13-09-2025, 12:03 PM
(This post was last modified: 24-09-2025, 11:33 PM by mike_kite56. Edited 7 times in total. Edited 7 times in total.)
Part 4: अगले दिन, मंडे की रात—सिक्योरिटी स्टेशन में**
रात के 9 बजे। दिल्ली की एक छोटी सी सिक्योरिटी स्टेशन, जहाँ हवा में पुरानी फाइलों की बू और बाहर सड़क की गंदगी की महक घुली हुई है। अजंता, 30 साल की वो सिक्योरिटी ऑफिसर, अपनी यूनिफॉर्म में स्टेशन में घुसती है। उसकी यूनिफॉर्म टाइट, जो उसके हद से ज्यादा गोरे, मांसल बदन को कसके पकड़े हुए है। 5 फुट 10 इंच की लंबी, गोरी चमड़ी इतनी चिकनी कि स्टेशन की ट्यूबलाइट में चमक रही है। वो अपना बैग टेबल पर पटकती है, और चेयर पर पासर जाती है। उसकी मांसल जांघें चेयर पर फैल जाती हैं, यूनिफॉर्म की पैंट में उनका शेप रंडाना तरीके से उभरा हुआ—इतना गुदाज़ कि देखकर कोई भी लंड फड़फड़ा जाए। उसकी गांड चेयर पर दबकर और फूल जाती है। अजंता की आँखें थकी हुई, लेकिन उनमें वो छिपी चुदास की चमक।
नाइट शिफ्ट के दो दूसरे मर्द जूनियर ऑफिसर और एक लेडी जूनियर ऑफिसर गश्त पर निकल जाते हैं। वो लेडी जूनियर भी एक नंबर की माल है—गोरी, लंबी, और भरा हुआ स्वादिष्ट बदन। वो तीनों बाहर जाते हैं, दरवाजा बंद होता है, और स्टेशन में सन्नाटा। अजंता अब अकेली है। उसके टेबल चेयर के लेफ्ट साइड में लॉकअप है, राइट साइड में एंट्रेंस। लॉकअप में बंद है एक घुप्प काला, घिनौना, कलमुहा, 5 फुट से भी नाटा, पेट निकला, लुंगी और बनियान पहने सड़कछाप मर्द। उसका चेहरा गंदा, दाँत पीले, और आँखें लाल, जैसे सारा दिन कचरा बीनता हो। वो लॉकअप की सलाखों से अजंता को घूर रहा है, उसकी आँखें अजंता की जांघों पर अटकी हुई।
अजंता चेयर पर बैठी है, उसके स्वादिष्ट जांघों और गांड का शेप रंडाना तरीके से उभरा हुआ। वो उसकी तरफ देखती है, आँखें सिकुड़ती हैं, और पूछती है।
**अजंता**: *(आवाज़ में सख्ती, लेकिन आँखों में चमक, जैसे मज़ा ले रही हो)* क्या नाम है तेरा? क्या कांड किया है?
**गांडू**: *(सलाखों से मुँह सटाकर, देहाती लहजे में, थोड़ा हकलाते हुए)* मैडम, हमारा नाम गाँडू है। हम कांवेंट कॉलेज के पीछे वाले कचरे के ढेर में कचरा बीनते हैं। हमने कुछ नहीं किया, मैडम। वो औरत खुद दे रही थी।
*अजंता की भौंहें उठती हैं। वो चेयर पर और फैलती है, उसकी जांघें और उभरती हैं। वो हल्के से हँसती है, लेकिन आँखें सख्त।*
**अजंता**: *(आवाज़ में तंज, आँखें उस पर टिकी)* हैं?? क्या दे रही थी? और गाँडू... ये कैसा नाम हुआ?
**गांडू**: *(मुँह खुजाते हुए, देहाती एक्सेंट में, थोड़ा बुदबुदाते हुए)* मैडम, हम थोड़े बुड़बक हैं, इसीलिए नाम गाँडू पड़ गया। *(हल्के से हँसता है, लेकिन आँखें अजंता की जांघों पर)* मैडम, हम दोपहर को कॉलेज के पीछे कचरा बीन रहे थे। वो कांवेंट कॉलेज की छुट्टी 2 बजे हो जाती है। लेकिन वो मैडम लाल साड़ी में बाथरूम में जा रही थी। ये कॉलेज का बाथरूम खाली रहता है, पुराना है। हम कचरा बीन रहे थे। बाथरूम का दरवाजा टूटा हुआ है। हमें लगा कुछ गड़बड़ है। हम दीवार फाँदे, और बाथरूम के अंदर चुपके से झाँके—हम देखे...
