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Adultery भोसड़ी की भूखी कहानियाँ
#6
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देवर की प्यास

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में, जहां गंगा की शांत लहरें किनारे पर धीरे-धीरे ठहरतीं और सुबह की ठंडी हवा में खेतों की हरीतिमा और मिट्टी की सोंधी खुशबू घुली रहती, वहां रहता था एक साधारण लेकिन खुशहाल परिवार। परिवार का बड़ा बेटा था अजय, 30 साल का, जो शहर में एक छोटी सी कंपनी में नौकरी करता था और महीने में एक-दो बार ही गांव लौटता। छोटा भाई था संजय, 28 साल का, जो गांव में ही खेती-बाड़ी संभालता था, घर की जिम्मेदारी उसके कंधों पर थी। सास थी कमला, 50 साल की, विधवा, जो घर संभालती और बहू की देखभाल करती। कमला का बदन उम्र के साथ थोड़ा भारी हो गया था, लेकिन अभी भी आकर्षक – गोरी स्किन जो सालों की मेहनत से थोड़ी रूखी हो गई थी लेकिन चमकदार, छोटे बाल जो कान तक आते, 38D के भरे हुए स्तन जो साड़ी के ब्लाउज में से उभरते, कमर थोड़ी मोटी लेकिन कूल्हे चौड़े जो चलते वक्त लहराते, और गांड भरी हुई, मुलायम, जो साड़ी में छिपी रहती लेकिन छूने की चाहत जगाती। कमला की चूत बालों वाली, लेकिन इच्छाओं से सुलगती – पति की मौत के बाद सालों से किसी लंड की प्यासी, रातों में खुद को छूती, उंगलियां डालकर कल्पना करती किसी युवा मर्द के धक्कों की, लेकिन सास का रोल निभाती चुप रहती। बहू थी पूजा, 26 साल की, अजय की पत्नी, शहर से आई लेकिन अब गांव में सास के साथ रहती। पूजा का बदन जवानी की ताजगी से भरा – गोरी चिट्टी स्किन जो दूध की तरह चमकती, लंबे काले बाल जो कमर तक लहराते, 36C के सख्त स्तन जो साड़ी के ब्लाउज में से उभार दिखाते, पतली कमर जो साड़ी में लिपटी रहती, और चौड़ी कूल्हे जो चलते वक्त लहरातीं तो लगता जैसे कोई अप्सरा हो। उसकी गांड गोल और उभरी हुई, इतनी मुलायम कि छूने को जी चाहे, और चूत हमेशा साफ, गुलाबी लेबिया वाली, लेकिन पति की कमी में सुलगती। पूजा की रातें अकेली गुजरतीं, बिस्तर पर लेटकर खुद को छूती, उंगलियां अपनी चूत पर फेरती, निप्पल्स को पिंच करती, कल्पना करती किसी मजबूत मर्द के लंड को अंदर महसूस करने की, उसके धक्कों से बेड हिलने की, लेकिन सास के डर से चुप रहती। संजय, देवर, मजबूत कद-काठी वाला, काला रंग लेकिन आंखों में चमक, उसका बदन खेती की मेहनत से तराशा हुआ – चौड़े कंधे, मोटी छाती, मजबूत बाजू, और पैंट के नीचे उभार जो बताता कि उसका लंड कोई कमजोर नहीं, 9 इंच लंबा, मोटा और नसदार, जो पूजा को देखकर सख्त हो जाता। संजय पूजा को देखता, लेकिन भाभी कहकर मन मारता, लेकिन कमला को भी निहारता, सास की भरी हुई गांड पर नजरें ठहरातीं।
कहानी की शुरुआत उस सर्दी की शाम से हुई, जब अजय शहर लौट गया था। गांव में ठंड बढ़ रही थी, घर में अंगीठी जल रही थी। पूजा रसोई में खाना बना रही थी, साड़ी गीली हो गई थी पानी से, ब्लाउज चिपक गया था, स्तन के उभार साफ दिख रहे थे। संजय पानी लेने आया, पूजा को देखकर ठहर गया। "भाभी, आपका ब्लाउज..." वह बोला। पूजा शरमा गई, "देवर जी, आप..." लेकिन संजय करीब आया, "भाभी, आप बहुत सुंदर हो। भैया शहर में रहते हैं, आप अकेली..." पूजा का दिल धड़का, "संजय, सासु मां हैं..." लेकिन कमला बाहर थी। संजय ने पूजा का हाथ पकड़ा, "भाभी, मैं देखता हूं, आप रातों में तड़पती हो। मैं आपकी प्यास बुझा सकता हूं।" पूजा की सांस तेज हो गई, "संजय... ये गलत है..." लेकिन संजय ने उसे दीवार से सटा लिया, होंठों पर होंठ रख दिए। पूजा ने पहले विरोध किया, लेकिन संजय की जीभ ने उसके मुंह में घुसकर खेलना शुरू किया, पूजा की आंखें बंद हो गईं, वह जवाब देने लगी। संजय का हाथ पूजा के स्तनों पर गया, ब्लाउज के ऊपर से दबाया। "आह... संजय..." पूजा कराही। संजय ने ब्लाउज के हुक खोले, ब्रा उतारी, उसके सख्त स्तन बाहर आ गए – गोल, गुलाबी निप्पल्स सख्त। "भाभी, क्या माल है," संजय बोला, एक स्तन मुंह में ले लिया, चूसने लगा, जीभ से निप्पल को चाटता, हल्का काटता। पूजा तड़प उठी, "आह... देवर जी... मत करो... लेकिन रुको मत..." संजय की उंगलियां पूजा की साड़ी में गईं, पेटीकोट के अंदर, चूत पर रब की। पूजा की पैंटी गीली थी। "भाभी, आपकी चूत तो बह रही है," वह बोला, पैंटी उतारकर उंगलियां अंदर डाल दीं। पूजा चीखी, "आह... हां... और गहरा..." संजय ने दो उंगलियां डालीं, अंदर-बाहर किया, क्लिट को रब किया। पूजा का पानी निकलने लगा, "संजय... मैं आ रही हूं..." वह झड़ गई, जूसेज संजय के हाथ पर।
