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गिगोलो का मोटा लंड: आंटीयों और जवान लड़कियों की गांड मार चुदाई कहानी
#7
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मेरे गिगोलो बनने की कहानी

आर्यन की ज़िंदगी अब काव्या की पावर वाली दुनिया में पूरी तरह फंस चुकी थी। गोवा ट्रिप के बाद वो थका हुआ लौटा था, लेकिन जेब में पैसा और दिमाग में पावर का सबक। "नेटवर्क से सब मिलता है," काव्या की बातें उसके कानों में गूंजती रहतीं। कुछ दिनों बाद काव्या का कॉल आया: "आर्यन, कल शाम फ्री हो? मेरी मां का बर्थडे है। घर पर छोटी सी पार्टी। तुम्हें सरप्राइज़ के लिए बुला रही हूं। ड्रेस कैजुअल, लेकिन तैयार रहना – पावर प्ले होगा।" आर्यन हिचकिचाया, लेकिन हां कर दी। "मां? क्या सरप्राइज़?" वो सोचता रहा। अगले दिन शाम को काव्या के विला पहुंचा। घर लाइट्स से सजा था, म्यूज़िक बज रहा था। काव्या दरवाज़े पर: "आओ, आर्यन। मां इंतज़ार कर रही हैं।"
अंदर गए तो काव्या की मां, सुनीता (52 साल), सोफे पर बैठी थीं – एक एलीगेंट औरत, गोरी स्किन, अभी भी आकर्षक, बड़े ब्रेस्ट, पतली कमर, लेकिन उम्र के निशान। डिवोर्स्ड थीं, काव्या ने बताया था। "हाय आर्यन, काव्या ने तुम्हारे बारे में बताया। बैठो," सुनीता ने मुस्कुराते हुए कहा। पार्टी शुरू हुई – केक काटा, गिफ्ट्स, ड्रिंक्स। रिया और मीरा भी आईं, हंसती-खेलती। लेकिन काव्या की आंखों में शरारत थी। पार्टी खत्म होने के बाद काव्या ने आर्यन को साइड में ले जाकर कहा: "आर्यन, मां का सरप्राइज़ – एक सुहागरात। वो डिवोर्स्ड हैं, सालों से अकेली। मैं उन्हें दुल्हन की तरह सजाऊंगी, और तुम... दूल्हा बनोगे। पावर शेयरिंग, याद है? मां को खुश करो, पैसा ट्रिपल।" आर्यन चौंका: "क्या? तुम्हारी मां?" काव्या हंसी: "हां, वो सहमत हैं। ट्रस्ट मी, एन्जॉय करोगे।"
काव्या सुनीता को कमरे में ले गई, सजाने लगी – रेड ब्राइडल लहंगा, ज्वेलरी, मेकअप, मेहंदी हल्की। सुनीता शर्मा रही थीं, लेकिन एक्साइटेड लग रही थीं। "बेटी, ये सरप्राइज़... आर्यन अच्छा लड़का है?" सुनीता ने पूछा। काव्या: "हां मां, 10 इंच का सरप्राइज़। एन्जॉय करो।" बाहर आर्यन इंतज़ार कर रहा था। काव्या आई: "जाओ, कमरे में। धीरे-धीरे, लेकिन वाइल्ड बनाओ। मां को कई बार खुश करो, गांड भी ट्राई करो। पावर है न?" आर्यन का दिल धड़क रहा था, लेकिन चला गया। कमरा फूलों से सजा, बेड पर सुनीता दुल्हन की तरह बैठी – लहंगा, घूंघट, हाथों में चूड़ियां। "आर्यन, आओ... काव्या ने कहा तुम स्पेशल हो," सुनीता ने शर्माते हुए कहा। आर्यन करीब बैठा, घूंघट उठाया – सुनीता की आंखें नम, लेकिन चाहत भरी। "आंटी, आप खूबसूरत लग रही हैं," आर्यन ने कहा, हाथ पकड़ा।
