ने कोई समय नहीं गंवाया, उसने तुरंत पलटवार किया और श्री सिन्हा की गांड़ पर एक जोरदार लात मारी, जिससे श्री सिन्हा हिलते हुए गिरने से बचा।
मेरी आँखें दोनों पर थीं। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं दोनों के बीच फंसी हुई हूँ, और हर मुक्का जैसे मेरे दिल पर एक और निशान छोड़ रहा था।
राउंड 8 (आखिरी राउंड):
यह राउंड निर्णायक साबित होने वाला था। दोनों की हालत खराब हो रही थी, वे थक चुके थे, लेकिन उनके चेहरे पर जीत की चाहत साफ झलक रही थी। मयंक ने फिर से एक ताकतवर पंच मारा, जो श्री सिन्हा के चेहरे पर पूरी ताकत से लगा और वह गिरते-गिरते संभल गया। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं, लेकिन वह फिर भी लड़ने के लिए खड़ा हुआ।
श्री सिन्हा ने अपनी पूरी ताकत इकट्ठा की और मयंक के चेहरे पर एक जोरदार पंच मारा। मयंक इस बार संतुलन खोकर और गिर पड़ा।
रिया ने तुरंत कदम बढ़ाए और मुकाबला रोका। “यह काफी हो चुका,” रिया ने कहा, और उसने बिना देर किए, श्री सिन्हा का हाथ ऊपर उठाया, उसे विजेता घोषित किया।
जब रिया ने श्री सिन्हा का हाथ ऊपर उठाया, मेरा दिल तड़प उठा। मेरी आँखें सिर्फ एक ही दिशा में थीं – मयंक की तरफ। वो जमीन पर गिरा हुआ था, अपनी पूरी ताकत लगा चुका था, लेकिन फिर भी हार चुका था। उसकी आँखों में जो निराशा था, वह मुझे अंदर तक चीर रहा था। वह हमेशा मेरे पास खड़ा था, जब मुझे उसकी जरूरत थी। वह मेरा पति था, जो मेरी खुशी और दुख दोनों में हमेशा साथ था।
श्री सिन्हा और अन्य कर्मचारी ने मिलकर मयंक को उठाया और मेरी केविन के सोफे पर लिटा दिया और श्री सिन्हा ने मुझे मुस्कराकर देखा । मैं समझ गई थी कि मुझे अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे । मैंने बिना कुछ बोले ही अपनी कपड़े को उतारना शुरू किया और जल्द ही वह मेरे हाथ में थी।
मेरा टॉप अब पूरी तरह से उतर चुका था, और मेरी गहरी लाल रंग की ब्रा मेरे बदन पर आकर्षक लग रही थी।
मैंने अपना टॉप उतारकर केविन के फ्लोर पर रख दिया और फिर मैंने अपने शॉर्ट्स के बटन खोलने शुरू कर दिए।
मैंने अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचना शुरू किया और वे मेरी मखमली कमर से सरकते हुए नीचे ज़मीन पर गिर गए।
मैं सिर्फ ब्रा पैंटी में रह गयी।
मेरी ब्रा में मेरे 34″ के गोल मटोल बूब्स आधे से ज्यादा उभरे हुए थे, जैसे कि वे बाहर निकलने के लिए उत्सुक थे। और मेरी पैंटी मेरे शरीर की गर्मी को छुपाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह मेरे यौवन की गर्मी को और भी ज्यादा आकर्षक बना रही थी।
श्री सिन्हा की आँखें बड़ी हो गई थीं और वह मुझे देखकर मुस्करा रहा था। श्री सिन्हा बहुत खुश हुआ और बोला- खुशबू बेबी, बचे हुए कपड़े भी उतार दे! अपने यौवन के दर्शन करवा दे।
मैंने नज़र झुकाई और अपना हाथ पीछे लेकर गई और ब्रा का हुक खोल दिया।
मेरी ब्रा लूज़ हो गयी और नीचे को लटक गयी।
मैंने अपने दोनों कंधों से ब्रा उतार कर टेबल के पास रख दी।
मेरे रस भरे बूब्स एकदम श्री सिन्हा के सामने थे। मेरे गुलाबी निप्पल अब तक खड़े हो चुके थे।
फिर मैंने अपने दोनों हाथ पैंटी के अंदर डाले और पैंटी को मेरी चिकनी जांघों के बीच में से खींचते हुए नीचे झुक कर मेरे पैरों तक ले आयी।
मैंने पैंटी भी उतार दी।
अब इस वक़्त मैं मयंक के हारने की वजह से अपने बॉस बॉयफ़्रेंड श्री सिन्हा के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हुई थी।
मेरे बदन पर एक भी बाल नहीं था, शीशे की तरह मेरा बदन चमक रहा था।
मैंने अपनी चूत पर एक सिल्वर छल्ला पहनी हुआ थी जो कि मयंक ने मुझे गुजरात से आने के बाद एक हफ्ते पहले पहनाया था।
चुदने से पहले मैं वो बाली उतारती हूं। मेरी चूत एकदम चिपकी हुई थी।
श्री सिन्हा ने मेरी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा- बेबी, ये क्या पहना हुआ है तुमने?