**फ्लैशबैक: कॉलेज का पुराना बाथरूम**
कॉलेज का पुराना बाथरूम, दीवारें गंदी, फर्श पर पानी की कीचड़। हवा में पेशाब और गंदगी की बू। वो गर्म कॉलेज टीचर, लाल साड़ी में, नॉर्मल स्लीवलेस ब्लाउज में खड़ी है। उसकी चमड़ी हद से ज्यादा गोरी, होंठ लाल, और उसके मम्मे ब्लाउज में भयंकर तरीके से फूले हुए, तने हुए, जैसे कभी झुकने का नाम न लें। उसके चारों तरफ तीन सड़कछाप, हद से ज्यादा काले, नाटे मर्द—कॉलेज के बाथरूम साफ करने वाले। उनके लंड नंगे, तने हुए, चिपचिपा माल टपक रहा है। वो मुठ मार रहे हैं, उनके हाथ लंड पर जोर से ऊपर-नीचे चल रहे हैं, साँसें फूली हुई।
टीचर कसमसा रही है, बदन को ऊपर-नीचे कर रही है—उसकी कमर हल्की सी मटक रही है। उसके चुत्तड़ हवा में थोड़े से हिल रहे हैं, गांड पीछे की तरफ उभर रही है। उसके मम्मे ब्लाउज में ऊपर-नीचे उछल रहे हैं, जैसे हर सांस के साथ तन रहे हों। उसके होंठ कांप रहे हैं, वो दाँत पीस रही है, जैसे ठरक बर्दाश्त न हो रही हो। उसके हाथ कमर के नीचे साड़ी को कसके पकड़े हैं, लेकिन उंगलियाँ बेचैन, जैसे खुद को छूने का मन कर रहा हो। उसकी जांघें साड़ी में कसी हुई, लेकिन हल्की सी फैल रही हैं। वो अपना सिर पीछे झटक रही है, बाल लहरा रहे हैं, और आँखें उन मर्दों के लंडों पर टिकी, जैसे चूसने का मन कर रहा हो।
**टीचर**: *(दाँत पीसते हुए, आवाज़ में ठरक)* ए! क्या कर रहे हो! कैसे लौड़ा दिखा रहे हो!! सुबह से पटा रहे हो मुझे!!
**पहला मर्द**: *(मुँह ठरक से कसा हुआ, जैसे साँस अटक गई हो, लंड पर हाथ जोर से चलाते हुए)* ए मैडम! ए! बहुत गोरी और सुंदर हो!
**टीचर**: *(कसमसाते हुए, बदन हिलाते हुए)* हाँ! इसलिए तुम लोगों से मेरी नंगी गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी! पटाओ मुझे!
**दूसरा मर्द**: *(मुँह आगे करके चाटने के इशारे करते हुए, लंड को हिलाते हुए)* ए मैडम! साड़ी उठाओ! जांघें नंगी करो!
**टीचर**: *(दाँत पीसते हुए, आँखें लंडों पर)* थोड़ा रुको। अच्छे से लौड़ा दिखाओ। मुठ मारते रहो!
**तीसरा मर्द**: *(सामने से लंड दिखाते हुए, कमर को आगे की तरफ झटका देते हुए, ठरक से चेहरा लाल)* इतनी बड़े घर की गोरी औरत—पट रही हो हमसे।