धीरे से किस शुरू – होंठों पर, सॉफ्ट, जैसे सालों की उदासी को प्यार से भर रहा हो। सुनीता ने रिस्पॉन्ड किया, उनकी सांसें तेज़ हुईं, आंखें बंद, जैसे एक पुरानी याद जी रही हों। आर्यन के हाथ सुनीता की कमर पर गए, धीरे से सहलाया, लहंगे के ऊपर से। "आर्यन... कितने सालों बाद... तुम्हारा स्पर्श... इतना गर्म, इतना प्यारा," सुनीता ने फुसफुसाया, उनका चेहरा लाल हो गया, दिल की धड़कनें आर्यन को महसूस हो रही थीं। आर्यन ने ब्लाउज के हुक खोले, ब्रेस्ट आज़ाद – बड़े, सॉफ्ट, निप्पल्स पिंक और हार्ड। धीरे से एक ब्रेस्ट पर मुंह रखा, चूसा, जीभ से सर्कल बनाते हुए, हल्का काटा। सुनीता की कमर उछली, सिसकारी भरी: "ओह आर्यन... हां... ऐसे ही... तुम्हारा मुंह... मुझे जीवित महसूस करा रहा है... सालों का अकेलापन... पिघल रहा है..." उनके हाथ आर्यन के बालों में उलझे, दबाया, भावनाएं उमड़ रही थीं – खुशी, डर, चाहत का मिश्रण। आर्यन ने दूसरे ब्रेस्ट पर स्विच किया, चूसा, सहलाया, सुनीता की सांसें तेज़, "आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे चाहिए... और..."
आर्यन नीचे गया, लहंगा ऊपर किया, पैंटी पर किस किया, धीरे से उतारी – सुनीता की चूत पर हल्के बाल, गुलाबी, गीली, जैसे इंतज़ार कर रही हो। आर्यन ने जीभ फेरी – क्लिट पर, ऊपर-नीचे, धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई। सुनीता तड़पी, कमर हिलाई: "आह... आर्यन... तेरी जीभ... इतनी नरम, इतनी गर्म... मुझे स्वर्ग दिखा रही है... हां... चाटो... और गहरा..." उनकी आंखों में आंसू, लेकिन खुशी के – सालों की कुंठा निकल रही थी। आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा, उंगली से सहलाया, क्लिट को रगड़ा। सुनीता की बॉडी कांप रही थी, जूस बह रहा था, "ओह... मैं... झड़ रही हूं... आर्यन... तुम्हारा प्यार... आह..." वो झड़ गई, बॉडी थरथराई, सांसें फूल रही थीं, लेकिन आंखों में संतुष्टि – जैसे एक नई ज़िंदगी मिली हो। आर्यन ऊपर आया, उन्हें किस किया, "आंटी... आपकी खुशी... मेरी खुशी है..." सुनीता ने आर्यन को गले लगाया, "आर्यन... तुमने मुझे फिर से औरत महसूस कराया... अब तुम्हारी बारी..."
सुनीता ने आर्यन की शर्ट उतारी, चेस्ट पर किस किया, निप्पल्स चूसे। "तुम्हारा बदन... इतना मजबूत, इतना आकर्षक..." फिर पैंट उतारी, लंड बाहर – 10 इंच, मोटा, सख्त। सुनीता की आंखें फैल गईं: "ओह... इतना बड़ा? लेकिन... मैं ट्रस्ट करती हूं... तुम्हारा है..." उन्होंने हाथ से सहलाया, ऊपर-नीचे, टिप पर जीभ फेरी, मुंह में लिया – धीरे-धीरे, प्यार से, जैसे पूजा कर रही हों। आर्यन की सिसकारी: "आंटी... आपका मुंह... इतना गर्म... इतना प्यारा..." सुनीता ने गला तक लिया, चूसती रहीं, आंखें आर्यन से मिलाकर – भावनाएं उमड़ रही थीं, जैसे एक नया बॉन्ड बन रहा हो। आर्यन ने उन्हें रोका, कंडोम लगाया। सुनीता बेड पर लेटीं, पैर फैलाए। आर्यन ऊपर आया, लंड चूत पर रगड़ा – टिप से क्लिट को छुआ। सुनीता तड़पी: "डालो न... प्लीज़... तुम्हारा बड़ा लंड... मुझे पूरा चाहिए... सालों बाद..." आर्यन ने धीरे से अंदर डाला – पहले टिप, फिर आधा। सुनीता की आंखें बंद: "आह... इतना बड़ा... भर रहा है मुझे... दर्द भी, सुख भी... धीरे... लेकिन गहरा..." आर्यन ने पूरा अंदर किया, सुनीता चिल्लाई: "ओह आर्यन... तुम्हारा 10 इंच... मेरी चूत में... परफेक्ट है... चोदो मुझे..."
