13-09-2025, 03:15 PM
साली की साजिश
राजस्थान के उदयपुर शहर में, जहां पलास झील की शांत लहरें पहाड़ों से बातें करतीं और हवा में राजसी महलों की पुरानी खुशबू, बाजारों की मसालेदार महक और दूर किसी मंदिर की घंटियों की आवाज घुली रहती, वहां रहता था एक व्यापारी परिवार। परिवार का मुखिया था विक्रम, 32 साल का, शहर में कपड़ों की बड़ी दुकान चलाता, मजबूत कद-काठी वाला, गोरा रंग, मूंछें घनी और आंखों में व्यापार की चालाकी लेकिन दिल में एक नरमी। विक्रम का बदन जिम से तराशा हुआ – चौड़े कंधे, मोटी छाती जो शर्ट से उभरती, मजबूत बाजू जो मेहनत से बने, और पैंट के नीचे उभार जो बताता कि उसका लंड कोई कमजोर नहीं, 8 इंच लंबा, मोटा और नसदार, जो उत्तेजना में और सख्त हो जाता, प्रीकम लीक करता। विक्रम की बीवी थी राधा, 30 साल की, घर की मालकिन, संस्कारी लेकिन अंदर से आग वाली – गोरी स्किन, लंबे काले बाल जो दुपट्टे में छिपे रहते, 38D के भरे हुए स्तन जो सलवार कमीज में से उभरते, पतली कमर जो उम्र के साथ थोड़ी मोटी हो गई लेकिन आकर्षक, और चौड़ी कूल्हे जो चलते वक्त लहरातीं। राधा की गांड भरी हुई, मुलायम, और चूत बालों वाली लेकिन गर्म, पति के लंड की प्यासी, लेकिन विक्रम व्यस्त रहता, रात को थककर सो जाता, महीने में दो-चार बार चोदता, वो भी जल्दबाजी में, राधा को अधूरा छोड़कर। राधा चुप रहती, लेकिन मन में इच्छाएं सुलगती, रातों में खुद को छूती, उंगलियां चूत में डालकर कल्पना करती विक्रम के लंड की, उसके धक्कों की। लेकिन परिवार की साली नेहा, राधा की बहन, 25 साल की, जो शहर में पढ़ाई करती और छुट्टियों में आती, वह विक्रम पर फिदा थी। नेहा का बदन जवानी की आग से सुलगता – गोरी स्किन जो चांदनी में चमकती, लंबे भूरे बाल जो कंधों तक लहराते और हवा में उड़ते, 36C के सख्त स्तन जो टाइट कुर्ती में से उभरते लेकिन छूने पर गर्माहट देते, पतली कमर जो जींस में लिपटी रहती लेकिन स्पर्श पर थरथराती, और चौड़ी कूल्हे जो चलते वक्त लहरातीं जैसे कोई हसीना हो। उसकी गांड गोल और उभरी हुई, इतनी मुलायम कि छूने को जी चाहे, और चूत हमेशा क्लीन शेव्ड, गुलाबी और टाइट, जो रातों में गीली हो जाती लेकिन वह समझ नहीं पाती। नेहा विक्रम पर फिदा थी, लेकिन जीजा होने के कारण मन मारती, लेकिन मन में साजिश रचती कि कैसे विक्रम को फंसाए, उसके लंड को महसूस करे, उसके धक्कों से तड़पे। राधा अच्छी थी, लेकिन नेहा की जलन से अनजान, वह सोचती नेहा उसकी बहन है, घर की।
कहानी की शुरुआत उन गर्मियों की छुट्टियों से हुई, जब नेहा कॉलेज से घर आई। नेहा तैयार थी अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए – वह जानती थी विक्रम उसे देखता है, लेकिन राधा के कारण रुकता है। नेहा ने सोचा, धीरे-धीरे विक्रम को ललचाऊंगी, उसकी इच्छाएं जगाऊंगी, उसके लंड को सख्त करूंगी, और फिर उसे अपना बनाऊंगी। पहली शाम, नेहा घर पहुंची, विक्रम दुकान से लौटा था। नेहा ने कहा, "जीजू, मैं आ गई, छुट्टियां मनाने।" विक्रम मुस्कुराया, "आओ साली जी, घर रोशन हो गया।" नेहा ने हग किया, उसके स्तन विक्रम की छाती से दबे, विक्रम ने महसूस किया, उसका लंड हल्का सख्त। नेहा बोली, "जीजू, आप कितने मजबूत हो, आपकी बाहें..." विक्रम शरमाया, "नेहा, तू भी बड़ी हो गई है।" राधा खुश, "बहन, आ, खाना खा।" लेकिन नेहा की आंखें विक्रम पर ठहरीं। रात को, नेहा तैयार हुई – छोटी नाइटी पहनी, जो उसके स्तनों की आउटलाइन दिखाती, निप्पल्स हल्के उभरे, और नीचे शॉर्ट्स जो उसकी गांड को उभारती। वह पानी पीने किचन गई, विक्रम वहां था, चाय बना रहा। "जीजू, पानी दो न," नेहा बोली, झुककर फ्रिज से बोतल