11-09-2025, 10:57 PM
कुछ मिनट बाद शर्मिला कमली के साथ बाहर निकलीं और अपने घर की तरफ चल दीं. चलते-चलते उनका दिमाग स्वतः ही पिछले कुछ घंटों में घटी घटनाओं पर जा रहा था. वे सोच रही थीं कि फिर से आने की बात कह कर उन्होंने कुछ गलती तो नहीं कर दी! उनके मन ने उनसे कहा, “तुम्हारे पति ने कमली के साथ जो किया, वो सिर्फ अपनी वासना की पूर्ती के लिए किया. उन्होंने तुम्हारी भावनाओं के बारे में एक बार भी सोचा? और कालू वो फिल्म न बनाता तो क्या होता? क्या अखिल तुम्हे बताते कि उन्होंने कमली के साथ क्या किया था? अगर कालू को एतराज़ न होता तो वे कमली को फिर से भोगने का कोई मौका छोड़ते? वे तुम्हे कालू के पास भेजने के लिए तैयार हुए तो खुद को बचाने के लिए. वे तो अपने स्वार्थ के लिए तुम्हारी बलि चढ़ा रहे थे. अब कालू औरत को मज़ा देने में माहिर निकला तो इसका श्रेय तुम्हारे पति को नहीं जाता! तुम्हारा पति तो सजा के काबिल है जो उसे तुम ही दे सकती हो. ... और हां, कालू ने अदला-बदली की बात की थी ना. अदला-बदली में क्या होता है? किसी ने तुम्हे कुछ दिया है वो उसे लौटाना. तुम्हारे पति ने तुम्हे दी है बेवफाई, सिर्फ अपने मज़े के लिए. अब यही तुम्हे लौटानी है, ब्याज के साथ. तुम्हारा लौटाना तो अभी शुरू हुआ है!”
== समाप्त ==
ये सब सोचते-सोचते उनका घर आ गया. कमली उन्हें पहुंचा कर वापस चली गई. अखिल बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे थे. उनकी रात करवटें बदलते गुजरी थी. रात भर वे यही सोचते रहे थे कि लम्पट कालू उनकी पत्नी की कैसी दुर्गति कर रहा होगा! शर्मिला के घर पहुँचते ही उन्होंने उसे अपनी बांहों में भींच लिया. उन्होंने व्यग्रता से पूछा, “तुम ठीक तो हो?”
शर्मिला ने शांत स्वर में उत्तर दिया, “हां, मुझे भला क्या होगा?”
अखिल ने पूछा, “मैं कह रहा था कि वो तुम्हारे साथ सख्ती से तो पेश नहीं आया?”
“अब ऐसे काम में मर्द का सख्त होना तो जरूरी होता है,” शर्मिला ने कहा.
अखिल के समझ में नहीं आया कि शर्मिला क्या कहना चाहती थी. उन्होंने फिर पूछा, “मेरा मतलब था कि उसने तुम्हे चोट तो नहीं पहुंचाई?”
शर्मिला ने सोचा, ‘इन्हें मेरी शारीरिक चोट की तो इतनी फ़िक्र है पर कमली का मज़े लेने से पहले इन्होने मेरी मानसिक चोट के बारे में सोचा था? अब इन्हें सबक सिखाने का समय आ गया है.’ उन्होंने कहा, “अगर यह काम स्त्री कि सहमति से किया जाए तो मर्द उसे चोट नहीं पहुंचा सकता, फिर चाहे वो कालू जैसा मुश्टंडा ही क्यों न हो!”
“भगवान का शुक्र है कि तुम ठीक हो ... और यह मामला सुलझ गया है!” अखिल ने कहा. वे मन ही मन खुश थे कि वे खुद दुर्गति से बच गए थे.
“सुनो जी, वे लोग कह रहे थे कि कमली ने तुम से अदला-बदली जारी रखने की बात की थी!” शर्मिला ने पत्ता फेंका.
“हां, पर मैंने उसी वक़्त मना कर दिया था.” अखिल थोड़े चिंचित थे कि यह बातचीत किसी ग़लत दिशा में न चली जाये!
“पर कालू का बहुत मन है,” शर्मिला ने बाज़ी को आगे बढाया. “बेचारा गिड़गिड़ा रहा था कि यह काम आगे भी चलता रहना चाहिए. मुझे तो उस पर दया आ रही थी.”
“क्या?” अखिल ने अचम्भे से कहा. उन्हें यह कतई गवारा नहीं था कि कालू जैसा बदमाश उनकी पत्नी का मज़ा लूटे! ... एक बार तो चलो मजबूरी थी, पर बार बार? ... फिर उन्हें खयाल आया कि बात अदला-बदली की हो रही है! अगर अपनी पत्नी के बदले में उन्हें कमली मिल जाये तो कैसा रहेगा? एक तरफ पुरानी पत्नी और दूसरी तरफ नई कमली! ... उनका मन डोलने लगा! ... आखिर जीत पुरुष की कमज़ोरी की हुई; परायी स्त्री का आकर्षण होता ही ऐसा है! उन्होंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए पूछा, “तो तुमने हां कर दी?”
“उस बेचारे की हालत देख कर मेरा दिल पिघल गया,” शर्मिला ने कहा. “मैंने उसे कह दिया कि जब उसका मन करे, वो कमली को बता दे. मैं कल रात की तरह उनके घर चली जाऊंगी. ठीक किया न मैंने?”
अखिल तपाक से बोले, “हां, इसमें क्या गलत है?”
“मुझे पता था कि तुम्हे भी कालू पर दया आएगी,” शर्मिला ने आखिरी पत्ता फेंका. “मुझे सिर्फ एक बात का अफ़सोस है! पता नहीं क्यों तुमने भगवान की कसम खा ली कि तुम पराई स्त्री की तरफ देखोगे भी नहीं! कमली तो तुम्हारी इच्छा पूरी करने को तैयार है पर तुमसे भगवान की कसम तुड़वाने का पाप मैं नहीं करूंगी! अब तो कालू की ही इच्छा पूरी हो पायेगी.”
अखिल खुद को कोस रहे थे कि उन्हें इतनी ज्यादा एक्टिंग करने की क्या जरूरत थी? भगवान की कसम के बिना भी काम चल जाता. अब कालू के तो मज़े हो गए और बदले में उन्हें कुछ नहीं मिला.