धक्के शुरू हुए – धीरे-धीरे, लेकिन रोमांटिक, हर धक्के में प्यार, गहराई। सुनीता की चूत टाइट, गर्म, गीली – चप-चप की आवाज़, ब्रेस्ट उछल रहे थे। आर्यन ने ब्रेस्ट पकड़े, चूसे, सुनीता सिसकारियां भर रही थीं: "हां... चोदो... आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे जीवित कर रहा है... आह... और तेज़..." उनकी आंखों में आंसू, लेकिन खुशी के, भावनाएं उमड़ रही थीं – अकेलेपन का अंत, नई शुरुआत। आर्यन ने स्पीड बढ़ाई, लेकिन केयरिंग तरीके से – हाथ उनके हाथों में, आंखें मिलाकर। सुनीता फिर झड़ी, बॉडी कांपी, "आर्यन... मैं तुम्हारी हूं..." आर्यन भी झड़ा, लेकिन रात लंबी थी। ब्रेक लिया, एक-दूसरे को गले लगाया, बातें कीं – सुनीता ने अपना पास्ट शेयर किया, आर्यन ने सुना। फिर शुरू – डॉगी में, सुनीता की गांड ऊपर, आर्यन ने धीरे से लंड रगड़ा। "गांड?" सुनीता ने शर्माते हुए हां की। लुब्रिकेंट लगाया, धीरे अंदर – सुनीता दर्द से चिल्लाई: "ओह... दर्द हो रहा... लेकिन तुम्हारा प्यार... सह लूंगी..." आर्यन ने स्पीड बढ़ाई, गांड मारी – गहरा, लेकिन रोमांटिक, हाथ ब्रेस्ट पर। सुनीता सिसकारी: "आह... फाड़ देगा... लेकिन अच्छा लग रहा... हां..." वो फिर झड़ी, भावनाएं पीक पर – प्यार, दर्द, सुख का मिश्रण। रात भर चला – कई बार, अलग पोज़िशन, हर मोमेंट में भावनाएं, प्यार का आदान-प्रदान।
लेकिन अभी रात खत्म नहीं हुई थी...