मैंने कुछ नहीं बोला।
मै बिल्कुल नंगी खड़ी हुई थी। मेरे बाल खुले हुए थे जो कि मेरी आधी कमर तक आ रहे थे।
लाल रंग की लिपस्टिक से मेरे होंठ रस भरी स्ट्रॉबेरी की तरह रसीले हो रहे थे।
मैंने पूरा मेकअप किया हुआ था और मेरी चूत में जो मैंने बाली पहनी हुई थी वो तो मेरे बदन को और चार चाँद लगा रही थी।
वो बाली मुझे और ज्यादा चुदक्कड़ साबित करने में लगी हुई थी।
मुझे बहुत अजीब लग रहा था, मयंक तो अभी सोफे पर बेहोश में था।
मैं उसका चेहरा भी नहीं देख सकती थी, मुझे रोना आ रहा था। जिससे मुझे और भी अजीब लग रहा था।
मेरे पैर कांपने लगे थे, और मयंक बेहोश पडा़ था। मुझे समझ आ गया था कि अब मेरी चुदाई होने वाली है जमकर … श्री सिन्हा से।
यह सोचकर मुझे और भी अजीब लग रहा था, और मैं नहीं जानती थी कि मैं क्या करूँ।
श्री सिन्हा ने मेरे सारे कपड़े उठाकर मयंक के ऊपर फेंक दिए। फिर उसने मुझे अपने पास बैठने के लिए कहा। मैं नंगधड़ंग उसके पास बैठ गई। हालांकि मुझे मयंक के लिए बुरा लग रहा था, लेकिन अब मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा और मेरी चूत में कुछ होने लगा।
श्री सिन्हा ने मुझे अपनी ओर खींच लिया और हम दोनों पास आ गए। हम दोनों के बीच सिर्फ एक से दो इंच का फासला था। हम दोनों की सांसें एक दूसरे से टकरा रही थीं।
श्री सिन्हा ने मेरे बालों को फिर से मेरे कान के पीछे किया और बोला, “मेरी आँखों में देखो।” । मैं उसकी आँखों में देखने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मेरी आँखें झुक गईं।
श्री सिन्हा बोला, “खुशबू , तू परेशान मत हो। मैं तुझे कुछ नहीं करने वाला। यह सब तेरे पति मयंक को सबक सिखाने के लिए किया था। उसे अपने बारे में बहुत ज्यादा घमंड है। मैं बस उसे थोड़ा नीचा दिखाना चाहता था।
लेकिन असल में, मैं तुझे कुछ और भी जानना चाहता था। मैं देखना चाहता था कि क्या मैं तेरे लिए सही हूँ। तू मुझे सच में प्यार करती है या नहीं। मैं तुझे खोना नहीं चाहता, इसलिए मैं यह सब जानना चाहता था।”
उनकी यह बात सुनकर मैं दंग रह गई। मैं सोच रही थी कि कोई ऐसा कैसे कर सकता है?
