Thread Rating:
  • 4 Vote(s) - 2 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Fantasy तारक मेहता का रंगीला चश्मा
#22
[img=539x1350][Image: mmoonstar-262146384.jpg][/img]
राजों की गहराई और जागती कामनाएं

(सीन ओपन होता है। गोकुलधाम सोसाइटी का कंपाउंड, सुबह के ठीक 6:45 बजे। आकाश में हल्का नीला रंग फैला है, सूरज अभी पूरी तरह नहीं निकला, लेकिन पूर्वी दिशा में एक हल्की चमक दिख रही है। हवा ठंडी है, पेड़ों की पत्तियां सरसराती हैं, और दूर से कुत्ते की भौंकने की आवाज आ रही है। बालकनियों में कुछ लोग योगा कर रहे हैं, कुछ चाय की केतली चढ़ा रहे हैं, लेकिन आज का माहौल और भारी लग रहा - जैसे हर घर से एक अनकही सांस बाहर आ रही हो। तारक मेहता, अपनी खिड़की के पास खड़े, हल्के से मुस्कुराते हुए कैमरे की तरफ मुड़ते हैं। उनकी आवाज में वही पुरानी मिठास है, लेकिन अब इसमें एक गहरी उदासी और रहस्य का मिश्रण है, जैसे कहानी की परतें धीरे-धीरे इतनी गहरी हो गई हों कि बाहर निकलना मुश्किल लगे।)
तारक मेहता (वॉइसओवर): नमस्कार दोस्तों! पिछली बार हमने देखा कि छिपे राजों की परतें खुलने लगीं। इच्छाएं जाग रही हैं, शक की लहरें हर कोने को छू रही हैं, और रिश्ते धीरे-धीरे टूटने की कगार पर पहुंच गए। लेकिन गोकुलधाम तो ऐसा ही है - बाहर सब सामान्य, अंदर एक तूफान। आज हम और गहराई में डूबेंगे, जहां राजों की परतें और मोटी होंगी, कामनाएं और तीव्र, और छोटी-छोटी नजरें बड़े संकट का संकेत देंगी। जेठालाल का शक अब दया के हर कदम पर है, माधवी की मुस्कान में अब्दुल का राज छिपा है, और कोमल की आंखें पोपटलाल की ओर भटक रही हैं। चलिए, इस एपिसोड को धीरे-धीरे अनुभव करते हैं, हर पल को सांस लेते हुए। जय श्री कृष्ण!
(कट टू: जेठालाल का घर। सुबह के 7 बजे। जेठालाल बिस्तर पर लेटे हैं, आंखें बंद लेकिन नींद दूर। कल रात का सीन उनके दिमाग में बार-बार घूम रहा - दया के साथ वो एंग्री मोमेंट, जहां दया ने "अब्दुल भाई" का नाम लिया, और खुद का रोशन के साथ गैरेज वाला गुप्त मिलन। जेठालाल का चेहरा पसीने से तर है, वो उठते हैं, खिड़की के पास जाते हैं। बाहर कंपाउंड दिखता है - बच्चे खेल रहे, लेकिन जेठालाल की नजरें दया की बालकनी पर टिक जाती हैं, जहां दया अभी तक नहीं आई। दया किचन में चाय बना रही है, लेकिन उसके मन में उथल-पुथल - अब्दुल के साथ कल का वो इंटेंस सीन, जहां वो इतनी खो गई थी कि चीखें निकल गईं "फाड़ दो मेरी चूत"। दया की साड़ी आज हल्के हरे रंग की है, जो सुबह की रोशनी में चमक रही। साड़ी का पल्लू हल्का सा सरक गया है, उसके ब्रेस्ट की आउटलाइन साफ दिख रही - फुल और फर्म, जो हर हल्की सांस के साथ ऊपर-नीचे हो रहे। कमर पतली और नाजुक, हिप्स कर्वी जो किचन में घूमते समय हल्का स्विंग कर रहे। बापूजी योगा कर रहे हैं, टपू अभी सो रहा है। जेठालाल किचन में आते हैं, दया को पीठ से देखते हैं।)
जेठालाल (पीछे से, आवाज में गहरा शक लेकिन कोशिश करके नरम): दया, सुबह-सुबह चाय? रात भर तो मैं जागा रहा। तू सो गई थी, लेकिन सपने में भी अब्दुल भाई? क्लास के बाद तू कहां जाती है? रोशन भाभी से बात... या कुछ और?