आर्यन और सुनीता की वो रात अब और गहरी होने लगी थी। पहला दौर खत्म होने के बाद दोनों एक-दूसरे की बाहों में लेटे थे, पसीने से तर, लेकिन दिलों में एक अनोखा सुकून। सुनीता की सांसें अभी भी तेज़ थीं, उनकी आंखें आर्यन के चेहरे पर टिकीं – जैसे सालों की उदासी एक रात में मिट रही हो। "आर्यन... तुमने मुझे फिर से औरत महसूस कराया... तुम्हारा प्यार... इतना गहरा, इतना सच्चा," सुनीता ने फुसफुसाया, अपना सिर आर्यन के सीने पर रखकर। आर्यन ने उनके बालों में उंगलियां फेरते हुए कहा, "आंटी... आपकी खुशी मेरी ज़िंदगी है... आपकी आंखों में वो चमक... मुझे और प्यार करने को मजबूर कर रही है।" कमरा फूलों की महक से भरा था, कैंडल्स की रोशनी में उनके बदन चमक रहे थे – सुनीता का दुल्हन वाला लुक अभी भी आधा बिखरा, चूड़ियों की खनक हर हलचल में गूंज रही थी।
आर्यन ने सुनीता को धीरे से अपनी तरफ खींचा, फिर से किस शुरू किया – इस बार और गहरा, और रोमांटिक। होंठ मिले, जीभें उलझीं, जैसे दोनों एक-दूसरे की आत्मा को छू रहे हों। सुनीता की उंगलियां आर्यन की पीठ पर फिसलीं, नाखून हल्के से गड़े – दर्द और प्यार का मिश्रण। "आर्यन... मुझे फिर से चाहिए... तुम्हारा स्पर्श... तुम्हारा प्यार... सालों का सूखा... तुम्हारी बरसात से भर दो," सुनीता ने कान में फुसफुसाया, उनकी आवाज़ में कांपन, चाहत की तीव्रता। आर्यन ने उन्हें बेड पर लिटाया, उनके ब्रेस्ट पर हाथ फेरा – निप्पल्स फिर से हार्ड, जैसे इंतज़ार कर रहे हों। धीरे से चूसा, जीभ से लपेटा, हल्का काटा। सुनीता की कमर उछली, सिसकारी भरी: "ओह आर्यन... हां... तुम्हारा मुंह... मेरे ब्रेस्ट पर... इतना गर्म, इतना प्यारा... मुझे पागल कर रहा है... आह... और..." उनकी आंखें बंद, चेहरा लाल, भावनाएं उमड़ रही थीं – खुशी के आंसू, प्यार की लहरें। आर्यन ने दूसरे ब्रेस्ट पर स्विच किया, चूसा, मसला, जैसे पूजा कर रहा हो। सुनीता के हाथ आर्यन के लंड पर गए, सहलाने लगीं – "ये... इतना बड़ा, इतना ताकतवर... मेरा है अब..."
आर्यन नीचे सरका, सुनीता की जांघों के बीच – चूत अभी भी गीली, जूस से चमक रही। जीभ फेरी – क्लिट पर सर्कल बनाते हुए, धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई। सुनीता तड़पी, पैर फैलाए: "आह... आर्यन... तेरी जीभ... मेरी चूत में... इतनी नरम, इतनी गहरी... सालों की प्यास... बुझा दो... हां... और..." उनकी बॉडी कांप रही थी, कमर हिल रही थी, जैसे हर चाट में एक नई दुनिया मिल रही हो। आर्यन ने उंगली डाली – एक, फिर दो, चूसते हुए रगड़ा। सुनीता की सांसें फूल रही थीं, "ओह... मैं... फिर झड़ रही हूं... आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे पूरा कर रहा है... आह..." वो झड़ गई, जूस बहा, बॉडी थरथराई, लेकिन आंखों में संतुष्टि – जैसे एक सपना सच हो रहा हो। आर्यन ऊपर आया, उन्हें गले लगाया, "आंटी... आपकी सिसकारियां... मुझे और प्यार करने को उकसा रही हैं..."