एक जवान लड़की नंगी खड़ी है उसके सामने और वो कुछ नहीं करना चाहता! मुझे खुद समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हुआ?
श्री सिन्हा ने मुझसे बोला, “तुम आराम करो, मैं जाता हूं।” वो मुड़कर जाने लगे। मैं अभी भी हैरान थी और समझ नहीं पा रही थी कि क्या हो रहा है।
वो केविन से बाहर निकला ही था कि मुझे न जाने क्या हुआ … मैं भागी और जाकर उसकी पीठ से लिपट गई। अब मैं खुद चाह रही थी कि श्री सिन्हा मुझे चोदे।
श्री सिन्हा बोले, “खुशबू, ये क्या कर रही हो? यह सही नहीं है। मैं तुम्हारे साथ ऐसा नहीं कर सकता। अभी हमारा रिश्ता नया है, हमें धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए।”
श्री सिन्हा और मै दोनों ही कन्फ्यूजन में थे तभी , मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी भीगी हुई चूत पर रख दिया जो कि भट्टी की तरह एकदम गर्म हो चुकी थी।
श्री सिन्हा का चेहरा बच्चे की तरह खिल गया । मैं समझ गई कि अब ठुकाई के लिए मुझे तैयार होना है।
श्री सिन्हा ने मुस्कराते हुए मुझे अपनी बांहों में उठाया और उसी जगह पर ले जाकर पटक दिया जहां मयंक बेहोश पड़ा था।
श्री सिन्हा मेरे ऊपर चढ़ गया। मैंने श्री सिन्हा को अपनी बांहों में भर लिया और मैंने उसके चेहरे और जिस्म पर मेरे गुलाबी होंठों से चुम्बनों की झड़ी लगा दी।
मैं उसे पागलों की तरह उसके माथे पर, उसके गालों पर चूमे जा रही थी और मेरा एक हाथ उसके बालों को सहला रहा था। श्री सिन्हा ने मेरे होंठों पर किस करते हुए मुझसे कहा- खुशबू , तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हारा बदन किसी जलपरी की तरह भरा हुआ है तुम्हारे यह गोल मटोल तने हुए बूब्स तुम्हारी सुंदरता को और बढ़ाते हैं।
इस पर मैंने भी कहा- श्री सिन्हा , आज ये वक़्त तेरा है। तू मुझे महका दे। मुझे बहका दे। मेरे सपनों को हकीकत में बदल दे और मेरी जिस्म की प्यास मिटा दे, जिसके लिए मैं इतने दिनों से तड़प रही हूं। मेरा अधूरा प्यार पूरा कर दे तू! आज के लिए मैं सिर्फ और सिर्फ तेरी हूं।
मेरा बदन पहले से ही कसा हुआ था। मेरी गांड, मेरे चूचे, मेरी कमर पर बाल, मेरी बाजुएं सब कुछ … जिसकी वजह से मैं सुंदरता की धनी पहले से ही थी।
श्री सिन्हा की बांहों में मेरी जवानी सिमटी हुई थी। उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में दबोच रखा था।
मेरे बदन के हर अंग से सुंदरता का अमृत टपक रहा था। जो परफ्यूम मैंने लगाया हुआ था उसकी वजह से हम दोनों की सांसें भी महक उठी थीं।
