12-09-2025, 03:23 PM
मेरे गिगोलो बनने की कहानी
आर्यन की ज़िंदगी अब दो हिस्सों में बंट गई थी। एक तरफ प्रिया – वो औरत जो उसे प्यार का अहसास दे रही थी, बातें जो दिल को छूतीं, और वो रातें जो सुकून से भरी होतीं। दूसरी तरफ ऐप – वो दुनिया जहां पैसा था, लेकिन गिल्ट भी। माया के साथ वाला पहला सेशन उसे याद आता रहता – वो डॉमिनेशन, चाबुक के निशान, और वो सेक्स जो वाइल्ड था लेकिन खाली। "प्रिया को पता चला तो सब खत्म हो जाएगा," वो सोचता। लेकिन पैसे की ज़रूरत थी – ऑफिस की सैलरी कम थी, और प्रिया के साथ डेट्स पर खर्च बढ़ गए थे। प्रिया से मिलते हुए भी उसका मन भटकता। एक शाम प्रिया ने कॉल किया: "आर्यन, आज आओ न? मिस कर रही हूं।" आर्यन गया, दोनों ने साथ डिनर किया, बातें कीं – फ्यूचर के बारे में, शादी के बारे में। प्रिया ने कहा, "आर्यन, मैं तुम्हारे साथ ज़िंदगी बिताना चाहती हूं। ऐप छोड़ दो।" आर्यन ने किस किया, लेकिन दिल में बोझ था। वो रात फिर अंतरंग हुई – प्रिया की बाहों में, लेकिन आर्यन का मन कहीं और।
अगले दिन माया का मैसेज आया: "स्लेव, तैयार हो? आज शाम फिर सेशन। इस बार और इंटेंस। पेमेंट 15,000। मना मत करना।" आर्यन हिचकिचाया, लेकिन हां कर दी। "बस ये आखिरी बार," उसने खुद से कहा। शाम को माया के फ्लैट पहुंचा। दरवाज़ा खुला, माया और भी हॉट लग रही थी – ब्लैक लेदर बॉडीसूट, जो उसके ब्रेस्ट को टाइट पकड़े हुए था, नीचे से शॉर्ट्स जो उसकी गांड को हाइलाइट कर रहे थे। बाल बंधे, आंखों में वो ही शरारत। "आ गया मेरा स्लेव? अंदर आ, और कपड़े उतार," उसने आदेश दिया, दरवाज़ा बंद करते हुए। आर्यन ने उतारे – शर्ट, पैंट, अंडरवियर। उसका लंड पहले से ही हल्का सख्त था, 10 इंच का राज़ जो माया को पता था। माया हंसी: "देखो, ये हरामी लंड पहले से खड़ा है। तुझे मेरी याद आ रही थी न?" उसने गाली दी, जो आर्यन को चौंका गई, लेकिन एक अजीब सा थ्रिल भी दिया।
माया ने उसे कॉलर पहनाया – एक चेन वाला, जैसे कुत्ते का। "अब घुटनों पर चल, मेरे पीछे," उसने चेन खींची। आर्यन घुटनों पर चला, कमरे में। बेड पर टॉयज रखे थे – वाइब्रेटर, डिल्डो, चाबुक। माया बेड पर बैठी, पैर फैलाए। "चाट मेरी चूत, स्लेव। अच्छे से, वरना सज़ा मिलेगी।" आर्यन ने सिर नीचे किया, माया की शॉर्ट्स उतारी। उसकी चूत – शेव्ड, गुलाबी, पहले से गीली। आर्यन ने जीभ फेरी – ऊपर से नीचे, क्लिट पर सर्कल बनाते हुए। माया की सांस तेज़ हुई, "हां, ऐसे ही चाट रे हरामी... तेरी जीभ अच्छी है।" उसने गाली दी, सिर दबाया। आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसने लगा। माया की गांड हिल रही थी, "ओह फक... तू कुत्ता है मेरा, चाटता रह।" वो गालियां देती रही – "बहनचोद, तेज़ चाट... मुझे झड़वा दे।" आर्यन का लंड अब पूरा सख्त, 10 इंच का, नसों से फूला हुआ, प्रीकम टपक रहा था। माया झड़ गई, उसके मुंह पर जूस छिड़का। "गुड बॉय, अब तेरी बारी नहीं। पहले मुझे खुश कर।"
