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Adultery भोसड़ी की भूखी कहानियाँ
#9
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भोली लड़की की जागृति : भाग 2

रिया की जिंदगी अब पूरी तरह बदल चुकी थी। राहुल के साथ हुए उन पहले अनुभवों ने उसके मन में एक नई दुनिया खोल दी थी, जहां पहले सिर्फ मासूम सपने और किताबों की कहानियां थीं, अब वहां इच्छाओं की आग सुलग रही थी। लेकिन रिया अभी भी भोली थी – वह सेक्स को समझती थी, लेकिन उसके गहराई में नहीं उतरी थी। राहुल से मिलने के बाद, वह रातों में और ज्यादा तड़पती, बिस्तर पर लेटकर अपनी चूत को सहलाती, उंगलियां अंदर डालकर सोचती राहुल के लंड की, लेकिन कभी-कभी मन में घर की बातें आतीं, दादा जी की। दादा जी, नाम हरिशंकर, 65 साल के, गांव के बुजुर्ग, रिटायर्ड अध्यापक, जो घर में रहते, किताबें पढ़ते, और रिया को हमेशा प्यार से देखते। दादा जी का बदन उम्र के साथ थोड़ा ढीला हो गया था, लेकिन अभी भी मजबूत – सफेद बाल, दाढ़ी, चौड़ी छाती, और पजामा के नीचे उभार जो कभी-कभी दिखता, लेकिन रिया कभी ध्यान नहीं देती थी। दादा जी विधुर थे, दादी की मौत के बाद अकेले, लेकिन रिया को देखकर मन में एक पिता जैसा प्यार था, लेकिन कहीं गहराई में कुछ और भी। रिया को सेक्स की जानकारी मिलने के बाद, वह दादा जी को अलग नजर से देखने लगी – उनके मजबूत हाथ, उनकी आवाज, और कभी-कभी जब वह नहाकर आते, उनके पजामा में उभार। रिया सोचती, "दादा जी का भी वैसा ही होगा जैसा राहुल का?" लेकिन शरम से सोच दबा देती। दादा जी भी नोटिस करते, रिया की बदलती चाल, उसके बदन की नई चमक, लेकिन चुप रहते, मन में एक पुरानी आग सुलगती।
एक शाम, राहुल से मिलकर लौटते हुए रिया घर आई। राहुल ने उस दिन रिया को फिर चोदा था – जंगल में, पेड़ से सटाकर, लंड धीरे-धीरे डालकर, धक्के मारे थे, रिया झड़ी थी कई बार, उसके जूसेज जमीन पर गिरे थे, लेकिन घर लौटकर वह थकी हुई थी, बदन में एक मीठा दर्द। घर में दादा जी अकेले थे, मां-बाप खेत में काम पर। "बेटी, कहां थी इतनी देर?" दादा जी ने पूछा, उनकी आंखें रिया के चेहरे पर, जहां चुदाई की लाली अभी भी बाकी थी, उसके होंठ सूजे हुए, बाल बिखरे। रिया शरमा गई, नजरें झुका लीं, "दादा जी, सहेली के घर गई थी, बातें कर रही थी।" दादा जी मुस्कुराए, लेकिन उनकी नजर रिया के ब्लाउज पर ठहरी, जहां उसके स्तन की आउटलाइन दिख रही थी, निप्पल्स हल्के सख्त। "बेटी, तू बड़ी हो गई है, लेकिन अभी भी भोली लगती है। आ, बैठ मेरे पास, कुछ बातें करें।" रिया का दिल धड़का, लेकिन वह दादा जी के बगल में बैठ गई, उनके कंधे से सटकर। दादा जी ने रिया का हाथ पकड़ा, उसकी हथेली को सहलाया, "बेटी, जीवन में बहुत कुछ है जो किताबों में नहीं लिखा। तू कॉलेज जाती है, लेकिन दुनिया की असली बातें नहीं जानती।" रिया की सांस तेज हो गई, "क्या बातें दादा जी? आप बताओ न..." दादा जी ने कहा, "प्यार की बातें, स्पर्श की बातें, वो सब जो लड़का-लड़की में होता है। तुझे कोई लड़का पसंद है?" रिया शरमाई, उसके गाल लाल हो गए, "नहीं दादा जी... मुझे क्या पता ऐसे..." लेकिन दादा जी ने हाथ रिया की जांघ पर रखा, धीरे से सहलाया, "बेटी, डर मत, दादा जी सिखाएंगे। स्पर्श का मजा जानती है? जैसे कोई तेरे बदन को छूए, तेरे दिल में गुदगुदी हो।" रिया की सांस रुक गई, उसकी चूत में हल्की गीलापन महसूस हुआ, "दादा जी... ये क्या कर रहे हो... ये गलत है..." लेकिन वह हटी नहीं, उसके बदन में एक अजीब सी गर्मी फैल रही थी। दादा जी ने रिया को गले लगाया, उसके स्तनों को अपने सीने से दबाया, "बेटी, ये प्यार है, डर मत।"