श्री सिन्हा ने अपने होंठ मेरे भरे हुए रसीले होंठों पर रखे और उनसे बूंद-बूंद करके अमृत चूसने की कोशिश करने लगा।
मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी। श्री सिन्हा के दोनों हाथ मेरे बूब्स के साथ खेलना शुरू हो गए थे।
उसकी उंगलियों का स्पर्श मेरी निप्पलों को सख्त होने पर मजबूर कर रहा था।
वो अपने नाखूनों से मेरे निप्पलों पर नोंच रहा था जो कि मुझे और कामुकता पर ले जा रही थी।
उसकी यह कला इतनी मादक थी कि मैं उसकी बांहों में बिन पानी मछली की तरह मचलने लगी जिसका वो फायदा उठा रहा था।
दोनों महकते हुए बदनों के बीच अब गर्मी पैदा होना शुरू हो गई थी। हमारा बदन पसीने की बूंदों से भीगना शुरू हो गया था; हम दोनों की आँखों में सिर्फ वासना के डोरे पड़े हुए थे।
हम दोनों बस एक दूसरे की प्यास बुझाने में लीन थे। हमारी चूमा चाटी को चलते हुए 10 मिनट हो चुके थे।
श्री सिन्हा मेरे बूब्स पर आ गया और अपने बड़े बड़े हाथों को मेरे बूब्स पर रख कर उन्हें पुरजोर तरीके से मसलने लगे।
मैं आह भरने लगी थी और सिसकारियाँ निकालने लगी।
मैंने अपने नाजुक से होंठों को अपने दांतों के बीच दबाया और उन्हें कटाने लगी।
हम दोनों की कामुकता एक अलग ही तूफ़ान ला चुकी थी
अब तक श्री सिन्हा मेरे बूब्स पर आकर मेरे निप्पल्स को चूसने लगा और मेरे बूब्स दबाने लगा।
श्री सिन्हा मेरे निप्पलों को इस तरह चूसने लगा जैसे दूध ही निकाल देगा और मेरे बूब्स को मसलने लगा ।
मैंने भी बेड पर उसे अपने जिस्म में समेट रखा था।
मयंक का गोदाम का सारा काम होने के बाद वह एक महीने बाद वह कोलकाता आपस पहुंचा आया उसके आने से खुशबू की जिंदगी में वही निराशा वापसी लैट आया। मयंक के कोलकाता वापस आने के दो-तीन बाद उसके माता-पिता वापस अपने गांव चले गए।
खुशबू फिर से वही पुरानी दिनचर्या वाली जिंदगी जीने लागी ।
खुशबू एक दिन सवेरे - सवेरे ओफिस के लिए निकल गई जब वह ओफिस पहुंच तो श्री सिन्हा उसे देखकर खुश थे क्योंकि खुशबू एक महीने बाद ओफिस आ रही थी। श्री सिन्हा द्वारा उससे एक सुचना दी गई कि हेड ओफिस की तरफ से एक बॉक्सिंग का मैच रखा गया हैं , जिसमें ओफिस की सारी महिला कर्मचारी के पति और ओफिस के पुरूष कर्मचारी के बीच मैच होगा और जो जीतेगा उससे एक असली मर्द होने का सम्मान मिलेगा और एक अच्छा कर्मचारी होने का सम्मान मिलेगा यह बॉक्सिंग अगले सप्ताह के रविवार को ओफिस के नजदीक टाऊन हॉल में आयोजित किया जाएगा।
शाम को खुशबू घर पहुंची और मयंक के वह बात बताई तो मयंक ने बॉक्सिंग मैच में भाग लेने हामी भर दी । उसने श्री सिन्हा को यह सूचना दी ।
एक सप्ताह बाद........