उसने आर्यन को बेड पर लिटाया, हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए। चाबुक उठाया, हल्के से मारा – छाती पर, जांघों पर। "दर्द हो रहा है न, रंडी के बच्चे? लेकिन तेरा लंड खड़ा है।" गाली सुनकर आर्यन को अजीब लग रहा था, लेकिन बॉडी रिस्पॉन्ड कर रही थी। माया ऊपर चढ़ी, अपना ब्रेस्ट उसके मुंह में डाला: "चूस रे मदरचोद, मेरे निप्पल्स काट।" आर्यन ने चूसे, काटे – माया के ब्रेस्ट बड़े, सॉफ्ट, निप्पल्स हार्ड। वो सिसकारियां भर रही थी, "आह... ऐसे ही, तू मेरा गुलाम है।" फिर नीचे गई, लंड को हाथ में लिया – मोटा, लंबा, 10 इंच। "ये क्या है रे? इतना बड़ा लौड़ा... आज इसे टॉर्चर करूंगी।" उसने वाइब्रेटर ऑन किया, लंड के टिप पर लगाया। आर्यन तड़प उठा, "आह... माया..." लेकिन माया ने थप्पड़ मारा: "चुप रह हरामी, नाम मत ले। सिर्फ मिस्ट्रेस कह।" वाइब्रेशन से लंड थरथरा रहा था, प्रीकम बह रहा था। माया हंसती, "देख, तेरा लौड़ा रो रहा है। अब मैं इसे चोदूंगी।"
उसने कंडोम लगाया, ऊपर बैठी। धीरे से लंड अंदर लिया – उसकी चूत टाइट, गर्म, गीली। "ओह गॉड... इतना बड़ा... फाड़ देगा मेरी चूत को, बहनचोद।" वो गाली देती हुई नीचे बैठी, पूरा अंदर। फिर राइड करने लगी – ऊपर-नीचे, स्पीड बढ़ाती। उसके ब्रेस्ट उछल रहे थे, गांड थप-थप की आवाज़ कर रही थी। आर्यन बंधा हुआ तड़प रहा था, धक्के लगाने की कोशिश करता। माया चिल्लाती, "हां, ऐसे ही... तेरा लौड़ा मेरी चूत में घुस रहा है... मदरचोद, तेज़ हिल।" वो गालियां बकती रही – "रंडी का बच्चा, मुझे चोद... तेरे जैसे स्लेव की ज़रूरत है मुझे।" सेक्स लंबा चला – माया रुकती, फिर शुरू करती। पोज़िशन बदली – डॉगी स्टाइल में, आर्यन अब खुला था। उसने पीछे से डाला, गांड पकड़ी, धक्के लगाए। माया की चूत चप-चप की आवाज़ कर रही थी, जूस बह रहा था। "आह... फाड़ दे मेरी चूत, हरामी... 10 इंच का लौड़ा... मुझे पागल कर देगा।" आर्यन ने स्पीड बढ़ाई, उसके ब्रेस्ट पकड़े, निप्पल्स मसले। माया फिर गाली दी, "बहनचोद, झड़ मत अभी... मुझे पहले झड़वा।" आखिर में दोनों झड़े – माया की चूत कांप रही थी, आर्यन का लंड झटके मार रहा था। थककर गिरे। माया ने पेमेंट किया: "गुड सेशन, स्लेव। अगली बार और गंदा होगा।"
आर्यन घर लौटा, बॉडी थकी, लेकिन दिमाग उलझा। प्रिया का मैसेज आया: "कहां थे? मिस यू।" गिल्ट और बढ़ गया। क्या वो ये सब छोड़ पाएगा? या माया की दुनिया में फंस जाएगा?
आर्यन की रातें अब उलझनों से भरी होतीं। माया के साथ वाला दूसरा सेशन उसे थका चुका था – बॉडी पर चाबुक के हल्के निशान, जो अगले दिन तक रह गए, और वो गालियां जो उसके कानों में गूंजती रहीं। "बहनचोद... मदरचोद... रंडी का बच्चा..." माया की आवाज़ याद आती तो एक तरफ थ्रिल होता, दूसरी तरफ गिल्ट। जेब में 15 हज़ार रुपये थे, लेकिन दिल में बोझ। प्रिया को मैसेज किया: "सॉरी लेट हो गया, काम था। मिस यू टू।" लेकिन प्रिया का रिप्लाई थोड़ा सूखा लगा: "ओके, गुड नाइट।" आर्यन सोचता रहा, "क्या उसे शक हो रहा है?" अगले दिन सुबह प्रिया का कॉल आया: "आर्यन, कल शाम कहां थे? दोस्त से मिलने गए थे न? कौन दोस्त?" आर्यन ने झूठ बोला, "हां, राहुल से। पुरानी बातें।" प्रिया चुप रही, फिर बोली, "ठीक है। आज मिलें? मेरा घर।" आर्यन गया, लेकिन अंदर ही अंदर डर था।
