11-09-2025, 06:44 PM
अमित वासना
भाग1
मैं ऊषा देश के उत्तरपूर्व राज्य के एक छोटे से जिले की रहनेवाली अभी उमर 42वर्ष ,चूंचियां 36इंच और मेरी गांड़ फूले तरबूज़ के आकार का,साइज 40इंच। हालांकि मेरी चूंचियां अब पहले जैसी नहीं रही,पर अभी भी ठरकी मर्दों और जवानी में कदम रखते लौंडे, अपने अपने लौड़े सहलाने लगते थे।
यह बात तब की है जब मैं 24साल की हो रही थीं,मेरे कॉलेज की पढ़ाई समाप्त होने वाली थी। स्वभाव से मै ज्यादा उग्र और उच्छृंखल थी।कई सहेलियों और लड़के भी मेरे दोस्त बन गए थे,लेकिन लड़कों से दोस्ती में भी बाते अश्लील चुटकुले,और कभी चूचमर्दन जैसी हरकतों से बात आगे नहीं बढ़ी । लेकिन बकरे की मां कब तक खैर मनाती,एक दिन वो हो ही गया ,जिसे खोलने का अधिकार मेरे होने वाले पति का था,उसे उन दोस्तों में से एक ने पहल की,और फिर सबने एक एक करके अपनी जुताई की।क्यों और कैसे वोह मै अगले भाग में बताऊंगी।इधर मै रोज नई नई केलों का आनंद लेने मे जुटी थी, इधर किसी दिलजले ने यह शिकायत मेरे घरवालों से कर दी।फिर क्या था,मेरे पिताजी ने मेरी शादी अपने एक मित्र के बेटे रमेश नाम के लड़के के साथ तय कर दी।मैने सुना कि वो किसी सरकारी विभाग में सहायक के पद पर काम कर रहे है।फिर आनन फानन में मेरी शादी कर दी गई।
आज मेरी तथाकथित सुहागरात थी ।मै जानती थी कि आज मेरे साथ क्या होगा,पर भीतर ही भीतर डर भी रही थी कि क्या होगा जब उन्हें पता चलेगा कि उनकी पत्नी ने उनके लिए जो वास्तविक उपहार था ओह मै पहले ही गवा चुकी हूं।उजा घर मे मै बैठी थी,वहां से थोड़ी देर के बाद ही मुझे इनकी भाभियों और कुछ नौजवान लड़कियां आई और मुझे वहां से ले जाकर एक सजे सजाए रूम में ले आई।एक पलंग जो फूलों , मालाओं से सजी हुई थी पर ले आई।बहुत सी बातें भी बोल रही थी,पर मै अपने ही विचारों में खोई हुई थी, इसलिए सिर्फ़ मै घुघट की ओट से मुस्कुराती हुई शुक्रिया कहकर पलंग पर बैठ गई।मुझे अधिक न बोलते देख एक उनमें से बोली,बहुरानी बहुत थकी लग रही है, और न जाने कितनी मेहनत करनी पड़ेगी आज रात। थोड़ी देर आराम करि।इतना कह के ओ सब चली गई।थोड़ी देर बाद उनमे से एक दो ग्लास दूध ले कर आई, और धीरे से बोली,भैया दूध के बड़े शौखिन है।ए वाला दूध जरूर पिला दीजिएगा,तो बाद वाला ओ खुद मटकी में मुंह लगा कर पि लेंगे।मुझे जबतक उसकी बात समझ आती वो वहां से हंसती हुई भाग गईं।
मैं थोड़ी ही देर लेटी होऊंगी की किवाड़ खुलने की आवाज आई,मै सिहरते हुए सीधी होकर बैठ गई।धीरे धीरे ओ आकर पलंग पर मेरे बगल में बैठे और धीरे से मैरी घूंघट उठाकर मुस्कुराती नजरों से मेरी ओर देख कर एक सोने का खूबसूरत स चैन मेरे गले में पहना दिया और बोले,तुम तो थक गई होगी,चलो आज की रात हमलोग एक दूसरे के बारे में बात करते हैं,दरअसल यह शादी इतनी जल्दबाजी में हुई कि न मैतुम्हारे बारे में न शायद तुम भी हमारे बारे में या मेरे परिवार के विषय में कुछ जानती होगी। मेरे सीने की धुकधुकी कम हो गई थी।और फ़िर मुस्कुराती हुई बोली हा सो बात तो है ,मुझे तो सिर्फ इतनों बात मालूम है कि आपके पिताजी और मेरे पिताजी में पुरानी दोस्ती थी।इस बहाने ओ दोस्ती को संबंध बना देने का बहाना बन गया।थोड़ी देर इधर उधर की बातों का सिलसिला जो मेरे पढ़ाई से लेकर मेरी सहेलियों के विषय में पूछते रहे,मै बताती जा रही थी।फिर मै ने उनसे उनके परिवार के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया की वो एकमात्र संतान है अपने माता पिता के।उनकचाचा के लड़के लड़कियां है,जो कुछ आई है,कुछ नहीं आ पाई।
इस समय तक गप्प करते करते कब मै उनकी बाहों में लिपट कर उनके सीने में अपने शिर को छुपा लिया ,पता ही न चला।वो मेरे गालों और होंठों का चुम्बन ले रहे थे और एक हाथ से मेरी गांड़ कि गोलाईओ को सहला भी रहे थे।
