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Fantasy तारक मेहता का रंगीला चश्मा
#23
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टूटते विश्वास और ज्वालामुखी इच्छाएं

(सीन ओपन होता है। गोकुलधाम सोसाइटी का कंपाउंड, सुबह के ठीक 6:30 बजे। आकाश में हल्के बादल तैर रहे हैं, सूरज की पहली किरणें धीरे-धीरे फैल रही हैं, और हवा में ओस की ताजगी है। लेकिन कंपाउंड में आज एक भारी शांति है - जैसे तूफान से पहले का सन्नाटा। बालकनियों से हल्की-हल्की बातें आ रही हैं, बच्चे अभी जागे नहीं, और मर्द काम पर जाने की तैयारी में हैं। तारक मेहता, अपनी बालकनी में खड़े, हल्के से सिर हिलाते हुए कैमरे की तरफ मुड़ते हैं। उनकी आवाज में वही पुरानी गर्माहट है, लेकिन अब इसमें एक गहरी चिंता और तीव्रता का मिश्रण है, जैसे कहानी की परतें इतनी गहरी हो गई हों कि अब फूटने का समय आ गया हो।)
तारक मेहता (वॉइसओवर): नमस्कार दोस्तों! पिछली बार हमने देखा कि राजों की गहराई बढ़ गई। कामनाएं जाग रही हैं, शक की लहरें हर रिश्ते को हिला रही हैं, और सोसाइटी का हर कोना एक गुप्त जाल में फंस गया। लेकिन गोकुलधाम की जिंदगी तो ऐसी ही है - धीरे-धीरे उबाल आता है, और फिर ज्वालामुखी फूट पड़ता है। आज हम और गहराई में उतरेंगे, जहां विश्वास टूटने लगेंगे, इच्छाएं ज्वालामुखी की तरह उमड़ेंगी, और छोटी-छोटी नजरें बड़े विस्फोट का संकेत देंगी। जेठालाल का शक दया पर चरम पर पहुंच गया है, माधवी की आंखें बापूजी और अब्दुल के बीच भटक रही हैं, और बबीता की मुस्कान अब एक खतरे का इशारा लग रही। चलिए, इस एपिसोड को धीरे-धीरे महसूस करते हैं, हर सांस में तनाव को जीते हुए। जय श्री कृष्ण!
(कट टू: जेठालाल का घर। सुबह के 6:45 बजे। जेठालाल बिस्तर पर करवटें बदल रहे हैं, आंखें खुली लेकिन थकी हुई। कल रात का सीन उनके दिमाग में बार-बार घूम रहा - दया के साथ वो तीव्र पल, जहां दया ने "अब्दुल भाई" का नाम लिया, और खुद का अंजली के साथ बैक रूम वाला गुप्त मिलन। जेठालाल का चेहरा पसीने से भीगा है, वो उठते हैं, खिड़की के पास जाते हैं। बाहर कंपाउंड में हलचल शुरू हो रही - बच्चे जाग रहे, लेकिन जेठालाल की नजरें दया पर टिक जाती हैं, जो किचन में चुपचाप काम कर रही। दया की साड़ी आज गहरे लाल रंग की है, जो सुबह की हल्की रोशनी में चमक रही। साड़ी का ब्लाउज टाइट है, उसके ब्रेस्ट की उभार साफ दिख रही - फुल और गोल, जो हर सांस के साथ हल्का बाउंस कर रहे। कमर पतली और आकर्षक, हिप्स कर्वी जो किचन में घूमते समय लुभावना स्विंग कर रहे। दया का चेहरा थका लेकिन दृढ़, मन में उथल-पुथल - अब्दुल के साथ कल का वो ज्वालामुखी सा सीन, जहां वो इतनी खो गई थी कि गंदी गालियां दे बैठी "रंडी की तरह चोदो मुझे"। बापूजी अभी सो रहे, टपू बिस्तर में मस्त। जेठालाल किचन में आते हैं, दया को पीठ से देखते, हवा में तनाव।)
जेठालाल (पीछे से खड़े होकर, आवाज में गहरा शक लेकिन कोशिश करके शांत): दया, इतनी सुबह उठ गई? रात भर तो मैं जागा रहा, तू सो गई लेकिन सपनों में भी अब्दुल भाई? क्लास के बाद तू कहां गायब हो जाती है? अंजली भाभी से बात... या दुकान पर? सच बता, ये सब क्या हो रहा है घर में?