प्रिया के घर पहुंचा तो वो नॉर्मल लग रही थी – हग किया, किस किया। लेकिन बातों में कुछ अलग था। "आर्यन, तुम्हारी बॉडी पर ये निशान? क्या हुआ?" उसने शर्ट उठाकर देखा – चाबुक के लाल निशान। आर्यन घबरा गया, "ओह, जिम में गिर गया था। कुछ नहीं।" प्रिया ने आंखें सिकोड़ीं, लेकिन कुछ नहीं कहा। दोनों सोफे पर बैठे, बातें कीं – लेकिन प्रिया का मन कहीं और लग रहा था। "आर्यन, तुम ऐप यूज़ कर रहे हो अभी भी?" उसने अचानक पूछा। आर्यन ने ना कहा, लेकिन आवाज़ कांप गई। प्रिया मुस्कुराई, लेकिन वो मुस्कान नकली लगी। शाम को दोनों बेड पर गए – प्रिया ने इनिशिएट किया। "आओ, मुझे प्यार करो," उसने कहा। आर्यन ने किस किया, ड्रेस उतारी। प्रिया का बदन – वो ही सॉफ्ट स्किन, बड़े ब्रेस्ट, टाइट चूत। लेकिन आज सेक्स में कुछ कमी थी – प्रिया की आंखों में शक। वो झड़ी, लेकिन आर्यन को लगा जैसे ये आखिरी हो। घर लौटते वक्त प्रिया ने कहा, "आर्यन, सच बताना। अगर कुछ है तो।" आर्यन ने हग किया, "कुछ नहीं।"
अगले दिन ऐप पर एक नई रिक्वेस्ट आई: "नाम: नेहा। उम्र: 25। लोकेशन: दिल्ली। रिक्वायरमेंट: एक रात का साथी, लेकिन स्पेशल – रोमांटिक और इंटेंस। मैं एक स्टूडेंट हूं, लेकिन पैसा है। पेमेंट: 20,000 रुपये पर नाइट।" आर्यन को लगा ये अच्छा है – ज्यादा पैसा, और शायद आसान। प्रोफाइल चेक की – नेहा की फोटो थी, एक क्यूट लड़की, लंबे बाल, स्माइलिंग फेस। डिस्क्रिप्शन: "मुझे एक ऐसे लड़के की ज़रूरत है जो मुझे स्पेशल फील कराए। सेक्सी, लेकिन केयरिंग। तुम्हारी स्पेशल क्वालिटी देखी – वाह!" आर्यन ने एक्सेप्ट किया। "बस ये आखिरी, फिर ऐप डिलीट," उसने सोचा। चैट: "हाय आर्यन, कल रात? मेरा फ्लैट। एड्रेस भेज रही हूं।" आर्यन ने ओके कहा।
अगली शाम नेहा के फ्लैट पहुंचा – एक छोटा लेकिन क्यूट अपार्टमेंट, कैंडल्स जल रही थीं, म्यूज़िक सॉफ्ट। नेहा दरवाज़े पर – शॉर्ट ड्रेस में, गोरी स्किन, पतली कमर, गोल ब्रेस्ट। "हाय आर्यन, आओ अंदर।" दोनों सोफे पर बैठे, वाइन पी। नेहा ने बातें शुरू कीं: "मैं एमबीए कर रही हूं, लेकिन बॉयफ्रेंड ब्रेकअप हो गया। मुझे कंपनी चाहिए, और कुछ स्पेशल।" आर्यन ने सुनाया, बातें गहरी हुईं। नेहा करीब आई, किस किया – सॉफ्ट, लंबा। "चलो बेडरूम," उसने कहा। आर्यन ने उसे गोद में उठाया, बेड पर लिटाया। ड्रेस उतारी – नीचे पिंक ब्रा और पैंटी, बदन परफेक्ट – सॉफ्ट ब्रेस्ट, पिंक निप्पल्स, शेव्ड चूत। नेहा ने आर्यन की शर्ट उतारी, पैंट खोली। जैसे ही लंड बाहर आया, नेहा की आंखें फैल गईं: "ओह माय गॉड... 10 इंच? इतना बड़ा? वाह, ये तो कमाल है!" उसने हाथ से पकड़ा, सहलाने लगी – ऊपर-नीचे, टिप पर उंगली फेरी। आर्यन की सांस तेज़, लंड और सख्त हो गया, नसें फूल गईं, प्रीकम टपकने लगा।
