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Adultery भोसड़ी की भूखी कहानियाँ
#10
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 पंजाबी परिवार की आग

पंजाब के एक छोटे से शहर जालंधर में, जहां सरसों के खेतों की हरीतिमा दूर तक फैली रहती और हवा में मिट्टी की खुशबू और दूर किसी गुरुद्वारे की कीर्तन की आवाज घुली रहती, वहां रहता था एक साधारण लेकिन खुशहाल पंजाबी परिवार। परिवार का मुखिया था हरजीत सिंह, 45 साल का, मजबूत कद-काठी वाला, सरदार, पगड़ी बांधे, मूंछें घनी और आंखों में हमेशा एक चमक। हरजीत एक छोटी सी ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाता था, ट्रक चलवाता था, और घर पर अपनी बीवी डॉली और बेटी पॉली के साथ खुश रहता। लेकिन हरजीत का मन थोड़ा कमजोर था – वह अपनी बीवी को कम सुनता था, हमेशा अपनी ही चलाता। डॉली, 42 साल की, घर की मालकिन, संस्कारी लेकिन अंदर से आग वाली – गोरी चिट्टी स्किन, लंबे काले बाल जो दुपट्टे में छिपे रहते, 38DD के भरे हुए स्तन जो सलवार कमीज में से उभरते, पतली कमर जो उम्र के साथ थोड़ी मोटी हो गई थी लेकिन आकर्षक, और चौड़ी कूल्हे जो चलते वक्त लहरातीं। डॉली की गांड भरी हुई, मुलायम, और चूत बालों वाली लेकिन गर्म, पति के लंड की प्यासी। लेकिन हरजीत रात को थककर सो जाता, महीने में दो-चार बार चोदता, वो भी जल्दबाजी में। डॉली चुप रहती, लेकिन मन में इच्छाएं सुलगती। उनकी बेटी थी पॉली, असली नाम पॉलवी, 19 साल की, कॉलेज में पढ़ती, भोली-भाली लेकिन जवानी की उमंग से भरी – गोरी स्किन, छोटे बाल जो कंधों तक, 34C के सख्त स्तन, पतली कमर और गोल गांड। पॉली की चूत अभी वर्जिन, गुलाबी और टाइट, लेकिन बदन की गुदगुदी से परेशान। पॉली मां की तरह संस्कारी, लेकिन पिता की बात मानती।
एक सैटरडे की सुबह, हरजीत तैयार हो रहा था काम पर जाने को। डॉली चाय बना रही थी, हरजीत ने डॉली को करीब खींचा, कान में फुसफुसाया, "डॉली, आज रात गांड में तेल लगाकर झुक के लेटी रहना, मैं आऊंगा और चोदूंगा तुझे अच्छे से, तेरी गांड मारूंगा।" डॉली की सांस रुक गई, "जी, ठीक है..." लेकिन हरजीत की आवाज तेज थी, और डॉली को सुनाई दिया "पॉली को गांड में तेल लगाकर उनके बेड पर झुक के लिटाना है"। डॉली चौंक गई, लेकिन सोचा पति ने बेटी के लिए कहा होगा, शायद कोई मजाक या गलती। लेकिन हरजीत की बात मानने की आदत से वह चुप रही। हरजीत चला गया, डॉली सोचती रही। शाम को, डॉली ने पॉली को बुलाया। "पॉली, आज रात तेरे पापा ने कहा है, गांड में तेल लगाकर उनके बेड पर झुक के लेटना है।" पॉली चौंकी, "मम्मी, ये क्या? क्यों?" डॉली बोली, "ज्यादा सवाल न पूछ, तेरे पापा ने ही बोला है। शायद कोई खेल या मजाक।" पॉली भोली थी, मां की बात मानी, लेकिन मन में उत्सुकता। रात को, डॉली ने पॉली को तेल लगाया, गांड के छेद पर मालिश की, "ये लगा, अब झुक के लेट।" पॉली शरमाई, "मम्मी, ये क्यों?" डॉली बोली, "पापा आएंगे, वो बताएंगे।" पॉली झुक के लेट गई, गांड ऊपर, चूत भी हल्की दिख रही। डॉली चली गई, कमरे की लाइट डिम कर दी, अंधेरा छा गया, सिर्फ हल्की रौशनी।
