11-09-2025, 05:40 PM
गांव की सामूहिक आग
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में, जहां हरे-भरे खेतों की लहरें हवा में नाचतीं और सुबह की पहली किरणें नदी के किनारे चमकतीं, जहां हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू और दूर किसी मंदिर की घंटियां घुली रहतीं, वहां रहती थी एक जवान विधवा नाम मीना। मीना, 28 साल की, गांव की सबसे सुंदर औरत थी, जिसका पति दो साल पहले दुर्घटना में गुजर गया था। मीना का बदन ऐसा था कि गांव के हर मर्द की नजरें उस पर ठहर जातीं – गोरी चिट्टी स्किन जो दूध की तरह चमकती, लंबे काले बाल जो कमर तक लहराते और हवा में उड़ते, 38DD के भरे हुए स्तन जो साड़ी के ब्लाउज में से बाहर आने को बेताब लगते, उनके बीच की गहरी खाई जो देखने वाले को मदहोश कर देती, पतली कमर जो साड़ी में लिपटी रहती लेकिन नीचे चौड़ी कूल्हे जो चलते वक्त लहरातीं तो लगता जैसे कोई बादल तैर रहा हो। उसकी गांड गोल, भरी हुई और इतनी मुलायम कि छूने को जी चाहे, जैसे कोई तकिया, और चूत हमेशा साफ शेव्ड, गुलाबी लेबिया वाली जो उत्तेजना में फूल जाती, अंदर से गर्म और गीली। मीना का जीवन अब सास-ससुर के साथ गुजरता था, लेकिन पति की मौत के बाद उसकी इच्छाएं सुलगती रहतीं। रातों में अकेली लेटकर वह खुद को छूती, उंगलियां अपनी चूत पर फेरती, क्लिट को रब करती, निप्पल्स को पिंच करती, "आह... कोई तो चोदो मुझे... लंड की प्यास मिटाओ," वह फुसफुसाती, लेकिन गांव की मर्यादा और विधवा का दाग उसे रोकता। सास कमला, 50 की, घर संभालती, लेकिन मीना को देखकर जलती, क्योंकि मीना की जवानी उसे अपनी उम्र का अहसास कराती। ससुर हरि, 55 का, खेतों में काम करता, लेकिन मीना की गांड देखकर मन ललचाता। गांव में मजदूर थे – रामू, 30 का, मजबूत बदन वाला, काला रंग, 8 इंच लंड; शंकर, 32 का, लंबा, 9 मोटा लंड; और गोपाल, 28 का, जवान, 7 इंच लेकिन तेज। ये तीनों मीना के घर काम करते, उसकी सुंदरता पर फिदा, रातों में मीना की कल्पना करके मुठ मारते। मीना भी नोटिस करती, लेकिन शरमाती।
कहानी की शुरुआत उस गर्मी की दोपहर से हुई, जब सास कमला बाजार गई थी और ससुर हरि खेत में। मीना घर में अकेली थी, गर्मी से परेशान, साड़ी ढीली करके लेटी थी। वह खुद को छू रही थी, ब्लाउज के बटन खोले, स्तन बाहर, निप्पल्स सख्त, उंगलियां चूत में, "आह... लंड चाहिए... कोई तो भर दे मेरी चूत..." वह कराह रही थी। बाहर रामू, शंकर और गोपाल काम कर रहे थे, पानी मांगने आए। दरवाजा खुला था, वे अंदर झांककर देखा – मीना बिस्तर पर, साड़ी ऊपर, उंगलियां चूत में, कराह रही। तीनों का लंड सख्त हो गया। रामू बोला, "भाभी... पानी..." मीना चौंक गई, साड़ी ठीक की, लेकिन तीनों ने देख लिया। "रामू... तुम..." मीना शरमा गई, लेकिन उसकी चूत और गीली हो गई। रामू मुस्कुराया, "भाभी, आप तड़प रही हो, हम मदद कर सकते हैं।" मीना का दिल धड़का, "नहीं... जाओ..." लेकिन शंकर करीब आया, "भाभी, हमारा लंड देखो, आपके लिए ही सख्त है।" तीनों ने पैंट उतारी, उनके लंड बाहर – रामू का 8 इंच मोटा, शंकर का 9 इंच लंबा, गोपाल का 7 इंच तेज। मीना की आंखें चौड़ी, "इतने