**टीचर**: *(झुककर, उसके लंड को ताड़ते हुए, साँसें तेज)* मुझे नंगी होने पर मजबूर कर रहे हो!
गाँडू साला टूटे दरवाजे से झाँक रहा था।
रात के 9 बजे। दिल्ली की एक छोटी सी सिक्योरिटी स्टेशन, जहाँ हवा में पुरानी फाइलों की बू और बाहर सड़क की गंदगी की महक घुली हुई है। अजंता, 30 साल की वो सिक्योरिटी ऑफिसर, अपनी यूनिफॉर्म में स्टेशन में घुसती है। उसकी यूनिफॉर्म टाइट, जो उसके हद से ज्यादा गोरे, मांसल बदन को कसके पकड़े हुए है। 5 फुट 10 इंच की लंबी, गोरी चमड़ी इतनी चिकनी कि स्टेशन की ट्यूबलाइट में चमक रही है। वो अपना बैग टेबल पर पटकती है, और चेयर पर पासर जाती है। उसकी मांसल जांघें चेयर पर फैल जाती हैं, यूनिफॉर्म की पैंट में उनका शेप रंडाना तरीके से उभरा हुआ—इतना गुदाज़ कि देखकर कोई भी लंड फड़फड़ा जाए। उसकी गांड चेयर पर दबकर और फूल जाती है। अजंता की आँखें थकी हुई, लेकिन उनमें वो छिपी चुदास की चमक।
नाइट शिफ्ट के दो दूसरे मर्द जूनियर ऑफिसर और एक लेडी जूनियर ऑफिसर गश्त पर निकल जाते हैं। वो लेडी जूनियर भी एक नंबर की माल है—गोरी, लंबी, और भरा हुआ स्वादिष्ट बदन। वो तीनों बाहर जाते हैं, दरवाजा बंद होता है, और स्टेशन में सन्नाटा। अजंता अब अकेली है। उसके टेबल चेयर के लेफ्ट साइड में लॉकअप है, राइट साइड में एंट्रेंस। लॉकअप में बंद है एक घुप्प काला, घिनौना, कलमुहा, 5 फुट से भी नाटा, पेट निकला, लुंगी और बनियान पहने सड़कछाप मर्द। उसका चेहरा गंदा, दाँत पीले, और आँखें लाल, जैसे सारा दिन कचरा बीनता हो। वो लॉकअप की सलाखों से अजंता को घूर रहा है, उसकी आँखें अजंता की जांघों पर अटकी हुई।
अजंता चेयर पर बैठी है, उसके स्वादिष्ट जांघों और गांड का शेप रंडाना तरीके से उभरा हुआ। वो उसकी तरफ देखती है, आँखें सिकुड़ती हैं, और पूछती है।
**अजंता**: *(आवाज़ में सख्ती, लेकिन आँखों में चमक, जैसे मज़ा ले रही हो)* क्या नाम है तेरा? क्या कांड किया है?
**गांडू**: *(सलाखों से मुँह सटाकर, देहाती लहजे में, थोड़ा हकलाते हुए)* मैडम, हमारा नाम गाँडू है। हम कांवेंट कॉलेज के पीछे वाले कचरे के ढेर में कचरा बीनते हैं। हमने कुछ नहीं किया, मैडम। वो औरत खुद दे रही थी।
*अजंता की भौंहें उठती हैं। वो चेयर पर और फैलती है, उसकी जांघें और उभरती हैं। वो हल्के से हँसती है, लेकिन आँखें सख्त।*
**अजंता**: *(आवाज़ में तंज, आँखें उस पर टिकी)* हैं?? क्या दे रही थी? और गाँडू... ये कैसा नाम हुआ?
**गांडू**: *(मुँह खुजाते हुए, देहाती एक्सेंट में, थोड़ा बुदबुदाते हुए)* मैडम, हम थोड़े बुड़बक हैं, इसीलिए नाम गाँडू पड़ गया। *(हल्के से हँसता है, लेकिन आँखें अजंता की जांघों पर)* मैडम, हम दोपहर को कॉलेज के पीछे कचरा बीन रहे थे। वो कांवेंट कॉलेज की छुट्टी 2 बजे हो जाती है। लेकिन वो मैडम लाल साड़ी में बाथरूम में जा रही थी। ये कॉलेज का बाथरूम खाली रहता है, पुराना है। हम कचरा बीन रहे थे। बाथरूम का दरवाजा टूटा हुआ है। हमें लगा कुछ गड़बड़ है। हम दीवार फाँदे, और बाथरूम के अंदर चुपके से झाँके—हम देखे...