फिर से शुरू – आर्यन ने कंडोम बदला, सुनीता को अपनी गोद में बिठाया, लंड चूत पर रगड़ा। सुनीता ने खुद से अंदर लिया – धीरे से, लेकिन गहराई महसूस करते हुए। "आह... आर्यन... तुम्हारा 10 इंच... मुझे भर रहा है... दर्द भी मीठा... प्यार भी गहरा..." धक्के लगे – स्लो, रोमांटिक, हर धक्के में आंखें मिलाकर, हाथ पकड़कर। सुनीता ऊपर-नीचे हिल रही थी, ब्रेस्ट उछल रहे थे, चूड़ियां खनक रही थीं। "हां... चोदो मुझे... आर्यन... तुम्हारा लंड... मेरी चूत में... स्वर्ग है... आह... और तेज़..." भावनाएं पीक पर – सुनीता की आंखों में आंसू, प्यार के, आर्यन के दिल में एक नई जिम्मेदारी। स्पीड बढ़ी, लेकिन प्यार से – सुनीता झड़ी, आर्यन भी, दोनों साथ, बॉडी मिलकर कांपीं।
ब्रेक लिया – पानी पिया, एक-दूसरे को किस किया, बातें कीं। "आर्यन... तुमने मुझे नई ज़िंदगी दी... तुम्हारा प्यार... अमूल्य है," सुनीता ने कहा, आंसू पोछते हुए। आर्यन ने उन्हें फिर से लिटाया, "आंटी... अभी रात बाकी है... आपकी हर इच्छा पूरी करूंगा..." अब गांड की बारी – लुब्रिकेंट लगाया, सुनीता को घुटनों पर किया। "धीरे... लेकिन प्यार से," सुनीता ने कहा, डर और चाहत में। आर्यन ने लंड रगड़ा, धीरे अंदर डाला – सुनीता चिल्लाई: "ओह... दर्द... लेकिन तुम्हारा स्पर्श... सह लूंगी... हां..." स्पीड बढ़ी – गहरा, लेकिन रोमांटिक, हाथ ब्रेस्ट पर, कान में प्यार भरी बातें। सुनीता सिसकारी: "आह... फाड़ देगा... लेकिन अच्छा लग रहा... आर्यन... तुम्हारा प्यार... हर दर्द मिटा रहा है... हां... और..." वो फिर झड़ी, गांड कस रही थी, आर्यन भी झड़ा। रात भर चला – कई बार, मिशनरी, साइड, स्पूनिंग में – हर मोमेंट में भावनाएं, प्यार की गहराई, सिसकारियां, आंसू, हंसी। सुनीता की आंखों में नई चमक, आर्यन के दिल में एक नई जिम्मेदारी।
रात खत्म हुई, लेकिन प्यार की शुरुआत हो चुकी थी...

आर्यन और सुनीता की वो रात अब धीरे-धीरे सुबह की नरम रोशनी में बदल रही थी। कमरे की खिड़की से सूरज की पहली किरणें अंदर घुस रही थीं, जो फूलों की पंखुड़ियों पर गिरकर एक सुनहरी चमक बिखेर रही थीं। रात भर की थकान अभी भी उनके बदनों में बसी हुई थी, लेकिन वो थकान मीठी थी – प्यार की, भावनाओं की। सुनीता आर्यन की बाहों में लेटी थीं, उनकी सांसें अब शांत हो चुकी थीं, लेकिन दिल की धड़कनें अभी भी एक लय में चल रही थीं, जैसे दो दिल एक हो गए हों। सुनीता की उंगलियां आर्यन के सीने पर धीरे-धीरे घूम रही थीं, जैसे वो हर स्पर्श में रात की यादों को फिर से जी रही हों। "आर्यन... ये रात... मेरे जीवन की सबसे अनमोल रात थी... तुमने न सिर्फ मेरे बदन को छुआ, बल्कि मेरी आत्मा को छुआ... सालों का अकेलापन... तुम्हारे प्यार ने मिटा दिया," सुनीता ने धीमी, कांपती आवाज़ में कहा, उनकी आंखें आर्यन के चेहरे पर टिकी हुई थीं, जहां प्यार और कृतज्ञता की चमक थी। आर्यन ने उन्हें और करीब खींचा, उनके माथे पर एक नरम किस किया, "आंटी... आपकी हर सांस, हर सिसकारी... मुझे बताती है कि ये प्यार सच्चा है... आपकी खुशी मेरी ज़िंदगी का मकसद बन गई है... ये सुबह... हमारी नई शुरुआत है।"
कमरा अभी भी रात की महक से भरा था – फूलों की, पसीने की, प्यार की। सुनीता का दुल्हन वाला लहंगा बिखरा पड़ा था, चूड़ियां हल्की-हल्की खनक रही थीं, जैसे हर हलचल में प्यार की धुन बज रही हो। बाहर पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी, लेकिन दोनों अभी भी बेड पर लेटे थे, एक-दूसरे की आंखों में खोए। आर्यन ने सुनीता के बालों में उंगलियां फेरीं, धीरे से उनके कान के पास फुसफुसाया, "आंटी... सुबह की ये रोशनी... आपके चेहरे पर कितनी खूबसूरत लग रही है... जैसे आप कोई परी हों।" सुनीता शर्मा गईं, लेकिन उनकी आंखों में एक नई चाहत जाग रही थी, "आर्यन... रात खत्म हुई, लेकिन मेरा मन अभी भी तुम्हारे साथ है... तुम्हारा स्पर्श... मुझे फिर से चाहिए... धीरे-धीरे, प्यार से... एक बार और..." उनकी आवाज़ में शर्म, लेकिन प्यार की तीव्रता थी, जैसे सालों की दबी इच्छाएं फिर से उभर रही हों। आर्यन मुस्कुराया, उनके चेहरे को अपने हाथों में लिया, "जैसी आपकी इच्छा... मैं आपका हूं, हमेशा..."