बड़े... लेकिन ये गलत है..." लेकिन उसका बदन गर्म हो गया। गोपाल ने मीना का हाथ पकड़ा, अपने लंड पर रखा, "छुओ भाभी..." मीना ने सहलाया, "आह... कितना गर्म..." रामू ने मीना की साड़ी खींची, ब्लाउज खोला, स्तन बाहर। "भाभी, क्या माल है," वह बोला, एक स्तन मुंह में ले लिया, चूसने लगा। मीना कराही, "आह... रामू..." शंकर दूसरे स्तन पर, काटने लगा। गोपाल नीचे, मीना की चूत पर जीभ फेरी। "भाभी, तेरी चूत कितनी गीली," वह बोला, जीभ अंदर डाली, चाटने लगा। मीना तड़प उठी, "आह... तीनों... मत करो... लेकिन रुको मत..." तीनों ने मीना को बेड पर लिटाया, रामू ने लंड मीना के मुंह में डाला, "चूस भाभी..." मीना चूसने लगी, गैगिंग। शंकर ने चूत में लंड रगड़ा, धीरे डाला। "आह... शंकर... दर्द..." लेकिन मजा आया। गोपाल मीना के स्तनों को दबाता, निप्पल्स चूसता। शंकर ने धक्के मारे, मीना की चूत सिकुड़ी, वह झड़ गई। रामू ने मुंह में झाड़ दिया, मीना ने वीर्य निगला। फिर बदलाव – गोपाल ने चूत में लंड डाला, रामू मुंह में, शंकर स्तनों पर। मीना की कराहें गूंज रही थीं, "आह... चोदो... और तेज..." तीनों ने बारी-बारी चोदा, मीना झड़ी कई बार। आखिर में, तीनों ने मीना के बदन पर वीर्य छोड़ा, गर्म रोप्स। मीना थककर लेट गई, "ये राज रहेगा।" तीनों मुस्कुराए, "हां भाभी, लेकिन रोज आएंगे।"
अगले दिनों, गैंगबैंग जारी रहा। सुबह, खेत में, मीना तीनों से चुदवाती। रामू पीछे से, शंकर मुंह में, गोपाल स्तनों पर। मीना कराही, "आह... तीन लंड... मजा आ रहा..." शाम को, घर में, तीनों मीना को बांधते, आंखों पर पट्टी। "भाभी, आज गुलाम हो।" रामू चूत चाटता, शंकर लंड मुंह में, गोपाल गांड में उंगली। मीना तड़पती, "चोदो... भर दो मुझे..." फिर तीनों एक साथ – रामू चूत में, शंकर गांड में, गोपाल मुंह में। मीना चीखी, "आह... दर्द... लेकिन मजा..." तीनों धक्के मारते, मीना झड़ती। तीनों झड़ते, मीना के बदन पर। मीना की प्यास बढ़ी, वह कहती, "और लाओ..." तीनों ने दोस्त बुलाए – दो और मजदूर। अब पांच, मीना को घेरते, बारी-बारी चोदते। मीना खुश, "आह... पांच लंड... चोदो मुझे..." गांव की विधवा अब सामूहिक आग में जल रही थी, इच्छाओं की दुनिया में खोई हुई।
मीना की भूख अब गांव की बात हो गई थी, लेकिन राज राज रहा। एक रात, मीना ने कहा, "आज कुछ बड़ा करो।" रामू, शंकर, गोपाल और दो दोस्त – कुल पांच – मीना को जंगल में ले गए। जंगल में, चांदनी रात, मीना नंगा लेटी। "भाभी, आज पांच लंड तेरे लिए," रामू बोला। मीना मुस्कुराई, "हां... चोदो सब मिलकर..." रामू ने चूत में लंड डाला, शंकर मुंह में, गोपाल स्तनों पर, बाकी दो सहला रहे। मीना कराही, "आह... और तेज..." बदलाव – शंकर चूत में, रामू गांड में, गोपाल मुंह में। मीना चीखी, "दो लंड एक साथ... आह... फाड़ दो..." वे धक्के मारते, मीना झड़ती कई बार, पानी बहता। आखिर में, पांचों ने मीना पर वीर्य छोड़ा, बदन गीला। मीना थककर लेटी, "मजा आया... फिर करो।" गैंगबैंग जारी रहा, मीना की आग कभी न बुझती, पांचों का लंड हमेशा तैयार। गांव की विधवा अब सामूहिक चुदाई की रानी थी, इच्छाओं की दुनिया में खोई हुई।