**फ्लैशबैक: कॉलेज का पुराना बाथरूम**
कॉलेज का पुराना बाथरूम, दीवारें गंदी, फर्श पर पानी की कीचड़। हवा में पेशाब और गंदगी की बू। वो गर्म कॉलेज टीचर, लाल साड़ी में, नॉर्मल स्लीवलेस ब्लाउज में खड़ी है। उसकी चमड़ी हद से ज्यादा गोरी, होंठ लाल, और उसके मम्मे ब्लाउज में भयंकर तरीके से फूले हुए, तने हुए, जैसे कभी झुकने का नाम न लें। उसके चारों तरफ तीन सड़कछाप, हद से ज्यादा काले, नाटे मर्द—कॉलेज के बाथरूम साफ करने वाले। उनके लंड नंगे, तने हुए, चिपचिपा माल टपक रहा है। वो मुठ मार रहे हैं, उनके हाथ लंड पर जोर से ऊपर-नीचे चल रहे हैं, साँसें फूली हुई।
टीचर कसमसा रही है, बदन को ऊपर-नीचे कर रही है—उसकी कमर हल्की सी मटक रही है। उसके चुत्तड़ हवा में थोड़े से हिल रहे हैं, गांड पीछे की तरफ उभर रही है। उसके मम्मे ब्लाउज में ऊपर-नीचे उछल रहे हैं, जैसे हर सांस के साथ तन रहे हों। उसके होंठ कांप रहे हैं, वो दाँत पीस रही है, जैसे ठरक बर्दाश्त न हो रही हो। उसके हाथ कमर के नीचे साड़ी को कसके पकड़े हैं, लेकिन उंगलियाँ बेचैन, जैसे खुद को छूने का मन कर रहा हो। उसकी जांघें साड़ी में कसी हुई, लेकिन हल्की सी फैल रही हैं। वो अपना सिर पीछे झटक रही है, बाल लहरा रहे हैं, और आँखें उन मर्दों के लंडों पर टिकी, जैसे चूसने का मन कर रहा हो।
**टीचर**: *(दाँत पीसते हुए, आवाज़ में ठरक)* ए! क्या कर रहे हो! कैसे लौड़ा दिखा रहे हो!! सुबह से पटा रहे हो मुझे!!
**पहला मर्द**: *(मुँह ठरक से कसा हुआ, जैसे साँस अटक गई हो, लंड पर हाथ जोर से चलाते हुए)* ए मैडम! ए! बहुत गोरी और सुंदर हो!
**टीचर**: *(कसमसाते हुए, बदन हिलाते हुए)* हाँ! इसलिए तुम लोगों से मेरी नंगी गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी! पटाओ मुझे!
**दूसरा मर्द**: *(मुँह आगे करके चाटने के इशारे करते हुए, लंड को हिलाते हुए)* ए मैडम! साड़ी उठाओ! जांघें नंगी करो!
**टीचर**: *(दाँत पीसते हुए, आँखें लंडों पर)* थोड़ा रुको। अच्छे से लौड़ा दिखाओ। मुठ मारते रहो!
**तीसरा मर्द**: *(सामने से लंड दिखाते हुए, कमर को आगे की तरफ झटका देते हुए, ठरक से चेहरा लाल)* इतनी बड़े घर की गोरी औरत—पट रही हो हमसे।
**टीचर**: *(झुककर, उसके लंड को ताड़ते हुए, साँसें तेज)* मुझे नंगी होने पर मजबूर कर रहे हो!
गाँडू साला टूटे दरवाजे से झाँक रहा था।


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