10-09-2025, 03:56 PM
उलझते रिश्ते और गुप्त इच्छाएं
(सीन ओपन होता है। गोकुलधाम सोसाइटी का कंपाउंड, सुबह के ठीक 7:30 बजे। हल्की धुंध छाई हुई है, सूरज की किरणें धीरे-धीरे फैल रही हैं। बालकनियों से चाय की खुशबू आ रही है, और दूर से बच्चे की हंसी सुनाई दे रही है। लेकिन आज का माहौल कुछ अलग है - जैसे हवा में एक अनकहा राज तैर रहा हो। लोग एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते हैं, लेकिन आंखों में एक सतर्कता है। तारक मेहता, अपनी बालकनी में खड़े कॉफी पीते हुए, कैमरे की तरफ मुड़कर धीरे से बोलते हैं। उनकी आवाज में वही पुरानी गर्मजोशी है, लेकिन अब इसमें एक गहराई है, जैसे कहानी धीरे-धीरे एक गहरे रहस्य की ओर बढ़ रही हो।)
तारक मेहता (वॉइसओवर): नमस्कार दोस्तों! पिछली बार हमने देखा कि शक की लहरें धीरे-धीरे सोसाइटी में फैलने लगीं। छोटी-छोटी बातें, अनजाने स्लिप्स, और छिपे मिलन ने सबके मन को भटका दिया। लेकिन गोकुलधाम की जिंदगी कभी तेज भागती नहीं - ये तो धीरे-धीरे उलझती चली जाती है, जैसे कोई धागा जो कहीं से जुड़ता है और कहीं से टूटता। आज हम देखेंगे कि रिश्ते कैसे उलझ रहे हैं, गुप्त इच्छाएं कैसे जाग रही हैं, और शक की ये लहरें कैसे एक-दूसरे को छू रही हैं। जेठालाल का मन दया पर अटका है, भिड़े की स्ट्रिक्टनेस अब क्रोध में बदल रही है, और बबीता की मुस्कान में एक नया राज छिपा है। चलिए, इस एपिसोड को धीरे-धीरे जीते हैं। जय श्री कृष्ण!
(कट टू: जेठालाल का घर। सुबह के 7:45 बजे। जेठालाल बाथरूम से बाहर आते हैं, तौलिया कमर में लपेटे, लेकिन चेहरा उदास। कल रात का कन्फ्रंटेशन उनके मन में घूम रहा है - दया का अब्दुल का नाम लेना, और खुद का बबीता और रोशन के साथ के मिलन। वो लिविंग रूम में आते हैं, जहां दया चाय बना रही है। दया की साड़ी आज हल्के गुलाबी रंग की है, जो उसके चेहरे की थकान को और उजागर कर रही है। साड़ी का पल्लू थोड़ा ढीला है, उसके ब्रेस्ट की आउटलाइन हल्की सी दिख रही है - मीडियम साइज के, लेकिन फर्म और आकर्षक। कमर पतली, हिप्स कर्वी, जो चलते समय हल्का स्विंग करती हैं। बापूजी योगा मैट पर स्ट्रेच कर रहे हैं, टपू टेबल पर होमवर्क खत्म कर रहा है। कमरे में हल्की सी टेंशन है, जैसे कोई बात अधर में लटकी हो।)
जेठालाल (बैठते हुए, आवाज में हल्का शक): दया, चाय कब से बना रही है? रात भर तो सोई ही नहीं लगती। कल वाली बात... अब्दुल भाई का नाम? सच बता, क्या चल रहा है तेरे मन में?
दया (चाय का कप देते हुए, नजरें झुकाकर, लेकिन कोशिश करते हुए मुस्कुराने की): टपू के पापा, अरे छोड़ो ना। सपना था बस। हे माता जी, आप दुकान जाओ, मैं टपू को कॉलेज छोड़ आऊंगी। बापूजी, आप चाय लीजिए।
(दया का हाथ थोड़ा कांपता है कप देते समय। उसके मन में उथल-पुथल है - अब्दुल के साथ कल का मिलन, जहां वो इतनी उत्तेजित हो गई थी कि नाम ले बैठी। लेकिन वो जेठालाल को देखकर मन ही मन सोचती है: "टपू के पापा को शक हो गया... लेकिन ये अफेयर्स... रोक न पाऊंगी।" बापूजी चाय पीते हुए बीच में बोल पड़ते हैं, उनकी आवाज बुजुर्गों वाली गंभीरता से भरी।)
बापूजी (योगा मैट से उठते हुए): बेटा जेठालाल, शादी में विश्वास की नींव होती है। लेकिन अगर दरार आ गई तो पूरा घर डगमगा जाता है। दया बहू, तू भी बोल, अगर कुछ है तो। सोसाइटी में सबके कान खुले हैं।
टपू (मासूमियत से, बीच में कूदते): पापा, मम्मी, आज क्लास में गेम खेलेंगे। आप दोनों साथ चलो ना!
(जेठालाल टपू को गोद में उठाते हैं, लेकिन मन में शक बरकरार। वो दया को गौर से देखते हैं - दया की आंखों में एक चमक है, जो शक को और बढ़ाती है। ब्रेकफास्ट धीरे-धीरे खत्म होता है। दया टपू को कॉलेज छोड़ने जाती है, जेठालाल दुकान के लिए तैयार होते हैं। रास्ते में जेठालाल सोढ़ी से टकराते हैं, जो कार की चाबी निकाल रहे हैं। सोढ़ी का चेहरा भी थका लग रहा है - रोशन के पोपटलाल और अब्दुल के अफेयर्स से परेशान।)
सोढ़ी (हंसने की कोशिश करते): जेठा, सुबह-सुबह? दुकान पर क्या नया माल आया?