अचानक ओ बोल पड़े ,अच्छा ये तो बताओ तुमको सेक्स में क्या पसंद है,अब मैं सोच में पर गई,अगर कुछ बोलती हूं तो मै खुद फंस जाऊंगी।अतः मै धीमे स्वर में बोली जी जो आपको पसंद होगी ओहि मेरी भी होगी।इसपर ओ हंस कर बोले चलो मै तुमको दिखलाहूं ,कह कर ओ पलंग से उतरे और हमलोंगो के ठीक सामने एक टीवी और वो सी आर टेबल पर रखी हुई थी।उन्होंने एक कैसेट निकल कर वीसीआर में डाला और टीवी ऑन कर बेड पर आकर मुझे बाहों में लेकर लेट गए।हंसों की नजरें टीवी पर ही लगीं थी।जानती हो यह ब्ल्यूफिलम आज कल तहलका मचा रखा है।देखो कैसे इस लड़की की चढ़ाई होती है।मै चुड़ैल सुनते ही सचमुच में शर्मा गई आतंके कुर्ते में ही मुख छुपा ली।एक नवयुवक उस लड़की के पैरों को अपने कंधे पर रख कर अपनी बार सा लैंड उसके छुटके ऊपर रखकर उसे अपने लौड़े ही से सहलाए जा रहा था।उसके अगल बगल चार पांच आदमी खरे थे जिसमें एक लगभग साठ वर्ष का होगा ओ भी कुछ बोलता जा रहा था।अचानक उस नौजवान ने एक झटके से अपना पूरा लौरा उसकी boor में घुसा दिया।वह लड़की बारे जोर से चीखी तो ओह बुजुर्ग उसे चुप कराने लगे तो उसमें से एक अन्य आदमी बोलने लगा ,अरे चीखने दे मजा आएगा।ओह जवान उसी तरह से उस लड़की की चीख निकलवाता रहा।उसी में एक दूसरी सीन आई,उसी लड़की की choot में अब लौड़े की जगह एक बियर की बॉटल का सिरा घुसा कर ओह लड़की खुद choot के बाहर भीतर कर रही थी अपना सिर उस बुजुर्ग आदमी के गोद में रख कर,और वो बुजुर्ग उसके सिर को सहलाए जा रहा था। अब दुसरी फिल्म चली जो अंग्रेजी में थी।इसमें एक लड़की पांच छः लोगों के बीच एक दम नंगी खरी थी वैसे ही वो सभी नंगे ही थे। मेरी तो आंखे फटी की फटी रह गई जब देखी कि एक आदमी काट पर लेट गया,उसका लौरा जो करीब नौ से दस इंच का होगा एकदम आकार के सीधा खरा था,उस लौड़े पर ओ लड़की अपनी choot में घुमाकर बैठ जाती है,दूसरे और तीसरे एक एक कर अपने लौड़े को उसकी गांड़ के छेद में लेती है ,चौथा अपने लौड़े को उसकी मुंह में ठेलकर चुसवा रहा था,गांड़ में पेलने वाले कभी कभी उसकी गांड़ पर जोर की चपत भी लगाए जा रहे थे।ये सब देख कर मेरी चoot भी भींग आई थी,और मुझे उनके लौड़े का कड़ापन अपने पेट के नीचे महसूस कर रही थी।
बंद कर दीजिए,मै धीरे से बोली।फिर ओ उठकर गई और उसे ऑफ कर बेड पर आ गए ,और फिर मुझे अपने गोद में खींचते हुए कसकर अपने से चिपकाते हुए बोले कैसा लगा मेरी रानी।धत कहकर मै उनके सीने में अपने मुंह को छिपा लिया।अब उनके हाथ ने मेरी चूंचियों का जायजा लेना शुरू कर दिया था।ओ हल्के स्वर में मुझसे पूछने लगे,तुम तो ग्रेजुएशन कर रही हो, तुम्हारी कोई सेक्स फेंटेसी है तो बताओ।नहीजी मेरी कोइ फंतासी नहीं है।ओ मुस्कुरा के बोले अगर मै छुड़ाई के बीच अगर तुम्हे गंदी गालियों से बात करूं तो कैसा लगेगा,वो कैसे और कैसी गलियानदेखो मै बताता हूं,कहकर ओ मेरी चूचियों को कसकर मसलते हुए बोले,साली, बुरचोडी अपनी चुचकसनी खोल के अपनी चूंची चूसा रण्डी। मै तो अवाक रह गई ऐसी भाषा सुनकर,लेकिन भीतर एक कामुक आग की लहर उठ रही थी,लेकिन मै वैसे ही मुंह छिपाए लेती रही,फिर ओह बोले ऐसे कैसे चलेगा मेरी रानी,तुमको भी ऐसी भाषा में बात करनी होगी।अगर पसन्द हो तो आगे भी करेंगे वरना बंद कर देते है।नहीं जी ऐसी कोई भी बात नहीं है,बस ऐसी गंदी गालियों पर मैने कभी ध्यान नहीं दी ज्यादा जानती नहीं हूं,अब सीख लूंगी।जो जितना जानती हो उसी में से कुछ याद कर मेरी बातों का जवाब दो तो सुने।मै अक्सर कॉलेज में एक दूसरे को ओ बहन के लौड़े कहते हुए सुनी थी,बस मै भी बोल पड़ी,ओ बहन के लौड़े खोल ले अपनी बुरचोडी रण्डी बीबी की चूंचकसनी,बुरझप्पा,मै तो आपकी मॉल हूं, पर्सनल रण्डी।इतना सुनते ही उन्होंने मुझे कसकर चिपका लिया।और कस कद के चुम्बन लेने लगे।अब उनके हाथों की अंगुलियों मेरी बूर के होंठों को सहला रही थी। ए क्या है मेरी रण्डी बीबी ऊषा।मैं तो पहले से ही शर्म से आंखों को बंद किए हुई थी।अचानक उन्होंने अपनी हाथ वहां से हटा ली,boorchodi थोड़ा सहलाने और बाते करने में ही पानी छोड़ने लगी। पूरी खेली खाई है।है न ऊषा रण्डी। बात तो सही ही थी,पर यह बात सुनके मेरे ऊपर एक उदेशी सी छा गई,जो इनसे छिपी ना रह सकी,फिर ओ मेरे गालों पर हल्का सा चुम्बन लेकर बोले,अरे तुम उदास क्यों होती हो,अब तो हमारी शादी हो चुकी है और एक दूसरे से कोई बात छुपानी नही चाहिए।जैसे तुम कई लौड़े ले चुकी हो मै भी कई चूten फार चुका हूं। कईओ की तो गांड़ का भी सत्यानाश कर चुका हूं।अब मेरी धड़कन स्थिर हो चुकी थी।मै ने भी होंठों पे हंसी लाते हुए बोली चल झूठे।बात बनाना तो आप खूब जानते है, वैसे कौन है वो लौंडिया जिसने मेरे चोदूं भतार के लौड़े का रस पी चुकी है।एक का भी नाम बताइए।