संजय ने पूजा को उठाया, बेड पर लिटाया। "भाभी, अब मेरा लंड लो।" वह अपना पैंट उतारा, लंड बाहर आया – 9 इंच लंबा, मोटा, नसदार, हेड पर प्रीकम चमकता। पूजा ने देखा, "इतना बड़ा... अजय का तो आधा।" वह हाथ में लिया, सहलाया। संजय कराहा, "भाभी, चूसो इसे।" पूजा ने मुंह में लिया, चूसने लगी, जीभ से हेड चाटती, गहरा चूसती, गैगिंग लेकिन जारी रखा, सलाइवा ड्रिपिंग। संजय के मुंह से सिसकारियां निकलीं, "भाभी... आह... आपकी जीभ... कितनी गर्म..." पूजा ने चूसा, संजय ने उसके बाल पकड़े, मुंह में धक्के मारे। "भाभी, आपकी मुंह की गर्मी... आह..." पूजा की चूत फिर गीली हो गई, वह खुद को छू रही थी। संजय ने पूजा के पैर फैलाए, लंड चूत पर रगड़ा, "भाभी, डालूं?" पूजा बोली, "हां... धीरे से... तेरा बहुत बड़ा।" संजय ने धक्का मारा, आधा अंदर। पूजा चीखी, "आह... दर्द... लेकिन अच्छा... पूरा अंदर कर..." पूरा अंदर, पूजा की चूत फैली। संजय ने धीरे धक्के मारे, स्पीड बढ़ाई, पूजा के स्तन उछल रहे थे। "भाभी, क्या टाइट चूत... भैया को तो पता नहीं।" पूजा कराही, "हां... चोद मुझे... और तेज... तेरा लंड कितना गर्म, मेरी चूत को भर रहा है।" संजय ने उसके स्तनों को दबाया, निप्पल्स काटे, पूजा फिर झड़ गई। संजय ने बाहर निकाला, पूजा के पेट पर वीर्य छोड़ा, गर्म रोप्स। दोनों थककर लेट गए। "संजय, ये राज रहेगा," पूजा बोली। संजय मुस्कुराया, "हां भाभी, लेकिन रोज चोदूंगा।"
लेकिन कहानी यहां नहीं रुकी। कमला, सास, सब देख रही थी। वह रातों में पूजा की कराहें सुनती, लेकिन चुप रहती। एक दिन, कमला ने संजय को पकड़ा। "संजय, तू पूजा को चोद रहा है?" संजय डर गया, "मां... माफ करो..." लेकिन कमला मुस्कुराई, "डर मत, मैं भी प्यासी हूं। तू मुझे भी चोद।" संजय का दिल धड़का, "मां...?" कमला ने अपना ब्लाउज खोला, उसके भरे हुए स्तन बाहर आ गए। "हां बेटा, तेरी सास की चूत भी लंड मांग रही है।" संजय ने कमला को बांहों में लिया, चूमने लगा। कमला की चूत गीली हो गई। संजय ने कमला की साड़ी उतारी, चूत चाटी। "मां, आपकी चूत कितनी स्वादिष्ट।" कमला कराही, "आह... बेटा... चाट... रातों से प्यासी हूं।" संजय ने लंड डाला, कमला चीखी, "आह... कितना बड़ा... चोद मुझे..." संजय ने धक्के मारे, कमला झड़ी। फिर पूजा आई, देखकर शॉक्ड, लेकिन शामिल हो गई। "सासु मां, मैं भी..." तीनों साथ, संजय पूजा को चोदता, कमला पूजा की चूत चाटती। "बहू, तेरी चूत मीठी।" पूजा कराही, "सासु मां... आह..." संजय कमला को चोदता, पूजा संजय का लंड चूसती। तीनों झड़े, कमरा उनकी खुशबू से भर गया।
अगले दिनों, संजय पूजा और कमला दोनों को चोदता। सुबह, खेत में, पूजा और कमला साथ, संजय दोनों की चूत चाटता। शाम को, घर में, कमला पूजा को चाटती, संजय कमला को चोदता। पूजा की भूख बढ़ी, कमला की आग सुलगी। अजय आया, लेकिन रात को पूजा संजय के पास जाती। "अजय सो गया, चोद मुझे।" संजय चोदता, पूजा झड़ती। "भाभी, अजय भैया का लंड छोटा, मेरा बेहतर।" पूजा मुस्कुराती, "हां, तेरा लंड ही असली।" कमला भी शामिल होती, तीनों की मस्ती। गांव की बहू और सास अब देवर की प्यास में डूबी हुई थीं, इच्छाओं की दुनिया में खोई हुई।
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RE: भोसड़ी की भूखी कहानियाँ - by Fuckuguy - 11-09-2025, 05:19 PM



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