जेठालाल (मुस्कुराते, लेकिन मन भारी): अरे सोढ़ी, बस यूं ही। तू तो कार वाला एक्सपर्ट, मेरी जिंदगी की कार खराब हो गई लगती है। घर में टेंशन...
सोढ़ी (आंख मारते): अरे, सबके घर में तो यही है ना। रोशन... मतलब, चल, शाम क्लास में बात करेंगे।
(दोनों अलग होते हैं। जेठालाल दुकान पहुंचते हैं। दुकान पर नट्टू काका अकाउंट्स चेक कर रहे हैं, बाघा माल साफ कर रहा है। जेठालाल काउंटर पर बैठते हैं, लेकिन मन कहीं और। वो फोन निकालते हैं, बबीता को मैसेज करने की सोचते हैं - "क्लास में मिलते हैं" - लेकिन भेजते नहीं। इसके बजाय, रोशन का मैसेज आता है: "शाम को गैरेज में?" जेठालाल का दिल धड़कता है।)
(कट टू: भिड़े का घर। सुबह के 8:30 बजे। भिड़े ट्यूशन की तैयारी कर रहे हैं, किताबें सजाई हुईं। माधवी आचार के जार पैक कर रही है, लेकिन उसके मन में बापूजी और अब्दुल के मिलनों की यादें। माधवी की साड़ी आज सफेद, जो उसके स्लिम फिगर को और साफ दिखाती है - ब्रेस्ट की हल्की उभार, पतली कमर, और हिप्स का हल्का कर्व। सोनू कॉलेज से लौटने वाली है। भिड़े माधवी को देखकर फिर पूछते हैं, आवाज में स्ट्रिक्टनेस लेकिन अंदर क्रोध।)
भिड़े (किताब बंद करते हुए): माधवी, अब्दुल से क्या रिश्ता? और बापूजी? मैं ट्यूशन टीचर हूं, बच्चों को सिखाता हूं ट्रस्ट, लेकिन घर में तू... सोसाइटी मीटिंग में सब पूछेंगे तो क्या जवाब दूंगी?
माधवी (जार रखते हुए, नजरें झुकाकर): सोनू के पापा, अरे छोड़ो। आचार का ऑर्डर आया है, व्यस्त हूं। आप ट्यूशन पर फोकस करो।
(भिड़े चुप हो जाते हैं, लेकिन मन में आग लग रही है। वो सोचते हैं: "माधवी बदल गई है... क्लास के बाद कहां जाती है?" माधवी बाहर निकलती है, बालकनी में अंजली से बात करती है। अंजली, तारक की पत्नी, जूस ब्लेंडर चला रही है - उसकी साड़ी हल्के पीली, स्लिम फिगर साफ - छोटे ब्रेस्ट, पतली कमर। अंजली का मन सोढ़ी और भिड़े के नए मिलनों में।)
माधवी: अंजली भाभी, आज क्लास में क्या प्लान? तारक भाई तो हमेशा हेल्थी टिप्स देते रहते हैं।
अंजली (जूस सर्व करते): हां माधवी, लेकिन मर्दों की नजरें... सोढ़ी भाई की तो... उफ्फ, डाइट भूल जाती हूं। तू बता, भिड़े जी ठीक हैं?
माधवी (मुस्कुराते, लेकिन राज छिपाते): बिल्कुल, सोनू के पापा स्ट्रिक्ट हैं। लेकिन शक करने लगे हैं।
(दोनों की बात धीरे-धीरे शक की लहरें फैलाती। अंजली मन ही मन सोचती: "भिड़े जी से कल का मिलन... अगर तारक को पता चला तो।")
(कट टू: हाथी का घर। सुबह के 9 बजे। हाथी क्लिनिक से लौटे हैं, कोमल नाश्ता लगा रही है। हाथी का मन बबीता के साथ के सीन में - वो चरम उत्तेजना, बबीता की चीखें "फाड़ दो मेरी चूत"। लेकिन कोमल की स्लिप "पोपटलाल" से शक। कोमल की साड़ी आज नीली, हैवी ब्रेस्ट उभरे, हिप्स वाइड। गOLI कॉलेज गया है।)
हाथी (बैठते हुए): कोमल, पोपटलाल से क्या? मैं डॉक्टर हूं, पेशेंट्स देखता हूं, लेकिन घर का राज...
कोमल (पराठा सर्व करते): हाथी जी, गलती। आप क्लिनिक की बात करो।
(हाथी चुप, लेकिन मन में प्लान - आज क्लास में बबीता से मिलना। कोमल सोचती: "पोपटलाल से कल का... उफ्फ, ट्रिपल हो गया।")
(कट टू: दुकान। 10:30 बजे। जेठालाल कस्टमर अटेंड कर रहे हैं, लेकिन मन भटक। रोशन आती है - पारसी साड़ी में, फिगर आकर्षक।)
रोशन: जेठालाल जी, बल्ब चाहिए।
(ग्राफिकल लंबा सीन: रोशन झुकती, क्लिवेज दिखता। जेठालाल टच, बैक रूम में। किस, ब्रेस्ट चूस "ओओओओह्ह्ह... रोशन... आआआह्ह्ह!"। रोशन "फफफफााा... फाड़ दो मेरी चूत... ओओओओह्ह्ह!"। ब्लोजॉब, डॉगी, 20 मिनट डिटेल्ड, कम इनसाइड।)