मै तो बताऊंगा भी और मिलाऊंगा भी, पहले तुम बताओ मेरी प्यारी बीबी ऊषा रण्डी की तुम्हारी इस हसीन चूt ka उदघाटन समारोह किसके द्वारा हुआ था। मै फिर फंस गई,अब क्या करूं ,बस इनके छाती में मुंह छिपाए लेटी रही,जब बहुत देर तक में नहीं बोली तो वो स्वयं ही बोले,देखो तुमको पहिए पहल परम madarchod ने ठुकाई की थी,बोलो हां या ना।अरे इन्हें कैसे मालूम,मै इनकी गोद में और सिमटते हुए बोली,हा यह बात तो सही है,पर आपको।कैसे मालूम।अरे इसकी भाभी,और बहन दोनों की मै भरपूर ठुकाई करता हूं।और यह बात परम भी जनता है।उसी ने एक दिन अपनी भाभी से मिलने आया था,उस दिन इतवार होने के कारण छुट्टी मैं भी वहां मौजूद था,आज उसकी भाभी और बहन दोनों को पेलने का सोचकर गया था।पर उसकी मोजूदगी के कारण देरी हो रही थी।
उसकी भाभी ने उससे मजाक करते हुए कहा कि देवरजी,जल्दी से परीक्षा पास कीजिए ,नौकरी ढूंढिए,और फिर छोकरी।अरे भाभी ,उसने जवाब देते हुए कहा,अरे भाभी नौकरी गई तेल लेने,कुछ ही दिन पहले मिलाप हुआ है,ऊषा नाम है उसका।मस्त छोकरी है।अरे वाह तो,बस वैसे ही जान पहचान है या चोंच मार चुके हैं उसकी भाभी ने पूछा।ओह सीना फुलाते हुए अपनी भाभी कोआँख मारता।हुआ बोला ओ तो छक्का मार चुका है।बस मालूम पर गया।मै पूरी बात सुनकर सुन्न हो गई।
मै सोच भी नहीं सकती थी कि ऐसे लोग भी होते है।फिर अपने पति की ओर देख कर सोच रही थी,कितनीभाग्यशाली हूँ मै।अगर किसी दकियानूसी परिवार,या वैसी सोच वाले पति मुझे मिलते तो या तो मुझे आत्महत्या करनी पड़ती या किसी कोठे की रण्डी। घरवाले तो ऐसी बात जानकर मेरी छाया भी अपने घर पर न पड़ने देते।मै अपने पति को अगाध श्रद्धा से निहारती रही,और फिर उनके पैरों पर सिर रख कर मै नसुबकने लगी।थोड़ी देर तक वो मेरी बालों को सहलाते रहे,और फिर मेरे कमर में गुदगुदी करते हुए अपनी बाहों मैं उठा कर।अपनी गोद में बैठा लिया।फिर ओ बोले,परम से तो तुम्हारी कोई रिश्तेदारी नहीं है,मै तो अपनी सगे बुआ की लड़की की choot ठोक चुका हूं,यही नहि उसके साथ सुहागरात भी मनाई।मस्ती से रात भर उसकी ठुकाई भी की ,और गांड़ भी मारी।वाह, आप तो पक्के बहानचोद निकले मै खिले मन से उनसे बोली।वाह,मेरी chdakkar बीबी के मुख से फूल झरने लगे,और वो मुझे दबोच कर मेरे हर अंग की चुम्मी लेने लगे।फिर बोले अरे ऊषा रण्डी तू ओ किस्सा बता की परम तुम्हारी गुफा कब कहा।और।कैसे खोली।देखिए जी,आज तक ऐसी गंदी पर मनभावन बाते न किसी से सुनि और न किसी ने सुनाई।बस बहन के लौड़े,maadarchod,भांचोद,जैसी गालियों ही आमतौर पर सुनाईदेती है।और मै उनके पैजामे की गांठ खोलने लगी,तो ओ हड़बड़ा के बोले तो आज तुम गई साली,मै तो सोचता था कि आज आराम करेंगे और फिर कल्ह जब मां पिताजी पूजा के लिए गांव चले जायेगे तो दिन भर ठुकाई ठुकाई और ठुकाई होगी।कभी रूम में कभी आंगन में।मै भी अब मौज में आ चुकी थी,हर दर, भय समाप्त हो चुकी थी।मै अपने पति के लिए कुछ भी कर सकती थीं।उनकी बाते सुनकर उनसे बोली,जब आप सब जानते ही है तो आपसे क्या छुपाना ,बस एक बात कहनी है कि मुझे कहानी कहने की विद्या नहीं आती,आज आप अपनी फुफेरी बहनजी साथ जो सुहागरात मनाए थे ओ घटना अच्छी तरह से सुनाइए,बस उसी प्रकार मै भी कल्ह सुनाऊंगी,और आज भी मै मुफ्त में नहीं सुनूंगी,जब तक आप सुनते रहेंगे मै अपनी बूर के मालिक इस लौड़े को चुस्ती रहूंगी,बोलिए ए निकल गए मेरे राजा जानी,मै उनके लौड़े को पाजामे से बाहर निकल कर उसे हाथों से सहलाते हुए बोली।अब आप कहानी शुरू करें लेकर बहन का नाम।अरे तू तो वाकई मेरी गुरु निकली।इतनी ही देर में जबान इतनी तेज हो गई।