नेहा घुटनों पर बैठी, मुंह में लिया – पहले टिप चूसा, फिर धीरे-धीरे आधा अंदर। "मम्म... इतना मोटा... मुंह में मुश्किल से आ रहा है," उसने कहा, चूसते हुए। जीभ से लपेटा, अंडों पर हाथ फेरा। आर्यन के हाथ उसके बालों में, धीरे से दबाया। नेहा ने गला तक लिया, गैग किया लेकिन जारी रखा – स्लurp की आवाज़, लार बह रही थी। "तुम्हारा लंड स्वादिष्ट है... बड़ा हरामी है ये," उसने हंसकर कहा, लेकिन गाली हल्की थी, प्लेफुल। आर्यन ने उसे बेड पर लिटाया, ब्रा उतारी। ब्रेस्ट चूसे – निप्पल्स पर जीभ फेरी, काटा हल्का। नेहा सिसकारी: "आह... ऐसे ही... चूसो मेरे boobs... ओह आर्यन..." उसके हाथ आर्यन की पीठ पर, नाखून गड़ाए। आर्यन नीचे गया, पैंटी उतारी। चूत पर किस किया – गुलाबी, गीली, खुशबूदार। जीभ डाली, क्लिट चूसा। नेहा की कमर उछली, "ओह फक... तेरी जीभ... मुझे पागल कर रही है... चाटो और तेज़..." उसने गाली दी, "बहनचोद, चाट मेरी चूत... झड़वा दे मुझे।" आर्यन ने स्पीड बढ़ाई, उंगली डाली – एक, फिर दो। नेहा चिल्लाई, जूस बहा, झड़ गई – बॉडी कांप रही थी, सांस फूल रही।
आर्यन ने कंडोम लगाया, नेहा के ऊपर आया। लंड चूत पर रगड़ा – टिप से क्लिट को छुआ। नेहा तड़पी, "डालो न... प्लीज़... तेरा बड़ा लंड चाहिए।" आर्यन ने धीरे से अंदर डाला – पहले टिप, फिर आधा। नेहा की आंखें बंद, "आह... इतना बड़ा... फाड़ रहा है मेरी चूत को... धीरे रे madarchod..." गाली सुनकर आर्यन और एक्साइटेड, पूरा अंदर डाला। नेहा चिल्लाई, "ओह गॉड... पूरा घुस गया... अब चोद मुझे..." आर्यन ने धक्के लगाने शुरू किए – धीरे-धीरे, फिर स्पीड बढ़ाई। नेहा की चूत टाइट, गर्म, हर धक्के पर चप-चप की आवाज़। उसके ब्रेस्ट उछल रहे थे, आर्यन ने पकड़े, मसले। नेहा गालियां बक रही थी, "हां... चोद रे बहनचोद... तेरा 10 इंच का लौड़ा... मेरी चूत फाड़ दे... तेज़... आह..." उसकी गांड हिल रही थी, पैर आर्यन की कमर पर लपेटे। पोज़िशन बदली – नेहा ऊपर आई, राइड करने लगी। लंड पर ऊपर-नीचे, उसके ब्रेस्ट आर्यन के मुंह के पास। "चूस रे... मेरे tits चूस... madarchod, मुझे खुश कर..." सेक्स लंबा चला – 30 मिनट, पसीना बह रहा था, कमरा सिसकारियों से भरा। नेहा दो बार झड़ी, आखिर में आर्यन भी – लंड झटके मारकर खाली हुआ। दोनों थककर लेट गए। नेहा ने कहा, "अमेजिंग था। पेमेंट कर रही हूं। लेकिन... एक बात, मैं प्रिया की दोस्त हूं। वो मुझे पता करने को कह रही थी।"
आर्यन चौंक गया। "क्या? प्रिया ने...?" नेहा हंसी, "हां, शक था उसे। मैंने टेस्ट किया। अब वो सब जान गई।" आर्यन का दिल बैठ गया। फोन पर प्रिया का मैसेज: "धोखेबाज़। खत्म हुआ सब।" नेहा ने पेमेंट किया, लेकिन आर्यन घर लौटा, टूटा हुआ। क्या सब खत्म हो गया? या कोई रास्ता बचा था?