रात को हरजीत लौटा, थका हुआ लेकिन उत्तेजित। वह कमरे में आया, लाइट डिम देखी, सोचा डॉली तैयार है। वह नंगा हुआ, उसका लंड सख्त, 7 इंच मोटा, नसदार। बेड पर जाकर पीछे से लंड रगड़ा, सोचा डॉली की गांड है, लेकिन गलती से चूत में घुस गया। पॉली चीखी, "आह... दर्द..." हरजीत ने धक्का मारा, पूरा अंदर, "आह... डॉली... कितनी टाइट है आज..." पॉली चिल्लाई, "पापा... मैं पॉली..." हरजीत चौंका, लेकिन लंड अंदर था, "तो पहले क्यों नहीं बोली? अब जान दे होली होली..." वह नहीं रुका, जोर से धक्के मारे, पॉली की चूत फैली, दर्द से चीखती, "पापा... निकालो... दर्द... आह..." लेकिन हरजीत उत्तेजित, "चुप... मजा आएगा..." वह धक्के मारता रहा, पॉली की गांड थपथपाती, स्तन उछलते। पॉली चिल्लाती, "पापा... मत... आह... लेकिन... अच्छा लग रहा..." दर्द मजा में बदला, पॉली की चूत गीली, वह साथ हिलने लगी। हरजीत ने उसके स्तनों को दबाया, निप्पल्स पिंच किए, "पॉली... तेरी चूत कितनी टाइट..." पॉली कराही, "पापा... चोदो... और तेज..." हरजीत ने स्पीड बढ़ाई, पॉली झड़ी कई बार, पानी बहा। हरजीत ने अंदर झाड़ दिया, गर्म वीर्य। पॉली थककर लेटी, मजा लेते हुए। पूरी रात हरजीत ने पॉली को चोदा – डॉगी में, मिशनरी में, उसके मुंह में लंड डाला, "चूस बेटी..." पॉली चूसती, फिर चोदता। पॉली पहले चिल्लाती, फिर मजा लेती, "पापा... आपका लंड... आह..." सुबह तक, पॉली मजा लेने लगी, दर्द भूल गई। हरजीत ने कहा, "ये राज रहेगा।" पॉली मुस्कुराई, "हां पापा, लेकिन फिर करो।" पॉली अब पापा की प्यासी हो गई थी, इच्छाओं में खोई

हरजीत की रात अभी खत्म नहीं हुई थी। कमरे में डिम लाइट की हल्की रौशनी फैली हुई थी, जो पॉली के युवा बदन पर चमक रही थी, उसके गोरे चेहरे पर चुदाई की लाली अब भी बाकी थी, उसके होंठ सूजे हुए, और उसके स्तन उछलते हुए सांसों से ऊपर-नीचे हो रहे थे। हरजीत लेटा हुआ था, उसका मजबूत सरदार बदन पसीने से तर, उसका 7 इंच का लंड अभी भी सख्त, पॉली की चूत के जूसेज से गीला चमक रहा था। पॉली उसके बगल में लेटी थी, उसकी आंखें आधे बंद, बदन में एक मीठा दर्द लेकिन मजा की लहरें, वह सोच रही थी – "पापा का लंड कितना मजबूत, मेरी चूत को भर दिया, लेकिन अब क्या?" हरजीत ने पॉली को अपनी मजबूत बाहों में खींचा, उसके गाल पर किस किया, "पॉली... मेरी बेटी... तू कितनी सुंदर है, तेरी चूत ने मुझे पागल कर दिया।" पॉली शरमाई, लेकिन उसके मन में एक रोमांटिक भावना जाग रही थी, पापा का प्यार, उसकी मजबूत छाती पर सिर रखकर वह बोली, "पापा... आपने मुझे इतना मजा दिया, लेकिन ये गलत है न?" हरजीत ने उसके बालों में उंगलियां फेरते हुए कहा, "गलत नहीं बेटी, ये प्यार है, बाप-बेटी का गहरा प्यार। मैं तुझे हमेशा खुश रखूंगा।" वह पॉली के होंठों पर धीरे से किस किया, जीभ मिलाई, पॉली की सांस तेज हो गई, वह जवाब देने लगी, उनके होंठ एक-दूसरे से चिपक गए, जैसे कोई रोमांटिक फिल्म का सीन। हरजीत का हाथ पॉली के स्तनों पर गया, धीरे से दबाया, निप्पल्स को उंगलियों से सहलाया, "पॉली... तेरे स्तन कितने कोमल, जैसे कोई फूल।" पॉली कराही, "पापा... आह... प्यार से करो..." हरजीत ने एक निप्पल मुंह में लिया, धीरे चूसने लगा, जीभ से चाटता, हल्का काटता, पॉली का बदन थरथरा उठा, "पापा... अच्छा लग रहा... और चूसो..."