अब मै भावुक हो गई और रुंधे स्वर पर होंठों पर एक स्वाभाविक मुस्कान के साथ बोली,मेरे स्वामी,मेरे मालिक,मेरे तन मन के मालिक हो आप,आप की अब मै पत्नी या बीबी नहीं आपकी गुलाम बन गई हूं।मै अब तक सहमी हुई थी,अपने गुनाहों के डर से,पर आपकी बातें सुनकर वह डर जाता रहा।अब तो यह हाल है कि आप जहां चाहे जैसे चाहें मेरे इस तन का भोग कर सकते हैं। चाहे ओ किसी नदी का सुनसान इलाका हो या हजारों की भीड़।कभी आजमा के देखिएगा, कितनी बड़ी आज्ञाकारी है ये आपकी ये रण्डी बीबी ऊषा ,क्या नाम दिया था अपने Boormarani Usha..बस हो गया,अब न बोलूंगी,सिर्फ नाम बता के शुरू किजिए बताना कि कैसे....... जी क्या बताया अपने सीमा,नहीं रे बूर chodi मीरा नाम है उसका। चलिए शुरू कीजिए ,अपनी फुफेरी बहन मीरा की chudai दास्तान।ए लीजिए ये गया आपके सात इंची का लॉलीपॉप मेरें मुंह में।और ओ अपनी जीभ एक साधे हुए रण्डी की तरह सुपारा पर चलाने लगी।अभी तक कई भाभियों ने बहन मीरा ने इस लुंड को चूस चुकी थी पर इतनी श्रद्धा,इतने प्रेम से वो।चूस रही थी कि उसके मुंह।अपने आप खुल गए
बोलने लगा...तो सुन मेरी कुत्ति ऊषा बू र चो दी
कैसे चोद चोद कर हमने फारी मीरा बहन की भोंसड़ी।
यह बात तब की है जबकि मेरी नौकरी नई नई लगीं थी , कोइ छ सात महीने हुए थे,की मुझे बुआ का एक पत्र मिला जिसमें उन्होंने अनुरोध किया था कि उनकी बेटी मीरा के ससुराल में कोईसमारोह है उसमें जाने के लिए।क्योंकि वहां कोई उपलब्ध नहीं था जाने के लिए,और यह पत्र ओ किसी जानने वाले के हाथ भेज रही है साथ में वह पांच सौ रूपये भी भेजी थी।मीरा के ससुराल का पता भी साथ में संलग्न था।मीरा की याद आते ही मेरे लुंड में एक सुगबुगाहट सी होने लगी।क्या मदमस्त चलती थी,उसकी बलखाती कमर उसके हिलते हुए चूतड़,सीने के छोटे छोटे बेर।सब पर सिर्फ हाथ ही लगा के रह गया,कभी मौका ही ना मिला कि उसके नगीने जैसे बदन का लुत्फ उठा सकूं,अब तो उसकी शादी के दस वर्ष हो गए हैं,करीब बारह वर्ष गुजर गए उसे देखे हुए।अगर जाऊंगा तो वो कहीं पहचानने से इनकार कर दी तो।फिर दिमाग में आया कि अगर न पहचानी तो ए चिठ्ठी किस दिन काम आएगी।बस फिर क्या था,अपना बैग संभाला और एक छुट्टी के लिए आवेदन ले कर साहेब के पास पहुंचा, पहले तो उन्होंने टालमटोल की पर जब मैने बुआ की वोह चिठ्ठी दिखाई तो वह मान गए और छुट्टी मंजूर कर ली। सोचा कल्ह सबेरे निकलूंगा तो दो घंटे में उनके घर पहुंच जाऊंगा।सबसे पहले मिठाई एक k g ले कर गिफ्टपैक बनवाया और कुछ ले लूं,फिर कुछ देर सोच कर तय किया कि अपने तरफ से एक सारी मीरा के लिए ले लेता हूं।कपड़े की दुकान में कई तरह की साड़ियां मौजूद थी, उनमें से एक मस्त डिजाइन पर नजर पड़ी।थी तो वह झक्कास,पर इतनी पतली थी की,उसके दो तह करने के बाद भी उसके पीछे की चीजों का साफ नजारा देखा जा रहा था।मै उसे ले कर काउंटर पर आया तो वहां बैठी महिला ने कहा सर,क्या इसका मैचिंग ब्लाउज नहीं लेंगे,तो ओ बोली सर यह सारी अभी अभी लॉन्च हुआ है। सो हमारी कंपनी ने इसके साथ कितने साईज की और कुछ फ्री साइज की ब्लाउज भी भेजी है।फ्री साइज की लेने पर अगर ओ पहनी नहीं जाएगी तो एक बार आपको चेंज करने का मौका दिया जाएगा।ठीक है तो फिर पैक कर दीजिए।पैक। लेकरब मैने भुगतान किया और अपनी हीरो होंडा चलाता हुआ वापस अपने रूम पे आ। गया ।थोड़ी देर तक एक कामुक पत्रिका जिसमे चू दा ई के किस्से भरे परे थे,पड़ता रहा और फिर सो गया।इतना बोल कर मै रुका और ऊषा के तरफ देखा तो उसकी नज़र मेरे चेहरे पर थी, लेकिन वोह मेरे लौड़े को उसी तन्मयता से चूसे चाटते जा रही थी,मुझे न बोलते देख वह आंखे लाल करती हुई मुझे आंखों दे इशारा कर अपनी होंठों के बदले lund पर दांत हौले से दबाई मानो मै ने बोलना शुरू नहीं किया तो वह मेरे लैंड को कट देगी।मैने फिर किस्सा आगे बढ़ाया,दो घंटे लगे मुझे मीरा के घर पहुंचने में।मै अभी मीरा।के दरवाजे तक पहुंचा भी नहीं था कि एक आवाज आई रमेश भैया इधर कैसे।मै अक्छक कर उसे देखते हुए बोला का र छोटू तू यहां कैसे,तो उसने जवाब दिया कनिया चाची बोली कि शायद रमेश के चिट्ठी नहीं मिला,ए छोटू तू ही