मैच का दिन आ चुका था, और यह एक एकांत स्थान पर रखा गया था – एक पुराना जिम, जो ओफिस के पास एक सुनसान गली में स्थित था। वहाँ सिर्फ कुछ कर्मचारी ही मौजुद थे । रिया, जो मेरी सबसे करीबी दोस्त थी और ओफिस की बेहतरीन सुपरएडवाइजर भी, ने रेफरी के रूप में अपनी जिम्मेदारी ली थी।
फिर, थोड़ी देर में रिया ने इशारा किया और मुकाबला शुरू हो गया।
देखते-देखते दौरान 5 रांउड हो गया था अब 6 रांउड की बारी थी 6 रांउड में मयंक और श्री सिन्हा की बारी आई।
एक तरफ मयंक था—मेरा पति।
दूसरी तरफ श्री सिन्हा था—मेरा वर्तमान प्यार । उसका गुस्सा, उसकी हठ, और मुझे लेकर उसकी दीवानगी मुझे यह एहसास कराती थी कि वह भी मुझे पूरी तरह से अपना बनाना चाहता था।
मैच चालु होने से पहले रिया ने मुझे से एक सवाल पुछा आप इस दोनों में से किनकी सपोर्ट में है।
तो मेरे दिल और दिमाग में जैसे जंग छिड़ गई। मैं पूरी तरह से उलझन में थी। उनकी लड़ाई मेरे सामने हो रही थी, और मैं चाहकर भी इसे रोकने में असमर्थ थी
अगर मैं श्री सिन्हा का साथ देती, तो मयंक की नज़रों में मैं और गिर जाती। और अगर मैं मयंक का साथ देती, तो श्री सिन्हा के साथ मेरा रिश्ता हमेशा के लिए टूट जाता।
मैं चाहती थी कि यह लड़ाई रुक जाए, लेकिन मुझे पता था कि अगर मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो बात और बिगड़ सकती थी।
फिर मैंने रिया से कहा, “मैं किसी की सपोर्ट में नहीं खड़ी हो सकती। यह फैसला अब उनके हाथ में है। मुझे इस चुनौती को होने देना होगा,"
मेरी बात सुनकर दोनों की आँखों में अलग-अलग भाव थे— श्री सिन्हा के चेहरे पर एक अजीब सा आत्मविश्वास और जिद थी, जबकि मयंक की आँखों में एक जोश का तूफान।
अब यह लड़ाई सिर्फ एक मैच नहीं थी। यह मेरे भविष्य और मेरे रिश्ते का फैसला करने वाला पल था।
राउंड 6 :
पहला राउंड शुरू होते ही दोनों ने एक-दूसरे पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए। मयंक ने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए एक तेज़ मुक्का मारा, जो सीधे श्री सिन्हा के चेहरे पर लगा। श्री सिन्हा ने उसे झटकते हुए जवाब दिया, और मयंक के लंड के ऊपर वाले हिस्से पर एक जोरदार घूंसा मारा, जिससे मयंक थोड़ा पीछे हटा। लेकिन वह जल्दी संभलते हुए, श्री सिन्हा की ओर फिर से बढ़ा और एक और तगड़ा मुक्का मार दिया, जो श्री सिन्हा के गाल पर लगा। फिर एक सिटी बजी और 6 रांउड सम्पूर्ण हुआ।
राउंड 7 :
अब दोनों और भी ताकत से लड़ रहे थे। श्री सिन्हा ने अपनी लंबाई का फायदा उठाते हुए मयंक को एक सीधा पंच मारा, जो उसके चेहरे पर लगा और मयंक थोड़ी देर के लिए असंतुलित हुआ। लेकिन मयंक ने कोई समय नहीं गंवाया, उसने तुरंत पलटवार किया और श्री सिन्हा की गांड़ पर एक जोरदार लात मारी, जिससे श्री सिन्हा हिलते हुए गिरने से बचा।
मेरी आँखें दोनों पर थीं। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं दोनों के बीच फंसी हुई हूँ, और हर मुक्का जैसे मेरे दिल पर एक और निशान छोड़ रहा था।
राउंड 8 (आखिरी राउंड):
यह राउंड निर्णायक साबित होने वाला था। दोनों की हालत खराब हो रही थी, वे थक चुके थे, लेकिन उनके चेहरे पर जीत की चाहत साफ झलक रही थी। मयंक ने फिर से एक ताकतवर पंच मारा, जो श्री सिन्हा के चेहरे पर पूरी ताकत से लगा और वह गिरते-गिरते संभल गया। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं, लेकिन वह फिर भी लड़ने के लिए खड़ा हुआ।