आर्यन ने सुनीता को अपनी तरफ मोड़ा, उनकी आंखें मिलीं – वो पल इतना गहरा था कि समय जैसे रुक गया हो। धीरे से किस शुरू किया – पहले होंठों पर, नरम, जैसे फूल की पंखुड़ी को छू रहा हो। सुनीता ने रिस्पॉन्ड किया, उनके होंठ आर्यन के होंठों से मिले, जीभें उलझीं, सांसें एक हो गईं। वो किस लंबा था, रोमांटिक, हर सेकंड में प्यार की गहराई बढ़ती जा रही थी। आर्यन के हाथ सुनीता की गर्दन पर फिसले, धीरे से सहलाते हुए नीचे आए – ब्रेस्ट पर। निप्पल्स फिर से हार्ड हो चुके थे, जैसे इंतज़ार कर रहे हों। आर्यन ने एक ब्रेस्ट को हाथ में लिया, धीरे से मसला, जीभ से निप्पल पर सर्कल बनाया। सुनीता की सिसकारी निकली: "ओह आर्यन... हां... तुम्हारा स्पर्श... इतना नरम, इतना गर्म... मेरे ब्रेस्ट... तुम्हारे लिए हैं... चूसो... प्यार से..." उनकी आंखें बंद हो गईं, चेहरा लाल, भावनाएं उमड़ रही थीं – खुशी के आंसू आंखों के कोनों में जमा हो गए। आर्यन ने चूसा – धीरे-धीरे, जीभ से लपेटते हुए, हल्का काटा, जैसे हर मोमेंट को जी रहा हो। सुनीता की कमर उछली, "आह... आर्यन... तुम्हारा मुंह... मुझे स्वर्ग दिखा रहा है... सालों बाद... इतना सुख... और..."
आर्यन धीरे-धीरे नीचे सरका, सुनीता की जांघों के बीच पहुंचा – उनकी चूत अभी भी गीली थी, रात की यादों से चमक रही। आर्यन ने जांघों पर किस किया, धीरे से सहलाया, जैसे हर इंच को प्यार दे रहा हो। सुनीता की सांसें तेज़ हुईं, "आर्यन... वहां... प्लीज़... तुम्हारी जीभ... मुझे चाहिए..." आर्यन ने जीभ फेरी – क्लिट पर, ऊपर-नीचे, धीरे-धीरे सर्कल बनाते हुए। सुनीता तड़पी, पैर फैलाए: "आह... आर्यन... तेरी जीभ... मेरी चूत में... इतनी नरम, इतनी गहरी... सालों की प्यास... बुझा दो... हां... और..." उनकी बॉडी कांप रही थी, कमर हिल रही, जैसे हर चाट में एक नई लहर उठ रही हो – प्यार की, सुख की। आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा, उंगली से क्लिट रगड़ा – धीरे-धीरे, लेकिन इंटेंस। सुनीता की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं, "ओह... आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे पागल कर रहा है... मैं... झड़ रही हूं... आह..." वो झड़ गई, जूस बहा, बॉडी थरथराई, आंखें नम – खुशी के आंसू बहने लगे, "आर्यन... तुमने मुझे पूरा कर दिया..."