भाग1
मैं ऊषा देश के उत्तरपूर्व राज्य के एक छोटे से जिले की रहनेवाली अभी उमर 42वर्ष ,चूंचियां 36इंच और मेरी गांड़ फूले तरबूज़ के आकार का,साइज 40इंच। हालांकि मेरी चूंचियां अब पहले जैसी नहीं रही,पर अभी भी ठरकी मर्दों और जवानी में कदम रखते लौंडे, अपने अपने लौड़े सहलाने लगते थे।
यह बात तब की है जब मैं 24साल की हो रही थीं,मेरे कॉलेज की पढ़ाई समाप्त होने वाली थी। स्वभाव से मै ज्यादा उग्र और उच्छृंखल थी।कई सहेलियों और लड़के भी मेरे दोस्त बन गए थे,लेकिन लड़कों से दोस्ती में भी बाते अश्लील चुटकुले,और कभी चूचमर्दन जैसी हरकतों से बात आगे नहीं बढ़ी । लेकिन बकरे की मां कब तक खैर मनाती,एक दिन वो हो ही गया ,जिसे खोलने का अधिकार मेरे होने वाले पति का था,उसे उन दोस्तों में से एक ने पहल की,और फिर सबने एक एक करके अपनी जुताई की।क्यों और कैसे वोह मै अगले भाग में बताऊंगी।इधर मै रोज नई नई केलों का आनंद लेने मे जुटी थी, इधर किसी दिलजले ने यह शिकायत मेरे घरवालों से कर दी।फिर क्या था,मेरे पिताजी ने मेरी शादी अपने एक मित्र के बेटे रमेश नाम के लड़के के साथ तय कर दी।मैने सुना कि वो किसी सरकारी विभाग में सहायक के पद पर काम कर रहे है।फिर आनन फानन में मेरी शादी कर दी गई।
आज मेरी तथाकथित सुहागरात थी ।मै जानती थी कि आज मेरे साथ क्या होगा,पर भीतर ही भीतर डर भी रही थी कि क्या होगा जब उन्हें पता चलेगा कि उनकी पत्नी ने उनके लिए जो वास्तविक उपहार था ओह मै पहले ही गवा चुकी हूं।उजा घर मे मै बैठी थी,वहां से थोड़ी देर के बाद ही मुझे इनकी भाभियों और कुछ नौजवान लड़कियां आई और मुझे वहां से ले जाकर एक सजे सजाए रूम में ले आई।एक पलंग जो फूलों , मालाओं से सजी हुई थी पर ले आई।बहुत सी बातें भी बोल रही थी,पर मै अपने ही विचारों में खोई हुई थी, इसलिए सिर्फ़ मै घुघट की ओट से मुस्कुराती हुई शुक्रिया कहकर पलंग पर बैठ गई।मुझे अधिक न बोलते देख एक उनमें से बोली,बहुरानी बहुत थकी लग रही है, और न जाने कितनी मेहनत करनी पड़ेगी आज रात। थोड़ी देर आराम करि।इतना कह के ओ सब चली गई।थोड़ी देर बाद उनमे से एक दो ग्लास दूध ले कर आई, और धीरे से बोली,भैया दूध के बड़े शौखिन है।ए वाला दूध जरूर पिला दीजिएगा,तो बाद वाला ओ खुद मटकी में मुंह लगा कर पि लेंगे।मुझे जबतक उसकी बात समझ आती वो वहां से हंसती हुई भाग गईं।
मैं थोड़ी ही देर लेटी होऊंगी की किवाड़ खुलने की आवाज आई,मै सिहरते हुए सीधी होकर बैठ गई।धीरे धीरे ओ आकर पलंग पर मेरे बगल में बैठे और धीरे से मैरी घूंघट उठाकर मुस्कुराती नजरों से मेरी ओर देख कर एक सोने का खूबसूरत स चैन मेरे गले में पहना दिया और बोले,तुम तो थक गई होगी,चलो आज की रात हमलोग एक दूसरे के बारे में बात करते हैं,दरअसल यह शादी इतनी जल्दबाजी में हुई कि न मैतुम्हारे बारे में न शायद तुम भी हमारे बारे में या मेरे परिवार के विषय में कुछ जानती होगी। मेरे सीने की धुकधुकी कम हो गई थी।और फ़िर मुस्कुराती हुई बोली हा सो बात तो है ,मुझे तो सिर्फ इतनों बात मालूम है कि आपके पिताजी और मेरे पिताजी में पुरानी दोस्ती थी।इस बहाने ओ दोस्ती को संबंध बना देने का बहाना बन गया।थोड़ी देर इधर उधर की बातों का सिलसिला जो मेरे पढ़ाई से लेकर मेरी सहेलियों के विषय में पूछते रहे,मै बताती जा रही थी।फिर मै ने उनसे उनके परिवार के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया की वो एकमात्र संतान है अपने माता पिता के।उनकचाचा के लड़के लड़कियां है,जो कुछ आई है,कुछ नहीं आ पाई।
इस समय तक गप्प करते करते कब मै उनकी बाहों में लिपट कर उनके सीने में अपने शिर को छुपा लिया ,पता ही न चला।वो मेरे गालों और होंठों का चुम्बन ले रहे थे और एक हाथ से मेरी गांड़ कि गोलाईओ को सहला भी रहे थे।