रिया की आंखें बंद हो गईं, वह दादा जी के गले से लगी रही। दादा जी ने धीरे से रिया के गाल पर किस किया, फिर होंठों पर। रिया की सांस तेज हो गई, "दादा जी... ये..." लेकिन दादा जी की जीभ रिया के मुंह में घुस गई, खेलने लगी, रिया की जीभ से मिली। रिया का बदन गर्म हो गया, चूत गीली, वह जवाब देने लगी। दादा जी का हाथ रिया के ब्लाउज पर गया, धीरे से बटन खोले, ब्रा के ऊपर से स्तनों को दबाया। "आह... दादा जी..." रिया कराही, उसके निप्पल्स सख्त हो गए। दादा जी ने ब्रा उतारी, रिया के गोल स्तन बाहर आ गए – सख्त, गुलाबी निप्पल्स चमकते। "बेटी, क्या सुंदर है तेरे स्तन, जैसे कोई फल," दादा जी बोले, एक स्तन मुंह में ले लिया, चूसने लगा, जीभ से निप्पल चाटता, हल्का काटता, दांतों से खींचता। रिया तड़प उठी, "आह... दादा जी... मत करो... लेकिन रुको मत... अच्छा लग रहा है... मेरी चूत में कुछ हो रहा है।" दादा जी मुस्कुराए, "बेटी, वो इच्छा है, तेरी चूत गीली हो रही है।" दादा जी की उंगलियां रिया की साड़ी में गईं, पेटीकोट के अंदर, पैंटी पर रब की। रिया चीखी, "आह... दादा जी... वहां मत छुओ... लेकिन छुओ..." दादा जी ने पैंटी उतारकर उंगलियां चूत पर फेरी, क्लिट को रब किया, "बेटी, कितनी गीली है तेरी चूत, जैसे नदी।" रिया कराही, "आह... हां... और..." दादा जी ने एक उंगली अंदर डाली, धीरे अंदर-बाहर किया। रिया की चूत टाइट थी, लेकिन गीली, "दादा जी... दर्द... लेकिन मजा..." दादा जी ने दो उंगलियां डालीं, स्पीड बढ़ाई, क्लिट को थंब से रब किया। रिया का पानी निकलने लगा, "दादा जी... मैं... आह... कुछ हो रहा है..." वह झड़ गई, पहली बार दादा जी के हाथ पर, जूसेज बहते। "ये क्या हुआ दादा जी?" रिया हांफते हुए बोली। दादा जी मुस्कुराए, "ये ऑर्गैज्म है बेटी, मजा आया न? अब दादा जी का देख।"
दादा जी ने अपना पजामा उतारा, लंड बाहर – 7 इंच लंबा, मोटा, उम्र के साथ थोड़ा ढीला लेकिन सख्त, नसदार, हेड पर प्रीकम। रिया की आंखें चौड़ी, "दादा जी, ये क्या है? इतना बड़ा और गर्म?" दादा जी बोले, "ये लंड है बेटी, इससे मजा मिलता है। छू।" रिया ने हाथ में लिया, सहलाया, उंगलियां उसके नसों पर फिसलीं, "आह... कितना सख्त, जैसे लोहे का।" दादा जी ने कहा, "चूस बेटी, मुंह में ले।" रिया ने झिझकते हुए मुंह में लिया, जीभ से हेड चाटी, धीरे चूसने लगी। दादा जी कराहे, "आह... बेटी... अच्छा चूस रही है, जीभ घुमा..." रिया ने गैगिंग लेकिन जारी रखा, सलाइवा ड्रिपिंग, दादा जी के लंड को गीला करती। दादा जी ने रिया के पैर फैलाए, लंड चूत पर रगड़ा, "बेटी, अब लंड लो चूत में। डर मत, दादा जी धीरे करेंगे।" रिया बोली, "हां दादा जी... डालो... लेकिन धीरे..." दादा जी ने धक्का मारा, हेड अंदर, रिया चीखी, "आह... दर्द... निकालो..." लेकिन दादा जी ने धीरे आगे बढ़ाया, आधा अंदर। रिया की चूत फैली, दर्द मजा में बदला, "दादा जी... अब अच्छा लग रहा... पूरा डालो..." दादा जी ने पूरा डाला, धीरे धक्के मारे, स्पीड बढ़ाई। रिया के स्तन उछलते, वह कराही, "आह... दादा जी... चोदो... और तेज... आपका लंड कितना अच्छा..." दादा जी ने उसके स्तनों को दबाया, निप्पल्स काटे, रिया झड़ गई, चूत सिकुड़ी। दादा जी ने बाहर निकाला, रिया के मुंह में झाड़ दिया, गर्म वीर्य। रिया ने निगला, "दादा जी, ये क्या है? मीठा-मीठा।" दादा जी बोले, "वीर्य बेटी, प्यार का रस।"
अगले दिनों, दादा जी रिया को सिखाते। सुबह, जब मां-बाप बाहर, दादा जी रिया की चूत चाटते, जीभ अंदर डालते, क्लिट चूसते। "बेटी, तेरी चूत मीठी जैसे शहद।" रिया कराही, "दादा जी... आह... और चाटो..." शाम को, खेत में, दादा जी रिया को चोदते, पीछे से लंड डालते, धक्के मारते। रिया की प्यास बढ़ी, वह दादा जी से कहती, "दादा जी, आज गांड में डालो..." दादा जी ल्यूब लगाते, धीरे डालते। रिया चीखी, "दर्द... लेकिन मजा..." दादा जी धक्के मारते, रिया झड़ती। रिया अब भोली नहीं, दादा जी की आग में जल रही थी, इच्छाओं की दुनिया में खोई हुई।
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RE: भोसड़ी की भूखी कहानियाँ - by Fuckuguy - 12-09-2025, 07:26 AM



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