श्री सिन्हा ने अपनी पूरी ताकत इकट्ठा की और मयंक के चेहरे पर एक जोरदार पंच मारा। मयंक इस बार संतुलन खोकर और गिर पड़ा।
रिया ने तुरंत कदम बढ़ाए और मुकाबला रोका। “यह काफी हो चुका,” रिया ने कहा, और उसने बिना देर किए, श्री सिन्हा का हाथ ऊपर उठाया, उसे विजेता घोषित किया।
जब रिया ने श्री सिन्हा का हाथ ऊपर उठाया, मेरा दिल तड़प उठा। मेरी आँखें सिर्फ एक ही दिशा में थीं – मयंक की तरफ। वो जमीन पर गिरा हुआ था, अपनी पूरी ताकत लगा चुका था, लेकिन फिर भी हार चुका था। उसकी आँखों में जो निराशा था, वह मुझे अंदर तक चीर रहा था। वह हमेशा मेरे पास खड़ा था, जब मुझे उसकी जरूरत थी। वह मेरा पति था, जो मेरी खुशी और दुख दोनों में हमेशा साथ था।
श्री सिन्हा और अन्य कर्मचारी ने मिलकर मयंक को उठाया और मेरी केविन के सोफे पर लिटा दिया और श्री सिन्हा ने मुझे मुस्कराकर देखा । मैं समझ गई थी कि मुझे अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे । मैंने बिना कुछ बोले ही अपनी कपड़े को उतारना शुरू किया और जल्द ही वह मेरे हाथ में थी।
मेरा टॉप अब पूरी तरह से उतर चुका था, और मेरी गहरी लाल रंग की ब्रा मेरे बदन पर आकर्षक लग रही थी।
मैंने अपना टॉप उतारकर केविन के फ्लोर पर रख दिया और फिर मैंने अपने शॉर्ट्स के बटन खोलने शुरू कर दिए।
मैंने अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचना शुरू किया और वे मेरी मखमली कमर से सरकते हुए नीचे ज़मीन पर गिर गए।
मैं सिर्फ ब्रा पैंटी में रह गयी।
मेरी ब्रा में मेरे 34″ के गोल मटोल बूब्स आधे से ज्यादा उभरे हुए थे, जैसे कि वे बाहर निकलने के लिए उत्सुक थे। और मेरी पैंटी मेरे शरीर की गर्मी को छुपाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह मेरे यौवन की गर्मी को और भी ज्यादा आकर्षक बना रही थी।
श्री सिन्हा की आँखें बड़ी हो गई थीं और वह मुझे देखकर मुस्करा रहा था। श्री सिन्हा बहुत खुश हुआ और बोला- खुशबू बेबी, बचे हुए कपड़े भी उतार दे! अपने यौवन के दर्शन करवा दे।
मैंने नज़र झुकाई और अपना हाथ पीछे लेकर गई और ब्रा का हुक खोल दिया।
मेरी ब्रा लूज़ हो गयी और नीचे को लटक गयी।
मैंने अपने दोनों कंधों से ब्रा उतार कर टेबल के पास रख दी।
मेरे रस भरे बूब्स एकदम श्री सिन्हा के सामने थे। मेरे गुलाबी निप्पल अब तक खड़े हो चुके थे।
फिर मैंने अपने दोनों हाथ पैंटी के अंदर डाले और पैंटी को मेरी चिकनी जांघों के बीच में से खींचते हुए नीचे झुक कर मेरे पैरों तक ले आयी।
मैंने पैंटी भी उतार दी।
अब इस वक़्त मैं मयंक के हारने की वजह से अपने बॉस बॉयफ़्रेंड श्री सिन्हा के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हुई थी।
मेरे बदन पर एक भी बाल नहीं था, शीशे की तरह मेरा बदन चमक रहा था।
मैंने अपनी चूत पर एक सिल्वर छल्ला पहनी हुआ थी जो कि मयंक ने मुझे गुजरात से आने के बाद एक हफ्ते पहले पहनाया था।
चुदने से पहले मैं वो बाली उतारती हूं। मेरी चूत एकदम चिपकी हुई थी।
श्री सिन्हा ने मेरी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा- बेबी, ये क्या पहना हुआ है तुमने?