अचानक ओ बोल पड़े ,अच्छा ये तो बताओ तुमको सेक्स में क्या पसंद है,अब मैं सोच में पर गई,अगर कुछ बोलती हूं तो मै खुद फंस जाऊंगी।अतः मै धीमे स्वर में बोली जी जो आपको पसंद होगी ओहि मेरी भी होगी।इसपर ओ हंस कर बोले चलो मै तुमको दिखलाहूं ,कह कर ओ पलंग से उतरे और हमलोंगो के ठीक सामने एक टीवी और वो सी आर टेबल पर रखी हुई थी।उन्होंने एक कैसेट निकल कर वीसीआर में डाला और टीवी ऑन कर बेड पर आकर मुझे बाहों में लेकर लेट गए।हंसों की नजरें टीवी पर ही लगीं थी।जानती हो यह ब्ल्यूफिलम आज कल तहलका मचा रखा है।देखो कैसे इस लड़की की चढ़ाई होती है।मै चुड़ैल सुनते ही सचमुच में शर्मा गई आतंके कुर्ते में ही मुख छुपा ली।एक नवयुवक उस लड़की के पैरों को अपने कंधे पर रख कर अपनी बार सा लैंड उसके छुटके ऊपर रखकर उसे अपने लौड़े ही से सहलाए जा रहा था।उसके अगल बगल चार पांच आदमी खरे थे जिसमें एक लगभग साठ वर्ष का होगा ओ भी कुछ बोलता जा रहा था।अचानक उस नौजवान ने एक झटके से अपना पूरा लौरा उसकी boor में घुसा दिया।वह लड़की बारे जोर से चीखी तो ओह बुजुर्ग उसे चुप कराने लगे तो उसमें से एक अन्य आदमी बोलने लगा ,अरे चीखने दे मजा आएगा।ओह जवान उसी तरह से उस लड़की की चीख निकलवाता रहा।उसी में एक दूसरी सीन आई,उसी लड़की की choot में अब लौड़े की जगह एक बियर की बॉटल का सिरा घुसा कर ओह लड़की खुद choot के बाहर भीतर कर रही थी अपना सिर उस बुजुर्ग आदमी के गोद में रख कर,और वो बुजुर्ग उसके सिर को सहलाए जा रहा था। अब दुसरी फिल्म चली जो अंग्रेजी में थी।इसमें एक लड़की पांच छः लोगों के बीच एक दम नंगी खरी थी वैसे ही वो सभी नंगे ही थे। मेरी तो आंखे फटी की फटी रह गई जब देखी कि एक आदमी काट पर लेट गया,उसका लौरा जो करीब नौ से दस इंच का होगा एकदम आकार के सीधा खरा था,उस लौड़े पर ओ लड़की अपनी choot में घुमाकर बैठ जाती है,दूसरे और तीसरे एक एक कर अपने लौड़े को उसकी गांड़ के छेद में लेती है ,चौथा अपने लौड़े को उसकी मुंह में ठेलकर चुसवा रहा था,गांड़ में पेलने वाले कभी कभी उसकी गांड़ पर जोर की चपत भी लगाए जा रहे थे।ये सब देख कर मेरी चoot भी भींग आई थी,और मुझे उनके लौड़े का कड़ापन अपने पेट के नीचे महसूस कर रही थी।
बंद कर दीजिए,मै धीरे से बोली।फिर ओ उठकर गई और उसे ऑफ कर बेड पर आ गए ,और फिर मुझे अपने गोद में खींचते हुए कसकर अपने से चिपकाते हुए बोले कैसा लगा मेरी रानी।धत कहकर मै उनके सीने में अपने मुंह को छिपा लिया।अब उनके हाथ ने मेरी चूंचियों का जायजा लेना शुरू कर दिया था।ओ हल्के स्वर में मुझसे पूछने लगे,तुम तो ग्रेजुएशन कर रही हो, तुम्हारी कोई सेक्स फेंटेसी है तो बताओ।नहीजी मेरी कोइ फंतासी नहीं है।ओ मुस्कुरा के बोले अगर मै छुड़ाई के बीच अगर तुम्हे गंदी गालियों से बात करूं तो कैसा लगेगा,वो कैसे और कैसी गलियानदेखो मै बताता हूं,कहकर ओ मेरी चूचियों को कसकर मसलते हुए बोले,साली, बुरचोडी अपनी चुचकसनी खोल के अपनी चूंची चूसा रण्डी। मै तो अवाक रह गई ऐसी भाषा सुनकर,लेकिन भीतर एक कामुक आग की लहर उठ रही थी,लेकिन मै वैसे ही मुंह छिपाए लेती रही,फिर ओह बोले ऐसे कैसे चलेगा मेरी रानी,तुमको भी ऐसी भाषा में बात करनी होगी।अगर पसन्द हो तो आगे भी करेंगे वरना बंद कर देते है।नहीं जी ऐसी कोई भी बात नहीं है,बस ऐसी गंदी गालियों पर मैने कभी ध्यान नहीं दी ज्यादा जानती नहीं हूं,अब सीख लूंगी।जो जितना जानती हो उसी में से कुछ याद कर मेरी बातों का जवाब दो तो सुने।मै अक्सर कॉलेज में एक दूसरे को ओ बहन के लौड़े कहते हुए सुनी थी,बस मै भी बोल पड़ी,ओ बहन के लौड़े खोल ले अपनी बुरचोडी रण्डी बीबी की चूंचकसनी,बुरझप्पा,मै तो आपकी मॉल हूं, पर्सनल रण्डी।इतना सुनते ही उन्होंने मुझे कसकर चिपका लिया।और कस कद के चुम्बन लेने लगे।अब उनके हाथों की अंगुलियों मेरी बूर के होंठों को सहला रही थी। ए क्या है मेरी रण्डी बीबी ऊषा।मैं तो पहले से ही शर्म से आंखों को बंद किए हुई थी।अचानक उन्होंने अपनी हाथ वहां से हटा ली,boorchodi थोड़ा सहलाने और बाते करने में ही पानी छोड़ने लगी। पूरी खेली खाई है।है न ऊषा रण्डी। बात तो सही ही थी,पर यह बात सुनके मेरे ऊपर एक उदेशी सी छा गई,जो इनसे छिपी ना रह सकी,फिर ओ मेरे गालों पर हल्का सा चुम्बन लेकर बोले,अरे तुम उदास क्यों होती हो,अब तो हमारी शादी हो चुकी है और एक दूसरे से कोई बात छुपानी नही चाहिए।जैसे तुम कई लौड़े ले चुकी हो मै भी कई चूten फार चुका हूं। कईओ की तो गांड़ का भी सत्यानाश कर चुका हूं।अब मेरी धड़कन स्थिर हो चुकी थी।मै ने भी होंठों पे हंसी लाते हुए बोली चल झूठे।बात बनाना तो आप खूब जानते है, वैसे कौन है वो लौंडिया जिसने मेरे चोदूं भतार के लौड़े का रस पी चुकी है।एक का भी नाम बताइए।