आर्यन ऊपर आया, सुनीता को गले लगाया, उनके आंसू पोछे, "आंटी... आपके आंसू... मुझे दर्द देते हैं... लेकिन आपकी खुशी... सब कुछ है।" सुनीता ने आर्यन को किस किया, "अब तुम... मुझे तुम्हारा महसूस करना है... तुम्हारा प्यार..." उन्होंने आर्यन के लंड को सहलाया – 10 इंच, मोटा, गर्म, जैसे उनके लिए बना हो। धीरे से मुंह में लिया – टिप चूसा, जीभ से लपेटा, गला तक। आर्यन की सिसकारी: "आंटी... आपका मुंह... इतना गर्म, इतना प्यारा... मुझे स्वर्ग लग रहा है... हां..." सुनीता ने चूसा – धीरे-धीरे, प्यार से, आंखें मिलाकर, जैसे हर मोमेंट में भावनाएं डाल रही हों। आर्यन के हाथ उनके बालों में, "आंटी... आपका प्यार... मुझे जीवित कर रहा है..." सुनीता ने रुककर कहा, "आर्यन... अब अंदर... मुझे तुम्हारा पूरा चाहिए..."
आर्यन ने कंडोम लगाया, सुनीता नीचे लेटीं, पैर फैलाए। आर्यन अंदर गया – धीरे, गहरा, हर इंच में प्यार। सुनीता चिल्लाई: "आह... आर्यन... तुम्हारा बड़ा लंड... मुझे भर रहा है... दर्द मीठा... प्यार गहरा... हां..." धक्के लगे – स्लो, इंटेंस, हर धक्के में आंखें मिलाकर, हाथ पकड़कर, सांसें मिलाकर। सुनीता की सिसकारियां: "ओह... चोदो मुझे... आर्यन... तुम्हारा प्यार... हर दर्द मिटा रहा है... आह... और तेज़..." ब्रेस्ट उछल रहे, चूड़ियां खनक रही, भावनाएं पीक पर – प्यार के आंसू, सुख की लहरें। स्पीड बढ़ी, लेकिन रोमांटिक – सुनीता झड़ी, "आर्यन... मैं तुम्हारी हूं... हमेशा..." आर्यन भी झड़ा, दोनों साथ, बॉडी मिलकर कांपीं, जैसे आत्माएं एक हो गई हों।
फिर गांड की बारी – सुनीता शर्मा रही थीं, लेकिन प्यार से हां की। लुब्रिकेंट लगाया, आर्यन ने धीरे अंदर डाला। सुनीता: "आह... दर्द... लेकिन तुम्हारा प्यार... सह लूंगी... हां..." स्पीड बढ़ी – गहरा, इंटेंस, हाथ ब्रेस्ट पर, कान में प्यार भरी बातें: "आंटी... आप मेरी हो... हर दर्द मैं मिटा दूंगा..." सुनीता: "ओह... फाड़ देगा... लेकिन अच्छा लग रहा... आर्यन... तुम्हारा लंड... मुझे पूरा कर रहा है... आह..." वो फिर झड़ी, भावनाएं पीक पर – प्यार, दर्द, सुख। रात भर चला – कई बार, हर मोमेंट में रोमांस, इंटेंसनेस, भावनाएं। सुबह काव्या आई, मुस्कुराई: "मां खुश?" सुनीता ने हां कहा, लेकिन आर्यन का दिल उलझा – पावर का सबक, लेकिन प्यार की गहराई। काव्या ने पेमेंट किया: "ये पावर का नया सबक – प्यार भी कंट्रोल में होता है। अगली बार और।"
आर्यन घर लौटा, सोचता रहा – "काव्या की दुनिया... पावर की, लेकिन सुनीता का प्यार... सच्चा। क्या चुनूं?"
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RE: मेरे गिगोलो बनने की कहानी - by Fuckuguy - 12-09-2025, 04:41 PM



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