मैंने कुछ नहीं बोला।
मै बिल्कुल नंगी खड़ी हुई थी। मेरे बाल खुले हुए थे जो कि मेरी आधी कमर तक आ रहे थे।
लाल रंग की लिपस्टिक से मेरे होंठ रस भरी स्ट्रॉबेरी की तरह रसीले हो रहे थे।
मैंने पूरा मेकअप किया हुआ था और मेरी चूत में जो मैंने बाली पहनी हुई थी वो तो मेरे बदन को और चार चाँद लगा रही थी।
वो बाली मुझे और ज्यादा चुदक्कड़ साबित करने में लगी हुई थी।
मुझे बहुत अजीब लग रहा था, मयंक तो अभी सोफे पर बेहोश में था।
मैं उसका चेहरा भी नहीं देख सकती थी, मुझे रोना आ रहा था। जिससे मुझे और भी अजीब लग रहा था।
मेरे पैर कांपने लगे थे, और मयंक बेहोश पडा़ था। मुझे समझ आ गया था कि अब मेरी चुदाई होने वाली है जमकर … श्री सिन्हा से।
यह सोचकर मुझे और भी अजीब लग रहा था, और मैं नहीं जानती थी कि मैं क्या करूँ।
श्री सिन्हा ने मेरे सारे कपड़े उठाकर मयंक के ऊपर फेंक दिए। फिर उसने मुझे अपने पास बैठने के लिए कहा। मैं नंगधड़ंग उसके पास बैठ गई। हालांकि मुझे मयंक के लिए बुरा लग रहा था, लेकिन अब मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा और मेरी चूत में कुछ होने लगा।
श्री सिन्हा ने मुझे अपनी ओर खींच लिया और हम दोनों पास आ गए। हम दोनों के बीच सिर्फ एक से दो इंच का फासला था। हम दोनों की सांसें एक दूसरे से टकरा रही थीं।
श्री सिन्हा ने मेरे बालों को फिर से मेरे कान के पीछे किया और बोला, “मेरी आँखों में देखो।” । मैं उसकी आँखों में देखने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मेरी आँखें झुक गईं।
श्री सिन्हा बोला, “खुशबू , तू परेशान मत हो। मैं तुझे कुछ नहीं करने वाला। यह सब तेरे पति मयंक को सबक सिखाने के लिए किया था। उसे अपने बारे में बहुत ज्यादा घमंड है। मैं बस उसे थोड़ा नीचा दिखाना चाहता था।
लेकिन असल में, मैं तुझे कुछ और भी जानना चाहता था। मैं देखना चाहता था कि क्या मैं तेरे लिए सही हूँ। तू मुझे सच में प्यार करती है या नहीं। मैं तुझे खोना नहीं चाहता, इसलिए मैं यह सब जानना चाहता था।”
उनकी यह बात सुनकर मैं दंग रह गई। मैं सोच रही थी कि कोई ऐसा कैसे कर सकता है?
एक जवान लड़की नंगी खड़ी है उसके सामने और वो कुछ नहीं करना चाहता! मुझे खुद समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हुआ?
श्री सिन्हा ने मुझसे बोला, “तुम आराम करो, मैं जाता हूं।” वो मुड़कर जाने लगे। मैं अभी भी हैरान थी और समझ नहीं पा रही थी कि क्या हो रहा है।
वो केविन से बाहर निकला ही था कि मुझे न जाने क्या हुआ … मैं भागी और जाकर उसकी पीठ से लिपट गई। अब मैं खुद चाह रही थी कि श्री सिन्हा मुझे चोदे।
श्री सिन्हा बोले, “खुशबू, ये क्या कर रही हो? यह सही नहीं है। मैं तुम्हारे साथ ऐसा नहीं कर सकता। अभी हमारा रिश्ता नया है, हमें धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए।”
श्री सिन्हा और मै दोनों ही कन्फ्यूजन में थे तभी , मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी भीगी हुई चूत पर रख दिया जो कि भट्टी की तरह एकदम गर्म हो चुकी थी।
श्री सिन्हा का चेहरा बच्चे की तरह खिल गया । मैं समझ गई कि अब ठुकाई के लिए मुझे तैयार होना है।