आर्यन का दिल जैसे टूट चुका था। नेहा के फ्लैट से लौटते वक्त उसका फोन साइलेंट था, लेकिन प्रिया का वो मैसेज उसके दिमाग में बार-बार घूम रहा था: "धोखेबाज़। खत्म हुआ सब।" घर पहुंचा तो कमरे की दीवारें जैसे उसे घूर रही थीं। वो बिस्तर पर गिर पड़ा, आंखें बंद कीं, लेकिन नींद नहीं आई। प्रिया की यादें – वो पहली मुलाकात, वो वीकेंड ट्रिप, वो रातें जहां सेक्स नहीं, प्यार था। "कैसे बता दूं उसे कि मैं मजबूरी में कर रहा था? लेकिन अब क्या फायदा?" वो खुद से बड़बड़ाया। फोन उठाया, प्रिया को मैसेज टाइप किया: "प्रिया, प्लीज़ सुनो... ये गलती थी, लेकिन मैं तुमसे प्यार करता हूं।" सेंड किया, लेकिन डिलीवर नहीं हुआ। ब्लॉक कर दिया था। कॉल ट्राई किया – स्विच ऑफ। आर्यन की आंखों से आंसू बहने लगे। पहली बार किसी लड़की से इतना जुड़ाव हुआ था, और सब खत्म। "वो कभी नहीं मिलेगी अब। मैंने सब खो दिया," वो रोता रहा। रात भर जागा, सिगरेट पीता रहा, पुरानी फोटोज़ देखता।
अगले दिन सुबह उठा तो बॉडी थकी हुई, लेकिन मन और भारी। ऑफिस गया, लेकिन काम में मन नहीं लगा। बॉस ने डांटा, "आर्यन, क्या हो गया है? फोकस करो!" लेकिन वो प्रिया की याद में खोया रहता। ऐप ओपन किया – माया की नई रिक्वेस्ट थी, नेहा का थैंक्स मैसेज। लेकिन आर्यन ने ऐप डिलीट कर दिया। "बस बहुत हो गया। ये दुनिया मुझे बर्बाद कर रही है," उसने सोचा। फोन बंद किया, और तय किया कि अब सामान्य ज़िंदगी जिएगा। कोई गिगोलो, कोई क्लाइंट्स नहीं। सिर्फ जॉब, घर, और मां से बातें। शाम को राहुल को कॉल किया: "यार, वो ऐप वाली बात... मैंने छोड़ दिया।" राहुल ने पूछा, "क्यों? पैसा तो अच्छा था।" आर्यन ने सब बता दिया – प्रिया, ब्रेकअप, दर्द। राहुल ने सांत्वना दी, "चल, भूल जा। ज़िंदगी है, चलती रहेगी।"
अगले कुछ दिन आर्यन ने खुद को बिज़ी रखा। सुबह जल्दी उठता, जिम जाता – पहले कभी नहीं जाता था, लेकिन अब दर्द को भुलाने के लिए। ऑफिस में ओवरटाइम करता, घर लौटकर किताबें पढ़ता या टीवी देखता। मां को गांव कॉल करता: "मां, सब ठीक है। पैसे भेज रहा हूं।" लेकिन अंदर से टूटा हुआ था। रातें सबसे मुश्किल – बिस्तर पर लेटता तो प्रिया की याद आती। उसका चेहरा, वो हंसी, वो बदन जो उसके हाथों में पिघल जाता था। "क्यों किया मैंने धोखा? वो मेरी थी, और मैंने खो दिया," वो सोचता और रोता। दोस्तों से मिलना बंद कर दिया, अकेला रहता। बैंक बैलेंस चेक करता – पिछले सेशंस से कुछ पैसे बचे थे, लेकिन धीरे-धीरे खत्म हो रहे थे। किराया, बिल्स, खाना – सब नॉर्मल। लेकिन कोई लग्ज़री नहीं, कोई डेट्स नहीं। "ये ही ज़िंदगी है, संघर्ष वाली," वो खुद को समझाता।
एक हफ्ता बीत गया। आर्यन थोड़ा संभला – ऑफिस में प्रमोशन की बात चली, बॉस ने तारीफ की। शाम को पार्क में वॉक करता, नए लोगों से बातें करता। लेकिन प्रिया की याद जाती नहीं। एक दिन मॉल गया, और दूर से एक लड़की देखी जो प्रिया जैसी लगी। दिल धड़का, लेकिन वो कोई और थी। घर लौटा तो उदास। "कभी नहीं मिलेगी वो। मैंने अपना मौका गंवा दिया," वो सोचता रहा। ऐप डाउनलोड करने का मन हुआ, लेकिन रोक लिया। "नहीं, अब नहीं।"