दया (चाय उबालते, चम्मच पकड़ते हाथ कांपते, नजरें न टर्न करके लेकिन आवाज में हल्का डर): टपू के पापा, अरे बस करो ना। कल क्लास के बाद कोमल भाभी के पास गई थी जूस की रेसिपी पूछने। हे माता जी, आपका शक मुझे मार डालेगा। चाय पी लो, ठंडी हो जाएगी। बापूजी जाग जाएंगे।
(दया का दिल तेज धड़क रहा। उसके मन में अब्दुल का फ्लैशबैक - दुकान के बैक रूम में अब्दुल का लंड पुसी में घुसाते, वो चीखती "ओओओओह्ह्ह... अब्दुल भाई... आआआह्ह्ह... फाड़ दो इस रंडी की चूत... मोटा लंड डालो गहराई से, साले कुत्ते!"। लेकिन वो खुद को संभालती, चाय का कप जेठालाल को देती। जेठालाल कप लेते, दया के चेहरे को स्कैन करते - दया की होंठ थोड़े सूजे हुए, जो कल के किस से। दया नोटिस करके होंठ चाटती, लेकिन जेठालाल का शक ज्वालामुखी की तरह उफान मारता। बापूजी कमरे से आते, चाल धीमी।)
बापूजी (चाय लेते, धीरे बोलते): बेटा जेठालाल, सुबह शक से दिन बिगड़ जाता। दया बहू, तू भी खुलकर। सोसाइटी में राज परत दर परत उघड़ते हैं। टपू जाग रहा, उसे मत भटकाओ।
टपू (आंखें मलते): पापा, मम्मी, आज टपू सेना में नया प्लान। गOLI और सोनू आएंगे।
(जेठालाल टपू को गले लगाते, लेकिन मन भारी। ब्रेकफास्ट धीरे चलता - चाय, टोस्ट, बातें। टपू कॉलेज जाता, दया छोड़ने। जेठालाल बापूजी के साथ।)
जेठालाल: बापूजी, दया छिपा रही। और मैं... अंजली भाभी का... क्या करूं?
बापूजी: बेटा, कामनाएं ज्वालामुखी हैं, लेकिन काबू रखो।
(जेठालाल दुकान जाते। रास्ते में तारक से मिलते।)
तारक: जेठा, सुबह? अंजली... मतलब, घर ठीक?
जेठालाल: हां, बस।
(दुकान 8:30। रोशन आती - साड़ी पारसी, फिगर।)
रोशन: बल्ब।
(ग्राफिकल लंबा सीन: रोशन झुकती, जेठालाल बैक रूम। किस "ओओओओह्ह्ह... रोशन... आआआह्ह्ह... तेरी चूत फाड़ दूंगा साली!"। रोशन "फफफफााा... चोदो मुझे रंडी की तरह... ओओओओह्ह्ह... लंड डालो कुत्ते!"। ब्रेस्ट चूस हार्ड, निपल्स बाइट "आआआह्ह्ह... दबाओ मम्मे... साले हरामी!"। पुसी लिक, उंगलियां "फफफफााा... फाड़ दो चूत... ओओओओह्ह्ह... रंडी बनाओ मुझे!"। ब्लोजॉब डीप, गैगिंग "ओओओओह्ह्ह... मोटा लंड चूसूंगी... आआआह्ह्ह... कम करो मुंह में कुत्ते!" 15 मिनट। डॉगी थ्रस्ट हार्ड, स्पैंक "आआआह्ह्ह... चोदो जोर से... फफफफााा... कम करो चूत में साले!"। राइड, ब्रेस्ट बाउंस "ओओओओह्ह्ह... फाड़ दो... आआआह्ह्ह... रंडी की चूत भर दो!"। 25 मिनट कुल, कम इनसाइड, क्रेम्पी। रोशन जाती।)
(कट टू: भिड़े घर। 9 बजे। भिड़े ट्यूशन, मन माधवी पर। माधवी अब्दुल दुकान। ग्राफिकल लंबा: अब्दुल माधवी को किस "ओओओओह्ह्ह... माधवी रंडी... आआआह्ह्ह!"। माधवी "फफफफााा... चोदो मुझे कुत्ते... ओओओओह्ह्ह... लंड फाड़ दो चूत!"। ब्रेस्ट चूस "आआआह्ह्ह... दबाओ मम्मे हरामी... फफफफााा!"। पुसी फिंगर "ओओओओह्ह्ह... उंगली डालो गहराई... आआआह्ह्ह... रंडी बनाओ!"। ब्लोजॉब "फफफफााा... लंड चूसूंगी साला... ओओओओह्ह्ह!" 12 मिनट। मिशनरी हार्ड "आआआह्ह्ह... फाड़ दो चूत... कम करो कुत्ते!"। 30 मिनट।)
(क्लास: 12 बजे। धीरे, टच। बबीता हाथी से मिलन, लंबा सीन गालियों के साथ।)
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RE: गोकुलधाम का रंगीला चश्मा - by Fuckuguy - 10-09-2025, 04:11 PM



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