मै तो बताऊंगा भी और मिलाऊंगा भी, पहले तुम बताओ मेरी प्यारी बीबी ऊषा रण्डी की तुम्हारी इस हसीन चूt ka उदघाटन समारोह किसके द्वारा हुआ था। मै फिर फंस गई,अब क्या करूं ,बस इनके छाती में मुंह छिपाए लेटी रही,जब बहुत देर तक में नहीं बोली तो वो स्वयं ही बोले,देखो तुमको पहिए पहल परम madarchod ने ठुकाई की थी,बोलो हां या ना।अरे इन्हें कैसे मालूम,मै इनकी गोद में और सिमटते हुए बोली,हा यह बात तो सही है,पर आपको।कैसे मालूम।अरे इसकी भाभी,और बहन दोनों की मै भरपूर ठुकाई करता हूं।और यह बात परम भी जनता है।उसी ने एक दिन अपनी भाभी से मिलने आया था,उस दिन इतवार होने के कारण छुट्टी मैं भी वहां मौजूद था,आज उसकी भाभी और बहन दोनों को पेलने का सोचकर गया था।पर उसकी मोजूदगी के कारण देरी हो रही थी।
उसकी भाभी ने उससे मजाक करते हुए कहा कि देवरजी,जल्दी से परीक्षा पास कीजिए ,नौकरी ढूंढिए,और फिर छोकरी।अरे भाभी ,उसने जवाब देते हुए कहा,अरे भाभी नौकरी गई तेल लेने,कुछ ही दिन पहले मिलाप हुआ है,ऊषा नाम है उसका।मस्त छोकरी है।अरे वाह तो,बस वैसे ही जान पहचान है या चोंच मार चुके हैं उसकी भाभी ने पूछा।ओह सीना फुलाते हुए अपनी भाभी कोआँख मारता।हुआ बोला ओ तो छक्का मार चुका है।बस मालूम पर गया।मै पूरी बात सुनकर सुन्न हो गई।
मै सोच भी नहीं सकती थी कि ऐसे लोग भी होते है।फिर अपने पति की ओर देख कर सोच रही थी,कितनीभाग्यशाली हूँ मै।अगर किसी दकियानूसी परिवार,या वैसी सोच वाले पति मुझे मिलते तो या तो मुझे आत्महत्या करनी पड़ती या किसी कोठे की रण्डी। घरवाले तो ऐसी बात जानकर मेरी छाया भी अपने घर पर न पड़ने देते।मै अपने पति को अगाध श्रद्धा से निहारती रही,और फिर उनके पैरों पर सिर रख कर मै नसुबकने लगी।थोड़ी देर तक वो मेरी बालों को सहलाते रहे,और फिर मेरे कमर में गुदगुदी करते हुए अपनी बाहों मैं उठा कर।अपनी गोद में बैठा लिया।फिर ओ बोले,परम से तो तुम्हारी कोई रिश्तेदारी नहीं है,मै तो अपनी सगे बुआ की लड़की की choot ठोक चुका हूं,यही नहि उसके साथ सुहागरात भी मनाई।मस्ती से रात भर उसकी ठुकाई भी की ,और गांड़ भी मारी।वाह, आप तो पक्के बहानचोद निकले मै खिले मन से उनसे बोली।वाह,मेरी chdakkar बीबी के मुख से फूल झरने लगे,और वो मुझे दबोच कर मेरे हर अंग की चुम्मी लेने लगे।फिर बोले अरे ऊषा रण्डी तू ओ किस्सा बता की परम तुम्हारी गुफा कब कहा।और।कैसे खोली।देखिए जी,आज तक ऐसी गंदी पर मनभावन बाते न किसी से सुनि और न किसी ने सुनाई।बस बहन के लौड़े,maadarchod,भांचोद,जैसी गालियों ही आमतौर पर सुनाईदेती है।और मै उनके पैजामे की गांठ खोलने लगी,तो ओ हड़बड़ा के बोले तो आज तुम गई साली,मै तो सोचता था कि आज आराम करेंगे और फिर कल्ह जब मां पिताजी पूजा के लिए गांव चले जायेगे तो दिन भर ठुकाई ठुकाई और ठुकाई होगी।कभी रूम में कभी आंगन में।मै भी अब मौज में आ चुकी थी,हर दर, भय समाप्त हो चुकी थी।मै अपने पति के लिए कुछ भी कर सकती थीं।उनकी बाते सुनकर उनसे बोली,जब आप सब जानते ही है तो आपसे क्या छुपाना ,बस एक बात कहनी है कि मुझे कहानी कहने की विद्या नहीं आती,आज आप अपनी फुफेरी बहनजी साथ जो सुहागरात मनाए थे ओ घटना अच्छी तरह से सुनाइए,बस उसी प्रकार मै भी कल्ह सुनाऊंगी,और आज भी मै मुफ्त में नहीं सुनूंगी,जब तक आप सुनते रहेंगे मै अपनी बूर के मालिक इस लौड़े को चुस्ती रहूंगी,बोलिए ए निकल गए मेरे राजा जानी,मै उनके लौड़े को पाजामे से बाहर निकल कर उसे हाथों से सहलाते हुए बोली।अब आप कहानी शुरू करें लेकर बहन का नाम।अरे तू तो वाकई मेरी गुरु निकली।इतनी ही देर में जबान इतनी तेज हो गई।