दया (चाय उबालते हुए, कांपते हाथ से चम्मच पकड़कर, नजरें न टर्न करके): टपू के पापा, अरे यार, फिर वही बात? कल क्लास के बाद माधवी भाभी के पास गई थी आचार का। हे माता जी, आप शक छोड़ दो। चाय पी लो, ठंडी हो जाएगी। बापूजी जाग गए होंगे।
(दया का दिल तेज धड़क रहा। उसके मन में अब्दुल का फ्लैशबैक - दुकान के बैक रूम में अब्दुल का हाथ साड़ी के अंदर, उंगलियां पुसी पर रगड़ते, वो मोअन करती "ओओओओह्ह्ह... अब्दुल भाई... आआआह्ह्ह... फाड़ दो मेरी चूत गहराई से..."। लेकिन वो खुद को संभालती, चाय का कप जेठालाल को देती। जेठालाल कप लेते हैं, लेकिन दया के चेहरे को गौर से देखते - दया की गर्दन पर एक हल्का लाल निशान, जो कल के किस से आया हो सकता है। दया नोटिस करके पल्लू ठीक करती, लेकिन जेठालाल का शक और गहरा हो जाता। बापूजी योगा से उठकर आते हैं, उनकी चाल धीमी लेकिन स्थिर।)
बापूजी (चाय का कप लेते, धीरे-धीरे बोलते): बेटा जेठालाल, सुबह-सुबह शक अच्छा नहीं। दया बहू, तू भी खुलकर बोल। सोसाइटी में सबके राज एक-दूसरे से जुड़ते जाते हैं। टपू जाग गया, उसे मत डराओ।
टपू (कमरे से आते, आंखें मलते): पापा, मम्मी, भूख लगी। आज क्लास में क्या होगा?
(जेठालाल टपू को गोद में उठाते, लेकिन मन भारी। ब्रेकफास्ट धीरे-धीरे चलता - चाय, ब्रेड, छोटी बातें। टपू कॉलेज के लिए तैयार होता है, दया उसे छोड़ने जाती। जेठालाल अकेले बापूजी के साथ रह जाते, मन में उलझन।)
जेठालाल (धीरे से): बापूजी, दया कुछ छिपा रही। और मैं... बबीता जी का मैसेज, रोशन का गैरेज... क्या ये सही है?
बापूजी (गंभीर): बेटा, इच्छाएं आती हैं, लेकिन काबू रखो। सोसाइटी छोटी, राज बड़े नहीं रहते।
(जेठालाल सिर हिलाते, दुकान के लिए निकलते। रास्ते में कंपाउंड क्रॉस, भिड़े से टकराते, जो किताबें ले जा रहे। भिड़े का चेहरा सख्त - माधवी के अब्दुल अफेयर से परेशान।)
भिड़े (रुकते): जेठालाल भाई, सुबह शुभ। ट्यूशन क्लास है, लेकिन मन नहीं लग रहा। माधवी... कल फिर देर।
जेठालाल (समझते): हां भिड़े मास्टर, घर में टेंशन सबकी। शाम क्लास में बात करेंगे।
(दोनों अलग। जेठालाल दुकान पहुंचते। 8:30 बजे, नट्टू काका बही मिला रहे, बाघा माल रख रहे। जेठालाल काउंटर पर, फोन चेक - रोशन का "5 बजे गैरेज"। मन भटक। अंजली आती - साड़ी टाइट, स्लिम फिगर।)
अंजली: जेठालाल जी, जूस मेकर।
(ग्राफिकल लंबा सीन: अंजली झुकती, जेठालाल टच, बैक रूम। किस "ओओओओह्ह्ह... अंजली... आआआह्ह्ह!"। "फफफफााा... फाड़ दो मेरी चूत... ओओओओह्ह्ह!"। ब्रेस्ट चूस, पुसी लिक, ब्लोजॉब 12 मिनट, मिशनरी हार्ड, कम इनसाइड। 25 मिनट डिटेल्ड। अंजली जाती, जेठालाल थक।)
(कट टू: भिड़े का घर। 9 बजे। भिड़े ट्यूशन, लेकिन मन माधवी पर। माधवी बापूजी के घर। ग्राफिकल लंबा: बापूजी माधवी को किस, ब्रेस्ट चूस "ओओओओह्ह्ह... बापूजी... आआआह्ह्ह!"। "फफफफााा... फाड़ दो मेरी चूत... ओओओओह्ह्ह!"। डॉगी, 20 मिनट।
Like Reply


Messages In This Thread
RE: गोकुलधाम का रंगीला चश्मा - by Fuckuguy - 10-09-2025, 04:06 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)