निकाली, उसके स्तन झांक रहे थे। विक्रम की नजर ठहर गई, उसका लंड सख्त हो गया। "नेहा... तू... ये क्या पहना है?" नेहा मुस्कुराई, "जीजू, गर्मी है, आप को बुरा लगा?" विक्रम की सांस तेज, "नहीं... लेकिन... राधा देख लेगी।" नेहा करीब आई, "जीजू, राधा दीदी सो गई है, आप मुझे देख रहे हो?" विक्रम का हाथ नेहा की कमर पर गया, "नेहा... तू बहुत सुंदर है..." नेहा कराही, "जीजू... छुओ न..." विक्रम ने नेहा को काउंटर से सटा लिया, चूमने लगा, होंठों पर होंठ, जीभ मिलाई। नेहा की सांस तेज, "जीजू... आह... प्यार से..." विक्रम का हाथ नेहा के स्तनों पर गया, नाइटी के ऊपर से दबाया, "नेहा... क्या सख्त स्तन..." नेहा कराही, "जीजू... दबाओ... चूसो..." विक्रम ने नाइटी उतारी, ब्रा खोला, नेहा के स्तन बाहर – गोल, सख्त, गुलाबी निप्पल्स चमकते। "नेहा, क्या माल है," वह बोला, एक स्तन मुंह में ले लिया, चूसने लगा, जीभ से चाटता, काटता। नेहा तड़प उठी, "आह... जीजू... काटो... चूसो..." विक्रम का हाथ नेहा की चूत पर गया, शॉर्ट्स में, पैंटी गीली। "नेहा, तेरी चूत गीली है," वह बोला, शॉर्ट्स उतारकर उंगलियां फेरी। नेहा चीखी, "आह... जीजू... वहां... और..." विक्रम ने उंगली अंदर डाली, नेहा की चूत टाइट, लेकिन गीली। "नेहा, कितनी टाइट," वह बोला, अंदर-बाहर किया। नेहा का पानी निकला, "जीजू... मैं... आह..." वह झड़ गई। विक्रम ने अपना लंड निकाला, नेहा ने देखा, "इतना बड़ा..." विक्रम ने नेहा के मुंह में डाला, "चूस नेहा।" नेहा चूसने लगी, विक्रम कराहा, "आह... नेहा..." विक्रम ने नेहा के पैर फैलाए, लंड चूत में डाला। नेहा चीखी, "आह... दर्द..." लेकिन विक्रम ने धीरे धक्के मारे, नेहा कराही, "जीजू... चोदो... मजा आ रहा..." विक्रम ने स्पीड बढ़ाई, नेहा झड़ी, विक्रम ने अंदर झाड़ दिया। नेहा अब देवर की आग में जल रही थी, इच्छाओं में खोई नेहा की साजिश कामयाब हो रही थी। विक्रम अब नेहा की याद में खोया रहता, राधा से कम बात करता। नेहा ने अगला कदम उठाया – रात को, जब राधा सो गई, नेहा विक्रम के कमरे में चली गई। "जीजू, मैं डर गई हूं, सो नहीं पा रही," वह बोली, नाइटी में, स्तन उभरे। विक्रम का दिल धड़का, "नेहा... राधा जाग जाएगी..." लेकिन नेहा बेड पर लेट गई, "जीजू, पकड़ो मुझे।" विक्रम ने नेहा को गले लगाया, चूमने लगा, नेहा की सांस तेज, "जीजू... आह... प्यार से..." विक्रम का हाथ नेहा के स्तनों पर गया, नाइटी के ऊपर से दबाया, "नेहा... क्या सख्त..." नेहा कराही, "जीजू... दबाओ... चूसो..." विक्रम ने नाइटी उतारी, ब्रा खोला, नेहा के स्तन बाहर – गोल, सख्त, गुलाबी निप्पल्स चमकते। "नेहा, क्या सुंदर," वह बोला, एक स्तन मुंह में ले लिया, चूसने लगा, जीभ से चाटता, काटता। नेहा तड़प उठी, "आह... जीजू... काटो... चूसो..." विक्रम का हाथ नेहा की चूत पर गया, पैंटी गीली। "नेहा, तेरी चूत गीली है," वह बोला, पैंटी उतारकर उंगलियां फेरी। नेहा चीखी, "आह... जीजू... वहां... और..." विक्रम ने उंगली अंदर डाली, नेहा की चूत टाइट, लेकिन गीली। "नेहा, कितनी टाइट," वह बोला, अंदर-बाहर किया। नेहा का पानी निकला, "जीजू... मैं... आह..." वह झड़ गई। विक्रम ने अपना लंड निकाला, नेहा ने देखा, "इतना बड़ा..." विक्रम ने नेहा के मुंह में डाला, "चूस नेहा।" नेहा चूसने लगी, विक्रम कराहा, "आह... नेहा..." विक्रम ने नेहा के पैर फैलाए, लंड चूत में डाला। नेहा चीखी, "आह... दर्द..." लेकिन विक्रम ने धीरे धक्के मारे, नेहा कराही, "जीजू... चोदो... मजा आ रहा..." विक्रम ने स्पीड बढ़ाई, नेहा झड़ी, विक्रम ने अंदर झाड़ दिया। नेहा अब देवर की आग में जल रही थी, इच्छाओं में खोई।