अब मै भावुक हो गई और रुंधे स्वर पर होंठों पर एक स्वाभाविक मुस्कान के साथ बोली,मेरे स्वामी,मेरे मालिक,मेरे तन मन के मालिक हो आप,आप की अब मै पत्नी या बीबी नहीं आपकी गुलाम बन गई हूं।मै अब तक सहमी हुई थी,अपने गुनाहों के डर से,पर आपकी बातें सुनकर वह डर जाता रहा।अब तो यह हाल है कि आप जहां चाहे जैसे चाहें मेरे इस तन का भोग कर सकते हैं। चाहे ओ किसी नदी का सुनसान इलाका हो या हजारों की भीड़।कभी आजमा के देखिएगा, कितनी बड़ी आज्ञाकारी है ये आपकी ये रण्डी बीबी ऊषा ,क्या नाम दिया था अपने Boormarani Usha..बस हो गया,अब न बोलूंगी,सिर्फ नाम बता के शुरू किजिए बताना कि कैसे....... जी क्या बताया अपने सीमा,नहीं रे बूर chodi मीरा नाम है उसका। चलिए शुरू कीजिए ,अपनी फुफेरी बहन मीरा की chudai दास्तान।ए लीजिए ये गया आपके सात इंची का लॉलीपॉप मेरें मुंह में।और ओ अपनी जीभ एक साधे हुए रण्डी की तरह सुपारा पर चलाने लगी।अभी तक कई भाभियों ने बहन मीरा ने इस लुंड को चूस चुकी थी पर इतनी श्रद्धा,इतने प्रेम से वो।चूस रही थी कि उसके मुंह।अपने आप खुल गए
बोलने लगा...तो सुन मेरी कुत्ति ऊषा बू र चो दी
कैसे चोद चोद कर हमने फारी मीरा बहन की भोंसड़ी।
यह बात तब की है जबकि मेरी नौकरी नई नई लगीं थी , कोइ छ सात महीने हुए थे,की मुझे बुआ का एक पत्र मिला जिसमें उन्होंने अनुरोध किया था कि उनकी बेटी मीरा के ससुराल में कोईसमारोह है उसमें जाने के लिए।क्योंकि वहां कोई उपलब्ध नहीं था जाने के लिए,और यह पत्र ओ किसी जानने वाले के हाथ भेज रही है साथ में वह पांच सौ रूपये भी भेजी थी।मीरा के ससुराल का पता भी साथ में संलग्न था।मीरा की याद आते ही मेरे लुंड में एक सुगबुगाहट सी होने लगी।क्या मदमस्त चलती थी,उसकी बलखाती कमर उसके हिलते हुए चूतड़,सीने के छोटे छोटे बेर।सब पर सिर्फ हाथ ही लगा के रह गया,कभी मौका ही ना मिला कि उसके नगीने जैसे बदन का लुत्फ उठा सकूं,अब तो उसकी शादी के दस वर्ष हो गए हैं,करीब बारह वर्ष गुजर गए उसे देखे हुए।अगर जाऊंगा तो वो कहीं पहचानने से इनकार कर दी तो।फिर दिमाग में आया कि अगर न पहचानी तो ए चिठ्ठी किस दिन काम आएगी।बस फिर क्या था,अपना बैग संभाला और एक छुट्टी के लिए आवेदन ले कर साहेब के पास पहुंचा, पहले तो उन्होंने टालमटोल की पर जब मैने बुआ की वोह चिठ्ठी दिखाई तो वह मान गए और छुट्टी मंजूर कर ली। सोचा कल्ह सबेरे निकलूंगा तो दो घंटे में उनके घर पहुंच जाऊंगा।सबसे पहले मिठाई एक k g ले कर गिफ्टपैक बनवाया और कुछ ले लूं,फिर कुछ देर सोच कर तय किया कि अपने तरफ से एक सारी मीरा के लिए ले लेता हूं।कपड़े की दुकान में कई तरह की साड़ियां मौजूद थी, उनमें से एक मस्त डिजाइन पर नजर पड़ी।थी तो वह झक्कास,पर इतनी पतली थी की,उसके दो तह करने के बाद भी उसके पीछे की चीजों का साफ नजारा देखा जा रहा था।मै उसे ले कर काउंटर पर आया तो वहां बैठी महिला ने कहा सर,क्या इसका मैचिंग ब्लाउज नहीं लेंगे,तो ओ बोली सर यह सारी अभी अभी लॉन्च हुआ है। सो हमारी कंपनी ने इसके साथ कितने साईज की और कुछ फ्री साइज की ब्लाउज भी भेजी है।फ्री साइज की लेने पर अगर ओ पहनी नहीं जाएगी तो एक बार आपको चेंज करने का मौका दिया जाएगा।ठीक है तो फिर पैक कर दीजिए।पैक। लेकरब मैने भुगतान किया और अपनी हीरो होंडा चलाता हुआ वापस अपने रूम पे आ। गया ।थोड़ी देर तक एक कामुक पत्रिका जिसमे चू दा ई के किस्से भरे परे थे,पड़ता रहा और फिर सो गया।इतना बोल कर मै रुका और ऊषा के तरफ देखा तो उसकी नज़र मेरे चेहरे पर थी, लेकिन वोह मेरे लौड़े को उसी तन्मयता से चूसे चाटते जा रही थी,मुझे न बोलते देख वह आंखे लाल करती हुई मुझे आंखों दे इशारा कर अपनी होंठों के बदले lund पर दांत हौले से दबाई मानो मै ने बोलना शुरू नहीं किया तो वह मेरे लैंड को कट देगी।मैने फिर किस्सा आगे बढ़ाया,दो घंटे लगे मुझे मीरा के घर पहुंचने में।मै अभी मीरा।के दरवाजे तक पहुंचा भी नहीं था कि एक आवाज आई रमेश भैया इधर कैसे।मै अक्छक कर उसे देखते हुए बोला का र छोटू तू यहां कैसे,तो उसने जवाब दिया कनिया चाची बोली कि शायद रमेश के चिट्ठी नहीं मिला,ए छोटू तू ही