लेकिन ज़िंदगी का चक्कर ऐसा था कि पैसों की तंगी फिर से महसूस होने लगी। महीने का आखिर आया, सैलरी आई लेकिन कम। मां ने कॉल किया: "बेटा, गांव में दवाई के पैसे चाहिए। तेरे पापा की याद में पूजा करानी है।" आर्यन का दिल बैठ गया। बैंक में सिर्फ 5 हज़ार बचे थे। "कैसे करूं?" वो सोचता रहा। ऑफिस में एक्स्ट्रा काम मांगा, लेकिन नहीं मिला। रात भर जागा, और आखिरकार ऐप फिर डाउनलोड किया। "बस एक बार, पैसों के लिए," उसने खुद से कहा। नई रिक्वेस्ट्स आईं – एक नई क्लाइंट, जो और गहरा जाल बिछाने वाली थी। खेल फिर शुरू होने वाला था, लेकिन इस बार आर्यन का दिल टूटा हुआ था।
आर्यन की ज़िंदगी अब फिर से वही पुरानी पटरी पर लौट आई थी – सुबह ऑफिस, शाम घर, और रातें प्रिया की यादों में। ऐप डाउनलोड करने के बाद उसने कुछ रिक्वेस्ट्स देखीं, लेकिन दिल नहीं माना। "नहीं, अब नहीं फंसूंगा," वो खुद से कहता। लेकिन पैसों की तंगी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। मां का कॉल आया: "बेटा, दवाई के पैसे भेज दे। डॉक्टर ने नई दवाएं लिखी हैं।" आर्यन ने बैंक चेक किया – मुश्किल से 2 हज़ार बचे थे। सैलरी आने में अभी 10 दिन थे। "क्या करूं?" वो परेशान हो गया। राहुल को कॉल किया, लेकिन वो भी मदद नहीं कर सका। आखिरकार, रात को ऐप ओपन किया। एक रिक्वेस्ट चमक रही थी: "नाम: अनन्या। उम्र: 30। लोकेशन: दिल्ली। रिक्वायरमेंट: एक साथी जो मेरे साथ वीकेंड स्पेंड करे, बातें करे, घूमे। कोई जल्दबाज़ी नहीं, धीरे-धीरे। पेमेंट: 8,000 रुपये पर डे।" आर्यन ने प्रोफाइल पढ़ी – अनन्या की फोटो थी, एक प्रोफेशनल लगने वाली औरत, सूट में, कॉन्फिडेंट स्माइल। डिस्क्रिप्शन: "एक इंडिपेंडेंट वुमन, जो व्यस्त ज़िंदगी से ब्रेक चाहती है। मुझे एक ऐसे लड़के की ज़रूरत है जो सुन सके, समझ सके। सेक्स अगर हुआ तो नेचुरल, फोर्स नहीं।"
आर्यन को लगा ये सुरक्षित है – कोई डॉमिनेशन नहीं, कोई गालियां नहीं। "बस पैसों के लिए," उसने एक्सेप्ट किया। चैट ओपन हुई: "हाय आर्यन, कैसा लगा मेरा प्रोफाइल? इस वीकेंड? शनिवार से। मैं पिक करूंगी।" आर्यन ने रिप्लाई किया: "हां, लेकिन पहले कुछ बातें क्लियर कर लें?" अनन्या: "बिल्कुल। मैं एक मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव हूं। शादीशुदा थी, लेकिन डिवोर्स हो गया। अब अकेली हूं। मुझे कंपनी चाहिए, जो ट्रस्ट बिल्ड करे। कोई प्रेशर नहीं।" आर्यन को राहत मिली। शनिवार सुबह तैयार हुआ – कैजुअल क्लोथ्स, बैग पैक किया। अनन्या की कार आई, वो खुद ड्राइव कर रही थी। "हाय! बैठो," उसने कहा। अनन्या खूबसूरत थी – लंबे बाल, गोरी स्किन, फिट बॉडी, लेकिन आंखों में एक उदासी।
कार स्टार्ट हुई, रास्ते में बातें शुरू। "तुम क्या करते हो?" अनन्या ने पूछा। आर्यन ने अपनी जॉब बताई, संघर्ष। अनन्या सुनती रही: "मैं समझ सकती हूं। मेरा डिवोर्स दो साल पहले हुआ। एक्स हसबैंड चीटर था। अब ट्रस्ट इश्यू है। इसलिए ऐप यूज़ किया।" आर्यन ने सहानुभूति दिखाई: "माफ कीजिएगा। लेकिन आप स्ट्रॉन्ग लगती हैं।" बातें चलती रहीं – अनन्या ने अपने करियर के बारे में बताया, ट्रैवल्स, हॉबीज। आर्यन ने अपनी फैमिली शेयर की। दोनों एक कैफे में रुके, कॉफी पी। अनन्या मुस्कुराई: "तुम अच्छे लिस्नर हो। अच्छा लग रहा है।" शाम को अनन्या के घर पहुंचे – एक अच्छा अपार्टमेंट, क्लीन और कोज़ी। "आज बस रिलैक्स। डिनर बनाते हैं साथ," उसने कहा। दोनों किचन में गए, सब्जियां काटी, हंसते-बतियाते। डिनर खाया, टीवी पर मूवी देखी। कोई इंटीमेसी नहीं, सिर्फ बातें। रात को अनन्या ने गेस्ट रूम दिखाया: "गुड नाइट। कल घूमने चलेंगे।" आर्यन सोया, लेकिन सोचता रहा – "ये अलग है। शायद ये मुझे सिखाएगी कि रिलेशनशिप क्या होती है।"