श्री सिन्हा ने मुस्कराते हुए मुझे अपनी बांहों में उठाया और उसी जगह पर ले जाकर पटक दिया जहां मयंक बेहोश पड़ा था।
श्री सिन्हा मेरे ऊपर चढ़ गया। मैंने श्री सिन्हा को अपनी बांहों में भर लिया और मैंने उसके चेहरे और जिस्म पर मेरे गुलाबी होंठों से चुम्बनों की झड़ी लगा दी।
मैं उसे पागलों की तरह उसके माथे पर, उसके गालों पर चूमे जा रही थी और मेरा एक हाथ उसके बालों को सहला रहा था। श्री सिन्हा ने मेरे होंठों पर किस करते हुए मुझसे कहा- खुशबू , तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हारा बदन किसी जलपरी की तरह भरा हुआ है तुम्हारे यह गोल मटोल तने हुए बूब्स तुम्हारी सुंदरता को और बढ़ाते हैं।
इस पर मैंने भी कहा- श्री सिन्हा , आज ये वक़्त तेरा है। तू मुझे महका दे। मुझे बहका दे। मेरे सपनों को हकीकत में बदल दे और मेरी जिस्म की प्यास मिटा दे, जिसके लिए मैं इतने दिनों से तड़प रही हूं। मेरा अधूरा प्यार पूरा कर दे तू! आज के लिए मैं सिर्फ और सिर्फ तेरी हूं।
मेरा बदन पहले से ही कसा हुआ था। मेरी गांड, मेरे चूचे, मेरी कमर पर बाल, मेरी बाजुएं सब कुछ … जिसकी वजह से मैं सुंदरता की धनी पहले से ही थी।
श्री सिन्हा की बांहों में मेरी जवानी सिमटी हुई थी। उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में दबोच रखा था।
मेरे बदन के हर अंग से सुंदरता का अमृत टपक रहा था। जो परफ्यूम मैंने लगाया हुआ था उसकी वजह से हम दोनों की सांसें भी महक उठी थीं।
श्री सिन्हा ने अपने होंठ मेरे भरे हुए रसीले होंठों पर रखे और उनसे बूंद-बूंद करके अमृत चूसने की कोशिश करने लगा।
मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी। श्री सिन्हा के दोनों हाथ मेरे बूब्स के साथ खेलना शुरू हो गए थे।
उसकी उंगलियों का स्पर्श मेरी निप्पलों को सख्त होने पर मजबूर कर रहा था।
वो अपने नाखूनों से मेरे निप्पलों पर नोंच रहा था जो कि मुझे और कामुकता पर ले जा रही थी।
उसकी यह कला इतनी मादक थी कि मैं उसकी बांहों में बिन पानी मछली की तरह मचलने लगी जिसका वो फायदा उठा रहा था।
दोनों महकते हुए बदनों के बीच अब गर्मी पैदा होना शुरू हो गई थी। हमारा बदन पसीने की बूंदों से भीगना शुरू हो गया था; हम दोनों की आँखों में सिर्फ वासना के डोरे पड़े हुए थे।
हम दोनों बस एक दूसरे की प्यास बुझाने में लीन थे। हमारी चूमा चाटी को चलते हुए 10 मिनट हो चुके थे।
श्री सिन्हा मेरे बूब्स पर आ गया और अपने बड़े बड़े हाथों को मेरे बूब्स पर रख कर उन्हें पुरजोर तरीके से मसलने लगे।
मैं आह भरने लगी थी और सिसकारियाँ निकालने लगी।
मैंने अपने नाजुक से होंठों को अपने दांतों के बीच दबाया और उन्हें कटाने लगी।
हम दोनों की कामुकता एक अलग ही तूफ़ान ला चुकी थी
अब तक श्री सिन्हा मेरे बूब्स पर आकर मेरे निप्पल्स को चूसने लगा और मेरे बूब्स दबाने लगा।
श्री सिन्हा मेरे निप्पलों को इस तरह चूसने लगा जैसे दूध ही निकाल देगा और मेरे बूब्स को मसलने लगा ।
मैंने भी बेड पर उसे अपने जिस्म में समेट रखा था।


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