हरजीत ने पॉली को पलटा, उसके पीछे लेट गया, उसकी गांड पर हाथ फेरा, "पॉली, तेरी गांड कितनी गोल, मुलायम... मैं इसे भी प्यार करूंगा।" पॉली शरमाई, "पापा... वहां?" हरजीत ने कहा, "हां बेटी, प्यार हर जगह होता है। डर मत, मैं धीरे करूंगा।" वह पॉली की गांड पर किस किया, जीभ से चाटा, छेद पर जीभ फेरी। पॉली तड़प उठी, "पापा... आह... गुदगुदी... लेकिन अच्छा..." हरजीत ने तेल लिया, पॉली की गांड पर मालिश की, उंगली से छेद पर रब किया, धीरे उंगली अंदर डाली। पॉली चीखी, "आह... दर्द... निकालो पापा..." लेकिन हरजीत ने धीरे अंदर-बाहर किया, "शांत बेटी, मजा आएगा..." दर्द मजा में बदला, पॉली कराही, "पापा... हां... और..." हरजीत ने अपना लंड तेल से चिकना किया, पॉली की गांड पर रगड़ा, "बेटी, अब लंड लो..." पॉली डरी, "धीरे पापा..." हरजीत ने धक्का मारा, हेड अंदर, पॉली चीखी, "आह... फट गई... निकालो..." लेकिन हरजीत ने धीरे आगे बढ़ाया, आधा अंदर, पॉली की आंसू निकले, "पापा... दर्द बहुत..." हरजीत ने उसके स्तनों को दबाया, निप्पल्स पिंच किए, "प्यार से सहन कर बेटी..." वह धीरे धक्के मारे, पॉली की गांड फैली, दर्द मजा में बदला, "पापा... अब अच्छा... और तेज..." हरजीत ने स्पीड बढ़ाई, पॉली की गांड थपथपाती, वह कराही, "आह... पापा... चोदो... तेरे लंड ने फाड़ दिया... लेकिन मजा..." हरजीत ने जोर से धक्के मारे, पॉली के बाल पकड़े, "बेटी... तेरी गांड कितनी टाइट..." पॉली झड़ी, गांड सिकुड़ी। हरजीत ने बाहर निकाला, पॉली के मुंह में झाड़ दिया, गर्म वीर्य। पॉली ने निगला, "पापा... प्यार है ये?" हरजीत ने गले लगाया, "हां बेटी, हमारा प्यार।" पूरी रात हरजीत ने पॉली की गांड मारी, रोमांटिक किस से शुरू, वाइल्ड धक्कों तक, पॉली चिल्लाती लेकिन मजा लेती। सुबह, पॉली थककर सोई, हरजीत मुस्कुराया। पॉली अब पापा की आग में जल रही थी, इच्छाओं में खोई
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RE: भोसड़ी की भूखी कहानियाँ - by Fuckuguy - 12-09-2025, 10:18 AM



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