अगले दिन सुबह ब्रेकफास्ट साथ। अनन्या ने प्लान बताया: "चलो, दिल्ली घूमते हैं।" दोनों निकले – इंडिया गेट, लोटस टेम्पल, शॉपिंग। अनन्या हंसती, फोटोज़ क्लिक करती। आर्यन को लगा जैसे कोई दोस्त हो। शाम को घर वापस, अनन्या ने पेमेंट किया – 16 हज़ार (दो दिनों का)। "थैंक यू, आर्यन। अच्छा लगा। अगले वीकेंड फिर?" आर्यन ने हां कहा। घर लौटते वक्त सोचा – "अनन्या मुझे सिखा रही है कि ट्रस्ट कैसे बनता है। शायद ये अच्छा सबक है।" लेकिन आगे क्या होगा, वो नहीं जानता था।
आर्यन की ज़िंदगी में अनन्या का आना एक नई शुरुआत जैसा लग रहा था। प्रिया के ब्रेकअप के बाद वो टूट चुका था, लेकिन अनन्या की वो पहली मुलाकात ने उसे थोड़ा सुकून दिया। पैसे मिल गए थे – मां को दवाई के लिए भेज दिए, और खुद के लिए कुछ बचाए। लेकिन ऐप पर और रिक्वेस्ट्स आने लगीं, आर्यन ने इग्नोर किया। "अनन्या अलग है। शायद वो मुझे सिखाएगी कि रिलेशनशिप में ट्रस्ट कितना ज़रूरी है," वो सोचता। अगले वीकेंड का इंतज़ार था। अनन्या का मैसेज आया: "हाय आर्यन, तैयार हो? इस बार एक छोटा ट्रिप – दिल्ली के बाहर, एक रिसॉर्ट। सिर्फ रिलैक्स, बातें। पेमेंट पहले की तरह।" आर्यन ने हां कहा, लेकिन दिल में सवाल था – "क्या ये फिर वही धोखा बनेगा?"
शनिवार सुबह अनन्या पिक करने आई। कार में बैठे, रास्ता लंबा था – हाईवे पर, गाने बज रहे थे। अनन्या ने बात शुरू की: "पिछली बार अच्छा लगा तुम्हारे साथ। तुम सुनते हो, बिना जज किए। मेरे एक्स हसबैंड ऐसा नहीं था। वो हमेशा कंट्रोल करता था।" आर्यन ने पूछा, "क्या हुआ था?" अनन्या चुप रही एक पल, फिर बोली, "शादी के बाद पता चला वो अफेयर कर रहा था। मैंने ट्रस्ट किया, लेकिन उसने तोड़ा। अब मैं धीरे-धीरे लोगों पर भरोसा करना सीख रही हूं। तुम्हारे साथ शुरू कर रही हूं।" आर्यन को अपनी प्रिया की याद आई, लेकिन उसने शेयर किया: "मेरी भी एक गर्लफ्रेंड थी, लेकिन धोखा हुआ। अब अकेला हूं।" बातें गहरी होने लगीं – ट्रस्ट क्या है, रिलेशनशिप में ईमानदारी क्यों ज़रूरी। अनन्या ने कहा, "आर्यन, ट्रस्ट बिल्ड करने में टाइम लगता है। जल्दबाज़ी मत करना कभी। ये सबक मैंने सीखा है।"
रिसॉर्ट पहुंचे – हरा-भरा, स्विमिंग पूल, स्पा। अनन्या ने रूम बुक किए – अलग-अलग। "कोई प्रेशर नहीं," उसने कहा। दिन भर घूमे – गार्डन में वॉक, पूल साइड बैठे। अनन्या बिकिनी में थी, लेकिन आर्यन ने नज़रें नहीं घुमाई। "तुम रिस्पेक्ट देते हो, अच्छा लगता है," अनन्या ने कहा। शाम को डिनर – कैंडल लाइट, वाइन। बातें जारी – अनन्या ने अपने डिवोर्स के दर्द शेयर किए: "मैं टूट गई थी, लेकिन अब स्ट्रॉन्ग हूं। तुम भी होगे, जो भी पास्ट है।" आर्यन ने प्रिया की स्टोरी बताई, बिना नाम लिए। अनन्या सुनती रही, हाथ पकड़ा: "धोखा देने वाला कभी खुश नहीं रहता। तुम्हें बेहतर मिलेगा।" रात को गुड नाइट कहा, कोई इंटीमेसी नहीं। आर्यन सोया, सोचता रहा – "अनन्या मुझे सिखा रही है कि ट्रस्ट बिना कुछ नहीं। अच्छा सबक है।"
अगले दिन सुबह स्पा गए – मसाज, रिलैक्स। वापसी में अनन्या ने पेमेंट किया। "आर्यन, अगली बार फिर मिलें? ट्रस्ट बिल्ड करते रहें।" आर्यन ने हां कहा। घर लौटकर लगा जैसे कोई दोस्त मिल गई हो। लेकिन क्या ये लंबा चलेगा?
आर्यन के दिन अब थोड़े बेहतर लगने लगे थे। अनन्या के साथ वो दो मुलाकातें उसे एक नया सबक दे रही थीं – कि रिलेशनशिप में ट्रस्ट और धैर्य कितना ज़रूरी है। प्रिया की याद अभी भी आती थी, लेकिन अनन्या की बातें उसे आगे बढ़ने की हिम्मत देतीं। ऐप पर नई रिक्वेस्ट्स आ रही थीं, लेकिन आर्यन ने उन्हें इग्नोर कर दिया। "अनन्या के साथ ये सही लग रहा है। शायद वो मुझे सिखाएगी कि सच्चा कनेक्शन कैसे बनता है," वो सोचता। कुछ दिनों बाद अनन्या का मैसेज आया: "हाय आर्यन, कैसा है? अगले हफ्ते मेरा एक बिज़नेस ट्रिप है – मुंबई। क्या तुम साथ चलोगे? सिर्फ कंपनी के लिए, मीटिंग्स में बीएफ बनकर। पेमेंट: 10,000 रुपये पर डे। तीन दिन का ट्रिप।" आर्यन हिचकिचाया – ट्रिप? लेकिन फिर सोचा, "ये ट्रस्ट बिल्ड करने का मौका है।" उसने हां कर दी।
ट्रिप का दिन आया। एयरपोर्ट पर मिले – अनन्या सूट में, प्रोफेशनल लुक, लेकिन स्माइल वैसी ही। फ्लाइट में बैठे, बातें शुरू। "ये ट्रिप इंपोर्टेंट है। क्लाइंट्स से डील करनी है। तुम्हें साथ ला रही हूं ताकि शामें अकेली न गुजरें," अनन्या ने कहा। आर्यन ने पूछा, "तुम्हारा बिज़नेस क्या है?" अनन्या ने बताया: "मार्केटिंग फर्म चलाती हूं। क्लाइंट्स बड़े-बड़े। लेकिन पर्सनल लाइफ में अकेलापन। तुम्हारे साथ बात करके अच्छा लगता है।" फ्लाइट में बातें गहरी हुईं – अनन्या ने अपने डिवोर्स के बाद के स्ट्रगल शेयर किए: "मैंने सोचा था सब खत्म, लेकिन सीखा कि खुद पर ट्रस्ट करो। दूसरों पर धीरे-धीरे। तुम भी ट्रस्ट सीख रहे हो न?" आर्यन ने सिर हिलाया, अपनी प्रिया वाली स्टोरी का थोड़ा हिस्सा बताया। अनन्या का हाथ उसके हाथ पर आ गया: "पास्ट हमें सिखाता है, आर्यन। आगे देखो।"
मुंबई पहुंचे, होटल चेक-इन – एक ही सुइट, लेकिन अलग बेडरूम। "ट्रस्ट है, इसलिए एक रूम," अनन्या ने कहा। दिन में अनन्या की मीटिंग्स – आर्यन होटल में इंतज़ार करता। शाम को लौटी तो थकी हुई। "चलो, डिनर पर," उसने कहा। एक अच्छे रेस्टोरेंट में गए – सी व्यू, सॉफ्ट म्यूज़िक। वाइन पीते हुए बातें – अनन्या ने कहा, "आर्यन, तुम अलग हो। ज़्यादातर लड़के जल्दी फिजिकल होना चाहते हैं, लेकिन तुम वेट करते हो। ये ट्रस्ट बिल्ड करता है।" आर्यन मुस्कुराया: "तुमने सिखाया है।" बातें इमोशंस की तरफ मुड़ीं – अनन्या की आंखें नम हुईं: "मैं फिर से प्यार करना चाहती हूं, लेकिन डर लगता है।" आर्यन ने हाथ पकड़ा: "मैं भी। लेकिन शायद हम एक-दूसरे को हेल्प कर सकते हैं।" होटल वापस लौटे, बालकनी में बैठे, स्टार्स देखते। अनन्या करीब आई, सिर उसके कंधे पर। एक पल की साइलेंस, फिर हल्का किस – सिर्फ होंठों पर, सॉफ्ट। "गुड नाइट," अनन्या ने कहा, अपने रूम में चली गई। आर्यन का दिल धड़क रहा था – भावनाएं उभर रही थीं।
अगले दो दिन ऐसे ही बीते – मीटिंग्स, शामें साथ, बातें जो और गहरी होती गईं। अनन्या ने पेमेंट किया: "ये सिर्फ फॉर्मेलिटी है। लेकिन ट्रस्ट बढ़ रहा है। अगली बार फिर?" आर्यन ने हां कहा। वापसी की फ्लाइट में सोचता रहा – "अनन्या मुझे सिखा रही है कि सच्चा रिश्ता धीरे बनता है। अच्छा सबक है, लेकिन क्या ये लंबा चलेगा?"